मैंने सूस करना शुरू कर दिया। शोभा मेरे लौड़े को बीच-बीच में कस के दबा देती थी, जिससे मेरा सस रुक जाता था। फिर एकदम से छोड़ देती जिसमें धार बनकर मूस आता था। मैं शोभा की इस हरकत को देख रहा था की साली कितनी कमीनी है, मुझे हर तरीके से मजा दे रही है। हम दोनों बेडरूम में आ गये।
मैंने शोभा से कहा- “थोड़ी-थोड़ी बियर और पीते हैं.”
शोभा ने हाँ कर दी। मैंने फ़िज़ से बिगर निकाली और उल्लास में डालकर शोभा को दी, और बोतल अपने मुँह से लगा ली। शोभा मुझे इस तरह सहयोग देगी मैं सोच भी नहीं सकता था।
मैंने शोभा को कहा- “में अब तुम्हारी गाण्ड का मजा लेना चाहता है.”
शोभा बोली- “इसका मतलब आपको मेरी चूत में मजा नहीं आया?”
मैंने कहा- “ऐसा कुछ नहीं है। मैं तो बस तुम्हारी गाण्ड का दीवाना है. इसलिए गाण्ड मारने को कह रहा हूँ…”
शोभा बोली- “आपका जो मन करें आप वा करो…”
मैंने कहा- “गाण्ड में कोई क्रीम लगानी है क्या?”
शोभा ने कहा- मुझे कोई जरूरत नहीं है। आप मुझे घोड़ी बनाकर मेरी चूत को चोदो। जब लण्ड मेरी चूत में गीला हो जाए तो मेरी गाण्ड में डाल देना.”
मुझे आइडिया सही लगा। मैंने शोभा को घोड़ी बना दिया और उसकी चूत में लण्ड पेल दिया। थोड़ी देर में मेरा लण्ड उसकी चूत के पानी से भीग गया था। मैंने उसकी चूत से अपने लण्ड को निकालकर उसकी गाण्ड में पेल दिया। मैंने शोभा की गाण्ड में जब लण्ड पैला तब उसने हल्की सी चीख मारी, पर उसके बाद वो अपनी गाण्ड को खुद आगे-पीछे करने लगी। मुझे शोभा की मस्त गाण्ड का पूरा मजा आने लगा। मेरे लौड़े को शोभा की गाण्ड में जन्नत नजर आ रही थी। मेरी हर चोट पर पट-पट की आवाज आ रही थी। फिर आखीर में जो होता है वही हआ। मैं शोभा की गाण्ड में अपना लौड़ा झाड़ कर लंबी सांसें लेने लगा।
थोड़ी देर बाद शोभा के संल पर ऋतु का फोन आया की मम्मी हम लोग आ रहे हैं रास्ते में हैं एक घंटे तक घर पहुँच जायेंगे।
सुनकर शोभा बोली- “वा लोग आ रहे हैं, मुझे उनके आने से पहले घर पहुँचना होगा…”
मैं भी अब तक चुका था। मैंने शोभा को कहा- “मैं तुमको घर छोड़ आता है.. मैं अपनी कार से शोभा को उसके घर छोड़ने जा रहा था।
रास्ते में शोभा ने कहा- “आज मुझे वो सुख मिला है जिस सुख की हर औरत की तमन्ना होती है। मुझे अब इर लग रहा है की ऋतु के आने के बाद आप कभी ये मोका मुझे दोगे या नहीं?”
मैंने शोभा को कहा. “मैं तुम्हारी प्यास को जब तुम कहोगी बुझाऊँगा। अगर तुम मेरा साथ दोगी तो मैं भी तुम्हारा कभी साथ नहीं छोड़ेगा..” फिर शोभा का घर आ गया।
मैंने उसको बाड़ बोलकर कार बैंक कर दी। शोभा को छोड़कर जब मैं वापिस घर आया तो आते ही सबसे पहले मैंने कैमरे की कार्डि चेक करी, तो देखा क्लियर थी। मैंने वो कार्डि एक सी.डी. में सेव कर के रख दी और फिर मुझे नींद में अपनी बाहों में भर लिया।अगले दिन मैं आफिस थोड़ा देर से गया था। अत पहले से ही आई हुई थी। मझे देखते ही वो मेरे साथ-साथ मेरे केबिन में आ गई। उसने मुझे कुछ बोलने का मौका ही नहीं दिया। एकदम से मेरे से चिपक कर मेरे होंठों पर अपने होंठों रख दिए, 5 मिनट तक हम ऐसे ही एक दूसरे के साथ चिपके रहे।
फिर ऋतु रंधे गले से बोली- “आपसे 4 दिन दूर रहकर मुझे ऐसा लग रहा है जैसे की 4 साल बीत गये हो..”
मैंने उसको कहा- “मैंने भी तुमको बहुत मिस किया…”
ऋतु अपना मुँह फुलाकर बोली- “और तो और मेरे सेल में भी मुझे धोखा दिया। वहां जाते ही खराब हो गया। मैं आपसे बात भी नहीं कर पाई…”
मैंने कहा- “चला अब जो होना था सा हो गया। फिलहाल तो तुम मेरे पास हो.”
अत् ने मुँह बनाकर कहा- “अगर सेल खराब नहीं होता तो मैं आपको बहां की वीडियो बनाकर दिखाती..”
मैंने कहा- वहां कुछ खास था, जिसकी वीडियो मुझे दिखानी थी?
ऋतु बोली- “मैंने वहां खूब मस्ती करी, खूब डान्स किया…”
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मैंने ऋतु को चिटाते हुए कहा- “तुम्हें डान्स करना भी आता है?”
ऋतु ये सुनकर लाल होते हुए बोली- “अगर आपने मेरा डान्स देख लिया तो कहोगे की ऐसा डान्स किसी मूवी में भी नहीं देखा..”
मैंने कहा- अच्छाजी… अगर ऐसा है तो तुम उस फंक्सन की डी.वी.डी. मगवाओ। मैं देखकर ही बताऊँगा की तुम डान्स कैंसा करती हो?” फिर मैं बोला- “ऋतु तुम अब अपनी आँखों को बंद करो..”
ऋतु बोली- क्या?
मैंने कहा- करो तो सही।
ऋतु ने अपनी आँखों को हल्के से बंद किया।
मैंने कहा- “ऐसे नहीं सही से बंद करो…”
उसने कर ली।
मैंने एक पैकेट उसके हाथ में पकड़ा दिया और कहा- “अब अपनी आँखों को खोलो..”
ऋत् ने आँखें खाली और बोली- “इसमें क्या है?”
मैंने कहा- खोलकर देखो।
ऋतु में जल्दी से पैकेट खोला तो उसकी खुशी देखते ही बन रही थी। वो बोली- “सर, इतना मःगा मोबाइल मैंने कभी इस्तेमाल नहीं किया…”
मैंने कहा- “अब कर लो…”
ऋतु खुशी से भरी मेरे पास आकर मेरी गोद में बैठ गई, और मेरे गले में अपनी बाहों को डालकर बोली- “आप कितने स्वीट हो, मेरा कितना खयाल रखते हो…”
मैंने कहा- “मुझे जब पता चला की तुम्हारा मोबाइल खराब हो गया है। मैंने तभी साच लिया था की तुमको बदिया सा मोबाइल दगा। अब इसमें अपना सिम डालकर सबसे पहले अपनी दीदी को फोन करो और उस फंक्सन की डी.वी.डी. मैंगवाओ..”
ऋतु ने खुश होते हए अपना सिम मोबाइल में लगाया और अपनी दीदी को फोन किया। पहले तो उनकी खैर खबर ली फिर बोली- “दीदी फंक्सन की डी.वी.डी. आ गई?”
उधर से जवाब मिला- “हाँ आ गई.”
ऋतु ने कहा- “दीदी आज ही उसकी कारिगर से भेज दो… फिर दो-चार इधर-उधर की बात करके ऋतु ने फोन काट दिया और मुझे देखकर बोली- “कल डी.बी.डी, आ जायेंगी तब पता चलेगा आपको.”
मैने मुश्कुराकर कहा- “अगर तुमको मेरी बात का बुरा लगा है तो आई आम वेरी सारी…”
Mera boss bhi muze dekh badi jibh laplapata hei, soch rahi hun lelu sale ko andar…