Adultery हादसा -Dost ki biwi ki chudai

बेड के हेडबोर्ड के पास बैठी सुरभि उत्सुकता से दरवाजे की ओर देख रही थी. विजय को दरवाजे से बाहर निकले पंद्रह मिनट हो चुके थे. उसे कुछ पता नहीं था कि उसके और लोकेश के बीच में क्या हो रहा था. वो अपनी साँसे थामे दरवाजे को देख रही थी एक तक.

हादसा -Dost ki biwi ki chudai

अचानक बाहर क़दमों की आहट हुई. सुरभि के दिल से आवाज आई कि शायद लोकेश अंदर आ रहा है. उसकी योनी मचल उठी इस ख्याल से और हल्का सा पानी भी छोड़ गई.

दरवाजा खुला और विजय अंदर दाखिल हुआ. अंदर आते ही उसने कुण्डी लगा ली. विजय को देख कर सुरभि को हलकी सी निराशा हुई. वो तो लोकेश को देखने की उम्मीद कर रही थी.

“क्या हुआ?” सुरभि ने पूछा.

“उसने हमारी पूरी बातचीत सुन ली सुरभि…” विजय ने सुरभि के पास आते हुए कहा.

“ओह… मुझे लग ही रहा था कि वो हमारी सारी बातें सुन चुका होगा. वो आखिर यहाँ कर क्या रहा था.”

तभी सुरभि का ध्यान उन कपड़ो पर गया जो विजय ने हाथ में पकड़े हुए थे.

“ये तुम्हारे हाथ में क्या है विजय?” सुरभि ने पूछा.

“यह एक मिनी स्कर्ट और टॉप है…”

“मिनी स्कर्ट और टॉप?”

“हाँ … वो तुम्हें इन कपड़ों में नीचे बुला रहा है. इस ड्रेस में तुम्हें देखना चाहता है वो,” विजय ने उसकी ओर कपड़े बढ़ाते हुए कहा.

सुरभि ने कपड़े पकड़ लिए और उनको उलट पलट कर देखने लगी. शॉर्ट लेंथ स्कर्ट और लो नेक टॉप का जोड़ा था. बहुत ही भड़काऊ क़िस्म के कपड़े थे वो. जैसे कि उन्हें शरीर ढकने के लिए नहीं बल्कि अंग प्रदर्शन के लिए डिज़ाइन किया गया हो. जब उसने उन कपड़ों में खुद की कल्पना की तो उसका चेहरा शर्म के मारे लाल हो गया.

“मैं उसके सामने ये कपड़े नहीं पहन सकती, विजय” ,सुरभि ने कहा.

“क्यों? अभी कुछ देर पहले तो तुम उसके सामने बिना कपड़ों के ही थी…बोलो थी ना?”

“हाँ…ये तो है लेकिन…”

विजय बिस्तर के किनारे पर बैठ गया और उसके बाएं उभार को सहलाते हुए बोला, “पर वर छोड़ो…इन कपड़ों में तुम बहुत खूबसूरत लगोगी.”

“तुम ये क्या कह रहे हो, विजय? क्या तुम्हें इस बात में भी मज़ा आ रहा है?” सुरभि ने मुस्कुराते हुए पूछा.

“हाँ…इसमें अजीब क्या है. हम पहले से ही कुछ ऐसा करने के बारे में बात कर रहे थे, हैं ना? यही मौका है अपनी फैंटेसी जीने का. और हाँ…तुम्हें इन कपड़ों में देखकर और भी मज़ा आएगा.”

“मैं नहीं पहनने वाली इतने छोटे-छोटे कपड़े,” उसने अपने निचले होंठ को चबाते हुए कहा.

“अरे बेबी छोड़ो ना… क्या तुम हॉट और सेक्सी नहीं दिखना चाहती…?”

विजय ने मुस्कुराते हुए कहा.

“मैं उसके सामने ऐसे कपड़े कैसे पहन सकती हूँ विजय… समझने की कोशिश करो?”

“इसमें समझने या समझाने जैसा कुछ भी नहीं है बेबी. भगवान ने तुम्हें इतना सुंदर शरीर दिया है, उसको दिखाने में क्या जिझकना. मैं तो तुम्हें कहूँगा कि थोड़ी बोल्ड बनो और पहन लो ये ड्रेस. वैसे तो वो तुम्हें बिना कपड़ों के देख ही चुका है. तो फिर उस से शर्मना कैसा. मुझे पक्का यक़ीन है कि इस ड्रेस में तुम उसके पसीने छुड़ा दोगी.”

सुरभि ने ड्रेस को देखा एक बार फिर. “यार ये ड्रेस हद से ज्यादा छोटी है…”

“मैं फिर वही कहूँगा… जब उसने तुम्हें पहले ही नंगा देख लिया है और तुम्हारे साथ सेक्स भी कर लिया है तो मुझे नहीं लगता कि ये कोई बड़ी बात है. तुम ये ड्रेस पहन के आराम से नीचे जा सकती हो.”

“पर मैं ये ड्रेस पहन कर नीचे क्यों जाऊं…”

“क्योंकि वो ऐसा चाहता है… अल्फा है वो… अपनी बात मनवा कर ही रहता है…”

“वो तो है पर…”

“पहन लो ना क्यों नखरे कर रही हो…”

“तुम यहीं रहोगे या मेरे साथ आओगे?” सुरभि ने पूछा. ये सवाल करते हुए उसकी नज़रें झुकी हुई थी.

” उसने मुझे तुम्हें नीचे लाने के लिए कहा है… इसलिए मैं साथ ही रहूँगा तुम्हारे…”

सुरभि ने असहमति में गर्दन हिलाई. “मैं इन कपडे में तुम्हारे साथ उसके सामने नहीं जाने वाली.”

“क्यों क्या दिक्कत है?”

“दिक्कत ही दिक्कत है… तुम मेरे पति हो… इन कपड़ों में मैं गैर मर्द के सामने कैसे जा सकती हूँ.”

“ये मत भूलो कि हम ये सब अपनी सेक्स लाइफ को और रोमांचक और रंगीन बनाने के लिए कर रहे हैं. और जब मुझे कोई दिक्कत नहीं है तो तुम क्यों झिझक रही हो…?”

“ये तुम्हारा ही आइडिया था क्या?”

“नहीं … मेरा ऐसा कोई विचार नहीं था. ये तो लोकेश का ही आइडिया था. लेकिन मुझे लगता है कि हम दोनों को इसमें मजा आएगा. चलो …अब जल्दी से ये कपड़े पहन लो…”

“एक बात पूछूं?”

“हाँ पूछो…”

“जब मैं तुम्हारे सामने इन कपड़ों में लोकेश के सामने जाऊंगी तो तुम्हें बुरा नहीं लगेगा?”

“अरे मुझे मजा आएगा… बुरा बिलकुल नहीं लगेगा…”

“जरा सा भी नहीं?”

“थोडा सा तो लगेगा… तुम आखिर मेरी बीवी हो… पर मैं इस बात से खुश हूँ कि मेरी फैंटसी पूरी हो जाएगी आज…”

“पर विजय, मैंने ऐसे कपड़े कभी नहीं पहने…”

“कोशिश करो… एक बार पहन लोगी तो तुम्हारी झिझक अपने आप गायब हो जाएगी…”“ठीक है कोशिश करती हूँ…”

सुरभि कपड़े हाथ में लेकर अपने वाशरूम में चली गई. स्कर्ट और टॉप पहनकर वह आईने के पास गई और खुद को निहारने लगी. वो स्कर्ट बहुत ही छोटी थी. इतनी छोटी कि मुश्किल से उसके नितंबों को ढक पा रही थी. और इतना बड़ा गला था उस टॉप का कि उसके आधे से अधिक उभार उस टॉप से बाहर निकलने को हो रहे थे. खुद को ऐसे कपड़ों में देखकर उसका चेहरा लाल हो गया था.

‘मैं कितनी हॉट लग रही हूँ… पर क्या मैं विजय के साथ इन कपड़ों में लोकेश के सामने जा सकती हूं…? नहीं नहीं ऐसा करना बड़ा अजीब लगेगा…’ सुरभि मन ही मन सोच रही थी.

तभी विजय ने दरवाजा खटखटाया. “दरवाजा खोलो सुरभि… मुझे देखने तो दो कि तुम कैसी लग रही हो.”

“मैं इन कपड़ों में तुम्हारे सामने नहीं आ सकती . ये बहुत छोटे हैं,” सुरभि ने शरमाते हुए कहा.

“छोटे हैं तो क्या… मैं तुम्हारा पति हूँ… मैंने तुम्हें बहुत बार नंगा देखा है. तुम्हें मुझसे तो शर्माना नहीं चाहिए.”

“तुम्हारे सामने तो आ भी जाउंगी पर उसके सामने नहीं जा पाऊँगी…”

“फिर वही बात… उसने भी तो तुम्हें बिना कपड़ों के देख रखा है…”

“हाँ ये तो है लेकिन अब हालात अलग है. अब तुम भी मेरे साथ होंगे…”

“हम्म… मैं समझ सकता हूँ … पर पहले तुम एक बार बाहर तो आओ. मुझे तुम्हें इन कपड़ो में देखने दो… फिर हम फैसला करेंगे कि क्या करना है.”

सुरभि ने धीरे से दरवाजा खोला और विजय के सामने खड़ी हो गई. उसकी नजरें फर्श पर गड़ी थी.

विजय का मुँह खुला रह गया उसे देख कर.

“ओ माई गॉड… तुम तो बहुत हॉट लग रही हो सुरभि. लोकेश को हार्ट अटैक आ जाएगा जब वो तुम्हें इन कपड़ों में देखेगा. और उसके बाद मैं तुम्हारे साथ आराम से मज़े करूँगा,” विजय ने कहा.

सुरभि का चेहरा लाल हो गया.

“विजय, मैं उसके सामने ये कपड़े नहीं पहन सकती.”

विजय आगे बढ़ा और उसके नितंबों को मसलते हुए उसे अपनी बाहों में कस कर पकड़ लिया.

“तुम ये क्या कर रहे हो?” सुरभि ने शरमाते हुए कहा.

“मैं अपनी सेक्सी बीवी के साथ एन्जॉय कर रहा हूँ…”

“मैंने ये कपड़े उसके लिए पहने हैं, तुम्हारे लिए नहीं…” सुरभि हँस पड़ी.

“तुम्हें इस रूप में देख कर मैं खुद को रोक नहीं पा रहा… सच में सुरभि तुम आज बहुत हॉट लग रही हो.” इतना कहते ही वो उसके होंठों पर टूट पड़ा और अपने दोनो हाथों से उसके उभारों को मसलने लगा.

“द-दरवाजा खुला है, विजय … लोकेश अंदर आ सकता है,” सुरभि ने कहा. उसकी सांसें तेज हो रही थी. उसकी बाहों में वो पिघलती जा रही थी.

विजय ने सुरभि की बात को अनसुना किया और फिर से उसे चूमने लगा.

“दरवाजा खुला है, विजय,” सुरभि ने फिर से कहा.

विजय उसकी बात को अनसुना करके फिर से अपने होंठ उसके होठों के ऊपर रख कर उसे और भी गहराई से चूमने लगा. वो दोनो ही बहुत ज़्यादा एक्साइटिड महसूस कर रहे थे.अचानक विजय पीछे हटा और उसने सुरभि को घुमा दिया. उसके सामने अब सुरभि की पीठ थी.

“त-तुम क्या कर रहे हो?” सुरभि ने सिसकी लेते हुए कहा.

“प्लीज़, थोड़ा झुक जाओ, सुरभि,” विजय ने कहा और उसके कंधे पर दबाव डाला.

सुरभि गहरी सांस लेते हुए उसके सामने झुक गई.

वो दोनो इतने उत्तेजित हो गए थे कि उन्हें ये भी ध्यान नहीं रहा कि उनके बेडरूम का दरवाज़ा खुला पड़ा है.

विजय ने अब ज़्यादा देर ना करते हुए सुरभि की पैंटी नीचे खींच ली और अगले ही पल उसने उसकी योनि के प्रवेश द्वार पर अपना लिंग टिका दिया. विजय खुद को उसकी योनि में धकेलने ही वाला था कि तभी लोकेश नीचे से चिल्लाया, “विजय, और कितनी देर लगेगी तुम्हें नीचे आने में? जल्दी से अपनी बीवी को लेकर नीचे आ जाओ. मैं कब से वेट कर रहा हूँ.”

विजय एक झटके में सुरभि से दूर हट गया और कहा, “वो बुला रहा है. हमें अब नीचे चलना चाहिए.”

सुरभि धीरे से विजय की ओर मुड़ी, “क्या तुम मुझे सच में इन कपड़ों में उसके पास ले जाओगे?”

“तुम नहीं जाना चाहती क्या उसके पास?”

सुरभि ने विजय के सवाल का जवाब नहीं दिया और बात को घुमा दिया. “सोच लो… ये बड़ा ही अजीब है…”

“ज्यादा मत सोचो… हमें अपनी सेक्स लाइफ को रंगीन बनाने का सुनहरा मौका मिला है… चलो चलते हैं…”

“तुम उसके कारण मुझे प्यार करते करते रुक गए…”

“मैं तुम्हें बाद में भी प्यार कर लूँगा जानू पर अभी वो तुम्हारा इंतजार कर रहा है. हमें जाना होगा,” विजय ने कहा.

सुरभि ने गहरी सांस ली और खिड़की की तरफ नजरें घुमा ली. aise hi chudai ki kahaniyo ke liye padhte rahiye indisexstories.com

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4 Comments

  1. Anju Mastani

    क्या मेरे पति से बात करू उनके दोस्त के बारे में?
    बोहोत ताकता रहता है मेरी चुच्चोंको।😎 💋

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