एक बार ऊपर आ जाईए न भैया – Incest

दोनों बहने अब दरवाजा को खोलने की कोशिश में थी जो बाहर मासीमा ने बन्द कर दिया था। घबडाहट से दोनों से उसकी सिटकीनी खुल नहीं रही थी। तीनों मर्द अब मुस्कुराते हुए उन दोनों की तरफ़ बढे और फ़िर एक जो पहले नसरीन को चाँटा लगाया था, उसने पीछे से जुबैदा की फ़्राक पकड़ी और उसको अपने ताकत से फ़ाड़ दिया।

जुबैदा की पीठ नंगी हो गई और वो अपने हाथों से अपनी छाती हो ढ़कते हुए कैमरे की तरफ़ घुमी। उसका फ़टा हुआ फ़्राक उसके बदन से फ़िसल कर नीचे गिर गया था और वो सिर्फ़ एक भूरे जँघिया मे अब खडी थी। गरीब घर की लड़की को ब्रा कहाँ से नसीब होता। वो अब अपनी बेबसी पर रोने लगी थी।

नसरीन अब भी गाली दिये जा रही थी उन सब को। तीनों मर्दों ने अब जुबैदा की फ़िक्र छोड़ दी और उसकी बड़ी बहन नसरीन पर भिर गए। दो ने उसको खुब अच्छे से दबोच लिया और तीसरे ने उसके ब्लाऊज के बटन खोलने शुरु कर दिए। वो छ्टपटा रही थी, पर वो प्यार से खुब समय लेते हुए एक-एक कर उसके ब्लाऊज का बटन खोल रहा था। उसने अब बोला भी कि शान्त रहो नहीं तो तुम्हारा कपडा भी फ़ाड़ देंगे।

उसने उसका ब्लाऊज अब उतार दिया था और नसरीन की पुरानी सफ़ेद ब्रा में से उसकी चुचियाँ चमकने लगी थी। तभी जब तक नसरीन समझे उसको पीछे से पकड़े हुए मर्द ने उसके ब्रा का हुक खोल दिया और जब वो पीछे मुड़ी तब तक उसका ब्रा निकल चुका था। वो खुब जोर से माँ की गाली बोली, और उसकी बात से सब हँस दिए और फ़िर से दो लोग उसको पकड कर अब उसकी चुचियों को जोर-जोर से दबाने लगे और वो दर्द से चीखने लगी थी।

पहले वाले मर्द ने, जो सबमें उम्र-दराज और शायद लीडर था, आगे बढ़ कर दीवार की तरफ़ मुँह करके खडी हुई जुबैदा को बालों से पकड़ कर अपनी तरफ़ खींचा। बेचारी को उम्मीद नहीं थी कि ऐसा कुछ होगा, सो वो दर्द से चीखी और अपने हाथों को अपनी चुचियों से हटा कर अपने बालों पर ले गई और फ़िर दर्द से बचने के लिए लडखडाते हुए उसके छाती से लग गई।

मादरचोद कैमरा वाला, अब घुम कर उसके सामने आ गया था और उसकी छोटी-छोटी चुची के क्लोज-अप लेने लगा था।

जुबैदा सांवली लड़की थी और उसकी छाती पर गहरे बूरे रंग का निप्पल था। बिल्कुल सपाट पेट और एक छोटी सी नाभी। फ़ीगर के नाम पर होगा करीब ३२-२२-३२ जैसा कुछ, पाँच फ़ीट दो ईंच के करीब लम्बी थी। उसके काँख के घुंघराले काले बाल अब खुब साफ़ दिख रहे थे, जब उसका हाथ उसके सर पर उसकी चोटी को संभालने में लगा हुआ था।

उस मर्द ने उसको लगभग घसीटते हुए बिस्तर पर लाया और फ़िर एक जोर के धक्के से उसको बिस्तर पर गिरा कर उसकी टांगों को पकड़ कर उसको सीधा पलट दिया।

जुबैदा अपने टांगों को झटक रही थी, जिससे की वो उसकी गिरफ़्त से छूट सके। पर वो सब मर्द तो ऐसी कई कलियों को रंडी बना चुके थे, सो वो बेचारी कहाँ से छूट पाती। उसको बिस्तर पर तड़फ़डाते हुए देख कर अब उन दोनों ने भी उसकी बहन नसरीन को उठा कर वहीं उसी बिस्तर पर पटक दिया।

वो दोनों बहने अब पूरी तरह से घबडा गई थी और अब चुप हो कर दोनों एक दुसरे से चिपक गई। उन मर्दों ने उन दोनों को खुब गालियाँ दी और फ़िर सब एक तरफ़ हो कर अपने कपडे उतारने लगे। दोनों बहन सब समझ कर चुप-चाप उनको देख रही थी। अब वो दोनों उनसे गिड़गिडाने लगी थी कि वो सब उन दोनों को जाने दें। वो दोंनो अब उनको कभी अपना भाई कहती तो कभी अपना बाप।

उनकी बातों को सुन कर उस लीडर ने कहा, “इस सब से कुछ नहीं होगा, हमलोग तो जमाने से यही सब करते आए हैं। निकाह करके तो मैं ही अपनी बीवी को धंधे में लाया, जो इस कोठे की पहली रंडी बनी। फ़िर तो उसने कई को इधर-ऊधर से ला कर धंधे में लगाया।”

जुबैदा ने अब एक अंतिम बार अलग हट कर उसके पैर पकड़ कर बोली, “आप तो मेरे अब्बू जैसे हैं, प्लीज आप मुझे जाने दीजिए”।

उसने उसको दूर ठेलते हुए कहा, “हट साली, तुम्हारा अब्बू तो तुमको बेच कर कही दारू पी रहा होगा, और मुझे कह रही है कि छोड़ दूँ। जो पैसा तुम लोग के बाप को मिला है, वो तुम्हारे छेद से हीं तो अब हमलोग निकालेंगे। ज्यादा हल्ला की तो सड़क पर ले जाकर कुत्ता से चुदा देंगे, खैर चाहती है तो चुपचाप खड़ी हो कर खुद से अपना पैन्ट खोल नहीं तो मादरचोद, तुम्हारे फ़्राक की तरह तुम्हारा पैन्ट भी फ़ाड़ देंगे और जब तक तू कमाएगी नहीं कुछ पहनने को नहीं रहेगा तुम्हारे पास, नंगी हीं पड़े रहना यहाँ कुतिया के जैसे।”

बाकी दोनों मर्दों ने भी कुछ ऐसी ही बात नसरीन से कही जो अब अपने बदन पर के बचे हुए कपड़े को खुब जोर से पकड़ कर सिमट कर बिस्तर पर बैठी थी। तीनों अब नंगे हो कर अपना-अपना लन्ड हिला-हिला कर कड़ा कर रहे थे जिससे की वो भीतर घुस सके।

उन दोनों को शान्त बैठे देख कर उस लीडर ने फ़िर से धमकी दी कि वो दोनों अपने हाथ से नंगी हो जाए, वर्ना फ़िर हमेशा के लिए नंगा रहना होगा। इस बार की धमकी के बाद जुबैदा चुपचाप उठी और बिस्तर से उतर कर खड़ी हो कर अपना जंघिया नीचे सरार दी। उसकी बूर पर करीब आधा-पौना ईन्च के कोमल मुलायम काले-काले बाल थे, जो अभी घुंघराले झाँट बनने शुरु हुए थे।

वो लीडर खुश हो कर नसरीन से बोला, “देखो, तुम्हारी बहन कितना समझदार है… तुम भी आराम से हम लोग से सहयोग करके चुदा लो, नहीं तो समझ लेना… मार-मार कर चोदेंगे लगातार हरामजादी।”

मैंने अब विभा को देखा जो टकटकी लगाए फ़िल्म देख रही थी। मैंनें कहा, “विभा, देख लो…. अगर तुम भी हमसे आराम से नहीं चुदवाई तो जैसे यह लड़की चुदेगी वैसे हीं तुमको भी किसी दिन पटक कर हम चोद देंगे। जमाने से मेरे “खड़े लन्ड पर धोखा” दे रही हो तुम।”

विभा मेरी तरफ़ एक नजर देखी और फ़िर वो बोली, जिसको सुनने की आस मैं जमाने से पाले हुए था,

“ठीक है, इस बार जब पीरियड खत्म होगा तो एक बार कर लीजिएगा, पर उसके बाद नहीं…”।

मैं यह सुन कर उछल पडा और उसको बाहों में भर कर बोल पडा, ’जिओ मेरी जान…. आज तुम कहो तो तुम्हारा रेड सिग्नल तोड़ कर अपना लन्ड तुम्हारी बूर के भीतर पार्क कर दुँगा।”

विभा ने शर्माते हुए धत्त… किया और फ़िर मुझे अपने से दूर करते हुए फ़िल्म देखने लगी। जुबैदा ने आत्मसमर्पण कर दिया था और अब उस लीडर के कहे अनुसार, उसका लन्ड चूसने लगी थी। तभी दरवाजा खटखटाया गया और मासीमा के खोलने पर एक २२-२४ साल लडका सबके लिए चाय ले कर आया। सब चाय पीने लगे, पर मासीमा में उन दोनों लड़कियों को चाय देने से मना कर दिया, कि जब तक वो दोनों अब चुदेगी नहीं तब तक कुछ नहीं मिलेगा।

जुबैदा को अब बारी-बारी से तीनों के लन्ड चुसने का आदेश हुआ था और वो बेचारी नंगी जमीन पर घुटनों के बल बैठ कर एक-एक कर तीनों के लन्ड चूस रही थी जो अब खुब फ़नफ़ना गया था। मासीमा चाय खत्म करके उठी और जुबैदा के चेहरे को सहलाते हुए प्यार से बोली, “यह तो बहुत अच्छी है रे… सब बात मानती है, इसको प्यार से चोदना तुम सब हरामी लोग”,

फ़िर उसने उस छोकरे से जो चाय ले कर आया था बोली, ’तू खोल उसकी चूत अब्दुल…. तेरे साथ इसकी जोड़ी ठीक रहेगी, इस सब हरामियों की बेटी की उम्र की यह यह सब, औए देखो साले लोग कैसे अपना खडा किए हुए हैं इस बेचारी के भीतर घुसाने के लिए”, और उन तीनों को बोली कि जल्दी से उस वाली को जोर से पेलो और फ़िर बाद में इन बाकी चार का भी सील खोलना है तुम सब को।

अब्दुल ने जब सुना कि उसको जुबैदा को चोदना है तो वो तुरन्त से अपनी चाय गटक कर अपना टी-शर्ट और जीन्स खोल्ने लगा और तब मासीमा जुबैदा से बोली, “बेटी, तुम जाओ और अब्दुल का कपडा उतारो और फ़िर उसके साथ चुदाओ पहले…. फ़िर नहा धो कर खाना खा लेना। तुम बेकार में अपनी बहन के चक्कर में लात खाओगी अगर खुशी-खुशी नहीं चुदाओगी। अब्दुल जवान है, तुम्हारे साथ उसका जोड़ा ठीक बैठेगा… और वो खुब प्यार से चोदेगा तुमको… ये तीनों हरामजादे तो तुम्हारे जैसी बच्ची को रगड़ कर रख देंगे, चार दिन तक खडा नहीं हो पाओगी ठीक से।” जुबैदा का तो यह सब सुन कर चेहरा सफ़ेद पड गया और वो धीरे से ऊठ कर अब्दुल के पास चली गई।

अब्दुल उसको अपने से चिपका लिया और उसके कमर से अपने हाथ उपर की तरफ़ सरारने लगा था। नसरीन अपनी बहन को ऐसे अब्दुल के पास जाते देख कर अपनी बहन को भी गाली देने लगी थी, कि तभी मासीमा का एक जोर का थप्पड उसकी गाल पर पडा और तीनों मुस्टन्डे उसकी पर झपटे। दो ने उसको बदोच लिया और एक उसका कपड़ा खोलने लगा। तब मासीमा चीखी, “फ़ाड़ साली कुतिया का कपडा फ़रीद, साली का बूर खून से लाल कर दो हरामजादी का।

फ़रीद ने तब ताकत लगा कर उसका साया नीचे से पकड़ कर जोर लगा कर चर्रर्रर्रर्रर्रर्र से फ़ाड दिया और नसरीन की नंगी टांगों का दीदार सब को होने लगा था। नसरीन चीख रही थी, गाली दे रही थी…. पर उन सब ने उसके बदन से साया के फ़टे टुकड़ों को खींच-खींच कर हटाने लगे थे। साया ऊअपर नसरीन की कमर में डोरी से कस कर बंधा हुआ था सो उन सब के हर झटके से उसके कमर की डोरी भी जोर से उसकी कमर को दबाती और अब वो उस दर्द से अपने को बचाने के लिए अपना हाथ चुचियों से हटा कर बार-बार कमर पर साया की डोरी पर ले जाती थी, पर सब तरफ़ से तीनों उसका साया नोच रहे थे और वो अकेली अपने को साये से खींच रहे डोरी के दर्द से बचाने में नाकाम थी।

जल्द हीं उस डोरी से तीन-चार छोटे-छोटे कपडे के टुकडे हीं लटक रहे थे। नसरीन अब लगातार रो रही थी और गिडगिडा रही थी। अब वो अपने हथेलियों से अपनी लाज को ढकने की नाकाम से कोशिश कर रही थी। तभी फ़रीद ने खुब ताकत से उसके हाथों को उसकी चूत से हटा दिया और सब को अब आराम से उसकी अनचुदी झाँटों से भरी चूत के दर्शन होने लगे।

कैमरामैन ने आराम से उसका क्लोज-अप दिखाया। करीब ३-४ ईंच का झाँटों का जंगल था उसकी बूर के चारों तरफ़। तब मासीमा आगे बढ़ी और उसकी बूर की फ़ाँक को अपने हाथों से खोल दी जिससे की उसकी बूर की लाली कैमरे में कैद हो सके और फ़िर उसने और जोर लगा कर उसकी फ़ंक को जैसे चीड दिया और तब उसकी कुँवारेपन का सबूत लाल झिल्ली जिसमें एक नन्हा सा छेद था, अब चमक कर सामने दिखने लगा। मासीमा ने अपनी एक ऊँगली उसकी उस झिल्ली पर लगा कर उसको दाबा तो नसरीन दर्द से चीख उठी और उसने एक लात मासीमा के बाँह पर लगा दिया।

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