राज का मन हुआ की कोल्ड ड्रिंक लेते वक़्त शहनाज के ब्लाउज़ में झाँके या जब वो वापस जा रही थी तो उसकी गाण्ड की हलचल को देखे। लेकिन ऐसा करना उसकी चाल का हिस्सा नहीं था। उसने बड़ी मुश्किल से खुद पे काबू किया और ऐसे रिएक्ट किया जैसे कुछ हो ही ना रहा हो।
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शहनाज भी एक ग्लास में कोल्ड ड्रिंक लेकर बाहर आ गई और सामने बैठकर उस बातचीत का हिस्सा बनने की कोशिश करने लगी। उसका मकसद बस यहीं था की वो राज की नजरों के सामने रहे, ताकी राज शहनाज को अच्छे से देख पाए ।
लेकिन राज ना तो शहनाज की तरफ देख रहा था और ना ही उससे बात कर रहा था।
थोड़ी देर बाद शहनाज उठी और बड़े प्यार से उसे खाना सर्व की राज और वसीम साथ में खाना खाए। शहनाज जानबूझ कर राज के सामने ज्यादा और देर तक झुकती थी ताकी राज उसके जिश्म को देख सके।
राज बिल्कुल शरीफ बंदे की तरह बैठा रहा और शहनाज पे एक नजर डालने के बाद उसने शहनाज की तरफ देखा भी नहीं। लेकिन वसीम का ध्यान बस शहनाज पे ही था। शहनाज एक तो वैसे ही इतनी खूबसूरत थी और उसपे ये साड़ी और फुल मेकप में वो कयामत ढा रही थी।
राज के लिए खुद को रोके रखना बहुत ही मुश्किल था लेकिन अगर शिकार को अच्छे से दबोचना है तो सही वक़्त का इंतजार करना चाहिए ये सोचते हुए वो खुद पे काबू किए रहा।
वसीम और राज में कई तरह की बातें होती रही और धीरे-धीरे बात राज के जिंदगी में आ गई और राज ने बताया की अपनी पत्नी के इंतकाल के बाद उसने दुबारा विवाह नहीं किया।
वसीम ने पूछ लिया- “इतना लंबा वक़्त हो गया तो कभी शारीरिक कमी महसूस नहीं हुई.. “
राज बस हँस पड़ा। उसने बताया की दो-तीन औरतों के साथ विवाह की बात चली लेकिन हर बार बात बिगड़ जाती थी। उसकी सारी कहानियों का सार यह था की उसने कभी किसी के साथ चीटिंग या बेईमानी नहीं की और हर औरत के साथ वो साफ और स्पष्ट तरीके से पेश आया था। लेकिन उन औरतों ने ही राज को चीट किया था।
वसीम का ककोल्ड मन जागने लगा और उसे लगा की उसकी बीवी इस तरह सजकर एक हिंदू मर्द के सामने खुद को पेश कर रही है। वसीम का लण्ड अंदर टाइट हो चला ।
राज थोड़ी देर बाद अपने कमरे में चला गया।
शहनाज खाने बैठी तो वसीम ने उससे कहा- “आज तो तुम राज जी पे कयामत ढा रही थी.. “
शहनाज हँस पड़ी और फिर मजाक में बोल दी- “लेकिन फिर भी राज जी ने तो देखा भी नहीं। वो कितने
शरीफ और नेक इंसान हैं…”
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वसीम को शहनाज की ये हँसी अजीब लगी और उसने भी हँसते हुए मजाक में पूछा- “क्या तुम राज जी के लिए ही इतना सजी थी?”
शहनाज मुश्कुरा दी और हँसकर बोली- “हाँ… तुम्हारे लिए इतना क्यों सजूं? तुम तो ऐसे ही मुझे इतना प्यार करते हो…”बात मजाक में कही गई थी लेकिन वसीम की आँखों के सामने ये दृश्य चलने लगा की कैसे शहनाज खाना खिलाते वक़्त झुक रही थी बार-बार वो अकेला बैठकर टीवी देख रहा था लेकिन उसकी आँखों के सामने ये दृश्य चल रहा था की राज के सामने झुकने पे शहनाज का आँचल उड़ गया और वो हड़बड़ा कर राज पे गिर पड़ी थी, और राज उसकी चूचियों को मसलने और चूसने लगा। अपनी हसीन बीवी का उस बूढ़े मर्द के साथ ये बात सोचकर वसीम का लण्ड टाइट हो रहा था। वो खाना खाती हुई शहनाज को गौर से देखने लगा और सोचने करने लगा की कैसे राज उसके चिकने जिश्म को मसल रहा है, और कैसे शहनाज उस बूढ़े आदमी के साथ मस्ती कर रही है।
सोने जाते वक़्त शहनाज अपने सारे कपड़े उतार दी और नाइट सूट पहनकर सोने आ गई। उसे गुस्सा आ रहा था की उसकी इतनी मेहनत बेकार गई। कितने जतन से वो सजी थी, ताकी राज उसे देखकर अच्छा महसूस कर पाए लेकिन उसने देखा तक नहीं उसे लगा था की शहनाज को इस तरह अच्छे से देखकर उसे आराम मिलेगा। लेकिन उसे क्या पता था की यहाँ तो राज किसी तरह खुद पे काबू किए रहा, लेकिन रूम में जाते ही वो नंगा हुआ और शहनाज का नाम जप्ते हुए लण्ड से वीर्य निकालकर बर्बाद कर दिया।
वसीम का लण्ड टाइट था। उसने चोदने के लिए शहनाज के जिश्म पे हाथ लगाया।
शहनाज उसे मना कर दी और सोचने लगी- “मुझे नहीं चुदवाना इस बच्चे टाइप के लण्ड से दो मिनट होगा नहीं की खुद तो सो जायेगा और मैं मरती रहूंगी। एक वो राज जी हैं जिनके पास इतना बड़ा मोटा मूसल टाइप का लण्ड है और जिसका वीर्य वो मेरे पैंटी ब्रा पे निकलता है, लेकिन सामने मैं हूँ तो देखता भी नहीं। दोनों का काम बस मुझे तड़पाना है। वो अकेले में तड़पेगा लेकिन ये चैन की नींद सोएगा। इसलिए तुम भी तड़पो पतिदेव..” और शहनाज सोचती हुई सो गई।
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राज रूम में घुसते ही नंगा हो गया और लण्ड आगे-पीछे करने लगा। उसका लण्ड फुल टाइट था- “आह्ह… मेरी रांड़, क्या माल लग रही थी तू… जी तो चाह रहा था की उसी वक़्त पटक कर तुझे चोद दूं। लेकिन क्या करूँ जान, तेरे इस हसीन जिश्म को ऐसे नहीं पाना चाहता। जो तू झुक कर चूची दिखा रही थी उसे जरूर मसलूंगा, और चुसूंगा, बस तू थोड़ी और पक जा मेरी रंडी बनने के लिए। फिर तेरे पूरे जिश्म पे मेरा अधिकार होगा….”
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अगले दिन दोपहर होते ही शहनाज राज के लण्ड का दर्शन करने अपनी जगह पहुँच गई। अब शहनाज को बिल्कुल डर नहीं लगता था और वो ऐसे स्टोररूम में जा रही थी जैसे ये कोई नार्मल सिंपल काम हो। उसने अपने मन में सोच लिया था की अगर राज ने उसे देख भी लिया तो भी कोई परवाह नहीं। क्योंकी राज गलत काम कर रहा है, मैं नहीं। मैं तो ये पता लगाने छत पे छुपकर बैठी थी की आखिर वो है कौन जो रोज मेरी पैंटी ब्रा को गीली करता है?
शहनाज अपनी जगह पे बैठ गई। रोज की ही तरह राज आया और फिर कपड़े चेंज करके अपने काम में लग गया। आज उसका लण्ड जरा ज्यादा टाइट था, शहनाज का कल का रूप देखकर उसने पैंटी ब्रा को भीगा दिया और अपनी जगह पर टांग कर अपने रूम में चला गया और दरवाजा बंद कर लिया।
दो ही मिनट बाद शहनाज स्टोररूम से बाहर निकली और आज सिर्फ पैंटी ब्रा लेकर नीचे चली गई। बाकी कपड़े उसने छत पे ही छोड़ दिए। सीढ़ियों पे ही शहनाज कपड़े में लगे वीर्य को सूँघने और चाटने लगी। उसे राज पे बहुत गुस्सा आ रहा था? ये क्या पागलपन है यार सामने होती हूँ तो देखता भी नहीं, बात करना तो दूर की चीज है और रोज पैंटी ब्रा पे वीर्य गिराता है। इतनी ही आग है मन में मुझे लेकर तो मेरे से बात करो, मुझे देखो तो शायद आराम मिले, शायद अच्छा लगे। और अगर शरीफ ही बने रहना है तो ये भी मत करो। मन में तो पता नहीं कितने अरमान पाल रखा होगा मेरे बारे में, कितनी तरह से चोद चुका होगा, लेकिन बाहर से इतना शरीफ बनता है की कहना ही नहीं?
शहनाज भी रोज की तरह नीचे आकर नंगी हुई और वीर्य चाटते हुए राज के बारे में सोचती रही और चूत से पानी निकालने के बाद नंगी ही रहीं।
……………………………………….3:00 बजे शहनाज के घर का दरवाजा नाक हुआ। शहनाज नंगी ही लेटी टीवी देख रही थी। वो हड़बड़ा गई और जल्दी से कपड़े ढूँढ़ने लगी। वो पैंटी ब्रा पहनती तो लेट होता। इसलिए वो हड़बड़ी में बस नाइटगाउन पहनते हुए पूछी- “कौन है?”
उधर से राज की आवाज आई- मैं हूँ, राज …” bhabhi sex
शहनाज का दिल जोरों से धड़क गया की ये क्यों आए हैं? कहीं मुझे देख तो नहीं लिया? शायद सिर्फ पैंटी ब्रा लाई उठाकर तो इन्हें पता लग गया होगा की मुझे पता है। पता नहीं क्या बोलेगा? शहनाज हड़बड़ाती हुई दरवाजा खोली- “आइए ना राज जी , अंदर आइए…”
राज बोला- “नहीं, बस जा रहा हूँ। रात में आने में थोड़ी देर हो जाएगी। बस यही बोलने आया था। तो दरवाजा बंद कर लीजिएगा और मैं काल करूँगा तो दरवाजा खोल दीजिएगा…’
शहनाज बोली- “ठीक है, कोई बात नहीं खोल दूँगी। आइए ना चाय तो पीकर जाइए…
राज – “ना ना चलता हूँ अभी” बोलता हुआ चला गया।
शहनाज की जान में जान आई राज के जाने के बाद। लेकिन उसके मन उदास हो गया की अंदर आकर बैठकर कुछ बात तो करते कम से कम बेकार मैं कपड़े पहनी। नंगी ही दरवाजा खोल देती, नहीं तो कम से कम कपड़े तो ढीले रखती। पूरा ढक ली। बेचारे एक तो कभी आते नहीं और आए भी तो मुझे कुछ तो दिखा ही देना चाहिए था। मैं इतनी हड़बड़ा गई थी की दिमाग ही काम नहीं किया? और शहनाज राज के ख्यालों में फिर से खो गई।
बाहर जाते हुए राज का लण्ड टाइट हो चुका था। शहनाज अपने हिसाब से राज को कुछ नहीं दिखा पाई थी, लेकिन राज की हरामी नजर एक झटके में ये ताड़ गया था की रंडी ने अंदर कुछ नहीं पहना था। चूचियों की गोलाई में सटी नाइटगाउन को देखकर ही वो समझ गया की अंदर ब्रा नहीं था और इसलिए राज का लण्ड और टाइट हो गया था। रोड पे आने से पहले उसने अपने लण्ड को पायजामा में अड्जस्ट किया और दुकान की तरफ चल पड़ा।
राज सोचने लगा- “रंडी पक्का अंदर नंगी होगी। चुदवाने के लिए मरी तो जा रही है लेकिन हाए रे संस्कारी नारी, कुछ बोल नहीं पा रही। बाकी कपड़े छोड़कर सिर्फ पैंटी ब्रा इसलिए ले गई ताकी मैं जान सकूँ की वो जानती है और मेरी हिम्मत बढ़ जाए। लेकिन मेरी रांड, इतनी आसानी से तुझे थोड़ी मेरा लण्ड दे दूँगा। जब तक तू पूरी मेरी रांड नहीं बन जाती तब तक तू तड़पेगी । तड़प तो मैं तुझसे ज्यादा रहा हूँ राड़। तुझे थोड़ी जल्दी करनी चाहिए थी, तेरी स्पीड बढ़ानी पड़ेगी?”
सोचता हुआ राज दुकान चल पड़ा और अपने प्लान को माडिफाई करने लगा। वो प्लान जिसमें एक सीधी सादी शरीफ पवित्र टाइप की लड़की को उसे अपनी रंडी बनाना था। उसके तन मन को अपने सामने समर्पित करवाना था। शहनाज का समर्पण चाहिए था उसे ।
रात में फिर शहनाज वसीम से राज के बारे में ही बात कर रही थी। शहनाज ने कहा- “आज राज जी लेट से आएंगे। दरवाजा बंद कर लेने बोले हैं। जब वो आएंगे तो काल कर लेंगे तब दरवाजा खोल देने बोले हैं…”
वसीम- ठीक है। ज्यादा रात होगी क्या उन्हें?”
शहनाज “ये तो पूछी नहीं। बस इतना बोले और चले गये। मैं तो अंदर आने बोली भी लेकिन आए नहीं…”
वसीम मुश्कुरा दिया, और बोला- “अरे वाह… आकर बोल गये। कल देखकर गये तुम्हें तो आज फिर से देखने का मन किया होगा। क्या पहनी हुई थी तुम आज?”
शहनाज बनावटी गुस्से में बोली- “नंगी थी… तुम्हें और कुछ तो सूझता है नहीं। तुमने देखा था ना उस दिन वो देखते भी नहीं मेरी तरफ…
वसीम- “तुम्हें दिखाकर थोड़े ना देखते होंगे। तुम्हारी जैसी हूर को कोई बिना देखे रह ही नहीं सकता। लेकिन उसे शर्म आती होगी की वो उतना उम्रदराज होकर भी तुम्हें देख रहा है। लेकिन एक बात तो मैं दावे के साथ कह सकता हूँ की लार तो जरूर टपकती होगी उनकी मर्द जात ऐसे ही होते हैं। तुम्ही खोल देना दरवाजा, एक बार और देख लेंगे तुम्हें…”
शहनाज को वसीम की बात में दम नजर आया- “उन्हें उम्र की वजह से शर्म आती होगी। हैं भी तो वो मेरे से दुगुने उम्र के उफफ्फ … इसीलिए वो इंसान अंदर ही अंदर तड़प रहा होगा। मुझे ही कुछ करना होगा उनके लिए?
सोचती हुई फिर वो वसीम को बोली- “मुझे तो उन पर दया आती है। मुझे देखते तक नहीं, बात करना तो दूर की बात है। लेकिन इतने सालों से अकेले ही अंदर-अंदर घुट रहे हैं। मेरी छोड़ो, तुमसे भी तो बात करके मन का बोझ हल्का कर सकते हैं…”वसीम हम्म्म… बोलता हुआ करवट बदलकर सोने लगा और शहनाज अभी का प्लान बनाने लगी- “दोपहर में तो वो हड़बड़ी में थी लेकिन अभी उसके पास पूरा टाइम था। वसीम अब सुबह ही जागने वाला था। शहनाज का मन हुआ की सच में नंगी ही जाकर दरवाजा खोल दूं। देखती हूँ बूढ़े मियां फिर देखते हैं की नहीं?” सोचकर वो खिलखिला दी ।
शहनाज वही नाइटगाउन पहनी हुई थी। वसीम के सो जाने के बाद वो उठी और ब्रा उतार दी। फिर वो बाडी लोशन लेकर अपने सीने पे और चूचियों पे अच्छे से लगा ली। उसकी चूचियां तो ऐसे ही गोरी थीं, अब और चमक उठीं। फिर उसने चेहरे को साफ किया और क्रीम और डी. ओ. लगा ली। अब शहनाज ने नाइटगाउन के सामने के हिस्से को थोड़ा नीचे खींच लिया और कालर को थोड़ा फैला ली। अब उसकी दोनों गोलाइयां गहराई के साथ दिख रही थीं। शहनाज अब दरवाजा खोलने के लिए तैयार थी। शहनाज को नींद ही नहीं आ रही थी।
शहनाज मन ही मन सोच रही थी की कैसे दरवाजा खोलेगी और क्या करेगी? लेकिन शहनाज की इतनी हिम्मत नहीं हुई की राज से कोई भी बात सीधी कर पाए। वो अपने नाइटी को ठीक कर ली और ब्रा पहनने लगी। उसे लगा की अगर मैं ऐसे गई तो कहीं वो मुझे गलत टाइप की ना समझ लें। फिर शहनाज को खयाल आया की मैं तो सज संवर कर बैठी हूँ, तो उन्हें लगेगा की मैं तो जाग कर उनका इंतजार कर रही थी। अगर मैं नींद में रही की किसी तरह की गलती हो सकती हैं। उसने फिर से ब्रा को उतार दिया और नाइटगाउन को ढीली कर ली।
अब चलने पे उसकी चूचियां आराम से गोल-गोल घूम रही थी और क्लीवेज खुले होने से चूचियों में हो रही थिरकन साफ-साफ दिख रही थी। शहनाज अपने बाल बिखरा दी और चेहरे को भी पानी से धोकर उनींदा टाइप का चेहरा बनाने लगी। रात के 11:00 बज गये थे और राज का अब तक काल नहीं आया था। शहनाज अपनी पैंटी भी उतार दी थी। वो दो-तीन बार बाहर झाँक कर भी आ गई थी राज आए या नहीं।
उसने सोचा की मैं ही पूछ लेती हूँ लेकिन फिर उसने ये इरादा त्याग दिया। थोड़ी देर बाद वसीम के मोबाइल पे काल आया। शहनाज दौड़कर फोन उठाई तो राज जी लिखा हुआ था। शहनाज अपनी साँसों को कंट्रोल की और उनींदी आवाज में “हेलो” बोली।
राज ने कहा- “मैं आ गया हूँ, दरवाजा खोल दो प्लीज…”
शहनाज फिर से उनींदी आवाज में ही- “हाँ आती हूँ.” बोली और खुद को अड्जस्ट कर ली। उसने खुद को एक बार आईने में देखा और गाउन को ठीक से अड़जस्ट की जिससे क्लीवेज चूचियों की गोलाईयों के साथ दिखे।
शहनाज ऐसे चलकर बाहर आई, जैसी कितने नींद में हो। उसने बाहर की लाइट जला दी और दरवाजा खोल दिया।
दरवाजा खुलते ही राज की आँखों के सामने शहनाज की गोरी चूचियां चमक रही थी। राज तो शहनाज की आवाज सुनकर ही लण्ड टाइट किए बैठा था। एक झटके में उसे अंदाजा लग गया की उसकी होने वाली रंडी अभी भी बिना ब्रा के है और उसी को दिखाने के लिए डीप नेक गाउन पहनी हुई है। उसका मन किया की हाथ बढ़ाए और इन दूध से भरी रसमलाईयों को पकड़कर निचोर दे और चूस ले। राज को पता था की शहनाज भी यही चाहती होगी, और अगर उसने ऐसा किया तो छोटी मोटी आक्टिंग के अलावा और शहनाज कुछ नहीं करेगी।
लेकिन राज ने खुद पे काबू किया और बोला- “सारी, आप लोगों को परेशान किया….”
शहनाज उल्टे कदम ही पीछे होती हुई बोली। ताकी उसकी चूचियों की थिरकन को राज अच्छे से देख सके। कल वसीम मौजूद था तो इन्हें बुरा लग रहा होगा लेकिन आज कोई नहीं है तो ये अच्छे से देख सकें मुझे। शहनाज बोली- “इसमें परेशानी की क्या बात है?”
राज ने दरवाजा लाक कर दिया और ऊपर जाने लगा। शहनाज को लगा की ये क्या हो रहा है। ये तो जा रहे हैं।
शहनाज तुरंत बोली- “खाना खाकर आए हैं या अभी बनाएंगे। आइए यहीं खा लीजिए, मैं बनाकर रखी हूँ…”
राज नजरें नीची किए हुए ही चलते हुए बोला- “नहीं शुक्रिया, मैं खाकर आया हूँ। सो जाइए आप भी शुक्रिया फिर से और माफी माँगता हूँ परेशान करने के लिए ” बोलता हुआ राज सीढ़ियों पे चल दिया और शहनाज ठगी सी खड़ी की खड़ी रह गई।
शहनाज को यकीन नहीं हुआ की ये आदमी ऐसा है। उसे लगा था की इस तरह के कपड़े और अकेली पाकर वो पकड़कर शहनाज से बातें करने लगेगा और शहनाज उसकी मदद कर पाएगी उसके अंदर के जमे हुए गुबार को बाहर करने में उसे गुस्सा भी बहुत आया और फिर वसीम की वही बात याद आई की इसे अपने उम्र की वजह से शर्म आती होगी, नहीं तो जी तो चाहता होगा उसका की तुम्हारे साथ खूब मस्ती करे।
शहनाज को बहुत जोर का गुस्सा आया। उसका मन किया की अभी राज पे बरस पड़े। वो वहीं खड़ी थी और राज सीढ़ियां चढ़ता हुआ ऊपर चला गया। शहनाज का मन हुआ की राज को खींचकर रोक ले और उससे पूछे की अगर अभी नजर उठाकर देख भी नहीं सकते, बात भी नहीं कर सकते तो दिन में क्या करते हो? लेकिन गुस्सा दिखना सही नहीं होगा। वो तो वही कर रहे हैं जो एक शरीफ इंसान को करना चाहिए।
फिर उसने सोचा की जाती हूँ ऊपर और अच्छे से बात कर ही लेती हूँ आज वो दो-तीन सीढ़ी चढ़ी भी लेकिन इससे आगे की उसकी हिम्मत नहीं हुई। वो सोचने लगी की इतनी रात को अगर मैं उनके रूम में जाऊँगी तो ये ठीक नहीं रहेगा। कल दिन में पूछ लूँगी। वो तो शरीफ इंसान हैं, लेकिन मैं क्यों रंडी जैसी हरकत कर रही हूँ? शहनाज कल दिन में कैसे क्या बात करेगी सोचती हुई अपने रूम में आ गई।
वसीम ने आधखुली आँख से अपनी बीवी को अंदर आते देखा। उसे सदमा लगा । शहनाज उसे सोया हुआ मानकर दरवाजा खोलने की जो तैयारी कर रह रही थी। वसीम वो सब अपनी अधखुली आँखों से देख रहा था। उसे अब यकीन हो चला था की उसकी कमसिन जवान बीवी उस बूढ़े राज के चक्कर में है। जितनी देर शहनाज रूम से बाहर दरवाजा के पास थी, वसीम सोच रहा था की राज और शहनाज क्या कर रहे होंगे?
वसीम के अनुसार शहनाज दरवाजा खोली होगी और राज के सामने उसकी गोल मुलायम गोरी चूचियां चमक उठी होंगी। राज देखता रह गया होड़ा। उसने अपनी नजरें नीची कर ली और शहनाज को थैंक्यू बोलते हुआ पीछे हटने बोला लेकिन शहनाज हटी नहीं और उससे सट गई। उसने चूचियां राज के सीने से दबा दी और राज को पकड़ लिया। अब राज के लिए कंट्रोल मुश्किल था। वो शहनाज के होठों को चूमने लगा और नाइटगाउन की डोरी को खींच दिया। शहनाज की चूची बाहर आ गई और राज पागलों की तरह उसे मसलता हुआ चूसने लगा । शहनाज आहह…. उहह…. कर रही थी…” सोचते हुये वसीम का लण्ड पूरा टाइट हो चुका था। लेकिन शहनाज के अंदर आने से उसे बहुत बुरा लगा की उसकी इतनी हसीन बीवी को राज भाव नहीं दे रहा ।
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