फूफी और उसकी बेटी से शादी – indian incest sex story

रात के 9:00 बज रहे थे। मैं घर जाकर ये खुशखबरी फूफी और शाजिया को सुनाना चाहता था। इसलिए उन लोगों के लिए मिठाई ले गया। जब में घर पहुँचा तो शाजिया मिठाई का बाक्स देखकर खुश हो गई, क्योंकी उसे लगा की ये बाक्स उसके लिए लाया हूँ

शाजिया कहने लगी- “भैया आपको याद था ? मुझे लगा आप भूल गये होगे। माँ को भी याद नहीं था। मैंने सोच लिया था की मैं आप लोगों को नहीं बताऊँगी। क्योंकी इन दिनों कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था। पर आपने मुझे सर्प्राइज कर दिया…”


मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की ये शाजिया किस चीज की बात कर रही है। लेकिन उसकी बातों से लग रहा था की कोई स्पेशल दिन है। शाजिया ने मुझे गले लगा लिया। तब मुझे याद आया की कल तो शाजिया का बर्थ डे है। मिठाई लाया था मैं अपने प्रमोशन की खुशी में। पर ये सब देखकर मैंने बात पलट दी और कहने लगा- “तुमने ये कैसे सोच लिया की मैं तुम्हारा जनम दिन भूल जाऊँगा” और उसे कसकर गले लगा लिया।

फूफी को भी नहीं याद था फिर ये सब सुनकर उन्होंने भी गले लगाया।

मैंने कहा- “तुम्हारा जनम दिन बहुत अच्छे से सेलेब्रेट करेगे। लेकिन ये तुम बताओगी की तुम्हें अपना बर्थ-डे कैसे सेलेब्रेट करना है?”

शाजिया- “मुझे तो आपके साथ ही अपना बर्थ-डे मनाना है…’

मैं- “ठीक है। सबसे पहले कल सुबह हम लोग मंदिर जाएंगे। उसके बाद कही घूमने और फिर लंच करेंगे। शाम को केक काटेंगे और उसके बाद तुम्हारा गिफ्ट…”

गिफ्ट की बात सुनकर वो और खुश हो गई, कहने लगी- “गिफ्ट में क्या होगा?”

मैं- “अभी नहीं बताऊँगा। कल जब मिलेगा तब देख लेना….”

अब शाजिया ने मुझे गाल पे किस किया किया और थैंक्यू बोलकर गले लगा लिया।

मैंने सोचा प्रमोशन की बात कल बता दूँगा अभी रहने देता हूँ। फूफी खाना बनाने चली गई और शाजिया टीवी देखने लगी।

थोड़ी देर बाद मैं किचेन में गया, पीछे से फूफी की कमर में हाथ डालकर उन्हें कस के पकड़ लिया और उनसे कहा- “अगर दोपहर में शाजिया नहीं आई होती तो आज आपका और मेरा मिलन हो चुका होता, और आप मेरी हो चुकी होती…” कहकर मैं उनी गर्दन पे पीछे से किस करने लगा।

फूफी अपने आपको धीमे से छुड़ाकर पलटी और कहने लगी- “बेटा आज जो कुछ भी हुआ वो अच्छा नहीं हुआ। मैं रिश्ते में तुम्हारी फूफी हूँ और ये सब गलत है..” और उनकी आँखों में आँसू थे।

मैंने कहा- “फूफी गलत तो है, पर मैं आप से प्यार करता हूँ और यहां है कौन जो हमें देख रहा है?”

फूफी- “नहीं बेटा। ये सब फिर भी गलत है…”

मैं- “फूफी क्या आप मुझसे प्यार नहीं करती?”

फूफी- “बेटा मुझे भी तुमसे बहुत प्यार है। लेकिन हमारा रिश्ता ऐसा है की ये सब हम नहीं कर सकते..

मैं बहुत उदास हो गया, और कहा- “ठीक है फूफी। अब जब आप कहेंगी तभी मैंनें आपके पास आऊँगा ऐसे नहीं आऊँगा…”

फूफी- “बेटा बुरा ना मानो। अगर तुम ही नाराज हो जाओंगे तो हम लोगों का क्या होगा?”

मैंने कहा- “फूफी मुझे बुरा नहीं लगा। मैं आपकी तरफ से प्यार के इजहार का इंतजार करूँगा…’

मैं मन में सोच रहा था- “फूफी चली गई तो क्या हुआ शाजिया तो हैं ही मस्ती के लिए ” अब फूफी ने अपने आँसू पोछे और मैं वहां से चल दिया।

रात के 9:00 बज रहे थे। मैं घर जाकर ये खुशखबरी फूफी और शाजिया को सुनाना चाहता था। इसलिए उन लोगों के लिए मिठाई ले गया। जब में घर पहुँचा तो शाजिया मिठाई का बाक्स देखकर खुश हो गई, क्योंकी उसे लगा की ये बाक्स उसके लिए लाया हूँ

शाजिया कहने लगी- “भैया आपको याद था ? मुझे लगा आप भूल गये होगे। माँ को भी याद नहीं था। मैंने सोच लिया था की मैं आप लोगों को नहीं बताऊँगी। क्योंकी इन दिनों कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था। पर आपने मुझे सर्प्राइज कर दिया…”


मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की ये शाजिया किस चीज की बात कर रही है। लेकिन उसकी बातों से लग रहा था की कोई स्पेशल दिन है। शाजिया ने मुझे गले लगा लिया। तब मुझे याद आया की कल तो शाजिया का बर्थ डे है। मिठाई लाया था मैं अपने प्रमोशन की खुशी में। पर ये सब देखकर मैंने बात पलट दी और कहने लगा- “तुमने ये कैसे सोच लिया की मैं तुम्हारा जनम दिन भूल जाऊँगा” और उसे कसकर गले लगा लिया।

फूफी को भी नहीं याद था फिर ये सब सुनकर उन्होंने भी गले लगाया।

मैंने कहा- “तुम्हारा जनम दिन बहुत अच्छे से सेलेब्रेट करेगे। लेकिन ये तुम बताओगी की तुम्हें अपना बर्थ-डे कैसे सेलेब्रेट करना है?”

शाजिया- “मुझे तो आपके साथ ही अपना बर्थ-डे मनाना है…’

मैं- “ठीक है। सबसे पहले कल सुबह हम लोग मंदिर जाएंगे। उसके बाद कही घूमने और फिर लंच करेंगे। शाम को केक काटेंगे और उसके बाद तुम्हारा गिफ्ट…”

गिफ्ट की बात सुनकर वो और खुश हो गई, कहने लगी- “गिफ्ट में क्या होगा?”

मैं- “अभी नहीं बताऊँगा। कल जब मिलेगा तब देख लेना….”

अब शाजिया ने मुझे गाल पे किस किया किया और थैंक्यू बोलकर गले लगा लिया।

मैंने सोचा प्रमोशन की बात कल बता दूँगा अभी रहने देता हूँ। फूफी खाना बनाने चली गई और शाजिया टीवी देखने लगी।

थोड़ी देर बाद मैं किचेन में गया, पीछे से फूफी की कमर में हाथ डालकर उन्हें कस के पकड़ लिया और उनसे कहा- “अगर दोपहर में शाजिया नहीं आई होती तो आज आपका और मेरा मिलन हो चुका होता, और आप मेरी हो चुकी होती…” कहकर मैं उनी गर्दन पे पीछे से किस करने लगा।

फूफी अपने आपको धीमे से छुड़ाकर पलटी और कहने लगी- “बेटा आज जो कुछ भी हुआ वो अच्छा नहीं हुआ। मैं रिश्ते में तुम्हारी फूफी हूँ और ये सब गलत है..” और उनकी आँखों में आँसू थे।

मैंने कहा- “फूफी गलत तो है, पर मैं आप से प्यार करता हूँ और यहां है कौन जो हमें देख रहा है?”

फूफी- “नहीं बेटा। ये सब फिर भी गलत है…”

मैं- “फूफी क्या आप मुझसे प्यार नहीं करती?”

फूफी- “बेटा मुझे भी तुमसे बहुत प्यार है। लेकिन हमारा रिश्ता ऐसा है की ये सब हम नहीं कर सकते..

मैं बहुत उदास हो गया, और कहा- “ठीक है फूफी। अब जब आप कहेंगी तभी मैंनें आपके पास आऊँगा ऐसे नहीं आऊँगा…”

फूफी- “बेटा बुरा ना मानो। अगर तुम ही नाराज हो जाओंगे तो हम लोगों का क्या होगा?”

मैंने कहा- “फूफी मुझे बुरा नहीं लगा। मैं आपकी तरफ से प्यार के इजहार का इंतजार करूँगा…’

मैं मन में सोच रहा था- “फूफी चली गई तो क्या हुआ शाजिया तो हैं ही मस्ती के लिए ” अब फूफी ने अपने आँसू पोछे और मैं वहां से चल दिया।

बर्थ-डे का दिन।
जब से फूफी ने मेरे प्यार को मना कर दिया था तब से मैं उनसे ठीक से बातें नहीं कर रहा था। मैं उनसे थोड़ा उखड़ा – उखड़ा रह रहा था। वो बीच-बीच में मुझसे प्यार से बात कर रही थी। पर मैं उन्हें रेस्पान्स नहीं दे रहा था। मैंने सोच लिया था की आज शाजिया के साथ खूब मस्ती करूँगा। शाजिया मेरी दी हुई पहले वाली ड्रेस पहन के तैयार थी और मैं तैयार हो रहा था।


मैंने फूफी से उखड़े हुए अंदाज में कहा- “अगर आपको भी चलना है तो तैयार हो जाइए…”

मेरी ऐसे बातों से फूफी को लगा की मैं उन्हें नहीं ले जाना चाहता हूँ, तो उनका मुँह लटक गया, और वो ना जाने के बहाने बनाने लगी की मुझे बुखार है मैं नहीं जा पाऊँगी।

लेकिन शाजिया उन्हें मनाने लगी।

मैंने कहा- “ठीक है। हम लोग जा रहे हैं, आप अपना ख्याल रखना…”

मेरे मुँह से ऐसी बातें सुनकर फूफी को बहुत बुरा लग रहा था। वो जानती थी की मुझे गुस्सा बहुत आता है और जल्दी जाता भी नहीं है।

शाजिया भी ये सब सुनकर हैरान थी की आखिर अम्मी और भैया के बीच में क्या चल रहा है?

मैं शाजिया को लेकर मंदिर चला गया। वहां हमने भगवान के दर्शन किए और वहां से घूमने चल दिए। काफी जगह घूमने के बाद मैं उसे लंच में ले गया।

शाजिया मेरे साथ बहुत ज्यादा फ्रेंडली हो चुकी थी। वो मुझसे चिपक चिपक के चलने लगी थी घूमते वक़्त । मैंने सोचा शाम को नहीं उसे अभी गिफ्ट दे दिया जाए, तो उसे माल में एक अच्छी सी शाप पे ले गया और उसे वहां एक हाट ड्रेस दिलवाई।

शाजिया उस ड्रेस से शर्मा रही थी की वो इसे कैसे पहनेगी? पर मैंने उसे मना लिया। वो ट्रायल रूम में गई ड्रेस को ट्राई करने के लिए। मैं ट्रायल रूम के बाहर ही खड़ा था।

शाजिया 5 मिनट बाद अंदर से बोलती है- “मैं ये पहन नहीं पा रही हूँ। मुझे समझ में नहीं आ रहा है की ये पहनूं कैसे?”

मैंने कहा- “ट्राई करती रहो, हो जाएगा….

लेकिन वो समझ नहीं पा रही थी क्योंकी वो ड्रेस बहुत छोटी थी।

अब मैंने कहा- “ठीक है दरवाजा खोलो मैं देखता हूँ–
::
शाजिया मेरे साथ काफी फ्रेंड्ली हो चुकी थी, इसलिए उसने दरवाजा खोल दिया। उस शाप में उस वक़्त ज्यादा कस्टमर नहीं थे इसलिए मैं अंदर घुस गया। मैंने सोचा आज तो जन्नत के नजारे देखने को मिलेंगे। जैसे ही मैंने उसे देखा मुझे हल्की सी हँसी आ गई। वो अपने कपड़ों के ऊपर से ही उस ड्रेस को पहन रही थी।

तब मैंने उसे समझाया- तुम्हें पहले ये कपड़े खोलने पड़ेंगे। में अपना मुँह घुमा लेता हूँ तुम ये कपड़े खोल दो…

शाजिया ऐसा ही करने लगी। चेंजिंग रूम में चारों तरफ शीशे लगे थे। मैं शाजिया को कपड़े खोलते हुए देख रहा था। पहले शाजिया ने अपना टाप निकाला। उसने ब्लैक कलर की ब्रा पहन रखी थी उसे इस तरह देखकर मेरे तन बदन में आग लग रही थी। अब वो अपनी जीन्स निकालने लगी तब उसकी नजर सामने वाली मिरर पे पड़ी और उसने देख लिया की मैं उसे देख रहा था।

मुझे भी पता चल गया था की शाजिया ने मुझे देख लिया है। पर मैं अभी भी उसे देख रहा था। वो हँसने लगी और शर्मा-शर्माकर जीन्स खोलने लगी। उसने अपनी जीन्स खोल दी
और मेरी तरफ देखने लगी।

मैंने इशारा किया की वो ड्रेस पहनने की कोशिश करे।

उसने ब्लैक कलर की पैंटी पहनी हुई थी। मेरा मन तो कर रहा था की अभी घूम के उसकी चूत में अपनी जबान लगा दूं और उसे चाटने लगूं। अब वो ड्रेस ट्राई करने लगी, पर ड्रेस टाइट थी और छोटी थी तो वो अटक गई थी। तब मैं पीछे घूमा और उसकी कमर पकड़कर उसे अपनी तरफ घुमाया और उसे ड्रेस पहनने में मदद करने लगा।

ड्रेस पहनाने के बहाने मैंने उसकी चूचियों को, गाण्ड को और उसकी जांघों को छुआ वो बहुत शर्मा रही थी। उसका चेहरा शर्म के मारे लाल हो गया था।

उसे उस ड्रेस में देखकर मेरे मन पागल हो रहा था। मैं उसे घूर घूर के देख रहा था।

वो अपना चेहरा और अपनी टांगों को छुपाने की कोशिश करने लगी। पर मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा- “तुम्हें ये ड्रेस कैसी लगी?”

वो शर्माकर कहने लगी- “अच्छी ड्रेस है.” उसका हाथ मेरे हाथ में था।

मैं- “तुम्हें ये ड्रेस मैंने दिलवाई है तो मुझे इसके बदले कुछ नहीं मिलेगा ?”

शाजिया- “क्या चाहिए आपको?”

मैंने कहा- “वो मैं बाद में माँग लूँगा। अब चलते हैं यहां से..” मैंने ड्रेस के पैसे दिए और हम लोग घर चल दिए

रास्ते में लवर्स पाइंट पड़ता था, तो मैंने सोचा यही अच्छा टाइम है शाजिया को सिड्यूस करने का। मैंने लवर्स पाइंट की तरफ इशारा किया और कहा- “वहां चलोगी?”

शाजिया- “वो कौन सी जगह है?”

मैं- “लवर्स पाइंट। हम जैसे लोगों के लिए, मतलब हम जैसे प्यार करने वालों की जगह है वो…”

शाजिया हँसने लगी ।

मैंने पूछा- “तुम मुझसे प्यार तो करती हो ना?”

शाजिया ने कहा- “दुनियां में सबसे ज्यादा मैं आपसे ही प्यार करती हूँ। आप जहां कहोगे मैं वहां चलूंगी.”

हम लोग लवर्स पाइंट के अंदर चले गये। वहां शाजिया ने बहुत सारे लोगों को देखा जो अपनी गर्लफ्रेंड के साथ बैठकर किसिंग और बहुत कुछ कर रहे थे। वो मुझसे चिपक के चलने लगी। उसे शर्म आ रही थी। इस जगह पे हम लोग एक बेंच में चिपक के बैठ गये। मेरा हाथ उसकी कमर में था और वो कपल्स को किस करते हुए अभी भी देख रही थी।

मैं- “क्या देख रही हो शाजिया ?”

शाजिया ये सुनकर शर्मा गई और अपना मुँह मेरे कंधे पे रखकर छुपाने लगी।

मैंने उसका चेहरा उठाया और उसकी आँखों में देखकर कहा- “मुझे भी यही चीज चाहिए…”

वो शर्माते हुए उठ गई, और कहा- “मुझे ये सब करने में शर्म आती है और मैंमें यहां कुछ नहीं करूँगी…”

मैंने कहा- “यहां नहीं करोगी… इसका मतलब घर पर करोगी….”

वो अपना मुँह घुमा के हँसने लगी मैं समझ गया की इसको पटाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। ये आज के जमाने की लड़की है।

मैं- “तो चलो घर… वहां पर मुझे चाहिए और तुमने कहा था उन तीन लड़कों को सबक सिखाने के बाद की तुम मुझे 10 किस दोगी। याद है की नहीं?”

शाजिया हँसते हुए- “सब याद है..”

मैं खुशी के मारे पागल हुआ जा रहा था। मैंने बाइक उठाई उसे पीछे चिपका के बैठाया और चल दिया घर । घर पहुँच के शाजिया ने फूफी को आवाज लगाई तो फूफी ने दरवाजा खोला। उनका चेहरा ऐसा लग रहा था जैसे वो रो रही हो।

शाजिया ने पूछा- “क्या हुआ माँ?”

फूफी- “कुछ नहीं बेटा। आँखों में कुछ चला गया था…” और फूफी ने देखा की शाजिया की कमर में मेरा हाथ है, और शाजिया का हाथ मेरी कमर में हैं, हम लोग चिपक के खड़े हैं।

शाजिया की ड्रेस देखकर फूफी दंग रह गई और गुस्से से कहा- “ये तुमने क्या पहन रखा है?”

मैंने कहा- “ये ड्रेस मैंने खरीद के दी है….”

फूफी ये सुनकर चुप हो गई।

घर आते समय में केक लेता हुआ आया था शाजिया ने केक काट के पहले मुझे खिलाया फिर फूफी को । शाजिया ने वो ड्रेस खोल के रख दी और नाइटी पहन ली। फूफी किचेन में खाना बनाने में बिजी थी। मैं शाजिया के पास गया और उसे वो वादा याद दिलाया।

शाजिया बोली “घर में कैसे दूं? अम्मी हैं…”

मैंने कहा- “चलो छत पे वहां तो कोई नहीं है…” कहकर उसका हाथ पकड़ा और उसे ले गया छत पे, और मैंने अपना चेहरा आगे करते हुए कहा- “अब तो दे दो…”

शाजिया- “अच्छा ठीक है बाबा देती हूँ.


उसने मुझे 9 किस गालों पे दिए और दसवां किस मैंने अपने होंठों पे लिया। मेरा ये पहला किस था और उसका भी। हमारा किस ज्यादा नहीं बस 40 सेकेंड तक चला। पर ऐसा लगा की जैसे 40 मिनट तक चला हो।

शरमाते हुए शाजिया नीचे चली गई। पर मैं छत पे ही ठंडी हवा का मजा लेने लगा और शाजिया के होठों के टेस्ट को याद करने लगा।

अगले दिन सुबह मैं सो के उठा। शाजिया नीचे सो रही थी, उसका चेहरा सबसे पहले देखते ही मुझे रात की किस याद आ गई। फूफी बाथरूम में थी। मैंने शाजिया के सिर पे हाथ फेरा, और कहा- “आज इसका चेहरा देखकर उठा हूँ तो आज का दिन अच्छा जाएगा.” कहकर उसके माथे पे एक किस किया और उसे उठाने लगा।

शाजिया उठने लगी। मुझे अपने सामने देखकर खुशी से स्माइल करने लगी।

मैंने उसे कस के हग किया। वो अभी भी लेटी हुई थी तो मैंने उसे उठाया।

शाजिया उठ गई और बाहर गार्डेन में चली गई। मैं न्यूसपेपर पढ़ने लगा। थोड़ी ही देर में फूफी निकली उनका चेहरा देखकर लग रहा था की वो उदास हैं। उन्हें देखकर मुझे बुरा लग रहा था। पर मेरा गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ था।

मैंने मन में कहा- “इन्होंने मेरा प्यार रिजेक्ट किया है, अब जब तक सारी नहीं कहेंगी तब तक इनसे ढंग से बात नहीं करूँगा. “

फूफी ने मुझे देखा और बिना कुछ कहे किचेन में चली गई। मैंने भी उनसे कुछ नहीं बोला। मैं बाथरूम चला गया फ्रेश होने के लिए। थोड़ी देर में निकला और कपड़े पहनने लगा। मैंने सोचा की आज तो मुझे कहीं नहीं जाना है तो मैंने बरमूडा पहन ली। मुझे प्यास लग रही थी तो मैं फ़िज़ से पानी पीने गया। वहां फूफी नाश्ता बना रही थी। उनकी गाण्ड और कमर देखकर मेरे मन में फिर से गंदे विचार आने लगे। पानी पीते हुए मैं उनके बदन को देखने लगा।

फूफी पलटी और मुझे देखने लगी। पर मैंने तुरंत अपना मुँह फेर लिया। उन्हें कुछ पता नहीं चला। फूफी मेरे पास आकर बोली- “तुम्हारा मन पसंद नाश्ता बनाया है…”

मैं कुछ नहीं बोला।

फूफी की आँखों में पानी आ चुका था और वो बोलने लगी- “वसीम कुछ तो बोलो?”

मैं- “मुझे आपसे बात नहीं करनी है…”

फूफी- “तुमने मुझसे लगभग दो दिन से बात नहीं की है आखिर क्यों कर रहे हो तुम मेरे साथ ऐसा?”

मैं- आप जानती तो हो की मैं आपसे क्यों बात नहीं कर रहा हूँ?

फूफी- “प्लीज…. वो सब बातें भूल जाओ। मैं तुमसे माफी मांगती हूँ। मुझे तुम्हारे साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था। मुझे भी तुम्हारे प्यार का अंदाजा तब हुआ जब तुम मुझसे नाराज थे। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरा अब कोई नहीं बचा है। मैं बिल्कुल अकेली हो गई हूँ। मुझे माफ कर दो वसीम प्लीज… देखो मैं अब तुम्हें बेटा भी नहीं बुला रही हूँ। अब से मैं तुम्हें वसीम या सुनिए जी कहकर बुलाऊँगी। अब तो खुश हो ना?”

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