मैंने कहा- “फिर भी कुछ पता तो चले हमें भी बताओ..”
ऋतु ने मुझे छेड़ते हए कहा, “आपके बताने की बात नहीं है. उसके चेहरा से साफ लग रहा था की वो कछ छुपा रही है।
पर मैं कहां मानने वाला था। मैंने कहा- “प्लीज बताओं ना…”
तब ऋतु बोली- “वो हमारी पसनल बातें थी..”
मैंने उसको अपनी गोद में खींच लिया और उसकी चूचियों को दबाते हए कहा- “अब हमसे भी ज्यादा कुछ परसजल हो गया है?”
ऋतु बोली- “नहीं आपमें कुछ नहीं पाती है। पर वो ना कुछ और बात थी..’ कहते-कहते उसके चेहरे पर शर्म
छा गई।
मैंने उसको कहा- “अगर तुम मुझे नहीं बताना चाहती तो मत बताओ। मैं भी अब तुमसे पर्सनल बातें नहीं शेयर करेंगा…
ऋतु ने कहा- “आप तो नाराज हो गये। अच्छा बाबा मैं आपको सब बताती है। पर पहले आप कसम खाइए की ये बातें सिर्फ आप अपने तक ही रखोगे…”
मैंने उसको कहा- “मैं तुम्हारी कसम खाता हूँ..”
ऋतु ने बताना शुरू किया. “कल रात जब जीज चले गये तब दीदी ने कहा- “मैं आज ऋतु के साथ सो साऊँगी..”
इसलिए शिल्पा मम्मी के रूम में सो गई, मैं और दीदी दसरे रूम में सो गये। मैं दीदी से काफी फ्रैंक हैं। दीदी
और में एक दूसरे से सब तरह की बातें शेयर करती हैं। पहले तो दीदी अपनी ही बातें करती रही।
फिर दीदी ने मुझसे कहा- “ऋतु तेरी बाड़ी में एकदम से चेंज आ गया है। मैंने ये बात तभी नोटिस कर ली थी जब तू मेरे घर आई थी। पर वहां मुझे बात करने का मौका नहीं मिला। अब बता क्या कर रही है आजकल?”
मैंने ऋतु से कहा- “फिर तुमने क्या कहा?”
ऋतु बोली- “ना जानें क्यों में दीदी से कुछ छुपा नहीं पाई, और मैंने दीदी को सब बता दिया की कैसे मैं आपसे मिली और फिर क्या-क्या हुआ?”
मैंने कहा- फिर अनु ने क्या कहा?”
ऋतु- “दीदी ने कहा की ये सब मेरी बजह मा है। मेरी शादी के लिए अगर मम्मी ने लोन ना लिया होता तो तुम्हारे साथ ये सब नहीं होता। मेरी बजह से तुम्हारी लाइफ बर्बाद हो गई.”
मैंने थोड़ा अपने को संभालते हुए कहा- “फिर तुमने क्या कहा?”
ऋतु- “मैंने कहा की नहीं दीदी ऐसा कुछ नहीं है। वो बड़े अच्छे इंसान हैं। उन्होंने मुझे पाने के लिए जो कुछ भी किया बेशक वो देखने में गलत लगता हो। पर वो मुझे जिस तरह प्यार करते हैं, शायद मेरा पति भी नहीं करता….
ये सुनकर दीदी ने मुझसे हैरान होकर पूछा “इसका मतलब तू इस बात से खुश है?”
–
मैंने कहा- “हौं। मैं उनसे बहुत खुश हैं। शायद मुझे अपनी लाइफ में उनसे बढ़कर कोई मिल भी नहीं सकता था..” और ऋतु मुझे बड़े प्यार से देखने लगी।
मैंने कहा- बस यही बातें करती रही रात भर या कोई और बात भी हुई?ऋतु बोली- “और भी बहुत बातें हुईं अभी मैं आपको सब बता रही है रुकिये तो…”
उसके बाद दीदी ने मुझसे पूछा- “तुझे सेक्स में मजा आता है या मजकी समझ के करती है?”
मैंने कहा- “पहली बार तो इतना दर्द हुआ था की लगने लगा था जैसे मर जाऊँगी। पर अब मजा आता है…”
दीदी हँसते हए बोली- “पागल पहली बार तो सबको दर्द होता है। पर मजा लेने के लिए थोड़ा सा दर्द तो सहना ही पड़ता है..” फिर दीदी ने मुझसे पूछा- “आपका लण्ड कितना बड़ा है?”
मैंने उनको जब बताया तो एकदम से उनके चेहरा के भाव बदल गये थे। ऐसा लग रहा था जैसे की उन्हें मुझसे जलन होने लगी हो। फिर अन् दीदी के मुंह से निकला- “हाय राम… इतना बड़ा लण्ड… काश मुझे भी मिलता..”
मैंने दीदी से कहा- “जीजू का छोटा है क्या?”
दीदी ने कहा- “नहीं। इतना छोटा भी नहीं है पर तेरे वाले का साइज इनसे बड़ा है। पर मुझे तो जो मिलना था मिल गया अब क्या होना है?” फिर दीदी ने मुझ से पूछा- “वो तुझं रोज चोदता है या कभी-कभी?”
तब मैंने बता दिया- “मुझं रोज ही चोदते हैं, और कई बार तो दो-दो बार भी हो जाता है, और हम तो अब नई नई स्टाइल में सेक्स का मजा लेते हैं…’ कहकर ऋतु ने मुझे शरारत से देखा।
में भी मुश्कुरा पड़ा। मुझे अब्ब मजा आने लगा था। क्योंकी ऋतु अब सब बात बिना शर्माये बता रही थी। मैंने कहा- “फिर उनका क्या रिएक्सन था?”
दीदी ने ये सुनकर आइ: भरी और बोली. “हम तो सिर्फ अपनी टांगों को फैलाकर पड़ जाते हैं, और वो अपना काम निकालकर मुँह फेर के सो जाते हैं। मैं सारी-सारी रात आग में झुलसती रहती हैं, उनको कुछ खबर ही नहीं होती…”
मैंने ऋतु में कहा- “अनु से तुमने ये नहीं पूछा की वो लोग ओरल सेक्स करते है या नहीं?”
ऋतु बोली- “मैंने पूछा था पर वो बोली की जीज सीधा चुदाई करने लग जाते हैं और कुछ नहीं करते। अगर मैं कहूँ भी तो मेरी बात टाल देते हैं। जीजू दीदी की सिर्फ उसी चीज को ही काम में लेते हैं, बाकी उनको कुछ नहीं करना होता…
मैंने कहा- उसी चीज का मतलब?
ऋतु ने शर्माते हए कहा- “जाओ मैं आपसे बात नहीं कर रही। आप मेरे मुँह से क्या-क्या बुलवा रहे हो?”
मैंने कहा- “अच्छा-अच्छा मैं समझ गया। तुम आगे बताओं और क्या कहा अनु ने?”
ऋतु बोली- “फिर मैंने और दीदी ने एक दूसरे की चूचिया दबाड़ और एक दूसरे की….”
मैंने कहा- “साफ-साफ बताओ ना?”
ऋतु बोली- “आप समझ जाओ ना.”
मैंने कहा- “मुझे समझ में नहीं आया, तुम साफ बता दो। अब सब बता दिया फिर क्यों शर्मा रही हो?”
ऋतु ने कहा- “हम दोनों ने एक दूसरे की चूत को चाटा…”
मैंने कहा- अन् को मजा आया?
मैंने कहा- “मुझे समझ में नहीं आया, तुम साफ बता दो। अब सब बता दिया फिर क्यों शर्मा रही हो?”
ऋतु ने कहा- “हम दोनों ने एक दूसरे की चूत को चाटा…”
मैंने कहा- अन् को मजा आया?
ऋतु ने कहा- “वो तो पागल हो गई थी, बोली की मैंने आज तक इतना सुख कभी नहीं पाया, जितना तूने मुझे दिया है। और आपको पता है मैंने जब दीदी से कहा की मैं तो कुछ भी नहीं करना जानती जितना बो (मेरे लिए) जानते हैं। वो जब मेरी चूत को चाटते हैं तो ऐसा लगता है जैसे मैं स्वर्ग में आ गई हैं..” कहते-कहते उसने अपनी निगाहों को मुझसे चुरा लिया।
मैंने कहा- “तुमने मुझे तो ये बात कभी नहीं बताई की मैं जब तुम्हारी चूत चाटता हूँ, तुम स्वर्ग में चली जाती हो.”
ऋतु बोली- “आपको क्या बताऊँ मैं… आपको खुद पता चलना चाहिए…”
मैंने कहा- “हाँ, ये तो मेरी कमी है। चलो अब पता चल गया…” और मैं उसको बोला- “अब मैं तुमको इससे भी ज्यादा मजा दूंगा..”
फिर मैंने कहा- “तुम्हारी दीदी ने फिर क्या कहा?”
ऋतु बोली- “उन्होंने कहा तो कुछ भी नहीं पर आपकी बातें मुझसे सुन-सुनकर उनको कुछ हो जाता था.”
मैंने ऋतु से कहा- “ऋतु एक काम करोगी?”
ऋतु ने पूछा- क्या?
मैंने कहा- “आज रात को तुम अपनी दीदी के साथ जब बात करो, तब अपने मोबाइल में रेकार्ड कर लेजा। पर ये बात अनु को पता नहीं चलनी चाहिए की बातें रेकार्ड हो रही हैं..”
ऋतु मेरी बात सुनकर बोली- “सर, ये ठीक नहीं है, मैं ऐसा नहीं करूँगी। दीदी मुझे अपना समझकर मेरे से बात करती हैं, मैं उनको धोखा नहीं दे सकती.”
मैंने ऋतु से कहा- “तुम मुझसे ऐसी बात कर रही हो? मैं क्या गैर हैं? मैं तो ये देखना चाहता हूँ की तुम लोग कैसी बात करते हो। मुझे आज तुमने जो बातें बताई हैं, उनको सुनकर ही इतना उत्तेजित हो गया है और जब मैं तुम लोगों की असली आवाज में बातचीत सुनूँगा, तो उसमें कितना मजा आएगा?”
ऋतु बोली- “नहीं सर। में आपको जो भी बात होगी सब आकर बता दूँगी । पर प्लीज… आप मुझे ये सब करने को मत कहिए…”
मैंने ऋतु को एमोशनल ब्लैकमेल करते हुए कहा- “मैं तुमको अपनी बाइफ समझता हैं, और तुम मेरी इतनी छोटी सी बात नहीं मान सकती। तम्हारी इस बात से मझे लग रहा है की तम मुझे अपना हब्बी नहीं मानती। अगर मानती होती तो अपने हब्बी के लिए इतना भी नहीं करती?” मेरा तीर सही निशाने पर लगा।
ऋतु ने हथियार डाल दिए और बोली- “मैं आपकी बात मानकर जैसा आप कहोगे वैसा करेंगी। पर आप कभी ऐसा नहीं कहना…”
मैंने कहा- “अपने मोबाइल की रेकार्डिंग जरा चेक करवाओं मुझे?”
फिर मैंने उसके मोबाइल मैं अपनी आवाज की काई करी और सुनी। मस्त साफ आवाज थी। मैं खुश हो गया। मैंने मन में सोचा मोबाइल की कीमत डबल हो गई।
मैने ऋतु को कहा. “अब तुम जाओ। तुम आराम करोगी तभी रात को बातें करोगी..’
ऋतु चली गई।
Mera boss bhi muze dekh badi jibh laplapata hei, soch rahi hun lelu sale ko andar…