Hindi Sex Story – कीमत वसूल

मैने अनु को प्यार से कहा- “अनु तुम मुझे गलत मत समझा। मेरे लिए जो तुम हो, वो कोई नहीं हो सकता। मुझे जब कभी ऐसा लगेगा की कोई तुम्हें डामिनेट कर रहा है, तब मैं तुम्हारा ही साथ दूंगा..” कहते हए मैंने एक कौर अनु के मुह में डाल दिया।


अनु ने खा लिया, और बोली- “अब आप मुझे खिलाओगे?”

मैंने मुश्कराकर कहा- “बस इतनी सी बात?” और मैं अनु को खिलाने लगा। फिर अनु और मैं डिनर के बाद बेड पर आ गये।

मैंने अत को देखा तो वो अब तक होश में नहीं थी और अब वो बेड पर इस तरह से सोई हुई थी की बेड पर सिर्फ एक ही इंसान और सा सकता था। मैंने अनु से कहा- “इतनी जगह में दोनों नहीं सो सकते। तुम बैंड पर सो जाओ मैं सोफे पर सो जाता हैं.” कहकर में सोफे पर जाकर लेट गया।

अनु भी अपना मन मार कर बेड पर पड़ गई। थोड़ी देर बाद मुझे अनु की आवाज आई. “मुझे नींद नहीं आ रही, में आपके पास आ जाऊँ?”

मैंने कहा- “आ जाओ…”

अनु मेरे पास आ गई। मैंने उसको मुस्कुराते हुए कहा तुम्हें नींद नहीं आ रही या तुम्हारी. मैंने उसकी चूत
की तरफ इशारा करते हुए कहा।

अनु झंपते हुए मेरी गोद में आकर बैठ गईं।

मैंने उसको कहा- “अच्छा, अगर तुमको सिर्फ सोना है तो हम दोनों साफे पर सो सकते हैं। पर अगर कुछ और मह हो तो फिर हमें नीचे सोना पड़ेगा। बोलो नीचे सो सकती हो, कोई प्राब्लम तो नहीं होगी?”

अनु मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर चूमते हुए बोली “जहां आप हो वहां मैं हर हाल में खुश हूँ.”

मैंने कहा- “चलो फिर…” और हम दोनों नीचे लेट गये। अनु मेरे पास में लेटी हई मेरे सीने के बालों से खेलने लगी। मैंने अनु को अपने और पास करते हए उसके ऊपर अपनी टांग रख दी, और उसके गालों को चूमते हए कहा- “अब बताओ, मेरे साथ सोकर क्या करना है?”अनु मेरी बाहों में सिमट गई और बोली- “मुझे आपसे प्यार करना है…”

मैंने कहा- “प्यार… कौन सा वाला?”

ने मेरे लण्ड को पकड़कर कहा- “ये वाला.”

मैंने अनु से कहा- “मेरी इतनी आदत मत डालो, नहीं तो तुम्हें परेशानी होगी..”

अनु ने कहा- “अब तो आप मेरी सांसों में बस गयें हो। आपकी आदत क्या, अब तो आप मेरी जान बन गये हो…” कहते हए अनु मेरे से चिपक कर बोली- “मेरे बाब, मेरे शोना…”

मैंने अनु से फिर इस बारे में कोई बात नहीं करी। मैंने उसको कहा- “पहले अपने कपड़े उत्त…”

अनु ने अपने कपड़े उतार दिए। मैंने उसका फिर से अपनी बाहों में ले लिया और अनु के गाल चूमते हए उसके कानों को अपने होंठों में दबा लिया, और फिर उसको अपनी जीभ की नोक से सहलाने लगा।

अनु ने जोर से सिसकी ली- “सस्स्स्स्सीईई अहह… बाबू आह्ह..”

मैंने फिर से ऐसा ही किया। इस बार अनु आउट आफ कंट्रोल हो गई। उसने मेरे चेहरे पर बेहतशा चमना शुरू कर दिया। बो मेरे पूरे चेहरे को मेरी गर्दन को ऐसे चूम और चाट रही थी जैसे भूखी बिल्ली को मलाई मिल गई हो। अनु ने मेरे पूरे चेहरे को अपनी जीभ से चाट-चाटकर गीला कर दिया। मेरा पूरे चेहरा अनु की लार से भर गया। अनु ने फिर मेरे सीने पर किस करना शुरू कर दिया।

मुझे ऐसा लगने लगा की अनु अगर कुछ देर मुझे ऐसे ही चूमती रही तो मैं खुद को रोक नहीं पाऊँगा। फा में इतनी जल्दी अनु को चोदने के मूड में नहीं था। मैंने अनु को अपने ऊपर से उतारकर अपने नीचे कर दिया। अब में अनु के ऊपर था। मैंने उसकी दोनों चूचियों को हाथ से अलग-अलग कर दिया और दोनों चूचियों के बीच की जगह पर अपनी जीभ रख दी। फिर मैंने अपनी जीभ को नीचे से ऊपर तक फिरा दिया। अनु की दोनों चचियां मेरे दोनों हाथों में थी। मैंने उसकी चूचियों पर अपने हाथों को गोल-गोल घुमाकर उसकी चूचियों में दूध उतार दिया। अनु के निपल से दूध रिस कर गिरने लगा।

में इतना कीमती दूध जाया नहीं होने देना चाहता था। मैंने अपना मुँह उसकी चूची पर लगा दिया, और चूसने लगा। अनु मुझे सिसकियां लेते हुए अपनी चूची चुसवा रही थी। बीच-बीच में वो मेरे होठों को अपने होंठों से चूस लेती थी। फिर मैं उसके होंठों से अपना मुँह हटाकर उसकी चूची चूसने लगता था। मैंने अनु की दोनों चूचियों को जमकर चूसा। अनु की हालत अब ऐसे हो गई थी की वो लण्ड को बार-बार पकड़कर मुझे चुदाई के लिए इन्वाइट कर रही थी। पर मैं तो अभी और मजा लेना चाहता था।

मैंने अनु की चूचियों को अपने हाथ से ऊपर किया और उसकी चूचियों के नीचे के हिस्से पर अपनी जीभ फेर दी। फिर मैंने अनु के पेंट पर अपनी जीभ रख दी। मैं अपनी जीभ को धीरे-धीरे नीचे की तरफ ला रहा था। फिर मैंने अपनी जीभ अनु की नाभि के चारों तरफ घुमा दी।


अनु को फिर से कुछ हो गया। वो मुझे खींचकर मेरे होठों को चूसने लगी। फिर अनु मेरे कान में कांपती हुई आवाज में बोली- “बाब.. चादा ना उम्म्म्म …”

मैंने कहा- “अभी और प्यार तो करने दो..”

अनु ने कहा- “बाब, उहहन चोरो ना..” फिर अनु ने ने कहा- “पहले अंदर डाल दो फिर जो मन में हो करते रहना… बाबू मुझे और नहीं तड़पाओ…’

मैंने अनु से कहा- “रुका नहीं जा रहा क्या?”

अनु ने कहा- “नहीं बाबू अब और मत तड़पाओं मेरे बाबू… जल्दी से डालो ना..”

मैंने अनु की बात मान ली, और अपना लण्ड अनु की चूत पर रख दिया। मैंने अनु से कहा- “लो अपनी चूत को उठाकर डाल लो…

अनु ने अपनी चूत को जितना उठा सकती थी उठाया, और उसकी चूत में थोड़ा सा लण्ड चला गया। अनु ने अपनी चूत को नीचे किया तो लण्ड फिर से निकल गया। अनु ने मेरे सीने पा !से बरसाते हुए कहा- “बाबू मुझे इतना मत सताओं प्लीज़… बाब.”

मुझे अनु पर बड़ा प्यार आया। मैंने कहा- “अच्छा जान ये लो.” और मैंने अनु की चूत में लण्ड घुसेड़ दिया।अनु मेरा पूरा लण्ड अपनी चूत में लेकर खुश हो गई। अनु के चेहरा पर अब संतुष्टि के भाव थे। अनु की सिसकियां अब सुख वाली सिसकियों में बदल गई। मैं अनु को पूरे दिल से चोद रहा था। अनु भी मेरी हर चोट
पर अपनी चूत उछाल-उछालकर मेरे जोश को बढ़ा रही थी। मैंने अनु की चूत में अब लण्ड डालकर धक्के मारने बंद कर दिए और मैंने अनु के हाथ को अपने हाथ में लेकर उसकी कलाई को ऊपर कर दिया। अनु की चिकनी काँख पर मैंने अपनी जीभ फेरी, तो अनु अपनी चूत को उछाल-उछालकर मेरे लण्ड से रिक्वेस्ट करने लगी की मुझे चोदो।

मेरे लण्ड ने भी अपनी सखी की बात मानकर उसको चोदना शुरू कर दिया। मैं अनु को अब चूमते हुए चोद रहा
था। मैं अनु के पूरे जिश्म को सहलाकर उसको चोद रहा था। मुझे भी ऐसी चुदाई करने में मजा आ रहा था। मेरा मन कर रहा था की मैं अनु को बस चोदता ही रहं, उसकी चूत में ऐसे ही अपना लण्ड डाले रहा और फिर
अनु की चूत में मैंने अपने लौड़े को जड़ तक धक्के मारते हुए झड़ने का हुकुम दे दिया।

मैं अनु की चूचियों पर अपना मुँह रखकर लंबी-लंबी सांसें लेने लगा। अनु भी ऐसे सांसें ले रही थी जैसे दूर से भागकर आई हो। मैंने अनु से कहा- “जान तुमने तो आज श्रका दिया..”

अनु ने मेरे सिर पर अपना हाथ फेरते हए कहां मेरा- “बाब थक गया… उम्म्म्म …”

अनु और में दोनों साथ-साथ लेटे हुए थे। मैंने अनु से कहा- “अब थोड़ी देर सो जाते हैं मुबह जल्दी उटना है.”

अनु ने पूछा- “हम सुबह किस टाइम चलेंगे?”

मैंने जवाब दिया- “9:00 बजे तक…”

अनु ने कहा- “उम्म्म… इतनी जल्दी क्या है आराम से चलेंगे..”

मैंने कहा- “मुझे तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन तुम सोच लो..’

अनु ने सोचते हुए कहा- “हम यहां से लंच करके चलेंगे…”

मैंने कहा- “जैसे तुम कहो। पर अभी तो सो जाओ, मुझे भी अब हल्की-हल्की नींद आने लगी है..”

अनु ने मेरे हाथ को अपने हाथ में ले लिया, फिर कहने लगी- “मैं आपका हाथ अपने हाथ में लेकर सो जाऊँ?”

मैंने कहा- तुम्हें अगर ऐसे अच्छा लगता है तो सो जाओ।

मैं सोने लगा। थोड़ी देर बाद अनु ने मेरी टांग पर अपनी टांग रख ली, और मेरे कंधों को सहलाने लगी। मैंने अनु की तरफ प्यार में देखा और कहा- “नींद नहीं आ रही बया?”

अनु मुझे देखकर मेरी आँखों में आँखें डालते हुए कहने लगी- “बाबू हम कल सच में चले जाएंगे?”

मैंने कहा- तुम्हारा मन नहीं कर रहा क्या जाने का?

अनु ने अपने नचले हॉट को दबाते हुए कहा “नहीं..”

मैंने कहा- “तुम यहां सिर्फ एक दिन के लिए आई थी और तुमने दो गत का यहां स्टे कर लिया। अभी भी मन नहीं भरा? अब तो जाना ही पड़ेगा..”

अनु मेरे और पास आकर मेरे से चिपक गई और बोली- “बाबू एक बात पछ?”


मैंने कहा- हाँ पूछो ना।

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1 Comment

  1. Minu

    Mera boss bhi muze dekh badi jibh laplapata hei, soch rahi hun lelu sale ko andar…

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