ऋतु के जाने के बाद मैं अपने केबिन से बाहर आ गया। अंजू भी जाने की तैयारी कर रही थी।
मैंने अंजू से कहा- “अंजू आज जो कुछ भी हुआ, वो सब अच्छा नहीं हुआ..”
अंजू ने अजान बनते हुए कहा- “सर क्या हुआ?”
मैंने कहा- तुमने आज जो देखा उसकी बात कर रहा हूँ।
अंजू ने शरामते हुए कहा- “ओह… हम्म्म्म
… सर, वो अचानक से हो गया। इसमें मेरी कोई गलती नहीं है.”
मैंने कहा- “मैं जानता हैं इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है। लेकिन तुम इस बात का किसी से जिकर मत करना, वरना ऋतु को बड़ी प्राब्लम हो जाएगी..”
अंजू ने कहा मैं समझ सकती हैं सर। आप मुझपर भरोसा रखिए। मैं इस बात को कभी भी अपने दिल से बाहर नहीं आने देंगी।
मैंने कहा- “थैक्स अंजू तुमने मेरी चिता को खत्म कर दिया… फिर मैंने अंजू से कहा- “चलो हम भी चलते हैं.”
अंजू ने कहा- सर, एक काम था।
मैंने कहा- क्या काम?
अंजू ने कहा- सर, मुझे घर तक ड्राप कर देंगे?
मैंने कहा- “हाँ चलो कर देता हैं..”
अंजू मेरी कार में बैठ गईं। मैं अंजू से कोई बात नहीं कर पा रहा था। फिर अंजू खुद बोली- “सर एक बात पछ..”
मैंने कहा- हाँ कहो।
अंजू ने कहा सर, ये आज पहली बार नहीं हो रहा था ना?
मैंने कहा- नहीं।
अंजू ने कहा- मुझे भी पता है, मैं सिर्फ आपसे सुनना चाहती थी।
मैंने कहा- किसलिए?
अंजू ने कहा “वैसे ही…” इतने में अनु का घर आ गया। मैं उसको छोड़कर चल दिया।
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अगले दिन जब ऋतु मेरे केबिन में आई तो उसने घबराते हुए कहा- “आपकी कोई बात हुई क्या अंजू से?”
मैंने कहा- हाँ। मैंने उसको समझा दिया था। वो किसी को कुछ नहीं कहेंगी।
ऋतु मुझे देखने लगी।
मैंने कहा- “मेरा भरोसा करो…”
ऋतु ने लंबी साँस ली और कहा- “थैक्स गोड…”
मैंने कहा- अब जाओ। तुम मेरे केबिन में दो-चार दिन कम आना।
ऋतु शरारत से मुश्कुराई, फिर कहा- “फिर कहां आना है?”
मैंने कहा- बता दूँगा।
ऋतु चली गई। मैं रात को अपने घर बैठे विस्की पी रहा था। क्योंकी आज फिर से अनु की याद आ रही थी मझे। इतने में मेरे सेल पर अंजान नम्बर से काल आई।
मैंने कहा- “हेला, हेलो।
उधर से किसी की बड़ी घबराई हुई आवाज़ आई- “सर, मैं सोनू बोल रहा ह..”
मैंने कहा- सोनू कौन?
उसने कहा- अंजू का भाई।
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मैंने कहा- हाँ हाँ.. बोलो क्या बात है? कोई काम है?
उसने रोते हुए कहा- “सर, आप जल्दी से गाँधी चौक पोलिस स्टेशन आ जाइए.’
पोलिस स्टेशन के नाम सुनकर मैं एकदम से चौक गया। मैंने कहा- “तुम कहां से बोल रहे हो? और पोलिस स्टेशन… क्या हो गया। मुझे पहले पूरी बात बताओ..”
उसने कहा- सर, मैं आपको सब वहीं बता दूँगा प्लीज.. आप जल्दी से आ जाओ। अंजू दीदी को पोलिस ने पकड़ लिया है।
मैंने कहा- “तुम घबराओ मत। मैं आ रहा है.”
कहकर मैंने अपना पंग खतम किया और एक पेंग और खींचा। मैं सोच में पड़ गया की अंजू को पोलिस ने क्यों पकड़ा होगा? फिर में जल्दी से कार निकालकर पोलिस स्टेशन की और चल दिया। वहां पहुँचकर जैसे ही मैंने अपनी कार रोकी।
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सोन मेरे पास भागकर आ गया और बोला- “सर, जल्दी चलिए। आफिसर कहीं जाने वाला है आप जल्दी से उससे बात कर लीजिए…”
मैंने कहा- तम्हें क्या लगता है की मेरे कहने से वो अंजू को छोड़ देगा? मजाक है क्या? पहले मुझे पूरी बात बताओं की हुआ क्या है? जब तक मुझे पूरी बात का पता नहीं चलेगा, मैं आफिसर से क्या बात करेंगा। और हो सकता है मेरे बात करने से भी अगर वो नहीं माना तब मुझे अपने वकील को यहां बुलाना पड़ सकता है। इसलिए जब तक मैं पूरी बात ना समझ लें, मेरा आफिसर के पास जाने का कोई फायदा नहीं।सोनू तनाव से काँप रहा था। मैंने उसके सिर पर अपना हाथ फेर कर उसको दिलासा दिया और कहा- “जब तुमने मुझे यहां बुलाया है तो भगोसा रखो सब ठीक होगा..” फिर मैंने उसको कहा- “आओं कार में बैठकर मुझे बताओं क्या हुआ है?”
सोन की उम यही कोई 15 साल की होगी। वो बेचारा इन सब बातों से अंजान था। उसका क्या पता की पोलिस क्या होती हैं? उनके चंगल में फंसे इंसान की हालत मकड़ी के जाल में फँसने जैसी होती है। निकलने में नानी याद आ जाती है।
मैंने उसको कहा- “सबसे पहले ये बताओ की अंजू को पोलिस ने किस जर्म में पकड़ा है?”
सोन ने कहा- जी चोरी के।
उसकी बात सुनकर मैं हैरान हो गया। मैंने कहा- “क्या बकवास कर रहे हो? अंजू चोरी नहीं कर सकती। मैं अंजू को इतने टाइम से जानता है बो चोर नहीं हो सकती। मैं इस बात का यकीन नहीं कर सकता..”
सोन बोला- “सर, मैंने भी यही कहा था उनसे। पर वो नहीं मान रहे…” कहते हुए वो सबकने लगा।
मैंने कहा- “बेटा चुप हो जा। मैं हूँ ना यहाँ..”
सोन रानी सूरत बनाकर बोला- “सर। दीदी की इसमें कोई गलती नहीं है वो तो अपनी दोस्त हेमा के साथ बाजार गई थी। वहां वो लोग किसी ज्यूलरी की शाप में गये थे। वहीं उनकी दोस्त ने कुछ चुरा लिया, और शाप वाले में पोलिस को बुला लिया फिर पोलिस दोनों को पकड़कर यहां ले आई। सर मेरी दीदी चोर नहीं है। ये सब उनकी दोस्त की वजह से हुआ है.”
मैंने कहा- “ही मैं भी इस बात से सहमत हैं.. फिर मैंने कहा- “पालिस इन दोनों को पकड़कर यहां लाई है ये बात तुम्हें किसने बताई?”
सोन ने कहा- हमें कहीं से फोन आया था।
मैंने कहा- फिर तुमने क्या किया?
सोन ने कहा- “मम्मी की तबीयत ये बात सुनते ही खराब हो गई। मैं उनको घर छोड़कर यहां अकेला आया हूँ। मैंने यहां आकर आफिसर से बड़ी कस्ट करी। पर उसने मेरी एक नहीं सुनी। उसने मुझे गंदी-गंदी गालियां देकर भगा दिया…”
मैंने कहा- “हेमा के घर से कोई नहीं आया?”
सोन ने कहा- “उसके घर में उसके भाई भाभी हैं, उनला गों ने यहां आकर पोलिस से कहा की इसका जो मी करो, हम इसकी कोई मदद नहीं कर सकते…”
मैंने कहा- फिर ? बो लोग कहां गये?
सोन ने कहा- वो चले गये। ‘
मैंने कहा- अच्छा में बताओ। मेरा नम्बर तुमको किसने दिया?
मोन ने कहा- आपका नम्बर मुझे दीदी ने दिया है।
मैंने कहा- तुमनें अंजू से बात की?
सोनू ने कहा- हाँ सर, मैंने बात करी थी वो बहुत रो रही थी और उसने कहा की अब मुझे सिर्फ सर ही बचा सकते हैं। उसने ही आपको फोन करने को कहा था।
मैंने कहा- तुमने सही किया, जो मुझे बता दिया। अब तुम चिता मत करो। मैं जाकर आफिसर से बात करता है। तुम यही मेरी कार में ही बैठे रहना।
मोजू में ही में सिर हिला दिया।
मैं पोलिस स्टेशन में जब गया तो आफिसर जानने ही वाला था। मैंने उसको कहा- “सर, आपने जिन दो लड़कियों को अरेस्ट किया है। मैं उनके बारे में आपसे कुछ बात करने आया है.”
उसने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा फिर बोला- “आपकी तारीफ?”
मैंने कहा- “सर मेरा नाम संजय मल्होत्रा है.. और मैंने अपना विजिटिंग कार्ड निकालकर दिया। उसने मेरा कार्ड देखा तो मैं समझ गया की मेरे कार्ड को देखकर इसकी समझ में आ गया होगा की मैं क्या हैं?
उसने मुझसे कहा- “मिस्टर संजय, वैसे तो मैं राउंड पर जा रहा था। पर आपने जो बात करनी है बताओ..’ उसने मुझे बैठने को कहा।
में उसे देखकर अब तक अंदाजा लगा चुका था की वो पक्का हरामी है। उसकी आँखों में वहशियात थी। मैं बैठ गया फिर मैंने कहा- “सर, आपने इन दोनों को चोरी के जुर्म में अरेस्ट किया है। क्या मैं जान सकता हैं इन दोनों ने किसकी चोरी करी है?”
आफिसर की शकल से दरिंदगी साफ टपक रही थी। उसने मुझे पुलिसिया अंदाज में कहा- “हम तुम्हें पागल दिखते हैं, जो किसी को भी उठाकर अंदर कर देंगे?”
मैंने कहा- नहीं सर, आप मेरी बात को गलत नहीं समझे। मैं सिर्फ ये जानना चाहता हूँ की चोरी किसकी हुई है
और क्या चोरी हुआ है?”
उसने कहा- गोल बाजार में लाला राम जैन की दुकान से माने की अंगूठी चोरी करी है इन दोनों लौडिया ने..”
मैंने उसकी बात सुनकर आफसोस जाहिर किया, और कहा- “सर, इन दोनों में से एक लड़की जिसका नाम अंजू है। वो मेरे आफिस में पिछले एक साल से काम करती है। मैं उसको अच्छी तरह से जानता हैं। इसलिए मुझे लग नहीं रहा की वो चोरी करेंगी। क्योंकी मेरे आफिस का सारा कैश उसके हाथ में ही रहता है। उसने आज तक कभी कोई गड़बड़ नहीं की…”
आफिसर जिसकी नेमप्लेट पर एस.एच…खान लिखा था।
मैंने कहा- “खान साहब, आप एक बार फिर से जाँच कर लीजिए। वो बेकसूर ही निकलेगी…”
खान ने मुझे घूरते हुए कहा- “हमने सी.सी.टी.वी. के फुटेज देखकर ही एफ आई आर लिखी है। और कोई बात करनी है?”
मैंने कहा- “सर देख लीजिए, अगर कुछ हो सकता हो ता?” मैंने उसको इशारे में रिश्वत की बात करी।
उसने मेरी बात की कोई कीमत नहीं समझी। और बोला- “आप मेरा टाइम खराब कर रहे है मिस्टर। अगर आपको उस लड़की से मिलना है तो मिल लो, अब हो कुछ नहीं सकता..” कहकर वो चला गया।
मैंने हवलदार से कहा- “मुझे उस लड़की से मिलना है…”
वो मझें लाक अप के पास लेजाकर मेरे पास ही खड़ा हो गया और बोला- “जल्दी बात करो जो करनी है..”
मैंने अपनी जेब से ₹500 का नोट निकालकर उसकी जेब में सबका दिया और कहा- “दीवान जी जरा 5 मिनट…”
उसने मुझे इशारा किया और हट गया। मैं जानता हूँ की चांदी का जूता बड़ा मस्त होता है। खाने वाला खुश हो जाता है।
मैंने अंजू को देखा तो वो मुझे देखते ही जोर-जोर से रोने लगी। मैंने उसको कहा- “हमारे पास टाइम कम है जल्दी से बताओ क्या हुआ? वरना में कुछ नहीं कर पाऊँगा…”
अंजू ने अपनी लाल-लाल आँखों से मुझे देखा और कहा- “सर, क्या आपको यकीन है की मैं चोरी कर सकती है”
मैंने कहा- नहीं। इसीलिए तो यहां आया हूँ। मैं जानता हूँ तुम निदोष हो।
अंजू ने कहा “ये सब इसकी वजह से हुआ है। इसने चारी करी है.”
मैने दूसरी लड़की को देखा। वो अंजू की उम्र की ही थी। उसका रंग ज्यादा गोरा नहीं था पर नैन नकश तीखे थे। पतली तो अंजू जैसे ही थी, पर उसके सीने का उभार अंजू से बहुत ज्यादा था। उसने भी सलवार सूट पहना था। मैंने उसको एक नजर भर कर देखा।
फिर मैंने अंजू से कहा- “तुमको पता था ये चोरी करने जा रही है?”
अंजू ने कहा, “सर, मैं इसके साथ वहां अपने लिए रिग देखने गई थी। इसने वहां से एक रिंग उठाकर अपनी बा में डाल ली। उस शाप में सी.सी.टी.वी. लगे थे। जैसे ही हम लोग बाहर आने लगे उन्होंने हमें पकड़कर बैठा लिया। फिर फोन करके पोलिस को बुला लिया..’
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मैंने कहा- पोलिस के आने के बाद क्या हुआ?
अंजू ने कहा हमारी तलाशी ली गई। तब इसी की ब्रा से रिंग निकली थी।
मैंने कहा- हम्म्म्म… इसका मतलब तुम सिर्फ चारी में साथ के इल्ज़ाम में बंद हो। तुमने कुछ चुराया नहीं ये बात सी.सी.टी.वी. की कार्ड में होगी।
अंजू मुझे बेवकूफों की तरह देखने लगी की में क्या बड़बड़ा रहा हैं।
मैंने कहा- “मुझे अपने वकील को बुलाना पड़ेगा। उसके बिना काम नहीं बनेगा। क्योंकी ये आफिसर मेरी बात नहीं सुन रहा…”
अंजू ने कहा- सर, ये बड़ा गलत आदमी है। इसने यहां आकर भी मेरे से बड़ी गंदी हरकत करी थी।
मैंने कहा- क्या किया था?
अंजू ने कहा सर, मैं आपको बता भी नहीं सकती।
मैंने हेमा से कहा- “तुम बताओ क्या किया था उसने?”
हेमा ने कहा- सर, उसने अंजू की छाती को कसकर मसला था।
मैंने कहा- “हम्म्म्म …”
हेमा ने कहा- “सर, उसने मेरे साथ भी ऐसा करा था। और वो मुझसे कह रहा था की आज रात को तुम दोनों की जौंच पड़ताल करूँगा..”
मैं समझ गया उसका मतलब।
उसकी ये बात सनकर अंजू फिर से रोने लगी, और बोली- “सर, ये पता नहीं रात को क्या करेगा हमारे साथ?
आप भी नहीं होगे तब प्लीज… बचा लीजिए सर…”
मैंने कहा- “चुप हो जाओ। मुझं सोचनें दो। अभी मैं तुमको बाहर निकालने की जुगाड़ लगाता हूँ.”
जैसे ही मैं मुड़ा, हेमा ने मुझे आवाज दी “सर … सर प्लीज… मुझे भी छुड़वा दीजिए, नहीं तो मेरे साथ पता नहीं में क्या-क्या करेंगे? आप जो कहोगे में वो करूँगी। आपकी हेल्प से मैं बच जाऊँगी सर, वरना मुझे तो बचाने कोई नहीं आएगा..’ कहते हुए वो भी रोने लगी।
मैंने उसकी तरफ फिर से देखा। मुझे अबकी बार वो अच्छी लगी। मैंने कहा- “कोशिश करूँगा..”
हेमा ने कहा- सर, मैं आपका एहसान सारी जिंदगी नहीं भूलूंगी।
मैंने कहा- “देखता हूँ..’ कहकर में बाहर आ गया। मैंने सोनू का देखा तो वो कार में ही बैठा था।
मुझे देखकर सोनू मेरे पास आ गया, और बोला- “सर क्या हुआ? दीदी को छोड़ दिया उन्होंने? कहां है वो?”
मैंने कहा- “वो अभी लाकप में ही है। कुछ नहीं हुआ…”
सोन बोला- सर अब क्या होगा।
मैंने कहा- “मैं अपने वकील को बुलाता है…” फिर मैंने अपने वकील सिंह को फोन लगाया। सिंह मेरा अच्छा दोस्त भी है, पर वो है जरा कमीने किस्म का आदमी है। उसको मेरे से कई फायदे हैं, इसीलिए वो मेरे से जरा दब जाता है। खैर जैसा भी है दोस्त तो है, और उसकी खासियत ये है की हर जगह उसकी सेटिंग बन जाती है। कैसा भी काम हो, कर ही लेता है।
मेरी आवाज सुनकर बोला- “संजय बाबू… आज हम जैसे गरीबो को कैसे याद किया?”
मैंने कहा- सिंह तुम फौरन गोंधी चौक वाले पोलिस स्टेशन में आ जाओ।
सिंह ने कहा- क्या लफड़ा है बता दे यार। यही से बैठे-बैठे निपटा देता हूँ।
मैंने कहा- नहीं तू यहां आ जा।
सिंह बोला- अब तेरी तो सुननी पड़ेंगी। तू हमारा यार भी हैं और साहकार भी है।
मैंने कहा- आ जा मैं इंतेजार कर रहा हूँ।
मैंने सोन से कहा- “तुम घर चले जाओ, और अपनी माँ को जाकर देखो। उनकी तबीयत कहीं खराब ना हो जाए। में अंजू को यहां से छुड़वाकर ले आऊँगा.”
सोन ने कहा- “सर, मैं दीदी को अकेला छोड़कर नहीं जाऊँगा..”
मैंने उसको कहा- “पागल मत बनो। अंजू के पास मैं हूँ यहां। तुम्हारी मौं वहां अकेली है, उसके पास कोई तो हो। तुम जाओं और उनको एक बार देख आओ। चाहे फिर से आ जाना..”
सोन ने कहा- ओके सर। मैं मम्मी को देखकर फिर से आता हैं।
मैं फिर सिंह का इंतेजार करने लगा।
इतने में सिंह आटो से उतरा, और बोला- “अब बता क्या हआ परेशान क्यों है?”मैंने उसको सब बात बताई। सिंह ने मेरी बात सनी फिर बोला- “यार एक बात बता त क्यों पड़ी लकड़ी लेता
फिर रहा है। तेरी कोई रिश्तेदारी मरी जा रही है जो त टाइम और पैसा दोनों लगा रहा है। बैंकार में 10-15 लग जाएंगे…”
मैंने कहा- कोई बात नहीं यार। लगनें दे, तू बस दोनों को छुड़वा दें। शायद कभी इसकी भी कीमत वसूल हो जाए।
सिंह बोला- “पार सी.सी.टी.वी. के फुटेज में जिसने चोरी करी है उसका तो मुश्किल है। पर दसरी का तो मैं अभी
छुड़वा दूंगा..”
मैंने कहा- सच?”
सिंह बोला- “यार मैंने तो तुझे कहा ही था की काम बता वहीं से करवा देता ये काम।
मैंने सिंह को देखा और कहा- “कैसे? तू कोई मंत्री है क्या?”
सिंह हँसते हुए बोला- “यही समझ ले…”
कहा- बता तो क्या सैटिंग है तरी?
सिंह बोला- “यहां जो आफिसर है ना खान बो मेरा जिगरी यार है.”
मैंने कहा- तेरा?
बोला. अब हाँ यार। साला एक नम्बर का चोदु है।
मैंने कहा- तूने उसके साथ कभी मूड बनाया है?
सिंह बोला- कई बार।
मैंने कहा- कैसे?
सिंह बोला- “यार उसके पास कोई ना कोई फैसती रहती है। वो फंसाता है तो मैं रास्ते पर ले आता हैं। दोनों का
काम बन जाता है…. फिर सिंह हैंसने लगा, और बोला- “तेरा कोई टांका तो नहीं आफिस वाली के साथ?”
मैंने कहा- नहीं यार।
सिंह बोला. तुझे देखकर लगता नहीं। साले तू एक नम्बर का हरामी है।
मैंने कहा- यार वो इस टाइप की लड़की नहीं है। मैंने उसको एक बार ट्राई किया था। उसने मना कर दिया था।
सिंह बोला- तु चूतिया है।
मैंने कहा- यार मैं इज़्ज़तदार आदमी हूँ। मैं लड़की के चक्कर में अपनी इज़्ज़त दांव पर कैसे लगा देता?
सिंह बोला- दोस्त जब सीधी उंगली में घी नहीं निकले तो उंगली टेदी करनी पड़ती है।
मैंने कहा- यार तू जाने दें।
सिंह बोला- “अगर उस लौड़िया को तेरे लण्ड से चुदवा दूं तब क्या करेगा?”
मैंने कहा- जो तू बोले।
Mera boss bhi muze dekh badi jibh laplapata hei, soch rahi hun lelu sale ko andar…