मुझे हँसी आ गई। मैंने कहा- “अनु देखो इसको ये फिर से चुग्गा मार रही है.”
अनु ने कहा- “आप दोनों की बात है, मैं क्या कहूँ? ये तो कुलफी है। आपका तो पता नहीं में क्या-क्या खाती है.”
मैंने उसको देखा तो अनु के चेहरे पर बड़ी शरारत थी। मुश्कुरा के बोली- “मैंने सही कहां ना?”
में भी अब अन् से फेंक हो गया था। मैंने कहा- “आप भी खा लीजिए, हमने कब मना किया है?”
अनु बोली- “अच्छा जी ट्राई करेंगे कभी..”
मैंने कहा- “कभी भी…”
फिर हम घर आ गये। मैंने सबको ड्रॉप किया। मैंने शोभा से कहा- “हम सबका नैनीताल जाने का प्रोग्राम बन
गया है। आप अनु के बेबी को एक दिन के लिए रख लीजिए, और अनु को जाने दीजिए। उसका बहुत मन है..”
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शोभा ने अनु को देखा, तो उसने हौं कहा।
तब शोभा बोली- “अगर आप सबकी मर्जी है तो मैं क्या कहूँ? कब जाना है?”
ऋतु ने कहा- परसों।
में वापिस आ गया। मैंने आने से पहले ऋतु से कहा- “आज बात कर लेना..”
ऋतु बोली- “मैं सब कर लूगी। आप फिकर नहीं करिए, काम हो जाएगा..”
अगले दिन ऋतु ने मुझे गुड न्यूज दी की दीदी से सब बात हो गई है।
मैंने कहा- “फिर कब के लिए कहा अनु ने?”
ऋतु ने मुझे आँख मारते हुए कहा- “आपका काम नैनीताल में हो जाएगा.”
मुझे हसी आ गई।
फिर ऋतु ने कहा- “मुझे दीदी के साथ शापिंग करने जाना है। कल नैनीताल जाना है इसलिए दीदी को कुछ जरूरी सामान लेना है।
मैंने कहा- “मैं भी चलता हैं। तुम अनु को आफिस में बुला लो..”
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ऋतु ने फोन करके अनु को बुला लिया। अनु थोड़ी देर मेरै केबिन में बैठी। फिर हम तीनों शापिंग करने चले गये। अनु ने कुछ अपनें काम की चीज़ ली। फिर मैंने वहां अनु को अपनी पसंद का एक सूट दिलवाया।
तब ऋतु में कहा- “मुझे भी लेना है..” तो मैंने उसको जीन्स टाप दिलवाया।
मैंने अनु से कहा- “आप जीन्स नहीं पहनती?”
अनु ने कहा- “पहले पहनती थी.” और शर्माते हुए- “अब जरा अच्छा नहीं लगता…”
मैं मन में सोचने लगा- “इसकी गाण्ड भारी होने की वजह से नहीं पहनती होगी.”
मैंने कहा- “हौं जो अच्छा लगे वहीं पहनना सही है…. फिर मैंने अन् से कहा- “आपसे मिलने के बाद आपसे दूर होने का मन नहीं करता। पर आपको घर जाना है इसलिए चलिए आपको घर छोड़ आता हैं..” फिर मैंने उन दोनों को घर छोड़ दिया।अगले दिन सुबह में जल्दी से उठ गया। तैयार होकर मैंने ऋतु को फोन किया।
ऋतु ने कहा- “हमलोग तैयार हैं.”
में कार लेकर ऋतु के घर पहुँचा। वो दोनों तैयार थीं। दोनों ने अपना लगेज कार में रखा और हम सब चल पड़े। मैंने थोड़ी दर जाने के बाद कार रोकी और अनु से कहा- “तुम आगे आकर बैठो..”
मैंने मत का इशारा किया बो पीछे चली गई मैंने कार स्टार्ट करी।
अनु ने कहा- “कोई म्यूजिक चला दीजिए.”
मैंने कहा- “कैसा म्यूजिक पसंद है?”
अनु ने कहा- कोई भी चलेगा।
मैंने कहा- कोई भी?
अनु ने कहा- “जी..”
मैंने कहा- मेरी पसंद का सुनोगी?
अनु ने कहा- हाँ जी।
मैंने पंजाबी गाने की सी.डी. चला दी।
अनु ने कहा- वाह… क्या पसंद है आपकी?
मैंने कहा- “थैक्स…”
फिर हम लोग बातें करते रहे मैंने बातों-बातों में अपना हाथ अनु की जाँघ पर रख दिया। अनु ने आज भी सलवार सूट पहना हुआ था। उसकी जाँघ पर हाथ रखा तो एहसास हुआ माल थोड़ा भारी है पर चिकना है। अनु ने मुझे देखा और स्माइल दी। मैं समझ गया लाइन साफ है। मैंने अपने हाथ से उसकी जाँघ को सहलाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे मेरा हाथ उसकी जाँघ में काफी ऊपर जहां से चूत का जोड़ शुरू हो जाता है वहां तक कर दिया अब अनु को कुछ-कुछ होने लगा, उसने अपनी दोनों जंगो को आपस में चिपका लिया।
मैंने कुछ कहा नहीं। मैं अपनी उंगलियों से उसको गरम करता रहा। फिर मैंने उसकी चूत पर हाथ रख दिया और अपने हाथ से उसकी जांघों को अलग कर दिया। उसने मुझे बड़ी चुदासी नजर से देखते हुए अपनी जांघों को अलग कर लिया। मैंने कुछ कहा नहीं। मैं अपनी उंगलियों से उसको गरम करता रहा। फिर मैंने उसकी चूत पर हाथ रख दिया और अपने हाथ से उसकी जांघों को अलग कर दिया। उसने मुझे बड़ी चुदासी नजर से देखते हुए अपनी जांघों को अलग कर लिया।
मैंने फिर उसकी चूत पर हाथ फेरना शुरु कर दिया तो अन् ने अपनी आँखें बंद कर ली। मैंने देखा ऋतु को झपकी आ गई थी। मैंने अपना हाथ अनु के चेहरे पर फिराना शुरू कर दिया। मैंने अपनी उंगली उसके गाल से फेरते हुए उसके होंठों पर जाकर रोक दी। उसने मेरी उंगली को अपने मुँह में ले लिया और चसने लगी। मुझे उसकी ये अदा बड़ी पसंद आई। मैं समझ गया की ये मेरी उंगली को लण्ड समझकर चूस रही है, इसको लण्ड चूसने का मन कर रहा है।
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फिर मैंने अपने लण्ड पर उसका हाथ रख दिया। उसका हाथ रखते ही लण्ड ने झटके मारने शुरू कर दिए। अनु ने मेरे लौड़े को सहलाना शुरु कर दिया और मुझे चुदासी नजर से देखा। मैंने उसको फ्लाइंग किस किया। उसने भी जवाब दिया। वो मेरे लण्ड पर हाथ फेर रही थी बल्कि , समझ लो की वो उसका साइज नाप रही थी।
मैंने उसको धीरे से कहा- “बाहर निकाल क्या?”
अनु ने मुझे तिरछी नजर से देखा और अपना सर हिला दिया।
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मैंने अपनी जिप खोली और लण्ड बाहर निकाल दिया। अब मेरा नंगा लौड़ा अनु के हाथ में था। वो उसको बड़े ही प्यार से ऊपर-नीचे कर रही थी। उसका हाथ मेरे सुपाड़े में नीचं तक फिसल रहा था। मैं खुद को रोक नहीं पा रहा था। मैंने उसका हाथ पकड़कर अपने लण्ड पर कस दिया, और उसके हाथ को जोर-जोर से ऊपर-नीचे करने लगा। दो मिनट में मेरा माल निकल गया। अन् के हाथ मेरे माल से लिसलिसे हो गये। मैंने उसको देखा तो वा मुझे शिकायत भरी नजरों से देखने लगी।
मैंने उसको शरारत से देखते हुए कहा- “इसे चाट के देखो, क्रीम का टेस्ट आएगा…”
अनु ने मुँह बिचकाया।
मैंने उसको कहा- “एक बार ट्राई तो करो। अच्छा ना लगे तो फिर कहना…”
अन् ने हिचकते हए अपनी उंगली पर जीभ रखी और फिर पता नहीं उसको क्या हआ उसने अपना पूरा हाथ ऐसे चाटना शुरू किया की जब तक सब चाट नहीं लिया रूकी नहीं। मैं उसको देखता रहा। बो ऐसे लग रही थी जैसे की वो सच में कीम चाट रही हो। अनु ने मुझे देखा तो मैं मुश्कुराया और वो शर्मा गईं।
मैंने कहा- कैसा लगा?
अनु ने कुछ नहीं कहा।
मैंने कहा- “मुँह से नहीं बताना है तो इशारे में बता दो.”
अनु ने मुझे देखा।
मैंने उसको कहा- “चलो हों या ना में बता दो…”
अनु ने सिर हिला दिया। मैं समझ गया इसको पसंद आया है।
इतने में ऋतु की नींद खुल गई वो बोली- “कहां तक आ गये। अभी कितनी दूर है?”
मैंने कहा- “अभी 25-30 किलोमीटर है…”
ऋतु बोली- “अच्छा तो मैं सो रही हैं, उठा देना जब आ जाए..” और बो सो गई।
मैंने अनु से कहा- “तुमने तो मेरी कीम का टेस्ट ले लिया अब मुझे अपनी क्रीम का स्वाद कब चखाओगी?”
–अनु झोपते हुए बोली- “मुझे नहीं पता..”
मैंने कहा- मेरा तो अभी से मन कर रहा है।
अनु बोली- अभी नहीं, वहां जाकर ।
मैंने उसको कहा- “मुझे वहां जाने तक तड़पाओगी?”
अनु ने मुझे बड़े प्यार से देखते हए कहा- “मेरे बाबू, यहां कुछ नहीं हो सकता वहां जाकर करना.”
मैंने कहा- “अच्छा जी, मान लिया…”
अनु फिर से मुझे बोली- “मेरा बाबू कितना स्वीट है.”
मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने मुझे प्यार से देखते हुए आँख मारी। मैंने कहा- “बाबू क्यों बोला मझे?”
अनु बोली- “आइडिया लगाइए?”
मैं सोचने लगा। हम दोनों एक दूसरे से रसभरी बातें करते रहे। बातों-बातों में हम होटेल तक पहुँच गये। मैंने होटल में रूम पहले ही बुक करवाया हुआ था। पार्किग से उसका बेटर आकर सामान ले गया। हम रिसेप्शन पर पहुँच गये। मैंने रिसेप्शनिस्ट को अपना नाम बताया, उसने मुझे बेलकम करते हुए चाभी दे दी।
अनु ने मुझे कहा- “ये तो 5-स्टार लग रहा है.”
मैंने कहा- “हाँ, मुझे भी..”
अनु मकरा उठी मैंने मन में सोचा- “में जो भी लागत लगा रहा है, वो सब तेरे से परी कर लैंगा। मैं हर चीज की कीमत वसूल कर लेता हूँ…..
हम लोग सीधा अपने रूम में पहुँचे।
मैंने रूम में जाते ही कहा- “पहले थोड़ी देर आराम करते हैं। कार में बैठे-बैठे बैंड बज गई…”
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अनु ने भी कहा- “हौं। पहले थोड़ा आराम करते हैं.”
फिर हम तीनों बेड पर लेट गये। मेरी आँखों से नींद गायब थी। मैं तो अनु को चोदने के लिए यहां लाया था मैं कैसे सो जाता? अन् का भी यही हाल था। मैंने उठकर देखा तो अन् की आँखें खुली थी। उसने मुझे देखा तो मैंने उसको चुप रहने का इशारा किया और उसको इशारे से कहा- “बाथरूम में चलो..”
मैं बाथरूम में गया। अनु भी आ गई। मैंने आते ही उसको अपनी बाहों में ले लिया, अन् के होंठों पर अपने होंठों चिपका दिए। सच कहूँ तो अनु ऋतु से भी ज्यादा गरम थी। उसने मुझे ऐसे दबोच लिया जैसे वो कब से भूखी हो। हम दोनों एक दूसरे से चिपटे रहे। मैं उसकी जांघों को सहलाता रहा।
मैंने उसकी गोल मटोल गाण्ड पर हाथ फेरकर कहा- “अनु मैंने जबसे तुम्हें देखा है, तुम्हारे लिए तड़फ रहा हूँ..”
अनु ने मुझे खुद से और कसकर चिपकाते हुए कहा- “संजय, मैं भी तड़फ रही हूँ तुमसे मिलने को…”
हम जिस हालत में थे, अगर कोई देखता तो उसे ऐसा लगता जैसे की हम दोनों काई बिछड़े हुए प्रेमी हैं। मैंने अनु की छातियों को अपने हाथों में पकड़ लिया। उसकी चूचियां बड़ी-बड़ी जरर थी पर थी, लेकिन टाइट थी। मैंने उसको बड़े प्यार से सहलाया। क्योंकी अन् अभी तक दूध पिलाती थी। ज्यादा जोर से दबाने से उसका दूध बाहर आ सकता था और मैं ऐसा नहीं चाहता था।
फिर मैंने अनु को घुमा दिया। मैं अनु को पीछे से उसकी चूचियों को सहलाते हुए उसकी गर्दन को चाटने लगा।
मेरे इस किस से अनु के पूरे जिम में सनसनी उठने लगी। मैंने उसकी गढ़ेदार गाण्ड पर अपना लण्ड पर हुए उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया। उसकी सलवार हलके से उसके पैरों में गिर गई। अनु में ब्लैक कलर की पैंटी पहनी हुई थी। उसका पेट थोड़ा सा निकला हुआ था। अक्सर बच्चा पैदा होने के बाद लड़कियों का पेट थोड़ा सा निकाल आता है। मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया, उसकी चूत को बाहर से सहलाया सफाचट चूत थी। मैंने अपनी उंगली उसकी चूत की फांकों में फंसा दी।
अनु मस्ती से बोली- “सस्स्सी … क्या करते हो?”
मैंने कहा- “उसको देख रहा हूँ, जो मुझे कब से तड़पा रही है?” और कहते हए अनु की गर्दन पर अपनी जीभ फर दी।
अनु का शायद ये अच्छा लगा। उसने मुझसे कहा- “आपके ऐसा करने से मुझे कुछ-कुछ होता है.”
मैंने दिल में सोचा- “में भी तो यही चाहता हैं…”
मैंने उसकी चूत में अपनी उंगली डाल दी। अनु की चूत पहले से गीली थी। मैंने उसकी चूत में जब उंगली डाली तो वो गनगना उठी। उसने अपनी गाण्ड को और पीछे कर दिया। मेरे लौड़े को उसकी गाण्ड की रगड़ से और मजा आने लगा मैंने 10-15 बार उंगली अंदर- बाहर की और उंगली को निकाल लिया। अन् तो जैसे सोच रही थी की मैं उंगली निकालू ही नहीं, उसको इतना मजा आ रहा था।
मैंने अपनी उंगली को पहले सँधा। बाह क्या स्मेल थी उसकी चूत की। फिर मैंने उंगली को मुँह में रखा और चूसने लगा। अन् की चूत का रस टेस्ट में से कम नहीं था। मेरे लण्ड में तो अन् को चादर्जे का इरादा बना लिए था। पर मैंने अपने लण्ड को समझते हए अन् को कहा- “तुम अपने कपड़े पहन लो…”
अनु भी पूरे मूड में आ चुकी थी। मुझे देखा और बेमन से अपनी सलवार पहन ली।
मुझे अभी अन् के जिश्म को पूरी तरह से भागना था। मैंने उसको कहा- “तुम अब बाहर जाओ, मैं भी आता हैं काफी देर हो गई हमें यहां..”
अन् ने कहा- “हाँ। कहीं ऋतु को पता ना चल गया हो…”
मैंने अनु से कहा- “ऋतु की फिकर मत करो, उसको मैंने पहले से ही बता दिया है..”
अनु ने मुझे देखा तो मैंने कहा- “हम यहां ऋतु की मज़ी से ही आए हैं
अनु ने मुश्कुराकर कहा- “बड़े वा हो आप..”
बाहर आकर हम दोनों थोड़ी देर सो गये। थोड़ी देर बाद ऋतु में उठाया- “उठिए कहीं चलना है या नहीं?”
हम सब तैयार होकर कम से निकले और माल-रोड पर घमने आ गये।
ऋतु ने कहा- “झील में बॉटिंग करते हैं.”
Mera boss bhi muze dekh badi jibh laplapata hei, soch rahi hun lelu sale ko andar…