Hindi Sex Story – कीमत वसूल

मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा ऋतु की कुँवारी चूत के छोटे से छेद पर रख दिया। ऋतु अब लंबी-लंबी साँसे लेने लगी थी। मैंने अपने लौड़े को जरा सा जोर से दबाया तो थोड़ा सा लण्ड उसकी चूत में घुसा। ऋतु के चेहरे पर दर्द दिखाई दे रहा था। मैं उसको अभी और तड़पा के चोदना चाहता था। मैंने उसकी चूत में अपना लण्ड थोड़ा
सा और घुसा दिया, तो उसकी हल्की सी चीख निकल गईं।अब ऋतु की आँखों में आँसू आने लगे। मैंने अबकी बार अपना लौड़ा चूत से सटाकर कसकर शाट मारा, तो मेरा लण्ड उसकी कुँवारी चूत की झिल्ली को चीरता हुआ आधा अंदर चला गया। ऋतु ने जोर से एक चीख मारी। मैंने भी उसको रोका नहीं। क्योंकी में यही चाहता था की ऋतु की चीख उसकी माँ को सुनाई देनी चाहिए। मैं जानता था की वो साथ वाले रूम में होगी।

मैंने अपना लण्ड थोड़ा सा बाहर निकाला और अब मैंने कस के शाट मारा, तो मेरा पूरा लण्ड अब ऋतु की चूत में घुस गया था। ऋतु की आवाज में दर्द था और वो रोने लगी।

ऋतु बोली- “प्लीज बाहर निकाल लीजिए। मैं मर जाऊँगी, बड़ा दर्द हो रहा है..” और वो ऊऊऊ… आईईई… की
आवाजें निकालने लगी।

मैंने अब उसकी चूची को मुँह में ले लिया और हल्के-हल्के धक्के मारने लगा। ऋतु को अब जरा सा आराम मिला था जैसे।

मैंने उसके होंठों को चसते हुए कहा- “अब कैसा लग रहा है?”

उसने कोई जवाब नहीं दिया।

मैंने उसको कहा- “अपनी जीभ मेरे मुँह में दो..’ उसने दे दी। मैं उसकी जीभ को चूसने लगा। फिर मैंने उसको कहा- “अपने दोनों हाथ मेरी कमर पे रख दो…”

उसकी चूड़ियों की खनक सेक्स का मजा दोगुना कर रही थी। उसका नाजुक बदन मेरे जिम से चिपका हुआ था। मैंने उसकी टांगों को थोड़ा और फैला दिया। मैंने अब धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। ऋतु की अब जोर-जोर से सिसकियां निकल रही थी। उसकी चूड़ियां में हर धक्के पर खनक उठती थी। उसकी पायजेब और चूड़ियां मेरे हर धक्के के साथ लय बना रही थी। फिर मैंने उसके होंठों पे होंठ रख दिए और कस-कस के धक्के मारे। 20-25 धक्कों में मेरा सारा वीर्य उसकी चूत में भर गया। मैं उसके ऊपर ही लेट गया मेरा। लौड़ा झड़ने के बाद भी ऋतु की चूत में चिपक कर फंसा हुआ था। फिर धीरे-धीरे लण्ड सिकुड़कर बाहर आने लगा।

ऋत तेज-तेज सांसें ले रही थी। उसकी चूचियां अब ऊपर-नीचे हो रही थी। मैंने उसकी टांगों को अपनी टांगों में फंसा लिया था। मेरे हाथ जब उसकी गाण्ड पर लगे तो कुछ गीला-गीला सा लगा। मैंने देखा तो उसके सफेद पेटीकोट पर खून के धब्बे साफ दिख रहे थे।

मैंने उसको कहा- “अपने पेटीकोट से मेरा लण्ड पॉछ दो, और अपनी चत भी इसी से साफ कर लो..” उसने ऐसा ही किया। हम दोनों लिपटकर लेटे रहे।

थोड़ी देर बाद मैंने ऋतु में कहा- “जरा मेरे लिए पानी लेकर आओ..”

ऋतु में उठने की हिम्मत नहीं थी। मैं जानता था की उसकी कुंवारी चूत मेरे लण्ड की चोटों में सूज गई हैं। उसकी चूत में अभी भी दर्द हो रहा है। पर वो मजबूरी में उठी और कपड़े पहनने लगी।

मैंने उसको कहा- “कपड़े नहीं पहनों बस अपनी चूचियों को दुपट्टे से टक लो और इसी पेटीकोट में ही जाओ..”

ऋतु ये सुनकर मुझे अजीब तरह से देखने लगी। ऋतु ने दुपट्टे से अपनी चूचियों को टका और पानी लेने जाने लगी। उससे चला नहीं जा रहा था। वो अपनी जांघों को फैलाकर चल रही थी। मैं जानता था की बाहर शोभा उसको मिलेंगी। मैं भी चुपके से दरवाजे के पास जाकर खड़ा हो गया।

वैसा ही हुआ। बाहर निकालते ही शोभा ने अत को अपने गले से लगा लिया। ऋतु और शोभा दोनों गले लग कर रोने लगी। धीरे-धीरे क्या बात करी उन दोनों में मैं मन नहीं पाया। ऋत का पेटीकोट शोभा को दिखाई दे गया था। पर वो बोली नहीं कुछ। फिर ऋतु किचन से पानी लेकर मेरे पास आई।

मैंने पाजी पीकर उसको कहा- “अब मेरा लण्ड चूसकर खड़ा करो..”

ऋतु ने मुझसे कहा- “आपके लण्ड पर खून लगा हुआ है..”

मैंने कहा- “कोई बात नहीं। तुम मेरे साथ बाथरूम में चला। वहां तुम मेरे लौड़े को धोकर साफ कर देना…” कहकर मैं उठकर खड़ा हो गया। ऋतु मेरे साथ चल दी। हम दोनों बाथरूम में गये। वहां नल के नीचे मैंने अपना लौड़ा रखा। ऋतु ने मेरे लौड़े को साबुन लगाकर धोया।

मैंने ऋतु में कहा- “अपनी चूत भी धो लो..”

उसने अपनी चूत भी धोई। अब हम फिर से गम में चले गये। ऋतु का घर बड़ा छोटा सा था।

मैं जानता था की हम जो भी कर रहे हैं, वो शोभा और शिल्पा को सब पता चल रहा है। मैंने रूम में जाकर ऋतु को लण्ड पकड़ा दिया और कहा- “अब चूसो..”

ऋतु मेरे लौड़े को चूसने लगी। दो मिनट में मेरा लौड़ा टनटना का पूरा तैयार हो गया। ऋतु पलंग पर जाकर लेट गई, और अपनी दोनों टांगों को फैला दिया। मुझे देखकर हँसी आ गई।

मैंने उसको कहा- “मैं अब तुमको आगे से नहीं पीछे से चोदूंगा..”

ऋतु सुनकर घबरा गई। हाथ जोड़कर बाली- “प्लीज… आप वहां मत करिए बड़ा दर्द होगा..”

मैंने कहा- “सुनो। मैं तमको जैसा कहें वैसा करो.. मेरा मह खराब मत करो समझी?”

मैंने जब गुस्से से कहा तो वो डर गईं।

मैंने उसको कहा- “चलो एक काम करो, कोई तेल लेकर आओ..”

उसने कहा- “सामने खिड़की के पास से उठा लीजिए.”

मैंने तेल की ट्यूब उठा ली और ऋतु को कहा- “तुम घोड़ी बन जाओ..”

वो घोड़ी बन गई। मैंने खूब सारा तेल उसके चूतड़ों पर डाल दिया। तेल की धार उसके चूतड़ों की दशा में होती हुई उसकी गाण्ड तक जा रही थी। मैंने अपनी उंगली उसकी गाण्ड में घुसा दी। ऋतु ने अपनी गाण्ड आगे कर दी।

मैंने उसको कहा- “अगर अब तेरी गाण्ड एक इंच भी हिली तो मैं बिना तेल के ही तरी गाण्ड मार दूँगा…”

सुनकर ऋतु बोली- “नहीं-नहीं अब नहीं हिलाऊँगी…”

फिर मैंने उसकी गाण्ड में उंगली पेल दी। अब उसकी गाण्ड हिल नहीं रही थी, बस वो अपनी गाण्ड को सिकोड़ रही थी। दो-तीन मिनट मैं उसकी गाण्ड में उंगली चलाता रहा। फिर मैंने अपनी दूसरी उंगली भी उसकी गाण्ड में पेल दी। अब ऋतु को दर्द होने लगा और वो रोने लगी। मैंने उसको कुछ कहा नहीं, अपना काम करता रहा। जब मैंने देखा इसकी गाण्ड अब लौड़ा लेने को तैयार हैं तब मैंने उसको पलंग के कार्जर में घोड़ी बना दिया, और मैं नीचे खड़ा होकर उसकी गाण्ड पर अपना लौड़ा अइजस्ट करने लगा।

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1 Comment

  1. Minu

    Mera boss bhi muze dekh badi jibh laplapata hei, soch rahi hun lelu sale ko andar…

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