Fantasy मोहिनी

“किसी दिन धर लिये गये तो सारा मनोरंजन धरा रह जाएगा।” कमला बोली। “पुलिस के सादा लिबास वाले यहाँ शिकारी कुत्तों की तरह घात लगाए बैठे रहते हैं और अवसर मिलते ही आवारा लोगों को दबोच लेते हैं। जानते हो फिर क्या होता है? दस-बीस हजार का नुक़सान या फिर रात भर हवालात की हवा खानी पड़ती है।”

“तुम्हारे लिये दस-बीस लाख भी खर्च कर सकता हूँ।”

“सच माई डियर?” कमला ने बड़े रूमानी अंदाज में कहा।

कमला से इधर-उधर की बातें करता हुआ मैं कार से लगभग दो फर्लांग आगे निकल आया था। जब भी मैं रुकने की चेष्टा करता मोहिनी मुझे और आगे चलने को कह देती। फिर जब हम एक वीरान और किसी अंधेरे हिस्से से गुजर रहे थे तो मोहिनी ने अचानक मुझसे रुकने को कहा और बोली –
“राज! तुम्हें पता है, मुझे इन्सानी खून की जरूरत पड़ती है। खून ही मेरी गीजा है और आज मुझे भूख लग रही है। तुम कमला को मारकर मेरे लिये गीजा का प्रबंध करोगे।”

मोहिनी की बात सुनकर मैं यूँ उछल पड़ा जैसे मेरा पाँव बिजली के नंगे तार को छू गया हो। मेरा मस्तिष्क कलाबाजियाँ खाने लगा। अब मेरी समझ में यह बात आ गयी थी कि मोहिनी क्यों बेचैन थी और क्यों उसने मुझे कमला को चौपाटी तक लाने की जिद्द की थी। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ? मेरी निगाहों के सामने वह दृश्य घूम गया जब मैंने मोहिनी के उकसाने पर डॉली के मंगेतर दीपक को मौत के घाट उतार दिया था और अगले दिन अखबार में छपने वाला विवरण पढ़कर मेरे जिस्म के रोंगटे खड़े हो गये थे। मैं अभी तक दिल की धड़कनों पर काबू न पा सका।

“जल्दी करो राज! कमला का खून मेरे लिये महीने भर के लिये काफी होगा। यह जगह भी बिल्कुल वीरान और सुनसान है इसलिए तुम कमला को सरलतापूर्वक ठिकाने लगा सकते हो।”मोहिनी ने कहा।

“क्या तुम कल तक मुझे सोचने का समय नहीं दे सकती?” यह वाक्य मैं बेचैनी भरी हालत में कह गया।

कमला ने सुना तो आश्चर्य से मेरी सूरत देखते हुई बोली –
“किस बात को सोचने के लिये तुम्हें कल का समय चाहिये?”

“कुछ नहीं!” मैं बुरी तरह गड़बड़ा गया।

“राज! क्या तुम मेरी आज्ञा नहीं मानोगे?” मोहिनी के स्वर में इस बार ऐसी खौफनाक गुर्राहट थी जैसे कोई खूंखार जंगली बिल्ली अपने सामने कमजोर बिल्ली को देखकर कंठ से निकालती है। उसी के साथ मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मोहिनी अपने बारीक-बारीक पंजे मेरे सिर में चुभो रही हो। जिसकी चुभन हर पल तेज होती जा रही थी।

अचानक मेरी हालत ऐसी हो गयी थी जैसे किसी अदृश्य शक्ति ने मुझ पर सम्मोहन कर लिया हो। मेरे सोचने-समझने की शक्ति समाप्त होती चली गयी। मैं किसी मशीनी अंदाज में घुमा और कमला को खतरनाक दृष्टि से घूरने लगा। मेरे मस्तिष्क में केवल एक ही वाक्य संघर्ष हो रहा था –
‘राज! कमला को मर डालो।’

“यह तुम मेरी ओर इस तरह घूर कर क्यों देख रहे हो?” कमला ने गौर से मेरी ओर देखते हुए पूछा।

मैंने कमला की बात का कोई उत्तर नहीं दिया। मेरे सिर में नुकीले पंजों की चुभन अत्यन्त तीव्र और कष्टदायक होती जा रही थी और फिर अचानक मुझपर पागलों की सी हालत सवार हो गयी। मेरा चेहरा लाल सुर्ख हो गया। मैं काँपने लगा। मैंने झपटकर कमला की गर्दन को पूरी शक्ति से अपने मजबूत पंजों में दबोच लिया और उंगलियों के घेरे को तंग करता चला गया। कमला का जिस्म मेरे शिकंजे पर तड़प रहा था उसके हलक से घरघराहट की उखड़ी-उखड़ी आवाजें निकल रही थीं। उसकी आँखें भय, दहशत और कष्ट के कारण पलकों से बाहर उबल पड़ी थीं। फिर अचानक कमला का जिस्म दो-चार जोरदार झटके लेकर मेरे हाथों में झूलने लगा।

“सुनो राज! तुम इसके ऐसे ठोकर मारो कि खून निकल आए। मैं इस बार कोई निशान नहीं छोड़ना चाहती।”मैंने मोहिनी के आदेश का पालन करते हुए जोर से कमला के जिस्म को जमीन पर गिराकर ठोकर मारी। खून का फव्वारा उबल पड़ा। कमला की आत्मा अपने शरीर को छोड़ कर स्वर्ग सिधार चुकी थी। मैं अब दोबारा होश में आ गया था। यह सोचकर कि मैंने कमला को मार डाला है। मैं काँप उठा। बौखलाहट में मैंने कमला के बेजान जिस्म को उसी तरह छोड़ दिया और भयभीत होकर कई कदम पीछे हटता चला गया।

“राज!” मोहिनी की फुसफुसाहट मेरे कानों में फैलती चली गयी। “तुमने वास्तव में मेरे लिये एक बहुत बड़ा काम किया है। मैं तुम्हारी अहसानमंद हूँ।”

“भगवान के लिये तुम मेरा पीछा छोड़ दो। मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ता हूँ!” मेरी आवाज़ बेबसी से भरी हुई थी और मैं उसी आलम में बोला था।

“यह असम्भव है राज!” मोहिनी ने जल्दी से कहा। “तुम मेरे साथ दोस्ती निभाने का वायदा कर चुके हो और यह दोस्ती उसी समय समाप्त होगी। जब मैं चाहूँगी।” मोहिनी ने तेजी से उत्तर दिया फिर अपने होंठो पर जुबान फेरती हुई बोली। “अब तुम यहाँ से भाग जाओ। कहीं ऐसा न हो कि कमला की हत्या के जुर्म में तुम पकड़े जाओ और तुम्हें फाँसी हो जाए। इससे पहले तुम भाग जाओ।” कोई लिजलिजी सी चीज जैसे कोई छिपकली मेरे शरीर पर रेंगती हुई उतर गयी।

“ओह, मेरे भगवान! मैं क्या करूँ?” मैंने दिल ही दिल में कहा। एक नज़र रेत पर पड़ी हुई बेजान कमला पर डाली फिर तेजी से घूमकर अपनी कार की ओर दौड़ने लगा। कमला की लाश को मोहिनी के हवाले करते ही मैं कार की तरफ दौड़ पड़ा था। कुछ क्षणों पहले तक चौपाटी के अन्धकार में डूबी स्वप्निल हवा मेरी भावनाओं को गुदगुदा रही थी। परन्तु यह सब कुछ मेरे लिये इस कदर खौफनाक हो गया था कि मैं जल्द से जल्द वहाँ से दूर निकल जाना चाहता था। मोहिनी के अलावा स्वयं कमला ने भी मुझे याद दिलाने की कोशिश की थी कि रात सन्नाटे में सादा लिबास वाले चौपाटी के क्षेत्र में शिकारी कुत्तों की तरह जरायम की गन्ध को सूँघते फिरते हैं और पकड़े जाने की सूरत में मुल्जिम को भारी हानि उठानी पड़ती है।

यदि मैं कमला जैसी हसीन व गुदाज जिस्म वाली युवती के साथ मौज-मस्ती लेता पकड़ा जाता तो फिर कोई चिन्ता की बात न होती। मैं कमला के जिस्म के बदले पुलिस का मुँह दौलत के अम्बार तले सरलतापूर्वक बन्द कर देता लेकिन इस समय मेरी हैसियत एक कातिल की थी और पकड़े जाने की सूरत में यकीन था कि फाँसी का फंदा मेरा भाग्य बन जाता। इसलिए मैं बदहवासी में भागा जा रहा था।

जिस जगह मैंने मोहिनी की आज्ञा पर कमला को ठिकाने लगाया था। वहाँ से कार का फासला कुछ अधिक नहीं था। परन्तु भय और दहशत ने उस साधारण सी दूरी को मेरे लिये अच्छा-खासा लम्बा बना दिया था। हर पल मुझे यही लगता कि अचानक अंधेरे से अनगिनत कानून के रक्षक निकलकर मुझे अपने शिकंजे में जकड़ लेंगे। परन्तु ऐसा नहीं हुआ। मैं किसी तरह हाँफता अपनी कार तक पहुँच ही गया। जल्दी से कार का दरवाजा खोलकर मैंने स्वयं को अगली सीट पर गिराया फिर गाड़ी स्टार्ट की और तीव्र गति से वापसी के लिये खुली सड़क पर डाल दिया। मेरा मस्तिष्क उस समय अजीब सी उलझनों में फँसा हुआ था। मुझे कमला का ख्याल आता जो बिल्कुल बेगुनाह थी, बेबस थी। मरने से पहले आखिरी बार उस गरीब ने मुझे जिन निगाहों से देखा था उनमें झलकने वाली उलझन अभी तक मेरे मानो-मस्तिष्क पर छाई हुई थी। मुझे अपने शयन-कक्ष में कमला की हसीन मुस्कुराहट याद आती और फिर एकदम से मेरा ज़हन मोहिनी के बारे में उलझकर रह जाता था।

मोहिनी, जिसके रहस्यमय अस्तित्व ने अभी कुछ क्षण पहले मेरे हाथों कमला को मौत के घाट उतरवा दिया था और फिर जब मैंने यह सोचा कि मोहिनी इस समय बड़े आराम से चौपाटी पर कमला की लाश से खून का एक-एक कतरा अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिये चूस रही होगी तो मेरा एक-एक रोआँ भय से काँप उठा।

“उल्लू! गधे!” मैं अचानक नौकर पर चढ़ दौड़ा। “तुम जानते नहीं मुझे पेपर से पहले चाय की जरूरत होती है!”

“मैं जानता हूँ साहब, लेकिन मैंने सोचा कि शायद आज आपको चाय से पहले पेपर की जरूरत होगी।” नौकर का स्वर कुछ इस तरह चुभता हुआ और रहस्यमय था कि मैं चौंक पड़ा। एक दृष्टि से मैंने उसे गौर से देखा फिर हाथ बढ़ाकर अखबार ले लिया। लेकिन दूसरे ही क्षण मेरी आँखों के नीचे अंधेरा तैरने लगा। मेरा सिर घूम गया और अखबार मेरे हाथ से छूटकर फर्श पर गिर पड़ा। नौकर से अखबार लेते ही सबसे पहले मेरी दृष्टि उस हैडिंग पर पड़ी थी। वह कमला की हत्या से सम्बन्धित थी। हैडिंग के नीचे कमला की लाश की तस्वीर भी थी जिसे देखकर मेरे होश तक उड़ गये।

अब मुझे अहसास हो रहा था कि नौकर ने क्यों चाय से पहले मुझे मॉर्निंग पेपर का दूसरा स्पेशल बुलेटिन देने की कोशिश की थी। मगर इससे पहले कि मैं अपने होश-ओ-हवास पर काबू पाकर नौकर से कुछ कहता, वह स्वयं ही बोल पड़ा।
“मुझे रात ही शक हुए था साहब कि आपकी तबियत कुछ ठीक नहीं है।”

“क्या मतलब?” मैंने धड़कते हुए दिल से पूछा।

“घबराइए नहीं साहब!” नौकर ने दबी-दबी जुबान में कहा। “मुझे अच्छी प्रकार याद है कि रात अपने मुझसे क्या कहा था। इत्मीनान रखिए, यदि पुलिस वाले यहाँ तक पहुँच भी गये तो मैं यही बयान दूँगा कि कमला का और आपका कभी कोई सम्बन्ध नहीं रहा।”

मेरा मस्तिष्क बुरी तरह चकरा रहा था। कुछ समझ में नहीं आता था कि नौकर की बात का क्या उत्तर दूँ। कुछ क्षणों तक मैं खामोश खड़ा समय की नजाकत को महसूस करता रहा फिर नौकर को सम्बोधित करके बड़े स्पष्ट स्वर में बोला – “हो सकता है कि तुमने अखबार में छपने वाली खबरों से जो निर्णय निकाला हो वह ठीक ही हो। लेकिन क्या तुम बात का कोई सबूत दे सकोगे?”

“आप कैसी बातें करते हैं साहब?” नौकर ने जल्दी से कहा। “आपके खिलाफ सबूत पेश करके मैं भला नमक-हरामी कैसे कर सकता हूँ?”

“तुम कहना क्या चाहते हो?”

“ परेशान मत हो साहब! पहले तो पुलिस को अभी तक मिस कमला के हत्यारे के सम्बन्ध में कुछ भी नहीं मालूम और यदि भगवान न करे उन्हें मालूम हो भी गया तो आप उनकी जुबान पर दौलत की मोहर लगाकर उन्हें खामोश कर सकते हैं। बम्बई में सब चलता है सरकार।”

“ठीक है!” मैंने कुछ सोचकर नौकर को अपने विश्वास में लेते हुए दबी जुबान में कहा। “यदि तुमने वफादारी का प्रमाण दिया तो मैं तुमको खुश कर दूँगा।”

“मैं सदा आपका वफादार रहूँगा सरकार।” नौकर ने खुश होकर उत्तर दिया। फिर रहस्यमय स्वर में बोला। “ऐसी घटनाओं में पच्चीस-पचास हजार का भला क्या महत्व होता है?”

नौकर मुझसे क्या कहना चाहता था, यह महसूस करते ही मैं क्रोध से तिलमिला गया। समय का फेर था कि मैं खामोशी से उसके छुपे शब्दों को स्वीकार कर लेने का वचन दे देता, परन्तु जिस अंदाज में उसने मुझसे सौदेबाजी करनी चाही उससे मेरा बदन शोला बन गया। इसलिए मैं समय की नजाकत भूलकर नौकर पर गरज पड़ा।

“नमक हराम, कमीने! दफा हो जा इसी समय। मैं तुझे एक फूटी कौड़ी भी नहीं दूँगा।”

“जैसी आपकी मर्जी साहब।” उसने आँखें बदलकर उत्तर दिया। उसकी नज़रों में मेरे लिये खुला चैलेंज मौजूद था।

कन्धे उचका कर वह जाने के लिये घुमा तो मेरा क्रोध और बढ़ गया। मैं बोला –
“हरामजादे, इस बात को अच्छी तरह याद रखना कि यदि तूने मेरे विरुद्ध कोई बयान देने की चेष्टा की तो पच्चीस-पचास हजार की जगह मैं लाख, दो लाख भी खर्च कर दूँगा। लेकिन तुझे जरूर जेल में सड़वा दूँगा।” नौकर मेरी बात का कोई उत्तर दिए बिना तेज-तेज कदम उठाता बाहर चला गया।

समय और हालत ने जिस तेजी से अपना रूप बदला था, उसने मुझे झकझोककर रख दिया। नौकर के जाने के बाद कुछ क्षणों तक मैं चुपचाप खड़ा अपना निचला होंठ दबाता रहा। फिर मैंने पेपर उठाया और उसको पढ़ने लगा। पेपर में कमला की रहस्यमय हत्या को आवश्यकता से अधिक उछालने की चेष्टा की गयी थी। प्रकाशित होने वाली रिपोर्ट के अनुसार पुलिस बड़ी सरगर्मी के साथ हत्यारे की खोज में थी।

कमला की हत्या के सिलसिले में पेपर से संवाददाता ने यही विचार प्रकट किया था कि उसे किसी अय्याश किस्म के हत्यारे ने पहले से तय किसी प्रोग्राम के अनुसार मारा है। पुलिस ने इस सम्बन्ध में अपनी ओर से कोई राय स्पष्ट नहीं की थी। मामला चूँकि रात का था इसलिए यह खबर पहले पृष्ठ पर छपी थी।

पेपर को पढ़ने के बाद मैं परेशानी की हालत में हाथ पीठ पर बाँधे बेडरूम में टहल रहा था कि अचानक मुझे मोहिनी का ध्यान आ गया। जो मेरी इन सभी परेशानियों का कारण बनी थी। मोहिनी का ध्यान आते ही मैंने महसूस किया कि वह मेरे सिर पर मौजूद है। दोबारा वह कब और किस समय मेरे सिर पर आ धमकी थी। मुझे इसका कोई इल्म न था। लेकिन उस समय मैं महसूस कर रहा था कि वह मेरे सिर पर बड़े आराम से पाँव पसारे सो रही है। मैंने उसके होंठो पर एक चैन कि मुस्कराहट महसूस की। मैं पहले ही कह चुका हूँ कि मोहिनी को ढील महसूस हो जाने वाली एक रहस्यमय चीज थी। मस्तिष्क ने उसकी एक सूरत बना ली थी। कभी वह भयानक और खौफनाक नज़र आती थी, कभी वह नाजुक बदन हसीन सुन्दरी के रूप में। हाँ, यह बात तो निश्चित थी कि वह कोई बहुत खूबसूरत लड़की थी। कदाचित कमला का खून पी लेने के उपरांत आश्चर्यजनक अस्तित्व को भरपूर शक्ति प्राप्त हो चुकी थी। मैंने कल्पनावस्था में मोहिनी को सोते हुए पाया तो मैं आग बबूला हो गया।

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