अनु ने कहा- “रूम में जाकर पता चल जाएगा। अब आप जाइए में आती हैं…”
मैं उसको वही छोड़कर बाहर आ गया। मैं बेड पर लेट गया, मैंने टाइम देखा तो दो बज चुके थे। इतने में अनु आ गई उसने मेरे पास लेटकर मेरी तरफ अपना मुँह कर लिया और मेरे से चिपक गई।
मैंने कहा- दो बज गये हैं।
अनु बोली- आपको नींद आ रही है?
मैंने कहा- नहीं तो। ऐसी कोई बात नहीं।
अनु बोली- आप मेरे से छुपाते क्यों हो? मैं आपकी हर बात समझती हूँ।
मैंने कहा- “अच्छा जान…” फिर मैंने कहा- “मेरे को ऐसे नींद नहीं आएगी मैं एक पेग पी लेता है फिर सो जाऊँगा..
अनु ने मेरी तरफ देखते हुए ना में अपना सर हिलाया।
मैंने कहा- क्या हुआ एक पेग पीने दो।
अनु ने कहा- बाबू नहीं
मैंने कहा- ऐसे नींद नहीं आएगी सिर में हल्का दर्द है।
अनु ने उठकर मेरे सर को अपने हाथ से दबाते हुए कहा- “आप सो जाओ, मैं आपका सिर दबा देती हैं…”
पता नहीं अनु की बात में क्या जादू था की में आँखें बंद करके मुश्कुराता हुआ लेट गया। अनु की उंगलियां मेरे दिमाग को इतना रिलैक्स दे रही थी की मुझे नींद आने लगी। मैं कब नींद की आगोश में चला गया पता ही
नहीं चला। मेरी नींद जब खुली तब अनु मेरे पास ही सोई हई थी। उसका हाथ अब भी मेरे सिर पर था। ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरा सिर दबाते दबातें सो गई हो।
मुझे उसको देखकर प्यार आने लगा, मैंने उसको सही से सुला दिया। कुछ देर मेंमें उसको ऐसे ही देखता रहा। तभी राम के दरवाजे पर ठक-ठक की आवाज आई। मैं समझ गया इस टाइम शोभा ही हो सकती है। मैंने अनु के ऊपर रजाई डाल दी, और मैं कपड़े पहनकर दरवाजा खोलने चला गया। मैंने दरवाजा खोला तो शोभा ही थी।
मैंने कहा- क्या हुआ?
शोभा बाली. “अनु सो रही है या जाग रही है?”
मैंने उसको कहा- “वो सोई हुई है। काम क्या है?”
शोभा ने कहा- “वो बेबी के लिए दूध चाहिए..”
मैंने कहा- “तुम जाओ मैं अनु को अभी भेजता हूँ..” और मैंने जाकर अनु को उठाया।
अनु ने बड़े प्यार से उठकर मेरे गले में अपनी बाहें डाल दी और कहा- “क्या हआ ?”
मैंने कहा- तुम अपने कपड़े पहनकर दूसरे रूम में जाओ, तुम्हारे बेबी को भूख लगी है।
अनु मुझे चौक कर देखने लगी।
–
मैंने कहा- तुम्हारी मम्मी आई थी कहने।
अनु जल्दी से अपने कपड़े पहनकर चली गई। मैं फिर से बेड पर लेट गया। करीब 30 मिनट बाद अनु वापिस आई। मुझे मुश्कुराकर देखते हुए बोली- “देर तो नहीं लगी..”
मैंने कहा- अगर हो भी जाती तो क्या बात थी। वो काम पहले है। जितना जरूरी तुम्हारे लिए अपने बेबी को टाइम देना है उतना मेरे लिए नहीं।
अनु में अपनी आँखों से जैसे मुझं निहारा। फिर मेरे पास आकर बोली- “आप सच में बड़े अच्छे हो…”
मैंने कहा- नहीं। तुम सच में इतनी अच्छी हो। तुम्हारा प्यार तो किसी नसीब वाले को ही मिल सकता है।
अनु मुझे चिपट गई।
मैंने कहा- “जानू 5:00 बज गये हैं। तुम थोड़ा आराम कर लो फिर तुम्हें छोड़ आऊँगा.”
अनु बोली- नहीं मुझे नींद नहीं आई।
मैंने कहा- फिर बातें करनी है?
अनु मुझे चूमने लगी, और बोली. “नहीं बाबू। आपसे प्यार करना है.”
में अनु को अपनी बाहों में भरकर उसके होठों को चूसने लगा। मैंने अनु से कहा- “तुम कल चली जाओगी ना?”
अनु ने कहा- “आप तो मर्द हो, रह लोगे मेरे बिना भी। मैं नहीं रह पाऊँगी आपसे दूर..” कहते हुए वो रोने लगी।
मैंने उसको प्यार से सहलाते हुए कहा- “जान इसमें राने की क्या बात है? तुम मुझसे थोड़ा दूर ही जा रही हो। मुझे छोड़कर तो नहीं जा रही…”
अनु बोली- “नहीं, आप नहीं समझते मेरे दिल का हाल। मैं वहां जाकर आपसे कैसे मिल पाऊँगी? और वो मुझे फिर से दुख ही देगा…’
मैंने कहा- “उसकी तुम चिंता मत करो। अब वो तुम्हें दो-तीन महीने तक कुछ नहीं कहेंगा, और इससे पहले मैं तुमसे मिलने आऊँगा..”
अनु बोली. “सच… पर कैसे आओगे?”
मैंने कहा- “ये मुझ पर छोड़ दो..”
फिर अनु मरे से चिपक गईं। हम दोनों फिर से प्यार करने लगे। मैंने अनु की चुदाई तो करी, पर मेरे दिमाग में अनु की चुदाई से ज्यादा, उसकी जुदाई का सदमा था। अनु को चोदने के बाद, हम दोनों ऐसे ही लेटे हुए बातें करते रहे।7:00 बजे अनु ने कहा- “मैं अब नहाकर तैयार हो जाऊँ?”
मैंने कहा- हाँ हो जाओ।
फिर अनु और शोभा को मैं अपनी कार से उसके घर के पास छोड़ आया। मैं जब अनु को छोड़कर वापिस आ रहा था तब मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं अपनी सब खुशियां किसी को दे रहा हैं। लेकिन यही नियति थी, मैं इसको कैसे बदल सकता था। फिर अगले दिन जब अनु चली गई, तो में बड़ा अपसेट बहा। मुझे अनु की यादों के सिवा कुछ और सूझा ही नहीं। मुझे खुद को ऐसा लगने लगा था जैसे की लाइफ में कुछ बाकी ही ना रहा हो।
फिर दो दिन बाद मैंने ऋतु को कहा- “अनु का काई फोन तो नहीं आया?”
ऋतु ने कहा- हमारे पास तो नहीं आया आपके पास आया हो तो पता नहीं।
उसकी बातों में छुपा जहर मुझे समझ में आ रहा था। शाम को जब ऋतु जाने लगी तो मेरे केबिन में आई। मैं उसको देख कर बोला- “तुम्हें जाना है तो चली जाओ..”
ऋतु ने कहा. “आपसे यही उम्मीद थी.. और वो चली गई।
अगले दिन लंच टाइम में ऋतु मेरे केबिन में आई। तब मैंने उसको कहा- “ऋतु आज बड़ी हाट लग रही हो.”
ऋतु ने मुँह बनाकर कहा- “हम हाट कहां? हाट लोग तो चले गये..”
मैंने उसको कहा कुछ नहीं। उसको अपनी बाहों में भरकर चूम लिया। उसने फीका-फीका जवाब दिया।
मैंने कहा- क्या हुआ? मूड ठीक नहीं लग रहा।
ऋतु बोली- अब आपको मेरे मुह से क्या फर्क पड़ेगा?
मैंने कहा- ऐसा क्यों बोल रही हो?
ऋतु ने कहा- “आपकी खास चहेती तो अब यहां है नहीं, इसलिए अब आपको अपना काम निकालना है तो मेरी तारीफ तो करनी ही पड़ेंगी…”
मझें उसकी ये बात अच्छी नहीं लगी। मैं समझ गया की वो अनु की बात कर रही है। मैंने ऋतु को ऐसे ही छोड़ दिया और कहा- “तुम मुझे शायद कुछ और ही समझ बैठी हो?”
मेरी इस बात से ऋतु को झटका लगा। उसने कहा- “नहीं-नहीं मेरा मतलब वो नहीं था। मैंने तो आपको ऐसे ही कह दिया था..’
मैंने कहा- “तुमने जो कहा वो सच कहा। मैं अनु की यादों से अभी तक बाहर नहीं आ पाया। पर इसमें मैं क्या करू? उसका प्यार मुझे उसको भूलने ही नहीं दे रहा। तुम उस प्यार को कभी नहीं समझ सकती..”
मेरी ये बात सुनकर ऋतु को लगा की उसने मुझे हर्ट कर दिया है। उसने मुझसे कहा- “प्लीज़… मुझे माफ कर दीजिए आई आम वेरी सारी..”
मैंने कहा- सारी नहीं कहो। मैं तुमसे नाराज नहीं हूँ।
ऋतु में अबकी बार अपने कान पकड़ लिए, और बोली “अच्छा अब कभी ऐसी बात नहीं कहँगी प्लीज … एक बार माफ कर दो…
.
मैंने कहा- “यार मैंने कहा ना की मैं नाराज नहीं हैं…”
ऋतु भी जिद्द पर आ गई। उसने मेरे पास आकर मेरे दोनों हाथों को अपने हाथों से पकड़ लिया और मुझे उठने के लिए रिक्वेस्ट करने लगी।
मैं उठकर खड़ा हो गया, मैंने कहा- “हम्म्म्म
… बताओ क्या कहना है?”
ऋतु मुझे पकड़कर सोफे तक ले गई और मुझे सोफे पर बैठा दिया। फिर मेरे टांगों के पास बैठ गई, और मेरी टांगों को पकड़कर बोली “प्लीज सर, अब तो ठंडे हो जाइए…”
मैंने कहा- “किसने कहा की में गुस्सा हूँ?
ऋतु बोली- मुझे लग रहा है।
मैंने कहा- नहीं हूँ।
ऋतु ने मुझे प्यार से देखा और मेरी आँखों में आँखें डालकर कहा- “सच में?”
मैंने कहा- “हम्म्म्म …”
ऋतु ने अब मेरी जीन्स की जिप खोल दी। उसने मेरे लण्ड को बाहर निकाल लिया और अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मेरा भी मह थोड़ा सा बन गया। मैं उसके सिर पर अपने हाथ फेरने लगा। फिर ऋतु ने मेरे लौड़े
को बड़े प्यार से चूसना शुरू कर दिया। ऋतु में मेरे लण्ड को चूस-चूसकर मेरे लण्ड को इतना मजबूर कर दिया की अब सिर्फ चूत ही उसकी प्यास बुझा सकती थी। मैंने उठकर अपनी जीन्म उत्तार दी और में सोफे पर फिर से बैठ गया।
मैंने ऋतु से कहा- “दरवाजा तो बंद कर दिया है ना?”
ऋतु ने कहा- आफिस में कोई नहीं है। सिर्फ अंजू है। वो भी अब तक चली गई होगी।
मैंने कहा- फिर भी दरवाजा तो बंद है ना?
ऋतु ने कहा- हाँ करा है।
में निश्चित हो गया। ऋतु ने अब तक मेरे लण्ड को बिल्कुल तैयार कर दिया था। वो उठकर खड़ी हो गई अपनी सलवार कमीज उतारकर वो मुझे देखने लगी। ‘
मैंने कहा- “बाकी भी उतार दो..”ऋतु ने अपनी पैंटी उतार दी और मेरे लौड़े पर अपनी चूत को रखकर बैठ गई।
मेरा लण्ड दो-तीन दिन से चूत का प्यासा था। ऋतु की चिकनी चूत में जाकर उसको मजा आने लगा। मैं ऋतु
की चूत में अपना लण्ड डालकर बैठा हुआ था। मैंने उसकी चूचियों को दबाया और कहा- “करा ना..”
ऋतु मेरे लण्ड को अपनी चूत में लेकर ऊपर-नीचे होने लगी। मैं अत को नीचे से धक्के मार कर चोदने लगा, और जिस बात के लिए मैंने ऋतु से कहा था वहीं हुआ। मरे केबिन का दरवाजा खुला और अंजू एकदम से अंदर आ
गई। अंजू ने मेरे केबिन में आते ही हम दोनों को देख लिया।
ऋतु मेरे लण्ड के ऊपर चढ़ी हुई थी। अंजू को देखकर ऋतु के होश उड़ गये। वो मेरे लण्ड के ऊपर से ऐसे उठकर भागी, जैसे मेरा लण्ड ना हो कोई लोहे की गरम रोड हो। ऋतु जैसे ही उठी तो मेरे नजर अंजू पर पड़ी। अंजू के सामने मैं नंगा बैठा था। मेरे ताजे ताजे चूत से निकले लण्ड को अज ने देखा तो कुछ देर उसकी निगाहें मेरे लौड़े को ही निहारती रही। मैं कुछ सोच ही नहीं पा रहा था। ऋतु सोफे के पीछे जाकर छुप गई थी।
फिर मैंने अपने पास पड़ी ऋतु की सलवार को उठाकर अपने लण्ड के ऊपर रख दिया।
अंजू भी अब तक खुद को संभाल चुकी थी, उसने अपनी नजरों को नीचे कर लिया, फिर बोली- “सर आई आम वेरी सारी। मुझे ऐसे अंदर नहीं आना चाहिये था। पर ऋतु का सेल बाहर इतनी देर से बज रहा था। मैं उसको देने आई थी…”
अंजू की बात तो में समझ रहा था। पर में उसकी नजरों को देखकर समझ गया था की इसके मन में भी मेरे लौड़ें को देखकर कुछ ना कुछ हुआ है।
मैंने कहा- “अंजू, तुम्हारी कोई गलती नहीं है। ये सब अचानक हो गया..”
अंजू रुकी नहीं और भागकर बाहर चली गई।
अंजू के जाने के बाद ऋतु सोफे के पीछे से बाहर आई और मुझसे कहने लगी- “अब क्या होगा। अंजू ने सब देख लिया…”
मैंने कहा- “इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। मैंने तुमसे पहले ही पूछा था?”
ऋतु बोली- “मैंने किया तो था पर पता नहीं… ओहह… माई गोड अब क्या होगा?” कहते हए ऋतु सोफे पर धम्म में बैठ गई।
मैंने कहा- अब जो हो गया सा हो गया। अब कुछ नहीं हो सकता।
अतु बोली- “अंजू अब सबको बता देगी…”
मैंने कहा- नहीं वो ऐसा नहीं करेगी। पर ये हो सकता है।
ऋतु- “कभी उसके मुँह से अगर निकल गया तो?”
.
..
मैंने ऋतु में कहा. “पहले काम पूरा करो फिर सोचते हैं.”
–
–
पर
ऋतु मेरे लौड़े को फिर से अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। लण्ड को फिर से खड़ा करने के बाद ऋतु ने कहा “अब कैसे करना है?”
मैंने कहा- अब तुम घोड़ी बन जाओ।
ऋतु घोड़ी बन गई। मैंने जल्दी से ऋतु की चूत में अपना लण्ड डालकर धक्के मारते हुए कहा- “ऋतु एक
आइडिया आया है मेरे दिमाग में?”
ऋतु में कहा- क्या?
मैंने कहा- अगर अंजू को भी अपने लण्ड के नीचे ले लें तब हो सकता है। इस बात की बाहर निकलने की कोई गुंजाइश ही ना रहे.” फिर मैंने ऋतु को कहा- “तुम्हारी कभी अंजू से सेक्स की बात होती है?”
ऋतु ने कहा- कभी कभार हल्की-फुल्की।
मैंने कहा- जैसे की मतलब वो क्या कहती है?
ऋतु ने कहा- वो अक्सर मुझे यही कहती है की उसको अपनी लाइफ में कुछ करना है। उसके लिए वो कुछ भी कर सकती है।
मैंने कहा- ये तो मैं भी जानता है। पर इससे क्या लगता है?
ऋतु ने कहा- “मैंने उसको एक बार कहा था की अगर तुम्हें काई लाइफ में मौका मिले और उस माके के बदले तुम्हें सेक्स करवाना पड़े तो कर लोगी?”
मैंने कहा- फिर उसने क्या कहा था?
ऋतु बोली- “उसने कहा था की सोचेंगी उस टाइम पर। शायद हाँ भी कर सकती हैं…”
मैंने कहा- तुम अब जाओ, मैं कल बात करूंगा।
ऋतु के जाने के बाद मैं अपने केबिन से बाहर आ गया। अंजू भी जाने की तैयारी कर रही थी।
Mera boss bhi muze dekh badi jibh laplapata hei, soch rahi hun lelu sale ko andar…