Adultery यौवन का शिकारी -pyasi bhabhi sex

थोड़ी देर रेस्ट करने के बाद मेने प्राची और प्राजक्ता को बुलाया, और उनको कहा. कि अभिषेक कल से यहाँ रहने आने वाला है.

में: तुम दोनो ध्यान से सुनो. उस दिन जो आंटी और उनका बेटा हमारे घर आए थे ना. उनका बेटा अभिषेक इसी शहर में आगे पढ़ रहा है. और वो कल से यही हमारे घर पर रहेगा.

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प्राची: जी माँ.

में: देखो बेटा में चाहती हूँ कि, तुम दोनो उससे ज़्यादा बात मत करना. अपने काम से मतलब रखना.

प्राजक्ता: जी मम्मा.

में: मेने उसको नीचे वाला ही रूम दिया है. खाना तो मेने तैयार कर दिया है. अब तुम मेरे साथ मिल कर उस कमरे की थोड़ी सफाई कर दो. और हां जो बाहर बैठक में सिंगल बेड पड़ा है, उसे उसके रूम में शिफ्ट करना है.

दोनो ने हां में सर हिला दिया. उसके बाद हम तीनो ने कमरे की सफाई की, और उसके रूम में कुछ समान सेट करवा दिया. काम करने के बाद हम तीनो काफ़ी थक गये थे. थोड़ी देर आराम करने के बाद हमने रात का खाना खाया, और सोने के लिए अपने अपने कमरो में चले गये. प्राजक्ता और प्राची दोनो मेरे रूम के साथ वाले रूम में सोती थी.

अगली सुबह में थोड़ा सा असहज महसूस कर रही थी. में सोच रही थी कि, मेने कोई बड़ी ग़लती तो नही कर दी, अभिषेक को रूम रेंट पर देकर. फिर मेने सोचा, अभी हालत ऐसे है कि, में कुछ कर भी नही सकती, जब मेरे बाकी रूम रेंट पर चढ़ जाएँगे तो, में अभिषेक को दूसरा रूम लेने के लिए कह दूँगी.

सुबह के १० बजे में घर के आँगन में बैठी हुई, सिलाई का काम कर रही थी, कि तभी मुझे घर के बाहर बाइक के रुकने की आवाज़ आई. गेट बंद था, में गेट की तरफ देखने लगी. फिर थोड़ी देर बाद डोर बेल बजी, में खड़ी हुई, और गेट की तरफ जाकर गेट खोला, तो सामने अभिषेक अपने बॅग के साथ खड़ा था. मेने अपने होंठो पर ज़बरदस्ती मुस्कान लाते हुए उसे अंदर आने को कहा. उसने पहले अपना बॅग घर के अंदर रखा, और फिर बाइक घर के अंदर कर ली.

उसके अंदर आने के बाद मेने गेट लॉक कर दिया. “नमस्ते आंटी जी” अभिषेक ने मुस्कुराते हुए कहा.” मेने उस के रूम की तरफ इशारा करते हुए कहा. “चलो तुम्हे रूम दिखा देती हूँ. “ और उसके बाद में उसे उसके रूम में ले गयी.

में: अभिषेक ये तुम्हारा रूम है. तुम अपना समान सेट कर लो. में तुम्हारे लिए चाइ नाश्ते का इंतज़ाम करती हूँ.

अभिषेक: ठीक है आंटी जी.

में रूम से बाहर आ गयी. मेने देखा कि प्राची और प्राजक्ता दोनो अपने रूम के डोर के पीछे खड़े होकर बड़ी उत्सुकता से देख रही थी. मेने प्राजक्ता को आवाज़ लगाई , तो वो थोड़ी घबरा गयी. और मेरे पास किचन में आ गयी. “जी माँ”

में: ऐसे छुप छुप कर क्या देख रही हो.

प्राजक्ता: कुछ नही माँ वैसे ही.

में: चल छोड़ ये सब और चाइ नाश्ता तैयार कर दे, अभिषेक के लिए.

प्राजक्ता: जी माँ.

में बाहर आकर फिर से अपने सिलाई का काम करने लगी….हमारा घर छत से पूरा कवर था. बस ऊपर जाने के लिए सीडया थी. और उन सीडयों पर पर लोहे का गेट लगा हुआ था. जो हमेशा खुला रहता था. जब कभी हम तीनो एक साथ बाहर जाते थे, तो छत वाला गेट भी बंद कर के जाते थे. घर के पीछे की तरफ दो रूम थे. जिसमे से एक में में सोती थी, और दूसरे में प्राची और प्राजक्ता. उसके बाद हमारा किचन था. और गेट के पास एक तरफ दो रूम और थी. गेट के साथ वाला रूम खाली था.

और उससे पिछले वाले रूम को अभिषेक को दिया था. तो में बाहर बरामदे में बैठी थी, ठीक अभिषेक के रूम के सामने, उसका रूम का डोर खुला था. और वो अपनी पेंट शर्ट उतार रहा था. उसने पेंट उतारने के बाद अपने बॅग में से एक शॉर्ट निकाला, और पहन लिया. फिर टीशर्ट पहन कर बेड पर लेट गया.शाम ढाल चुकी थी……..आज में बहुत रिलॅक्स फील कर रही थी……प्राची और प्राजक्ता दोनो बहुत खुश लग रही थी. और ऊपर छत पर बातें कर रही थी….इतने में अभिषेक अपने रूम से बाहर आया, और बाथरूम में चला गया….में बाहर बैठ कर काम कर रही थी…..बाथरूम से आकर वो मेरे साथ थोड़ी दूरी पर नीचे फर्श पर बैठ गया…….

में: चाइ पीओगे बेटा…..

अभिषेक: नही आंटी जी….

फिर थोड़ी देर खामोशी रही………

अभिषेक: आंटी जी एक बात पुछू……

में: हां बोलो……..

अभिषेक: आंटी जी दोपहर घर में बहुत शोर हो रहा था कोई आया था क्या ?

में: हां वो मेरे जेठ जी और जेठानी आए थे…..

अभिषेक: ओह्ह अच्छा…….सॉरी आंटी ये आप की घर के निजी बातें है……पर मेने सुना कि आप किसी की शादी और रिश्ते की बात कर रही थी….किसकी शादी है…….

में: (खुश होते हुए) वो मेरी जेठानी है ना..उसकी बेहन के लड़के का रिश्ता आया है प्राची के लिए….बहुत अच्छे लोग है..अगले सनडे को प्राची की शादी है उससे….लड़का सरकारी नौकरी करता है……और पता है. दहेज भी कुछ नही माँग रहे….बोल रहे थे अपनी लड़की को तीन कपड़ों में विदा कर दे…..

अभिषेक: ये तो बहुत अच्छी बात है आंटी जी पर ?

अभिषेक बोलते बोलते चुप हो गया……..”पर क्या अभिषेक”

अभिषेक: जाने दीजिए…..ये आप के घर की बात है…और वैसे भी आपने सोच समझ कर ही फ़ैसला लिया होगा…….

में: (अभिषेक की बात सुन कर सोच में पड़ गयी.कि कहीं मेने कोई जल्द बाजी तो नही कर दी) बोलो अभिषेक में बुरा नही मानूँगी…..तुम्हे तो पता है कि मेरी बेटियों का मेरे सिवाय कोई नही है….जो ऐसे फैंसले ले सके…..

अभिषेक: आंटी जी आप ने लड़के को देखा है ?

में: हां उसकी फोटो देखी है……अंदर रूम में है…..

अभिषेक: आंटी जी क्या में वो स्नॅप देख सकता हूँ……..

में: हां में अभी लेकर आती हूँ……..

में रूम में गयी……और उस लड़के का स्नॅप ले आई……और अभिषेक को देखते हुए बोली…..”ये देखो” अभिषेक ने मेरे हाथ से स्नॅप ली, और बड़े गोर से देखने लगा. कोई ३-४ मिनिट देखने के बाद अभिषेक बोला…….”आंटी जी हमारी प्राची वहाँ पर राज करेगी” में उसके मूह से हमारी प्राची सुन कर थोड़ा हैरान हो गयी. पर अगले ही पल जैसे उसको अपनी ग़लती का अहसास हुआ.

अभिषेक: ओह्ह सॉरी आंटी जी……वो ऐसे ही मूह से निकल गया……….दरअसल में तो अनाथ हूँ ना….तो जब भी कोई मुझसे अपने दिल के बात करता है या फिर थोड़ा प्यार करता है….में जल्द ही उनको अपना मानने लगता हूँ……

में: अर्रे कोई बात नही…….अब तुम अकेले नही हो…….वैसे तुम्हे कैसे लगा कि प्राची वहाँ खुश रहेगी….क्या तुम जानते हो इस लड़के को……

अभिषेक: नही आंटी जी जानता तो नही….पर आप यकीन नही करोगे……

में: क्या…….

अभिषेक: में किसी के भी चेहरे को देख कर ये बता सकता हूँ कि, वो इंसान कैसा है…..उसकी फ़ितरत कैसी है…..और ये फोटो देख कर भी में किसी के बारे में बता सकता हूँ……….

में: तुम सच कह रहे हो अभिषेक…….

अभिषेक: हां आंटी जी……अभी तक तो मेने जिसके बारे में जो जो बताया है वो ठीक ही हुआ है……..

उसके बाद में और अभिषेक यूँ ही इधर उधर के बातें करते रहे…मुझे मालूम ना था कि, अभिषेक इतनी जल्दी मुझसे इतना घुल मिल जाएगा कि, में उससे अपने घर के बातें भी करने लगी…..

अभिषेक: ठीक है आंटी जी….अगर किसी तरह की मदद के ज़रूरत हो तो, मुझे बोल देना….शर्माइयेगा मत….मेने कुछ पैसे जोड़ रखे है बॅंक में…अगर ज़रूरत हो तो बता देना…..और समझ लेना कि मेने आपको रेंट अड्वान्स दिया है…..

में: ठीक है बेटा….फिलहाल तो अभी ऐसे कोई ज़रूरत नही है…….पर हां तुम मेरी मदद कर दोगे……

अभिषेक: हां आंटी जी क्यों नही…….

में: वो दरअसल बात ये है कि, अगले सनडे को प्राची की शादी करनी है. तो उसके लिए नये कपड़े खरीदने है. तुम मुझे मार्केट ले चलोगे……तुम्हारे पास तो बाइक है……

अभिषेक: हां आंटी पर ?

में: क्यों क्या हुआ ?

अभिषेक: में कह रहा था कि, आप प्राची को भी साथ ले चलो…..आख़िर शादी उसकी है, उसे अपनी पसंद की ड्रेसस खरीदने दो……

मुझे अभिषेक के बात सही लगी..इतनी कम उमर में ही कितना समझदार है. वरना ये बात तो मेरे दिमाग़ में भी नही थी………अक्सर में ही प्राची और प्राजक्ता के लिए कपड़े खरीद कर लाती थी…..और उन्हने ने भी कभी कोई शिकायत नही की थी…..

में: पर एक बाइक पर तीन लोग कैसे जा सकते है……

अभिषेक: फिर टॅक्सी या ऑटो में चलते है……..

में: हां ये ठीक रहेगा…..

उसके बाद मेने प्राची को तैयार होने के लिए कहा….जब उसने पूछा कि कहाँ जाना है तो, मेने उसे बताया कि तुम्हारे लिए नये कपड़े खरीदने है..जेठ जी मुझे ५०००० रुपये देकर गये थे….मेरी बात सुन कर प्राजक्ता भी ज़िद्द करने लगी साथ जाने के लिए……

फिर हम चारो ऑटो पकड़ कर मार्केट पहुच गये….वहाँ पर ढेर सारी शॉपिंग की, आज प्राची और प्राजक्ता के चेहरे पर खुशी देखते ही बनती थी. मेने कई बार गौर क्या कि, अभिषेक दोनो की बहुत मदद कर रहा था…..और वो इतने कम समय में ही दोनो से बहुत घुल मिल गया था…..कौन सी ड्रेस अच्छी है…कौन सा सूट प्राची पर जचे गा….वगैरा वगैरा यहा तक कि कपड़ो का भाव तोल भी अभिषेक ने किया……..में उसे बार बार देख रही थी…..और मन में यही सोच रही थी कि, काश मेरा भी अभिषेक जैसा बेटा होता….

तो वो अपनी बहनो की इसी तरह मदद करता….सुख दुख में उनका साथ देता…हमने प्राची की शॉपिंग के साथ साथ प्राजक्ता के लिए भी कुछ ड्रेस खरीद ली. उसके बाद हम चारो ने बाहर होटेल में ही खाना खाया…..रात के ८ बज चुके थे……और और फिर हम घर वापिस आ गये…..भले ही में प्राची की शादी में कोई ताम झाम नही कर रही थी. पर फिर भी शादी के कुछ रीतिरिवाज करने के लिए अभिषेक मदद को हर समय तैयार रहता. आख़िर वो दिन भी आ गया…..जिसका मुझे बेसबरी से इंतजार था….जिसका हर माँ बाप को होता है, कि उनकी बेटी शादी करके खुशी खुशी अपनी ससुराल जाए….हम तैयार होकर सीधा मंदिर में पहुच गये….वहाँ पर मेरे जेठ जेठानी और उनके बच्चे और उनके जीजा और बेहन, और उनका बेटा जिससे प्राची की शादी होनी थी….वो सब पहले से मौजूद थे………और उनके साथ कुछ और लोग भी थे….
मंदिर के पीछे एक हॉल था.बहुत ज़्यादा बड़ा तो नही….पर ठीक ठाक था. अभिषेक ने हम सबसे वहाँ चलने के लिए कहा…..जैसे ही हम वहाँ पहुचे तो, मुझे यकीन ही नही हुआ….सामने मेरे बेटी का मंडप सज़ा हुआ था. एक तरफ टेबल पर खाने पीछे का समान था……..मेने अभिषेक की तरफ हैरान होते देखा. तो उसने मुस्कुराते हुए सर हिला दिया…..प्राची को और उसके होने वाले पति को मंडप में बैठा दिया गया……पंडित ने अपने मंतर पढ़ने शुरू कर दिए…. कुछ वेटर भी थे…जो सब को खाने वाली डिशस परोस रहे थे…..
में जब थोड़ा फ्री हुई तो, में अभिषेक के पास गयी…..और अपनी नम आँखों से उससे पूछा………”:ये सब तुमने कब किया अभिषेक” उस पर अभिषेक ने मुस्करा कर कहा…
अभिषेक: आंटी जी आप तो जानती ही हो…मेरा इस दुनिया में कोई नही है……और में ऐसा मोका कैसे छोड़ देता…अब मेरा कोई है तो नही जिसकी शादी में कोई मदद करता….सो बस दिल किया और मेने अपनी तरफ से ये छोटी से कोशिश करदी.
मेने अभिषेक के बारे में जैसे सोचा था, सब उसके उलट हो रहा था…..अब में उस पर और भरोसा करने लगी थी..उसने सब अरेंजमेंट बहुत अच्छे से किया था……शादी हो चुकी थी……..बेटी को भरे दिल से विदा करने के बाद हम लोग घर वापिस आ गये…..
पर आज घर में कुछ कमी लग रही थी…प्राची के घर में ना होने से पूरा घर सुना सुना लग रहा था. अभिषेक अपने रूम में चला गया. हम वहाँ से खाना साथ लेकर आए थे…इसीलिए खाना बनाने की ज़रूरत नही थी..मेने खाना लगाया और प्लेट में खाना लेकर अभिषेक के रूम की तरफ जाने लगी. पर अभी उसके रूम की तरफ बढ़ ही रही थी कि, में रुक गयी. और फिर से वापिस आकर प्राजक्ता और प्राची के रूम में चली गयी..जिसमे अब सिर्फ़ प्राजक्ता को ही रहना था. मेने वहाँ खाने की प्लेट रखी, और फिर अभिषेक के रूम की तरफ चली गयी.
अभिषेक के रूम का डोर खुला था, और वो बेड पर लेटा हुआ था. पर फिर भी मेने डोर पर नॉक किया, तो उसने लेटे लेटे गर्दन घुमा कर देखा. इससे पहले कि वो कुछ बोलता….मेने उससे कहा.”अभिषेक चलो चल कर खाना खा लो.” में उसका जवाब सुने बिना वापिस आ गयी…..कल तक जिसे मेने अपने घर में मजबूरी में रखा था. आज में उसको खुद अपनी बेटी के रूम में बुला रही थी…थोड़ी देर बाद अभिषेक रूम में आ गया..प्राजक्ता बेड पर बैठ कर खाना खा रही थी…..
में: आओ बेटा बैठो.
अभिषेक हम दोनो के सामने आकर बैठ गया…….और अपनी प्लेट उठ कर खाना खाने लगा…..घर में सन्नाटा छाया हुआ था…जैसे इस घर में कोई रहता ही ना हो.खाना खाते खाते अचानक अभिषेक उठा और टीवी ऑन कर दिया……टीवी पर कोई सीरियल चल रहा था……जिसे देखते ही, प्राजक्ता उछल पढ़ी…
प्राजक्ता: ये ये रहने दो बहुत अच्छा सीरियल है…….
अभिषेक ने मुस्कुरा कर फिर से खाना शुरू कर दिया……..अब भले ही घर में कोई ना बोल रहा था. पर टीवी की आवाज़ से घर का माहौल बदल सा गया था. खाना खा कर अभिषेक ने कुछ देर तक टीवी देखा और फिर अपने रूम में चला गया. दिन भर की थकान के कारण जल्द ही हम सब नींद आ गयी….५
अगले दिन जब सुबे में उठ कर फ्रेश हुई, तो मेने देखा अभिषेक अभी भी अपने रूम में सो रहा था…..उसके रूम का डोर खुला हुआ था…..मेने एक बार उसकी तरफ देखा, और फिर उसके रूम में जाकर उसको आवाज़ लगाने लगी….वो जल्दी ही उठ कर बैठ गया….और मेरी तरफ देखने लगा….
में: अभिषेक तुम्हें आज काम पर नही जाना क्या ?
अभिषेक: नही आंटी आज मुझे वो वो कहीं और जाना है.
में: कहाँ जाना है….
अभिषेक: वो वो आज मुझे उर्मिला आंटी ने बुलाया है, उनके घर पर ?
अभिषेक ने ये कह कर सर नीचे झुका लिया..उसकी ये बात सुनते ही, मेरे दिल को नजाने क्या हुआ, में गुस्से से बाहर आ गयी….इन चन्द ही दिनो में अभिषेक हमारे घर का हिस्सा बन गया था…..और में उसे ऐसे अपनी लाइफ को बर्बाद करते हुए नही देखना चाहती थी……मेरी नाराज़गी शायद अभिषेक भी समझ चुका था…
में बाहर बरामदे में बैठ कर अपना काम कर रही थी……थोड़ी देर बाद अभिषेक अपने रूम से निकल कर बाथरूम में चला गया…..मेने प्राजक्ता को अभिषेक का नाश्ता लगाने को कहा……प्राजक्ता किचन में चली गयी….थोड़ी देर बाद अभिषेक नहा कर बाथरूम से बाहर आया, और अपने रूम में जाकर कपड़े पहनने लगा…मुझे नज़ाने क्यों अभिषेक का ऐसे उर्मिला से मिलने जाना अच्छा नही लग रहा था…..
में उठ कर अभिषेक के रूम में चली गयी…..अभिषेक कपड़े पहन चुका था….”कब जाना है तुम्हे” मेने अभिषेक से रूखे अंदाज़ में पूछा… और अभिषेक ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा और बोला, दोपहर को जाऊंगा…इतने में प्राजक्ता रूम के बाहर अभिषेक के लिए नाश्ता लेकर खड़ी हो गयी…मेने जाकर प्राजक्ता से नाश्ते की प्लेट ली, और अभिषेक के रूम में बेड पर रख दी……और फिर में बाहर आकर अपना काम करने लगी…….
अभिषेक नाश्ते के बाद ऊपर छत पर चला गया…..क्योंकि सर्दियों का मौसम था इसलिए बाहर धूप में बैठना सब को अच्छा लगता था…..प्राजक्ता अपने रूम में कुछ काम कर रही थी….नज़ाने क्यों मेरे मन में बार बार यही आ रहा था कि, मुझे उसे ऐसे करने से रोकना चाहिए……फिर मन में आता में कौन होती हूँ, उसकी जिंदगी में दखल देने वाली…….
पर नज़ाने क्यों में अपने मन के हाथों मजबूर होकर, ऊपर छत पर चली गयी…..वहाँ अभिषेक चटाई बिछा कर नीचे लेटा हुआ था..में उसके पास जाकर बैठ गयी….
में: अभिषेक एक बात कहूँ ?
अभिषेक: (मेरी तरफ देखते हुए) हां आंटी जी कहो ना क्या बात है ?
में: देखो अभिषेक वैसे तो मुझे तुम्हारी निजी जिंदगी में दखल देने का हक़ मुझे नही है………पर फिर मुझे लगता है, कि तुम्हारे और जो उर्मिला के बीच में है, वो सही नही है…..अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है…..वो तुम्हारा इस्तेमाल कर रही है…..एक दिन तुम अपनी जिंदगी उसके चक्कर में खराब कर लोगे…….मेने एक ही साँस में मेरे दिल में जो आया वो बोल दिया……मेरी बात सुन कर अभिषेक खामोश हो गया. फिर थोड़ी देर बाद उसने चुप्पी तोड़ते हुए बोला….
अभिषेक: आंटी जी में अब आपको कैसे बताऊ…….आप तो जानती है कि में अनाथ हूँ….और मेरा इस दुनियाँ में कोई नही है…जो मुझे अच्छा बुरा समझा सकता. पर उर्मिला आंटी से मेरा सिर्फ़ वही रिश्ता नही है…..उन्होने मेरा हर मुश्किल वक़्त में साथ दिया है…में आप को बता नही सकता कि, किस कदर उन्होने ने मेरे हर कदम पर मदद की है, आज अगर में खुद कमा कर खा रहा हूँ, तो ये सिर्फ़ उनकी बदोलत है……उन्होने ने ही मुझे मेरे पैरो पर खड़ा किया है….
में अभिषेक के बात सुन कर चुप हो गयी…..पर फिर भी मेरा मन उसकी बातों को मानने के लिए तैयार नही था……
में: ठीक है पर मुझे नही लगता ये सब ठीक है……
और फिर में नीचे चली आई…….अभिषेक दोपहर को घर से चला गया……प्राची तो पहले सी ही अपनी ससुराल में थी, और अभिषेक के जाने के बाद घर और सुना सा लग रहा था…..रात हुई, और फिर सुबह, फिर रात हुई….पर अभिषेक अभी तक वापिस नही आया था.मुझे उसकी थोड़ी चिंता होने लगी थी…..पर मेरे पास ना तो उर्मिला का कोई फोन नंबर था, और ना ही अभिषेक का……
में रात को सो रही थी कि, बाहर डोर बेल बजी……में आँखें मलते हुए बेड से उठी, और दीवार पर लगी घड़ी की तरफ देखा…रात के १२ बज रहे थे…में अपने रूम से बाहर आई, और गेट के पास जाकर पूछा कि कौन है….तभी बाहर से अभिषेक के लड़खड़ाती हुई आवाज़ आई…..
अभिषेक: में हूँ में हम अभिषेक आंटी जी….
मेने गेट खोला तो देखा, अभिषेक सर झुकाए खड़ा था…..बाहर कोहरा छाया हुआ था, और ठंड बहुत ज़्यादा थी….
में: अभिषेक तुम इस वक़्त टाइम तो देखो……..
अभिषेक बिना कुछ बोले और मेरी तरफ देखे बिना अंदर चला गया…..जब वो मेरे पास से गुज़रा तो मुझे एक अजीब सी स्मेल आई……मैं गेट लॉक कर वापिस मूडी तो देखा, अभिषेक अपने रूम में जा चुका था…..गेट बंद करने के बाद में वापिस आई, और रूम के बाहर से ही अभिषेक को देखा, अभिषेक बेड पर बैठा हुआ था…उसने अपने सर को नीचे झुका रखा था, और मूह में कुछ बुदबुदाये जा रहा था…..मुझे लगा कि कुछ तो ग़लत हुआ है…..
में अभिषेक के रूम में चली गयी…..जैसे ही में अभिषेक के पास पहुचि, तो मुझे फिर से अजीब सी स्मेल आई……और फिर मुझे समझते देर ना लगी कि, अभिषेक ने ड्रिंक कर रखी थी……”क्या हुआ अभिषेक. कुछ हुआ है क्या”
अभिषेक: (नीचे फर्श की ओर देखते हुए) आंटी जी में बहुत अपसेट हूँ, और रात बहुत हो चुकी है, सुबह बात करते है…….
में: हां ठीक है खाना तो खाया है ना…..
अभिषेक ने हां में सर हिला दिया…मेने भी उससे ज़्यादा सवाल पूछना ठीक नही समझा. और अपने रूम में आ गयी….में बेड पर लेटी सोचने लगी कि, ये अभिषेक को क्या हो गया…कही कुछ ग़लत तो नही हुआ उसके साथ. ड्रिंक भी करके आया है. बस यही सब सवाल मेरे जॅहन में था.
रोशन दान से अभी लाइट अंदर आ रही थी.जो अभिषेक के रूम की थी….नज़ाने वो कब तक जागता रहा…पर में अपने रूम में लेटी रही…नज़ाने कैसे कैसे ख़याल मेरे दिमाग़ में आ रहे थे…कहीं उर्मिला के ससुराल वालो या उसके पति को उन दोनो के रिश्ते के बारे में तो नही पता चल गया…..में यही सब सोचते सोचते सो गयी…….अगली सुबह जब उठी, तो देखा प्राजक्ता मुझसे पहले ही उठ कर घर के साफ सफाई कर चुकी थी…….और नाश्ता बना रही थी…….में किचन में गयी और बोली” क्या बात है आज सुबह सुबह ही घर के सफाई कर ली, मुझे उठाया भी नही…….”
प्राजक्ता: ओह्ह माँ तुम भी ना कुछ याद नही रहता…….आज प्राची दीदी और जीजा जी आने वाले है…..
में: ओह्ह हां में तो भूल ही गयी…..जल्दी से नाश्ता तैयार करो…में बाज़ार से कुछ खाने पीने का समान ले आती हूँ…..
में फिर से अपने रूम में गयी, और पैसे लेकर बाज़ार के तरफ जाने लगी, तो मेने देखा अभिषेक का रूम खुला था……पर अभिषेक अंदर नही था……..में थोड़ा जल्दी में थी, इसीलिए सीधा बाज़ार चली गयी…..बाज़ार से कोल्ड्रींक्स और कुछ और खाने का समान लेकर में घर आ गयी….अंदर आते वक़्त भी मेने अभिषेक के रूम में झाँका तो वो वहाँ नही था…..में किचन में गयी..और साथ लाया समान सेल्फ़ पर रख कर प्राजक्ता से पूछा…..
में: प्राजक्ता अभिषेक कहाँ है…..तुमने देखा है उसे……..
प्राजक्ता: हां ऊपर है छत पर…
में: अच्छा प्राची और तुम्हारे जीजा जी कब आने वाले है……
प्राजक्ता: वो तो दोपहर तक आएँगे क्यों क्या हुआ.
में: कुछ नही….अच्छा अभिषेक को चाइ दी……..
प्राजक्ता: हां दी थी……वो कप लेकर ऊपर ही चला गया था…….
में: अच्छा ठीक है में कप लेकर आती हूँ….
उसके बाद में ऊपर आ गयी……मेने देखा अभिषेक चारपाई पर बैठा हुआ था…. वो किसी बात को लेकर बहुत परेशान था…….मेरे कदमो की आहट सुन कर एक बार उसने मेरी तरफ देखा और फिर सर झुका लिया……में उसके पास जाकर बैठ गयी.
में: क्या हुआ बहुत उदास लग रहे हो ?
अभिषेक: कुछ नही ऐसे ही……
में: अभिषेक तुम कल रात को दारू पीकर आए थे ना ?
अभिषेक: (थोड़ा सा चोन्कते हुए) हूँ हां वो सॉरी आंटी….
में: क्या कुछ तो बात है . जो तुम इतने परेशान हो ?
अभिषेक: नही ऐसी कोई बात नही……
में: देखो अभिषेक भले ही तुम मुझे कुछ ना बताओ….पर तुम मेरे बेटे जैसे हो उसकी उमर के ही हो बताओ ना क्या हुआ…..
मेरे इस तरह सवाल करने पर अभिषेक ने मेरी तरफ देखा, उसकी आँखें नम हो चुकी थी……..में उसकी आँखों में आँसू की नमी अच्छी से देख पा रही थी…फिर वो एक दम से रोने लगा….
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