Hindi Sex Story – कीमत वसूल

मैंने ऋतु को देखा उसकी आँखें अभी तक नम थीं। मैंने उसको कहा- “तुम किसी बात की फिकर मत करो मेरे होतं कोई तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। मैं तिवारी से तुम्हारी वो क्लिप और पेपर तमको वापिस ला देगा…”

ऋतु मेरे से चिपक कर हिचकियां लेने लगी।

मैंने उसकी कमर पर हाथ फेर कर उसको दिलासा दिया। मुझे अब शोभा से नफरत होने लगी थी। मैंने सोच लिया था की मैं शोभा को सबक सिखाकर रहगा। ऋतु के लिए मेरे मन में प्यार का बीज और बढ़ गया था मैंने ऋतु को अपनी बाहों में लेते हुए कहा- “अब सब भूल जाओं और मुझे प्यार करो.”

ऋतु ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

फिर एक दिन ऋतु ने मुझसे कहा- “सर, मैं दो दिन के लिए आफिस नहीं आऊँगी..”

मैंने पूछा- “क्या हुआ, काई प्राब्लम है क्या?”

उसने कहा- “अनु दीदी के बेटे का नामकरण है। मुझे वहां जाना है.”

मैंने पूछा- “घर से और कौन-कौन जा रहा है?”

उसने कहा- “सब लोग जा रहे हैं.”

मैंने कहा- “पूरी परिवार जा रही है तो तुम्हारा भी जाना बनता है। कब जाना है?”

उसने कहा- “कल सुबह…”

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मैंने कहा- “मैं अपनी कार भेज देता हूँ। तुम सब आराम से चले जाना..”

ऋतु ने कहा- “सर आप क्या परेशान हो रहे हैं। हम लोग बस में चले जाएंगी.”

मैंने कहा- पागल हो क्या? बस में कितना मुश्किल होगा परिवार के साथ। मेरे पास दो-दो गाड़ियां होते हए तुम बस में जाओगी। कार से सीधा अपनी बहन के घर जाना और सीधा उनके घर में वापिस आ जाना…”

ऋतु मना नहीं कर पाई।

फिर मैंने कहा- “जिस टाइम जाना हो मुझे फोन कर देना। मैं कार भेज दूंगा…”

फिर अगले दिन सुबह 7:00 बजे ऋतु का फोन आया “सर हम सब तैयार हैं, आप गाड़ी भेज दीजिए.”

मैंने ड्राइवर को बुलाया और समझाकर कहा “तुम ऋतु मेमसाहब के घर चले जाओ, उनको देल्ही जाना है अपनी फेमिली के साथ। जहां वो कहें उनको पहुँचा देना..” और मैंने ड्राइवर को ₹5000 दिए और कहा- “पेट्रोल तुम खुद इलवा लेना। उनका कोई पैसा खर्च नहीं होने देना…”

डाइबर कार लेकर चला गया। में भी आफिस के काम में बिजी रहा। इसलिए ऋतु को फोन ही नहीं किया। वो भी वहां जाकर बिजी हो गई। उसका भी फोन नहीं आया।

जब मेरा ड्राइवर दो दिन बाद घर वापिस आया तब मैंने हाइवर से कहा- “कोई परेशानी तो नहीं हुई?”

उसने कहा- “नहीं साहब, सब लोग आराम से गये थे…”

मैंने उसको कहा- “तुम अब अपने घर जा सकते हो…”

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मैं सिटी में कार खुद ही ड्राइव करना पसंद करता हैं। ड्राइवर तो मैंने सिर्फ आउट आफ सिटी जाने के लिए रखा हुआ है। ऋतु से मिले दो दिन बीत गये थे। मैं ऋतु से मिलने का बेताब हो गया था। मैंने ऋतु को फोन किया

पर उसका फोन स्विच-आफ था। मैंने कई बार ट्राई किया पर हर बार स्विच-आफ ही मिला। मैंने अब शोभा को फोन मिलाया तो उसका भी सेल आफ आने लगा। मुझे बड़ा गुस्सा भी आया और चिता भी होने लगी की सब ठीक तो है? मैने दो पंग विस्की के खींचे, और ऋतु के घर चला गया। मैंने बेल बजाई तो 5 मिनट बाद शोभा ने दरवाजा खोला।

मैंने उसको कहा- “क्या बात है इतनी देर क्यों लगा दी?”

शोभा बोली- “मैं बाथरूम में थी। बेन सुनकर जल्दी से कपड़े पहनकर आई हैं.”

मैंने उसको देखा तो वो सच बोल रही थी। उसके बाल गीले थे और उसने जो मैक्सी पहनी हुई थी वो भी उसके गीले जिश्म से चिपकी हुई थी। मैं उसको गुस्से में देखता हआ घर के अंदर चला गया। मैंने अंदर जाकर देखा तो कोई भी नहीं दिखा।

मैंने पूछा- “ऋतु कहां है? उसका सेल भी स्विच आफ जा रहा है.”

शोभा ने बताया- “उसका सेल जाते ही खराब हो गया था। इसलिए वो आपसे बात भी नहीं कर पाई…”

मैंने कहा- ऋतु कहां गई है?

शोभा बोली- “वो तो अभी एक-दो दिन बाद आएगी…”

मैंने कहा- “क्या मतलब… वो तुम्हारे साथ नहीं आई?”

उसने कहा- “उसके दीदी जीजा ने उसको आने ही नहीं दिया। शिल्पा और उसके पापा भी वहीं रूक गये हैं। वो सब परसों तक साथ में आएंगे…”

ये बात सुनते ही मेरा मूड और खराब हो गया। मेरा लण्ड दो दिन से ऋतु की चूत का प्यासा था। मेरे दिमाग में उस टाइम सिर्फ ऋतु की मस्त जवानी नजर आ रही थी। मेरे अंदर जैसे कोई खोलता हआ लावा भरा हो। मैंने शोभा को गौर से देखा तो उसको एहसास हुआ की वो मेरे सामने जिन कपड़ों में खड़ी है, उसमें उसके जिम के हर अंग की नुमाइश हो रही है।

मेरी वासना से भरी आँखों को देखकर शोभा बोली- “आप बैठिए, मैं जरा चेंज करके आती हैं.”

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1 Comment

  1. Minu

    Mera boss bhi muze dekh badi jibh laplapata hei, soch rahi hun lelu sale ko andar…

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