मैंने कहा- “पागल, मैं सिर्फ तेरी चूत की खुशबू देख रहा था…” और मैंने बो उंगली अपने मुँह में रख ली। कसम से उसकी चूत का पानी जो मेरी उंगली में लगा था जरा सा, उसका टेस्ट बड़ा मस्त था।
मैंने ऋतु से कहा- “अब मेरा लौड़ा अपने मुँह में ले लो..” और मैं चेयर पर बैठ गया।
ऋतु मेरी दोनों टांगों के बीच में आकर बैठ गई और मेरा लण्ड बड़े प्यार से सहलाने लगी। फिर उसने अपना मुँह खोला और लण्ड का सुपाड़ा मुह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
मैंने कहा- “जान पूरा मह में लो ना…”
ऋतु के छोटे से मुंह में मेरा इतना बड़ा लण्ड आ नहीं पा रहा था। पर फिर भी उसने पूरी कोशिश की उसके गले तक मेरा लण्ड जाकर टकरा जाता था।
मैंने ऋतु से कहा- “आज मेरे लण्ड को ऐसा चूमो जिससे इसकी एक-एक बूंद निकल जाए.”
उसने मुझे प्यार से देखा और कहा “ऐसा ही करेंगी जान…”
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फिर वो अपने होंठों का रिंग बनाकर मेरे लण्ड को तेज-तेज चूसने लगी और मेरे दोनों टटों को अपने हाथ से सहलाती जा रही थी। फिर एकदम से उसने मेरे एक टट्टों को अपने मुँह में ले लिया। उसकी इस हरकत से मेरे जिश्म में आग लग गई और मजा बढ़ गया।
इस तरह 10 मिनट चुप्पा मारने के बाद मैंने उसका कहा- “अब मैं में झड़ने वाला हूँ..”
उसने मेरा लण्ड कसकर अपने मुँह में दबा लिया, और जैसे ही मेरा वीर्य निकला उसने मेरे लण्ड के छेद पर अपनी जीभ रख दी और वहां जोर-जोर से चूसना शुरू कर दिया। मेरे पानी की अतिम बैंद्र तक उसने अपना मैंह नहीं रोका। मैं निटाल सा हो गया। सच कहूँ उसके चूसने में मुझे चुदाई से कहीं ज्यादा मजा आ रहा था।
ऋतु ने खड़े होकर अपने कपड़े पहने और मुझे कहा- “सर, मैं अब जाऊँ?”
मैंने कहा- मन तो नहीं कर रहा तुमको भेजने का, पर जाना तो है तो जाओ… उसके जाने के बाद मैं अपनी जीन्स पहनकर वाशरूम में गया। मेरा लण्ड ऐसा सिकह सा गया था जैसे मैंने 5-6 बार चूत मारी हो। मैं सम करके वापिस आ गया। मैंने देखा की मेरा स्टाफ मझे आज अलग नजरों से देख रहा है।
मैंने कुछ कहा नहीं और अपने केबिन में चला गया। अब बस मेरे दिमाग में ऋतु की चूत घूम रही थी। कैसे भी करके अब उसको चोदना ही था। मेरा दिल अब उसकी चूत के लिए बेचैन हो गया था। मैंने उसको फोन किया की घर पहुँच गई या नहीं?
ऋतु ने कहा- हाँ मैं घर पहुँच हूँ।
मैंने कहा- तुम्हारे बिना मन नहीं लग रहा है।
ऋतु हँसकर बोली- “घर मत भेजा करा, अपने साथ ही रखा करो। अपने घर ले जाया करो..”
मैं उसकी बात सुनकर कुछ बोला नहीं। क्योंकी उसने जो बात कहीं उसका क्या मतलब था? मैं समझ सकता था। मैंने उस बात को घुमा दिया और बात करने लगा।
इतने में अंजू मरे केबिन में आई। मैंने उसको बैठने को कहा। मेरे दिमाग में ऋतु का जिपम घूम रहा था। मैंने
आज पहली बार अंजू को कामुकता भरी नजर से देखा।
मैंने कहा- क्या काम है?
अंजू बोली- “सर, आज मुझे कुछ पैसों की जरूरत है…”
मैंने कहा- “कितने लेने है?”
उसने कहा- “15000..”
मैंने उसको कहा. “तुम अपनी सेलरी ता ले चुकी हो। अब इतना अमाउंट क्यों माँग रही हो?”
उसने कहा- “मेरी माम की तबीयत ठीक नहीं है…”
मैंने कहा- “ओके ले जाओ… और मैंने उसको 1000 के 5 नोट निकालकर दिए और कहा- “कोई और जरूरत हो
तो माँग लेना…
उसने मुझे बैंक्स कहां और कहा- “सर आप कितने अच्छे हो, आपका एहसान कैसे चुकाऊँगी?”
मैंने हँसकर कहा- “टाइम आने पर बता दूँगा…”
अंज उठकर जाने लगी। उसकी चूचियां देखकर मेरा फिर से मह उत्तेजित होने लगा। पर मैंने खुद को संभाल लिया। अंजू ने स्माइल दी और चली गईं। अगले दिन में आफिस में जल्दी आ गया सब मुझे इतनी जल्दी देखकर दंग रह गये।
Mera boss bhi muze dekh badi jibh laplapata hei, soch rahi hun lelu sale ko andar…