महक पर तो चुदाई का नशा छाया हुआ था… उसने अपनी चूत को
मुति मे भरा और मसल्ने लगी.. फिर अपनी तीन उंगली अंदर डाल
अपनी चूत को चोदने लगी… चूत की गर्मी के साथ उसके उछालने की
रफ़्तार भी बढ़ रही थी… उसकी साँसे फूल रही थी… लेकिन मज़ाल
की उसकी रफ़्तार धीमी हो जाए… वो ुआर ज़ोर से अपनी उंगली को चूत
के अंदर बाहर करने लगी… की उसकी चूत ने पानी छोड दिया… उसकी
उंगलियाँ पूरी तरह उसके ही रस से भीग गयी…
राज ने अपना लंड उसकी गॅंड से बाहर निकाला और उसे एक बार फिर अपने
सामने बैठने को कहा, “म्र्स सहगल अब हम एक खेल खेलेंगे… तुम
मेरे लंड को अपनी मुति मे जाकड़ मसलॉगी.. और जब में कहूँगा की
मेरा छूटने वाला है तो तुम वीर्या की धार अपने मुँह मे लॉगी..
समझी.”
राज को पता था की वो उसका सारा का सारा वीर्या अपनी मुँह मे नही ले
पाएगी.. उसका पूरा चेहरा भीगो देना चाहता था वो.. उसे महक को
जललिल करने मे मज़ा आता था… लेकिन महक थी की उसे कोई बात का
बुरा ही नही लगता था.. बल्कि उसे तो राज की हर हरकत मे मज़ा
आता था… वो बड़े प्यार से सब कुछ करने को और करवाने को तय्यार
रहती थी.. उसने राज के लंड को अपने मुति मे ले मसल्ने लगी और
उससे बोली.
“हां ऱाज़ा हाआं में तुम्हारे पानी को अपने मुँह मे लूँगी… आआज़
नहला दो मुझे अपने इस अमृत से… मुझे वीर्या की छूट्टी धार
बहोट अछी लगती है.. जब सीधी गले मे गरम गरम धार पड़ती है
तो में तृप्त हो जाती हूँ.”
राज को विश्वास नही हो रहा था की कोई औरत इतनी बेबाक और बिंदास
हो सकती है….. रंडियन भी महक की हरकत को देख शर्मा
जाएँगी… महक की शब्दों ने उसे और उत्तेजित कर दिया था… लंड
अकड़ रहा था…. अंडकोःस उबलने लगे थे… उसने महक से कहा की
उसका छूटने वाला है.. महक ने अपना मुँह खोल दिया… और उसके
लंड को और ज़ोर से मुठियाने लगी.
पहली धार उसके मुँह के बजाई उसके चेहरे पर गिरी… तो महक ने
लंड को ठीक अपने मुँह की सीध मे क्या.. दूसरी उसके गले तक चली
गयी…. जिसे महक गीतक गयी… फिर राज का लंड अपने अमृत से
उसके चेहरे को गालों को नहलता रहा.
राज का काम ख़तम हुआ और हर बार की तरह फिर मिलेंटगे कह कर वो
चला गया… हॉल मे पहुँच कर उसने अपना सेल फोन देखा… तो
वो मिस कॉल वेल नंबर को वो पहचान नही पाया…. उसने देखा की
एक मेसेज भी आया था… उसने उस मेसेज को सुना…. जब रजनी ने
उसे उसके यहाँ आने के लिए कहा था और उसके घर का पता भी छोड़ा
था… तो जोरों से हँसने लगा…. “क्या रंडियन हाथ लगी है.. एक
छोड़ती है तो डोस्सरी तय्यार है… वा रे उपर वेल तेरा जवाब
नही…. वो रजनी के घर की और चल दिया.
महक ने स्नान किया और कपड़े बदल बिस्तर पर इस तरह लेट गयी और
पढ़ने लगी.. लेकिन जब उसने अपने पति को घर मे दाखिल होते सुना
तो कीताब को रख सोने का बहाना करने लगी.. अजय चुप चाप आया
और कपड़े बदल बाथरूम मे घूस गया जिससे रजनी के साथ बीताए
पलों के निशान मिटा सके…. जब वो पलंग पर आया तो महा जाग
रही थी.. दोनो चुप छाप लेट हुए थे और दोनो के दीमग मे एक
दूसरे से की बेवफ़ाई के वो पल दौड़ रहे थे.. दोनो एक दूसरे से
अपने राज़ को छिपाना चाहते थे.. लेकिन क्या किस्मत को ये मंज़ूर
था.
जब अजय और महक सोने की कोशिश कर रहे थे उस वक्त राज रजनी के
घर के सामने खड़ा दरवाज़े पर घंटी बजा रहा था…. रजनी ने
दरवाज़ा खोला.. उसने अजय के जाने बाद कपड़े बदल लिए थे.. राज
घर के आदर आया और उसे देखने लगा.
“तो तुम मुझसे चुड़वाना चाहती हो…. अपनी चूत की ठीक तरह
ठुकाई करवाना चाहती हो? राज ने पूछा.
रजनी सिर्फ़ मुस्कुरा के रह गयी.
“तुमने जवाब नही दिया?” राज ने फिर कहा.
“हां” उसने एक मादक अंगड़ाई लेट हुए कहा.
“तो तुम्हारी चूत तड़प रही है मेरे लंड के लिए?” राज ने फिर
कहा.
“हां बहोत ज़्यादा… आग ही आग लगी हुई है इसके अंदर.” रजनी ने
जवाब दिया.
“ये तो थोडी देर मे पता चल जाएगा.” राज ने रजनी से कहा.
रजनी उसके चिपक कर खड़ी हो गयी और अपना हाहत उसकी पॅंट के उपर
से उसके लंड पर रख दिया… वो उसकी आँखों मे झाँक रही थी….
दोनो हॉल मे आगाय और राज ने उसे सोफे पर बैठने को कहा.. और
खुद उसके सामने खड़ा हो गया.
“लगता है मेरे लंड के लिए कुछ ज़्यादा ही तड़प रही हो?”
“हां बहोत ज़्यादा” रजनी ने जवाब दिया.
राज ने अपनी पॅंट के बटन खोल अपने लंड को बाहर निकाल लिया.. और
बोला, “में अभी अभी अपने इस लंड से म्र्स सहगल की गॅंड मार कर आ
रहा हूँ…. अगर तुम्हे मेरा लंड चाहिए तो इसे चूस कर खुद के
लिए तयार करना होगा..” उसे उमीद थी की रजनी उसकी ये बात नही
मानेगी…. आज की रात दो बार उसके लंड की गर्मी शांत हो चुकी थी
इसलिए उसे रजनी के मानने ना मानने की परवाह भी नही थी.
राज वैसे ही खड़ा अपनी रखैल की सहेली को देखता रहा थ….कि
अचानक रजनी थोड़ा आगे को झुकी और उसके लंड को अपने मुँह मे ले
लिया.
रजनी के मुँह की गर्माहट पा राज के लंड मे जान आने लगी.. वो
फिर से खड़ा होने लग…वो लंड को इतना अछा चूस रही थी की राज
को स्मझ मे नही आया की उसका लंड उत्तेजना मे खड़ा हो रहा है या
फिर उसकी कला की वजह से…. वो उसके लंड को चूस्टे हुए मसल्ने
लगी… राज को मज़ा आने लगा…
रजनी तो इसी बात से खुश थी की राज महक को चोदने के बावजूद उसे
छोड़ने यहाँ उसके पास आया था.. उसका लंड अब खड़ा होने लग रहा
थ…उस्के लंड को ज़ोर ज़ोर से चूस्टे हुए वो अपनी चूत को मसल्ने
लगी…
राज चुपचाप खड़ा रजनी के मुँह का आनंद उठा रहा था… वो ड्कः
रहा था की वो कितनी कुशलता से उसके लंड को चूस रही थी और
साथ ही अपनी चूत को मसल रही थी.
थोड़े देर बाद राज उसकी टांगो के बीच बैठ गया और उसे खींच
कर सोफे के किनारे पर ले आया… फिर अपने खड़े लंड को उसकी चूत
मे घुसा दिया… वो खुशी से चिल्ला उठी..
“हाआं ऐसे ऑश कितना अछा लग रहा है.. हां ऐसे ही और अंदर
तक घुसा दो..”
राज ने उसकी दोनो जांघों को पकडा और ज़ोर ज़ोर से धक्के मरने
लगा… उसके हर धक्के पर वो भी अपनी कमर उठा उसके लंड को और
अंदर तक लेने लगी…
“हां चोडो मुझे और ज़ोर से चोडो ऑश मज़ा आ जाता है तुम्हारे
लंड से चुड़वाने मे.”
राज पूरे जोश मे उसे चोद रहा था… उसकी भरी चुचियाँ मचल
मचल कर आगे पीछे हो रही थी… राज उसके जोश के देख खुद
उत्साहित हो रहा था.. वो रजनी को अभी अपने लंड का… अपनी आदायों
का दीवाना बना देना चाहता था…
“तुम भी कम छिनाल नही… बुद्धी हो गयी हूओ लेकिन लंड के लिए
पागल हो… तुम्हे इसकी भी परवाह नही की मेने अभी थोडी देर पहले
तुम्हारी सहेली की गॅंड और चूत मारी है.. और तुम उसी लंड से
चुडा रही हो.” राज ज़ोर ज़ोर के धक्के मार उससे बात कर रहा था.
रजनी को भी राज की ये अदा बहोत आक्ची लगने लगी थी.. वो भी उसके
साथ ऐसी ही गॅंड बातें करना चाहती थी…
“म्र्स शर्मा तुम्हे मेरा ये मोटा लंड बहोत पसंद है ना? तुम्हारी
चूत तो इसकी दीवानी हो गयी है.” राज ने फिर कहा.
“तुम ऐसी बातें करते हो ना तो मुझे बहोत मज़ा आता है.. मेरे
साथ भी वैसे ही बोलो जैसे तुम महक के साथ बोलते हो” रजनी अपनी
कमर उठा उसके लंड को अपनी चूत मे और अंदर तक लेट हुए बोली.
“तो तुम्हे बुद्धी रांड़ बुलयुन तो कैसा रहेगा?” राज ने पूछा.
“नही तुम मुझे म्र्स शर्मा कह कर बुलाओ.. में गरमा जाती हूँ ये
सोच कर मुझ जैसी अधेड़ औरत तुम जैसे नौजवान लड़के को भी
गरम कर सकती है…” रजनी ने कहा.
“तुम भी साली छिनालों की छीनाल हो म्र्स शर्मा… ” राज ने उसे
चिढ़ाते हुए कहा.
तभी रजनी की चूत ने पानी छोड दिया… उत्तेजना मे उसका समुचा
बदन कांप रहा था और उसकी चूत पानी छोड रही थी.. वो अपनी
कमर उठा उसके लंड को अपनी चूत मे जकड़ने लगी.. और पानी छोड़ती
रही…
जब उसकी चूत थोडी शांत हुई तो वो अपनी चुचियों को भींचते हुए
किसी रंडी की तरह राज से बोली, “अब मुझे ये मोटा लंड अपनी गॅंड मे
चहिये..इस लंबे लंड से महक की तरह भी गॅंड मरो.”
राज ने अपना लंड उसकी चूत से निकाल लिया और उसके बगल मे बैठ
गया.. “अगर तुम्हे भी म्र्स सहगल की तरह चाहिए तो तुम्हे भी
मेहनत करनी होगी.” राज ने कहा.
रजनी इतनी गर्मी हुई थी की उसे तो किसी बात की परवाह ही नही थी..
वो तो कुछ भी करने के लिए तय्यार थी.. वो राज की गोद मे बैठ
गयी.. और उसके लंड को अपनी गॅंड के छेड़ से लगा उस बार बैठ
गयी.. उसका लंड उसकी गॅंड की दीवारों को चीरता हुआ अंदर घुस
गया… अब वो ज़ोर ज़ोर से उछाल उछाल कर उसके लंड को अपनी गॅंड मे
लेने लगी अपनी दोनो चुचियों को जोरों से मसल्ते हुए वो उछाल रही
थी.
राज बड़े प्यार से उसकी गॅंड को अपने लंड पर उपर नीचे होते देखता
रहा… क्या रात बीती थी उसकी आज.. दो दो छीनाल दिल खोल कर उससे
चुडा रही थी… उसका लंड अकड़ने लगा था… लेकिन इसके पहले की
वो पानी छोड़ता… रजनी फिर जोरों से सिसक पड़ी.. चिल्ला पड़ी.. और
शायद उसकी चूत ने एक बार फिर पानी छोड दिया था…
वो शांत पड़ने लगी तो राज ने उसे उठा कर सोफे के सहारे घोड़ी बना
दिया और उछाल उछाल कर उसकी गॅंड मरने लगा.. तीन चार ज़ोर के
धक्के मार दिए… जब उससे नही रहा गया तो उसने अपना लंड बाहर
निकाल अपना वीर्या उसकी गॅंड पर छोड दिया.
राज भी तक गया था…”अब मेरे इस लंड को किसी सॉफ कपड़े से सॉफ
कर दो..?”
“रजनी एक नॅपकिन ले आई और प्यार से उसके लंड को पौंचने लगी..
अची तरह सॉफ करने के बाद उसे बड़े प्यार से चूम लिया, “सही मे
बहोत प्यारा है ये… में तो पागल और दीवानी हो गयी हूँ इसकी…
जी करता है की हर वक्त इस अपनी गॅंड और चूत मे लिए रहूं.”
राज ने अपने कपड़े पहेने और जाने लगा, “फिर जब ज़रूरत पड़े तो
फोन करना बंदा हाज़िर हो जाएगा.” कहकर वो चला गया.बुझाए ना बुझे ये प्यास–8
महक सहगल के दीमाग मे हज़ार बातें घूम रह थी. वो सोच रही
थी की उसे कल क्या क्या करना है. सुबह किराने वेल की दुकान पर
जाकर किचन के लिए समान लीखाना है, लौडरी से कपड़े लेने
है, कुछ दवाइयाँ ख़रीदनी है और फिर किसी दुकान पर जाकर एक
नॉवेल ख़रीदनी है जिसके बारे मे उसने इतना कुछ पढ़ा है.
कल के लिए काफ़ी काम था उसके पास अचानक ही उसकी सोच टूटी जब
उसके पति अजय सहगल ने एक हुंकार भरते हुए अपना वीर्या उसकी चूत
मे छोड़ दिया.
महक आज फिर प्यासी रह गयी थी, उसका पति एक बार फिर उसे
मझधार मे छोड सो गया था. उसने अपना हाथ अपनी चूत पर रखा तो
देखा की उसकी चूत उसके पति के वीर्या से भरी हुई थी. वो इस गीली
चूत के साथ सोना नही चाहती थी, वो उठी और बाथरूम मे घुस
गयी. फिर अपनी चूत और हाहत को आक्ची तरह सॉफ करने के बाद वो
कमरे मे वापस आ गयी. उसे अभी नींद नही आ रही थी इसलिए वो
हॉल मे आ गयी और टीवी देखने लगी.
महक अपने पति से बहोत प्यार करती थी लेकिन उसकी चूत का वो क्या
करे जो हमेशा प्यासी रह जाती थी. वो इतनी बेशर्म भी नही थी
की खुद पति के उपर चढ़ उसके लंड को अपनी चूत मे ले धक्के मारे
की उसकी चूत झाड़ जाए. पर उसने अपनी पति से कभी शिकायत नही
की थी और एक आचसी पत्नी की फ़र्ज़ नीभती रही.
वैसे महक बहोत ही सेक्सी थी, उसका दिल करता था की उसका पति उसकी
जाम कर चुदाई करे. आम औरतों की तरह उसके भी कई सपने थे, कई
कल्पना थी कई इच्छाएँ थी. लेकिन वो जानती थी की उसके पति को
वो सब पसंद नही था और शायद उसकी इच्छा, उसकी कल्पना इन जिंदगी
मे पूरी नही हो पाएँगी.
जब भी टीवी पर या फिर कोई मूवी देखते वक़्त किसी सेक्स सीन को
देखती तो उसकी दबी हुई भावनाएँ ज़ोर मारने लगती लेकिन उसने कभी
अपने पति को इस बात की भनक भी लगने नही डी थी.
शादी से पहले उसने सिर्फ़ एक ही मर्द से रिश्ता बनाया था वो भी
कॉलेज के दीनो मे जब उसने यही कोई दो चार बार उसे गाड़ी के पीछले
सीट पर चोदा था. उसे याद नही आता की उसके साथ चुदाई करते वक़्त
भी उसकी चूत ने कभी पानी छोड़ा हो.
कई बार उसने हस्तमैथुन करने की भी सोची लेकिन उसके ख़याल मे
ऐसा कुछ था ही नही जिससे वो उत्तेजित हो अपनी चूत का पानी छुड़ा
सके. उसे कभी कभी लगता था की वो अपनी भवनाई अपनी इक्चा को
दबा कर ग़लती कर रही है, उसे भी और औरतों के तरह देह सुख का
हक़ है लेकिन वो खुद इतनी शर्मीली थी की उसे अपनी किसी सहेली से
बात करते हुए शरम भी आती थी.
महक इतनी सुंदर तो नही थी लेकिन उसके नाक नक्श काफ़ी तीखे थे.
5″ फीट 6 की लंबाई, गोरा बदन. गोल चेहरा, ऊम्र के हिसाब से बड़ी
बड़ी चुचियाँ जो काफ़ी भरी भरी लगती थी. 45 साल की उम्र मे
फिर भी उसका बदन काफ़ी सुडौल था, गोल गोल चूतड़ जो किसी को भी
लुभा सकते थे. घुँगरले भूरे बॉल जो उसके कंधों तक आते थे
और नीली आँखों जो उसके चेहरे पर चमक पैदा कर देती थी.
उसके पति एक कन्ज़्यूमर कंपनी मे सेल्स मॅनेजर थे, और काम के
लिहाज से अक्सर टूर पर रहा करते थे. गर्मियाँ की छुट्टी ख़तम
होने वाली थी और उसका बेटा सोनू वापस अपने हॉस्टिल चले जाने वाला
था, उसके पास समय ही समय था इसीलिए शायद वो सब ख्वाशे एक
बार फिर उसके जहाँ मे उठ रही थी.
थोडी देर चॅनेल बदल बदल कर वो टीवी देखती रही फिर जब नींद
आने लगी तो उसने टीवी बंद किया और अपने कमरे मे जाकर सो गयी.
दूसरे दिन शाम को जब उसका बेटा कॉलेज के कुछ दोस्तों से मिलकर
घर आया तो उसने अपनी मा से कहा की क्या वो शनिवार की शाम को
अपने कुछ दोस्तों को घर पर एक छोटी सी पार्टी के लिए बुला सकता
है. वैसे भी उसके पति दो दिन बाद टूर पर जाने वाले थे इसलिए
उसने सोनू को इजाज़त दे दी. सोनू उसे थॅंक्स कहते हुए अपने कमरे मे
कुछ फोन करने चला गया.
शनिवार आया और घर का आँगन सोनू के दोस्तों से भरने लगा. सोनू
ने करीब 10 दोस्तों को बुलाया था जिनमे से 8 आ चुके थे, इनमे कुछ
लड़कियाँ भी थी. महक ने देखा की सभी हाशी मज़ाक करते हुए
हंस खेल रहे थे.
सब को अपने आप मे मशगूल देख महक एक कोक की बॉटल लेकर
बच्चों को मस्ती करते देखने लगी. जिस तरह लड़कियाँ लड़कों के
साथ हंस खेल रही थी, ये देख कर उसे जलन होने लगी. उसे
जिंदगी मे कभी ये मौका नही मिला था. वो एक साधारण परिवार से
थी जिन्हे लड़को की दोस्ती आक्ची नही लगती थी. फिर उसकी शादी भी
छोटी उमर मे ही हो गयी थी.
लड़कों पर उसने ख़ास नज़र नही डाली थी, लेकिन तभी एक लड़का
घर मे घुसता उसे दीखाई दिया.
“दोस्तों में आ गया हूँ अब आप पार्टी शुरू कर सकते है.” उसने ज़ोर
से कहा जिससे सब को सुनाई दे सके.
“ऱाज़” सभी ज़ोर से चिल्ला पड़े और दौड़ कर उसके पास आ गये.
लड़कियाँ तो जैसे उसे देख पागल हो गयी वो सब दौड़ कर उससे
लीपटने लगी जैसे की कोई उनका बीछड़ा हुआ प्रेमी आ गया हो.
“राज?” महक मन ही मन सोचने लगी. सोनू के दोस्तों मे उसके किसी
दोस्त का नाम राज नही था, फिर कौन है ये?
महक भी उस लड़के राज को देखने लगी जो आते ही आकर्षण का केन्द्रा
बन गया था. उसने देखा की राज का बदन काफ़ी कसरती थी, चौड़े
कंधे, चौड़ा सीना और काफ़ी हॅंडसम लग रहा था. महक अपने बेटे
सोनू की और बढ़ी ये जानने के लिए की ये राज कौन है?
“मम्मी वो राज है, राज शर्मा,” सोनू ने कहा, “आप भूल गयी मेरे
साथ स्कूल मे पढ़ा करता था.”
“हे भगवान ये राज है, कितना बड़ा हो गया है.” महक ने कहा.
राज सोनू के साथ 5थ स्ट्ड मे साथ मे पढ़ता था. और एक दो बार ही
महक की उससे मुलाकात हुई ती जब वो छुट्टी के दिन सोनू के साथ
खेलने उनके घर आया था. फिर उसके बाद सोनू ने कभी कभार ही
उसका ज़िकरा किया था. उस समय मुश्किल से उसकी लंबाई 5’फ्ट 3 होगी और
आज ये लंबा चौड़ा करीब 5’फ्ट 11 की हिएगत और काफ़ी सुंदर लगने
लग गया था. वो एक बार फिर उससे परिचय करने के लिए उसकी और
बढ़ गयी.
“हेलो राज, पहचाना मुहे?” महक ने उसकी तरफ हाथ बढ़ाते हुए
कहा.
“ओह्ह हाँ म्र्स सहगल में आपको कैसे भूल सकता हूँ.” कहकर राज ने
महक का हाथ अपने हाथ मे ले लिया, “कैसी है आप… सोनू अक्सर आप
के बारे मे बात करता रहता है.” राज ने आँख मरते हुए उसके हाथ
को चूम लिया.
राज को सोनू की मम्मी महक हमेशा से ही आक्ची लगती आई थी. जब
भी वो सोनू के घर जाता था वो टीरची निगाहों से महक को ही
घूरा करता था. वो सुंदर है वो ये जानता था और जब लड़कियाँ उसे
प्रभावित होती थी उसे पता चल जाता था. लड़कियों पर उसके
व्यक्तित्वा का असर जल्दी ही चढ़ जाता था और यही आज महक के साथ
हो रहा था.