Hindi Sex Story – कीमत वसूल

मैंने कहा- “ओके ले जाओ… और मैंने उसको 500 के 10 नोट निकालकर दिए और कहा- “कोई और जरूरत हो तो माँग लेना…

उसने मुझे बैंक्स कहां और कहा- “सिर आप कितने अच्छे हो, आपका एहसान कैसे चुकाऊँगी?”

desi kahani indisexstories.com

मैंने हँसकर कहा- “टाइम आने पर बता दूँगा…”

अंज उठकर जाने लगी। उसकी चूचियां देखकर मेरा फिर से मह उत्तेजित होने लगा। पर मैंने खुद को संभाल लिया। अंजू ने स्माइल दी और चली गईं। अगले दिन में आफिस में जल्दी आ गया सब मुझे इतनी जल्दी देखकर दंग रह गये।

मैने केबिन में जाकर अंज को बुलाया और उसकी मोम का हाल पूछा।

अंजू बोली- “सर मेरी मोम का इलाज किसी बड़े हास्पिटल में होगा और उसमें बहुत पैसा लगेगा। पर मेरे पास इतना इंतजाम नहीं है और ना ही कोई ऐसा जरिया है, जहां से पैसा मिल सकता हो…”

अंजू के पापा नहीं थे। उसकी मौ और उसका छोटा भाई ही थे। बो लोग किराए के मकान में रहते थे। बस अंजू की कमाई से ही उसका घर चलता था।

मैंने अंजू को कहा “कोई बात नहीं, तुम अपनी मोम को लेकर सिटी हास्पिटल में जाना। मैं वहां डाक्टर को फोन कर दूँगा। एक बार वहां मोम को दिखाकर आना और इसमें तुम्हारा कोई पैसा नहीं खर्च होगा। मैं अपने आप देख लगा…”

अंजू की आँख में आँसू आ गये। वो बोली- “सर, आप कितने अच्छे हो। मैं आपके लिए कुछ भी कर सकती हैं.”

मैंने अजू के पास जाकर उसके कंधों पर प्यार से हाथ फेरा और कहा- “इसान ही इंसान के काम आता है.”

अंजू मेरे गले से लगकर सिसकने लगी। मैंने उसकी कमर पर हाथ फेर कर उसको दिलासा दिया। अंजू की चूचियां मेरे सीने से टकराकर मुझे उत्तेजित कर रही थी।

मैंने अंज को कहा- “अब जाओ और शाम को जल्दी चली जाना…”

वो चली गई। अब में अंजू को भी चोदने की सोच रहा था। क्या करंग ये साली चत चीज ही ऐसी है की इसके आगे सब बैंकार लगता है। मुझे किसी काम से जाना था। मैं आफिस से जल्दी निकल गया।

जब मैं काफी देर तक नहीं आया तब ऋतु का फोन आया- “सर आप कहां हो?”

मैंने कहा- मैं एक मीटिंग में हैं।

उसने कहा- “मुझको जल्दी घर जाना है..”

मैंने कहा- “ही जा सकती हो…”

में जब आफिस गया तो काफी शाम हो चुकी थी। सब चले गये थे बस चपरासी था वहां मैंने सोचा मैं भी घर चला जाता है। तभी मेरे दिल में आया की क्यों ना अंज को फोन करके पलं की वा हास्पिटल में गई या नहीं? अंजू को फोन किया।
अंज ने कहा “में डाक्टर को दिखाकर घर आ गई हैं, और मेरी मोम आपसे मिलने को कह रही हैं। क्या आप आ सकतं हो?”

मैंने कुछ सोचकर ही बोल दिया।

मैंने अंजू के घर की तरफ कार मोड़ दी अंजू का घर आफिस के पास ही था। वहां जाकर मैंने कार पार्क की और उसके दरवाजे को खटखटाया। अंजू ने दरवाजे खोला और मुझे बड़ी प्यारी सी स्माइल दी। फिर उसने मुझे कहा “वेलकम सर.

मैं अंदर पहुँचा तो उसकी माम ने मुझसे कहा- “सर, आप हमारे घर आए मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है। आज आपकी वजह से हम इतने बड़े डाक्टर को दिखा पाए। मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था की मैं इतने बड़े डाक्टर से इलाज करवा सकती हैं…”

मैंने कहा- नहीं आंटी, आप मुझे शमिंदा नहीं करें और कोई परेशानी तो नहीं हुई?

अंज इतने में पानी लेकर आ गई थी। कहने लगी- “सर, डाक्टर ने हमसे अच्छे से बात की थी। आपका नाम लेने की वजह से हमको ज्यादा इंतजार भी नहीं करना पड़ा…”

मैंने कहा- मुझे पता है मेरी डाक्टर से बात हो गई थी।

फिर अंजू की मोम ने कहा- “आप चाय पीकर जाइएगा..”

मैंने कहा- जी नहीं, मैं अब चलूँगा कुछ काम है।

अंजू ने कहा- “सर, प्लीज आप पहली बार आए हैं कुछ तो लीजिए.”

मैंने कहा- “आज नहीं फिर कभी ले लेंगा..” और मैंने हाके से अंज को आँख मार दी।

अंजू शर्मा गई। मैंने अजू की माँ को नमस्ते की और खड़ा हो गया।

अंजू की मोम ने कहा- “अंज, सर को बाहर तक छोड़ आओ..”

अंजू मेरे साथ बाहर तक आई मैंने हल्के से अजू को कहा- “कल आफिस आओगी या नहीं?”

अंज बोली- “सर, मैं कल क्यों नहीं आऊँगी?”

मैंने कहा- आज का नाश्ता रह गया ना?

अंजू ने भी मुश्कुराते हुए कहा- “मंजूर है कल आपको जैसा नाश्ता करना हो कर लेना सर। आपने हमारे लिए इतना करा है हम तो आपके एहसान से दब गये हैं.”

मैंने कहा- “ऐसा कोई एहसान नहीं करा मैंन। बस में तो इंसानियत है…’ कहकर मैं चला आया। मेरे दिमाग में अब ऋतु के साथ अंज का भी चोदने का खयाल पनप गया था। मेरे दिमाग में अब दो-दो सीलबंद चूत घूम रही श्री अंजू और ऋतु दोनों को मैं अब अपने लण्ड के नीचे लाने की तरकीब सोचने लगा।

Pages ( 5 of 46 ): « Prev1 ... 34 5 67 ... 46Next »

1 Comment

  1. Minu

    Mera boss bhi muze dekh badi jibh laplapata hei, soch rahi hun lelu sale ko andar…

Leave a Reply