मैं हूँ हसीना गजब की पार्ट–2
गतान्क से आगे……………………
“क्या यार तुम्हारी जिंदगी तो बहुत बोरिंग है. यहाँ ये सब नही
चलेगा. एक दो तो भंवरों को रखना ही चाहिए. तभी तो तुम्हारी
मार्केट वॅल्यू का पता चलता है. मैं उनकी बातों से हंस पड़ी.
शादी से पहले ही मैं पंकज के साथ हुमबईस्तर हो गयी. हम दोनो
ने शादी से पहले खूब सेक्स किया. ऑलमोस्ट रोज ही किसी होटेल मे जाकर
सेक्स एंजाय करते थे. एक बार मेरे पेरेंट्स ने शादी से पहले रात
रात भर बाहर रहने पर एतराज जताया था. लेकिन जताया भी तो किसे मेरे
होने वाले ससुर जी से जो खुद इतने रंगीन मिज़ाज थे. उन्हों ने उनकी
चिंताओं को भाप बना कर उड़ा दिया. राजकुमार जी मुझे फ्री छ्चोड़
रखे थे लेकिन मैने कभी अपने काम से मन नही चुराया. अब मैं
वापस सलवार कमीज़ मे ऑफीस जाने लगी.
पंकज और उनकी फॅमिली काफ़ी खुले विचारों की थी. पंकज मुझे
एक्सपोषर के लिए ज़ोर देते थे. वो मेरे बदन पर रिवीलिंग कपड़े
पसंद करते थे. मेरा पूरा वॉर्डरोब उन्हों ने चेंज करवा दिया
था.
उन्हे मिनी स्कर्ट और लूस टॉपर मुझ पर पसंद थे. सिर्फ़ मेरे
कपड़े
ही नही मेरे अंडरगार्मेंट्स तक उन्हों ने अपने पसंद के खरीद्वये.
वो मुझे माइक्रो स्कर्ट और लूस स्लीव्ले टॉपर पहना कर डिस्कोज़
मे
ले जाते जहाँ हम खूब फ्री होकर नाचते और मस्ती करते थे. अक्सर
लोफर लड़के मेरे बदन से अपना बदन रगड़ने लगते. कई बार मेरे
बूब्स मसल देते. वो तो बस मौके की तलाश मे रहते थे कि कोई मुझ
जैसी सेक्सी हसीना मिल जाए तो हाथ सेंक लें. मैं कई बार नाराज़ हो
जाती लेकिन पंकज मुझे चुप करा देते. कई बार कुच्छ मनचले
मुझसे डॅन्स करना चाहते तो पंकज खुशी खुशी मुझे आगे कर
देते.
मुझ संग तो डॅन्स का बहाना होता. लड़के मेरे बदन से जोंक की तरह
चिपक जाते. मेरे पूरे बदन को मसल्ने लगते. बूब्स का तो सबसे
बुरा हाल कर देते. मैं अगर नाराज़गी जाहिर करती तो पंकज अपनी
टेबल
से आँख मार कर मुझे शांत कर देते. शुरू शुरू मे तो इस तरह का
ओपननेस मे मैं घबरा जाती थी. मुझे बहुत बुरा लगता था लेकिन
धीरे धीरे मुझे इन सब मे मज़ा आने लगा. मैं पंकज को उत्तेजित
करने के लिए कभी कभी दूसरे किसी मर्द को सिड्यूस करने लगती. उस
शाम पंकज मे कुच्छ ज़्यादा ही जोश आ जाता.
खैर हुमारी शादी जल्दी ही बड़े धूम धाम से हो गयी. शादी के
बाद जब मैने राजकुमार जी के चरण छुये तो उन्हों ने मुझे अपने
सीने से लगा लिया. इतने मे ही मैं गीली हो गयी. तब मैने महसूस
किया की हुमारा रिश्ता आज से बदल गया लेकिन मेरे मन मे अभी एक
छुपि सी चिंगारी बाकी है अपने ससुर जी के लिए जिसे हवा लगते ही
भड़क उठने की संभावना है.
मेरे ससुराल वाले बहुत अच्च्चे काफ़ी अड्वॅन्स्ड विचार के थे. पंकज
के एक बड़े भाई साहिब हैं कमल और एक बड़ी बहन है नीतू. दोनो
कीतब तक शादी हो चुकी थी. मेरे नंदोई का नाम है विशाल. विशाल
जी
बहुत रंगीन मिज़ाज इंसान थे. उनकी नज़रों से ही कामुकता टपकती
थी.
शादी के बाद मैने पाया विशाल मुझे कामुक नज़रों से
घूरते रहते हैं. नयी नयी शादी हुई थी इसलिए किसी से शिकायत
भी नही कर सकती थी. उनकी फॅमिली इतनी अड्वान्स थी कि मेरी इस
तरहकी शिकायत को हँसी मे उड़ा देते और मुझे ही उल्टा उनकी तरफ धकेल
देते. विशलजी की मेरे ससुराल मे बहुत अच्छि इमेज बनी हुई थी
इसलिए मेरी किसी भी को कोई तवज्जो
नही देता. अक्सर विशलजी मुझे च्छू कर बात करते थे. वैसे इसमे
कुच्छ भी
ग़लत नही था. लेकिन ना जाने क्यों मुझे उस आदमी से चिढ़ होती थी.
उनकी आँखें हमेशा मेरी छातियो पर रेंगते महसूस करती थी. कई
बार मुझसे सटने के भी कोशिश करते थे. कभी सबकी आँख बचा
कर मेरी कमर मे चिकोटी काटते तो कभी मुझे देख कर अपनी जीभ
को अपने होंठों पर फेरते. मैं नज़रें घुमा लेती.
मैने जब नीतू से थोड़ा घुमा कर कहा तो वो हंसते हुए
बोली, “देदो बेचारे को कुच्छ लिफ्ट. आजकल मैं तो रोज उनका पहलू गर्म
कर पाती नही हूं इसलिए खुला सांड हो रहे हैं. देखना बहुत बड़ा
है उनका. और तुम तो बस अभी कच्ची कली से फूल बनी हो उनका
हथियार झेल पाना अभी तेरे बस का नही.”
“दीदी आप भी बस….आपको शर्म नही आती अपने भाई की नयी दुल्हन से
इस तरह बातें कर रही हो?”
“इसमे बुराई क्या है. हर मर्द का किसी शादीसूडा की तरफ अट्रॅक्षन
का मतलब बस एक ही होता है. कि वो उसके शहद को चखना चाहता
है. इससे कोई घिस तो जाती नही है.” नीतू दीदी ने हँसी मे बात को
उड़ा दिया. उस दिन शाम को जब मैं और पंकज अकेले थे नीतू दीदी ने
अपने भाई से भी मज़ाक मे मेरी शिकायत की बात कह दी.
पंकज हँसने लगे, “अच्च्छा लगता है जीजा जी का आप से मन भर
गया है इसलिए मेरी बीवी पर नज़रें गड़ाए रखे हुए हैं.” मैं तो
शर्म से पानी पानी हो रही थी. समझ ही नही आ रहा था वहाँ
बैठे रहना चाहिए या वहाँ से उठ कर भाग जाना चाहिए. मेरा
चेहरा शर्म से लाल हो गया.
“अभी नयी है धीरे धीरे इस घर की रंगत मे ढल जाएगी.” फिर
मुझे कहा, ” शिम्रिति हमारे घर मे किसीसे कोई लुकाव च्चिपाव नही
है. किसी तरह का कोई परदा नही. सब एक दूसरे से हर तरह का
मज़ाक छेड़ छाड कर सकते हैं. तुम किसी की किसी हरकत का बुरा
मतमानना”
अगले दिन की ही बात है मैं डाइनिंग टेबल पर बैठी सब्जी काट रही
थी. विशलजी और नीता दीदी सोफे पर बैठे हुए थे. मुझे ख़याल
ना रहा कब मेरे एक स्तन से सारी का आँचल हट गया. मुझे काम
निबटा कर नहाने जाना था इसलिए ब्लाउस का सिर्फ़ एक बटन बंद था.
आधे से अधिक छाती बाहर निकली हुई थी. मैं अपने काम मे तल्लीन
थी. मुझे नही मालूम था कि विशाल जी सोफे बैठ कर न्यूज़ पेपर की
आड़ मे मेरे स्तन को निहार रहे है. मुझे पता तब चला जब नीतू
दीदी ने मुझे बुलाया.
“स्मृति यहाँ सोफे पर आ जाओ. इतनी दूर से विशाल को तुम्हारा
बदन ठीक से दिखाई नही दे रहा है. बहुत देर से कोशिश कर
रहाहै कि काश उसकी नज़रों के गर्मी से तुम्हारे ब्लाउस का इकलौता
बटन पिघल जाए और ब्लाउस से तुम्हारी छातिया निकल जाए लेकिन उसे कोई
सफलता नही मिल रही है.”
मैने झट से अपनी चूचियो को देखा तो सारी बात समझ कर मैने
आँचल सही कर दिया. मई शर्मा कर वहाँ से उठने को हुई. तो नीता
दीदी ने आकर मुझे रोक दिया. और हाथ पकड़ कर सोफे तक ले गयी.
विशाल जी के पास ले जा कर. उन्हों ने मेरे आँचल को चूचियो के
उपर से हटा दिया.
“लो देख लो….. 38 साइज़ के हैं. नापने हैं क्या?”
मैं उनकी हरकत से शर्म से लाल हो गयी. मैने जल्दी वापस आँचल
सही किया और वहाँ से खिसक ली.
हनिमून मे हमने मसुरी जाने का प्रोग्राम बनाया. शाम को बाइ कार
देल्ही से निकल पड़े. हुमारे साथ नीतू और विशलजी भी थे.ठंड के
दिन थे. इसलिए शाम जल्दी हो जाती थी. सामने की सीट पर नीतू दीदी
बैठी हुई थी. विशाल जी कार चला रहे थे. हम दोनो पीछे
बैठे हुए थे. दो घंटे कंटिन्युवस ड्राइव करने क बाद एक ढाबे
पर चाइ पी. अब पंकज ड्राइविंग सीट पर चला गया और विशलजी
पीछे की सीट पर आ गये. मैं सामने की सीट पर जाने के लिए
दरवाजाखोली की विशाल ने मुझे रोक दिया.
“अरे कभी हुमारे साथ भी बैठ लो खा तो नही जौंगा तुम्हे.”
विशाल ने कहा.
“हाँ बैठ जाओ उनके साथ सर्दी बहुत है बाहर. आज अभी तक गले
के अंदर एक भी घूँट नही गयी है इसलिए ठंड से काँप रहे
हैं.तुमसे सॅट कर बैठेंगे तो उनका बदन भी गर्म हो जाएगा.” दीदी ने
हंसते हुए कहा.
“अच्च्छा? लगता है दीदी अब तुम उन्हे और गर्म नही कर पाती हो.”
पंकज ने नीतू दीदी को छेड़ते हुए कहा.
हम लोग बातें करते मज़ाक करते चले जा
रहे थे. तभी बात करते करते विशाल ने अपना हाथ मेरी जाँघ पर
रख दिया. जिसे मैने धीरे से पकड़ कर नीचे कर दिया. ठंड
बढ़ गयी थी. पंकज ने एक शॉल ले लिया. नीतू एक कंबल ले ली
थी. हम दोनो पीछे बैठ ठंड से काँपने लगे.
“विशाल देखो स्मृति का ठंड के मारे बुरा हाल हो रहा है. पीछे
एक कंबल रखा है उससे तुम दोनो ढक लो.” नीतू दीदी ने कहा.
अब एक ही कंबल बाकी था जिस से विशाल ने हम दोनो को ढक दिया. एक
कंबल मे होने के कारण मुझे विशाल से सॅट कर बैठना पड़ा. पहले
तोथोड़ी झिझक हुई मगर बाद मे मैं उनसे एकद्ूम सॅट कर बैठ गयी.
विशालका एक हाथ अब मेरी जांघों पर घूम रहा था और सारी के ऊपर से
मेरीजांघों को सहला रहा था. अब उन्हों ने अपने हाथ को मेरे कंधे के
उपर रख कर मुझे और अपने सीने पर खींच लिया. मैं अपने हाथों
से उन्हे रोकने की हल्की सी कोशिश कर रही थी.
“क्या बात है तुम दोनो चुप क्यों हो गये. कहीं तुम्हारा नंदोई तुम्हे
मसल तो नही रहा है? सम्हल के रखना अपने उन खूबसूरत जेवरों
को मर्द पैदाइशी भूखे होते हैं इनके.’ कह कर नीतू हंस पड़ी.
मैं शर्मा गयी. मैने विशाल के बदन से दूर होने की कोशिश की
तोउन्हों ने मेरे कमर को पकड़ कर और अपनी तरफ खींच लिया.
“अब तुम इतनी दूर बैठी हो तो किसी को तो तुम्हारी प्रॉक्सी देनी पड़ेगी
ना. और नंदोई के साथ रिश्ता तो वैसे ही जीजा साली जैसा होता
है…..आधी घर वाली…..” विशाल ने कहा
“देखा…..देखा. …..कैसे उच्छल रहे हैं. स्मृति अब मुझे मत
कहना कि मैने तुम्हे चेताया नही. देखना इनसे दूर ही रहना. इनका
साइज़ बहुत बड़ा है.” नीतू ने फिर कहा.
“क्या दीदी आप भी बस….”
अब पंकज ने अपनी बाँह वापस कंधे से उतार कर कुच्छ देर तक मेरे
अन्द्रूनि जांघों को मसल्ते रहे. फिर अपने हाथ को वापस उपर उठा
कर अपनी उंगलियाँ मेरे गाल्लों पर फिराने लगे. मेरे पूरे बदन मे
एकझुरजुरी सी दौड़ रही थी. रोएँ भी खड़े हो गये. धीरे धीरे
उनका हाथ गले पर सरक
गया. मैं ऐसा दिखावा कर रही थी जैसे सब कुच्छ नॉर्मल है मगर
अंदर उनके हाथ किसी सर्प की तरह मेरे बदन पर रेंग रहे थे.
अचानक उन्हों ने अपना हाथ नीचे किया और सारी ब्लाउस के उपर से
मेरे एक स्तन को अपने हाथों से ढक लिया. उन्हों ने पहले धीरे से
कुच्छ देर तक मेरे एक स्तन को प्रेस किया. जब देखा कि मैने किसी
तरह का विरोध नही किया तो उन्हों ने हाथ ब्लाउस के अंदर डाल कर
मेरे एक स्तन को पकड़ लिया. मैं कुच्छ देर तक तो सकते जैसी हालत
मे बैठी रही. लेकिन जैसे ही उसने मेरे उस स्तन को दबाया मैं
चिहुनक उठी “अयीई”
“क्या हुआ? ख़टमल काट गया?” नीता ने पूचछा. और मुझे चिढ़ाते
हुए हँसने लगी. मैं शर्म से मुँह भींच कर बैठी हुई थी. क्या
बताती, एक नयी दुल्हन के लिए इस तरह की बातें खुले आम करना
बड़ामुश्किल होता है. और स्पेशली तब जब की मेरे अलावा बाकी सब इस
महॉल का मज़ा ले रहे थे.
“कुच्छ नही मेरा पैर फँस गया था सीट के नीचे.” मैने बात को
सम्हलते हुएकहा.
अब उनके हाथ मेरे नग्न स्तन को सहलाने लगे. उनके हाथ ब्रा के अंदर
घुसकर मेरे स्तनो पर फिर रहे थे. उन्हों ने मेरे निपल्स को अपनी
उंगलियों से छुते हुए मेरे कान मे कहा, “बाइ गॉड बहुत सेक्सी हो.
अगर तुम्हारा एक अंग ही इतना लाजवाब है तो जब पूरी नंगी होगी तो
कयामत आ जाएगी. पंकज खूब रगड़ता होगा तेरी जवानी. साला बहुत
किस्मेत वाला है. तुम्हे मैं अपनी टाँगों के बीच लिटा कर रहूँगा. “
उनके इस तरह खुली बात करने से मैं घबरा गयी. मैने सामने
देखा
दोनो भाई बहन अपनी धुन मे थे. मैं अपना निचला होंठ काट कर रह
गयी. मैने चुप रहना ही उचित समझा जितनी शिकायत करती दोनो
भाई बहन मुझे और ज़्यादा खींचते. उनकी हरकतों से अब मुझे भी
मज़ा आने लगा. मेरी योनि गीली होने
लगी. लेकिन मई चुप चाप अपनी नज़रें झुकाए बैठी रही. सब हँसी
मज़ाक मे व्यस्त थे. दोनो को इसकी बिल्कुल भी उम्मीद नही थी की उनके
पीठ के ठीक पीछे किस तरह का खेल चल रहा था. मैं नई
नवेलीदुल्हन कुच्छ तो शर्म के मारे और कुच्छ परिवार वालों के खुले
विचारों को देखते हुए चुप थी. वैसे मैं भी अब कोई दूध की
धूलितो थी नही. ससुर जी के साथ हुमबईस्तर होते होते रह गयी थी.
इसलिए मैने मामूली विरोध के और कसमसने के अलावा कोई हरकत नही
की.
उसने मुझे आगे को झुका दिया और हाथ मेरी पीठ पर ले जाकर
मेरी ब्रा के स्ट्रॅप खोल दिए. ब्लाउस मे मेरे बूब्स ढीले हो गये. अब
वो आराम से ब्लाउस के अंदर मेरे बूब्स को मसल्ने लगे. उसने
मेरे ब्लाउस के बटन्स खोल कर मेरे बूब्स को बिल्कुल नग्न कर दिए.
विशाल ने अपना सिर कंबल के अंदर करके मेरे नग्न स्तनो को चूम
लिया. उसने अपने होंठों के बीच एक एक करके मेरे निपल्स लेकर
कुच्छ देर चूसा. मैं डर के मारे एक दम स्तब्ध रह गयी. मई साँस
भी रोक कर बैठी हुई थी. ऐसा लग रहा था मानो मेरी सांसो से भी
हमारी हरकतों का पता चल जाएगा. कुच्छ देर तक मेरे निपल्स
चूसने के बाद वापस अपना सिर बाहर निकाला. अब वो अपने हाथों से
मेरेहाथ को पकड़ लिया. मेरी पतली पतली उंगलियों को कुच्छ देर तक
चुउस्ते और चूमते रहे. फिर धीरे से उसे पकड़ कर पॅंट के उपर
अपने लिंग पर रखा. कुच्छ देर तक वहीं पर दबाए रखने के बाद
मैने अपने हाथों से उनके लिंग को एक बार मुट्ठी मे लेकर दबा दिया.
वो तब मेरी गर्दन पर हल्के हल्के से अपने दाँत गढ़ा रहे थे. मेरे
कानो की एक लौ अपने मुँह मे लेकर चूसने लगे.
पता नही कब उन्होने अपने पॅंट की ज़िप खोल कर अपना लिंग बाहर निकाल
लिया. मुझे तो पता तब लगा जब मेरे हाथ उनके नग्न लिंग को छू
लिए. मैं अपने हाथ को खींच रही थी मगर उनकी पकड़
से च्छुदा नही पा रही थी.
जैसे ही मेरे हाथ ने उसके लिंग के चंदे को स्पर्श
किया पूरे बदन मे एक सिहरन सी दौड़ गयी. उनका लिंग पूरी तरह
तना हुआ था. लिंग तो क्या मानो मैने अपने हाथों मे को गरम सलाख
पकड़ ली हो. मेरी ज़ुबान तालू से चिपक गयी. और मुँह सूखने लगा.
मेरे हज़्बेंड और ननद सामने बैठे थे और मैं नयी दुल्हन एक गैर
मर्द का लिंग अपने हाथो मे थाम रखी थी. मैं शर्म और डर से गढ़ी
जा रही थी. मगर मेरी ज़ुबान
को तो मानो लकवा मार गया था. अगर कुच्छ बोलती तो पता नही सब क्या
सोचते. मेरी चुप्पी को उसने मेरी रज़ामंदी समझा. उसने मेरे हाथ को
मजबूती से अपने लिंग पर थाम रखा था. मैने धीरे धीरे उसके
लिंग को अपनी मुट्ठी मे ले लिया. उसने अपने हाथ से मेरे हाथ को उपर
नीचे करके मुझे उसके लिंग को सहलाने का इशारा किया. मैं उसके
लिंग को सहलाने लगी. जब वो अस्वस्त हो गये तो उन्होने मेरे हाथ को
छ्चोड़ दिया और मेरे चेहरे को पकड़ कर अपनी ओर मोड़ा. मेरे होंठों
पर उनके होंठ चिपक गये. मेरे होंठों को अपनी जीभ से खुलवा कर
मेरे मुँह मे अपनी जीभ घुसा दी. मैं डर के मारे काँपने लगी.
जल्दी ही उन्हे धक्का देकर अपने से अलग किया. उन्होने अपने हाथों से
मेरी सारी उँची करनी शुरू की उनके हाथ मेरी नग्न जांघों पर फिर
रहे थे. मैने अपनी टाँगों को कस कर दबा रखा था इसलिए उन्हे
मेरी योनि तक पहुँचने मे सफलता नही मिल रही थी. मैं उनके लिंग
पर ज़ोर ज़ोर से हाथ चला रही थी. कुच्छ देर बाद उनके मुँह से हल्की
हल्की “आ ऊ” जैसी आवाज़ें निकलने लगी जो कि कार की आवाज़ मे दब
गयी थी. उनके लिंग से ढेर सारा गढ़ा गढ़ा वीर्य निकल कर मेरे
हाथों पर फैल गया. मैने अपना हाथ बाहर निकल लिया. उन्होने वापस
मेरे हाथ को पकड़ कर मुझे ज़बरदस्ती उनके वीर्य को चाट कर सॉफ
करने लिए बाध्या करने लगे मगर मैने उनकी चलने नही दी. मुझे
इस तरह की हरकत बहुत गंदी और वाहियात लगती थी. इसलिए मैने
उनकी पकड़ से अपना हाथ खींच कर अपने रुमाल से पोंच्छ दिया. कुच्छ
देर बाद मेरे हज़्बेंड कार रोक कर पीछे आ गये तो मैने राहत की
साँस ली.
हम होटेल मे पहुँचे. दो डबल रूम बुक कर रखे थे. उस दिन
ज़्यादाघूम नही सके. शाम को हम सब उनके कमरे मे बैठ कर ही बातें
करने लगे. फिर देर रात तक ताश खेलते रहे. जब हम उठने लगे तो
विशाल जी ने हूमे रोक लिया.
“अरे यहीं सो जाओ” उन्हों ने गहरी नज़रों से मुझे देखते हुए
कहा.
पंकज ने सारी बात मुझ पर छ्चोड़ दी, “मुझे क्या है इससे पूच्छ
लो.”
विशाल मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देख कर कहे “लाइट बंद कर
देंगे
तो कुच्छ भी नही दिखेगा. और वैसे भी ठंड के मारे रज़ाई तो लेना
ही पड़ेगा.”
“और क्या कोई किसी को परेशान नही करेगा. जिसे अपने पार्ट्नर से
जितनी मर्ज़ी खेलो” नीतू दीदी ने कहा
पंकज ने झिझकते हुए उनकी बात मान ली. मैं चुप ही रही. लाइट
ऑफ करके हम चार एक ही डबल बेड पर लेट गये. मैं और नीतू
बीच मे सोए और दोनो मर्द किनारे पर. जगह कम थी इसलिए एक
दूसरे से सॅट कर सो रहे थे. हम चारों के वस्त्र बहुत जल्दी बदन
से हट गये. हल्की हालिक रोशनी मे मैने देखा कि विशाल जी नीतू को
सीधा कर के दोनो पैर अपने कंधों पर रख दिए और धक्के मारने
लगे. कंबल, रज़ाई सब उनके बदन से हटे हुए थे. मैने हल्की
रोशनी मे उनके मोटे तगड़े लिंग को देखा. नीतू लिंग घुसते
समय “आह” कर उठी. कंपॅरटिव्ली पंकज का लंड उससे छ्होटा था.
मैं सोच रही थी नीतू को कैसा मज़ा आ रहा होगा. विशाल नीतू को
धक्के मार रहा था. पंकज मुझे घोड़ी बना कर मेरे पीछे से
ठोकने लगा. पूरा बिस्तर हम दोनो कपल्स के धक्कों से बुरी तरह
हिल रहा था. कुच्छ देर बाद विशाल लेट गया और नीतू को अपने उपर
ले लिया. अब
नीतू उन्हे चोद रही थी. मेरे बूब्स पंकज के धक्कों से बुरी तरह
हिल रहे थे. थोड़ी देर मे मैने महसूस किया कि कोई हाथ मेरे
हिलते हुए बूब्स को मसल्ने लगा है. मैं समझ गयी कि वो हाथ
पंकज का नही बल्कि विशाल का है. विशाल मेरे निपल को अपनी
चुटकियों मे भर कर मसल रहा था. मैं दर्द से कराह उठी. पंकज
खुश हो गया कि उसके धक्कों ने मेरी चीख निकाल दी. काफ़ी देर तक
यूँही अपनी अपनी बीवी को ठोक कर दोनो निढाल हो गये.
दोनो कपल वहीं अलग अलग कंबल और रज़ाई मे घुस कर बिना कपड़ों
के ही अपने अपने पार्ट्नर से लिपट कर सो गये. मैं और नीतू बीच मे
सोए थे और दोनो मर्द किनारे की ओर सोए थे. आधी रात को अचानक
मेरी नीद खुली. मैं ठंड के मारे पैरों को सिकोड कर सोई थी.
मुझे लगा मेरे बदन पर कोई हाथ फिरा रहा है. मेरी रज़ाई मे एक
तरफ पंकज सोया हुआ था. दूसरी तरफ से कोई रज़ाई उठ कर अंदर
सरक गया और मेरे नग्न बदन से चिपक गया. मैं समझ गयी की
ये और कोई नही विशाल है. उसने कैसे नीतू को दूसरी ओर कर के
खुद मेरी तरफ सरक आया यह पता नही चला. उसके हाथ अब मेरी आस
पर फिर रहे थे. फिर उसके हाथ मेरे दोनो आस के बीच की दरार से
होते हुए मेरे आस होल पर कुच्छ पल रुके और फिर आगे बढ़ कर मेरी
योनि के ऊपर ठहर गये.
मैं बिना हीले दुले चुप चाप पड़ी थी. देखना चाहती थी कि विशाल
करता क्या है. डर भी रही थी क्योंकि मेरी दूसरी तरफ पंकज मुझ
से लिपट कर सो रहे थे. विशाल का मोटा लंड खड़ा हो चुक्का था
और
मेरे आस पर दस्तक दे रहा था.
विशाल ने पीछे से मेरी योनि मे अपनी एक फिर दूसरी उंगली डाल दी.
मेरी योनि गीली होने लगी थी. पैरों को मोड़ कर लेते रहने के कारण
मेरी योनि उसके सामने बिकुल खुली हुई तैयार थी. उसने कुच्छ देर तक
मेरी योनि मे अपनी उंगलियों को अंदर बाहर करने के बाद अपने लिंग के
गोल टोपे को मेरी योनि के मुहाने पर रखा. मैने अपने बदन को
ढीला छ्चोड़ दिया था. मैं भी किसी पराए मर्द की हरकतों से गर्म
होने लगी थी. उसने अपनी कमर से मेरी योनि पर एक धक्का लगाया
“आआहह” मेरे मुँह से ना चाहते हुए भी एक आवाज़ निकल गयी.
तभी पंकज ने एक करवट बदली.
“मैने घबरा कर उठने का बहाना किया और विशाल को धक्का दे कर
अपने से हटाते हुए उसके कान मे फुसफुसा कर कहा
“प्लीज़ नही…… पंकज जाग गया तो अनर्थ हो जाएगा.”
“ठहरो जाने मन कोई और इंतज़ाम करते है” कहकर वो उठा और एक
झटके से मुझे बिस्तर से उठा कर मुझे नंगी हालत मे ही सामने के
सोफे पर ले गया. वहाँ
मुझे लिटा कर मेरी टाँगों को फैलाया. वो नीचे कार्पेट पर बैठ
गया. फिर उसने अपना सिर मेरी जांघों के बीच रख कर मेरी योनि पर
जीभ फिराना शुरू किया. मैने
अपनी टाँगें छत की तरफ उठा दिया. वो अपने हाथों से मेरी टाँगों
को थम रखा था. मैं अपने हाथों से उसके सिर को अपनी योनि पर दाब
दिया. उसकी जीभ अब मेरी योनि के अंदर घुस कर
मुझे पागल करने लगा. मैं अपने बालों को खींच रही थी तो कभी
अपनी उंगलियों से अपने निपल्स को ज़ोर ज़ोर से मसल्ति. अपने जबड़े को
सख्ती से मैने भींच रखा था जिससे किसी तरह की कोई आवाज़ मुँह
से ना निकल जाए. लेकिन फिर भी काफ़ी कोशिशों के बाद भे हल्की
दबी
दबी कराह मुँह से निकल ही जाती थी. मैने उनके उपर झुकते हुए
फुसफुसते हुए कहा
आअहह…..ये क्या कर दिया अपने…… मैं पागल हो
जौंगी……….प्लीईईससस्स और बर्दस्त नही हो रहा है. अब आआ जाऊ”
लेकिन वो नही हटा. कुच्छ ही देर मे मेरा बदन उसकी हरकतों को नही
झेल पाया और योनि रस की एक तेज धार बह निकली. मैं निढाल हो कर
सोफे पर गिर गयी. फिर मैने उसके बाल पकड़ कर उसके सिर को
ज़बरदस्ती से मेरी योनि से हटाया.
“क्या करते हो. छि छि इसे चतोगे क्या?” मैने उनको अपने योनि रस
का स्वाद लेने से रोका.
“मेरी योनि तप रही है इसमे अपने हथियार से रगड़ कर शांत
करो.” मैने भूखी शेरनी की तरह उसे
खींच कर अपने ऊपर लिटा लिया और उसके लिंग को पकड़ कर सहलाने
लगी. उसे सोफे पर धक्का दे कर उसके लिंग को अपने हाथों
से पकड़ कर अपने मुँह मे ले लिया. मैने कभी किसी मर्द के लिंग को
मुँह मे लेना तो दूर कभी होंठों से भी नही छुआ था. पंकज
बहुत ज़िद करते थे की मैं उनके लिंग को मुँह मे डाल कर चूसूं
लकिन मैं हर बार उनको मना कर देती थी. मैं इसे एक गंदा काम
समझती थी. लेकिन आज ना जाने क्या हुआ कि मैं इतनी गर्म हो गयी की
खुद ही विशलजी के लिंग को अपने हाथों से पकड़ कर कुच्छ देर तक
किस किया. और जब विशाल जी ने मुझे उनके लिंग को अपने मुँह मे
लेने
का इशारा करते हुए मेरे सिर को अपने लिंग पर हल्के से दबाया तो
मैने किसी तरह का विरोध ना करते हुए अपने होंठों को खोल कर
अपने सिर को नीचे की ओर झुका दिया. उनके लिंग से एक अजीब तरह की
स्मेल आ रही थी. कुच्छ देर यूँ ही मुँह मे रखने के बाद मैं उनके
लिंग को चूसने लगी.
अब सारे डर सारी शर्म से मैं परे थी. जिंदगी मे मुझे अब किसी की
चिंता नही थी. बस एक जुनून था एक
गर्मी थी जो मुझे झुलसाए दे रही थी. मैं उनके लिंग को मुँह मे
लेकर चूस रही थी. अब मुझे कोई चिंता नही थी कि विशाल मेरी
हरकतों के बारे मे क्या सोचेगा. बस मुझे एक भूख परेशान कर
रही थी जो हर हालत मे मुझे मिटानी थी. वो मेरे सिर को अपने
लिंग पर दाब कर अपनी कमर को उँचा करने लगा. कुच्छ देर बाद
उसने मेरे सिर को पूरी ताक़त से अपने लिंग पर दबा दिया. मेरा दम
घुट रहा था. उसके लिंग से उनके वीर्य की एक तेज धार सीधे गले के
भीतर गिरने लगी. उनके लिंग के आसपास के बाल मेरे नाक मे घुस रहे
थे.
पूरा रस मेरे पेट मे चले जाने के बाद ही उन्होने मुझे छ्चोड़ा. मैं
वहीं ज़मीन पर भर भरा कर गिर गयी और तेज तेज साँसे लेने
लगी.
वो सोफे पर अब भी पैरों को फैला कर बैठे हुए थे. उनके सामने
मैं
अपने गले को सहलाते हुए ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी. उन्होने अपने
पैर को आगे बढ़ा कर अपने अंगूठे को मेरी योनि मे डाल दिया. फिर
अपने पैर को आगे
पीछे चला कर मेरी योनि मे अपने अंगूठे को अंदर बाहर करने
लगा. बहुत जल्दी उनके लिंग मे वापस हरकत होने लगी. वो आगे की ओर
झुक कर मेरे निपल्स पकड़ कर अपनी ओर खींचे मैं दर्द से बचने
के लिए उठ कर उनके पास आ गयी. अब उन्होने मुझे सोफे पर हाथों
केबल झुका दिया. पैर कार्पेट पर ही थे. अब मेरी टाँगों को चौड़ा
करके पीछे से मेरी योनि पर अपना लिंग सटा कर एक जोरदार धक्का
मारा. उनका मोटा लिंग मेरी योनि के अंदर रास्ता बनाता हुआ घुस गया.
योनि बुरी तरह गीली होने के कारण ज़्यादा परेशानी नही हुई. बस
मुँह से एक दबी दबी कराह निकली “आआआहह” उनके लिंग का साइज़
इतना बड़ा था कि मुझे लगा की मेरे बदन को चीरता हुआ गले तक
पहुँच जाएगा.
अब वो पीछे से मेरी योनि मे अपने लिंग से धक्के मारने लगे. उसँके
हर
धक्के से मेरे मोटे मोटे बूब्स उच्छल उच्छल जाते. मेरी गर्देन को
टेढ़ा कर के मेरे होंठों को चूमने लगे और अपने हाथों से मेरे
दोनो स्तनो को मसल्ने लगे. काफ़ी देर तक इस तरह मुझे चोदने के
बाद मुझे सोफे पर लिटा कर ऊपर से ठोकने लगे. मेरी योनि मे
सिहरन होने लगी और दोबारा मेरा वीर्य निकल कर उनके लिंग को
भिगोने
लगा. कुच्छ ही देर मे उनका भी वीर्य मेरी योनि मे फैल गया. हम
दोनो ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रह थे. वो मेरे बदन पर पसर गया. हम
दोनो एक दूसरे को चूमने लगे.
तभी गजब हो गया…….. ……
पंकज की नींद खुल गयी. वो पेशाब करने उठा था. हम दोनो की
हालत तो ऐसी हो गयी मानो सामने शेर दिख गया हो. विशाल सोफे के
पीछे छिप गया. मैं कहीं और छिप्ने की जगह ना पा कर बेड की
तरफ बढ़ी. किस्मेट अच्छि थी कि पंकज को पता नही चल पाया.
नींद मे होने की वजह से उसका दिमाग़ ज़्यादा काम नही कर पाया होगा.
उसने सोचा कि मैं बाथरूम से होकर आ रही हूँ. जैसे ही वो
बाथरूम मे घुसा विशाल जल्दी से आकर बिस्तर मे घुस गया.
“कल सुबह कोई बहाना बना कर होटेल मे ही पड़े रहना” उसने मेरी
कान मे धीरे से कहा और नीतू की दूसरी ओर जा कर लेट गया.
कुच्छ देर बाद पंकज आया और मेरे से लिपट कर सो गया. मेरी योनि
से अभी भी विशाल का रस टपक रहा था. मेरे स्तनो का मसल मसल
कर तो और भी बुरा हाल कर रखा था. मुझे अब बहुत पासचताप हो
रही थी. “क्यों मई शरीर की गर्मी के आगे झुक गयी? क्यों किसी
गैर मर्द से मैने संबंध बना लिए. अब मैं एक गर्त मे गिरती जा
रही थी जिसका कोई अंत नही था.मैने अपनी भावनाओं को कंट्रोल करने
की ठन ली. अगले दिन मैने विशाल को
कोई मौका ही नही दिया. मैं पूरे समय सबके साथ ही रही जिससे
विशाल को मौका ना मिल सके. उन्हों ने कई बार मुझ से अकेले मे
मिलने की
कोशिश की मगर मैं चुप चाप वहाँ से खिसक जाती. वैसे उन्हे
ज़्यादा मौका भी नही मिलपाया था. हम तीन दिन वहाँ एंजाय करके
वापस लौट आए. हनिमून मे मैने और कोई मौका उन्हे नही दिया. कई
बार मेरे बदन को मसल ज़रूर दिया था उन्हों ने लेकिन जहाँ तक
संभोग की बात है मैने उनकी कोई प्लॅनिंग नही चलने दी.
हनिमून के दौरान हम मसूरी मे खूब मज़े किए. पंकज तो बस
हर समय अपना हथियार खड़ा ही रखता था. विशाल जी अक्सर मुझसे
मिलने के लिए एकांत की खोज मे रहते थे जिससे मेरे साथ बेड्मासी कर
सके लेकिन मैं अक्सर उनकी चालों को समझ के अपना पहले से ही बचाव
कर लेती थी.
इतना प्रिकॉशन रखने के बाद भी कई बार मुझे अकेले मे पकड़ कर
चूम लेते या मेरे कानो मे फुसफुसा कर अगले प्रोग्राम के बारे मे
पूछ्ते. उन्हे शायद मेरे बूब्स सबसे ज़्यादा पसंद थे. अक्सर मुझे
पीछे से पकड़ कर मेरी चूचियो को अपने हाथों से मसल्ते रहते
थे जब तक ना मैं दर्द के मारे उनसे छितक कर अलग ना हो जाउ.
पंकज तो इतना शैतानी करता था की पूच्छो मत काफ़ी सारे स्नॅप्स भी
लिए. अपने और मेरे कुच्छ अंतरंग स्नॅप्स भी खिंचवाए. खींचने
वालेविशाल जी ही रहते थे. उनके सामने ही पंकज मुझे चूमते हुए.
बिस्तर पर लिटा कर मेरे बूब्स को ब्लाउस के उपर से दाँतों से काटते
हुए और मुझे अपने सामने बिठा कर मेरे ब्लाउस के अंदर हाथ डाल
करमेरे स्तानो को मसल्ते हुए कई फोटो खींचे.
एक बार पता नही क्या मूड आया मैं जब नहा रही थी तो बाथरूम मे
घुस आए. मैं तब सिर्फ़ एक छ्होटी सी पॅंटी मे थी. वो खुद भी एक
पॅंटीपहन रखे थे.
“इस पोज़ मे एक फोटो लेते हैं.” उन्हों ने मेरे नग्न बूब्स को मसल्ते
हुए कहा.
“नन मैं विशलजी के सामने इस हालत मे?…..बिल्कुल नहीं…..पागल हो
रहे हो क्या?” मैने उसे साफ मना कर दिया.
“अरे इसमे शर्म की क्या बात है. विशाल भैया तो घर के ही आदमी
हैं. किसी को बताएँगे थोड़े ही. एक बार देख लेंगे तो क्या हो
जाएगा.
तुम्हे खा थोड़ी जाएँगे.” पंकज अपनी बात पर ज़िद करने लगा.
क्रमशः…………………… gataank se aage……………………
“kya yaar tumhari jindagi to bahut boring hai. Yahan ye sab nahi
chalega. Ek do to bhanwron ko rakhna hi chahiye. Tabhi to tumhari
market value ka pata chalta hai. Mai unki baton se hans padi.
Shaadi se pahle hi mai Pankaj ke saath humbistar ho gayee. hum dono
ne shadi se pahle khoob sex kiya. almost roj hi kisi hotel me jakar
sex enjoy karte the. Ek baar mere parents ne shadi se pahle raat
raat
bhar bahar rahne par etraj jataya tha. Lekin jataya bhi to kise mere
hone wale sasur ji se jo khud itne rangeen mijaj the. unhon ne unki
chintaon ko bhap bana kar uda diya. Rajkumar ji mujhe free chhod
rakhe the lekin maine kabhi apne kaam se man nahi churaya. ab mai
wapas salwar kameej me office jane lagi.
Pankaj aur unki family kafi khule vicharon ki thi. Pankaj mujhe
exposure ke liye jor dete the. Wo mere badan par revealing kapde
pasand karte the. mera poora wardrobe unhon ne change karwa diya
tha.
Unhe mini skirt aur loose topper mujh par pasand the. Sirf mere
kapde
hi nahi mere undergarments tak unhon ne apne pasand ke khareedwaye.
wo mujhe micro skirt aur loose sleeveless topper pahana kar discos
me
le jate jahan hum khoob free hokar nachte aur masti karte the. aksar
loafer ladke mere badan se apna badan ragadne lagte. kai baar mere
boobs masal dete. Wo to bus mauke ki talash me rahte the ki koi mujh
jaisi sexy haseena mil jaye to hath senk len. mai kai baar naraj ho
jati lekin Pankaj mujhe chup kara dete. kai baar kuchh manchale
mujhse dance karna chahte to Pankaj khushi khushi mujhe age kar
dete.
mujh sang to dance ka bahana hota. ladke mere badan se jonk ki tarah
chipak jate. mere poore badan ko masalne lagte. boobs ka to sabse
bura haal kar dete. mai agar narajgi jahir karti to Pankaj apni
table
se ankh maar kar mujhe shant kar dete. Shuru shuru me to is tarah ka
openness me mai ghabra jati thi. mujhe bahut bura lagta tha lekin
dheere dheere mujhe in sab me maja ane laga. mai pankaj ko uttejit
karne ke liye kabhi kabhi doosre kisi mard ko seduce karne lagti. us
shaam mt Pankaj me kuchh jyada hi josh a jata.
Khair humari shadi jaldi hi bade dhoom dham se ho gayee. Shadi ke
baad jab maine Rajkumar ji ke charn chhuye to unhon ne mujhe apne
seene se laga liya. itne me hi mai geeli ho gayee. tab maine mahsoos
kiya ki humara rishta aj se badal gaya lekin mere man me abhi ek
chhupi si chingari baki hai apne sasur ji ke liye jise hawa lagte hi
bhadak uthne ki sambhawna hai.
Mere sasural wale bahut achchhe kafi advanced vichar ke the. Pankaj
ke ek bade bhai sahib hain Kamal aur ek badi bahan hai Neetu. Dono
ki
tab tak shadi ho chuki thi. Mere nandoi ka naam hai Vishal. Vishal
ji
bahut rangeen mijaj insaan the. unki najron se hi kamukta tapakti
thi.
Shadi ke baad maine paya Vishal mujhe kamuk najron se
ghoorte rahte hain. Nayi nayi shadi hui thi isliye kisi se shikayat
bhi nahi kar sakti thi. Unki family itni advance thi ki meri is
tarah
ki shikayat ko hansi me uda dete aur mujhe hi ulta unki taraf dhakel
dete. Vishalji ki mere sasural me bahut achchhi image bani hui thi
isliye meri kisi bhi ko koi tavajjo
nahi deta. Aksar Vishalji mujhe chhu kar bat karte the. Waise isme
kuchh bhi
galat nahi tha. Lekin na jane kyon mujhe us admi se chidh hoti thi.
Unki ankhen hamesha meri chhatiyon par rengte mahsoos karti thi. Kai
baar mujhse satne ke bhi koshish karte the. Kabhi sabki ankh bacha
kar meri kamar me chikoti katte to kabhi mujhe dekh kar apni jeebh
ko apne honthon par ferte. Mai najren ghuma leti.
Maine jab Neetu se thoda ghuma kar kaha to wo hanste huye
boli, “dedo bechare ko kuchh lift. ajkal mai to roj unka pahlu garm
kar pati nahi hoon isliye khula sand ho rahe hain. Dekhna bahut bada
hai unka. aur tum to bus abhi kachchi kali se phool bani ho unka
hathiyar jhel pana abhi tere bus ka nahi.”
“didi aap bhi bus….apko sharm nahi ati apne bhai ki nayi dulhan se
is tarah baten kar rahi ho?”
“isme burai kya hai. har mard ka kisi shadisuda ki taraf attraction
ka matlab bus ek hi hota hai. ki wo uske shahad ko chakhna chahta
hai. isse koi ghis to jati nahi hai.” Neetu did ne hansi me baat ko
uda diya. us din shaam ko jab mai aur Pankaj akele the Neetu didi ne
apne bhai se bhi majak me meri shikayat ki baat kah di.
Pankaj hansne lage, “achchha lagta hai jija ji ka aap se man bhar
gaya hai isliye meri biwi par najren gadaye rakhe huye hain.” mai to
sharm se pani pani ho rahi thi. samajh hi nahi a raha tha wahan
baithe rahna chahiye ya wahan se uth kar bhag jana chahiye. mera
chehra sharm se lal ho gaya.
“abhi nayi hai dheere dheere is ghar ki rangat me dhal jayegi.” fir
mujhe kaha, ” Simriti hamare ghar me kisise koi lukaw chhipaw nahi
hai. kisi tarah ka koi parda nahi. sab ek doosre se har tarah ka
majak chhed chhad kar sakte hain. Tum kisi ki kisi harkat ka bura
mat
manna”
Agle din ki hi baat hai mai dining table par baithi sabji kat rahi
thi. Vishalji aur Neeta didi sofe par baithe huye the. Mujhe khayal
na raha kab mere ek stan se sari ka anchal hat gaya. Mujhe kaam
nibta kar nahane jana tha isliye blouse ka sirf ek button band tha.
Adhe se adhik chhati bahar nikali hui thi. Mai apne kaam me talleen
thi. Mujhe nahi maloom tha ki Vishal ji sofe baith kar news paper ki
ad me mere stan ko nihar rahe hai. Mujhe pata tab chala jab Neetu
didi ne mujhe bulaya.
“Smriti yahan sofe par a jao. Itni door se Vishal ko tumhara
badan theek se dikhai nahi de raha hai. bahut der se koshish kar
raha
hai ki kaash uski najron ke garmi se tumhare blouse ka iklauta
button
pighal jaye aur blouse se tumhari chhatiyan nikal jaye lekin use koi
safalta nahi mil rahi hai.”
maine jhat se apni chhatiyon ko dekha to sari baat samajh kar maine
anchal sahi kar diya. Mai sharma kar wahan se uthne ko hui. To Nisha
didi ne akar mujhe rok diya. Aur hath pakad kar sofe tak le gayee.
Vishal ji ke paas le ja kar. Unhon ne mere anchal ko chhatiyon ke
upar se hata diya.
“lo dekh lo….. 38 size ke hain. Naapne hain kya?”
Mai unki harkat se sharm se laal ho gayee. Maine jaldi wapas anchal
sahi kiya aur wahan se khisak li.
Honeymoon me humne Musourie jane ka program banaya. Sham ko by car
Delhi se nikal pade. Humare sath Neetu aur Vishalji bhi the.Thand ke
din the. Isliye sham jaldi ho jati thi. Samne ki seat par Neetu didi
baithi hui thi. Vishal ji car chala rahe the. Hum dono peechhe
baithe huye the. Do ghante continuous drive karne k baad ek dhabe
par chai pee. Ab Pankaj driving seat par chala gaya aur Vishalji
peechhe ki seat par a gaye. Mai same ki seat par jane ke liye
darwaja
kholi ki Vishal ne mujhe rok diya.
“are kabhi humare saath bhi baith lo kha to nahi jaunga tumhe.”
Vishal ne kaha.
“haan baith jao unke saath sardi bahut hai bahar. aaj abhi tak gale
ke andar ek bhi ghoont nahi gayi hai isliye thand se kaanp rahe
hain.
tumse sat kar baithenge to unka badan bhi garm ho jayega.” didi ne
hanste huye kaha.
“achchha? lagta hai didi ab tum unhe aur garm nahi kar pati ho.”
Pankaj ne Neetu didi ko chhedte huye kaha.
Hum log baten karte majak karte chale ja
rahe the. Tabhi baat karte karte Vishal ne apna hath meri jangh par
rakh diya. Jise maine dheere se pakad kar neeche kar diya. Thand
badh gayee thi. Pankaj ne ek shawl le liya. Neetu ek kambal le li
thi. Hum don peechhe baith thand se kanpne lage.
“Vishal dekho Smriti ka thand ke mare bura haal ho raha hai. peechhe
ek kambal rakha hai usse tum dono dhak lo.” Neetu didi ne kaha.
Ab ek hi kambal baki tha jis se Vishal ne hum dono ko dhak diya. Ek
kambal me hone ke karan mujhe Vishal se sat kar baithna pada. Pahle
to
thodi jhijhak hui magar bad me mai unse ekdum sat kar baith gayee.
Vishal
ka ek hath ab meri janghon par ghoom raha tha aur sari ke oopar se
meri
janghon ko sahla raha tha. ab unhon ne apne hath ko mere kandhe ke
upar rakh kar mujhe aur apne seene par kheench liya. mai apne hathon
se unhe rolne ki halki si koshish kar rahi thi.
“kya baat hai tum dono chup kyon ho gaye. Kahin tumhara nandoi tumhe
masal to nahi raha hai? samhal ke rakhna apne un khoobsoorat jewaron
ko mard paidaishi bhookhe hote hain inke.’ kah kar Neetu hans padi.
Mai Sharma gayee. maine Vishal ke badan se duur hone ki koshish ki
to
unhon ne mere kamar ko pakad kar aur apni taraf kheench liya.
“ab tum itni door baithi ho to kisi ko to tumhari proxy deni padegi
na. aur nandoi ke saath rishta to waise hi jeeja sali jaisa hota
hai…..adhi ghar wali…..” Vishal ne kaha
“Dekha…..dekha. …..kaise uchhal rahe hain. Smriti ab mujhe mat
kahna ki maine tumhe chetaya nahi. dekhna inse door hi rahna. Inka
size bahut bada hai.” Neetu ne fir kaha.
“kya didi ap bhi bus….”
Ab Pankaj ne apni baanh wapas kandhe se utar kar kuchh der tak mere
androoni janghon ko masalte rahe. Fir apne hath ko wapas upar utha
kar apni ungliyan mere gallon par firane lage. Mere poore badan me
ek
jhurjhuri si daud rahi thi. Royen bhi khade ho gaye. Dheere dheere
unka hath gale par sarak
gaya. Mai aisa dikhawa kar rahi thi jaise sab kuchh normal hai magar
andar unke hath kisi sarp ki tarah mere badan par reng rahe the.
Achanak unhon ne apna hath neeche kiya aur saree blouse ke upar se
mere ek stan ko apne hathon se dhak liya. unhon ne pahle dheere se
kuchh der tak mere ek stan ko press kiya. jab dekha ki maine kisi
tarah ka virodh nahi kiya to unhon ne hath blouse ke andar daal kar
mere ek stan ko pakad liya. Mai kuchh der tak to sakte jaisi halat
me baithi rahi. Lekin jaise hi usne mere us stan ko dabaya mai
chihunk uthi “uiii”
“kya hua? Khatmal kat gaya?” neeta ne poochha. Aur mujhe chidhate
huye hansne lagi. Mai sharm se munh bheench kar baithi hui thi. Kya
batati, ek nayi dulhan ke liye is tarah ki baten khule aam karna
bada
mushkil hota hai. Aur specially tab jab ki mere alawa baki sab is
mahol ka maja le rahe the.
“kuchh nahi mera pair fans gaya tha seat ke neeche.” Maine baat ko
samhalte huye
kaha.
Ab unke hath mere nagn stan ko sahlane lage. Unke hath bra ke andar
ghus
kar mere stano par fir rahe the. Unhon ne mere nipples ko apni
ungliyon se chhute huye mere kaan me kaha, “by god bahut sexy ho.
agar tumhara ek ang hi itna lajwaab hai to jab poori nangi hogi to
kayamat a jayegi. Pankaj khub ragadta hoga teri jawani. Saala bahut
kismet wala hai. Tumhe mai apni tangon ke beech lita kar rahoonga. “
unke is tarah khuli baat karne se mai ghabra gayee. maine samne
dekha
dono bhai bahan apni dhun me the. mai apna nichla honth kat kar rah
gayee. maine chup rahna hi uchit samjha jitni shikayat karti dono
bhai bahan mujhe aur jyada kheenchte. unki harkaton se ab mujhe bhi
maja ane laga. Meri yoni geeli hone
lagi. lekin mai chup chaap apni najren jukaye baithi rahi. Sab hansi
majak me vyast the. Dono ko iski bilkul bhi ummid nahi thi ki unke
peeth ke theek peeche kis tarah ka khel chal raha tha. mai nai
naveli
dulhan kuchh to sharm ke mare aur kuchh parivaar walon ke khule
vicharon ko dekhte huye chup thi. waise mai bhi ab koi doodh ki
dhuli
to thi nahi. Sasur ji ke saath humbistar hote hote rah gayee thi.
isliye maine mamuli virodh ke aur kasmasane ke alawa koi harkat nahi
ki.
usne mujhe age ko jhuka diya aur hath meri peeth par le jakar
meri bra ke strap khol diye. Blouse me mere boobs dheele ho gaye. Ab
wo aram se blouse ke andar mere boobs ko masalne lage. Usne
mere blouse ke buttons khol kar mere boobs ko bilkul nagn kar diye.
Vishal ne apna sir kambal ke andar karke mere nagn stano ko choom
liya. Usne apne honthon ke beech ek ek karke mere nipples lekar
kuchh der choosa. mai dar ke mare ek dum stabdh rah gayee. Mai saans
bhi rok kar baithi hui thi. Aisa lag raha tha mano meri sanso se bhi
hamari harkaton ka pata chal jayega. Kuchh der tak mere nipples
chosne ke baad wapas apna sir bahar nikala. Ab wo apne hathon se
mere
hath ko pakad liya. meri patli patli ungliyon ko kuchh der tak
chuuste aur choomte rahe. fir dheere se use pakad kar pant ke upar
apne ling par rakha. kuchh der tak wahin par dabaye rakhne ke baad
maine apne hathon se unke ling ko ek baar mutthi me lekar daba diya.
wo tab meri gardan par halke halke se apne dant gada rahe the. mere
kano ki ek lau apne munh me lekar choosne lage.
Pata nahi kab unhone apne pant ki zip khol kar apna ling bahar nikal
liya. Mujhe to pata tab laga jab mere hath unke nagn ling ko chho
liye. Mai apne hath ko kheench rahi thi magar unki pakad
se chhuda nahi pa rahi thi.
Jaise hi mere hath ne uske ling ke chamde ko sparsh
kiya poore badan me ek sihran si daud gayee. Unka ling poori tarah
tana hua tha. Ling to kya mano maine apne hathon me ko garam salakh
pakad li ho. meri juban talu se chipak gayee. aur munh sookhne laga.
Mere husband aur nanad samne baithe the aur mai nayee dulhan ek gair
mard ka ling apne haton me tham rakhi thi. Mai sharm aur dar se gadi
ja rahi thi. Magar meri juban
ko to mano lakwa mar gaya tha. Agar kuchh bolti to pata nahi sab kya
sochte. Meri chuppi ko usne meri rajamandi samjha. Usne mere hath ko
majbooti se apne ling par tham rakha tha. Maine dheere dheere uske
ling ko apni mutthi me le liya. Usne apne hath se mere hath ko upar
neeche karke mujhe uske ling ko sahlane ka ishara kiya. Mai uske
ling ko sahlane lagi. Jab wo aswast ho gaye to unhone mere hath ko
chhod diya aur mere chehre ko pakad kar apni or moda. Mere honthon
par unke honth chipak gaye. Mere honthon ko apni jeebh se khulwa kar
mere munh me apni jeebh ghusa dee. Mai darke mare kaanpne lagi.
Jaldi hi unhe dhakka dekar apne se alag kiya. Unhone apne hathon se
meri sari unchi karni shuru ki unke hath meri nagn janghon par fir
rahe the. Maine apni tangon ko kas kar daba rakha tha isliye unhe
meri yoni tak pahunchne me safalta nahi mil rahi thi. Mai unke ling
par jor jor se hat chala rahi thi. Kuchh der baad unke munh se halki
halki “aah ooh” jaisi awajen nikalne lagi jo ki car ki awaj me dab
gayee thi. Unke ling se dher sara gadha gadha veerya nikal kar mere
hathon par fail gaya. Maine apna hath bahar nikal liya. Unhone wapas
mere hath ko pakad kar mujhe jabardasti unke veery ko chat kar saaf
karne liye badhya karne lage magar maine unki chalne nahi di. Mujhe
is tarah ki harkat bahut gandi aur vahiyat lagti thi. isliye maine
unki pakad se apna hath kheench kar apne rumal se ponchh diya. Kuchh
der baad mere husband car rok kar peechhe a gaye to maine rahat ki
saans li.
Hum hotel me pahunche. Do double room book kar rakhe the. Us din
jyada
ghoom nahi sake. Shaam ko hum sab unke kamre me baith kar hi baten
karne lage. Fir der rat tak tash khelte rahe. Jab hum uthne lage to
Vishal ji ne hume rok liya.
“are yahin so jao” unhon ne gahree najron se mujhe dekhte huye
kaha.
Pamkaj ne saari baat mujh par chhod di, “mujhe kya hai isse poochh
lo.”
Vishaji meri taraf muskurate huye dekh kar kahe “light band kar
denge
to kuchh bhi nahi dikhega. Aur waise bhi thand ke mare rajai to lena
hi padega.”
“aur kya koi kisi ko pareshaan nahi karega. jise apne partner se
jitni marji khelo” Neetu didi ne kaha
Pankaj ne jhijhakte huye unki baat man li. Mai chup hi rahi. Light
off karke hum char ek hi double bed par let gaye. Mai aur Neetu
beech me soye aur dono mard kinare par. Jagah kam thi isliye ek
doosre se sat kar so rahe the. Hum charon ke wastr bahut jaldi badan
se hat gaye. Halki halik roshni me maine dekha ki Vishal ji Neetu ko
seedha kar ke dono pair apne kandhon par rakh diye aur dhakke marne
lage. Kambal, rajai sab unke badan se hate huye the. Maine halki
roshni me unke mote tagde ling ko dekha. Neetu ling ghuste
samay “aah” kar uthi. Comparatively Pankaj ka lund usse chhota tha.
Mai soch rahi thi Neetu ko kaisa maja a raha hoga. Vishal Neetu ko
dhakke mar raha tha. Pankaj mujhe ghodi bana kar mere peechhe se
thokne laga. Poora bistar hum dono couples ke dhakkon se buri tarah
hil raha tha. Kuchh der baad Vishal let gaya aur Neetu ko apne upar
le liya. Ab
Neetu unhe chod rahi thi. Mere boobs Pankaj ke dhakkon se buri tarah
hil rahe the. Thodi der me maine mahsoos kiya ki koi haath mere
hilte huye boobs ko masalne laga hai. Mai samajh gayi ki wo hath
Pankaj ka nahi balki Vishal ka hai. Vishal mere nipple ko apni
chutkiyon me bhar kar masal raha tha. Mai dard se karah uthi. Pankaj
khush ho gaya ki uske dhakkon ne meri cheekh nikal di. Kafi der tak
yunhi apni apni biwi ko thok kar dono nidhal ho gaye.
Dono couple wahin alag alag kambal aur rajai me ghus kar bina kapdon
ke hi apne apne partner se lipat kar so gaye. Mai aur Neetu beech me
soye the aur Dono mard kinare ki or soye the. Adhi raat ko achanak
meri need khuli. Mai thand ke mare pairon ko sikod kar soyi thi.
Mujhe laga mere badan par koi hath fir raha hai. Meri rajai me ek
taraf Pankaj soya hua tha. Dusri taraf se koi rajai uth kar andar
sarak gaya aur mere nagn badan se chipak gaya. Mai samajh gayee ki
ye aur koi nahi Vishal hai. Usne kaise Neetu ko doosri or kar ke
khud meri taraf sarak aya yeh pata nahi chala. Uske hath ab meri ass
par fir rahe the. Fir uske hath mere dono ass ke beech ki darar se
hote huye mere ass hole par kuchh pal ruke aur fir age badh kar meri
yoni ke oopar thahar gaye.
Mai bina hile dule chup chap padi thi. Dekhna chahti thi ki vishal
karta kya hai. Dar bhi rahi thi kyonki meri doosri taraf Pankaj mujh
se lipat kar so rahe the. Vishal ka mota lund khada ho chukka tha
aur
mere ass par dastak de raha tha.
Vishal ne peechhe se meri yoni me apni ek fir doosri ungli daal di.
Meri yoni geeli hone lagi thi. Pairon ko mod kar lete rahne ke karan
meri yoni uske samne bikul khuli hui taiyaar thi. Usne kuchh der tak
meri yoni me apni ungliyon ko andar bahar karne ke baad apne ling ke
gol tope ko meri yoni ke muhane par rakha. Maine apne badan ko
dheela chhod diya tha. Mai bhi kisi paraye mard ki harkaton se garm
hone lagi thi. Usne apni kamar se meri yoni par ek dhakka lagaya
“aaaahhhh” mere munh se na chahte huye bhi ek awaj nikal gayee.
tabhi Pankaj ne ek karwat badli.
“maine ghabra kar uthne ka bahana kiya aur Vishal ko dhakka de kar
apne se hatate huye uske kan me fusfusa kar kaha
“please nahi…… Pankaj jag gaya to anarth ho jayega.”
“thahro jane man koi aur intezaam karte hai” kahkar wo utha aur ek
jhatke se mujhe bistar se utha kar mujhe nangi halat me hi samne ke
sofe par le gaya. Wahan
mujhe lita kar meri tangon ko failaya. wo neeche carpet par baith
gaya. Fir usne apna sir meri janghon ke beech rakh kar meri yoni par
jeebh firana shuru kiya. Maine
apni tangen chhat ki taraf utha diya. Wo apne hathon se meri tangon
ko tham rakha tha. Mai apne hathon se uske sir ko apni yoni par dab
diya. uski jeebh ab meri yoni ke andar ghus kar
mujhe pagal karne laga. Mai apne balon ko kheench rahi thi to kabhi
apni ungliyon se apne nipples ko jor jor se masalti. Apne jabde ko
sakhti se maine bheench rakha tha jisse kisi tarah ki koi awaj munh
se na nikal jaye. lekin fir bhi kafi koshishon ke baad bhe halki
dabi
dabi karah munh se nikal hi jati thi. maine unke upar jhukte huye
fusfusate huye kaha
aaahhhh…..ye kya kar diya apne…… mai pagal ho
jaungi……….pleeeeeeessss aur bardast nahi ho raha hai. Ab aaaa jaoooo”
lekin wo nahi hata. Kuchh hi der me mera badan uski harkaton ko nahi
jhel paya aur Yoni ras ki ek tej dhar bah nikali. Mai nidhal ho kar
sofe par gir gayee. fir maine uske baal pakad kar uske sir ko
jabardasti se meri yoni se hataya.
“kya karte ho. chhi chhi ise chatoge kya?” maine unko apne yoni ras
ka swad lene se roka.
“meri yoni tap rahi hai isme apne hathiyaar se ragad kar shaant
karo.” Mai bhookhi sherni ki tarah use
kheench kar apne oopar lita liya aur uske ling ko pakad kar sahlane
lagi. use sofe par dhakka de kar uske ling ko apne hathon
se pakad kar apne munh me le liya. maine kabhi kisi matd ke ling ko
munh me lena to door kabhi honthon se bhi nahi chhuaya tha. Pankaj
bahut jid karte the ki mai unke ling ko munh me daal kar choosoon
lakin mai har baar unko mana kar deti thi. mai ise ek ganda kaam
samajhti thi. Lekin aaj na jane kya hua ki mai itni garm ho gayee ki
khud hi Vishalji ke ling ko apne hathon se pakad kar kuchh der tak
kiss kiya. aur jab Vishaal ji ne mujhe unke ling ko apne munh me
lene
ka ishara karte huye mere sir ko apne ling par halke se dabaya to
maine kisi tarah ka virodh na karte huye pane honthon ko khol kar
apne sir ko neeche ki or jhuka diya. unke ling se ek ajeeb tarah ki
smell a rahi thi. kuchh der yun hi munh me rakhne ke baad mai unke
ling ko choosne lagi.
Ab sare daar sari sharm se mai pare thi. Jindagi me Mujhe ab kisi ki
chinta nahi thi. Bas ek junoon tha ek
garmi thi jo mujhe jhulsaye de rahi thi. Mai unke ling ko munh me
lekar choos rahi thi. Ab mujhe koi chinta nahi thi ki Vishal meri
harkaton ke bare me kya sochega. Bus mujhe ek bhookh pareshan kar
rahi thi jo har halat me mujhe mitani thi. Wo mere sir ko apne
ling par dab kar apni kamar ko uncha karne laga. kuchh der baad
usne mere sir ko poori takat se apne ling par daba diya. Mera dum
ghut raha tha. Uske ling se unke veery ki ek tej dhar seedhe gale ke
bheetar girne lagi. Unke ling ke aspaas ke bal mere nak me ghus rahe
the.
Poora ras mere pet me chale jane ke baad hi unhone mujhe chhoda. Mai
wahin jameen par bhar bhara kar gir gayee aur tej tej saanse lene
lagi.
Wo sofe par ab bhi pairon ko faila kar baithe huye the. Unke samne
mai
apne gale ko sahlate huye jor jor se sansen le rahi thi. Unhone apne
pair ko age badha kar apne angoothe ko meri yoni me dal diya. Fir
apne pair ko age
peechhe chala kar meri yoni me apne angoothe ko andar bahar karne
laga. Bahut jaldi unke ling me wapas harkat hone lagi. Wo age ki or
jhuk kar mere nipples pakad kar apni or kheenche mai dard se bachne
ke liye uth kar unke paas a gayee. ab unhone mujhe sofe par hathon
ke
bal jhuka diya. Pair carpet par hi the. Ab meri tangon ko chauda
karke peechhe se meri yoni par apna ling sata kar ek jordaar dhakka
mara. Unka mota ling meri yoni ke andar rasta banata hua ghus gaya.
Yoni buri tarah geeli hone ke karan jyada pareshani nahi hui. bus
munh se ek dabi dabi karah nikali “aaaaaahhhhhhh” unke ling ka size
itna bada tha ki mujhe laga ki mere badan ko cheerta hua gale tak
pahunch jayega.
Ab wo peechhe se meri yoni me apne ling se dhakke marne lage. Usnke
har
dhakke se mere mote mote boobs uchhal uchhal jate. Meri garden ko
tedha kar ke mere honthon ko choomne lage aur apne hathon se mere
dono stano ko masalne lage. Kafi der tak is tarah mujhe chodne ke
baad mujhe sofe par lita kar oopar se thokne lage. Meri yoni me
sihran hone lagi aur dobara mera veerya nikal kar unke ling ko
bhigone
laga. Kuchh hi der me unka bhi veerya meri yoni me fail gaya. Hum
dono jor jor se saanse le rah the. Wo mere badan par pasar gaya. hum
dono ek doosre ko choomne lage.
Tabhi gajab ho gaya…….. ……
Pankaj ki neend khul gayee. wo peshab karne utha tha. Hum dono ki
halat to aisi ho gayi mano samne sher dikh gaya ho. Vishal sofe ke
peechhe chhip gaya. Mai kahin aur chhipne ki jagah na pa kar bed ki
taraf badhi. Kismet achchhi ti ki Pankaj ko pata nahi chal paya.
Neend me hone ki wajah se uska dimaag jyada kaam nahi kar paya hoga.
Usne socha ki mai bathroom se hokar a rahi hoon. Jaise hi wo
bathroom me ghusa Vishal jaldi se akar bistar me ghus gaya.
“kal subah koi bahana bana kar hotel me hi pade rahna” usne meri
kaan me dheere se kaha aur Neetu ki doosri or ja kar let gaya.
kuchh der baad pankaj aya aur mere se lipat kar so gaya. meri yoni
se abhi bhi Vishal ka ras tapak raha tha. mere stano ka masal masal
kar to aur bhi bura haal kar rakha tha. mujhe ab bahut paschatap ho
rahi thi. “kyon mai shareer ki garmi ke age jhuk gayee? kyon kisi
gair mard se maine sambandh bana liye. ab mai ek gart me girti ja
rahi thi jiska koi ant nahi tha.maine apni bhawnaon ko control karne
ki than li. agle din maine Vishal ko
koi mauka hi nahi diya. mai poore samay sabke saath hi rahi jisse
Vishaal ko mauka na mil sake. Unhon ne kai baar mujh se akele me
milne ki
koshish ki magar mai chup chaap wahan se khisak jati. Waise unhe
jyada mauka bhi nahi milpaya tha. hum teen din wahan enjoy karke
wapas laut aye. Honeymoon me maine aur koi mauka unhe nahi diya. kai
baar mere badan ko masal jaroor diya tha unhon ne lekin jahan tak
sambhog ki baat hai maine unki koi planning nahi chalne di.
Smriti Part 3
Honeymoon ke dauraan hum Mussourie me khoob maje kiye. Pankaj to bus
har samay apna hathiyaar khada hi rakhta tha. Vishaal ji aksar mujhse
milne ke liye ekant ki khoj me rahte the jisse mere sath badmasi kar
sake lekin ma aksar unki chaalon ko samajh ke apna pahle se hi bachaw
kar leti thi.
Itna precaution rakhne ke baad bhi kai baar mujhe akele me pakad kar
choom lete ya mere kano me fusfusa kar agle program ke bare me
poochhte. Unhe shayad mere boobs sabse jyada pasand the. Aksar mujhe
peechhe se pakad kar meri chhatiyon ko apne hathon se masalte rahte
the jab tak na mai dard ke mare unse chhitak kar alag na ho jaun.
Pankaj to itna shaitani karta tha ki poochho mat kafi sare snaps bhi
liye. Apne aur mere kuchh antrang snaps bhi khinchwaye. Kheenchne
wale
Visahl ji hi rahte the. Unke samne hi Pankaj mujhe choomte huye.
Bistar par lita kar mere boobs ko blouse ke upar se danton se katte
huye aur mujhe apne samne bitha kar mere blouse ke andar hath daal
kar
mere stano ko masalte huye kai photo kheenche.
Ek baar pata nahi kya mood aya mai jab naha rahi thi to bathroom me
ghus aye. Mai tab sirf ek chhoti si panty me thi. Wo khud bhi ek
panty
pahan rakhe the.
“is pose me ek photo lete hain.” Unhon ne mere nagn boobs ko masalte
huye kaha.
“nain mai Vishalji ke samne is halat me?…..bilkul nahin…..pagal ho
rahe ho kya?” maine use saaf mana kar diya.
“are isme sharm ki kya baat hai. Vishal bhaiya to ghar ke hi admi
hain. Kisi ko batayenge thode hi. Ek baar dekh lenge to kya ho
jayega.
Tumhe kha thodi jayenge.” Pankaj apni baat par jid karne laga.
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Bhen-chod paani nikal diya.