अचानक ऋतु ने चैनेल चेंज कर दिया उसपर। गाना आने लगा
जब कोई बात बिगड़ जाए,
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ये गाना सुनते ही अनु ने मेरे हाथ को पकड़कर मुझे अपने पास खींच लिया और मेरे गले में अपनी बाहों को डालकर मेरी आँखों में आँखें डालकर मुझे अपने साथ डान्स करवाने लगी। मैं भी पता नहीं इस गाने पर खुद को रोक नहीं पाया। मैं भी उसके साथ डान्स करने लगा। डान्स करते-करते हम दोनों इतनें खो गयें की कुछ खबर ही नहीं रही।
शायद हम दोनों ने स्पेशल ही परफार्म कर लिया इस गाने पर। जैसे ही गाना खतम हआ ऋतु ने जोर-जार से ताली बजानी शुरू कर दी। मैं कुछ समझ ही नहीं पाया, और अनु शर्माकर बैड पर अपने हाथों से मुँह को छुपाकर बैठ गई और तेज-तेज सांस लेने लगी। उसकी बड़ी-बड़ी छातियां उठने गिरने लगी।
मैंने ऋतु को देखते हुए कहा- “ऋतु सच बताओ क्या हुआ?”
ऋतु ने कहा- “काश आप दोनों का डान्स मैं ऐकाई करके आप दोनों को दिखा पाती। आप दोनों ऐसे परफार्म कर रहे थे जैसे प्रोफेशनल डान्सर करते हैं…”
मैं अनु के पास गया और उसके हाथों को उसके चेहरा से हटाते हुए कहा- “इतना क्यों शर्म महसूस कर रही हो?
अनु ने मेरे सीने में मुंह छुपा लिया।
मैंने उसकी कमर पर हाथ फेरते हुए कहा- “क्या हआ? इतना क्यों शर्मा रही हो? ऋतु तो तुम्हारी तारीफ कर
अनु ने शर्माते हुए कहा- “मुझे नहीं पता.”
फिर मैंने ऋतु से कहा, “तुम में बताओं किसने ज्यादा अच्छा डान्स किया?”
अत् बोली- “दोनों ने परफक्ट डान्स किया, जैसे की ये पर फक्ट कपल डान्स था.”
अनु फिर में शर्मा गई।
मैंने कहा- “हमें आज यहीं रुकना पड़ेगा। घर फोन करके बता तो दो..”
ऋतु बोली- “ना बाबा ना… मैं तो नहीं करेंगी…”
अनु भी बोली- “मुझे डर लग रहा है..”
मैंने कहा- “चला में ही कर देता हैं..” मैने ऋतु से कहा- “कल झठ बोलने में डर नहीं लग रहा था, आज सच बोलने में डर रही हो?” कहकर मैंने शोभा के सेल पर फोन किया।
शोभा बोली- “आप लोग वहां से चल दिए, कब तक आओगे?”
मैंने कहा- “हम वापिस आ रहे थे पर रास्ते में लैंड स्लाइडिंग की वजह से हमको आज वहीं रूकना पड़ेगा.”
शोभा बोली- “ऊऊह्ह…”
मैंने कहा- “आप टीवी पर देखो, सब पता चल जाएगा.. आज हमको यहां रुकना पड़ेगा, मजकी है…”
शोभा ने कहा- “हाँ, अब तो रुकना ही पड़ेंगा..
.” वैसे भी शोभा मुझसे ज्यादा बोल नहीं सकती थी। उसने कहा
“ऋतु से बात करवा दीजिए.”
मैंने ऋतु का फोन दिया। ऋतु ने भी यही सब बता दिया। फिर फान रखकर बाली- “अब यहां रुकना ही है ता कहीं घूमकर आते हैं…”
मैंने कहा- हाँ चलो, घूमने चलते हैं।
अनु बोली- “मेरे पास तो कोई और ड्रेस ही नहीं बची। मैं तो सिर्फ एक दिन के हिसाब से इस लाई थी…”
मैंने अनु के गले में हाथ डालकर उसकी चूचियों को सहलाया और कहा- “इसमें क्या सोचना, चलो बाजार से खरीद लेते हैं.”
अनु मुझे देखते हुए बोली- “आप तो मुझे पूरा नैनीताल खरीद कर दें दोगे..’
मैंने भी हँसते हुए कहा- “काश मेरे बस में होता..”
अनु बाली- “मेरे साइज की ड्रेस मिले ना मिले पता नहीं.”
ऋतु बोली- “दीदी चलकर देखते हैं, हो सकता है मिल जाए.”
.हम सब माल रोड पर आ गये। हमने वहां तीन-चार शोरूम पर देखा पर कुछ समझ में नहीं आया। मैंने अनु से कहा- “तुम मेरे साथ आओं मैं तुम्हें दिलवाता हू…”
अनु को एक शोरूम में ले गया वहां मैंने जाते ही कहा- “मेडम के साइज की जीन्स दिखाओ…”
अनु मुझं चुटकी काटतं हए बोली- “मैंने आपको बताया नहीं था, मैं नहीं पहनती जीन्स..”
मैंने कहा- वहां नहीं पहनती, यहां तो पहन सकती हो?” और मैंने सेल्सगर्ल को कहा- “दिखाओ..”
सेल्सगर्ल ने दिखानी शुरू कर दी।
अनु मुझे घूरती रही फिर बोली- “मैं तो नहीं पहनूंगी..”
पर मैं अनु की परवाह किए बिना जीन्स के कलर देखता रहा। फिर मैंने कहा- “इनके साइज की लोग करती और दिखाओ…
अनु ने कहा- “आप समझते क्यों नहीं? में नहीं पहनंगी, क्या फायदा देखने से?”
मैंने कहा- “रुको तो दो मिनट..” और मैंने कुरती भी पसंद कर ली। मैंने जीन्स और कुरती अनु को देते हुए कहा- “जाओं चेंज रूम में जाकर ट्राई करो…”
अनु ने बुरा सा मुँह बनाया।
ऋतु ने कहा- “दीदी ट्राई तो करके देखो। अच्छी लगेगी..”
मैंने कहा- “अगर अच्छी ना लगे तो नहीं लेना। बस ट्राई तो करो एक बार..”
अनु बेमन में चली गई। अनु जब चेंज रूम से बाहर आई तो मेरे मुँह से निकला- “वाऊओ…’
ऋतु भी बोली- “दीदी सच में आप इस ड्रेस में बड़ी प्यारी लग रही हो…’
अनु हम दोनों को ऐसे देखने लगी जैसे की हम उसको झठ बोल रहे हों। फिर जिस सेल्सगर्ल ने इस दिखाई थी उसने भी कहा- “मॅडम ये इस आप पर बड़ी प्यारी लग रही है…..
अनु को तब जाकर कुछ कान्फिडेन्स आया।
मैने अनु से कहा- “तुम ऐसे ही डर रही थी। तुम जीन्स में जितनी प्यारी लग रही हो, इतनी ता सलवार सूट में भी नहीं लगती…”
अनु ने मिरर में देखा और कहा- “हाँ सच में… ये तो मुझपर अच्छी लग रही है…
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मैंने कहा- “अब इसी ड्रेस में चलो..”
अनु बोली- “पक्का बुरी तो नहीं लग रही ना?”
मैंने कहा- “कसम से बड़ी कातिल लग रही हो, पता नहीं कितनों को मार डालिगी?”
अनु शर्मा गईं।
हम सब वहां से निकले तो ऋतु बोली- “दीदी जीन्स के साथ स्टाइलिश सँडल भी होते तो मजा आता..”
मैंने कहा- “वो भी ले लेते हैं, चलो..” हम एक फुटवेर के शोरूम में गये। वहां अनु को सँडल लेकर दिए, और एक शानदार हैंडबैग भी लेकर दिया।
अनु बोली- “आप तो मुझे ऐसे शापिंग करवा रहे हो जैसे की……”
हम जब वहां से बाहर आए तो मैंने अनु को देखा वो सच में बड़ी प्यारी लग रही थी। मैंने अनु से कहा- “अब मेरे साथ-साथ मत चलना। लोग देखकर मेरे से जलने लग जाएंगे…”
अनु बाली- “दनियां को जलने दो मुझं क्या?” कहकर अनु ने मेरे हाथ में अपना हाथ डाल दिया। अब अनु और में ऐसे चल रहे थे जैसे नये कपल हो।
ऋतु ने कहा- “आप दोनों यहां अपना हनीमून माजा रहे हो। मैं भी आपके साथ है.”
मैंने हँसते हुए अनु से कहा- “ये कैसी साली है?”
सुनकर अनु शर्मा गई और ऋतु मुझे ऐसे देखने लगी जैसे की मैने।
थोड़ी देर चुप रहने के बाद अनु ने कहा- “चला मामास खाते हैं.”
मुझे भी मोमोस पसंद हैं। मैंने कहा- “हाँ चलो…”
हम लोग मोमोस खाने लगे। अनु ने मोमोस खाते ही सस्स्सी … सस्स्सी … करनी शुरू कर दी।
मैंने कहा- “मुझे तो इतना तीखा नहीं लगा..”
अनु बोली- “आपको तीखा नहीं लगा और मेरी हालत खराब हो गई… मेरे तो कानों में सीटियां बज रही हैं। सीईई… सस्स्सी ..”
मैंने जल्दी से एक आइसक्रीम लाकर अनु को दे दी। अनु ने झट से आइस्क्रीम खतम कर ली। उसको अब रिलैक्स होने लगा। फिर अनु ने मुझे बड़े ही प्यार से देखा और आँखें बंद करके कहा- “थॅंक्स मेरे बाबू..”
मैंने कहा- “मुझे थॅंक्स क्यों बोल रही हो?”
अनु बोली- “आप मेरी इतनी केयर जो करते हो इसलिए..”
मैंने मुश्कुराकर कहा- “में कभी-कभी केयरलेस भी हो जाता हूँ..”
अनु समझ गई में क्या बोल रहा हूँ। अनु शर्मा गई। उसने अपनी निगाहों को नीचे कर लिया।
ऋतु ने कहा- “आप दोनों के साथ मुझे अब ऐसे लग रहा है जैसे कबाब में हड्डी.”
अनु और में दोनों एकसाथ हँस पड़े।
मैंने ऋतु का हाथ पकड़कर कहा- “चलो अब अनु को हड्डी बनाते हैं…” हम लोग जैसे ही रोड पर आए हल्की हल्की बूंदा बांदी होने लगी। मैंने अनु से कहा- “जल्दी बताओं और कुछ खाने पीने का मन है?”
अनु ने कहा- अभी तो नहीं।
मैंने कहा- फिर जल्दी करो बारिश कहीं तेज ना हो जाए। अनु ने कहा- अब सीधा सम में चलते हैं।
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पर ऋतु का मन नहीं था अभी जाने का। उसने मुँह बनाते हए कहा- “आप दोनों को रूम में जाने की जल्दी क्यों है, मुझे पता है?”
मुझे लगा ऋतु अब बुरा मान गई है। इसलिए मैंने उसको प्यार से कहा- “ऋतु जी, अब जब तक आप नहीं कहोगी हम रूम में नहीं जाएंगे…”
ऋतु मेरी बात सुनकर मुश्कराने लगी। हम लोग फिर इधर-उधर घूमते रहे। अचानक बारिश तेज होने लगी। हम लोग बारिश से बचने के लिए एक जगह रुक गये। हम लोग वहां काफी देर तक रुके रहें, पर बारिश तो और तेज होती जा रही थी।
मैंने ऋतु से कहा- “अब तो यहां से होटेल तक भीगते हुए जाना होगा..”
ऋतु ने कहा- “ये सच मेरी वजह से हुआ है सारी.”
मैंने कहा- “नहीं पार इसमें तुम्हारी क्या गलती है? बारिश तो पहाड़ों पर कभी भी हो जाती है.”
हम लोग बारिश में ही अपने होटल की तरफ चलने लगे। रगम तक जाते-जातें हम सब बुरी तरह भीग गये थे।
अनु की हालत कुछ ज्यादा ही खस्ता हो रही थी, वो ठंड से कॉप रही थी।
मैंने रूम में जाकर ऋतु में कहा- “तुम भी जल्दी से चेंज कर लो, नहीं तो ठंड लग सकती है…” कहकर मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए, फिर अपने जिशम को तालिया से पांछकर बेडशीट में अपने जिएम को लपेट लिया।
अनु को शायद भीगने से ज्यादा ठंड लग गई थी। वो ठंड से काँप रही थी।
मैंने ऋतु से कहा- “अनु को रजाई दे दो..”
ऋतु ने अनु के ऊपर रजाई डाल दी। मैंने विस्की की बोतल खोलकर पेंग बना लिया। में सिप करने लगा। ऋतु मेरे पास आकर बैठ गईं।
मैंने ऋतु से कहा- “अगर तुम्हें ठंड लग रही है तो एक पेग ले लो..”
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ऋतु हिचक कर बोली “कुछ होगा तो नहीं?”
मैंने ऋतु में कहा- “दवाई समझकर पी लो…”
ऋतु ने हाँ में सिर हिला दिया। मैंने एक लार्ज पेग बनाकर ऋतु को दे दिया। वो बुरे-बुरे से मुँह बनाकर पीने
लगी।
फिर मैंने अनु की तरफ देखा तो वो अभी भी ठंड से काँप रही थी और मुझे देख रही थी। मैंने एक छोटा पैग बनाया और अनु के पास चला गया। मैंने अनु के सिर पर हाथ फेरा और उसका कहा- “उठो ये पी ला..”
अनु ने हिचकिचाते हुए कहा- “मैंने तो कभी नहीं पी आज तक..”
मैंने कहा- “इसका दबाई समझकर पी जाओ। देखो ऋतु भी पी रही है..”
अनु ने ऋतु की तरफ देखा। फिर मैं अनु की रजाई में घुस गया। मैंने उसके पीछे बैठकर उसको सहारे से बैठा दिया। अब अनु की कमर मेरे सीने पर थी। अनु मरे से टेक लगाकर बैठी थी।
मैंने उसके हाथ में पेग देते हुए कहा- “मेरे कहने से पी लो.”
अनु ने मुझे देखा और कहा- “आपके कहने से पी रही हैं, कुछ हो गया तो संभाल लेना..”
मैंने अनु के होंठों को किस किया और कहा- “मेरे होते कुछ नहीं होगा..”
अनु ने अपने मह से ग्लास लगाया और एक घट भरा उसने कभी पी नहीं थी इसलिए उसका बड़ा अजीब सा लग रहा था। अनु ने छी-छीः करते हुए कहा- “इसको पीने से गले में चुभन हो रही है.”
मैंने उसको कहा- “देखो में बताता हैं, इसको कैसे पीते हैं?
मैंने ऋतु से कहा- “मेरा पेंग उठाकर मुझे दे दो…”
मैं जब अनु के लिए पेंग लेकर आया था तब अपना पेग वहीं टेबल पर ही छोड़ आया था। ऋतु मेरा पंग उठाकर ले आई। मुझं पंग देकर वो भी मेरे पास ही बैठ गई।
मैंने अनु से कहा- “देखो पहले हल्का-हल्का सिप करो.”
अनु ने हल्का-हल्का सिप किया।
मैंने कहा- “अब ऐसे ही पी …”अनु ने तीन-चार छोटे-छोटे सिप लिए। फिर उसने बड़े सिप लेते हए पेंग खतम कर दिया।
मैंने कहा- “अब बोलो चुभन हुई?”
अनु ने कहा- “नहीं, अब तो कुछ नहीं हुआ..”
मैंने अनु से कहा- “अब तुम रजाई में लेटी रहीं। थोड़ी देर में नार्मल लगने लगेगा…” कहकर मैं उठने लगा।
अनु बोली- “बाबू ऐसे ही बैठे रहो ना, अच्छा लग रहा है.”
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मैंने कहा- “अच्छा जी जैसे आपको अच्छा लगे… मेरा पेंग खतम हो गया था।
मैंने ऋतु से कहा- “बोतल उठाकर यहीं ले आओ..” ऋतु उठकर बोतल ले आई।
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मैंने अपना पंग फिर से बनाया और सिप करने लगा। मैंने ऋतु से एक बार फिर पूछा- “और लोगी बया?”
ऋतु ने भी कह दिया- “हाँ एक और..
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मैंने उसका फिर से लार्ज पेग बना दिया, हम दोनों सिप करते रहे।
ऋतु ने कहा- “आप बिना नमकीन के कैसे पी लेते हो?”
मन हँसते हए कहा- “मैं बड़ा पुराना शराबी हैं… मैं जानबूझ कर ऋतु को बड़े-बड़े पैग बनाकर दे रहा था ताकी वो रात को चैन से सो जाए। मैं अनु के साथ रजाई में बैठा हा एक हाथ से उसकी चूचियों को भी सहला रहा था।
अब अनु का जिम कुछ गरम होने लगा था। विस्की अपना असर दिखा रही थी। फिर मैंने ऋतु में कहा- “यार एक-एक पेग सब पीते हैं, और बोतल को खतम कर देते हैं.”
अनु ने मेरे हाथ को रजाई में जार से दबाया। मैंने उसको देखा तो अपनी आँखों की भाषा से मुझे समझाने लगी। अनु की आँखों के इशारें अब मैं समझने लगा था। उसने इशारे से कहा, “मैं नहीं पियंगी…”
मैंने भी उसकी चूचियों को सहलाकर उसको इशारे से समझा दिया. “तुम चुप रहो…
ऋतु दो पंग के बाद शरण में आ गई थी। उसको और पीने की तलब मच गई। मैंने ऋतु को इस बार पहले से हरू का पेग बनाकर दिया। अपने लिए सेम और अनु को बिल्कुल ही जरा सा पेग बनाकर दिया। अनु मुझे देखने लगी। मैंने उसको प्यार से इशारा किया। उसने पेग पकड़ लिया।
ऋतु में अपना पंग झटके में खतम किया और लंबी सांस लेकर बोली “मुझे नींद आ रही है…”
मैंने कहा- “पहले डिनर तो कर लो, फिर सो जाना..” फिर मैंने रूम सर्विस पर आईर कर दिए, और मैं अपना पेग सिप करने लगा। मैं अभी तक अनु के साथ रजाई में ऐसे ही बैठा था।
मैंने अनु से कहा- “अपना पेग खतम करो जल्दी से..”
ऋतु को कुछ ज्यादा ही नशा हो गया था। उसकी हालत देखकर मैंने कहा- “ऋतु तुम थोड़ी देर सो जाओ। जब डिनर आ जाएगा मैं तुमको उठा दूँगा.”
ऋतु के मन में जो बात दबी हई थी वो नशे की वजह से उसके मुंह से निकल गई। उसने कहा- “मैंने आज आप दोनों के बीच में सोना है। आप दोनों को आज अलग-अलग साना पड़ेगा…”
ऋतु की बात सुनकर अनु मुझे देखने लगी। मैंने उसको इशारा किया की वो कुछ ना बोले। मैंने उठकर ऋतु से कहा- “तुम अनु के पास सो जाओ। में बेड के इस साइड में सो जाऊँगा..”
ऋतु अनु के पास सो गई। मैं अपनी साइड में लेट गया। ऋतु का लेटते ही नींद आ गई। मैं कुछ देर ऐसे ही लेटा रहा। इतने में डिनर भी आ गया। मैंने अनु से कहा- “ऋतु को उठा दो..”
अनु ने ऋतु का उठाने की कोशिश की पर ऋतु की नींद नहीं खुली।
मैंने अनु से कहा- “आओं तुम डिनर कर लो। ऋतु जब उठेगी उसके लिए फिर से आ जाएगा… हम दोनों डिनर करने लगे।
अनु भी हल्के शरण में थी उसने मुझसे कहा- “देखा आपने ऋतु का?”
मैंने मुश्कुराकर कहा- “जाने दो, बो अभी होश में नहीं है.”
पर अनु बोली- “मुझे उसकी ये बाद गलत लगी..”
मैंने अनु को प्यार से समझाते हए कहा- “अनु तुम शायद उसकी बात का गलत मतलब निकाल रही हो.. असल में वो खुद को अकेला महसूस कर रही होगी…”
अनु मेरी बात सुनकर और गुस्से में आ गई। उसकी आँखों में नमी भर आई। मुझे बोली- “आप उसका इतना फेवर कर रहे हो। मेरी बात की कोई कीमत ही नहीं आपकी नजर में… और अनु ने खाना बीच में ही छोड़ दिया।
Mera boss bhi muze dekh badi jibh laplapata hei, soch rahi hun lelu sale ko andar…