Family Sex Story – तीन शेरनिया एक शेर

रश्मि के जाते ही गीता जल्दी से अजय की खिड़की के पास जा कर देखने लगी कि आख़िर रश्मि इतनी देर से क्या देख रही थी जैसे ही गीता ने अंदर झाँक कर देखा अजय को नंगा अपना मोटा लंड सहलाते देख कर उसके रोंगटे खड़े हो गये इतना लंबा और मोटा डंडे जैसा लंड देख कर उसकी बर बहुत जोरो से खुजलाने लगी, तभी उसकी नज़र भी अपनी और रश्मि की पैंटी पर पड़ी जिसको अजय बारी बारी से चूम रहा था और सूंघ रहा था गीता अजय के हाथ मे अपनी और अपनी बेटी की पैंटी देख कर सनसना गई और उसका ख्याल यकीन मे बदल गया कि वह अपनी ही मा को चोदना चाहता है और साथ मे अपनी बहन को भी चोदना चाहता है. यह देख कर गीता की मस्तानी बुर और ज़्यादा फूल गई और वह यह सोच सोच कर पागल हुई जा रही थी कि कैसे उसका अपना बेटा अपनी मा की पैंटी सूंघ रहा है और अपनी आँखे बंद करके अपनी खुद की मा को नंगी कर के चोदने की कल्पना कर रहा है. रश्मि मन ही मन सोचने लगी कैसा मोटा खूटे जैसा लंड तना है मेरे बेटे का यह तो मेरी चूत फाड़ के रख देगा क्या बालिश्ट शरीर है मेरे बेटे का अजय ने अपनी मा की पैंटी अपने सीने से लगा कर खड़े खड़े अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया और अपनी आँखे बंद कर ली. रश्मि सोचने लगी ये अपनी आँखे बंद कर के ज़रूर मेरी ही कल्पना कर रहा है लेकिन क्या कल्पना कर रहा होगा यह सोच रहा होगा कि अपनी मा को नंगी करके इस खूटे जैसे मोटे लंड पर चढ़ा लेगा और और पीछे से मेरी गंद को दबोच दबोच के खूब कस कस के चोद रहा होगा. यह सोच कर गीता की चूत उसके रस से भीगने लगी और वह खड़ी खड़ी अपनी चूत मे उंगली डाल के तेज़ी से आगे पीछे करने लगी उसे ऐसा लग रहा था कि उसका बेटा उसकी खूब कस कस के चूत मार रहा है वह अपने बेटे का लंड लेने के लिए पागल हुई जा रही थी और कस कस के अपनी चूत मे उंगली पेल रही थी और एक हाथ से अपने मोटे मोटे चुचो को दबा रही थी गीता की कमर खड़े खड़े ही हिलने लगी और वह मन ही मन चूत मे उंगली पेलते हुए बुदबुदाने लगी चोद मेरे बेटे चोद अपनी मा को पूरी नंगी करके के खूब कस कस के चोद खूब हुमच हुमच के चोद फाड़ दे अपनी मा की चूत को, बहुत प्यासी है तेरी मा की चूत, उधर अजय कस कस के लंड हिला रहा था और मन ही मन बोलता जा रहा था मेरी प्यारी मम्मी कितनी मस्त चूत है तेरी कितने मस्त चूतड़ है तेरे, खूब कस कस के तेरी चूत मारूँगा मम्मी चोद चोद के तेरा भोसड़ा फाड़ दूँगा हे मेरी नंगी मम्मी तू नंगी कितनी मस्त लगती है ले ले अपने बेटे का लंड अपनी चूत मे मेरे लंड पर चढ़ कर खूब चुद ले मेरी रानी और फिर ये सोचता सोचता अजय का पानी एक लंबी पिचकारी के साथ छूटने लगा उधर गीता की चूत ने भी ढेर सारा पानी छोड़ दिया.

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काफ़ी देर तक आरती और विजय बात करने के बाद विजय ने आरती के गुलाबी गालो को अपने होटो से रगड़ना शुरू कर दिया और फिर आरती के रसीले होंठो को अपना मूह खोल कर अपने होटो मे दबा कर चूसने लगा आरती ने अपना बदन विजय की बाँहो मे ढीला छोड़ दिया विजय ने आरती के होंठो को चूस्ते हुए थोड़ा आरती के मूह को खोला और आरती की रसीली जीभ को अपने मूह मे भर कर पीने लगा और एक हाथ से ब्लाउज के उपर से आरती के मोटे मोटे गदराए चुचो को दबोचने लगा.. आरती आह ..आह विजय उसकी मोटी मस्त गोलैयो को दबाते हुए उसके नंगे पेट और कमर को अपने हाथो से दबाते हुए उसे थोड़ा अपने उपर खीच कर पीछे हाथ ले जा कर आरती के मस्ताने चुतदो को दबाने लगा और दोनो चुतदो की दरार मे साडी के उपर से ही अपनी उंगली से मसलने लगा आरती सिसकिया भरने लगी विजय आरती कितना भारी और मस्त जिस्म है तुमहरा तुमने तो मुझे पागल कर दिया है और आरती के ब्लाउस के बटन खोल कर उसकी ब्रा के उपर से ही उसकी मोटी चुचियो को दबाने लगा. फिर धीरे धीरे विजय ने आरती को पूरी नंगी कर दिया और उसके पूरे बदन को उपर से नीचे तक चूसने चाटने लगा उसने जब आरती की चूत के उपर हाथ फेरा तो आरती उससे चिपक गई अजय ने अपने कपड़े उतरे और आरती के नंगे बदन को अपने नंगे बदन से चिपका लिया और एक हाथ से मोटे मोटे चूचो और एक हाथ से आरती के मोटे और भारी चूतादो को सहला सहला कर उसकी चूत से लेकर उसकी गंद की फैली हुई दरार मे अपना पूरा हाथ फेरने लगा, आरती लंड खाने के लिए पूरी तरह तैयार हो चुकी थी तभी विजय आरती के उपर आके उसकी फूली हुई चिकनी चूत मे अपना लंड का निशाना लगा कर एक झटका मारा लंड आधा आरती की चूत को भेदता हुया अंदर घुस गया आरती दर्द से तड़प गई विजय ने आरती की चुचियो को मूह मे भर कर चूसना चालू कर दिया और दूसरी चुचि को हाथो से मसलने लगा और दूसरे झटके मे पूरा लंड अंदर पेल दिया . आरती आह.आह करके कराहने लगी धीरे धीरे विजय उसे चोदने लगा आरती अपनी टाँगे पायला कर हर धक्का सहने लगी उस रात विजय ने आरती को दो बार चोदा.सुबह सुबह गीता ने आरती का दरवाजा बजाया आरती ने बाहर आई बेटी चाइ बन गई है पी लो और विजय को भी जगा दो, आरती जी मम्मी और गीता वापस आ गई. आज आरती की शादी को पूरा एक महीना हो चुक्का था लेकिन उसकी चूत की कसक और खुजली पूरी तरह ख़तम नही हो पाती थी वैसे भी आरती काफ़ी ब्लू फ़िल्मे देख कर काफ़ी खुले तरीके से चुदवाना पसंद करती थी और खास कर उसकी एक इच्छा बहुत ज़्यादा थी कि उसका पति उसकी फूली चूत और गंद को नंगी करके खूब चूमे और चाते और अपना लंड खूब चूसाए मतलब आरती को ओरल सेक्स फ़िल्मो मे देख देख कर काफ़ी अच्छा लगता था और वह शादी के पहले से ही ओरल सेक्स करने के लिए तरस रही थी लेकिन यहा उसका अरमान पूरा नही हुया क्यो कि विजय सिर्फ़ सदा सिंपल सेक्स ही करता था और शर्म के मारे आरती अपने पति को बोल भी नही पाती थी इस लिए महीना भर चुदने के बाद भी उसकी प्यास बढ़ती ही गई कम नही हुई.

सुबह का नाश्ता करके विजय और उसके पापा अपने अपने काम पर चले गये गीता नहाने बाथरूम मे घुस गई, रश्मि और आरती किचन मे थे और अजय सोफे पर बैठा अपनी किताब पढ़ रहा था आरती जल्दी ही घर के सभी लोगो से घुल मिल गई खास कर रश्मि, गीता और अजय से, रश्मि भाभी आज आपकी शादी को एक महीना हो गया है अब आपको कैसा लग रहा है.. आरती क्यो ऐसा क्यो पूछ रही हो रश्मि मतलब जब कुवारे और शादीशुदा होने पर कुछ तो अलग लग रहा होगा, आरती अलग तो कुछ नही है बस एक चीज़ का फ़ायदा हो जाता है, रश्मि तपाक से वह क्या अरे सब्जियो का जैसे बेगन, मूली, केले आदि का खर्चा बच जाता है, रश्मि झेप्ते हुए तुम भी ना भाभी, आरती अरे मे क्या ग़लत कह रही हू बता, बोल ना, मुझे नही पता भाभी अच्छा क्या तूने कच्ची सब्जिया कभी नही खाई.. तुम भी ना भाभी कहाँ की बात कहाँ ले गई. मे जाती हू अरे रुक ना रश्मि भाग कर अपने कमरे मे आ जाती है थोड़ी देर बाद आरती भी रश्मि के कमरे मे आकर अरे रश्मि तू चली क्यो आई, बस ऐसे ही भाभी, आरती क्यो मेरी बात अच्छी नही लगी, रश्मि नही वो बात नही है भाभी, तो तेरा मतलब है तुझे मेरी बात अच्छी लगी, भाभी तुम बहुत मज़ाक करती हो, भाई इसमे मज़ाक की कोन सी बात है मेने तो बहुत बेगन और केले खाए है क्या तू नही खाती, क्या भाभी आप भी, अच्छा सच सच बता, रश्मि मे नही जानती, तू अपनी भाभी से सर्माती है, और माल इतने मोटे मोटे छुपा रखे है रश्मि के टी-शर्ट के उपर से चुचे मसलती हुई, रश्मि आह भाभी क्या कर रही हो जाओ मे तुमसे बात नही करती, अरे मेरी प्यारी ननद तो बुरा मान गई चल अच्छा अब नही करती और दोनो मुस्कुराने लगी. तभी अजय अंदर आते हुए अरे भाभी एक कप चाइ मिलेगी क्या, आरती अरे मेरे प्यारे देवेर जी चाइ के बजाय दूध पिया करो तो तुम्हे ताक़त मिलेगी, अरे भाभी मे तो वैसे ही बहुत ताकतवर हू बताओ कहाँ ताक़त लगाना है, अरे देवेर जी जब मोका आएगा तो दूध की ताक़त ही काम आएगी यह कह कर रश्मि और आरती दोनो खिलखिला कर हस पड़ी.

गीता सुबह सुबह जब अजय को जगाने उसके रूम मे गई तो अजय गहरी नीद मे सो रहा था गीता की नज़र अजय के पाजामे पर पड़ी जहा काफ़ी बड़ा तंबू बना हुआ था गीता चुदास से भर गई और अपनी रसीली चूत को मसल्ने लगी और धीरे से पाजामे के उपर से अजय के लंड को अपने हाथो से पकड़कर उसकी मोटाई का जयजा लेने लगी अजय के लंड की मोटाई के एहसास ने उसे पागल कर दिया..बाप रे कितना मोटा डंडा है मेरे बेटे का, अजय कसमसाता हुआ गीता ने जल्दी से उसका लंड छोड़ा और बोली बेटा उठो सूरज सर पर चढ़ चुक्का है और फिर नहाने के लिए बाथरूम मे घुस गई, अजय के मोटे लंड के एहसास से गीता की चूत मे पानी आ चुक्का था वह चुदास से भर चुकी थी उसने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई और अपने गदराए बदन को शीशे मे देखने लगी और अपने हाथो से अपनी चूत और चुचिया मसल्ने लगी, आज वह बहुत मस्ती मे आ चुकी थी उसने अपनी चूत के बाल साफ कर चूत को बिल्कुल चिकना कर लिया वह मन ही मन सोच रही थी कि अजय को आज अपनी फूली हुई चिकनी चूत के दर्शन करवाएगी यह सोच कर वह फटाफट नाहकार साडी ब्लाउज पहनने लगी और उसने साडी अपने उठे हुए पेट की चौड़ी और गहरी नाभि के काफ़ी नीचे से बाँधी और जानबूझ कर पैंटी नही पहनी. गीता जब बाहर निकली तो अजय सोफे पर बैठा था, अजय की नज़र अपनी मा के उठे हुए पेट और गहरी नाभि पर पड़ी तो वह देखता ही रह गया, मन ही मन वह मा कितनी मस्तानी घोड़ी लग रही है तू दिल करता है तेरी गहरी नाभि और गुदाज पेट मे अपना मूह डाल कर पी जाउ, गीता वाकई इतनी मस्त और सेक्सी लग रही थी कि अजय एक टक उसके मासल पेट को देखता ही रह गया, गीता अजय की नज़रो को समझ गई कि अजय अपनी मा को चोदने की नज़र से उसके नंगे रूप को देख रहा है, उसकी चूत तो पहले से ही पानी छोड़ रही थी फिर उसकी नज़र भी अजय के पाजामे मे सर उठाए उसके मोटे लंड पर पड़ी और वह सनसना गई और अपने बेटे के पास जाने लगी, अजय अपनी मा को धीरे धीरे अपनी और आते देख उसका लंड तन्तनाने लगा, गीता अजय के पास आकर सोफे पर बैठ गई, आज पहली बार दोनो मा बेटे के लंड और चूत एक दूसरे मे समा जाने के लिए मचल रहे थे, गीता जानती थी कि अजय अब उससे रोज की तरह चिपक कर मा से प्यार का बहाना करके उसके मस्ताने जिस्म के मज़े लेगा और हुआ भी ऐसा ही, गीता उठ गया मेरा राजा बेटा, अजय मा के मोटे मोटे चुचियो मे अपना मूह डाल के क्या मा तुम सोने भी नही देती हो, अरे मेरे राजा कितना सोएगा और गीता ने भी अजय को अपने बदन से कस कर चिपका लिया और एक जवान मर्द का जिस्म महसूस करके अपने बेटे के गाल और गर्देन को चूमने लगी, मेरा प्यारा बेटा,,,अजय ने भी अपनी मा के गुलाबी गालो और गर्देन पर अपना मूह रगड़ते हुए गीता को पूरी अपने बाहो मे भर लिया और अपने हाथ को मा की मोटी गंद पर ले जाकर उसकी गंद को सहलकर महसूस करने लगा, दोनो मा बेटे के चूत और लंड पानी पानी हो चुके थे, दोनो ओर वासना पूरे उफान पर थी दोनो ही आनंद के सागर मे डूबे एक दूसरे के बदन को कस कर दबोच रहे थे, कोई भी किसी को छोड़ने का मन नही कर रहा था, अजय अपनी मा के जिस्म की मादक खुश्बू से मदहोश हो रहा था. मा आप बहुत अच्छी हो और अपनी मा का मूह पकड़ कर उसके गालो को चूम लिया, मन तो कर रहा था कि अपनी मा के रसीले होटो को पी जाए लेकिन वह कर नही सकता था, गीता तू भी तो मेरा प्यारा बेटा है और अजय को अपनी मोटी छातियो से लगा लिया और मन ही मन सोचने लगी ले ले बेटा अपनी मम्मी की मदमस्त जवानी का मज़ा, दूसरी ओर किचन से आरती ने दोनो मा बेटे का मिलाप देख लिया उसे थोड़ा अजीब लगा क्यो कि अजय एक जवान हॅटा कॅटा मर्द लगता था लेकिन फिर उसने माइंड नही किया और चाइ लेकर बाहर आ गई, मा जी चाइ, और फिर अजय को चाइ देते समय आरती की नज़र अजय के पाजामे पर पड़ी तो उसका मूह खुला का खुला ही रह गया और उसे अजय पर कुछ शंका सी हो गई, आरती भी अपना चाइ का कप लेकर सामने बैठ गई और सोचने लगी क्या अजय का लंड अपनी मा के लिए खड़ा है, क्या अजय अपनी ही मा को चोदना चाहता है यह सब सोच के आरती भी बैठे बैठे ही सन्सनाने लगी और उसकी चूत मे कुलबुलाहट होने लगी. वह चोर नज़रो से अजय के लंड के उठाव को देख रही थी उसे लगा अजय का लंड उसके पति विजय से भी काफ़ी मोटा तगड़ा लगता है, अजय भी उसे कामदेव की तरह नज़र आने लगा आरती ने अपनी शंका के चलते अजय पर नज़र रखना शुरू कर दिया. और सोचा शायद उसका कुछ फ़ायदा हो जाए, दोनो सास बहू खाना बनाने संबंधी बाते करते करते चाइ की चुस्किया लेने लगी उधर अजय चोर नज़ारो से अपनी भाभी की मोटी गोलैयो को ललचाई नज़रो से देख रहा था यह बात भी आरती ने नोटीस कर ली, चाइ पीने के बाद आरती चाइ के कप उठा कर जनभुज कर अपनी मोटी गंद हिलाते हुए किचन की ओर जाने लगी और अजय टकटकी लगा कर आरती के मतवाले चूतादो को घूर्ने लगा तभी आरती ने पलटकर अजय की ओर देखा वह समझ गई कि अजय उसके मोटे चूतादो को देख रहा है और अजय की ओर देख कर मुस्कुरा दी जिसके कारण अजय एक दम से सकपका गया.

रात को अजय अपने बिस्तर मे पड़ा पड़ा अपनी भाभी के चूतादो को याद कर के उत्तेजित होने लगा उसे अपनी भाभी को नंगी देखने की चाहत होने लगी उसकी आँखो के सामने उसकी भाभी के मोटे मोटे चूतड़ नंगे होकर थिरकने लगे और वह बेचैन हो गया और उसने अपनी भाभी के कमरे के दरवाजे से अंदर झाँका, अंदर आरती और विजय नंगे एक दूसरे को सहला रहे थे आरती पूरी नंगी थी और उसकी पीठ दरवाजे की ओर थी अजय अपनी भाभी की मोटी गंद देखकर पागल हो गया क्या गोरी गोरी मोटी गंद थी आरती की और बीच की गहरी दरार जहाँ उसका भाई अपनी उंगलिया चला रहा था अजय ने अपनी भाभी को चोदने की कल्पना करते हुए तबीयत से मूठ मारी और आकर बेड पर लेट गया तभी उसकी नज़र अपनी मा और बहन की पैंटी पर पड़ी और उसका मूसल फिर खड़ा हो गया और वह अपनी मा और बहन की पैंटी को शुंघ कर अपना मोटा लंड मसलने लगा .

इधर विजय से चुदने के बाद आरती बाथरूम की ओर जाने लगी तभी उसे अजय के कमरे की खिड़की खुली दिखी उसने चुपके से अंदर झाँक कर देखा तो वह देख कर दंग रह गई क्यो कि अजय उसकी सास और ननद की पैंटी को को शुंघ शुंघ कर अपना मोटा लंड सहला रहा था उसका शक यकीन मे बदल गया और वह सोचने लगी कि अजय अपनी मा और बहन दोनो को चोदना चाहता है उसका मोटा लंड देख कर आरती की चूत मे सुरसूराहट होने लगी काफ़ी मोटा लंड था उसके पति के मुक़ाबले बहुत ही ज़्यादा बड़ा मोटे डंडे जैसा दिखाई दे रहा था. आरती ऐसे मोटे लंड से चुदने के लिए बैचन होने लगी. वह यह भी समझ चुकी थी कि अजय की नीयत उसके चूतादो पर भी खराब है वह ज़रूर उसके चूतादो को अपनी मा और बहन की तरह ही चाटना और चोदना चाहता है यह सोच कर उसकी चूत ने काफ़ी पानी छोड़ दिया और अपने कमरे मे आ कर सोचने लगी. और मोके की तलाश मे जुट गई.

अजय की भाभी जब से उसके घर आई थी अजय को अपनी मा और बहन को बाथरूम मे नंगी नहाते देखने का मोका नही मिल पा रहा था कोई ना कोई घर पर रहता ही था और अजय मोके की तलाश मे रहता था एक दिन रश्मि सुबह सुबह नाहकार अपनी किसी सहेली के यहाँ चली गई उसकी भाभी अपने कमरे मे पड़ी हुई थी शायद MC की वजह से उसकी कमर मे और पेट मे दर्द हो रहा था अजय सोफे पर बैठा टीवी देख रहा था तभी गीता झाड़ू लेकर झाड़ू लगाने लगी उसके झुकने की वजह से उसके मोटे मोटे फैले हुए चूतड़ और पैंटी की लकीर नज़र आने लगी अजय पीछे से गीता के मासल मोटे मोटे चुतदो की थिरकन देखने लगा और अपना लंड सहलाने लगा . गीता समझ गई कि उसका बेटा उसके मोटे चूतादो पर अपनी आँखे गढ़ाए हुए है और वह जानबूझ कर अजय की ओर अपने चूतड़ निकालकर धीरे धीरे झाड़ू मारने लगी अजय का मन कर रहा था कि जाके मा के चूतादो मे अपना मूह डाल के खूब चाते तभी गीता ने जनभुज के झाड़ू लगाते लगाते एक हाथ से अपनी मोटी गंद की दरार मे खुजली की जिसे देख के अजय का लंड पाजामा फाड़ के बाहर आने को बेताब हो गया फिर गीता ने झाड़ू लगा कर नहाने के लिए बाथरूम मे घुस गई, आज अजय के पास अच्छा मोका था अपनी मा को नंगी देखने का वह चुपचाप भाभी के कमरे मे उनको देखने गया जहाँ आरती सो रही थी,


Rashmi ke jate hi geeta jaldi se ajay ki khidki ke pas ja kar dekhane lagi ki aakhir rashmi itni der se kya dekh rahi thi jaise hi geeta ne andar jhank kar dekha ajay ko nanga apna mota land sahlate dekh kar uske rongte khade hog aye itna lamba aur mota dande jaisa land dekh kar uski bur bahut joro se khujlane lagi, tabhi uski najar bhi apni aur rashmi ki painty par padi jisko ajay bari bari se chum raha tha aur sungh raha tha geeta ajay ke hatj me apni aur apni beti ki painty dekh kar sansana gai aur uska khyal yakin me badal gaya ki vah apni hi ma ko chodna chahta hai aur sath me apni bahan ko bhi chodna chahta hai. Yeh dekh kar geeta ki mastani bur aur jyada phul gai aur vah yah soch soch kar pagal hui ja rahi thi ki kaise uska apna beta apni ma ki painty sungh raha hai aur apni aankhe band karke apni khud ki ma ko nangi kar ke chodne ki kalpana kar raha hai. Rashmi man hi man sochne lagi kaisa mota khute jaise land tana hai mere bête ka yeh to meri chut phad ke rakh dega kya balisht sharir hai mere bête ka ajay ne apni ma ki painty apne seene se laga kar khade khade apne land ko hilana shuru kar diya aur apni aankhe band kar li. Rashmi sochne lagi ye apni aankhe band kar ke jarur meri hi kalpna kar raha hai lekin kya kalpna kar raha hoga yeh soch raha hoga ki apni ma ko nangi karke is khute jaise mote land par chadha lega aur aur peeche se meri gand ko daboch daboch ke khub kas kas ke chod raha hoga. Yeh soch kar geeta ki chut uske ras se bhigne lagi aur vah khadi khadi apni chut me ungli dal ke teji se aage peeche karne lagi use aisa lag raha tha ki uska beta uski khub kas kas ke chut mar raha hai vah apne bête ka land lene ke liye pagal hui ja rahi thi aur kas kas ke apni chut me ungli pel rahi thi aur ek hath se apne mote mote chucho ko daba rahi thi geeta ki kamar khade khade hi hilne lagi aur vah man hi man chut me ungli pelte huye budbudane lagi chod mere bête chod apni ma ko puri nangi karke ke khub kas kas ke chod khub humach humach ke chod phad de apni ma ki chut ko, bahut pyasi hai teri ma ki chut, udhar ajay kas kas ke land hila raha tha aur man hi man bolta jar aha tha meri payari mummy kitni mast chut hai teri kitne mast chutad hai tere, khub kas kas ke teri chut marunga mummy chod chod ke tera bhosda phad dunga hay meri nangi mummy tu nangi kitni mast lagti hai le le apne bête ka land apni chut me mere land par chadh kar khub chuda le meri rani aur phir ye sochta sochta ajay ka pani ek lambi pichkari ke sath chutne laga udhar geeta ki chut ne bhi dher sara pani chod diya.

Kaphi der tak aarti aur vijay bat karne ke bad vijay ne aarti ke gulabi galo ko apne hoto se ragdna shuru kar diya aur phir aarti ke rasile hotho ko apna muh khol kar apne hotho me daba kar chusne laga aarti ne apna badan vijay ki banho me deela chod diya vijay ne aarti ke hontho ko chuste hue thoda aarti ke muh ko khola aur aarti ki rasili jeebh ko apne muh me bhar kar peene laga aur ek hath se blause ke upar se aarti ke mote mote gadraye chucho ko dabochne laga.. aarti aah ..aah vijay uski moti mast golaiyo ko dabate huye uske nange pet aur kamar ko apne hatho se dabate huye use thoda apne upar khich kar peeche hath le ja kar aarti ke mastane chutdo ko dabane laga aur done chutdo ki darar me sadi ke upar se hi apni ungli se maslne laga aarti siskiya bharne lagi vijay aarti kitna bhari aur mast jism hai tumahra tumne to mujhe pagal kar diya hai aur aarti ke blouse ke batan khol kar uski bra ke upar se hi uski moti chuchiyo ko dabane laga. Phir dhire dhire vijay ne aarti ko puri nangi kar diya aur uske pure badan ko upar se neeche tak chusne chtne laga usne jab aarti ki chut ke upar hath phera to aarti usse chipak gai ajay ne apne kapde utare aur aarti ke nange badan ko apne nange badan se chipka liya aur ek hath se mote mote chocho aur ek hath se aarti ke mote aur bhari chutado ko sahlal sahla kar uski chut se lekar uski gand ki phiali hui darar me apna pura hath pairne laga, aarti land khan eke liye puri tarah taiyar ho chuki thi tabhi vijay aarti ke upar aake aski phuli hui chikni chut me apna land ka nishana laga kar ek jhatka mara land aadha aarti ki chut ko bhedta huya undar ghus gaya aarti dard se tadap gai vijay ne aarti ki chuchiyo ko muh me bhar kar chusna chalu kar diya aur dusri chuchi ko hatho se maslne laga aur dusre jhatke me pura land andar pel diya . aarti ah.ah karke karhne lagi dhire dhire vijay use chodne laga aarti apni tange paila kar har dhakka sahne lagi us rat vijay ne aarti ko do bar choda.

Subah subah geeta ne aarti ka darwaja bajaya aarti ne bahar aai beti chi ban gai hai pee lo aur vijay ko bhi jaga do, aarti jee mummy aur geeta vapas aa gai. Aaj aarti ki shadi ko pura ek mahina ho chukka tha lekin uski chut ki kasak aur khujli puri tarah khatam nahi ho pati thi vaise bhi aarti kaphi blue filme dekh kar kaphi khule tarike se chudwana pasand karti thi aur khas kar uski ek ichcha bahut jyada thi ki uska pati uski phuli chut aur gand ko nangi karke khub chume aur chate aur apna land khub chusaye matlab aarti ko oral sex filmo me dekh dekh kar kaphi achcha lagta tha aur vah shadi ke pahle se hi oral sex karne ke liye taras rahi thi lekin yaha uska arman pura nahi huya kyo ki vijay sirph sada simple sex hi karta tha aur sharm ke mare aarti apne pati ko bol bhi nahi pati thi is liye mahina bhar chudne ke bad bhi uski pyas badhti hi gai kam nahi hui.

Subah ka nashta karke vijay aur uske papa apne apne kam par chle gaye geeta nahane bathroom me ghus gai, rashmi aur aarti kichan me the aur sophe par betha apni kitab pad raha tha aarti jaldi hi ghar ke sabhi logo se ghul mil gai khas kar rashmi, geeta aur ajay se, rashmi bhabhi aaj aapki shadi ko ek mahina ho gaya hai ab aapko kaisa lag raha hai.. aarti kyo aisa kyo puch rahi ho rashmi matlab jab kuware aur shadishuda hone par kuch to alag lag raha hoga, aarti alag to kuch nahi hai bas ek cheej ka phayda ho jata hai, rashmi tapak se vah kya are sabjiyo ka jaise began, muli, kele aadi ka kharcha bach jata hai, rashmi jhepte huye tum bhi na bhabhi, aarti are me kya galat kah rahi hu bata, bol na, mujhe nahi pata bhabhi achcha kya tune kachi sabjiya kabhi nahi khai.. tum bhi na bhabhi kaha ki bat kaha le gai. Me jati hu are ruk na rashmi bhag kar apne kamre me aa jati hai thodi der bad aarti bhi rashmi ke kamre me aakar are rashmi tu chali kyo aai, bas aise hi bhabhi, aarti kyo meri bat achchi nahi lagi, rashmi nahi vo bat nahi hai bhabhi, to tera matlab hai tujhe meri bat achchi lagi, bhabhi tum bahut majak karti ho, bhai isme majak ki kon si bat hai mene to bahut began aur kele khaye hai kyat u nahi khati, kya bhbhi aap bhi, accha sach sach bata, rashmi me nahi janti, tu apni bhabhi se sarmati hai, aur mal itne mote mote chupa rakhe hai rashmi ke t-shirt ke upar se chuche maslti hui, rashmi aah bhabhi kya kar rahi ho jao me tumse bat nahi karti, are meri pyari nanad to bura man gai chal achcha ab nahi karti aur dono muskurane lagi. Tabhi ajay undar ate huye are bhabhi ek cup chai milegi kya, aarti are mere pyare dever ji chai ke bajay doodh piya karo to tumhe takat milegi, are bhabhi me to vaise hi bahut takatvar hu batao kaha takat lagana hai, are dever ji jab moka aayega to doodh ki takat hi kam aayegi yeh kah kar rashmi aur aarti dono khilkhila kar has padi.

Geeta subah subah jab ajay ko jagane uske room me gai to ajay gahri need me so raha tha geeta ki najar ajay ke pajame par padi jaha kaphi bada tamboo bana hua tha geeta chudas se bhar gai aur apni rasily chut ko masalne lagi aur dhire se pajame ke upar se ajay ka land ko apne hatho se pakadkar uski motai ka jayja lene lagi ajay ke land ki motai ke ehsas ne use pagal kar diya..bap re kitna mota danda hai mere bête ka, ajay kasmasata hua geeta ne jaldi se uska land choda aur boli beta utho suraj sar par chadh chukka hai aur phir nahane ke liye bathroom me ghus gai, ajay ke mote land ke ehsas se geeta ki chut me pani aa chukka tha vah chudas se bhar chuki thi usne apne sare kapde utar kar nangi ho gai aur apne gadraye badan ko shishe me dekhne lagi aur apne hatho se apni chut aur chuchiya masalne lagi, aaj vah bahut masti me aa chuki thi usne apni chut ke bal saph kar chut ko bilkul chikna kar liya vah man hi man soch rahi thi ki ajay ko aaj apni phuli hui chikni chut ke darshan karwayegi yeh soch kar vah phataphat nahakar sadi blause pahanne lagi aur usne sadi apne uthe huye pet ki chodi aur gahri nabhi ke kaphi neeche se bandhi aur janbujh kar painty nahi pahni. Geeta jab bahar nikli to ajay sophe par betha tha, ajay kin ajar apni ma ke uthe huye pet aur gahri nabhi par padi to vah dekhta hi rah gaya, man hi man vah ma kitni mastani ghodi lag rahi hai tu dil karta hai teri gahri nabhi aur gudaj pet me apna muh dal kar pee jau, geeta vakai itni mast aur sexy lag rahi thi ki ajay ek tak uske masal pet ko dekhta hi rah gaya, geeta ajay ki najro ko samajh gai ki ajay apni ma ko chodne kin ajar se uske nange roop ko dekh raha hai, uski chut to pahle se hi pani chod rahi thi phir uski najar bhi ajay ke pajame me sar uthye uske mote land par padi aur vah sansana gai aur apne bête ke pas jane lagi, ajay apni ma ko dhire dhire apni aura ate dekh uska land tantanane laga, geeta ajay ke pas aakar sophe par baith gai, aaj pahli bar dono ma bête ke land aur chute k dusre me sama jane ke liye machal rahe the, geeta janti thi ki ajay ab usse roj ki tarah chipak kar ma se pyar ka bahana karke uske mastane jism ke maje lega aur hua bhi aisa hi, geeta uth gaya mera raja beta, ajay ma ke mote mote chuchiyo me apna muh dal ke kya ma tum sone bhi nahi deti ho, are mere raja kitna soyega aur geeta ne bhi ajay ko apne badan se kas kar chipka liya aur ek jawan mard ka jism mehsus karke apne bête ke gal aur garden ko chumne lage, mera pyara beta,,,ajay ne bhi apni ma ke gulabi galo aur garden par apna muh ragdte huye geeta ko puri apne baho me bhar liya aur apne hath ko ma ki moti gand par le jakar uski gand ko sahlakar mehsus karne laga, dono ma bête ke chut aur land pani pani ho chuke the, dono aur vasna pure uphan par thi dono hi anand ke sagar me dub eek dusre ke badan ko kas kar daboch rahe the, koi bh I kisi ko chodne ka man nahi kar raha tha, ajay apni ma ke jism ki madak khushboo se madhosh ho raha tha. Ma aap bahut achchi ho aur apni ma ka muh pakad kar uske galo ko chum liya, man to kar raha tha ki apni ma ke rasile hotho ko pee jaye lekin vah kar nahi sakta tha, geeta tub hi to mera pyara beta hai aur ajay ko apni moti chatiyo se laga liya aur man hi man sochne lagi le le beta apni mummy ki madmast jawani ka maja, dusri aur kichan se aarti ne dono ma bête ka milap dekh liya use thoda ajeeb laga kyo ki ajay ek jawan hatta katta mard lagta tha lekin phir usne mind nahi kiya aur chai lekar bahar aa gai, ma ji chai, aur phir ajay ko chai dete samay aarti kin ajar ajay ke pajame par padi to uska muh khula ka khula hi rah gaya aur use ajay par kuch shanka si ho gai, aarti bhi apna chai ka cup lekar samne baith gai aur sochne lagi kya ajay ka land apni ma ke liye khada hai, kya ajay apni hi ma ko chodna chahta hai yah sab soch ke aarti bhi baithe baithe hi sansanane lagi aur uski chut me kulbulahat hone lagi. Vah chor najro se ajay ke land ke uthav ko dekh rahi thi use laga ajay ka land uske pati vijay se bhi kaphi mota tagda lagta hai, ajay bhi use kamdev ki tarah najar aane laga Aarti ne apni shanka ke chalte ajay par najar rakhna shuru kar diya. Aur socha shayad uska kuch phayda ho jaye, dono sas bahu khana bane sambandhi bate karte karte chai ki chuskiya lene lagi udhar ajay chor najaro se apni bhabhi ki moti golaiyo ko lalchai najro se dekh raha tha yeh bat bhat bhi aarti ne notice kar li, chai peene ke bad aarti chai ke cup utha kar janbhuj kar apni moti gand hilate huye kichan ki aur jane lagi aur a jay taktaki laga kar aarti ke matwale chutado ko ghurne laga tabhi aarti ne paltkar ajay ki aur dekha vah samajh gai ki ajay uske mote chutado ko dekh raha hai aur ajay ki aur dekh kar muskura di jiske karan ajay ek dam se sakpaka gaya.

Rat ko Ajay apne bistar me pada pada apni bhbhi ke chutado ko yad kar ke uttejit hone laga use apni bhabhi ko nangi dekhane ki chaht hone lagi uski aankho ke samne uski bhabhi ke mote mote chutad nange hokar thirakne lage aur vah bechain ho gaya aur usne apni bhbhi ke kamare ke darwaje se andar jhanka, andar aarti aur vijay nange ek dusre ko sahla rahe the aarti puri nangi thi aur uski peeth darwaje ki aur thi ajay apni bhabhi ki moti gand dekhkar pagal ho gaya kya gori gori moti gand thi aarti ki aur bhich ki gahri darar jaha uska bhai apni ungliya chala raha tha ajay ne apni bhabhi ko chodne ki kalpana karte huye tabiyat se muth mari aur aakar bed par let gaya tabhi uski najar apni ma aur bahan ki painty par padi aur uska musal phir khada ho gaya aur vah apni ma aur bahan ki painty ko shungh kar apna mota land maslne laga .

idhar vijay se chudne ke bad aarti bathroom ki aur jane lagi tabhi use ajay ke kamre ki khidki khuli dikhi usne chupke se andar jhank kar dekha to vah dekh kar dang rah gai kyo ki ajay uski sas aur nanad ki painty ko ko shungh shungh kar apna mota land sahla raha tha uska shaky akin me badal gaya aur vah sochne lagi ki ajay apni ma aur bahn dono ko chodna chahta hai uska mota land dekh kar aarti ki chut me sursurahat hone lagi kaphi mota land tha uske pati ke mukable bahut hi jyada bada mote dande jaisa dikhai de raha tha. Aarti aise mote land se chudne ke liye baichan hone lagi. Vah yah bhi samajh chuki thi ki ajay ki neeyat uske chutado par bhi kharab hai vah jarur uske chutado ko apni ma aur bahan ki tarah hi chatna aur chodna chahta hai yah soch kar uski chut ne kaphi pani chod diya aur apne kamare me aa kar sochne lagi. Aur moke ki talash me jut gai.

Ajay ki bhabhi jab se uske ghar aai thi ajay ko apni ma aur bahan ko bathroom me nangi nahate dekhne ka moka nahi mil pa raha tha koi na koi ghar par rahta hi tha aur ajay moke ki talash me rahta tha ek din rashmi subah subah nahakar apni kisi saheli key aha chali gai uski bhabhi apne kamre me padi hui thi shayad MC ki vajah se uski kamar me aur pet me dard ho raha tha ajay sophe par baitha TV dekh raha tha tabhi geeta jhadu lekar jhadu lagane uske jhukne ki vajah se uske mote mote paile huye chutad aur painty ki lakir najar aane lagi ajay peeche se geeta ke masal mote mote chutdo ki thirkan dekhne laga aur apna land sahlane laga . geeta samajh gai ki uska beta uske mote chutado par apni aankhe gadaye huye hai aur vah janbujh kar ajay ki aur apne chutad nikalkar dhire dhire jhadu marne lagi ajay ka man kar raha thi ki jake ma ke chutado me apna muh dal ke khubh chate tabhi geeta ne janbhuj ke jhadu lagate lagate ek hath se apni moti gand ki darar me khujli ki jise dekh ke ajay ka land pajama phad ke bahar aane ko betab ho gaya phir geeta ne jhadu laga kar nahane ke liye bathroom me ghus gai, aaj ajay ke pas achcha moka tha apni ma ko nangi dekhne ka vah chupchap bhabhi ke kamre me unko dekhne gaya jaha aarti so rahi thi,

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