रात काफी हो गई थी खाना बन कर तैयार हो चुका था और शालू खाना खाकर सो भी गई थी क्योंकि उसे मालूम था कि जब तक रघु नहीं आएगा तब तक उसकी मां खाना खाने वाली नहीं है कजरी छत पर बैठे बैठे रघु का इंतजार कर रही थी,,,। अपने मन में सोचने लगी कि हो सकता है जो रघु तेरा होगा सच भी हो,, हो सकता है कि जैसे ही उसकी नजर पीछे पड़ी हो तभी वहां वहां उसे ढूंढते हुए आया ही हो। अनजाने में ही उसकी नजर उस पर पेशाब करते हुए पड़ गई हो,,,। रघु को लेकर कजरी काफी चिंतित नजर आ रही थी क्योंकि उसने कुछ ज्यादा ही सख्ती दिखाई थी। रघु की बात सुने बिना ही उसे भला-बुरा कह कर वहां से भगा दी थी,,, कजरी बेचैन नजर आ रही थी वह बार-बार खड़ी होकर छत से जहां तक नजर जाती थी वहां तक रघु को ढूंढने की कोशिश कर रही थी। लेकिन रघु का कहीं भी ठिकाना ना था,,,।
कहां चला गया होगा रघु,,,, यह बात सोच कर कजरी काफी परेशान हो रही थी खेत वाली बात को उसने सालु से नहीं बताई थी,,,,। कजरी को लगने लगा कि वही गलत है वही अपने बेटे को समझने में भूल कर भी अगर वह गलत होता तो इस तरह से घर से बाहर ना रहता,,, बेशर्म की तरह घर आ चुका होता,,, लेकिन वह सही था इसलिए घर नहीं आ रहा था। कजरी बार-बार अपनी छत पर इधर से उधर घूमते हुए दूर-दूर तक देखने की कोशिश कर रही थी चांदनी रात हो ने की वजह से दूर-दूर तक सब कुछ साफ नजर आ रहा था। लेकिन रघु कहीं भी नजर नहीं आ रहा था,,,। कजरी को इस बात का बिल्कुल भी आभास नहीं था कि इस समय रघु कहां होगा।
रघु गांव के बाहर हलवाई की दुकान पर ग्राहकों के लिए रखे गए बड़े-बड़े पत्थर पर लेटा हुआ था। भुक तो बहुत जोरों की लगी हुई थी,,, लेकिन कर भी क्या सकता था इसलिए वहां वहां से उठा और हलवाई के दुकान के पीछे पानी पीने के लिए हेड पंप के करीब चला गया,,, और वह हेड पंप चलाकर पानी पीने लगा,,, हैंडपंप की आवाज से हलवाई की औरत की नींद खुल गई तुरंत उठ कर दुकान के पीछे यह देखने के लिए आ गई कितनी रात को यहां कौन है कहीं कोई चोर तो नहीं है,,,,
कौन है वहां कौन है इतनी रात को इधर आ गया,,, अगर चोरी करने के इरादे से आए हो इस बारे में कभी सोचना भी मत,,,,
(हलवाई की बीवी की आवाज सुनते ही पहले तो रघु घबरा गया फिर शांत होता हुआ बोला)
मैं हूं चाची चोर नहीं हूं,,,
(रघु की आवाज सुनकर हलवाई की बीवी इतना तो समझ गई कि यह आवाज जानी पहचानी थी,,, इसलिए लालटेन को हाथों में लेकर आगे बढ़ने लगी ताकि उजाले में उसका चेहरा देख सके,,, चांदनी रात होने के बावजूद हेडपंप जहां पर था वहां पर बड़े-बड़े पेड़ लगे हुए थे इसलिए वहां अंधेरा था,,,लालटेन के उजाले में जैसे ही रखो का चेहरा हलवाई की बीवी को नजर आया वैसे ही उसके चेहरे पर से डर के भाव दूर हो गए,,, और वह एकदम शांत स्वर में बोली,,।)
अच्छा तू है,,,दुकान पर आते हुए तुझे देखे तो हूं लेकिन तेरा नाम मुझे मालूम नहीं,,,
रघु ,,,,रघु नाम है मेरा,,(हेडपंप को अपने हाथों से छोड़ते हुए और अपने हाथ को अपने ही कपड़े से साफ करते हुए बोला)..
इसी गांव के हो,,,
हां यही गांव में ही रहता हूं कजरी का बेटा हूं,,
अरे तु कजरी का बेटा है,,, वही कजरी ना जो गांव में सबसे ज्यादा खूबसूरत है,,,।
हां,,,, लेकिन तुमसे ज्यादा नहीं,,,
(रघु के मुंह से यह बात सुनते ही वाह एकदम से सन्न हो गई,,, वह पल भर के लिए रघु को एकटक देखने लगी,,,)
ऐसे क्या देख रही हो सच कह रहे हैं,,, बस थोड़ा सा वजन ज्यादा है लेकिन खूबसूरती और गोराई मे तुम मा से ज्यादा चटक हो,,,(औरतों को अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना भला कैसे अच्छा नहीं लगता हलवाई की बीवी को भी रघु के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ पर बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन फिर भी वह एतराज जताते हुए बोली,,।)
तुम मुझसे इस तरह की बातें कर रहा है तुझे शर्म लिहाज या डर बिल्कुल भी नहीं है,,,।
सच कहने में कैसा डर हम तो सच कहते हैं यह तो आप पर आधारित है कि आपको अच्छा लगा या बुरा,,, वैसे चाची कभी आईने में देख कर आपको यह नहीं लगता कि आप अपने पूरे गांव में सबसे ज्यादा खूबसूरत औरत है।
(रघु की बातें सुनकर थोड़ा सोचने के बाद लालटेन को नीचे जमीन पर और अपने दोनों हाथ को कमर पर रखते हुए बोली..)
चल छोड़ ये सब जाने दे लेकिन तू इतनी रात को यहां क्या कर रहा है,,,।
भटक रहे हैं ऐसे ही,,,
घर क्यों नहीं गया,,
छोड़ो ना चाची आप जाओ और आराम करो,,,(इतना कह कर रघु दुकान की तरफ जाने लगा तो वह उसे रोकते हुए बोली,,,।)
सुन तो लगता है घर से झगड़ा करके आया है,,,।
(इतना सुनकर रखो ज्यों का त्यों खड़ा हो गया और वापस उसकी तरफ घूम कर बोला..)
ऐसा ही समझ लो चाची,,,
मतलब कि भूखा भी है,,,
(इस बार रघु कुछ नहीं बोल पाया,,, सच तो यही था कि उसे जोरों की भूख लगी हुई थी,,।)
और पानी पीकर अपनी भूख मिटाने की कोशिश कर रहा था,,
छोड़ो ना चाची मैं चलता हूं आप आराम करिए,,,
भूखे पेट नींद नहीं आती चल आजा मैं तुझे खाना देती हूं,,,
(इस बार रखो उसकी बात को मानने से इंकार नहीं कर सकती क्योंकि वह जानता था कि अगर बुखा रहेगा तो उसे नींद भी नहीं आएगी,,, और उसे उस दिन की बात याद आ गई थी जब वह जलेबी लेने आया था और हलवाई की बीवी की मदमस्त जवानी को अपनी आंखों से पीकर मस्त हो गया था,,, आज से मौका मिल रहा था इसी बहाने उसके बेहद करीब रहने का,,, भूख और चाह दोनों के बस में आकर वह हलवाई की बीवी की बात मानने को राजी हो गया,,, हलवाई की बीवी लालटेन उठाकर बोली,,।)
आजा,,,
(उस दिन वाली बात और हलवाई की बीवी से इतनी देर तक रात में बात करते हुए ना जाने क्यों उसके तन बदन में ऊतेजना की चिंगारी फुटने लगी थी,,, और पजामे में उसके सोए हुए लंड में तनाव आना शुरू हो गया था। हलवाई की बीवी लालटेन लेकर एक कदम बढ़ाई थी कि रघु की नजर उसकी गोल-गोल बड़ी-बड़ी गई थी पड़ गई और वह मदहोश होने देना उसकी मदहोश कर देने वाली नितंबों के आकर्षण में अपना पहला कदम बढ़ाया ही था कि फिर पंप के करीब ढेर सारा कीचड़ होने की वजह से उसका पैर फिसल गया और वह गिर गया,,,,धम्म,,, की आवाज के साथ ही वह नीचे गिर गया और हलवाई की बीपी तुरंत पीछे पलट कर देखें तो रखो नीचे कीचड़ में पीठ के बल गिर गया था,,, रघु को ईस हालत में देखकर हलवाई की बीवी की हंसी छूट गई,,,, वह जोर-जोर से ठहाके मार के हंसने लगी रघु को उसकी हंसी बेहद मादक लग रही थी,,,। बल्कि हलवाई की बीवी को हंसता हुआ देखकर वह खुद अंदर से प्रसन्ना हो रहा था,,, फिर वह उससे बोला,,,।
अरे हंसते ही रहोगे या मुझे उठने में मदद करोगी,,,, family sex
हां क्यों नहीं जरूर ,,,,(इतना कग कर वह लालटेन वापस जमीन पर रख दी,,, और आगे बढ़ कर अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर रघु को उसका हाथ पकड़ने का इशारा कि हालांकि अभी भी वह हंस ही रही थी,,, रघु का मन बहकने लगा था,, हलवाई की बीवी की गदराई जवानी उसके मन को बहका रही थी,,, रघु अपना हाथ आगे बढ़ाकर हलवाई के बीवी के नरम नरम हाथ को अपने हाथ में लेकर कस के पकड़ लिया,,, जैसे ही हलवाई की बीवी का नरम हांथ रघु के हाथ में आया रघु को ऐसा महसूस हुआ कि उसके तन बदन में आग लग गई है पहली बार वह किसी औरत का हाथ इस तरह से पकड़ रहा था,,, उसके तन बदन में जोश बढ़ने लगा था,,, रघु के मन में शरारत सुझ रही थी,,, उठने के बजाय हल्का सा उठने का नाटक करते हुए हलवाई की बीवी के हाथ को अपनी तरफ हल्के से खींच लिया जिससे हलवाई की बीवी अपने आप को संभाल नहीं पाई और भला भला कर रघु के ऊपर गिर गई,,,,
चांदनी रात में रघु एक अद्भुत पल को जी रहा था, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि यह सब सच है क्योंकि हलवाई की खूबसूरत बीवी जो कि भले ही थोड़ी मोटी थी इस समय रघु की बाहों में गिरी हुई थी,,, हलवाई की बीवी की गोल गोल बड़ी-बड़ी चूचियां रघु की छातीयो पे अपना दबाव बनाए हुए थी,, रघु को पलभर में ही यह एहसास हो गया कि जिस चूची को वहां उस दिन आंखों से कर रहा था वह चुची इस समय उसकी छातियों पर दबी हुई है। इतने मात्र से ही रघु का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,,। जोकि खड़ा होने के बाद सीधा हलवाई की बीवी की टांगों के बीच साड़ी के ऊपर से ही उसके मुख्य द्वार पर ठोकर मारने लगा।। हलवाई की बीवी काफी अनुभवी थी अपनी टांगों के बीच उस चुभती हुई चीज की रगड़ को महसूस करके उसे समझते देर नहीं लगी कि जो चीज उसकी बुर के मुख्य द्वार पर ठोकर मार रही है वह रघु का लंड ही है,,, हलवाई की बीवी के तो होश उड़ गए और वह भी इसलिए नहीं की रघु का लंड सीधे उसकी बुर के मुख्य द्वार पर ठोकर मार रहा था,,, बल्कि इसलिए कि रघु का लंड उसकी बुर के मुख्य द्वार तक पहुंच कैसे गया और वह भी साड़ी पहने होने के बावजूद भी उसकी ठोकर इतनी अच्छी तरह से उसे महसूस कैसे हो रही थी,,,,, हलवाई की बीवी का हैरान होना जायज था क्योंकि मोटी शरीर होने की वजह से उसका पेट आगे से निकला हुआ था जिसकी वजह से उसे खुद की नजरों से उसकी पुर कभी नजर नहीं आती थी और जब कभी भी वह अपने पति से चुदवाती थी तो पेट निकले होने की वजह से उसका लंड ठीक तरह से उसकी बुर में घुस भी नहीं पाता था ,,,इसलिए तो वह एकदम से हैरान हो गई थी क्योंकि बिना किसी रूकावट के शुभम का लंड सीधे उसकी बुर के मुख्य द्वार तक पहुंच रहा था,,,,
रघु के तो होश उड़ गए थे अपने ऊपर भारी भरकम शरीर लिए हुए हलवाई की बीवी पूरी तरह से उसके ऊपर गिरी हुई थी,,, हलवाई की बीवी भी इस तरह से रखो के ऊपर गिर जाने की वजह से वह पूरी तरह से शर्म से लाल हो चुकी थी।अपनी टांगों के बीच अपनी बुर पर रघु के लंड की ठोकर महसुस करके वह पूरी तरह से उत्तेजित होने लगी थी,,,। उसकी सांसों की गति तेज होने लगी थी ना जाने क्यों रघु के ऊपर से उसका उठने का मन नहीं हो रहा था रघु भी अच्छी तरह से जान रहा था कि उसका लंड खड़े होकर सीधे उसकी टांगों के बीच लहरा रहा था।,, आखिरकार वही उसे बोला,,,।
बाप रे आप तो मेरी जान ले लोगी,,, अब ऊठोगी भी या मुझ पर ऐसे ही लेटी रहोगी,,,,(इतना कहते हुए रघु जानबूझकर अपने दोनों हाथ को उसे उठाते हुए उसे सहारा देने के बहाने हल्के से अपने दोनों हाथों की हथेलियों को उसकी गोलाकार नितंबों पर रखकर हल्कै से उसे दबा दिया। रघु कि यह हरकत को अपने नितंबों पर महसूस करके उत्तेजना के मारे हलवाई की बीवी पूरी तरह से गनगना गई,,,, वह उठने की कोशिश करने लगी,,,भारी भरकम शरीर होने की वजह से उसे थोड़ी दिक्कत हो रही थी क्योंकि अनजाने में ही वह उसके ऊपर गिर गई थी इसलिए जैसे ही वह थोड़ा सा शुभम के ऊपर से अपने बदन को हटाई उस समय हलवाई की बीवी का बदन ठीक रघु के ऊपर था,,, और रघु हलवाई की बीवी को सहारा देते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर की तरफ उठाकर इस तरह से हलवाई की बीवी को पकड़ लिया जिससे उसकी हथेली में निवाई की बीवी की चुचियों का आधा आधा हिस्सा आ गया और वह उसे उसको ऊपर की तरफ उठाने लगा वह सारा तो जरूर दे रहा था लेकिन सहारे के नाम पर अपना उल्लू भी सीधा कर रहा था,,, फिर भाई की बीवी के अंदर अंदर बड़ी-बड़ी चूचियां रघु के हथेली में थी और यह एहसास रखो को एकदम उत्तेजना के सागर मिलिए जा रहा था रघु की इस हरकत से हलवाई की बीवी भी पूरी तरह से मदहोश होने लगी,,,क्योंकि उसे साफ पता चल रहा था कि रघु अपनी हथेली में उसकी चूचियों के आधे हिस्से को पकड़कर दबाए हुए था,,,, अगले ही पल हलवाई की बीवी ऊसके ऊपर से उठ गई और अपनी साड़ी को ठीक करने लगी,,,
रखो भी खड़ा हो गया लेकिन वह पूरी तरह से कीचड़ में सन गया था हलवाई की बीवी शर्म के मारे कुछ बोल नहीं रही थी तो रघु ही बातों के दौर को शुरू करते हुए बोला,,
अच्छा हुआ चाची आप मेरे ऊपर गीरी वरना आप भी किचड में सन जाती,,,,
(इस बार फिर से हलवाई की बीवी के होठों पर मुस्कान तेरने लगी,,,।)
चल अंदर आ जा मैं तुझे कपड़े देती हूं बदल लेना,,,।
(इतना कहकर हलवाई के बीवी लालटेन उठाकर आगे आगे चलने लगी और रघु उसकी मटकती गांड को देखते हुए उसके पीछे पीछे चलने लगा.)
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,चांदनी रात में गांव का माहौल और भी ज्यादा खूबसूरत और खुशनुमा हो चुका था,,,हलवाई का घर गांव के बाहर था इसलिए यहां पर चारों तरफ सन्नाटा था और चारों तरफ खेत ही खेत नजर आ रहे थे,,, रघु के मुंह से अपने लिए खूबसूरती के चार अल्फाज सुनकर,, हलवाई की बीवी का मन डोलने लगा था,,,, और उस पर उसका रघु के ऊपर गिर जाना और अपनी टांगों के बीच में उसके लंड की ठोकर का अनुभव करना कुल मिलाकर हलवाई की बीवी की हालत खराब कर चुका था,,,। वैसे भी हलवाई की बीवी शारीरिक रूप से संतुष्ट बिल्कुल भी नहीं थी हालांकि इस और उसका ध्यान बिल्कुल भी नहीं जाता था क्योंकि दिन भर काम ही इतना लगा रहता था कि अपने बारे में सोचने की उसे फुर्सत नहीं थी और जब कभी भी हलवाई और उसकी बीवी के बीच में संभोग क्रिया स्थापित होने को होती भी थी तो हलवाई की मोटी तोंद और हलवाई की बीवी का बाहर निकला हुआ पेट दोनों के बीच में अड़चन बन जाते थे,,, जिससे हलवाई ठीक तरह से अपनी बीवी की चुदाई नहीं कर पाता था लेकिन मर्द होने के नाते उसका तो उसकी बीवी की रसीली बुर के अंदरूनी हिस्से पर और बाहर की रगड़ से गरम होकर अपना पानी निकाल देता था लेकिन प्यासी रह जाती थी उसकी बीवी,,, क्योंकि रात भर अपनी हथेली से ही अपनी गरम बुर पकड़ कर अपने आप को ठंडा करने की कोशिश करती रहती थी,, शारीरिक संबंध बनाने में उसका मोटापा उसके लिए श्राप युक्त बन गया था उसे अपना मोटापा बिल्कुल भी पसंद नहीं था लेकिन जिंदगी में पहली बार वह इस जवान होते लड़के के मुंह से अपने लिए खूबसूरती के दो शब्द सुनी थी पहली बार वह रघु के मुंह से अपने मोटापे की खूबसूरती की तारीफ सुनकर गदगद हो गई थी।
हलवाई की बीवी और उसके पीछे रघु कमरे में प्रवेश किया कमरा क्या था चारों तरफ कच्ची दीवार ही थी और मिट्टी के खपड़े से उसकी छत छाई हुई थी। अंदर एक कोने में खाट बिछी हुई थी। जिसके चादर पर सिलवटें पड़ी हुई थी जिसे देखकर साफ पता चल रहा था कि हलवाई की बीवी इसी पर सो रही थी। घर के बीच में एक छोर से दूसरे छोर तक रस्सी बंधी हुई थी और उस रस्सी पर जरूरत के कपड़े टंगे हुए थे। हलवाई की बीवी दीवार में एक खील लगी हुई थी जिसमें वह लालटेन को टांग, दी,, लालटेन की लौ ज्यादा होने की वजह से पूरे घर में रोशनी बनी हुई थी। रघु अंदर तो आ गया था लेकिन दरवाजे के पास ही खड़ा था और दरवाजा अभी भी खुला हुआ था। उसके सारे कपड़े कीचड़ में सने हुए थे। हलवाई की बीवी इधर-उधर घूम कर एक तोलिया ढुंढ रही थी,,,। और तोलिया ढूंढने में इस कोने से उस कोने चक्कर काट रही थी,,, जिधर जिधर हलवाई की बीवी जा रही थी उधर उधर रघु की नजरें भी घूम रही थी इस तरह से रात के समय गांव से बाहर एक ही कमरे में एक खूबसूरत गदराए बदन की मालकिन के साथ खड़े रहने में रघु के तन बदन में जवानी के सोले भड़क रहे थे,,, बार-बार रघु की नजर न लगाए की बीवी के हर एक अंग पर घूम रही थी ज्यादा मोटी होने की वजह से उसकी चूचियां भी काफी बड़ी बड़ी थी और साथ ही उसके नितंबों का घेराव बेहद उन्मादक था,, कुल मिलाकर यह सब रघु के तन बदन में आग लगा रही थी,,,रघु की हालत खराब हो रही थी उसकी पहचान है मैं उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था जिससे उसके पजामे में तंबू सा बन गया था,,,और कुछ देर पहले ही जिस तरह से हलवाई की बीवी उसके ऊपर पूरी तरह से पसर गई थी,,, उसी हालात का फायदा उठाते हुए रघु जिंदगी में पहली बार किसी औरत के बड़े-बड़े नितंबों को अपने हाथ से छुआ था,,, और साथ ही अपने लंड के कड़क पन को उसकी टांगों के बीच के मुख्य द्वार पर ठोकर मारते हुए महसूस किया था,,, यह सब सोचकर ही रघु की हालत खराब हो रही थी,,,।
तभी हलवाई की बीवी के हाथ तोलिया लग गया और वह तोलिया रघु को थमाते हुए बोली,,।
ये लो अपने सारे कपड़े उतार कर इसे लपेट लो,,, और गंदे कपड़े को पानी में भिगोकर उसे रस्सी पर टांग दो।
(रघु उसके हाथ से तोलिया ले लिया और एक टक उसके खूबसूरत चेहरे को देखने लगा,, हलवाई की बीवी की भी नजर रघु की नजरों से टकरा गई,,,रघु के इस तरह से देखने में ना जाने कैसी कशिश थी कि वह एकदम से शर्मा गई और झट से अपनी नजरें मुस्कुराते हुए फेर ली और बोली।
जल्दी से आ जाओ मैं खाना लगा देती हूं,,,।
(रघु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें यह औरत इतनी रात को घर में तुम अकेली है और ऐसे में एक जवान लड़के को अपने ही घर में बुलाकर उसे खाना खिलाने जा रही है और वह भी सीधे-सीधे उसे अपने कपड़े उतार कर लड़का होने के लिए भी कह रही है भले ही तो लिया लपेटने की औपचारिकता बता रही है लेकिन जिस तरह से वह बोली के अपने सारे कपड़े उतार कर तोलिया लपेट लो,,, इससे उत्तेजना के मारे रघु का पूरा बदन गनगना गया था,,, रघु के तन बदन में जवानी के शोले भड़क रहे थे उसे ऐसा लग रहा था कि आज कुछ नया होने वाला है वह मन ही मन भगवान को मना भी रहा था कि आज की रात उसे जवानी का मजा चखने को मिल जाए,,, रघु और हलवाई की बीवी के लिए सबसे बड़ी राहत की बात यह थी कि उसका घर गांव से दूर था अगर गांव में होता तो अब तक रघु को आते जाते कोई ना कोई तो देख ही लेता,,, और जीस जगह पर हलवाई की बीवी रहती थी ,,, यहां पर भेड़ियों का उपद्रव कुछ ज्यादा ही था,,, इसलिए अंधेरा होते ही यहां पर गांव वाले भटकते भी नहीं थे,,,। रघु अभी भी उसी तरह से तोड़ दिया हाथ में पकड़े खड़ा था तो हलवाई की बीवी खाना निकालते निकालते बोली,,।)
शर्मा मत कपड़े बदल ले,, यहां पर तेरे और मेरे सिवा कोई और नहीं है,,,। (हलवाई की बीवी की बातें सुनकर रघु के तन बदन में कुछ-कुछ हो रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि हलवाई की बीवी की यह सब बातें उसकी तरफ से दी जाने वाले इशारे को समझे या इसका मतलब कुछ और है,,, रघु भी कम नहीं था उसका तो काम ही था आए दिन और तो और लड़कियों को झांकना,,, उसका मन बार-बार यही कह रहा था कि तू भी तो यही चाहता था कि किसी औरत के साथ ओ सब कुछ हो जो एक मर्द और औरत के बीच में होता है आज जब सब कुछ होने का अंदेशा लग रहा है तो इतनी झिझक क्यों,,, अपनी मन की बात को मानते हुए रघु अपने गंदे कपड़ों को निकालने लगा,,, एक औरत के सामने कपड़े उतारने में ना जाने क्यों उसे शर्म महसूस हो रही थी,, क्योंकि रघु पक्के तौर पर नहीं कह सकता था कि यह औरत क्या चाहती है,,, यह भी हो सकता है कि यह औरत उसके हालात पर तरस खाकर ऊसे खाना दे रही है या ये भी हो सकता है कि ईस औरत के मन में गंदे ख्याल आ रहे हो,,,।
धीरे-धीरे अपने कपड़े उतार रहा था एक-एक करके अपने शर्ट के बटन को खोल रहा था,,, हलवाई की बीवी के मन में कोई गंदा विचार बिल्कुल भी नहीं था,,, रघु अकेला भूखा प्यासा उसके द्वार पर बैठा हुआ था इसलिए उसे उसके ऊपर तरस आ गया था और उसके मुंह से निकले हुए तारीफ के शब्द सुनकर वह पूरी तरह से रघु से खुश हो गई थी लेकिन उसकी तरफ आकर्षित बिल्कुल भी नहीं थी,,।
वह खाना निकाल चुकी थी और वहीं बैठकर रघु के वहां आने का इंतजार कर रही थी,,, रघु अपना शर्ट उतार कर वही पानी भरे बाल्टी में डाल दिया,,,शर्ट के ऊपर जाने से रघु का चौड़ा सीना साफ नजर आने लगा जो कि लालटेन की रोशनी में चमक रहा था,,, रघु के ऊपर हलवाई की बीवी की नजर गई तो वह उसके बांके शरीर को देखकर अपनी नजरों को उस पर से हटा नहीं सकी,,, रघु बार-बार हलवाई की बीवी की तरफ देख ले रहा था और उसे अपनी तरफ देखता हुआ पाकर शर्म से नजरें झुका ले रहा था,, उसके पहचाने में तंबू बना हुआ था लेकिन वह ना जाने क्यों अपने तंबू को दिलवाई की बीवी की नजरों से बचा नहीं रहा था।। वह अपने पजामे में बने तंबू को बिल्कुल भी छुपा नहीं रहा था,,,,
अभी तक हलवाई की बीवी की नजर उसके चौड़ी छाती पर ही गई थी लेकिन जैसे ही रघु अपने पजामे को उतारने के लिए अपने पजामे की डोरी को खोलने लगा तब जाकर हलवाई की बीवी की नजर उसके पजामे में बने तंबू पर पड़ी,, और उस अद्भुत तंबू को देखकर वह एकदम से दंग रह गई,,, उसे समझते देर नहीं लगी की उसका लंड पूरी तरह से खड़ा है,,, वह शर्म के मारे अपनी नजरें नीचे झुका ली,,, उसे अब जाकर समझ में आया कि कहीं वह जवान लड़के को आधी रात में अपने घर में पनाह देकर गलती तो नहीं कर दी,,, रघु थोड़ा बेशर्म होता जा रहा था। जिस तरह से हलवाई की बीवी शर्मा कर अपनी नजरों को फेर ली थी उसे देखते हुए रघु की हिम्मत बढ़ने लगी थी ना जाने क्यों उसके मन में इस समय अपने खड़े लंड को उसे दिखाने की सुझ रही थी,, वह दूसरी तरफ अपना मुंह करके अपने कपड़े उतार सकता था लेकिन वह ऐसा नहीं किया वह इस तरह से खड़ा था कि जहां से हलवाई की बीवी को उसका सबकुछ नजर आता,,,
धीरे-धीरे रघु अपने पजामे की डोरी को खोल दिया,,, दूसरी तरफ हलवाई की बीवी की दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी जिस तरह का पजामे में तंबू बना हुआ था उसे देखते हुए उसे इतना तो समझ में आ ही गया था कि रघु के पजामे के अंदर उसका हथियार बड़ा ही है। ना चाहते हुए भी उसकी नजर बार-बार रघु के ऊपर चली जा रही थी,,, उसके मन में भी रघु के लंड को देखने की लालसा देखने लगी थी और रघु जानबूझकर अपने लंड को हलवाई की बीवी को दिखाना चाहता था,,, दोनों तरफ का माहौल धीरे-धीरे गरमाने लगा था।
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हलवाई की बीवी को यह समझ में नहीं आ रहा था कि आधी रात को एक जवान लड़के को अपने घर में बुलाकर उसने अच्छा कि या गलत,, लेकिन उसके सामने जो भी नजारा पेश हो रहा था उसे देख कर उसके तन बदन में ना जाने कैसे कैसे उमंग फेलने लगे थे,,, उसे भी यह सब अच्छा लग रहा था,,, उसने रघु के लिए खाना परोस चुकी थी,,, लेकिन ऐसा जान पड रहा था कि रघु हलवाई की बीवी के लिए कुछ और परोसने के इंतजाम में था,,
रघुनाथ ने पहचाने की डोरी को खोल चुका था पजामे की डोरी खुलते ही उसका पजामा एकदम ढीला हो गया,,, अगर वह हाथ से पकड़ कर ना रखा होता तो उसका पैजामा क्षण भर में ही उसके कदमों में गिरा होता,,,
रघु की आंखों में बेशर्मी साफ नजर आ रही थी,, वह औरत जो कि भूखा होने की वजह से उसे खाना खिलाने जा रही थी रघु उसी औरत को अब गंदी नजरों से देखने लगा था,,
रघु के तन बदन में आग लगी हुई थी और यही हाल हलवाई की बीवी का भी था,,, पजामे में बने तंबू को देखकर वह रघु के लंड के बारे में उसके आकार के बारे में तर्क लगाना शुरू कर दी थी,,,बार-बार वह अपनी नजरों को ऊपर करके रघु की तरफ देख ले रही थी कि कब वह अपने पजामे को नीचे करें और उसे उसके लंड के दर्शन हो जाए,,, हलवाई की बीवी शादी के बाद से अपने घर गृहस्ती में ऐसी ऊलझी की ऊलझ के रह गई,, शादी के पहले वह अपने खेतों में काम करते हुए मजदूरों के साथ चुदाई का भरपूर मजा ली थी,, शादी के पहले उसका गोरा बदन बेहद आकर्षक और कसा हुआ था जो कि शादी के बाद एकदम जलेबी और समोसे छान छान कर डीलडोल हो गया था। शादी के बाद उसे अपने पति से शारीरिक सुख बराबर मिल रहा था जिससे वह किसी गैर मर्द के बारे में कभी सोची भी नहीं थी ऐसे में एक बार उसका देवर उसके साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश कर रहा था तो वह उसके गाल पर दो तमाचा मार कर उसे होश में ला दी थी,,, अपने पति से चुदाई का भरपूर सुख मिलने की वजह से वह अपने कदम को इधर-उधर बहकने नहीं दी थी,,, लेकिन एक बेटी को जन्म देने के बाद से उसके जीवन में परिवर्तन आना शुरू हो गया उसका शरीर बड़ी तेजी से एकदम मोटा हो गया और कामकाज में वह ईतना व्यस्त रहने लगी कि अपने शरीर के प्रति वह कभी ध्यान ही नहीं दे सकी,,, उसके पति का भी शरीर पहले की तरह कसा हुआ और हट्टा कट्टा नहीं रह गया था उसके पति की भी तोंद निकल आई थी जिससे तोंद के नीचे उसका तगड़ा लंड छोटा लगने लगा था,,, और खुद की भारी-भरकम शरीर हो जाने की वजह से दोनों में अच्छी तरह से चुदाई नहीं हो पा रही थी,,।यह बात हलवाई की बीवी को जल्द ही समझ में आ गई थी कि अब वह अपने शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति अच्छी तरह से नहीं कर पाएगी,, तब से लेकर आज तक वह ऐसे ही अपना जीवन व्यतीत कर रही थी लेकिन आज की रात उसे ऐसा लग रहा था कि उसके जीवन में कुछ बदलाव होने वाला है,,,।
उसके दिल की धड़कन बड़ी तेजी से चल रही थी,, वह रसोई के पास बैठी हुई थी,, उसके आगे भोजन की थाली पड़ी हुई थी,,, रघु के मन में भी असमंजसता छाई हुई थी,,
उसका एक मन कहता था कि पैजामा उतार कर हलवाई की बीवी को अपना मोटा तगड़ा लंड के दर्शन करा दे लेकिन फिर वह सोचता है कि अगर ऐसा करने पर वह नाराज हो गई तो क्या होगा,,,,, लेकिन फिर उसके मन में ख्याल आता है कि जो होगा देखा जाएगा आखिरकार अगर हलवाई की बीवी को ऐतराज होता तो वह तभी उसे अपने कमरे में नहीं बुलाती जब वह उसके ऊपर एकदम से पसर गई थी और उसके मोटे तगड़े लंड को अपनी टांगों के बीच एकदम साफ तौर पर महसूस की थी,,,और एक अनुभवी औरत होने के नाते उसे इतना तो पता ही होगा कि एक मर्द का लंड किस अवस्था में और कब खड़ा होता है,,। और वैसे भी इस समय हलवाई की बीवी घर में अकेली थी रात की तन्हाई और पैसे में घर में गैर जवान लड़का यह सब सोचकर ही शायद हलवाई की बीवी का मन बदल जाए,,,
रघु अपने ढीले पजामे को हलवाई की बीवी की तरफ नशीली आंखों से देखते हुए धीरे-धीरे नीचे करने लगा,,, पजामे के ऊपरी सतह कमर पर का भाग का घेराव रघु के कमर के हिसाब से ही था लेकिन इस समय रघु का लंड पूरी तरह से खाना था जो कि काफी बड़ा था और इसलिए रघु अपने पजामे को नीचे करते समय लड़के खड़े होने की वजह से पजामे का घेराव छोटा पड़ने लगा,,, और पैजामा कमर से थोड़ा ही नीचे आकर फिर से अटक गया,,, रघु की आंखों में एक औरत के सामने अपने कपड़े उतारने का नशा साफ नजर आ रहा था उसकी आंखों में खुमारी छाई हुई थी जहां पर उसका पजामा अटक सा गया था,,, रघु को मालूम था कि यह किस वजह से हो रहा है रघु की आंखों में इतनी ज्यादा बेशर्मी नजर आ रही थी कि वह हलवाई की बीवी की आंखों के सामने ही,,, एक हाथ अपने पजामें में डालकर अपने खड़े लंड को पकड़ लिया और उसे अपनी मुट्ठी में पकड़े हुए ही उसे अपने पेट की तरफ उठाया जिससे एक बार फिर से उसके पास जाने का खेड़ा उसकी कमर के हिसाब से एकदम बराबर हो गया और वह एक हांथ से अपनी पजामे को नीचे उतारने लगा,,,, हलवाई की बीवी ये सब चोरी-चोरी अपनी तिरछी नजरों से देख रही थी,, उसे रघु की यह हरकत एकदम साफ नजर आई थी,, जिस तरह से रघु अपना एक हाथ पजामे में डालकर अपने लंड को पकड़ा था उसकी हरकत हलवाई की बीवी के तन बदन में आग लगा गई थी,,, ऊसे समझते देर नहीं लगी थी कि तरघु बेहद बेशर्म लड़का है,,,, सब कुछ अपनी आंखों से देखने के बावजूद भी हलवाई की बीवी रघु के आकर्षण में इस तरह से रंग गई थी कि वह उसे मना भी नहीं कर पा रही थी ना तो उसे अपने घर से चले जाने के लिए बोल पा रही थी,,,,रघु थोड़ा सा झुक कर अपनी पहचाने को घुटनों तक लाया और अपने दूसरे हाथ में पकड़े अपने लंड को छोड़ दिया और जैसे ही वह अपने लंड को छोड़ा उसका लंबा मोटा लैंड हवा में लहराने लगा जोकि यह नजारा हलवाई की बीवी की आंखों से बच नहीं सका,,,जैसे ही उसकी नजरों ने रघु के मोटे तगड़े लंड को हवा में लहराते हुए देखा,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई जिंदगी में उसने इस तरह के मोटे तगड़े लंड के दर्शन नहीं किए थे,,, उसकी हालत खराब होती जा रही थी सांसो की गति तीव्र होने लगी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह रघु के लंड को एकटक देखती रहे या उस पर से नजरे हटा ले,,, रघु को अच्छी तरह से मालूम था कि उसका लंड हवा में ऊपर नीचे झुल रहा है,,, घुटनों से वापस जाने को पीछे छोड़ दिया उसका पैजामा उसके पैरों में जाकर गिर गया जिसे वह अपने पैरों के सहारे से बाहर निकालने लगा और अपनी प्यासी नजरों से हलवाई की बीवी को देखने लगा जो कि मदहोश होकर उसी की तरफ देख रही थी रघु को उसकी नजरें देखकर इतना तो पता ही था कि वह उसकी तरफ नहीं बल्कि उसकी टांगों के बीच में झूलते हुए उसके लंड को देख रही थी,,, रघु मन ही मन में प्रसन्न हो रहा था,,क्योंकि हलवाई की बीवी की हालत को देखकर उसे इतना समझ में आ गया था कि वह नाराज नहीं है बल्कि उसके मोटे खड़े लंड को देखकर बदहवाश हो गई है,,,
रघु की कामुकता भरी हरकत और उसके झूलते हुए लंड को देखकर हलवाई की बीवी की टांगों के बीच में हलचल होना शुरू हो गया था,,, काफी महीने गुजर गए थे उसे उत्तेजना का अनुभव किए हुए लेकिन पलभर में ही उसे उत्तेजना का एहसास होने लगा था,,,।
हलवाई की बीवी बार-बार रघु की तरफ देख रही थी उसके मन में ना जाने कैसे-कैसे विचार आ रहे थे रघु के बमपिलाट लंड को देखकर उसकी रसीली बुर कुलबुलाने लगी थी,,, बहुत दिनों बाद उसे अपनी बुर के अंदर हलचल होती हुई महसूस हो रही थी,,, बहुत दिनों बाद उसे अपनी बुर की अंदरूनी दीवारें नमी युक्त महसूस हो रही थी उसमें से पानी रिसने लगा था,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूख रहा था बार-बार वह अपने थुक से अपने गले को गिला करने की कोशिश कर रही थी,, रघु के लिए यह पहला मौका था जब वह किसी औरत के सामने जानबूझकर अपने लंड का प्रदर्शन कर रहा था,,, और उसे ऐसा करने में बेहद उत्तेजना और आनंद की अनुभूति हो रही थी,,,। उसे लगने लगा था कि जो कुछ भी होता है अच्छे के लिए ही होता है अच्छा ही हुआ कि उसकी मां ने उसे डांट कर भगा दी वरना आज वह इस अतुल्य पल को जी नहीं पाता,,,
देखते ही देखते रघु हलवाई की बीवी की आंखों के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगा हो गया। और वह अपनी गंदे कपड़ों को पानी भरी बाल्टी में डालता ,,इससे पहले ही वह जानबूझकर हलवाई की बीवी की आंखों के सामने एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर उसे कुछ सेकेंड तक ऊपर नीचे करके हिलाना शुरू कर दिया सच मानो उसे ऐसा करने में अद्भुत सुख का अहसास हो रहा था मानो सच में वह संभोग सुख को महसूस कर रहा हो लेकिन रघु की यह हरकत हलवाई की बीवी के तन बदन में जवानी का वह सोला भड़काने लगी जोकि उसने आज तक अपनी बदन में उस शोले को भड़कते हुए महसूस नहीं की थी,,
लंड हिलाने की क्रिया को वह जानबूझकर ही किया था,,, और हलवाई की बीवी इस नजारे को देखकर एकदम मंत्रमुग्ध हो गई उत्तेजना के मारे उसका हलक सूखने लगा,, उसे रहा नहीं जा रहा था रघु की यह हरकत ऊसके बर्दाश्त के बाहर थी,,, उसके जी मैं आ रहा था कि उठ कर उसके पास चली जाए और उसके खड़े लंड को अपने हाथ में लेकर उससे जी भर कर खेलें,,, लेकिन ऐसा करने की हिम्मत उसमे बिल्कुल भी नहीं थी,,, रघु की इस तरह की हरकत से वह बेहद शर्मसार हुई जा रही थी साथ में उत्तेजित भी,,, रघु बेशर्म की तरह अपने बदन पर टावल लपेटे बीना ही,, गंदे कपड़ों को बाल्टी में डालने लगा और उसे धोने लगा,,, जैसे-जैसे वह बाल्टी में कपड़े धोने के लिए अपने हाथ को हिला रहा था वैसे वैसे उसकी टांगों के बीच का मोटा तगड़ा लंड लहरा रहा था,,,, जिसे देख देख कर हलवाई की बीवी अपनी आंखों के साथ-साथ अपने तन बदन को भी सेंक रही थी,, ,,, देखते ही देखते रघु अपने गंदे कपड़ों को साफ कर लिया,,, और उसे बाल्टी में से निकाल कर उसका पानी नीचोड़ कर,,, बोला,,,।
चाची इस रस्सी पर इसे फैला दुं।
( रघु की आवाज सुनते ही वो एकदम से झेंप गई,,, उसके मुंह से एक भी शब्द नहीं फुटे,,, बस वह हां में सिर हिला दी,, रघु मुस्कुराते हुए अपने गीले कपड़े को उस रस्सी पर फैला दिया और हलवाई की बीवी के द्वारा दी गई तौलिए को अपने कमर पर लपेट कर अपने तगड़े लंड के प्रदर्शन पर पर्दा गिरा दिया लेकिन उसके उभार पन को छुपा पाने में वह तोलिया असमर्थ हो गया,,, क्योंकि तौलिए में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था,,, जिसे रघु एक बार फिर से हलवाई की बीवी की नजरों से छुपाने की बिल्कुल भी दरकार नहीं लिया और उसी तरह से उसकी तरफ आगे बढ़ते हुए बोला,,।)
चाची मुझे माफ करना तोलिया गंदा ना हो जाए इसलिए मैं अपने सारे कपड़े उतार कर साफ करने के बाद तोलिया लपेटा,,,
(रघु उसी तरह से लंबा सा तंबू बनाए हुए हलवाई की बीवी की तरफ आगे बढ़ा आ रहा था,,, हलवाई की बीवी उसके लंबे तगड़े तंबू को देखकर एकदम उत्तेजित होने लगी उसे अपने पैरों में कंपन सा महसूस होने लगा,,,और वह अपनी नजरों को शर्म के मारे नीचे करते हुए सिर्फ इतना ही बोल पाई,,।)
कोई बात नहीं,,, अब खाना खा ले,,,
अरे वाह चाची तुम तो आज मेरी सबसे पसंदीदा पूरी और सब्जी बनाई हो,,,
तेरे घर नहीं बनती है क्या,,,? (हलवाई की बीवी एक बार फिर से अपनी नजरों को ऊपर करते हुए बोली लेकिन फिर से रघु के चोलिया में बने तंबू को देखकर शर्म के मारे वापस नजरें नीचे झुका ली,,)
बनती है लेकिन कभी-कभी,,,,
चल तब तो अच्छा है कि खाना भी तेरे पसंद का है,,,।
यहां बहुत कुछ मेरे पसंद का है चाची,,,
(रघु की यह बात सुनकर हलवाई की बीवी एकदम से जीत गई और पल भर के लिए ऊपर की तरफ नजर की तो वह रघु की नजरों को अपनी दोनों चूचियों के बीच की गहराई पर गडती हुई महसूस की तो वह शर्म के मारे अपनी साडी ठीक करते हुए बोली,,)
चल जल्दी से खाना खा ले मुझे क्या मालूम कि तेरी पसंद का क्या क्या है,,,।
(हलवाई की बीवी की बात सुनकर रघु मुस्कुराते हुए पलाठी मारकर नीचे बैठ गया और खाना खाने लगा,,, हलवाई की बीवी के मन में इस बात से उन्मादकता जागने लगी थी कि इस उम्र में भी एक जवान लड़का उसकी चूचियों को घूर रहा था इसका मतलब साफ था कि इस उमर में भी उसकी जवानी की याद बरकरार थी भले ही वह मोटी हो गई थी लेकिन अभी भी वह आकर्सक थी,,,। हलवाई की बीवी की भी हसरते जागने लगी थी उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि गांव के बाहर वह इस घर में एक जवान लड़के के साथ अकेली थी और वह भी ऐसे लड़के के साथ जो कि खुद उस में ज्यादा दिलचस्पी ले रहा था ऐसे हालात में हलवाई की बीवी के तन बदन में आग लग रही थी और उसका मन बहक रहा था और वैसे भी वह आज घर में अकेली ही थी,,, काफी दिनों से उसकी बुर में अच्छी तरह से लंड नही घुसा था,, इसलिए आज रघु के मोटे तगड़े लंड को देखकर उसकी बुर में खुजली होने लगी थी। हलवाई की बीवी मन में बहुत कुछ सोच रही थी,,उसके मन में बार-बार यह ख्याल आ रहा था कि क्यों ना आज की रात अपनी पति की गैरमौजूदगी में इस मौके का फायदा उठा लिया जाए।
…………………………………………हलवाई की बीवी को यह समझ में नहीं आ रहा था कि आधी रात को एक जवान लड़के को अपने घर में बुलाकर उसने अच्छा कि या गलत,, लेकिन उसके सामने जो भी नजारा पेश हो रहा था उसे देख कर उसके तन बदन में ना जाने कैसे कैसे उमंग फेलने लगे थे,,, उसे भी यह सब अच्छा लग रहा था,,, उसने रघु के लिए खाना परोस चुकी थी,,, लेकिन ऐसा जान पड रहा था कि रघु हलवाई की बीवी के लिए कुछ और परोसने के इंतजाम में था,,
रघुनाथ ने पहचाने की डोरी को खोल चुका था पजामे की डोरी खुलते ही उसका पजामा एकदम ढीला हो गया,,, अगर वह हाथ से पकड़ कर ना रखा होता तो उसका पैजामा क्षण भर में ही उसके कदमों में गिरा होता,,,
रघु की आंखों में बेशर्मी साफ नजर आ रही थी,, वह औरत जो कि भूखा होने की वजह से उसे खाना खिलाने जा रही थी रघु उसी औरत को अब गंदी नजरों से देखने लगा था,,
रघु के तन बदन में आग लगी हुई थी और यही हाल हलवाई की बीवी का भी था,,, पजामे में बने तंबू को देखकर वह रघु के लंड के बारे में उसके आकार के बारे में तर्क लगाना शुरू कर दी थी,,,बार-बार वह अपनी नजरों को ऊपर करके रघु की तरफ देख ले रही थी कि कब वह अपने पजामे को नीचे करें और उसे उसके लंड के दर्शन हो जाए,,, हलवाई की बीवी शादी के बाद से अपने घर गृहस्ती में ऐसी ऊलझी की ऊलझ के रह गई,, शादी के पहले वह अपने खेतों में काम करते हुए मजदूरों के साथ चुदाई का भरपूर मजा ली थी,, शादी के पहले उसका गोरा बदन बेहद आकर्षक और कसा हुआ था जो कि शादी के बाद एकदम जलेबी और समोसे छान छान कर डीलडोल हो गया था। शादी के बाद उसे अपने पति से शारीरिक सुख बराबर मिल रहा था जिससे वह किसी गैर मर्द के बारे में कभी सोची भी नहीं थी ऐसे में एक बार उसका देवर उसके साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश कर रहा था तो वह उसके गाल पर दो तमाचा मार कर उसे होश में ला दी थी,,, अपने पति से चुदाई का भरपूर सुख मिलने की वजह से वह अपने कदम को इधर-उधर बहकने नहीं दी थी,,, लेकिन एक बेटी को जन्म देने के बाद से उसके जीवन में परिवर्तन आना शुरू हो गया उसका शरीर बड़ी तेजी से एकदम मोटा हो गया और कामकाज में वह ईतना व्यस्त रहने लगी कि अपने शरीर के प्रति वह कभी ध्यान ही नहीं दे सकी,,, उसके पति का भी शरीर पहले की तरह कसा हुआ और हट्टा कट्टा नहीं रह गया था उसके पति की भी तोंद निकल आई थी जिससे तोंद के नीचे उसका तगड़ा लंड छोटा लगने लगा था,,, और खुद की भारी-भरकम शरीर हो जाने की वजह से दोनों में अच्छी तरह से चुदाई नहीं हो पा रही थी,,।यह बात हलवाई की बीवी को जल्द ही समझ में आ गई थी कि अब वह अपने शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति अच्छी तरह से नहीं कर पाएगी,, तब से लेकर आज तक वह ऐसे ही अपना जीवन व्यतीत कर रही थी लेकिन आज की रात उसे ऐसा लग रहा था कि उसके जीवन में कुछ बदलाव होने वाला है,,,।
उसके दिल की धड़कन बड़ी तेजी से चल रही थी,, वह रसोई के पास बैठी हुई थी,, उसके आगे भोजन की थाली पड़ी हुई थी,,, रघु के मन में भी असमंजसता छाई हुई थी,,
उसका एक मन कहता था कि पैजामा उतार कर हलवाई की बीवी को अपना मोटा तगड़ा लंड के दर्शन करा दे लेकिन फिर वह सोचता है कि अगर ऐसा करने पर वह नाराज हो गई तो क्या होगा,,,,, लेकिन फिर उसके मन में ख्याल आता है कि जो होगा देखा जाएगा आखिरकार अगर हलवाई की बीवी को ऐतराज होता तो वह तभी उसे अपने कमरे में नहीं बुलाती जब वह उसके ऊपर एकदम से पसर गई थी और उसके मोटे तगड़े लंड को अपनी टांगों के बीच एकदम साफ तौर पर महसूस की थी,,,और एक अनुभवी औरत होने के नाते उसे इतना तो पता ही होगा कि एक मर्द का लंड किस अवस्था में और कब खड़ा होता है,,। और वैसे भी इस समय हलवाई की बीवी घर में अकेली थी रात की तन्हाई और पैसे में घर में गैर जवान लड़का यह सब सोचकर ही शायद हलवाई की बीवी का मन बदल जाए,,,
रघु अपने ढीले पजामे को हलवाई की बीवी की तरफ नशीली आंखों से देखते हुए धीरे-धीरे नीचे करने लगा,,, पजामे के ऊपरी सतह कमर पर का भाग का घेराव रघु के कमर के हिसाब से ही था लेकिन इस समय रघु का लंड पूरी तरह से खाना था जो कि काफी बड़ा था और इसलिए रघु अपने पजामे को नीचे करते समय लड़के खड़े होने की वजह से पजामे का घेराव छोटा पड़ने लगा,,, और पैजामा कमर से थोड़ा ही नीचे आकर फिर से अटक गया,,, रघु की आंखों में एक औरत के सामने अपने कपड़े उतारने का नशा साफ नजर आ रहा था उसकी आंखों में खुमारी छाई हुई थी जहां पर उसका पजामा अटक सा गया था,,, रघु को मालूम था कि यह किस वजह से हो रहा है रघु की आंखों में इतनी ज्यादा बेशर्मी नजर आ रही थी कि वह हलवाई की बीवी की आंखों के सामने ही,,, एक हाथ अपने पजामें में डालकर अपने खड़े लंड को पकड़ लिया और उसे अपनी मुट्ठी में पकड़े हुए ही उसे अपने पेट की तरफ उठाया जिससे एक बार फिर से उसके पास जाने का खेड़ा उसकी कमर के हिसाब से एकदम बराबर हो गया और वह एक हांथ से अपनी पजामे को नीचे उतारने लगा,,,, हलवाई की बीवी ये सब चोरी-चोरी अपनी तिरछी नजरों से देख रही थी,, उसे रघु की यह हरकत एकदम साफ नजर आई थी,, जिस तरह से रघु अपना एक हाथ पजामे में डालकर अपने लंड को पकड़ा था उसकी हरकत हलवाई की बीवी के तन बदन में आग लगा गई थी,,, ऊसे समझते देर नहीं लगी थी कि तरघु बेहद बेशर्म लड़का है,,,, सब कुछ अपनी आंखों से देखने के बावजूद भी हलवाई की बीवी रघु के आकर्षण में इस तरह से रंग गई थी कि वह उसे मना भी नहीं कर पा रही थी ना तो उसे अपने घर से चले जाने के लिए बोल पा रही थी,,,,रघु थोड़ा सा झुक कर अपनी पहचाने को घुटनों तक लाया और अपने दूसरे हाथ में पकड़े अपने लंड को छोड़ दिया और जैसे ही वह अपने लंड को छोड़ा उसका लंबा मोटा लैंड हवा में लहराने लगा जोकि यह नजारा हलवाई की बीवी की आंखों से बच नहीं सका,,,जैसे ही उसकी नजरों ने रघु के मोटे तगड़े लंड को हवा में लहराते हुए देखा,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई जिंदगी में उसने इस तरह के मोटे तगड़े लंड के दर्शन नहीं किए थे,,, उसकी हालत खराब होती जा रही थी सांसो की गति तीव्र होने लगी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह रघु के लंड को एकटक देखती रहे या उस पर से नजरे हटा ले,,, रघु को अच्छी तरह से मालूम था कि उसका लंड हवा में ऊपर नीचे झुल रहा है,,, घुटनों से वापस जाने को पीछे छोड़ दिया उसका पैजामा उसके पैरों में जाकर गिर गया जिसे वह अपने पैरों के सहारे से बाहर निकालने लगा और अपनी प्यासी नजरों से हलवाई की बीवी को देखने लगा जो कि मदहोश होकर उसी की तरफ देख रही थी रघु को उसकी नजरें देखकर इतना तो पता ही था कि वह उसकी तरफ नहीं बल्कि उसकी टांगों के बीच में झूलते हुए उसके लंड को देख रही थी,,, रघु मन ही मन में प्रसन्न हो रहा था,,क्योंकि हलवाई की बीवी की हालत को देखकर उसे इतना समझ में आ गया था कि वह नाराज नहीं है बल्कि उसके मोटे खड़े लंड को देखकर बदहवाश हो गई है,,,
रघु की कामुकता भरी हरकत और उसके झूलते हुए लंड को देखकर हलवाई की बीवी की टांगों के बीच में हलचल होना शुरू हो गया था,,, काफी महीने गुजर गए थे उसे उत्तेजना का अनुभव किए हुए लेकिन पलभर में ही उसे उत्तेजना का एहसास होने लगा था,,,।
हलवाई की बीवी बार-बार रघु की तरफ देख रही थी उसके मन में ना जाने कैसे-कैसे विचार आ रहे थे रघु के बमपिलाट लंड को देखकर उसकी रसीली बुर कुलबुलाने लगी थी,,, बहुत दिनों बाद उसे अपनी बुर के अंदर हलचल होती हुई महसूस हो रही थी,,, बहुत दिनों बाद उसे अपनी बुर की अंदरूनी दीवारें नमी युक्त महसूस हो रही थी उसमें से पानी रिसने लगा था,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूख रहा था बार-बार वह अपने थुक से अपने गले को गिला करने की कोशिश कर रही थी,, रघु के लिए यह पहला मौका था जब वह किसी औरत के सामने जानबूझकर अपने लंड का प्रदर्शन कर रहा था,,, और उसे ऐसा करने में बेहद उत्तेजना और आनंद की अनुभूति हो रही थी,,,। उसे लगने लगा था कि जो कुछ भी होता है अच्छे के लिए ही होता है अच्छा ही हुआ कि उसकी मां ने उसे डांट कर भगा दी वरना आज वह इस अतुल्य पल को जी नहीं पाता,,,
देखते ही देखते रघु हलवाई की बीवी की आंखों के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगा हो गया। और वह अपनी गंदे कपड़ों को पानी भरी बाल्टी में डालता ,,इससे पहले ही वह जानबूझकर हलवाई की बीवी की आंखों के सामने एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर उसे कुछ सेकेंड तक ऊपर नीचे करके हिलाना शुरू कर दिया सच मानो उसे ऐसा करने में अद्भुत सुख का अहसास हो रहा था मानो सच में वह संभोग सुख को महसूस कर रहा हो लेकिन रघु की यह हरकत हलवाई की बीवी के तन बदन में जवानी का वह सोला भड़काने लगी जोकि उसने आज तक अपनी बदन में उस शोले को भड़कते हुए महसूस नहीं की थी,,
लंड हिलाने की क्रिया को वह जानबूझकर ही किया था,,, और हलवाई की बीवी इस नजारे को देखकर एकदम मंत्रमुग्ध हो गई उत्तेजना के मारे उसका हलक सूखने लगा,, उसे रहा नहीं जा रहा था रघु की यह हरकत ऊसके बर्दाश्त के बाहर थी,,, उसके जी मैं आ रहा था कि उठ कर उसके पास चली जाए और उसके खड़े लंड को अपने हाथ में लेकर उससे जी भर कर खेलें,,, लेकिन ऐसा करने की हिम्मत उसमे बिल्कुल भी नहीं थी,,, रघु की इस तरह की हरकत से वह बेहद शर्मसार हुई जा रही थी साथ में उत्तेजित भी,,, रघु बेशर्म की तरह अपने बदन पर टावल लपेटे बीना ही,, गंदे कपड़ों को बाल्टी में डालने लगा और उसे धोने लगा,,, जैसे-जैसे वह बाल्टी में कपड़े धोने के लिए अपने हाथ को हिला रहा था वैसे वैसे उसकी टांगों के बीच का मोटा तगड़ा लंड लहरा रहा था,,,, जिसे देख देख कर हलवाई की बीवी अपनी आंखों के साथ-साथ अपने तन बदन को भी सेंक रही थी,, ,,, देखते ही देखते रघु अपने गंदे कपड़ों को साफ कर लिया,,, और उसे बाल्टी में से निकाल कर उसका पानी नीचोड़ कर,,, बोला,,,।
चाची इस रस्सी पर इसे फैला दुं।
( रघु की आवाज सुनते ही वो एकदम से झेंप गई,,, उसके मुंह से एक भी शब्द नहीं फुटे,,, बस वह हां में सिर हिला दी,, रघु मुस्कुराते हुए अपने गीले कपड़े को उस रस्सी पर फैला दिया और हलवाई की बीवी के द्वारा दी गई तौलिए को अपने कमर पर लपेट कर अपने तगड़े लंड के प्रदर्शन पर पर्दा गिरा दिया लेकिन उसके उभार पन को छुपा पाने में वह तोलिया असमर्थ हो गया,,, क्योंकि तौलिए में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था,,, जिसे रघु एक बार फिर से हलवाई की बीवी की नजरों से छुपाने की बिल्कुल भी दरकार नहीं लिया और उसी तरह से उसकी तरफ आगे बढ़ते हुए बोला,,।)
चाची मुझे माफ करना तोलिया गंदा ना हो जाए इसलिए मैं अपने सारे कपड़े उतार कर साफ करने के बाद तोलिया लपेटा,,,
(रघु उसी तरह से लंबा सा तंबू बनाए हुए हलवाई की बीवी की तरफ आगे बढ़ा आ रहा था,,, हलवाई की बीवी उसके लंबे तगड़े तंबू को देखकर एकदम उत्तेजित होने लगी उसे अपने पैरों में कंपन सा महसूस होने लगा,,,और वह अपनी नजरों को शर्म के मारे नीचे करते हुए सिर्फ इतना ही बोल पाई,,।)
कोई बात नहीं,,, अब खाना खा ले,,,
अरे वाह चाची तुम तो आज मेरी सबसे पसंदीदा पूरी और सब्जी बनाई हो,,,
तेरे घर नहीं बनती है क्या,,,? (हलवाई की बीवी एक बार फिर से अपनी नजरों को ऊपर करते हुए बोली लेकिन फिर से रघु के चोलिया में बने तंबू को देखकर शर्म के मारे वापस नजरें नीचे झुका ली,,)
बनती है लेकिन कभी-कभी,,,,
चल तब तो अच्छा है कि खाना भी तेरे पसंद का है,,,।
यहां बहुत कुछ मेरे पसंद का है चाची,,,
(रघु की यह बात सुनकर हलवाई की बीवी एकदम से जीत गई और पल भर के लिए ऊपर की तरफ नजर की तो वह रघु की नजरों को अपनी दोनों चूचियों के बीच की गहराई पर गडती हुई महसूस की तो वह शर्म के मारे अपनी साडी ठीक करते हुए बोली,,)
चल जल्दी से खाना खा ले मुझे क्या मालूम कि तेरी पसंद का क्या क्या है,,,।
(हलवाई की बीवी की बात सुनकर रघु मुस्कुराते हुए पलाठी मारकर नीचे बैठ गया और खाना खाने लगा,,, हलवाई की बीवी के मन में इस बात से उन्मादकता जागने लगी थी कि इस उम्र में भी एक जवान लड़का उसकी चूचियों को घूर रहा था इसका मतलब साफ था कि इस उमर में भी उसकी जवानी की याद बरकरार थी भले ही वह मोटी हो गई थी लेकिन अभी भी वह आकर्सक थी,,,। हलवाई की बीवी की भी हसरते जागने लगी थी उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि गांव के बाहर वह इस घर में एक जवान लड़के के साथ अकेली थी और वह भी ऐसे लड़के के साथ जो कि खुद उस में ज्यादा दिलचस्पी ले रहा था ऐसे हालात में हलवाई की बीवी के तन बदन में आग लग रही थी और उसका मन बहक रहा था और वैसे भी वह आज घर में अकेली ही थी,,, काफी दिनों से उसकी बुर में अच्छी तरह से लंड नही घुसा था,, इसलिए आज रघु के मोटे तगड़े लंड को देखकर उसकी बुर में खुजली होने लगी थी। हलवाई की बीवी मन में बहुत कुछ सोच रही थी,,उसके मन में बार-बार यह ख्याल आ रहा था कि क्यों ना आज की रात अपनी पति की गैरमौजूदगी में इस मौके का फायदा उठा लिया जाए।
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Mastt halkat kahani hei re babaa…
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