Family Sex Story – तीन शेरनिया एक शेर

तभी गीता की आवाज़ सुन कर अजय किचन से बाहर आकर सोफे पर बैठ गया और किताब पढ़ने लगा, उसकी भाभी किचन मे खाना बनाने लगी और गीता भी आकर सोफे पर बैठ गई. गीता टीवी ऑन कर के टीवी देखने लगी. गीता ने पिंक कलर की साडी और उसी रंग की मॅचिंग वाला लो कट स्लीवलेशस ब्लौज पहना हुआ था ब्लौज इतना झीना था कि उसके अंदर की सफेद रंग की ब्रा के कप और डोरी आराम से नज़र आ रही थी, गीता के छातियो से उसका आँचल थोड़ा सरका होने से उसके मसल मोटे मोटे दूध छलक कर उसकी गुलाबी चोली फाड़ कर बाहर आने को आमादा थे, गीता की साडी उसकी नाभि से चार अंगुल नीचे बँधी होने से उसकी बड़ी सी गहरी नाभि साफ दिखाई पड़ रही थी, गीता के पेट पर थोड़ी चर्बी होने के कारण उसका गोरा पेट नाभि सहित इतना उठाव मार रहा था कि अच्छे अच्छो के लंड को खड़ा होने पर मजबूर कर दे. कमर के नीचे उसके फैले हुए मोटे मोटे चूतादो और गुदाज मोटी मोटी जंघे देख कर हर कोई यह समझ जाए कि इस औरत को तृप्त करने के लिए इसकी दोनो जाँघो के बीच आकर तबीयत से कुटाई करना पड़े.

अजय अपनी मा को कनखियो से हसरत भरी निगाहो से देखने लगा उसके जहाँ मे वासना अपने शिखर पर थी यही वजह थी कि वह अपनी मा को एक गदराई हुई मस्त औरत की तरह देखने लगा और अपनी मा के गदराए हुए मस्ताने बदन को देख कर सोचने लगा कि एक बार अगर मम्मी पूरी नंगी होकर मुझसे चुदवा ले तो मे इसको रात भर नंगी कर के इसको हुमच हुमच के चोद्ता रहुगा. अब अजय से रहा नही जा रहा था और वह अपनी मा के गदराए सेक्सी बदन को छूने के लिए मचलने लगा और अपनी मा के बिल्कुल करीब आकर उसके गले मे अपना हाथ डाल कर बैठ गया, गीता ने भी उसके पीछे से हाथ डाल कर अपने से चिपका लिया, अजय मा तुम गुलाबी साडी ही ज़्यादातर पहना करो, गीता भला वो क्यो, अजय मा तुम गुलाबी साडी मे बहुत सुंदर लगती हो और गीता के गुलाबी गाल को अपने होंठो से चूम लिया, गीता अजय के गाल खिचते हुए मुस्कुरकर बहुत बड़ी बड़ी बाते करने लगा है, लगता है मेरा बेटा अब बड़ा हो गया है, अजय मा मे कितना ही बड़ा क्यो ना हो जाउ अपनी मा के लिए तो बच्चा ही रहूँगा और गीता की मोटी मोटी छातियो मे अपना मूह डाल कर उन्हे अपने मूह से दबाने लगा, गीता के बदन से आती खुश्बू से अजय मदहोश होने लगा और गीता के अधखुले दूध के कटाव पर अपने होठ और नाक रगड़ने लगा, और उसका लंड बिल्कुल मोटे डंडे की तरह पाजामे मे अकड़ गया, गीता यह बखूबी जानती थी कि अजय बच्चा होने का नाटक कर के उसके गदराए योवन का मज़ा ले रहा है और वह खुद बहुत समय से किसी मस्त लंड से चुदी नही थी तो उसे भी अपने बेटे की इन हर्कतो से एक असीम आनंद प्राप्त होता था, और उसकी चूत जल्दी ही अपने बेटे के स्पर्श से पानी पानी होने लगती थी,

गीता की नज़र भी अजय के पाजामे के अंदर उठे हुए लंड पर पड़ चुकी थी और उसकी मस्त चूत का दाना अपने बेटे के तगड़े लंड को देख कर कूदने लगा, गीता ने भी अजय के गालो को चूमते हुए अपनी छाती से भींच लिया, अजय अपनी मा की नंगी पीठ और मोटे चूतादो पर पीछे से हाथ फेरते हुए. मा तुमने क्या लगाया है तुम्हारा बदन कितना महक रहा है, गीता बेटे औरतो के सारे शरीर से ऐसी ही खुश्बू आती है, हाँ मा यह खुश्बू तो शुंगने मे बहुत अच्छी लग रही है, गीता तो बेटे सूंघ ले ना अपनी मा के अंगो की खुश्बू, और अजय का मूह फिर अपने मोटे दूध से सटा दिया, अजय का लंड अपनी मा की कमर मे ठोकर मार रहा था, गीता भी अजय के लंड की कठोरता को अपनी जाँघो पर महसूस कर रही थी और उसकी चूत ने उसकी पूरी पेंटी को गीला कर दिया था.तभी उधर से आरती का आना हुआ और दोनो मा बेटे अलग हो गये, फिर गीता उठकर गल्लरी मे जाकर अपने दोनो हाथ रलिंग से टिका कर बाहर सड़क की ओर देखने लगी जो कि सोफे पर से नज़र आ रही थी, आरती अजय के पास आकर फुसफुसा कर बोली क्या हुआ देवेर जी कुछ बात बनी, अजय धीरे से क्या बताऊ भाभी मेने मा को गरम तो कर दिया था लेकिन उनके सोफे पर बैठे होने के कारण मे मा की चूत पर अपने हाथ की थपकी नही मार पाया और इतने मे आप आ गई, देखो मेरा डंडा केसा तना हुआ है, आरती ने अजय के लंड को अपने हाथो से दबाते हुए उसके कॅडॅक्पन का एहसास किया उसका लंड वाकई लोहे की मोटी राड जैसा तना हुआ था, तभी आरती के दिमाग़ मे एक आइडिया आया, अजय अभी बात नही बिगड़ी है तू एक कम कर देख अपनी मा को गॅलरी की ओर इशारा करते हुए जहाँ गीता गॅलरी पर हाथ रखे झुकी हुई थी और उसकी मोटी गंद गंद की दो फैले हुए पाट अलग अलग दिशाओ की ओर तने हुए थे, अजय अभी मेरे ख्याल से मम्मी जी की चूत पनिया चुकी है तू एक काम कर पीछे से जाकर अपने खड़े लंड का निशाना बिल्कुल अपनी मा की गंद के छेद मे लगा कर जैसे तू हमेशा अपनी मा से पीछे से चिपक जाता है वैसे ही चिपक जा फिर देख रिक्षन. अजय को आइडिया अच्छा लगा यू आर ग्रेट भाभी और आरती वापस किचन मे चली गई,

अजय सीधा अपनी मा के पीछे गया और अपने खड़ा लंड गीता की गंद की दरार का निशाना साधते हुए सीधे गीता के चूतादो से मा मा कहता हुआ चिपक गया और दोनो हाथो को आगे लेजाकर गीता की मोटी मोटी छातियो का पकड़ लेता है, गीता अचानक गंद मे गढ़ते हुए डंडे के आभास से सिहर जाती है, और अजय मा तुम यहा क्यो चली आई, गीता की चूत पानी पानी हो चुकी थी उसके मूह से आवाज़ नही निकल रही थी बस वह भी अपनी गंद पीछे अजय के लंड की ओर धकेल्ति हुई चुपचाप खड़ी रही, तभी अजय क्या हुआ मा क्या मुझसे नाराज़ हो गई हो, गीता पलट कर नही बेटा मे भला अपने प्यारे बेटे से क्यो नाराज़ होने लगी और अजय को अपने सीने से लगा लिया, अजय के लिए ये अच्छा मोका था उसने भी अपने खड़े लंड को सीधे अपनी मा की चूत से अपनी कमर आगे करते हुए सटा दिया जो सीधा गीता के फड़फडे दाने पर लगा और गीता के मूह से एक हल्की सी आह निकल गई और वह अजय को अपने से चिपका कर खूब चूमने लगी और कहने लगी मेरा प्यारा बेटा कितना बड़ा हो गया है अपनी मा के बराबरी पर आने लगा है, दोनो मा बेटे के चूत और लंड से चिकनाहट बहने लगी और करीब 2 मिनिट तक दोनो एक दूसरे के बदन को अपने बदन से दबा दबा कर मज़ा लेते रहे. तभी उधर से रश्मि का आना हुआ और गीता ने अजय को ढीला छोड़ दिया और फिर तीनो बालकनी मे खड़े खड़े बाते करने लगे.

आरती दोपहर को अजय के रूम मे जाकर क्या हुआ मेरे देवेर राजा कुछ बात बनी या नही. अजय अपनी भाभी को अपने गोद मे बैठाते हुए अपनी भाभी के मोटे मोटे गदराए दूध को दोनो हाथो से मसल्ते हुए अपनी भाभी के गोरे और गुलाबी गालो को चूमते हुए ओह भाभी क्या आइडिया दिया आप ने आज तो मज़ा आ गया, क्यो देवेर जी ऐसा क्या हो गया, अरे भाभी अगर मम्मी ने साडी ना पहनी होती तो आज मेरा लंड खड़े खड़े ही उसकी चूत और गंद दोनो मे घुस चुक्का होता, और आरती के दूध को कस कर दबा देता है, आरती सीसियाते हुए अजय के पाजामे मे अपना हाथ डाल कर उसके लंड को मसल्ने लगती है, मतलब देवेर जी जैसा मैने कहा था तुमने वैसा ही किया, हाँ भाभी मैने अपना खड़ा लंड सीधे मम्मी की मोटी गंद के छेद मे पेल दिया और मम्मी के आगे हाथ लेजा कर मम्मी के मोटे मोटे दूध को अपने हाथो मे भर लिया फिर क्या हुआ, फिर मम्मी सिसियाने लगी और अपनी गंद का प्रेसर मेरे लंड पर डालने लगी फिर आगे घूम कर उसने जैसे ही मुझे अपने सीने से लगाया मैने अपना लंड मम्मी की चूत मे सीधे अड़ा दिया मम्मी मुझे कस कर अपने बदन से चिपकाकर मेरे लंड की चुभन अपनी चूत पर काफ़ी देर तक महसूस करती रही फिर इतने मे रश्मि आ गई, वाह मेरे राजा मतलब एक शिकारी बेटे ने अपनी मा को अपने लंड के जाल मे फसा ही लिया, हाँ भाभी पर पता नही मम्मी को चोदने का मोका कब मिलेगा,

फिकर ना करो देवेर जी अब तुम्हारी मम्मी जल्दी ही तुम्हे पूरी नंगी होकर अपनी चूत मे तुम्हे समा लेगी, बस इंतजार करो, भाभी यू आर वेरी स्वीट और अजय ने अपनी भाभी की मोटी चुचिया मसलते हुए उसके सर के पीछे अपना हाथ ले जाकर अपनी भाभी के चेहरे को अपने चेहरे के पास लाकर, भाभी अपनी जीभ मुझे दिखाओ, आरती अजय की इच्छा समझ गई और उसने अपनी रसीली जीभ जैसे ही अपने मूह के बाहर निकली अजय अपनी भाभी की रसीली जीभ को अपने मूह मे भरकर उसका रस पीने लगा और कस कस के अपनी भाभी की चुचियो और चूतादो को दबाने लगा. दो मिनिट तक भाभी की जीभ चूसने के बाद आरती की चूत मे पानी आ गया, अरे देवेर जी तुम चाहे जब मुझे गरम कर देते हो और फिर हम घरवालो के डर से चुदाई भी नही कर पाते और मैं तड़पति रह जाती हू. अरे भाभी लाओ मे तुम्हारी चूत चाट कर तुम्हे थोड़ा आराम देता हू जल्दी से अपनी साडी उठाओ मे 5 मिनिट के लिए दरवाजा बंद कर देता हू,आरती ने जल्दी से अपनी साडी कमर तक उठा कर बेड के किनारे मूतने के अंदाज मे बैठ गई और अजय बेड के नीचे बैठ कर अपनी भाभी की मस्तानी भोसड़ी का रस जल्दी जल्दी चूसने लगा, दो मिनिट मे ही आरती अपनी गंद हिलाने लगी तब अजय ने अपनी भाभी को टाँगे बेड के नीचे झुलाकर उसे उल्टा कर दिया और अपनी भाभी की मोटी गंद को फैलाकर चाटने लगा, तभी आरती बोली अजय हा भाभी, अजय मेरी गंद तुम अपनी मम्मी की मोटी गंद समझ कर चाट, तुम्हे बहुत मज़ा आएगा, अजय ठीक है भाभी अब अजय ने अपनी भाभी के मोटे चूतादो को दोनो हाथो से पूरी तरह फैला कर कल्पना करने लगा कि वह अपनी मम्मी की मोटी गंद को पूरी नंगी करके फैला फैला कर चाट रहा है, वाकई अजय का मज़ा डॅबल हो गया और वो कस कस कर अपनी भाभी की गंद अपनी मम्मी की मोटी गंद समझ कर चाटने लगा, दो तीन मिनिट मे ही आरती कहने लगी कि वह झड़ने वाली है तो अजय ने अपना लंड निकाल कर अपनी भाभी की चूत मे पीछे से पेल दिया और कस कस कर धक्के मारते हुए कहने लगा ओह मम्मी तेरी चूत मारने मे बड़ा मज़ा आ रहा है आह आह ओ मम्मी आह, उधर आरती भी अपनी चूत की जबरदस्त ठुकाई से कहने लगी और चोद और चोद बेटा अपनी मम्मी को फाड़ दे अपनी मम्मी की मस्तानी चूत को, खूब चोद बेटा अपनी मम्मी को, कस कस के अपनी मम्मी की चूत मार और इसी के साथ आरती झड़ने लगी और अजय भी अपनी भाभी को अपनी मा समझ कर चोद चोद के झाड़ गया. दोनो फटाफट दुरुस्त होकर आरती अपने कमरे मे चली गई

दोपहर को गीता अपने बेड पर पड़े पड़े अजय के लंड से चुदने के लिए तड़पने लगी, सुभह की अजय के मोटे लंड की वो चुभन अपनी गंद और चूत मे उसे रह रह कर महसूस हो रही थी और अब वह किसी भी तरह अपने बेटे का लंड अपनी चूत मे लेने के लिए तरसने लगी और सोचने लगी क्या अजय उसे चोदेगा लेकिन कैसे, फिर उसने सोचा अजय खुद उसे चोदना चाहता है अगर अजय को थोड़ा मोका दिया जाय तो वह ज़रूर अपनी मा की चूत मारने को तैयार हो जाएगा, बस मुझे अजय को अपनी नंगी चूत के दर्शन करवाने का मोका देना होगा, अगर अजय ने उसकी नंगी चूत को करीब से देख लिया तो वह ज़रूर अपनी मा की चूत मारने को तैयार हो जाएगा, गीता ने सोचा वैसे भी वह अपनी मा की पॅंटी को कैसे सूंघ सूंघ के अपना लंड हिला रहा था, मतलब वह अपनी मा की चूत को सूंघना और चाटना भी चाहता है, यह विचार गीता के मन मे आते ही उसकी चूत मे एक भयानक खुजली होने लगी और वह आँखे बंद करके उस सीन की कल्पना करने लगी की कैसे उसका अपना बेटा उसकी नंगी चूत को सूंघ सूंघ के चाट रहा है. गीता इन सब बातो को सोच सोच कर अपने बेटे के नाम की एक जोरदार मूठ मार चुकी थी और फिर अपने बेटे के मोटे लंड से चुदने के ख्वाब देखती सो गई..

अगले दिन विजय तीन दिन के लिए आउट ऑफ सिटी चला गया, अजय के पापा ऑफीस जा चुके थे अजय सोफे पर बैठा बैठा अपनी मम्मी, भाभी और अपनी बहन रश्मि को घर का काम करते हुए देख रहा था, कभी उसकी भाभी आरती अपने मोटे दूध हिलाती हुई इधर से उधर होती, कभी उसकी बहन रश्मि अपने मोटे चुचे और मस्ट गोरी गोरी पिंदलिया को अपने छ्होटे से स्कर्ट जो घुटनो के उपर तक होता था से अपनी बहन की उठती जवानी को निहारता और कभी उसकी मम्मी गीता अपने मोटे मोटे फैले हुए चूतड़ मतकाते हुए घर के काम कर रही थी, अजय सोफे पर न्यूज़ पेपर लेकर बस चोरी चोरी उन तीनो मस्तानी घोड़ियो को देख देख के अपना लंड मसल रहा था, भाभी आरती और बहन रश्मि उसके पास से जब भी गुजरती तो एक छुदास से भरी हुई स्माइल दे देती और अजय भी अपना लंड मसलते हुए मुस्कुरा देता, तभी रश्मि अजय के सामने बैठ कर फर्श पर पोछा लगाने लगी, उसके बैठ कर पोंच्छा लगाने से उसकी मस्त मखमली जंघे और वाइट पॅंटी मे कसी उसकी मस्त फूली हुई बुर का उभार अजय को साफ दिखाई देने लगा और अजय अपना लंड मसल्ते हुए अपनी बहन की जाँघो की गहराई मे अपनी नज़रे गढ़ाए हुए अपनी बहन की उठती हुई जवानी का रस अपनी आँखो से पीने लगा, रश्मि ने जब देखा की अजय उसकी जाँघो की जड़ो मे देख कर अपना लंड मसल रहा है तो रश्मि के चेहरे पर मुस्कान फैल गई, तभी रश्मि को जाने क्या सूझा कि वह उठकर बाथरूम मे गई और थोड़ी देर मे वापस आकर फिर पोंच्छा लगाने लगी अजय ने जैसे ही रश्मि की जाँघो की जड़ो मे देखा उसका लंड बुरी तरह झटके मारने लगा जिसे देख रश्मि ने अजय की तरफ आँख मार कर मुस्कुराने लगी. दरअसल रश्मि बाथरूम मे जाकर अपने चूतादो पर कसी हुई पॅंटी को उतार कर केवल स्कर्ट मे ही बाहर आगाई और अपनी दोनो जाँघो को अजय की ओर करके पोच्छा लगाने लगी जिससे अजय को अपनी बहन का फूला हुआ पूरा भोसड़ा नज़र आने लगा और वह अपनी बहन की गुलाबी चूत और उसकी फूली हुई फांके जो कि अब विपरीत दिशा मे फैल कर पूरे रसीले भोस्डे को खोले हुए थी, अजय का लंड झटके मार रहा था, कुछ देर बाद रश्मि पोच्छा लगाकर हस्ती हुई अजय के सामने से चली गई, और फिर बालकनी मे जाकर अपने हाथ रलिंग पर टिका कर खड़ी हो गई जिससे उसकी मोटी मोटी गंद पीछे की तरफ उठ गई, अजय ने देखा मम्मी बाथरूम मे कपड़े धो रही है वह चुपचाप अपनी दीदी के पास जाकर खड़ा हो गया और अपना हाथ रश्मि की स्कर्ट के अंदर घुसा कर उसकी मोटी मोटी गंद और गंद के बीच की गहराई मे अपना हाथ फैरने लगा, रश्मि मुस्कुराते हुए रोड पर देखती हुई अपने भाई से अपनी गंद मसलवाने का आनंद लेने लगी, कुछ ही देर मे अजय ने पीछे से ही अपनी दीदी की चूत के छेद मे अपनी एक उंगली घुसा कर दबाने लगा, रश्मि का चेहरा लाल शुर्ख हो गया और उसकी चूत से रस रिस्ता हुआ उसकी जाँघो के सहारे बाते हुए उसके घुटनो तक आने लगा, रश्मि ने एक बार अपने भाई के लंड को कस कर दबा दिया और फिर अपनी चूत का पानी अपने हाथो की उंगली से पोंछती हुई अजय को अपनी उंगली दिखाने लगी अजय ने झट से अपनी दीदी की चूत रस से भीगी उंगली को अपने मूह मे लेकर चाट लिया, रश्मि मुस्कुराते हुए अंदर भाग गई, और भाभी के पास किचन मे जा कर बाते करने लगी.तभी गीता ने बाथरूम से अजय को आवाज़ दी बेटा ज़रा इधर आओ, अजय बाथरूम मे आकर हाँ मा क्या है, गीता बेटे ये धुले हुए कपड़े छत पर सूखने के लिया डाल देना बस दो चार और धो दू दो मिनिट रूको, गीता अपनी साडी को अपने घुटनो के उपर तक करके कपड़े धो रही थी और उसकी मोटी चुचियो से उसका पल्लू हटा हुआ था और ब्लाउज के दो बटन खुले हुए थे, जिससे गीता की आधी से ज़्यादा मोटी मोटी चुचिया ब्लाउज से बाहर निकली आ रही थी, अजय अपनी मा की मस्तानी जाँघो और मोटी मोटी चुचियो को देख कर वही मा के सामने बैठ गया और अपनी आँखे फाड़ फाड़ के अपनी मा के गदराए बदन को देखने लगा, गीता जब कपड़ो को ब्रश से घिसती तो उसकी मोटी मोटी चुचिया पूरी तरह हिलने लगती थी और अजय के मूह मे पानी आने लगा, गीता अपने बेटे की नज़रो को समझ चुकी थी और वह खड़ी होकर अपनी साडी और ब्लाउज भी निकाल कर बाल्टी मे झुक कर गलाने लगी अजय अपनी मा को वाइट कलर की ब्रा और पेटिकोट मे देख कर उसका लंड झटके देने लगा, फिर गीता ने अपने पेटिकोट को अपनी मोटी जाँघो तक चढ़ा कर अजय के सामने बैठ गई, अजय की नज़र पेटिकोट के अंदर तक का जयजा लेने लगी और उसे अपनी मा की चूत की झलक मिलने लगी, मतलब वह पॅंटी नही पहने थी गीता ने साइड मे पड़ी अपनी पॅंटी उठाई और धो कर अजय के सामने ही बाल्टी मे रख दिया अजय बड़े गोर से अपनी मा के अधनंगे जिस्म का रस अपनी आँखो से पीने लगा, गीता बेटे क्या देख रहा है, अजय मा मैं देख रहा हू मेरी प्यारी मा कितना काम करती है, हा बेटे वो तो है, पर बेटा इन सब कामो से मेरी कमर और हाथ पैरो मे काफ़ी दर्द होने लगता है और अपने और एक अंगड़ाई लेते हुए गीता ने ब्रा मे क़ैद अपनी मोटी मोटी चुचियो को बिल्कुल उभार दिया और अजय की ओर देखने लगी, अजय ने अपनी मा की ब्रा मे क़ैद मादक गोलाईयो की ओर देखते हुए मा तुम मुझसे कह दिया करो मैं तुम्हारा पूरा बदन दबा दूँगा तब तुमहरे बदन का सारा दर्द ख़तम हो जाएगा, गीता बेटा मैं तो कब से अपने बदन को तुझसे दब्वाना चाहती हू लेकिन तू कहाँ अपनी मा का ख्याल करता है, अजय नही मा आज से रोज रात को पहले मैं तुम्हारा पूरा बदन अच्छे से दबाया करूँगा उसके बाद ही तुम सोना, पर बेटे मैं तो चाहती हू कि तू दोनो टाइम मेरे बदन को अच्छे से दबा दिया कर ताकि मेरे बदन मे जो दर्द उठने लगा है वो जल्दी ही ख़तम हो जाए, क्यो नही मा आज से मैं दोनो टाइम तुम्हारे पूरे बदन को अच्छी तरह दबा कर तुम्हारे बदन का सारा दर्द दूर कर दूँगा, और गीता ने कपड़े देते हुए अजय को कहा ले बेटा इनको छत पर डाल आ मैं अब नहा लेती हू, ठीक है मा, अजय जैसे ही खड़ा हुआ उसके खड़े लंड को देख कर गीता सिहर गई, और अजय जल्दी से कपड़े लेकर अपना लंड मसलते हुए छत की ओर चला गया,


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Aarti dopahar ko ajay ke room me jakar kya hua mere dever raja kuch bat bani ya nahi. Ajay apni bhabhi ko apne god me betate huye apni bhabhi ke mote mote gadraye doodh ko dono hatho se masalte huye apni bhabhi ke gore aur gulabi galo ko chumte huye oh bhabhi kya idea diya aap ne aaj to maja aa gaya, kyo dever ji aisa kya ho gaya, are bhabhi agar mummy ne sadi na pahni hoti to aaj mera land khade khade hi uski chut aur gand dono me ghus chukka hota, aur aarti ke doodh ko kas kar daba deta hai, aarti sisiyate huye ajay ke pajame me apna hath dal kar uske land ko masalne lagti hai, matlab dever ji jaisa maine kaha tha tumne vaisa hi kiya, ha bhabhi maina apna khada land seedhe mummy ki moti gand ke chhend me pel diya aur mummy ke age hath lejakar mummy ke mote mote doodh ko apne hatho me bhar liya phir kya hua, phir mummy sisyane lagi aur apni gand ka pressor mere land par dalne lagi phir aage ghum kar usne jaise hi mujhe apne seene se lagaya maine apna land mummy ki me seedhe ada diya mummy mujhe kas kar apne badan se chipkakar mere land ki jubhan apni chut par kaphi der tak mehsus karti rahi phir itne me rashmi aa gai, vah mere raja matlab ek shikari bête ne apni ma ko apne land ke jal me phasa hi liya, ha bhabhi par pata nahi mummy ko chodne ka moka kab milega,
Phikar na karo dever ji ab tumhari mummy jaldi hi tumhe puri nangi hokar apni chut me tumhe sama legi, bas intjar karo, bhabhi u r very sweet aur ajay ne apni bhabhi ki moti chuchiya maslte huye uske sar ke peeche apna hath le jakar apni bhabhi ke chehre ko apne chehre ke pas lakar, bhabhi apni jeebh mujhe dikhao, aarti ajay ki ichcha samajh gai aur usne apni rasili jeebh jaise hi apne muh ke bahar nikali ajay ne apni bhabhi ki rasili jeebh ko apne muh me bharkar uska ras peene laga aur kas kas ke apni bhabhi ki chuchiyo aur chutado ko dabane laga. Do minute tak bhabhi ki jeebh chusne ke bad aarti ki chut me pani aa gaya, are dever ji tum chahe jab mujhe garam kar dete ho aur phir hum gharwalo ke dar se chudai bhi nahi kar pate aur mai tadapti rah jati hu. Are bhabhi lao me tumhari chut chat kar tumhe thoda aaram deta hu jaldi se apni sadi uthao me 5 minute ke liye darwaja band kar deta hu,

aarti ne jaldi se apni sadi kamar tak utha kar bed ke kinare mutne ke andaj me baith gai aur ajay bet ke neeche beth kar apni bhabhi ki mastani bhosdi ka ras jaldi jaldi chusne laga, do minute me hi aarti apni gand hilane lagi tab ajay ne apni bhabhi ko tange bed ke neeche jhulakar use ulta kar diya aur apni bhabhi ki moti gand ko phailakar chatne laga, tabhi aarti boli ajay ha bhabhi, ajay meri gand tum apni mummy ki moti gand samajh kar chato, tumhe bahut maza ayega, ajay thik hai bhabhi aba jay ne apni bhabhi ke mote chutado ko dono hatho se puri tarah pahilakar kalpna karne laga ki vah apni mummy ki moti gand ko puri nangi karke pahila phaila kar chat raha hai, vakai ajay ka maza daboul ho gaya aur vo kas kas kar apni bhabhi ki gand apni mummy ki moti gand samajh kar chatne laga, do teen minute me hi aarti kahane lagi ki vah jhadne wali hai to ajay ne apna land nikal kal apni bhabhi ki chut me peeche se pel diya aur kas kas kar dhakke marte huye kahne laga oh mummy teri chut marne me bada maza aa raha hai aah aah o mummy aah, udhar aarti bhi apni chut ki jabardast thukai se kahne lagi aur chod aur chod beta apni mummy ko phad de apni mummy ki mastani chut ko, khub chod beta apni mummy ko, kas kas ke apni mummy ki chut mar aur isi ke sath aarti jhadne lagi aur ajay bhi apni bhabhi ko apni ma samajh kar chod chod ke jhad gaya. Dono phataphat durust hokar aarti apne kamre me chali gai

Dopahar ko geeta apne bed par pade pade ajay ke land se chudne ke liye tadpne lagi, subhah ki ajay ke mote land ki vo chubhan apni gand aur chut me use rah rah kar mehsus ho rahi thi aura b vah kisi bhi tarah apne bête ka land apni chut me lene ke liye tarasne lagi aur sochne lagi kya ajay use chodega lekin kaise, phir usne socha ajay khud use chodna chahta hai agar ajay ko thoda moka diya jay to vah jarur apni ma ki chut marne ko taiyar ho jayega, bas mujhe ajay ko apni nangi chut ke darshan karwane ka moka dena hoga, agar ajay ne uski nangi chut ko karib se dekh liya to vah jarur apni ma ki chut marne ko taiyar ho jayega, geeta ne socha vaise bhi vah apni ma ki panty ko kaise sungh sungh ke apna land hila raha tha, matlab vah apni ma ki chut ko sunghna aur chatna bhi chahta hai, yah vichar geeta ke man me aate hi uski chut me ek bhayanak khujli hone lagi aur vah aankhe band karke us seen ki kalpna karne lagi ki kaise uska apna beta uski nangi chut ko sungh sungh ke chat raha hai. Geeta in sab bato ko soch soch kar apne bête ke nam ki ek jordar muth mar chuki thi aur phir apne bête ke mote land se chudne ke khwab dekhti so gai..

Agle din vijay teen din ke liye out of city chala gaya, ajay ke papa office ja chuke the ajay sophe par baitha baitha apni mummy, bhabhi aur apni bahan rashmi ko ghar ka kam karte huye dekh raha tha, kabhi uski bhabhi aarti apne mote doodh hilati hui idhar se udhar hoti, kabhi uski bahan rashmi apne mote chuche aur must gori gori pindliya ko apne chhote se skirt jo ghutno ke upar tak hota tha se apni bahan ki uthti jawani ko niharta aur kabhi uski mummy geeta apne mote mote phaile huye chutad matkate huye ghar ke kam kar rahi thi, ajay sophe par news paper lekar bas chori chori un teeno mastani ghodiyo ko dekh dekh ke apna land masal raha tha, bhabhi aarti aur bahan rashmi uske pas se jab bhi gujarti to ek chudas se bhari hui smile de deti aura jay bhi apna land maslte huye muskura deta, tabhi rashmi ajay ke samne baith kar pharsh par pocha lagane lagi, uske baith kar ponchha lagane se uski mast makhmali janghe aur white panty mai kasi uski mast phuli hui bur ka ubhar ajay ko saph dikhai dene laga aura jay apna land masalte huye apni bahan ki jangho ki gahrai mai apni najre gadaye huye apni bahan ki uthati hui jawani ka ras apni aankho se peene laga, rashmi ne jab dekha ki ajay uski jangho ki jado mai dekh kar apna land masal raha hai to rashmi ke chehre par muskan phail gai, tabhi rashmi ko jane kya sujha ki vah uthkar bathroom mai gai aur thodi der mai vapas aakar phir ponchha lagane lagi ajay ne jaise hi rashmi ki jangho ki jado mai dekha uska land buri tarah jhatke marne laga jise dekh rashmi ne ajay ki taraph aankh mar kar muskurane lagi. Darasal rashmi bathroom mai jakar apne chutado par kasi hui panty ko utar kar kewal skirt mai hi bahar aagai aur apni dono jangho ko ajay ki aur karke pochha lagane lagi jisse ajay ko apni bahan ka phula hua pura bhosda najar aane laga aur vah apni bahan ki gulabi chut aur uski phuli hui phanke jo ki ab vipreet disha mai phail kar pure rasile bhosde ko khole huye thi, ajay ka land jhatke mar raha tha, kuch der bad rashmi pochha lagakar hasti hui ajay ke samne se chali gai, aur phir balkani mai jakar apne hath raling par tika kar khadi ho gai jisse uski moti moti gand peeche ki taraph uth gai, ajay ne dekha mummy bathroom mai kapde dho rahi hai vah chupchap apni didi ke pas jakar khada ho gaya aur apna hath rashmi ki skirt ke andar ghusa kar uski moti moti gand aur gand ke beech ki gahrai mai apna hath phairne laga, rashmi muskurate huye road par dekhti hui apne bhai se apni gand maslwane ka nanad lene lagi, kuch hi der mai ajay ne peeche se hi apni didi ki chut ke chhed mai apni ek ungli gusa kar dabane laga, rashmi ka chehra lal shurkh ho gaya aur uski chut se ras rista hua uski jangho ke sahare bathe huye uske ghutno tak aane laga, rashmi ne ek bar apne bhai ke land ko kas kar daba diya aur phir apni chut ka pani apne hatho ki ungli se ponchti hui ajay ko apni ungli dikhane lagi ajay ne jhat se apni didi ki chut ras se bhigi ungli ko apne muh mai lekar chat liya, rashmi muskurate huye andar bhag gai, aur bhabhi ke pas kichan mai ja kar bate karne lagi.

Tabhi geeta ne bharhroom se ajay ko aawaj di beta jara idhar aao, ajay bathroom mai aakar ha ma kya hai, geeta bête ye dhule huye kapde chat par sukhane ke liya dal dena bas do char aur dho du do minute ruko, geeta apni sadi ko apne ghutno ke upar tak karke kapde dho rahi thi aur uski moti chuchiyo se uska pallu hata hua tha aur blause ke do batan khule huye the, jisse geeta ki aadhi se jyada moti moti chuchiya blause se bahar nikli aa rahi thi, ajay apni ma ki mastani jangho aur moti moti chuchiyo ko dekh kar vahi ma ke samne baith gaya aur apni aankhe phad phad ke apni ma ke gadraye badan ko dekhne laga, geeta jab kapdo ko brash se ghisti to uski moti moti chuchiya puri tarah hilne lagti thi aur ajay ke muh mai pani aane laga, geeta apne bête ki najro ko samajh chuki thi aur vah khadi hokar apni sadi aur blause bhi nikal kar balti mai jhuk kar galane lagi ajay apni ma ko white color ki bra aur petikot mai dekh kar uska land jhatke dene laga, phir geeta ne apne petikot ko apni moti jangho tak chadha kar ajay ke samne baith gai, ajay kin ajar petikot ke andar tak ka jayja lene lagi aur use apni ma ki chut ki jhalak milne lagi, matlab vah panty nahi pahne thi geeta ne side mai padi apni panty uthai aur dho kar ajay ke samne hi balti mai rakh diya ajay bade gor se apni ma ke adhnange jism ka ras apni aankho se peene laga, geeta bête kya dekh raha hai, ajay ma mai dekh raha hu meri pyari ma kitna kam karti hai, ha bête vo to hai, par beta in sab kamo se meri kamar aur hath pairo mai kaphi dard hone lagta hai aur apne aur ek angdai lete huye geeta ne bra mai kaid apni moti moti chuchiyo ko bilkul ubhar diya aura jay ki aur dekhne lagi, ajay ne apni ma ki bra mai kaid madak golai ki aur dekhte huye ma tum mujhse kah diya karo mai tumhara pura badan daba dunga tab tumahare badan ka sara dard khatam ho jayega, geeta beta mai to kab se apne badan ko tujhse dabwana chahti hu lekin tu kaha apni ma ka khyal karta hai, ajay nahi ma aaj se roj rat ko pahle mai tumhara pura badan achche se dabaya karunga uske bad hi tum sona, par bête mai to chahti hu ki tu dono time mere badan ko achche se daba diya kar taki mere badan mai jo dard uthne laga hai vo jaldi hi khatam ho jaye, kyo nahi ma aaj se mai dono time tumhare pure badan ko achchi tarah daba kar tumhare badan ka sara dard dur kar dunga, aur geeta ne kapde dete huye ajay ko kaha le beta inko chat par dal aa mai ab naha leti hu, thik hai ma, ajay jaise hi khada hua uske khade land ko dekh kar geeta sihar gai, aura jay jaldi se kapde lekar apna land maslte huye chat ki aur chala gaya,

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