नीरज ने कहा- “सर, आप कब तक आएंगे…”
मैंने कहा- “मैं अब कल से ही आऊँगा…”
थोड़ी देर बाद मोबाइल स्टोर से मझे फोन आ गया। मैंने उसको समझा दिया। फिर मैंने नीरज से कहा- “यहां से मोबाइल लेकर तुम मेरे घर छोड़ देना..”
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हम जब अपनी सिटी में एंटर हए तब तक अंधेरा हो चुका था। मैंने कार अपने घर की तरफ मोड़ दी। जैसे ही
कार घर के बाहर रूकी वाचमैन ने गेट खोल दिया। मैं कार अंदर ले गया। वाचमैन ने मुझे एक पैकेंट दिया। मैं समझ गया उसमें मोबाइल होगा जो मैंने अनु के लिए मैंगवाया था।
मैंने वो पैकेट अपने हाथ में ही रखा और अनु से कहा- “तुम पहली बार मेरे घर आई हो, बाहर से ही जाओगी
तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा। 5 मिनट के लिए ही सही अंदर चला…”
अनु भी मना नहीं कर सकी। मैंने घर में पहुँचते ही नौकर को कहा- “जरा बदिया सी 3 काफी बनाकर मेरे रूम में ले आओ…”
मैने अनु से कहा- “आओं रूम में बैठते हैं.”
ऋतु को शायद अनु का मेरे घर आना अच्छा नहीं लगा। वो बोली- “सर आप हम लोगों को छोड़ते हए ही आ जाते। अब आप एक बार फिर से हमको छोड़ने जाओगे…’
मैंने कहा- “हीं तुम ठीक बोल रही हो। वैसे तो तुम्हारा घर पहले पड़ता। पर मुझे अनु को कुछ देना था इसलिए पहले यहां आना पड़ा…”
अनु को कुछ देने की बात सुनते ही ऋतु के मुँह पर 12:00 बज गयें। उसका चेहरा उसकी फीलिंग्स को शो करने लगा। पर मुझे उसकी कोई परवाह नहीं थी। मैं अनु को अपने रूम में ले गया। ऋतु भी हमारे साथ-साथ आ गई।
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रूम में जाते ही अनु बोली- “आपके रूम का इंटीरियर ता बहुत बदिया है। जिस होटेल में हम रुके थे उससे भी अच्छा लग रहा है.”
मैने मुश्कुराकर अनु से कहा- “वा होटेल था, ये घर है…”
अनु मुस्कुरा उठी। अनु मेरे बाद पर फैले हए कपड़ों को देखकर बोली- “अरे यहां तो कपड़े फैले पड़े हैं। किसी ने सही नहीं किए..”
मैंने मुश्कुराते हए कहा “मेरे रूम में आने की किसी को पमिशन नहीं है। और मैं आज दो दिन बाद आया हैं। कौन करता”
अनु बोली- “क्यों नौकर तो है, वो नहीं कर सकता था?”
मैंने कहा- उसको भी पमिशन नहीं है।
अनु मुझे सवालिया नजर से देखती रही पर बोली कुछ नहीं।
फिर ऋतु में अनु को धीरे से कहा- “इस बारे में सर से कोई बात मत करो, उनको हर्ट होगा..”
मैंने ऋतु में कहा- “अरे नहीं, ऐसा कुछ नहीं है। जो मेरी लाइफ की हकीकत है उसमें क्या छुपाना…”
मैंने अनु से कहा- “मेरी वाइफ अब मुझसे अलग रहती है। मैं आजकल अकेला रहता हूँ..”
अनु का मुँह खुला का खुला रह गया।
मैंने कहा- “शायद मुझमें कई खामियां है। जिनकी वजह से उसने ऐसा फैसला लिया होगा… फिर मैं हँसते हए बोला- “अरे यार मैं भी तुम लोगों को बोर कर रहा हूँ..” अ नके चेहरा के भाव सिर्फ मैंने देखे थे। वो क्या थे मैं आपको बाद में बताऊँगा।
इतने में लाकर काफी लेकर आ गया।
मैंने कहा- चलो काफी पीते हैं।
फिर हम सब काफी पीने लगे।
मैंने ऋतु में कहा- “तुम कल आफिस आओगी ना?”
ऋतु ने कहा- “क्यों नहीं आऊँगी?”
मैंने कहा- “शायद थकान हो इसलिए मैंने पूछा..”
ऋतु अनु को देखकर कमेंट की”जो थका होगा वो ही तो आराम करेगा। मैं कौन सा थकी है वहां जाकर?”
मैं समझ गया उसकी बात। मैंने अनु को देखकर प्यार से चुप रहने का इशारा किया। फिर कोई कुछ नहीं बोला। काफी पीने के बाद मैंने अनु से कहा- “ये लो..” और मैंने उसके हाथ में मोबाइल दिया और कहा- “अब जब मन करे मेरे से बात कर लेना..
अनु ने मोबाइल देखते हुए कहा- “ये तो बड़ा मैंहगा लग रहा है?”
मैंने हसते हुए कहा- “तुम्हारे आगे इसकी कोई कीमत नहीं..”
अनु फिर से शर्मा गई, और बोली- थैक्स।
मैंने कहा- “मुझे बार-बार थॅंक्स सुनने की आदत नहीं है..”
अनु हँसते हुए बोली- “भच्छा जी… मैं अब नहीं कहूँगी..”
ऋतु को अनु का मोबाइल देखकर बड़ी तकलीफ हो रही थी। उसने कहा- “सर, दीदी जब वापिस चली जाएंगी तो में ये वाला मोबाइल रख लैं?”
मैंने कहा- नहीं, बो अनु के पास ही रहेगा। तुमको लेना है तो मैं और दिलवा दूंगा।
अनु चौंक गई, और बोली- “अरे… मैं इसको वहां कैसे ले जाऊँगी? क्या कहँगी किसने दिया? इतना मैंहगा है नहीं तो बोल देती मम्मी ने दिया है.” ‘
मैंने कहा- “तुम बोल देना गिफ्ट दिया है किसी ने.”
अनु ने फिर कुछ नहीं कहा।
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मैंने कहा- “चलो तुम लोगों को छोड़ आता है… फिर मैं उन दोनों के साथ कार तक आ गया। जाने से पहले अनु मेरे रूम को बड़ी बारीक निगाहों से देख रही थी। मैं जानता था वो क्या दूँद रही है? पर मैंने उसको कुछ कहा नहीं। मैं जब ऋतु के घर पहुँचा तो मैंने उन लोगों को बाहर ही छोड़ दिया। क्योंकी मैं अंदर जाने के मूड में नहीं था।
अनु और ऋतु में कहा भी आने को। पर मैंने मना कर दिया। मैं वापिस आने लगा। मैंने घर आते ही सबसे पहले दो पेंग लगाए। फिर अपना रुम ठीक किया और बेड पर लेट गया। शायद दो दिन की थकान का असर था की मुझे एकदम से नींद आ गई।
मैं सुबह उठा तो 8:00 बज चुके थे। मैंने अपने सेल को देखा। मुझे पूरी उम्मीद थी की अनु ने मुझे रात को फोन किया होगा। मैंने मोबाइल देखा तो उसमें कोई मिस काल नहीं थी। मैं फिर तैयार होने लगा। मैं आफिस पहचा तो परे स्टाफ ने पछा, “सर आप कहां गये थे? और ऋतु भी नहीं आई आपके पीछे..”
मैंने कहा- “मैं किसी काम से बाहर गया था.” और मैंने अंजान बनते हुए कहा- “ऋतु क्यों नहीं आई? हो सकता है उसको कोई अजेंट काम पड़ गया हो या फिर उसकी तबीयत खराब हो..” कहते हुए मैं अपने केबिन में चला गया।
थोड़ी देर बाद ऋतु भी आ गईं। उसका मुँह अभी तक सूज़ा हुआ था। मेरे केबिन में आकर बोली- “जी. एम. मर…”
मैंने उसको कहा- “आओं ऋतु बैठो..”
अनु बैठ गईं।
मैंने उसको कहा- “मैं जब आफिस में आया तो सबने मुझे पूछा की मैं कहां गया था और तुम भी नहीं आई मेरे पीछे…
ऋतु बोली- “फिर आपने क्या कहा?”
मैंने कहा- “मैंने उनसे कहा है की मैं किसी काम से बाहर गया था। तुम सबको यही बोलना की तुम किसी काम की वजह से नहीं आई। ओके… समझ गई?”
ऋतु ने कहा- “ओके… बोल दूँगी। अब मैं जा सकती हैं।”
मैंने उसको प्यार से कहा- “ऋतु तुम अभी तक नाराज हो क्या?
ऋतु ने कहा- “मैं कौन होती है न न होने वाली? और अगर हो भी जाऊँ तो किसी को क्या फर्क पड़ेगा?”
मैं उठकर उसके पास गया और मैंने उसको अपनी बाहों में भर लिया फिर उसके होंठों पर होंठ रख दिए। पर उसने कुछ नहीं किया। नहीं तो पहले मैं जब उसके होंठों पर होंठ रखता था तो वो मेरे होंठों को चूसती थी। मैं समझ गया उसका मूड सही नहीं है। मैंने उसको कसकर अपनी बाहों में भर लिया, और अपनी गोदी में उसको उठा लिया।
मैंने कहा- “अच्छा अब मह सही कर लो। पलीजज… अनु तो तुम्हारी बहन है, और वो कौन सा यहां रुकने वाली है। कुछ दिन में चली जाएगी। तुम तो हमेशा मेरे पास रहोगी। है की नहीं?”
ऋतु की आँखों में आँस आ गये। उसने कहा “आपका मेरे से मन भर गया है तो बता दीजिए। अब आप मुझे प्यार नहीं करते। मैं आपको अच्छी नहीं लगती…”
मैंने उसको फिर से चूमते हुए कहा- “पागल हो क्या? जो ऐसी बातें सोच रही हो। और फिर तुमने खुद ही तो नैनीताल जाने का प्रोग्राम बनाया था। मुझे और अनु को साथ नैनीताल लेकर गई थी। फिर खुद ही गुस्सा हो रही हो…”ऋतु आँसू पोंछते हुए बोली- “हाँ, मैंने ही तो गलती की है। मुझे इसकी सजा तो मिलनी ही है…”
मुझे अब बात समझ में आ गई की उसको सिर्फ अ से प्राब्लम है। मैंने उसको कहा- “ऋतु तुम मुझे समझ पाई हो या नहीं? मैं नहीं जानता पर इतना जरूर कहूगा की जो मेरे मन में होता है वही मेरी जुबान पर। मैं दोहरा जीवन नहीं जीता। और अगर फिर भी तुमको यही लगता है तो, मैं तुम्हें और ज्यादा कबिन्स नहीं कर सकता..” कहकर मैं अपनी चेयर पर जाकर बैठ गया।
ऋतु बहुत देर मह को झकाए बैठी रही फिर कहने लगी- “अच्छा… मैं आपकी बात समझ गई पर अब आप अनु से नहीं मिलोगे…”
में उसके मुँह से दीदी की जगह अनु सुनकर थोड़ा सा चौका। पर मैंने कुछ कहा नहीं। मैंने कहा- “तुम ऐसा क्यों कह रही हो?”
ऋतु बोली- “मुझे नहीं पता। पर अब अगर आप अनु से मिले तो….. और उसने अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया।
मैं समझ गया वो मुझे अब एमोशनल बलेकमेल कर रही है। पर मैं उसको कुछ नहीं कहने चाहता था। मैंने उसको कहा- “ऋतु देखो, तुम मेरे ऊपर अपनी मर्जी थोप नहीं सकती। लेकिन मैं तुमसे ये वादा करता हूँ की जब तक अनु यहां है, वो मुझे अगर खुद मिलने आई तो मैं उसको जरग मिलेगा। पर यहां से जाने के बाद मैं उसको कभी मिलने नहीं जाऊँगा, ना ही मैं उसको फोन करेगा…”
मेरी बात सुनकर ऋतु को कुछ राहत मिली, फिर बोली- “अच्छा आप उसको नहीं कहोगे की वो आपको मिले, और आपको मुझे ये प्रामिस करना होगा की यहां से जाने के बाद अनु आपकी लाइफ से बाहर हो जाएगी…”
मैंने कहा- “आई प्रामिस.”
फिर ऋतु कहने लगी- “वैसे भी जीज अब उसको यहां भेजेंगे कबर”
मैंने कहा- ऐसा क्यों?
ऋतु बोली- “वो में आपको नहीं बताऊँगी..”
मैंने कहा- “मुझं तुमने जो कहा, मैंने माना और तुम मुझसे छुपा रही हो…”
ऋतु बोली- “आप समझ नहीं रहे हो? वो उनका पर्सनल मामला है…”
मैंने कहा- “फिर भी क्या बात है पता तो चले?”
ऋतु ने कहा- “आप मेरे जीज से कभी नहीं मिले। अगर मिल लेतें तो आप खुद समझ जाते…”
मैंने कहा- “मुझे डीटेल में बताओ माजरा क्या है?”
ऋतु बोली- “अनु की शादी जब हई थी, तब जीज की जाब टेम्परारी थी, और उनका अपना घर भी नहीं था। पर हम लोगों से उन्होंने ये बात छुपाई थी..”
मैंने ऋतु की बात काटते हुए कहा- “पहले अनु के पति का नाम बताओ?”
ऋतु ने कहा- “मुमित..”
मैंने कहा- “हाँ अब बताओं सुमित के बारे में?”
ऋतु बोली- “फिर जब हम लोगों ने रिश्ता पक्का कर दिया, तो वो जल्दी शादी की जिद करने लगे। हमने जैसे तैसे इंतजाम किया…”
मैंने कहा- “हाँ, वो बात तो मुझे पता ही है.”
ऋतु बोली- “शादी के बाद जब हमें जाब वाली बात पता चली तो पापा को बड़ा गुस्सा आया…”
मैंने कहा- “सही बात है। कोई भी होता तो उसका गुस्सा आता…”
तब जीज ने कहा- “अपनी लड़की को ले जाओ, जब मेरी जाब पक्की हो जाएगी मेरे पास छोड़ जाना…”
अत- “अब लड़की को घर में कैसे बैठा लेते। हम कुछ कर नहीं सकते थे। मजबूरी में हमें अडजस्ट करना पड़ा.”
मैंने कहा- “अब उनका अपना घर है या अब भी….”
ऋतु बोली- “नहीं अभी तक वा रेंट पर ही रहते हैं..”
मैंने कहा- “और जाब?”
ऋतु बोली. “वही तो है सारे फसाद की जड़.”
मैंने कहा- “क्या मतलब वो कहीं और जाब कर रहा है?”
ऋतु बोली- “हाँ, 5-6 महीने से वो कहीं और जाब कर रहे हैं। अनु भी बीच में उनकी हेल्प के लिए घर पर बच्चों
को पढ़ाती थी। पर बेंबी होने की बजह से उनको अब ट्यशन छोड़नी पड़ी…”
मैंने कहा- फिर?
ऋतु बोली- “अब जीजू जहां जाब करते हैं, वहां उनकी सेलरी ₹9000 है। पहले तो जैसे-तैसे घर चल रहा था पर
अब बेबी हो गया है। अब मुश्किल हो रही है…”
मैंने कहा- “तुमने जो भी बात बताई है, उसका इस बात से क्या मतलब है की वो यहां नहीं आएगी? ये बात मुझे समझ में नहीं आई की वो यहां क्यों नहीं भेजेंगा?”
ऋतु बोली- “बता तो रही हूँ। अब जीजू ने ये कहा है की अनु भी जाब करेंगी, तब घर चलेगा..”
मैंने कहा- “हम्म्म्म .. इसलिए वो यहां नहीं आएगी। चलो अच्छा है उसका मन जाब में लग जाएगा, तो वैसे भी मुझे कहां याद रखेंगी?”
ऋतु बोली- “आप अनु को नहीं जानते, वो जाब नहीं करेंगी..”
मैंने कहा- “उसको क्या प्राब्लम है जाब करने में? सुमित की हेल्प ही तो करेगी वो जाब करके। सुमित सही तो कह रहा है। अनु पढ़ी लिखी है अगर जाब करेंगी तो उसकी हेल्प हो जाएगी…”
ऋतु बोली- “अनु भी मान गई है। पर जब तक बेबी छोटा है वो कैसे करें?”
मैंने पूछा- “सुमित के पैरेंट्स उसके साथ रहते हैं या अलग?”
ऋतु ने कहा- “उनके पैरेंट्स नहीं हैं…”
मैंने कहा- “फिर किसी ई-बोडिंग में बेबी को छोड़कर दोनों पति पत्नी जाब कर सकते हैं…
ऋतु बोली- “यही बात तो अनु नहीं मान रही। इसीलिए जीजू अनु को यहां छोड़कर गये थे की उसको हम सब समझाएं की बा जाब कर ले…”
मैंने कहा- फिर अनु मान गई?
ऋतु ने कहा- “हाँ, वो मन तो गई पर जीजू जहां उसका जाब के लिए कह रहे हैं, वो वहां नहीं करना चाहती…”
मैंने कहा- वहां कोई प्राब्लम है तो ना करे, कहीं और कर ले।
ऋतु बोली- यही तो है सारे प्राब्लम की जड़। जीजू उसको वहीं जाब करने के लिए जोर दे रहे हैं।
मैंने कहा- सुमित ने उसकी कोई वजह तो बताई होगी?
Mera boss bhi muze dekh badi jibh laplapata hei, soch rahi hun lelu sale ko andar…