Hindi Sex Story – कीमत वसूल

ऋत भी मुश्कराकर बोली- “और आप ता मिस्टर कल हो जी..”

मैंने कहा- “वो कैसे?”

ऋतु बोली- “जब से आपको देख रही हूँ आप हमेशा ही कूल रहते हैं.”

मैंने बैंक्स कहा। अब तक मैं म्यूजिक आन कर चुका था। मैंने जानबूझ के एक पुराना गाना चला दिया।

ऋतु ने कहा- “बाउ सर.. आपकी पसंद भी कूल है..”

मैंने कहा- “कसं?”

उसने कहा- “सर ये गाना मेरा फेवरिट है और मैं इसको अक्सर सुनती हैं…”

मैंने उसको कहा- “तुमको कैसा म्यूजिक पसंद है?”

ऋतुने कहा- “मैं सिर्फ पुराना गाना ही पसंद करती हैं…”

फिर मैंने उसको कहा- “तुम्हारा कोई बायफ्रेंड है क्या?”

उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा- “अभी तक तो कोई मिला ही नहीं ऐसा, जिसको बना सकती..”

मैंने कहा- “तुम झूठ मत बोलो, शर्माओ नहीं मुझसे.. अब हम दोनों दोस्त है इसलिए सच-सच बोलो..”

उसने कहा- “सच में…”

फिर मैंने ज्यादा बात नहीं बढ़ाई। इतनी देर में रिजोर्ट आ गया, हम दोनों अंदर चले गये। वहां जाकर मैंने अपने लिए एक बियर का आईर दिया और उसको पूछा- “तुम क्या लोगी?”

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उसने कहा- “जूस से ही काम चला लूंगी..”
मैंने कहा- “क्यों क्या कुछ और पीने का मन है?”

ऋतु बोली- “हाँ आज मुझे भी बिपर पीकर देखना है की क्या होता है?”

मैंने कहा- “तुमने कभी पहले नहीं पी क्या?”

उसने कहा- “नहीं…

मैंने कहा- “अगर तुमको बियर से कुछ हो गया तो क्या होगा?”

#तु ने प्यार से कहा- “आप हो ना अगर कुछ होगा तो संभाल लेना..”

मैंने उसके लिए एक ग्लास में बियर डाल दी।
ऋतु ने मुँह से लगाई और दो-तीन घट भरे और बुरा सा मुँह बनाया और कहा- “जी… कित्ता बुरा टेस्ट है..”

मैंने हँसते हुए कहा- “ये मदों की चीज है..” फिर मैंने उसका ग्लास उठाया और गटागट पी गया। ऋतु देखती ही रह गई।

ऋतु बोली- “सर आपने मेरा जूठा पी लिया..”

मैंने कहा- “क्या हुआ? तुम मेरा जूठा मत खाना। मुझे तो कोई गलत नहीं लगता…”

ऋतु की आँखों में मैंने पहली बार अपने लिए प्यार देखा फिर हमने लंच किया। जब मैंने बिल देने के लिए अपना पर्स खोला तो ऋतु में मेरे पर्स को बड़े ही ध्यान से देखा। मेरा पर्स र 1000 के नोटों से भरा था। मैंने बिल दिया और बाकी उसको रख लेने को कहा। मैंने एक बात नोटिस की कि ऋतु मेरे पर्स को बड़े ध्यान से देख रही थी। हम वहां से वापिस आने का चल दिए।

मैंने कार में ऋतु से कहा- “तुम अब मेरी दोस्त हो, ये बताओ की तुम दोस्ती की क्या लिमिट मानती हो?”

ऋत ने कहा- “मेरी नजर में दोस्ती की कोई लिमिट नहीं होती, क्योंकी दोस्ती की लिमिट दोस्ती के साथ बढ़ जाती है…’

मैं मन ही मन खुश हो गया की इसका आउटलुक बोल्ड है। मैंने अपना हाथ ऋतु की कमर के ऊपर रख दिया। वो कुछ नहीं बोली, सामने देखती रही। फिर मैंने अपना हाथ उसके कंधों पर रखा और अपने हाथ को जरा सा ऐसे करा की उसकी चचियां मेरी उंगली से टच हो जाएं, और ऐसा ही हआ।

अब अत ने मेरी तरफ शरत से देखा और कहा “क्या कर रहे हो आप?”

मैंने अंजान बनते हुए कहा “क्या हुआ.. हाथ हटा लें क्या?”

ऋतु बोली- “नहीं मुझे कोई प्राब्लम नहीं… आप सही से हाथ रख लो..” और बो रिलैक्स होकर बैठ गई।

रास्ते में एक जगह सूनसान आते ही मैंने कार राककर ऋतु से कहा- “मैं सूसू कर लू..”

में कार से उत्तर गया और सूस करने के बाद मैंने जानबूझ कर अपनी जीन्स की जिप बंद नहीं की। मेरे मन में अब कुछ करने का इरादा पक्का हो चुका था। मैंने ऋतु की साइड का दरवाजा खोला और झुककर उसके होंठों पर होंठ रख दिए। ऋतु ने कोई विरोध नहीं किया। उसके होंठ सच में इतने मुलायम थे, मुझे एहसास हो रहा था

और उसकी सांसों की महक महसूस हो रही थी। मन ही नहीं कर रहा था होंठ हटाने का।

फिर उसने मुझे एकदम से धक्का दिया और बोली- “बस अब इतना ही..”

अपनी सीट पर चला गया। मैंने अपनी जिप को खला ही रहने दिया।

इतने में ऋतु बोली- “आपकी जिप खुली है.’

मैंने कहा- “होनें दो जरा हवा लगने दो..”

ऋतु हँस पड़ी, बोली- “हवा से क्या होगा?”

मैंने उसको कहा- “इसको गर्मी हो गई है…”

ऋत मश्रा उठी फिर एकदम से उसने मेरे लण्ड पर हाथ रख दिया। मैंने कुछ कहा नहीं बस कार चलाता रहा, दो मिनट बाद मैंने ऋतु से कहा- “हाथ हटा लो नहीं तो कुछ हो जाएगा..”

ऋतु ने अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए कहा- “क्या होगा जी… हम भी तो देखें…”
मैंने एकदम से अपना लण्ड बाहर निकाल दिया, ऋतु देखकर दंग रह गई। मेरा ” इंच का लण्ड काफी मोटा भी है। गोरा लण्ड देखकर ऋतु की आँखों में वासना दिखने लगी।

मैंने ऋतु में कहा- “इसको पकड़कर नहीं देखोगी?”

ऋतु ने फौरन उसको पकड़ लिया। उसके नाजुक हाथ का स्पर्श पाकर मेरा लण्ड एकदम से और कड़ा हो गया
और फिर ऋतु मेरे लण्ड को सहलाने लगी। मुझे बड़ा मजा आ रहा था।

मैंने ऋतु से कहा- “अगर तुम इसको मुँह में लेकर चूस दो तो और मजा आ जाए…”

ऋतु बोली- “अच्छा जी, आपको मजा भी आने लगा?” फिर ऋतु में मेरे लण्ड पर अपना मुँह लगा दिया।

उसकी सांसों की गर्मी मुझे लण्ड पर महसूस होने लगी।

ऋतु ने मुझसे कहा- “आपके लण्ड से बड़ी प्यारी खुशबू आ रही है..”

मैंने कहा- “मैं अपने लण्ड का भी बड़ा ध्यान रखता है, वैसे मैं आपको बता द्, मैं डी.ओ. अपने लण्ड पर भी लगाता हूँ…”

ऋत् ने मेरे लौड़े को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया। मैंने कार की स्पीड इतनी कम कर दी की कार अब अंग रही थी। मुझे आज तक लण्ड चुसवाने में इतना मजा नहीं आया था, जितना आज आ रहा था। पता नहीं क्यों ऋतु का स्टाइल इतना मस्त लग रहा था। वैसे तो मैंने कई बार चुम्पा लगवाया है पर आज तक इतना मजा कभी नहीं आया। फिर मुझे ऐसा लगने लगा की मेरे अंदर का लावा अब बाहर आने वाला है, पर मैं चुप रहा। ऋतु के होंठों में मेरा लण्ड ऐसा दबा हुआ था जैसे कोई आइसक्रीम।

फिर अचानक से मेरी बाड़ी ने एक झटका लिया और खूब सारा माल ऋतु के मुँह में भर गया। पर तारीफ करनी होगी ऋतु की कि उसने एक भी बूंद बाहर नहीं आने दी, सब पी गई और मेरे लौड़े को कसकर चूसने लगी और सुपाड़ा चाटकर साफ कर दिया। मैं इतना रिलॅक्स हो गया जैसे की कई दिन बाद अंदर से कोई लाबा निकला हो। मैं दिमाग को शांत कर रहा था वो माल निकालकर।

मैंने प्यार से ऋतु से पूछा, “कैसा लगा मेरा माल?”

ऋतु ने कहा- “बड़ा ही टेस्टी था मजा आ गया..”

मैंने कहा- “पहले कभी टेस्ट किया है?”

ये सुनकर वो गुस्से से बोली- “मैं क्या आपको कोई कालगर्ल लगती हैं?” और उसकी आँख से आँसू आने लगे।

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1 Comment

  1. Minu

    Mera boss bhi muze dekh badi jibh laplapata hei, soch rahi hun lelu sale ko andar…

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