साक्षी गांड नचाती धक्का मारती बोली “राजू….मजा आ रहा है….हाय….बोल ना….साक्षी को चोदने में कैसा लग रहा है बेटा….हाय बहनचोद….बहुत मजा दे रहा है तेरा लौड़ा…..मेरी चूत में एकदम टाइट जा रहा है….सीईईइ….मादरचोद ….इतनी दूर तक आज तक…..मेरी चूत में लौड़ा नहीं गया….हाय…खूब मजा दे रहा है…. बड़ा बूर फारु लौड़ा है रे…तेरा….हाय मेरे राजा….तू भी नीचे से गांड उछाल ना….हाय….अपनी साक्षी मौसी की मदद कर….सीईईईइ…..मेरे सैयां…..जोर लगा के धक्का मार…हाय बहनचोद….चोद दे अपनी साक्षी मौसी को….चोद दे….साले…चोद, चोद….के मेरी चूत से पसीना निकाल दे…भोसड़ीवाले…. ओह आई……ईईईइ…” साक्षी एकदम पसीने से लथपथ हो रही थी और धक्का मारे जा रही थी.
लौड़ा गचा-गच उसकी चूत के अन्दर बाहर हो रहा था और अनाप शनाप बकते हुए दाँत पिसते हुए पूरा गांड तक का जोर लगा कर धक्का लगाये जा रही थी. कमरे में फच-फच…गच-गच…थप-थप की आवाज़ गूँज रही थी. साक्षी के पसीने की मादक गंध का अहसास भी मुझे हो रहा था. तभी हांफते हुए साक्षी मेरे बदन पर पसर गई. “हाय…थका दिया तुने तो…..मेरी तो एक बार निकल भी गई…
साले तेरा एक बार भी नहीं निकला…।हाय…।अब साले मुझे नीचे लिटा कर चोद…जैसे मैंने चोदा था वैसे ही….पूरा लौड़ा डाल कर….मेरी चूत ले….ओह….” कहते हुए मेरे ऊपर से नीचे उतर गई. मेरा लण्ड सटाक से पुच्च की आवाज़ करते हुए बाहर निकल गया. साक्षी अपनी दोनों टांगो को उठा कर बिस्तर पर लेट गई और जांघो को फैला दिया.
चुदाई के कारण उनकी चूत गुलाबी से लाल हो गई थी. साक्षी ने अपनी जांघो के बीच आने का इशारा किया. मेरा लपलपाता हुआ खड़ा लण्ड साक्षी की चूत के पानी में गीला हो कर चमचमा रहा था. मैं दोनों जांघो के बीच पंहुचा तो मुझे रोकते हुए साक्षी ने पास में परे अपने पेटिकोट के कपड़े से मेरा लण्ड पोछ दिया और उसी से अपनी चूत भी पोछ ली फिर मुझे डालने का इशारा किया. ये बात मुझे बाद में समझ में आई की उन्होंने ऐसा क्यों किया. उस समय तो मैं जल्दी से जल्दी उनकी चूत के अन्दर घुस जाना चाहता था. दोनों जांघो के बीच बैठ कर मैंने अपना लौड़ा चूत के गुलाबी छेद पर लगा कर कमर का जोर लगाया. सट से मेरा सुपाड़ा अन्दर घुसा. बूर एक दम गरम थी. तमतमाए लौड़े को एक और जोर दार झटका दे कर पूरा पूरा चूत में उतारता चला गया.
लण्ड सुखा था चूत भी सूखी थी. सुपाड़े की चमड़ी फिर से उलट गई और मुंह से आह निकल गई मगर मजा आ गया. चूत जो अभी दो मिनट पहले थोरी ढीली लग रही थी फिर से किसी बोतल के जैसे टाइट लगने लगी. एक ही झटके से लण्ड पेलने पर साक्षी कोकियाने लगी थी. मगर मैंने इस बात कोई ध्यान नहीं दिया और तरातर लौड़े को ऊपर खींचते हुए सटासट चार-पॉँच धक्के लगा दिए.
साक्षी चिल्लाते हुए बोली “मादरचोद …साले दिखाई नहीं देता की चूत को पोछ के सुखा दिया था…भोसड़ी के सुखा लौड़ा डाल कर दुखा दिया…॥तेरी मौसी को चोदु….हरामी…. साले…अभी भी….चोदना नहीं आया…ऊपर चढ़ के सिखाया था….फिर साले तुने….”
मैं रुक कर साक्षी का मुंह देखने लगा तो फिर बोली “अब मुंह क्या देख रहा है….मार ना….धक्का….जोर लगा के मार…हाय मेरे राजा…मजा आ गया…इसलिए तो पोछ दिया था….हाय देख क्या टाइट जा रहा है…इस्स्स्स्स….” मैं समझ गया अब फुल स्पीड में चालू हो जाना चाहिए. फिर क्या था मैंने गांड उछाल उछाल कर कमर नचा कर जब धक्का मरना शुरू किया तो साक्षी की चीखे निकालनी शुरू हो गई. चूत फच फच कर पानी फेंकने लगी. गांड हवा में लहरा कर लण्ड लीलने लगी
“ हाय पेल दे…॥बेटा ऐसे ही बेदर्दी से….. चोद अपनी मौसी साक्षी की चूत को….ओह माँ….कैसा बेदर्दी बेटा है….हाय कैसे चोद रहा है….अपनी साक्षी मौसी को….हाय माँ देखो….मैंने मुठ मारने से मना किया तो साले ने मुझे चोद डाला……चोदा इसके लिए कोई बात नहीं….मगर कमीने को ऐसे बेदर्दी से चोदने में पता नहीं क्या मजा मिल रहा है उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़…….मर गई….हाय बड़ा मजा आ रहा है…..सीईईईई…..मेरे चोदु सैयां…मेरे बालम….हाय मेरे चोदु बेटा…..बहन के लौड़े…चोद दे अपनी चुदक्कड़ मौसी को…सीईईईई….”
मैं लगातार धक्के पर धक्का लगता जा रहा था. मेरा जोश भी अपनी चरम सीमा पर पहुँच चूका था और मैं अपनी गांड तक का जोर लगा कर कमर नचाते हुए धक्का मार रहा था. साक्षी की चूची को मुठ्ठी में दबोच दबाते हुए गच गच धक्का मारते हुए मैं भी जोश में सिसिया हुए बोला ” ओह मेरी प्यारी साक्षी ओह….सीईईईइ….कितनी मस्त हो तुम….हाय…सीईईई तुम नहीं होती तो…मैं ऐसे ही मुठ मारता…हो सीईई…साक्षी बहुत मजा आ रहा है…हाय सच में साक्षी आपकी गद्देदार चूत में लौड़ा डाल कर ऐसा लग रहा है जैसे…..जन्नत….हाय…पुच्च..पुच्च ओह साक्षी मजा आ गया….ओह साक्षी तुम गाली भी देती हो तो मजा आता है….हाय…मैं नहीं जानता था की मेरी साक्षी इतनी बड़ी चुदक्कड़ है….हाय मेरी चुदैल साक्षी ….सीईईईई हमेशा अपने भान्जे को ऐसे ही मजा देती रहना….ऊऊऊऊउ….साक्षी मेरी जान….हाय….मेरा लण्ड हमेशा तुम्हारे लिया खड़ा रहता था….हाय आज….मन की मुराद…..सीईईई….” मेरा जोश अब अपने चरम सीमा पर पहुँच चूका था और मुझे लग रहा था की मेरा पानी निकल जायेगा
साक्षी भी अब बेतहाशा अंट-शंट बक रही थी और गांड उचकाते हुए दांत पिसते बोली ” “हाय साले….चोदने दे रही हूँ तभी खूबसूरत लग रही हूँ….मादरचोद मुझे सब पता है…..चुदैल बोलता है….साले चुदक्कड़ नहीं होती…मुठ मारता रह जाता…..हाय जोर….अक्क्क्क्क…..जोर से मारता रह मादरचोद …. मेरा अब निकलेगा…हाय बेटा मैं झड़ने वाली हूँ….सीईईईई….और जोर से पेल….चोद चोद….चोद चोद…. राजू….बहनचोद….बहन के लौड़े…..” कहते हुए मुझे छिपकिली की तरह से चिपक गई. उनकी चूत से छलछला कर पानी बहने लगा और मेरे लण्ड को भिगोने लगा. तीन-चार तगड़े धक्के मारने के बाद मेरा लण्ड भी झड़ने लगा और वीर्य का एक तेज फौव्वारा साक्षी की चूत में गिरने लगा. साक्षी ने मुझे अपने बदन से कस कर चिपका लिया और आंखे बंद करके अपनी दोनों टांगो को मेरे चुतड़ों पर लपेट मुझे बाँध लिया. जिन्दगी में पहली बार किसी चूत के अन्दर लण्ड को झारा था. वाकई मजा आ गया था. ओह साक्षी ओह साक्षी करते हुए मैंने भी उनको अपनी बाँहों में भर लिया था. हम दोनों इतनी तगड़ी चुदाई के बाद एक दम थक चुके थे मगर हमारे गांड अभी भी फुदक रहे थे. गांड फुद्काती हुई साक्षी अपनी चूत का रस निकल रही थी और मैं गांड फुद्काते हुए लौड़े को बूर की जड़ तक ठेल कर अपना पानी उनकी चूत में झार रहा था. सच में ऐसा मजा मुझे आज के पहले कभी नहीं मिला था. अपनी खूबसूरत मौसी को चोदने की दिली तम्मन्ना पूरी होने के कारण पुरे बदन में एक अजीब सी शान्ती महसूस हो रही थी.करीब दस मिनट तक वैसे ही पड़े रहने के बाद मैं धीरे से साक्षी के बदन से नीचे उतर गया. मेरा लण्ड ढीला हो कर पुच्च से साक्षी की चूत से बाहर निकल गया. मैं एकदम थक गया था और वही उनके बगल में लेट गया. साक्षी ने अभी भी अपनी आंखे बंद कर रखी थी. मैं भी अपनी आँखे बंद कर के लेट गया और पता नहीं कब नींद आ गई. सुबह अभी नींद में ही था की लगा जैसे मेरी नाक को साक्षी की चूत की खुसबू का अहसास हुआ. एक रात में मैं चूत के चटोरे में बदल चूका अपने आप मेरी जुबान बाहर निकली चाटने के लिए…ये क्या…मेरी जुबान पर गीलापन महसूस हुआ.
मैं ने जल्दी से आंखे खोली तो देखा साक्षी अपने पेटिकोट को कमर तक ऊँचा किये मेरे मुंह के ऊपर बैठी हुई थी और हँस रही थी. साक्षी की चूत का रस मेरे होंठो और नाक ऊपर लगा हुआ था. हर रोज सपना देखता था की साक्षी मुझे सुबह-सुबह ऐसे जगा रही है. झटके के साथ लण्ड खड़ा हो गया और पूरा मुंह खोल साक्षी की चूत को मुंह भरता हुआ जोर से काटते हुए चूसने लगा. उनके मुंह से चीखे और सिसकारियां निकलने लगी.
उसी समय सुबह सुबह पहले साक्षी को एक बार फिर चोदा और चोद कर उनको ठंडा करके बिस्तर से नीचे उतर बाथरूम चला गया. फ्रेश होकर बाहर निकला तो साक्षी उठ कर रसोई में जा चुकी थी. रविवार का दिन था मुझे भी कही जाना नहीं था. मौसी साक्षी ने उस दिन लाल रंग की टाइट समीज और काले रंग की चुस्त सलवार पहन रखी थी. नाश्ता करते समय पैर फैला कर बैठी तो मैं उसकी टाइट सलवार से उसके मोटे गुदाज जांघो और मस्तानी चुचियों को देखता चौंक गया.
दोनों फैली हुई जांघो के बीच मुझे कुछ गोरा सा, उजला सफ़ेद सा चमकता आया नज़र आया. मैंने जब ध्यान पूर्वक देखा तो पाया की साक्षी की सलवार उनके जांघो के बीच से फटी हुई. मेरी आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा. मैं सोचने लगा की साक्षी तो इतनी बेढब नहीं है की फटी सलवार पहने, फिर क्या बात हो गई.
तभी साक्षी अपनी जांघो पर हाथ रखते अपने फटी सलवार के बीच ऊँगली चलाती बोली “क्या देख रहा है बे….साले…..अभी तक शान्ती नहीं मिली क्या….घूरता ही रहेगा….रात में और सुबह में भी पूरा खोल कर तो दिखाया था….”
मैं थोड़ा सा झेंपता हुआ बोला “नहीं साक्षी वो…वो आपकी…सलवार बीच से…फटी…”
साक्षी ने तभी ऊँगली दाल फटी सलवार को फैलाया और मुस्कुराती हुई बोली “तेरे लिए ही फाड़ा है….दिन भर तरसता रहेगा…सोचा बीच-बीच में दिखा दूंगी तुझे…”
मैं हसने लगा और आगे बढ़ साक्षी को गले से लगा कर बोला “हाय…साक्षी तुम कितनी अच्छी हो….ओह…तुम से अच्छा और सुन्दर कोई नहीं है….ओह साक्षी….मैं सच में तुम्हारे प्यार में पागल हो जाऊंगा…” कहते हुए साक्षी के गाल को चूम उनकी चूची को हलके से दबाया.
साक्षी ने भी मुझे बाँहों में भर लिया और अपने तपते होंठो के रस का स्वाद मुझे दिया. उस दिन फिर दिन भर हम दोनों मौसी बेटा दिन भर आपस में खेलते रहे और आनंद उठाते रहे. साक्षी ने मुझे दिन में दुबारा चोदने तो नहीं दिया मगर रसोई में खाना बनाते समय अपनी चूत चटवाई और दोपहर में भी मेरे ऊपर लेट कर चूत चटवाया और लण्ड चूसा.
टेलिविज़न देखते समय भी हम दोनों एक दुसरे के अंगो से खेलते रहे. कभी मैं उनकी चूची दबा देता कभी वो मेरा लण्ड खींच कर मरोड़ देती. मुझे कभी मादरचोद कह कर पुकारती कभी बहनचोद कह कर. इसी तरह रात होने पर हमने टेलिविज़न देखते हुए खाना खाया और फिर वो रसोई में बर्तन आदि साफ़ करने चली गई और मैं टीवी देखता रहा थोड़ी देर बाद वो आई और कमरे के अन्दर घुस गई. मैं बाहर ही बैठा रहा.
तभी उन्होंने पुकारा “राजू वहां बैठ कर क्या कर रहा है…बेटा आ जा….आज से तेरा बिस्तर यही लगा देती हूँ….”
मैं तो इसी इन्तेज़ार में पता नहीं कब से बैठा हुआ था. कूद कर साक्षी के कमरे में पहुंचा तो देखा साक्षी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ कर मेकअप कर रही थी और फिर परफ्यूम निकाल कर अपने पूरे बदन पर लगाया और आईने में अपने आप को देखने लगी. मैं साक्षी के चुतड़ों को देखता सोचता रहा की काश मुझे एक बार इनकी गांड का स्वाद चखने को मिल जाता तो बस मजा आ जाता. मेरा मन अब थोड़ा ज्यादा बहकने लगा था. ऊँगली पकड़ कर गर्दन तक पहुचना चाहता था.
साक्षी मेरी तरफ घूम कर मुझे देखती मुस्कुराते हुए बिस्तर पर आ कर बैठ गई. वो बहुत खूबसूरत लग रही थी. बिस्तर पर तकिये के सहारे लेट कर अपनी बाँहों को फैलाते हुए मुझे प्यार से बुलाया.
मैं कूद कर बिस्तर पर चढ़ गया और साक्षी को बाँहों में भर उनके होंठो का चुम्बन लेने लगा. तभी लाइट चली गई और कमरे में पूरा अँधेरा फ़ैल गया. मैं और साक्षी दोनों हसने लगे. फिर उन्होंने ने कहा “हाय राजू….ये तो एक दम टाइम पर लाइट चली गई…मैंने भी दिन में नहीं चुदवाया था की….रात में आराम से मजा लुंगी….चल एक काम कर अँधेरे में बूर चाट सकता है….देखू तो सही…..तू मेरी चूत की सुगंघ को पहचानता है या नहीं….सलवार नहीं खोलना ठीक है….”
इतना सुनते ही मैं होंठो को छोड़ नीचे की तरफ लपका उनके दोनों पैरों को फैला कर सूंघते हुए उनकी फटी सलवार के पास उनके चूत के पास पहुँच गया. सलवार के फटे हुए भाग को फैला कर चूत पर मुंह लगा कर लफर-लफर चाटने लगा.
थोड़ी देर चाटने पर ही साक्षी एक दम सिसयाने लगी और मेरे सर को अपनी चूत पर दबाते हुए चिल्लाने लगी ” हाय राजू….बूर चाटू…..राजा….हाय सच में तू तो कमाल कर रहा है….एक दम एक्सपर्ट हो गया है….अँधेरे में भी सूंघ लिया….सीईईईइ बहनचोद….साला बहुत उस्ताद हो गया….है…..सीईईई मेरे राजा…..सीईईईइ” मैं पूरी चूत को अपने मुंह में भरने के चक्कर में सलवार की म्यानी को और फाड़ दिया, यहाँ तक तक की साक्षी की गांड तक म्यानी फट चुकी थी और मैं चूत पर जीभ चलाते हुए बीच-बीच में उनकी गांड को भी चाट रहा था और उसकी खाई में भी जीभ चला रहा था.थोड़ी देर चाटने पर ही साक्षी एक दम सिसयाने लगी और मेरे सर को अपनी चूत पर दबाते हुए चिल्लाने लगी ” हाय राजू….बूर चाटू…..राजा….हाय सच में तू तो कमाल कर रहा है….एक दम एक्सपर्ट हो गया है….अँधेरे में भी सूंघ लिया….सीईईईइ बहनचोद….साला बहुत उस्ताद हो गया….है…..सीईईई मेरे राजा…..सीईईईइ” मैं पूरी चूत को अपने मुंह में भरने के चक्कर में सलवार की म्यानी को और फाड़ दिया, यहाँ तक तक की साक्षी की गांड तक म्यानी फट चुकी थी और मैं चूत पर जीभ चलाते हुए बीच-बीच में उनकी गांड को भी चाट रहा था और उसकी खाई में भी जीभ चला रहा था.
तभी लाइट वापस आ गई. मैंने मुंह उठाया तो देखा मैं और साक्षी दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे. होंठो पर से चूत का पानी पोछते हुए मैं बोला “हाय साक्षी देखो आपको कितना पसीना आ रहा है…जल्दी से कपड़े खोलो….”
साक्षी भी उठ के बैठते हुए बोली “हाँ बहुत गर्मी है….उफ्फ्फ्फ्फ्फ….लाइट आ जाने से ठीक रहा नहीं तो मैं सोच रही थी…..साली …” कहते हुए अपने समीज को खोलने लगी.
समीज खुलते ही साक्षी कमर के ऊपर से पूरी नंगी हो गई. उन्होंने ब्रा नहीं पहन रखी थी ये बात मुझे पहले से पता थी. क्यों की दिन भर उनकी समीज के ऊपर से उनके चुचियों के निप्पल को मैं देखता रहा था. दोनों चूचियां आजाद हो चुकी थी और कमरे में उनके बदन से निकल रही पसीने और परफ्यूम की मादक गंध फ़ैल गई. मेरे से रुका नहीं गया. मैंने झपट कर साक्षी को अपनी बाँहों में भरा और नीचे लिटा कर उनके होंठो गालो और माथे को चुमते हुए चाटने लगा. मैं उनके चेहरे पर लगी पसीने की हर बूँद को चाट रहा था और अपने जीभ से चाटते हुए उनके पूरे चेहरे को गीला कर रहा था.
साक्षी सिसकते हुए मुझ से अपने चेहरे को चटवा रही थी. चेहरे को पूरा गीला करने के बाद मैं गर्दन को चाटने लगा फिर वह से छाती और चुचियों को अपनी जुबान से पूरा गीला कर मैंने साक्षी के दोनों हाथो को पकड़ झटके के साथ उनके सर के ऊपर कर दिया. उनकी दोनों कांख मेरे सामने आ गई. कान्खो के बाल अभी भी बहुत छोटे छोटे थे. हाथ के ऊपर होते ही कान्खो से निकलती भीनी-भीनी खुश्बू आने लगी.
मैं अपने दिल की इच्छा पूरी करने के चक्कर में सीधा उनके दोनों छाती को चाटता हुआ कान्खो की तरफ मुंह ले गया और उसमे अपने मुंह को गाढ दिया. कान्खो के मांस को मुंह में भरते हुए चूमने लगा और जीभ निकाल कर चाटने लगा. कांख में जमा पसीने का नमकीन पानी मेरे मुंह के अन्दर जा रहा था मगर मेरा इस तरफ कोई ध्यान नहीं था. मैं तो कांख के पसीने के सुगंध को सूंघते हुए मदहोश हुआ जा रहा था. मुझे एक नशा सा हो गया था मैंने चाटते-चाटते पूरी कांख को अपने थूक और लार से भींगा दिया था.
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