एक बार ऊपर आ जाईए न भैया – Incest

शाम के रोशनी में मैंने विभा का सुन्दर गोरा बदन को खुब निहारा सामने बैठ कर और बाकी सब को भी खुब मौका दिया कि वो लोग भी विभा की जवानी का रस पान करें। फ़िर मैं उठा और उसको सीने से चिपका कर चुमते हुए उसके ब्रा का हूक खोला, फ़िर चुचियों को सहलाते हुए अपने हाथ पेट से कमर पर घुमा कर उसको अपने कमर से सटाया। इसके बाद मैं घुटनों क बल बैठ गया जैसे नमाज पढते समय लोग बैठता है और उसकी पैन्टी की डोरी पकड कर नीचे खींच दिया। उसका मक्खन जैसी चिकनी चूत शाम की हल्की रोशनी में दमक उठी। उसी समय मेरे बगल में चोद रहे मर्द ने अपना माल उस नौकरानी के चूत में निकाल दिया और वो गुस्सा करने लगी। फ़िर दोनों अपना-अपना कपड़ा पहनने लगे और अब वो दोनों मेरी विभा को भरपूर नजर से देख रहे थे।

उस शाम की रोशनी में भी मुझे विभा का चेहरा शर्म से लाल होता हुआ दिखा। मैंने नजर घुमाई तो देखा कि सब मर्द लोग अपनी अपनी लडकी के कपडे उतारते हुए चुम्मा-चाटी कर रहे हैं। मैंने विभा को हिम्मत दिया, लोग पर ध्यान मत दो, सब अपने काम में लगे हैं, तुम भी अपने काम में लगो।

मैं विभा को वैसे ही खडा रखे हुए उसकी चूत पर अपना मुँह चिपका दिया और उसकी चिकनी चूत को चाटने लगा। बिना झाँट के उसकी चूत मक्खन-मलाई का मजा दे रही थी।जल्दी ही वह उत्तेजना से सिस्की लेने लगी। बाके के सब लोग भी आपने खेल के साथ बीच-बीच में हम दोनों का भी खेल देख रहे थे। विभा वहाँ मौजुद सब माल में सबसे हिट थी। उससे अब रहा नहीं जा रहा था तो वो वो बैठने लगी मैं भी अब अति उत्तेजित हो गया था, सो मैंने उसको बैठने दिया और खडा हो कर अपना पैन्ट खोल दिया और नंगा हो गया।

मेरा लन्ड अपना पूरा ७’ का शक्ल ले चुका था। लाल सुपाड़ा चमक रहा था। मैंने उसको अपना लन्ड चुसने को कहा, जब मैंने देखा कि वो अंकल अपना लन्ड आंटी से चुसा रहे हैं और हमारे तरफ़ देख रहे हैं। वो विद्यार्थी जोडा अब चुदाई शुरु कर दिया था। लड़का नीचे लेटा हुआ हम दोनों को देख रहा था और लडकी उसके लन्ड की सवारी कर रही थी।

विभा पर उस महौल का सर हुआ और फ़िर वो भी खुलने लगी। यह सब देख कर जोश में भर कर मैंने विभा को दो पानी चोदा। बेचारी थक जाने के बाद भी मेरे खुशी के लिए मेरे ईशारे पर नाच रही थी। शुरु की उसकी हिचक अब पूरी तरह से दूर हो गई थी और वो बिना किसी लाज-शर्म के अब एक असल कुतिया की तरह चुद रही थी। करीब दो घन्टे की मस्ती के बाद अब मेरा भी बुरा हाल हो गया था सो अब हम दोनों भी थक कर शान्त हो गए और फ़िर वहाँ से निकल लिए। उस रात कमरे में हम दोनों नंगे ही सोए, इतना थक गए थे कि आज रात चुदाई का सवाल ही नहीं था। सुबह-सुबह विभा ने मुझे जगाया और फ़िर एक जोरदार चुम्बन के बाद हम दोनों बिस्तर से बाहर निकले और नहा-धोकर मंदिर निकल गए। दिन भर घुम-घाम कर शाम को फ़िर से समुद्र किनारे पहुँच गए चुदाई करने के लिए।

आज वहाँ कोई नहीं था, सो विभा और मैं आराम से अपने कपडे खोले और फ़िर एक-दूसरे से चिपट कर चुम्मा-चाटी करने लगे। तभी वहाँ दो जोडा आया, वो सब हमलोग की तरह ही २०-३० के बीच की उम्र के थे। वो सब हम दोनों को नंगे एक-दूसरे से लिपटे हुए देख कर हाथ हिला कर हमें विश किया और फ़िर हमलोग से करीब १० फ़ीट बगल में अपने बैग से चादर निकाल कर बिछाने लगे। लडके सब इंतजाम कर रहे थे जबकि लड़कियाँ साथ-साथ बात करते हुए अपने कपड़े उतारने लगीं।

वो सब लोकल ओडिसा के हीं थे और ऊड़िया में आपस में बात कर रहे थे। दोनों लडकियाँ जब नंगी हो गई तो दोनों चादर कर लेट गई और फ़िर उन दोनों लड़कों ने अपनी-अपनी लडकी की चुतड़ों को सहलाते हुए उनकी गांड़ की छेद को चाटना शुरु कर दिया। दोनों आपसे में खिलखिला कर बाते कर रही थीं जबकि दोनों लडके लगातार उनकी गाँड़ से खेल रहे थे।

मैं समझने लगा कि दोनों आज इन लड़कियों की गाँड मारेंगे। मैंने विभा के यह बात कहा तो वो भी देखने लगी। उस समय विभा मेरे ऊपर चढी हुई थी और मेरे लंड को खुब मजे से अपनी चुत में घुसा कर मजा दे रही थी। हम दोनों अब अपनी चुदाई का खेल रोक कर अब उन दोनों को देख रहे थे। हमलोग को ऐसे देखते हुए देख कर एक लडके ने हमें देखते हुए ऊड़िया में कुछ कहा तो मैंने कहा कि हमें यह भाषा नहीं आती, हम बाहर से आए हैं।

अब एक हिन्दी में बोला, “ब्रदर ऐसे क्या देख रहे हो? अपनी वाली से मजा लो न”।

मैंने भी हाँ कहा और फ़िर विभा को अब नीचे लिटा कर उसके ऊपर चढ़ गया और फ़िर उसकी चूत में लंड डाल कर चोदने लगा। विभा की मुँह से सिसकी निकलने लगी थी। मैं अब विभा को चोदते हुए अपनी नजर उन लोगों पर भी गढ़ाए हुए थे। अचानक बैग से क्रीम निकाल कर दोनों लडकों ने अपनी-अपनी लड़कियों की गाँड में लगाते हुए अपना बीच वाला ऊंगली घुसा दिया। लडकियाँ चिहुँक रही थी, पर दोनों आराम से अपनी ऊँगलियों से उनकी गाँड़ की छेद को खोल रहे थे। थोड़ा क्रीम, फ़िर ऊँगली… थोडा क्रीम, फ़िर ऊँगली… करते हुए अब तक दोनों लड़कियों की गाँड़ अब तक दो ऊँगली घुसवा ली थी।

अब दोनों लडकों ने अपने कपड़े खोलने शुरु किए जबकि दोनों लडकियाँ एक-दूसरे की गाँड़ को खोले हुए थी। दोनों लड़कों ने फ़िर अपने-अपने लंड पर क्रीम चुपड़ा और फ़िर उन लडकियों को घोडी बना कर पीछे से चढ गए। दोनों लड़कियाँ अब गाँड़ में घुसते लंड के दर्द को बर्दास्त करते हुए हल्के-हल्के चीख रही थी। पर दो मिनट में सब ठीक हो गया और अब दोनों मजे से अपनी हथेलियों पर सर टिका कर अपना गाँड़ हवा में ऊठाए उन दोनों लड़कों से गाँड़ मरवा रही थी। करीब १२-१४ मिनट की गाँड़ मराई के बाद जब लडके झड़े तो दोनों बालू पर अपना माल गिराए और फ़िर दोनों लडकियों ने उनके लन्ड पोछते हुए हमारी तरफ़ देखा, और मैं तब विभा की मुँह में अपना माल निकाल रहा था।

जब लडकों ने विभा कि ऐसे मुँह में गिरवाते और निगलते देखा तो वो भी अपनी लड़कियों को ऐसा करने को बोले, तो दोनों ना करने लगी। यह सब देख कर एक लड़के ने मुझे कहा, “तुम लकी हो ब्रदर…”।

मैंने भी हँसते हुए कहा, “लकी तो तुम लोग हो यार, यह तो अपनी गाँड़ छुने भी नहीं देती।”

तब एक लडकी ने विभा को कहा, “क्यों सिस्टर…, जब सेक्स करना ही है, तो पूरा मजा लो न। अभी तो ये लोग प्यार से करेंगे, शादी के बाद तो पूरे अधिकार से बिना कुछ सोचे और चिन्ता किए पूरे जोर-ज़बरदस्ती से करेंगे, तो पहले से करवाते रहने से खुला रहेगा तो परेशानी कम होगी।”

मैंने अब उससे कहा, “बात तो तुम बिल्कुल सही कह रही हो बहन, पर यह माने तब न…”।

तभी एक लड़के ने कहा, “बहन…. हा हा हा… क्या किस्मत है तुम्हारी कनक, दो भाई के रहते तुम गाँड मरवा रही हो”।

अब कनक नाम की लडकी बोली, “और दीक्षा भी तो, उसे भी तो अपने भाई के सामने गाँड मराना पर रहा है”, और उसने बगल में बैठ कर लन्ड साफ़ कर रही लडकी के गाल पर चिकोटी लेते हुए बोली।

अब वो लडका हमारी तरफ़ आया और फ़िर मुझसे हाथ मिलाते हुए बोला, “मेरा नाम राजन है, और यह कनक है, मेरी गर्ल-फ़्रेन्ड और मेरे दोस्त विजय की बहन (उसने उस दूसरे लडके की तरफ़ इशारा किया, और विजय ने हाथ हिला कर मेरा अभिवादन किया)… और वो जो विजय के साथ लड़की है वो मेरी बहन पूजा है (पूजा ने अपने हाथ जोड कर मुझे नमस्ते कही)। हम दोनों दोस्तों ने एक-दूसरे की बहन को गर्ल-फ़्रेन्ड बनाया हुआ है”।

वो अब पास में थोड़ा सिकुड कर नंगी बैठी विभा को देख रहा था। मैंने अब उससे अपना परिचय दिया, मेरा नाम गुड्डू है और मैं बिजनेस-मैन हूँ। यह विभा है मेरी छोटी बहन… हम बिहार से यहाँ घुमने आए हैं। मैं इससे शादी तो कर नहीं सकता, तो इसको गर्ल-फ़्रेन्ड भी नहीं कहूँगा, पर जो है तुम सब देखे ही…”।

राजन ने अब जोर का ठहाका लगाया और फ़िर उसने अपनी टीम को हमारे पास ही बुला लिया और फ़िर उन लोगों ने बैग से बीयर निकाल कर बाँट लिया। मुझे और विभा को भी दिया, और थोड़ा हिचकते हुए विभा ने कैन पकड़ लिया तो मैं खुश हुआ। विजय अब चीयर्स किया, “हमारे नए दोस्तों के नाम”। हम सब अब बीयर पीते हुए बात करने लगे।

विजय बोला, “यार ७ महिना से हमलोग का ऐसा संबंध है, पर अभी तक हमलोगों ने अपनी-अपनी बह्न नहीं चोदी कभी। बल्कि सच तो यह है कि अभी तक हमने कभी और किसी के साथ सेक्स नहीं किया है और हम लोग जब सेक्स करते है साथ में करते हैं”।

मैंने अब चुटकी ली, “मतलब अभी तक ब्रह्मचारी ही हो”।

अब पूजा बोली, “क्या मतलब?”

अब मैंने मजाक करते हुए कहा, “जब तक एक लडकी से संबंध है तब तक तो ब्रह्मचारी ही कहलाओगे”।

अब राजन बोला, “कोई बात नहीं, हम लोग को अपना ब्रह्मचर्य खोलने के लिए कुछ करना थोडे है, बस लडकी को पलट लेना है, यह तो कभी भी हो जाएगा”।

कनक अब बोली, “और फ़िर भैया से रिश्ता बदल जाएगा…”

मैंने बात काटते हुए कहा, “हाँ, बहनचोद… बन जाओ तो तुरंत ब्रह्मचर्य खत्म…”।

हम सब हँसने लगे। विभा की चिकनी चूत देख कर राजन बोला, “कनक, देखो विभा का… कैसा साफ़ चमकदार है, तुम हो कि हमेशा कैंची से ही काट लेती हो”।

मैंने अब गौर किया कि दोनों लडकियों की चूत पर खुब बाल थे, करीब आधा इंच के और दोनों लडके अब मेरी बहन विभा की चिकनी चूत को देख रहे थे। विभा उन दोनों को ऐसे अपनी चूत निहारते देख कर अपने पैरों को और ज्यादा सिकोड रही थी। मुझे यह सब देख कर मजा आ रहा था सो मैंने और मजा लेने का सोच कर विभा की जाँघ पर अपना हाथ रखते हुए विभा से कहा, “विभा, दिखाओ न आराम से खोल कर… तुम्हारे चूत की अभी बडाई ही हो रही है और मैंने थोडा ताकत लगा कर विभा की जाँघों को खोल दिया और उसकी चिकनी चूत अब चाँदनी में चमक उठी।राजन से रहा न गया और उसने कह ही दिया, “क्या मक्खन चूत है तुम्हारी बहन के पास दोस्त, जी कर रहा है कि चूम लूँ”।

मैंने विभा के अकबकाहट की परवाह किये बिना कह दिया, “अरे यार तो चूम लो न, विभा को भी नया मजा मिलेगा”।

मेरी तरफ़ से हरा सिग्नल मिलते ही राजन चट से आगे बढा और नीचे झुकते हुए विभा की चूत से अपना मुँह सटा दिया। मैंने विभा को हल्के से इशारा किया और वो थोड़ा हिचकते हुए पीछे झुकती हुई सीधा लेट गई और अपने घुटने मोड कर अपनी जाँघों को खोल दिया। राजन अब आराम से उसकी चूत चाटने लगा। विभा अब अपने पेट को हल्के से कभी-कभी सिकोड रही थी, मतलब उसको अब मजा आ रहा था।

राजन ने तब अपना चेहरा उठाया और कहा, “यार चिकनी चूत का स्वाद ही अलग होता है” और विभा की चूत में ऊँगली घुसा कर उसके चूत के रस से सराबोर ऊँगली को चाटने लगा।

उसके दोस्त विजय ने अब उसको हटाते हुए कहा, “हटो जरा, अब मुझे स्वाद ले कर देखने दो” और अब विजय मेरी बहन विभा की चूत में अपनी जीभ घुसा कर उसके रस को जोर-जोर से चूसने लगा।

विभा के मुँह से सिसकी निकल ही रही थी, साथ में विजय के जोर-जोर से चूसने से विभा की चूत के पास से भी किस्म-किस्म की आवाज हो रही थी।

राजन की बहन पूजा, जो विजय की गर्लफ़्रेन्ड थी, ने कहा, “अगर आपको इसका स्वाद इतना अच्छा लगता है तो मैं कल पक्का अपना पूरा साफ़ कर दूँगी, फ़िर उसने अपने भाई राजन से पूछा, “भैया, आपके पास नया रेजर है न?”

राजन ने कहा, ’मैं क्यों दूँ, तुम विजय से लो रेजर… स्वाद उसको लेना है न”।

विजय अब विभा की चूची सहलाते हुए कहा, “यार दे देना उसको, मैं कनक को दे दूँगा अपने पास से, तो तुम भी चिकनी का स्वाद ले लेना अगली बार…”।

कनक ने विभा की चूत पर अपना हाथ फ़ेरा और उससे पूछा, “रेजर से साफ़ करने में कटेगा तो नहीं न?”

विभा अब तक मस्त हो चूकी थी, वो बोली, “मैं तो कभी साफ़ की नहीं, हमेशा भैया ही मेरी साफ़ कर देते हैं… तुम भी अपने भैया को बोल देना साफ़ करने के लिए, उनको रेजर चलाने का अभ्यास होगा, नहीं कटेगा”।

राजन अब बोला, “असल में हम दोनों ने कभी अपनी-अपनी बहन की चूत छुई भी नही है, अभी यह कमीनापन किया नही है आज तक”।

मैंने हँसते हुए कहा, “तो कर लो ना यह कमीनापन भी… बहन को गाँड मराते देखते ही हो”।

राजन ने जवाब दिया, “अरे तो जब वह पूजा की गाँड मारता है तब बदले में मैं भी तो उसकी बहन कनक की गाँड़ मार देता हूँ ना। जब वो मेरी बहन चोदता है तब मैं उसकी बहन चोद देता हूँ। हिसाब बराबर…”।

मैंने अब हँसते हुए कहा, “कैसे बेवकूफ़ हो यार तुम दोनों, तुम्हारी बहनों को मस्ती है बिना हिचक चुदा रही है और तुम लोग हिसाब बराबर करने में लगे हो। तुम्हारी बहन दूसरे से चोदे और तुमलोग खुद सिर्फ़ देखो, अजब मुर्ख हो यार तुम दोनों भी”।

इस बार सब लड़कियाँ खिल्खिलाकर हँस पडी और अचानक विभा बोली, “अगर आप लोग अभी मेरे सामने अपनी-अपनी बहन को चोद लेंगे तो मैं कल आप दोनों से चुदा लूँगी, मुझे भी अब किसी अलग टाईप के लन्ड की चाह होने लगी है”।

मुझे इस बात की उम्मीद नहीं थी कि विभा ऐसा गन्दा भी बात सोच सकती है। मैं देख रहा था कि पिछले दो-चार दिनों में ही साली छुईमुई लड़की से रंडी बन गई थी। विजय ने अब अपनी बहन कनक से पूछा, “क्या बोलती हो कनक तुम अब…?

कनक ने मुस्कुराते हुए कहा, “मतलब, अब आपका भी मन हो रहा है…मुझे तो इसका पहले से आशंका लग रहा था, पर आज तो बहुत देर हो गया है”।

राजन भी बोला, “हाँ, आज तो अब कुछ नहीं हो पाएगा… कल का रक्खें प्रोग्राम?’ वो अब विभा से यह बात पूछ रहा था।

वो अब थोड़ा असमंजस में थी, तो मैंने अपनी तरफ़ से कह दिया, “कल आप सब आओ न हमारे होटल के कमरे में। वहीं हम सब करेंगे आराम से”।

पूजा इस सब में थोड़ा हिचक रही थी, सो अभी की बात को टलते देख चट बोली, हाँ यही ठीक रहेगा। कल तक हम सब आराम से सोच भी लेंगे, इसके बारे में”।

राजन ने अपनी बहन पूजा को देखते हुए कहा, “अब क्या सोचना है इस बारे में… अब तो मुझे यही सोचना है कि कल लगातार दो-दो बार अलग-अलग चूत को चोदने की ताकत कैसे बचाई जाए, आज रात केसर वाला दूध पीना होगा”।

हम सो उसकी बात सुनकर हँसने लगे, और फ़िर कपडे पहने लग गए। फ़िर मैंने उन सब को अपने होटल का पता दिया, आपस में नंबरों का आदान-प्रदान किया और फ़िर कल चार बजे का टाईम तय कर अपने-अपने रास्ते निकल गए।

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