अनु बोली- “अरे आप अभी तो आए हैं, अभी जा रहे हैं। डिनर करके जाइए ना..”
मैंने कहा- नहीं नहीं थैक्स। मैं तो बिना बताए आ गया। आप परेशान नहीं होइए।
अनु समझ गई मुझे पता है की अभी डिनर की कोई तैयारी नहीं है। अनु ने ऋतु को देखा।
ऋतु ने कहा- चलिए आज कहीं बाहर डिनर कर के आते हैं।
मैंने कहा- “ओके… पर एक शर्त पर। डिनर मेरी तरफ से होगा…”
ऋतु बोली- “ऐसा कैसे हो सकता है? आप हमारे घर आए हैं, हम आपको लेकर जाएंगे.”
मैंने ऋतु को कहा- “फिर मैं नहीं जाने वाला..”
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सुनकर ऋतु शरारत से बोली- “अच्छा सर, आपकी जैसी मज़ीं। वैसे भी आपके आगे किसी की चलती है क्या? सर हम 10 मिनट में तैयार हो जाएंगे। तब तक आप मम्मी से बात कीजिए..”
अनु, शिल्पा, मैं और ऋतु सब घर से निकले। मैं सबको अपनी पसंद के रेस्टोरेंट में ले गया।
वहां जाकर शिल्पा अनु से बोली- “अनु दीदी यहां का खाना बड़ा टेस्टी होता है…”
मैंने शिल्पा को देखा और उसको कहा- “तुम यहां पहले भी आई हो?”
शिल्पा बोली “नो सर, पहला टाइम आई हैं। वो तो मेरी दोस्तों ने बताया था इसलिए मैंने कहा..”
मैंने कहा- “चलो आज खुद ही टेस्ट करके देख लेना..”
हम सब अंदर जाकर बैठ गये। टेबल के इस साइड में अनु और शिल्पा थी। ऋतु और मैं दूसरी साइइ थे। मेरे सामनें अनु थी मैंने उसको पूछा- “डिनर से पहले क्या लेंगी आप?”
अनु बोली- “जो आप लेंगे..”
मैंने कहा- “मैं बियर पियूँगा। अगर आपको भी बियर पीनी है तो आईर कर…”
अनु ने कहा- “नहीं नहीं मैंने कभी नहीं पी.”
मैंने मुश्कुराते हुए कहा “आप सूप पीजिए। मैं बियर पियूँगा तो आपको बुरा तो नहीं लगेगा?”
अनु ने स्माइल देते हुए कहा- “नहीं आप लीजिए, मुझे कोई बुरा नहीं लगेगा..”
मैंने वेटर बुलाया और आईर दिया, 3 सूप और एक बियर का। 5 मिनट में आईर सर्व हो गया। मैंने अपने ग्लास को उठाते हुए सिप किया, और कहा- “आपको और क्या-क्या पसंद है?”
अनु ने कहा- “मुझे पहाड़ों पर जाना बहुत पसन्द है.”
मैंने कहा- “आप नैनीताल गई हो?”
उसने बताया- नहीं।
मैंने कहा- “आप जब से यहां आई हो कहीं घुमने गई या नहीं?”
अनु ने कहा- “कैसे जाएं ऋतु जाब पर चली जाती हैं। शिल्पा कालेज। मम्मी और मैं घर पर ही टाइम पास कर लेते हैं। कहीं जाने का मौका ही नहीं मिलता… मैंने कहा- “आप जब से यहां आई हो कहीं घुमने गई या नहीं?”
अनु ने कहा- “कैसे जाएं ऋतु जाब पर चली जाती हैं। शिल्पा कालेज। मम्मी और मैं घर पर ही टाइम पास कर लेते हैं। कहीं जाने का मौका ही नहीं मिलता…
मैंने कहा- “अगर आप कहो तो हम सब जैनीताल चलें एक दिन के लिए। पर आपका मूड हो तब मैं पायाम बनाऊँ..” कहकर मैंने अनु को देखा।
अनु ने हिचकते हुए कहा- “एक दिन में आना जाना मुश्किल हो जाता है, और मेरा बेबी अभी छोटा है। मुश्किल हो जाएगा… फिर बोली- “रहने दीजिए…”
मैंने कहा- “अरें इसमें क्या बात है? आप, मैं, ऋतु सब चलते हैं और मैंने शिल्पा से कहा- तुम भी चला…”
शिल्पा बोली “नहीं सर, मुझे तो कालेज में काम है। मैं नहीं जा सकती…”
ऋतु ने कहा- “दीदी चलो ना… बड़ा मजा आएगा, खूब मस्ती करेंगे वहां…”
अनु बोली- “मम्मी जाने देंगी तब ना?”
मैंने कहा- “आप उनकी चिंता मत करो। उनको मैं समझा लेंगा। बस आप ही करो…”
अनु बोली- “मेरी तो कोई मना नहीं है…”
मैंने कहा- फिर ठीक है। हम सब परसा चलते हैं, सथ ही अगले दिन ऑफिस भी आफ है। आराम भी हो जाएगा..”
ऋतु बोली. “सर इतनी दूर एक दिन में आना जाना हो जाएगा?”
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मैंने कहा- “हम सुबह जल्दी निकाल जाएंगे। रात तक आ जाएंगे, 4-5 घंटे वहां मस्ती हो जाएगी…”
ऋतु बोली- “ये ठीक है..”
इतने में डिनर लग गया। हम सब डिनर करने लगे। अत् बार-बार मेरी प्लेट से खाना खा रही थी।
अनु सब देख रही थी। जब अनु से रहा नहीं गया तो बोली- “आप दोनों तो एक प्लेट में ही खा लेते हैं….’
मैंने हँसते हुए कहा- “इसको चिड़िया की तरह चुग्गै मारने की आदत है..”
ऋतु शर्मा गई और अनु हँस पड़ी बोली- “यही तो प्यार होता है.”
फिर डिनर के बाद हम वहां से निकले तो रास्ते में ऋतु बोली- “मुझं कुलफी खानी है.”
मैंने कहा- “ओके खिलाता है…” और एक जगह कार रोकी और कुलफी का आईर दिया। 4 कुलफी कार में आ गई। ऋतु में जल्दी से अपनी कुलफी खा ली।
मैंने कहा- “और खानी हैं तो बोलो..”
ऋतु ने कहा- “नहीं खानी..” फिर एकदम से मेरी कुलफी लेकर खाने लगी।
Mera boss bhi muze dekh badi jibh laplapata hei, soch rahi hun lelu sale ko andar…