राज ने देखा डीप बैक ब्लाउज़ में उसका बदन और ख़ूबसूरत लग रहा था। बस कुछ ही पलों में यह उसकी बाँहों में होगा, वो जानता था। दरवाज़ा बंद करते हुए डॉली ने उसे आख़िरी बार देखा। दरवाज़ा बंद होते ही। राज अपने मोबाइल की ओर लपका पर उस पर ज्योति का कोई मैसेज नहीं था। ज्योति पहुँची भी है या उसे सिर्फ़ डरा रही थी। शायद वो बंगलौर ही चली गयी होगी कि अचानक उसे बाथरूम से डॉली के गुनगुनाने की आवाज़ आने लगी।
उसने बाथरूम के दरवाज़े पर कान लगा कि सुना बहते फ़व्वारे की धुन में डॉली कोई रोमांटिक गीत गुनगुना रही थी। बग़ल में ही एक पर्दा लगा था, उसने पर्दा हटाकर देखा एक धुंधला-सा पारदर्शी शीशा था जहाँ से डॉली नहाते हुए दिख रही थी। हाँ हनीमून स्वीट में ऐसे शीशे लगे होते हैं। राज ने देखा कि डॉली के बदन पर एक भी
कपड़ा नहीं था, सिर्फ़ हाथ में लाल चूड़ा, गले में मंगलसूत्र और पॉंव में पायल। फ़व्वारे से टपकती तेज़ पानी की फ़ुहार उसके बदन को नहला रही थी। नये महँगे शैम्पू का इस्तेमाल कर रही थी डॉली, जिसकी महक बाहर तक आ रही थी। राज की उत्तेजना बढ़ने लगी थी। वो अपनी जीन्स में उभार महसूस कर रहा था।
अचानक फ़व्वारा बंद हो गया और फिर बाथरूम का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आयी। राज बिस्तर की ओर गया, वो फिर से एक बार सुनिचित कर लेना चाहता था कि ज्योति का कोई मैसेज तो नहीं है कि डॉली के गोरे हाथों ने उससे उसका मोबाइल छीनकर बैड पे फेंक दिया। राज देख के दंग रह गया। पारदर्शी सफ़ेद रंग का ब्लाउज़ जो डॉली के गोरे कंधों से नीचे लटक रहा था। ऐसा लग रहा था कि वो बस डॉली के वक्ष बिन्दुओं के सहारे ही अटका हुआ है और नीचे हल्के लाल रंग की प्रिंटेड छोटी-सी स्कर्ट। ऐसा लग तरह था किसी चित्रकार ने उत्तेजित करने वाली तस्वीर कैनवास पर उतार दी हो। उस लिबास में डॉली का शरीर की बनावट साफ़ दिख रही थी। बदन पर ज़रा-सी चर्भी नहीं, एक दम दमकता हुआ बदन, अक्सर २२ साल की लड़की का होता है।
डॉली ने सर झुकाकर ख़ुद को राज की नज़रों के हवाले कर दिया। राज अब सर से लेकर पॉंव तक डॉली को निहार रहा था। डॉली के बाल अभी गीले थे, जिनसे पानी की बूँदें डॉली के बदन पर गिर रही थीं। डॉली ने राज की नज़रों को पढ़ लिया था जो उसके बदन में गड़ी जा रही थीं। राज का हौसला और बढ़ाने के लिए उसने अपनी बाज़ू ऊपर उठा ली ताकि राज उसके हुस्न का दीदार अच्छी तरह से कर सके। राज ने धीरे से हाथ बढ़ाकर उसके छोटे से ब्लाउज़ को उसके काँधे से नीचे खिसका दिया। उसके हाथ डॉली के वक्षों पर लहराने लगे। इतना मुलायम था डॉली का बदन कि राज सब कुछ भूलने लगा।
राज की साँसें बढ़ने लगीं, वो उत्तजित हो उठा। उसने अपने हाथ डॉली की कमर में घूमा दिये। डॉली इसी पल का इंतज़ार तो कर रही थी। राज के सख़्त हाथों का स्पर्श पाकर उसने अपने बदन को राज के हवाले कर दिया। उसने धीरे-धीरे राज की शर्ट के बटन खोल दिये। वही सख़्त गरम छाती राज की और उस पर काले बालों के रुएँ। इसी की कल्पना तो डॉली रास्ते भर करती आ रही थी और उसका ख़याल अब हकीकत बनके उसके सामने था।
वक़्त न बर्बाद करते हुए उसने अपनी सारी शर्म को भुला दिया और अपने नग्न वक्षों को राज के बदन में लगभग गाड़ दिया। वो राज के बदन की गर्मी को महसूस करना चाहती थी। राज की साँसें भी अब बढ़ने लगी थीं उसका सब्र अब ज्वालामुखी बन चुका था। उसने देखा कि डॉली आँख बंद करके ख़ुद को उसके हवाले कर चुकी है अब बारी राज की थी। उसने डॉली को गोद में उठाया और बैड पर ले जाकर बैठ गया। वो अपने होंट डॉली के नज़दीक ले जाकर उससे चूमने को ही था कि अचानक!
अचानक! डॉली उसकी बाँहों में बेहोश हो गयी। उसका निर्जीव-सा नग्न शरीर उसके सामने पड़ा था। राज घबरा गया, “डॉली? डॉली?” उसने डॉली को हिलाने की कोशिश की पर डॉली अब निढाल थी, उसकी दोनों बाज़ुएँ नीचे की ओर लटक रही थीं। राज ने निर्वस्त्र डॉली को अपनी बाँहों में उठाकर बिस्तर पर लेटाया।
“डॉली उठो आँखें खोलो, डॉली।” उसके गाल हिला रहा था वो। वो घबराने लगा के वो क्या करे! किसे फ़ोन करे! डॉली ने तो अभी कपड़े भी नहीं पहने हुए थे कि अचानक उसके मोबाइल पर टूं करके एक मैसेज आया। उसने जैसे-तैसे, डरते-डराते व्हट्स एप्प खोला और फिर क्या था ज्योति के मैसेजों की क़तार सी लग गयी। टूँ… टूँ… टूँ… बस बजती ही रही।
झटपट उसने फ़ोन को म्यूट किया और खोलकर पढ़ने लगा-
“आ गये जीजा जी… स्वागत है आपका… केरल में। क्यूँ फ़ोन पर व्हट्स एप्प खोलकर मेरे मैसेज का इंतज़ार कर रहे थे। बस मेरे दिल तक ये बात पहुँची और मैंने इतने सारे भेज दिए। अब ख़ुश हो।
“आ जाओ… बग़ल वाला कमरा ही लिया है, 224।” राज घबरा रहा था। उसने झट से ज्योति को फ़ोन लगाया, “ज्योति तुम्हारी दीदी..” बीच में ही उसकी बात काटकर ज्योति ने कहा, “जानती हूँ बेहोश हो गयी हैं, दीदी की चिंता ना करो। मैंने वेलकम ड्रिंक में उनके वाले गिलास में नींद की
दवा मिलवा दी थी। वेटर ने भी बख़ूबी काम किया है। बस मुझे डर था कि कहीं वो गिलास आप ना पी लो। आ जाओ… दीदी तो रात भर के लिए गयी… स्वप्न लोक में। अब हम भी तो समय बिता लें।” राज ने फ़ोन नीचे करते हुए देखा कि डॉली वाक़ई गहरी नींद में सो रही थी। उसने जैसे-तैसे उसके बदन पर उसके कपड़ों को फँसाकर बिस्तर पर लेटा दिया।
डॉली गज़ब की ख़ूबसूरत लग रही थी। ऐसा लग रहा था कि काँधे से उसका छोटा-सा क्रीम कलर का ब्लाउज़ बस अब उसके बदन का साथ छोड़ने की कगार पर था। वक्ष कांता अपना दीदार देने को तैयार थे। बस राज को हिम्मत करनी थी। अगर वो बेहोश न होती तो अबतक कि अचानक उसमें मोबाइल में फिर से टूं-टूं की आवाज़ आयी। इस बार मोबाइल पर ज्योति की कुछ तस्वीरें थीं ऐसी तस्वीरें जिन्हें देखकर उससे एक पल के लिए भी कमरे में रुका नहीं गया। उसने डॉली के बदन को चादर से ढँका और चुपचाप दबे पाँव, अपने कमरे से निकला और बग़ल वाले कमरे में जाकर दस्तक देने लगा।
पहली ही दस्तक में दरवाज़ा खुल गया और खुलते ही… उसने जो देखा उसके बाद तो बस… उसके होश ही उड़ गये। ज्योति ने बिल्कुल वैसा ही पारदर्शी सा गाउन पहन रखा था जैसा डॉली ने पहना था। ज्योति भी अपनी बहन डॉली से कहीं कम नहीं थी। हाँ उसके वक्षों के उभार डॉली से थोड़े कम थे पर तने हुए। राज की हैरानी को समझते हुए ज्योति दरवाज़ा बंद करते हुए मुस्कुरायी और बैड पर जाकर बैठ गयी।
“मैंने दीदी के साथ शौपिंग की थी। उन्होंने जो कपड़े पहने थे मेरी ही पसंद के थी। मैंने ही उन्हें सिखाया था कि नाइटी के अंदर अंडर गारमेंट्स नहीं पहनते। राज हैरान था, उसका सामने ज्योति के रूप में बहुत बड़ी खिलाड़ी थी। फिर क्या जैसे ही पहला क़दम राज ने कमरे में बढ़ाया, ज्योति ने उस पारदर्शी ब्लाउज़ के धागे खोल दिए और राज के सामने आँख बंद करके बैठ गयी। उसने जानबूझ कर अपने वक्षों को और तान दिया जिससे उसके बदन का मख़मली ब्लाउज़ हार मानने लगा था। ज्योति के वक्ष कांता अब उसके ब्लाउज़ से झाँक रहे थे और राज के लिए मानो ये उस क्रीडा की दूसरी कड़ी थी जो अभी-अभी डॉली के संग खेल कर आया था।राज काँप -सा रहा था और हिम्मत जुटाते हुए उसने ज्योति के बदन के उस हल्के से कपड़े को समेटकर उसे ढँकने की कोशिश की, पर सब व्यर्थ था। ज्योति उस समय बिल्कुल वहशीपन से ग्रस्त थी और उसने राज की शर्ट के बटन खोलना दूर, शर्ट फाड़ ही दी… शर्ट के बटन.. इधर-उधर कमरे में जा गिरे। ज्योति ने राज को बैड पर ज़ोर से धक्का दिया और उस पर किसी भूखी शेरनी की तरह बरस पड़ी। किसी वहशी जानवर की तरह आवाज़ें निकलने लगी। राज जो पहले से अपने कमरे से उत्तेजित आया था उसने भी ज्योति के इस वहशीपन का स्वागत उसी स्वर में किया। उसने ज्योति के दोनों हाथ ज़ोर से बिस्तर पर दबा दिये जिससे उसके बदन से सारे कपड़े हट गये।
राज की आँखों में उत्तेजना भरा क्रोध था। वो लम्बी-लम्बी साँसें लेकर ज्योति के भरे हुए बदन को देख रहा था और ज्योति मुस्कुरा रही थी। यही तो चाहती थी, उसने अपने दोनों हाथ छुड़वाकर राज की पीठ में गाड़ दिए। राज की नज़रों से लग रहा था कि सागर मंथन शुरू हो चुका है और फिर जो उसके बाद हुआ.. उसके गवाह सिर्फ़ वो दोनों ही थे।
रात को ज्योति और राज वहीं थक कर सो गये। अचानक बीच रात के राज की नींद खुली उसने देखा कि ज्योति निर्वस्त्र उसके बग़ल में सो रही थी। उसने जल्दी से अपने कपड़े पहने और देखा कि ज्योति कैसे निडर होकर बैड पर ऐसे पड़ी है मानो, उसे किसी बात की फ़िक्र ही न हो। ज्योति का गोरा बदन ही तो था जो राज की कमज़ोरी बना हुआ था। अगर ज्योति उसे पहले मिल गयी होती तो शायद वो उसी से शादी करता पर अब तो डॉली उसकी पत्नी थी। उसने एक बार ज्योति को आँख भर के देखा और निकल गया।
राज अपने कमरे में चुपचाप आ गया, उसने देखा डॉली उसी मुद्रा में सो रही है जैसे वो उसे छोड़कर गया था। उसने अपना ब्लाउज़ भी ठीक नहीं किया था। हर तरफ़ से उसका अंग झाँक था था। मानो इसी इंतज़ार में थी केकि ना जाने कब राज आ जाये और उसे प्यार करे। उसके चेहरे के नूर साफ़ बता रहा था कि वो सोते हुए भी राज को निराश नहीं करना चाहती थी। राज ये बात समझ रहा था कि सोये हुए भी डॉली उसके लिए तैयार थी, पर राज को तो ज्योति ने निचोड़ कर भेजा था। फ़िलहाल डॉली को देने के लिए उसके पास कुछ भी नहीं था।
लिहाज़ा वो वहाँ एक कुर्सी पर बैठ गया। बस इसी सोच में था कि आया तो था वो अपनी पत्नी डॉली के संग हनीमून मानाने पर बग़ल के कमरे में उसने वो काम अपनी साली के साथ कर लिया और किसी को यह बात पता नहीं। पर वो नहीं जानता था कि उसके इस कांड का गवाह कोई तीसरा भी है।
राज अब डर सा गया था कि ये कब तक और कैसे चलेगा? क्योंकि यह तो अभी शुरूआत थी। वो अपने हनीमून की रात एक ऐसी चिंगारी को जन्म दे आया था जो बुझेगी नहीं बल्कि जंगल में आग की तरह फैलेगी। ज्योति का ख़याल आते ही कपकपी सी छूट रही थी राज की। उसने २-३ व्हिस्की के पैग लगाये और सोने की कोशिश करने लगा। नींद तो उसे फिर भी तुरंत नहीं आयी पर बड़ी जद्दोजहद के बाद वो आख़िरकार सो गया।
अगले दिन सुबह.. उसकी नींद सूरज की रौशनी से खुली। जब डॉली ने होटल बैडरूम में लगे हुए पर्दे को हटाया… तो सूरज की रौशनी पर्दों की छाती को चीरते हुए… सीधा राज पर जा के गिरी। बस फिर असुविधाजनक स्थिति में उसे उठना ही पड़ गया। उसने देखा कि डॉली चाय बना रही है।
राज के मन में अनेक सवाल चल रहे थे, “क्या डॉली को पता चला कि रात भर वो कमरे में नहीं था? अगर उसने पूछ लिया कि उसे रात को क्या हुआ था तो वो क्या जवाब देगा!” वो इसी उधेड़बुन में गुम अपने अंदर इन सवालों के जवाब खोज रहा था जैसे कि इंटरव्यू से पहले कैंडिडेट अपने मन में हर संभव प्रश्न के उत्तर तैयार करता है कि डॉली ने उसे चाय का कप पकड़ते हुए कहा-
“कल जो हुआ उसके लिए मैं बहुत शर्मिंदा हूँ। इतना सुनते ही राज के हाथ से चाय का कप फिसलने ही वाला था।
“मतलब.. क्या हुआ कल रात..मैं समझा नहीं..” डॉली ने शर्माते हुए कहा- “हम हनीमून पे आये और मैं सो गयी।”
राज की जान में जान आयी, उसने डॉली के हाथ पकड़ते हुए कहा, “कोई बात नहीं, अब तक शादी के झंझटों में नींद ही कहाँ मिली है।.. मैं भी बस सो ही गया था… तुम रेडी हो जाओ, नाश्ता १० बजे तक ही है ।” कहकर वो बाथरूम में चला गया।
राज का यह व्यवहार डॉली को अजीब नहीं लगा, बल्कि तो उसे यह लगा कि वो पिछली रात राज की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी, पर वो आज रात यह कमी पूरी कर देगी।
होटल के रेस्टोरेंट में अभी वो नाश्ता कर ही रहे थे कि राज के फ़ोन पर एक टूं सी आवाज़ आयी। शायद मैसेज था। उसने फ़ोन को नीचे रख पढ़ने की कोशिश की। लिखा हुआ था, “एक घंटे में मैं तुम्हारा अपने कमरे के बाथरूम में इंतज़ार करती मिलूँगी, एक साथ नहायेंगे, अपनी बीवी को कैसे बहलाते हो ..तुम देखो।” राज का दिमाग ख़राब
हो रहा था। साफ़ दिखायी दे रह था, उसका चेहरा लाल हो गया था।
ख़ैर फिर अपने आपको सामान्य करते हुए वो बोला, चलो कहीं बाहर घूमने चलें, बीच पर चलें?” पर डॉली का कुछ और ही मूड था। सुहागरात अब तक उन्होंने मनायी नहीं थी। चार दिन हो चुके थे शादी को। उसके अंदर की आग भी उबाल मार रही थी।
उसने राज से कहा, “एक काम करतें हैं, बीच पर कल चलते हैं… सुबह-सुबह। आज अपने कमरे में ही वक़्त गुज़ारते हैं। अभी तो पूरा समय है अपने पास।” मुस्कुराते हुए शरारत भरे स्वर में उसने कहा।
राज को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। वो उसे इस होटल से कहीं दूर ले जाना चाह रहा था।
“कमरे में जाने के लिए तो रात पड़ी है… और फिर में यहाँ समुंदर के किनारे सन सेट से पहले तुम्हारी तस्वीरें लेना चाहता हूँ न!” राज ने टालते हुए कहा।
डॉली समझ गयी और मुस्कुराते हुए उसने हामी भर दी। “ठीक है मैं चेंज करके आयी।” कहकर वो रूम की तरफ़ निकल गयी।
ज्योति की एक घंटे की धमकी के बारे में राज सोच-सोच पागल हुए जा रहा था कि ये लड़की अब क्या करने वाली है।
राज और डॉली ने पूरा दिन, बीच पर गुज़ारा तस्वीरें खींचते। राज ने अपने और डॉली के फ़ोन को भी फ़्लाइट मोड पर डाल दिया था। उन दोनों ने ख़ूब अच्छा वक़्त गुज़ारा और फिर शाम को नहा-धो, स्विमिंग पूल के किनारे बैठ गये।
डॉली ख़ुश थी। वैसे ऐसे लम्हे भी एक नवविवाहित जोड़े के लिए ज़रूरी हैं। हम-बदन होने की प्यास को जागते हैं। पर कोई इन दोनों को दूर नवीं मंज़िल से दूरबीन द्वारा देख रहा था। वो ख़ूब हँस रहे थे..एक-दूसरे के साथ ख़ूब मज़ाक़ कर रहे थे.. छेड़ रहे थे। अब तक भी राज ने अपना फ़ोन चालू नहीं किया था, पर डॉली ने फ़ोन को सामान्य मोड पर कर लिया था। ऑन करते ही सबसे पहला मैसेज ज्योति का ही था। ज्योति का मैसेज पढ़कर मन ही मन मुस्कुराने लगी। राज ने पूछ ही लिया किसका मैसेज देख के इतना हँस रही हो।”
डॉली ने तापाक से कहा, “आपकी साली का मैसेज है आप के लिए।” डॉली राज को छेड़ते हुए बोली।
राज चौंक सा गया और बोला, “क्या… ज्योति का मैसेज?” और फिर कहीं डॉली को कोई शक ना हो जाये, ये ध्यान में रखते हुए बहुत ही सरलता से बोला, “क्या कह रही है… हमारी एकलौती साली साहिबा..”
“अरे कुछ नहीं बस मजे ले रही है। कह रही है जीजाजी का इंतज़ार कर रही हूँ उन्हें यह मैसेज दे देना ।”डॉली हँसते हुए बोली।
“अच्छा मैं ज़रा वॉशरूम से होकर आयी।” बोलते हुए डॉली उठी और चली गयी। राज के पसीने छूटने लगे थे। मौसम सुहाना सा था, पर फिर भी राज के पसीने छूट रहे थे और फिर बड़ी हिम्मत करते हुए, उसने अपना फ़ोन चालू किया और चालू करते ही उसे म्यूट पर डाल दिया। उसको पूरी उम्मीद थी कि फ़ोन चालू करते ही मैसेजेस की लड़ी लग जाएगी और बिल्कुल वैसा ही हुआ। 310 मैसेज थे, राज के मोबाइल पर। ये देख राज का दिमाग ख़राब हो गया और उन 310 मैसज्स में 290 ज्योति के ही थे।
राज की हिम्मत ही नहीं हो रही थी उन्हें पढ़ने की, पर जैसे ही उसने पढ़ना शुरू किया, तरतराते हुए उसके पसीने छूटने लगे। उसके कपड़े का कोई एक हिस्सा नहीं बचा था, जहाँ से पसीना ना छूट रहा हो, बिल्कुल तर हो चुका था वो। सब बातों में जो सबसे ख़तरनाक बात जो थी वो थी कि उसके पास राज के कल रात की रासलीला की पूरी वीडियो थी।
जिसमें कहीं पर भी ज्योति नहीं दिख रही है और राज पूरी तरह से छाया हुआ है। सैंपल के लिए उसने एक मिनट की एक वीडियो राज की ईमेल आई.डी. पर भेजी है, ऐसा लिखा था। बस फिर क्या था उसने फ़टाफ़ट ईमेल खोल के वीडियो डाउनलोड की और जैसे ही वो डाउनलोड हुई… उसे देख… उसे बहुत ग़ुस्सा आया… वो कोई पोर्न वीडियो थी, कहीं इन्टरनेट से डाउनलोड की हुई और जैसे ही वो ख़त्म हुई, एक और मैसेज आया राज के मोबाइल पर, “देख ली, वीडियो। ये तो एक मज़ाक़ था। वैसे कैसा लगा हीरो इस वीडियो का, पर अगली वीडियो में हीरो कोई और नहीं, आप होंगे जीजा जी, अगर आप ने जैसा मैं कह रही हूँ, वैसा नहीं किया। पूरी पिक्चर है मेरे पास, याद रहे आप कल रात मेरे साथ 4 घन्टे खेल के गये हो। हर एंगल से शॉट लिये हुए हैं और बहुत बड़ी फ़ुटेज है, एक-डेढ़ घंटे की सुपरहिट फ़िल्म निकल सकती है और मैं सिर्फ़ तुम्हें नहीं, पूरी दुनिया को दिखाऊँगी, अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी।” राज ने लिखा, “अच्छा बताओ, क्या करना है।”
“ये हुई ना बात, जीजा जी। अच्छा चलो, एक काम करो, दीदी के साथ थोड़ा समय बिताकर, उन्हें रात का खाना-वाना खिलाकर, सुलाकर आ जाओ। मालूम है ना कहाँ आना है, भूले तो नहीं ना। रूम नंबर 224”
“ठीक है… आता हूँ।” राज ने लिखा ही था कि डॉली आ गयी। “चले.. अब अंदर। कुछ खा पी लें और फिर सोते हैं।” बोलते हुए.. उसने राज को एक आँख मारी और उठने लगी। राज भी उठ लिया और साथ उसके कमरे में चला गया।
वो लोग खाना खा के कमरे में पहुँच गये थे। डॉली समझ रही थी कि राज को उसे प्यार करने की जल्दी होगी। वो उसके सामने अपनी साड़ी उतरने लगी के राज ने मुँह फेर लिया। डॉली ने मुस्कुराते हुए कहा, “जाने दीजिये आज यह काम आपको सौंपते हैं!” इतना कहकर उसने राज के गले में अपनी बाहें डाल दीं। डॉली का दमकता हुआ चेहरा एक दम उसके चेहरे के नज़दीक था और चेहरे पर बिखरी एक उम्मीद भरी मुस्कान। डॉली शायद उम्मीद में थी कि राज अपने होंट उसके होंटों पर रख देगा, पर राज का ध्यान तो उसके फ़ोन पर था जिसमें ज्योति की ख़तरनाक धमकी थी।
अचानक उसने पाया कि डॉली उबासी लेने लगी है।” अचानक बहुत नींद आ रही है, सर भी भारी सा हो रहा है! आपको थकान महसूस नहीं हो रही?” बिस्तर पर बैठते हुए उसने राज से पूछ लिया। राज समझ गया था कि ज्योति फिर से कोई ख़तरनाक खेल खेल गयी है।
“आ तुम सो जाओ अगर नींद आ रही है तो!” डॉली ने मुस्कुराते हुए राज को दीवार की ओर खींच लिया।
“नहीं आज आपको निराश करके नहीं सोऊँगी, आख़िर बिहाकर लाये हो मुझे, पत्नी हूँ आपकी।” इतना कहते ही वो बिस्तर पे जाकर लेट गयी। बिस्तर पर लेटते ही मुस्कुराते हुए उसने अपने ऊपर चादर खींच ली। राज उसे देखे जा रहा था। डॉली अब भी मुस्कुरा रही थी और चादर के अंदर कोई हरकत कर रही थी। यह क्या? देखते-देखते उसने अपने बदन के सारे कपड़े उतारकर ज़मीन पर फेंक दिए। राज कल्पना कर पा रहा था कि चादर के अंदर डॉली निर्वस्त्र थी। सही तो थी डॉली, पत्नी थी उसकी। उसके प्यार पर उसका हक़ पहला था और शायद आख़िरी भी। वो अपने गिल्ट को दबाना चाहता था। लिहाज़ा उसने अपनी टीशर्ट निकाल दी।
डॉली ने देखा हल्के हल्के बालों के रूएँ से थे राज के बदन पर जो उसे अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे। डॉली ने धीरे से राज का हाथ पकड़कर चादर को अंदर खींच लिया। चादर के भीतर प्रवेश करते ही राज डॉली के बदन की गर्मी महसूस करने लगा। हाँ उसकी कल्पना अनुसार वो निर्वस्त्र थी। राज ने पाया कि डॉली ने उसकी हथेली अपने वक्षों पर रख दी है और उसके हाथों पर हाथ रखकर उन्हें दबाने की इजाज़त दे रही थी। कितने सख़्त हैं डॉली के वक्ष और वक्ष कांता जो अब तन चुके थे। राज समझ गया था कि डॉली अब उत्तेजित हो चुकी है।
डॉली राज की हथेली पकड़कर अपना बायाँ वक्ष मसलती तो कभी दायाँ। राज की उँगलियाँ न जाने उसका साथ छोड़कर कब और कैसे डॉली के वक्ष बिन्दुओं से खेलने लगीं। बेशक वो कुछ देख नहीं पा रहा था परन्तु कल्पना ज़रूर कर पा रहा था। जैसे-जैसे उसकी उँगलियाँ डॉली के वक्ष कांता दबाये जा रहे थे वो और सख़्त हो रहे थे। उत्तेजना से डॉली की आँखें बंद थीं। राज को पता ही नहीं चला कि कब उसका हाथ डॉली के पेट के नीचे चला गया।
जहाँ एक अद्भुत गरम तरल पदार्थ को महसूस किया राज ने। डॉली को न जाने क्या हुआ उसने राज की उँगलियाँ वहीं रोक दीं। वो अपनी तुलना एक ऐसी भूमि से कर रही थी जिसमें जल तो अपार भरा है पर उस जल से प्यास बुझाने वाला कोई नहीं। बस डॉली तो चाह रही थी कि राज अपनी उँगलियों से उसकी भूमि में किसी कुदाल की तरह चलता जाये और राज डॉली की बंद आँखों से भाँप चुका था कि शादी के इतने दिनों बाद भी उसने आज तक डॉली को तृप्त नहीं किया था। बस उतेज्जित करके छोड़ देता था, तड़पने के लिए, पर आज वो डॉली की प्यास बुझाकर रहेगा।
हक़ है डॉली का! आख़िर पत्नी है उसकी! वो जानता था कि डॉली को उसकी ज़रूरत है और उसका धर्म उसे निराश करने की इजाज़त नहीं देता। लिहाज़ा उसने भी अपनी पेंट उतार दी और डॉली के संग चादर के अंदर सिमट गया और डॉली को कसकर अपनी बाहों में भर लिया। अब डॉली भी उसके बदन की गर्मी को अपने बदन में महसूस कर रही थी। राज भी अब मदहोश होने लगा था। डॉली को न जाने क्या हुआ उसने राज के सर के पीछे हाथ रखकर ज़ोर से अपनी ओर दबाया और अपने होंट राज के होंटों के हवाले कर दिये।
अब राज के दिमाग़ से ज्योति का डर जा चुका था। उसका फ़ोन बार-बार बज रहा था। वो जानता था यह ज्योति ही होगी। पर बिना देखे उसने अपने फ़ोन को ऑफ़ कर दिया। अब उसके सामने उसकी पत्नी डॉली थी। इतनी ख़ूबसूरत। इतना कोमल बदन। डॉली अब इस प्यार का चरम सुख पाना चाहती थी जो उसे उसके पति से मिलना था। बस अब वो वक़्त बर्बाद नहीं करना चाहती थी उसने राज को अपने ऊपर खींच लिया। राज का सारा भार वो अपने बदन पर ले चुकी थी। उसने राज की सख़्ती को अपनी जाँघों के बीच महसूस करना शुरू कर दिया था जो डॉली के द्वार पर दस्तक दे रहा था और उसने चरम सुख की लालसा में अपनी टाँगें फैला दीं। बस इसी घड़ी का इंतज़ार तो हर प्रेमी को होता है जो अब डॉली भोगने वाली थी कि अचानक! अचानक! दरवाज़े पर ज़ोर-ज़ोर से दस्तक होने लगी।
दोनों डर गये। राज ने ख़ुद को सँभालते हुए वहीं से आवाज़ लगायी, “कौन है?” पर किसी ने जवाब नहीं दिया दस्तक जारी थी।राज की नज़रें एक पल के लिए डॉली से मिलीं जिसका चेहरा एक दम उसके क़रीब था। उसके होंटों से लिपस्टिक बिखरकर उसका गालों पर अपनी पहचान बना चुकी थी। डॉली भी इस बेवक़्त की दस्तक से हैरान थी। राज के चेहरे पे डर के भाव दिखने लगे, कहीं यह ज्योति तो नहीं थी। ठक! ठक ! की आवाज़ उसके कानों में पड़ रही थी। उसकी बाँहों में डॉली ने इशारे से कहा कि जाके देखो और ख़ुद अपनी नाइटी उठा कर बाथरूम में भाग गयी।
अपनी पैंट ठीक करते हुए वो दरवाज़े तक पहुँचा उसने फिर आवाज़ लगायी, “कौन है?” इस बार बाहर से एक लड़की की आवाज़ आयी, “हाउस कीपिंग..” आवाज़ परिचित थी।
राज डर गया, उसने जैसे ही दरवाज़ा खोला उसके होश उड़ गये। सामने ज्योति ही थी। ज्योति ने अंदर झाँक कर देखा तो बिस्तर पर उसे डॉली का ब्लाउज़ और ब्रा दिखी उसने देखा के राज की पैंट में अभी भी उभार था।
राज घबरा गया। ज्योति ने उसे घूरते हुए फुसफुसाते हुए कहा, अगले पाँच मिनट में तुम मेरे कमरे में होने चाहिए!” और कहकर निकल गयी। राज के होश उड़ चुके थे। उसने पलटकर देखा डॉली नाइटी पहनकर मुँह साफ़ करके बाहर आ गयी है। “कौन था?” उसने हैरानी से पूछ लिया। राज ने बात को टालते हुए कहा, “कोई नहीं.. हाउस कीपिंग।”
ज्योति बिस्तर पर बैठ गयी, “हमारी प्राइवेसी भी कोई चीज़ है कि नहीं कभी भी आ जाते हैं!”
राज- “आ तुम सो जाओ, मैं ज़रा इनकी ख़बर लेकर आता हूँ!”
डॉली- “अब जाने भी दो न!” उसने हाथ उठाते हुए राज से कहा मानो कहना चाहती हो कि जो काम अधूरा छोड़ा है उसे पूरा कर लो।
राज- “पैसे दिए हैं हमने, यह फिर दोबारा आ सकते हैं, तुम आराम करो मैं आता हूँ!” इतना कहकर वो जाने को था कि पलटकर डॉली के पास आया। डॉली ने उसकी आँख में आँख डालकर पूछा, “क्या?” राज ने उसका माथा चूमा- आई लव यू..”
“आयी लव यू टू…” राज के हाथ चूमकर डॉली ने कह डाला।
राज- “मैं दूसरी चाबी लेजा रहा.. दरवाज़ा खोल के आ जाऊँगा.. तुम सो जाओ।” मुस्कुराकर वो वहाँ से चला गया और डॉली राज के साथ बिताये वक़्त से विभोर चादर में सिमटी उन पलों को याद करके मुस्कुराने लगी थी।
राज अभी बग़ल वाले कमरे के दरवाज़े न. 331 पर पहुँचा ही था कि दरवाज़ा खुल गया और ज्योति ने राज को अंदर खींच लिया, पर आज, कल जैसा माहौल नहीं था। बल्कि टी.वी. चालू था कि तभी टीवी का शायद चैनल बदला गया और एक वीडियो चलने लगी और ये क्या, ये तो वही वीडियो थी, जिसकी धमकी ज्योति राज को दे रही थी। उनके कल रात के राज की गाथा गाती हुई वीडियो। राज की आँखें फटी की फटी रह गयीं। ये वीडियो किसी पोर्न फ़िल्म से कम नहीं थी जिसका नायक था राज और नायिका ज्योति। राज ने ज्योति की तरफ़ देखा और ज्योति ने वीडियो बंद कर दी।
“क्या चाहती हो तुम ज्योति… क्या चाहती हो? जो तुम चाह रही हो… तुम्हें सब मिल तो रहा है… फिर ये क्या है… अब क्या तुम मुझे ब्लैकमेल करोगी, ये वीडियो दिखा-दिखा कर? बोलो..” राज बस रोने कगार पर था और ज्योति राज की बेबसी पर मुस्कुरा रही थी कि अचानक राज खड़ा हुआ।
“बस ज्योति आज के बाद तुम इस रिश्ते की मर्यादा रखोगी कि तुम मेरी साली हो और मैं तुम्हारा जीजा।
“नहीं जीजा जी नहीं… अब बर्दाश्त नहीं हो रहा.. नहीं सह सकती तुम मेरे सिवाए किसी के बदन को छूओ भी.. जब मैं तुम्हें जीजा जी कहती हूँ तो बेगाना पन लगता है।” उसने लगभग राज का कॉलर पकड़कर अपनी ओर खींच लिया। तुम्हारे होटों से रस कोई और नहीं पी सकता.. मेरे सिवाए!”
राज- “और कौन है?.. डॉली है.. और वो मेरी पत्नी है.. और यह रिश्ता ज़िन्दगी भर का है!”
ज्योति- “मुझे कुछ नहीं पता, मुझे तुमसे अपने हिस्से का प्यार चाहिए..”
राज- “और डॉली?”
“मार दो डॉली को ” ज्योति ने ये बात कहकर राज को चौंका दिया और अगले पल राज के गले से लिपटकर रोने लगी।
“मैं तुमसे अलग नहीं रह सकती और ये चूहे-बिल्ली का खेल मुझे भी पूरी ज़िन्दगी नहीं खेलना। अगर मुझे तुम्हारे साथ दिन… हाँ… रातें भी गुज़ारनी है तो डॉली को रास्ते से हटना होगा!” ज्योति बेधड़क बोल रही थी।
“क्या बकवास कर रही हो, ज्योति तुम? डॉली तुम्हारी बड़ी बहन है। तुम उसके बारे में ऐसे कैसे सोच सकती हो? शर्म आनी चाहिए तुम्हें!” लगभग डाँटते हुए बोला राज।
“मुझे क्यूँ शर्म आनी चाहिए। ये तो अच्छा है, पहले मेरा प्यार मुझसे छीन लो और फिर मैं कुछ सोचूँ भी ना। देखो मैं भी ये करना नहीं चाहती राज, पर हमारे पास कोई दूसरा चारा नहीं है। अगर तुम डॉली को नहीं मारोगे तो मैं मार दूँगी!”
राज का अब दिमाग़ फिर गया था। और वो चीख़ के बोला-
“देख ज्योति, तुझे जो करना है कर, पर सुन ले कान खोलकर मैं डॉली से प्यार करता हूँ और तू जो भी चाहती है ना, ऐसा अब कभी नहीं होगा, तू अगर मुझे बदनाम करेगी तो भूल मत मेरे साथ-साथ तेरा और मेरा दोनों का परिवार बदनाम होगा और अगर मेरे परिवार पर हल्की-सी भी आँच आयी तो मैं भी तुझे छोडूँगा नहीं!” और ये बोलते हुए वो बाहर निकल गया। उसका दिमाग़ चकरा रहा था। उसकी और ज्योति की ये छोटी-सी नादानी अब एक ख़तरनाक जुर्म की शक्ल इख़्तियार कर रही थी। वो सीधा नीचे लाउन्ज में बने बार में पहुँच गया और बैठकर शराब पीने लगा। वो एक के बाद एक पैग पिए जा रहा था इतना कि अब वो गिरने लगा था, पर चिलाये जा रहा था।
“और दो… और दो…” कि बारटेंडर ने देखा कि राज आपे से बहार हो रहा है तो उसने उसे और शराब देने से मना कर दिया।