ऋतु ने मेरे लण्ड को मह से निकाला और कहा- “और डालिए..”
मैने अबकी बार ऋत का सिर पकड़कर अपना लण्ड आधे से ज्यादा उसके मुँह में डाल दिया। मुझे एहसास हो गया की मेरा लण्ड उसके गले में चला गया है, तो मैंने लण्ड को बाहर निकाल लिया।
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ऋतु ने मेरी तरफ प्यार से देखा और कहा “मैं अब आपका लण्ड अपने मुँह में कितना ले लेती हैं देखा.”
मैंने कहा- “हाँ, पहले तो सिर्फ जरा सा ही लेती थी..” फिर ऋतु के मुँह को चूत बनाकर मैं उसके मुँह को चोदने लगा। थोड़ी देर में मेरा लौड़ा झड़ गया।
ऋतु में मेरा सारा माल पी लिया।
मैंने ऋतु से कहा- “मुझे सूसू आया है…”
ऋतु ने कहा- “रुकिये, मैं आपको सूसू करवाती हूँ…”
में हैरानी से ऋतु को देखने लगा। ऋतु ने मेरे लण्ड को अपने मुंह में ले लिया। अब मेरा लण्ड उसके मुंह में ऐसे था जैसे की मुँह में कोई चीज पकड़कर कोई चलता है।
अतु ने कहा- “अब आप सूसू करिए..”
मैंने आज तक ऐसा कभी ना देखा ना सुना था। मैंने जोर लगाया तो मेरे सस निकालने लगा। ऋतु को ये आइडिया कहां से आया, मैं समझ नहीं पाया। पर जो भी था गजब का था।
सूस करने के बाद मैंने ऋतु से कहा- “पानी में रहने से भूख लगने लगी है..” फिर मैंने ऋतु से कहा- “तुमने खाना खा लिया बया?”
अत ने ना में सर हिला दिया। हम बाथरूम से बाहर आ गये।
मैंने कहा- “मैं बाहर से कुछ ले आता हूँ..”
ऋतु ने कहा- “नहीं, मैं आपको अब कहीं नहीं जाने दूँगी। आप मुझे बताओं आपको क्या खाना है, बना देती हूँ..”
मैंने कहा- “पहले तौलिया तो दो..”
ऋतु बोली- “नहीं जी… आपको सुबह तक ऐसे ही रहना होगा..”
मने हँसते हुए कहा- “और तुम?
बा बोली- “मैं भी आपके साथ ऐसे ही रहंगी…”
उसका आइडिया मुझे पसंद आया फिर हम दोनों किचेन में नंगे हो गये वहां अत ने आलू के पराठे बनाए हम दोनों ने किचन में ही खाया। फिर हम रूम में आ गये।
मैंने ऋतु से कहा- “जान तुम मुझे कितना प्यार करती हो…”
ऋतु ने कहा- “मैं आपको अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करती हैं.”
मैंने कहा- “तो फिर आज मुझे सच-सच बताओं की मैंने तुमको चोदने के लिए जो भी किया वो तुमको बुरा तो जरूर लगा होगा?”
ऋतु ने मुझसे चिपकते हुए कहा- “जरा सा भी नहीं…”
मैंने कहा- “क्यों, मैंने तो तुमको मजबूर किया था चोदने के लिए?”ऋतु ने फिर जो बात मुझे बताई सुनकर मुझे यकीन ही नहीं हुआ। ऋतु में जैसे ही बोलना शुरू किया उसकी
आँखों में आँस आ गये। मैं उसकी बात ऐसे सुन रहा था जैसे की में कोई सस्पेंस वाली कहानी सुन रहा हैं
ऋतु ने कहा- “अगर आप ये सब नहीं करते तो हो सकता है की मैं आज जिदा ही नहीं होती या तो मैं घर छोड़कर कहीं चली जाती या में अपनी जान दे देती…’
मैंने कहा- “तुम मुझे पूरी बात सही-सही बताओ… फिर मैंने ऋतु को दिलासा देते हुए पानी पिलाया।
ऋतु हिचकियां लेते-लेत बोली- “आपको मैं सब शुरू में बताती हैं। वो दिन मेरी लाइफ का सबसे मनहस दिन था, जिस दिन अनु दीदी की शादी की डेट फाइनल हुई थी..”
पापा ने माँ से कहा “हम लोग अभी इतने पैसे का इंतजाम नहीं कर सकते। शादी की डेट इतनी जल्दी फिक्स नहीं करनी चाहिए थी…”
पर माँ ने पापा की एक ना सुनी। वो बोली- “आप पैसे की चिंता मत करो…”
पापा की वैसे भी माँ के आगे नहीं चलती थी। माँ की कोई सहेली है आशा जिसने माँ को कहा था की तुम्हें जितने भी पैसे की जरूरत हो मैं इंटेरस्ट पर दिलवा दूंगी। उसने ही माँ को तिवारी से मिलवाया था। तिवारी ने जिस दिन पैसे देने थे उस दिन उसने मम्मी को अपने आफिस में बुलाया था। मैं उस दिन पहली बार मम्मी के साथ ही तिवारी के आफिस में गई थी। मैं, मम्मी और आशा हम तिवारी के पास जब गये तो वो बोला।
तिवारी शोभा जी में आपको पैसा तो दे दूँगा पर आप मुझे गारंटी में क्या दे रही हो?
मम्मी- आपको हम जैसा शरीफ आदमी काई मिलेगा ही नहीं। हम आपका पैमा टाइम पर दे देंगे।
तिवारी- फिर भी कोई तो गारंटी होनी चाहिए। मैंमें बिना गाउंटी किसी को पैसा नहीं देता।
आशा तिवरी जी आप चिंता नहीं करिए। शोभा मेरी बहन जैसी है, आपको कोई शिकायत नहीं मिलीगे।
मम्मी- फिर भी आप जो कहाँ हम आपको गारंटी दे सकते हैं।
तिवारी शोभा जी, आप मुझे इस बात की गारंटी दो की अगर आप मेरा पैसा नहीं लोटा पाई तो मैं आपकी बेटी ऋतु को अपने घर में नौकरानी बनाकर रखेगा, और उसको मैं जो भी कहगा वो उसको करना होगा।
शोभा. “नहीं नहीं तिवारी जी, आपको इसकी कोई जरूरत ही नहीं पड़ेगी…”
तिवारी ने मुझे गंदी नजर से देखते हए कहा- “ना ही पड़े तो इसके लिए अच्छा है..”
में उसकी नजरों में भरी हई दरिंदगी देखकर डर गई थी।
तिवारी- “मैं आपको बिना गारंटी के पैसा नहीं दे सकता। हाँ या ना आप सोच लो…”
आशा और मम्मी ने इशारों-इशारों में कुछ बात किया फिर आशा बोली- “चल शोभा, कोई बात नहीं तिवारी जी की बात मान लें। अगर इनका पैसा नहीं दिया तभी तो ये ऋतु का कुछ कर सकते हैं। ऐसी नौबत आएगी ही नहीं…”
मम्मी- “पर मैं ऋतु को इनके हाथ कैंस दे दूंगी? जवान लड़की है कोई जानबर तो नहीं…
तिवारी बोला”उसकी चिता आप मत करो। मैं उसको बड़े प्यार से रखूगा। आपके घर में ज्यादा ऐश से रहेगी। वहां मेरे घर में और भी लड़कियां काम करती है..”
फिर मम्मी ने तिवारी से कहा- “चलिए मुझे आपकी बात मंजूर है…”
तिवारी ने हँसते हए कहा- “ऐमें कहने से क्या मैं तुम्हारी बात का यकीन कर लेंगा? मुझे लड़की के मुंह से हाँ कहलवाओं और मैं इसमें कुछ पेपर भी साइन करवा गा.”
आशावो हम सब करवा देते हैं।
शाभा- हाँ हाँ हम आपकी सब शर्ते पूरी कर देते हैं।
फिर तिवारी ने मम्मी को एक पैकेट दिया और मुझे कहा- “सनों लड़की इधर आकर बैठो…”
मैं तिवारी के सामने वाली चेयर पर बैठ गई। मैं सब समझ चुकी थी की अब वो दिन दूर नहीं जब मुझे तिवारी की हवस का शिकार बनना पड़ेगा और पता नहीं तिवारी मेरे साथ और क्या-क्या करेंगा? पर मैं मजबूर थी कुछ बोल नहीं पा रही थी।
फिर मम्मी ने मुझे प्यार से कहा- “ऋत बेटी, अब त ही अपनी बहन की शादी करवा सकती है और तिवारी जी शरीफ आदमी हैं, गारंटी हो तो माँग रहे हैं। त पेपर पर साइन कर दे…”
मैं कुछ बोल नहीं पाई।
मैं तिवारी के सामने वाली चेयर पर बैठ गई। मैं सब समझ चुकी थी की अब वो दिन दूर नहीं जब मुझे तिवारी की हवस का शिकार बनना पड़ेगा और पता नहीं तिवारी मेरे साथ और क्या-क्या करेंगा? पर मैं मजबूर थी कुछ बोल नहीं पा रही थी।
फिर मम्मी ने मुझे प्यार से कहा- “ऋत बेटी, अब त ही अपनी बहन की शादी करवा सकती है और तिवारी जी शरीफ आदमी हैं, गारंटी हो तो माँग रहे हैं। त पेपर पर साइन कर दे…”
मैं कुछ बोल नहीं पाई।
दराज से कई सारे सादे पेपर निकालें और मुझे बोला- “इस पर तिवारी ने मुझे अपनी बहशी नजरों से देखते ह
अपने साइन कर दो…”
मैंने चुपचाप साइन कर दिए।
फिर तिवारी ने एक वीडियो कैमरा निकालकर आन किया और मुझसे कहा- “कैमरे में देखो और मुस्कराकर बोलो
की मैं जो भी कर रही हूँ अपनी मर्जी से कर रही हूँ। मुझे किसी ने मजबूर नहीं किया है.”
मुझे ऐसा ही करना पड़ा। उसके बाद तिवारी ने मम्मी से कहा- “अब तुम लोग जा सकती हो.”
में पूरे रास्ते में सोचती रही की क्या मैंने सही किया है? काश मैं मना कर पाती। मैं घर आकर बेजान लाश जैसी बेड पर पड़ गईं।
अनु दीदी और शिल्पा ने मेरे से पूछा “क्या हुआ?”
पर मैं कुछ बोली नहीं।
मम्मी ने कहा- “इसकी तबीयत ठीक नहीं है, इसको आराम करने दो…”
मैंने बाद में मम्मी से कहा- “आपने एक बेटी का घर बसाने के लिए दूसरी बेटी को दौंच पर क्यों लगा दिया? आपने ऐसा क्यों किया? मैं आपकी सगी बेटी नहीं हैं क्या?”
मम्मी ने मुझे समझाते हुए कहा- “ऋतु तू ऐसी बात नहीं कर। मैं जो भी कर रही हैं सोच समझ कर कर रही हैं। मैं तेरी माँ हूँ कोई दुश्मन नहीं, और तू इस बात को किसी से भी नहीं कहेगी। तुझं तेरा पापा की कसम होगी..”
मैंने मम्मी को वादा किया- “मैं किसी से कुछ कहूँगी…” और उस दिन से मैं घट-घट कर जी रही थी। आपसे मिलने के बाद मुझे लगा की काश आप मेरी लाइफ में आ जाए और भगवान ने मेरी सुन ली की आप मेरी लाइफ में आ गये। में जब आपके साथ पहली बार लंच पर गईं थी। मैंने उसी दिन सोच लिया था की मैं कुछ भी करके आपको अपना बना लेंगी…”
Mera boss bhi muze dekh badi jibh laplapata hei, soch rahi hun lelu sale ko andar…