सुरभि ने अब उसे नहीं रोका. कहीं ना कहीं उसके दिल में इच्छा थी कि वो उसके बड़े से लिंग को दुबारा से देख ले. और वो दिल में ये इच्छा लिए चुपचाप उसके सामने खड़ी रही.
अगले ही पल लोकेश उसके सामने बिलकुल नंगा खड़ा था. सुरभि उसकी ओर देखे बिना रह नहीं पाई और उसके शरीर को मदहोशी से देखने लगी. उसकी चौड़ी छाती, सुडौल शरीर और मजबूत बाज़ुओं से होती हुई जैसे ही उसकी नज़र लोकेश की टांगो के बीच गई वैसे ही उसकी साँसे थम गई. इतना बड़ा और इतना मोटा वो अंग उसकी कल्पना से परे था. वो बस उसे टकटकी लगाए देखे जा रही थी. वो ये भी भूल गई थी कि लोकेश की नज़रें भी उसी पर थी.
“देखो तो कैसे घूरे जा रही हो…सच-सच बताना भाभी, क्या तुम्हारा मन नहीं हो रहा कि ये शेरू तुम्हारी सुरंग में जा घुसे?”
“भगवान के लिए चुप हो जाओ, लोकेश…ऐसी बातें मत करो.” इतना बोलते ही सुरभि ने शरम से नज़रें झुका ली.
“इतना मत शर्माओ भाभी… जल्दी से कपड़े उतारकर बिस्तर पर आ जाओ,” लोकेश ने कहा. वो बहुत उतावला हो रहा था. हर हाल में सुरभि के यौवन को भोगना चाहता था वो.
“मैं तुम्हें ऐसा कुछ भी नहीं करने दूंगी,” सुरभि ने उसे चिडाते हुए कहा पर नज़रें अभी भी उसकी लोकेश के लिंग पर ही टिकी थी. वो सोच भी नहीं पा रही थी कि इतने बड़े राक्षस को भला वो अपनी योनि में कैसे ले पाएगी.
“करने तो तुम मुझे सब कुछ दोगी, भाभी. मैं जानता हूँ कि अंदर ही अंदर तुम मरी जा रही हो मेरा लेने के लिए,” ये बोलता हुआ वो तेज़ी से सुरभि की तरफ़ बढ़ा. चलते हुए उसका लिंग उसकी टांगो के बीच लटका हुआ झूल रहा था. बड़े ही अश्लील और भयानक तरीके से. जैसे कि सुरभि को ललचाने के साथ साथ चेतावनी भी दे रहा हो.
“ए… ऐसा कुछ नहीं है, लोकेश,” सुरभि ने पीछे हटते हुए कहा.
“तुम मुझे झूठ नहीं बोल सकती. सच क्या है वो तुम्हारी आँखों में साफ़ नज़र आ रहा है. बोलो, ये सच है ना कि तुम्हारी योनि भी मेरे लिए गीली हुई पड़ी है,” उसने बड़ी ही बेशर्मी से अपने लिंग को हाथ में पकड़ कर हिलाते हुए कहा.
“य-ये…बिलकुल भी सच नहीं है, ल..लो..लोकेश.” इससे पहले कि वो पूरी बात बोलती उसने आगे बढ़ कर काम अग्नि में सुलगता हुआ अपना हथियार सुरभि के हाथ में थमा दिया और बोला, “लो पकड़ो…छू कर देखो इसे.”
सुरभि ने अपना हाथ वहाँ से हटाना चाहा पर लोकेश के हाथ की पकड़ उसके हाथ के ऊपर इतनी मजबूत थी कि वो अपना हाथ हिला भी नहीं पाई. उसके पत्थर जैसे सख़्त लिंग को छूते ही सुरभि के पूरे शरीर में एक सिहरन सी उठ गई.
थोड़ी देर में लोकेश ने अपना हाथ उसके हाथ के ऊपर से हटा लिया और बोला, “मैं चाहता हूँ कि तुम इसे जी भर के छू के देख लो. कब से दूर दूर से देख रही हो.”
उसे अजीब सी उत्तेजना महसूस हो रही थी इस तरह से उसका हथियार पकड़ के और थोड़ा थोड़ा अच्छा भी लग रहा था. तभी तो लोकेश के हाथ हटाने के बाद भी वो उसका लिंग पकड़े खडी रही और धीरे धीरे उस पर उँगलिया फिरा कर उसे और ज़्यादा अच्छे से महसूस करने लगी.
“ये हुई ना बात भाभी…खूब खेलो इससे. ये तुम्हारा है…”
सुरभि पूरी तरह से उसके अश्लील हथियार के साइज़ में खो गई और उसे बड़े ही गौर से देखने लगी. उसके लिंग के आगे का हिस्सा बड़ा ही चमकीला लग रहा था. अनजाने में वो उस पर अपनी एक उँगली फिराने लगी.
लोकेश खुशी से उछल पड़ा और बोला, “ओह माई गॉड…ये क्या जादू कर दिया तुमने?”
“मैंने क्या किया?” सुरभि भोलेपन में बोली.
“तुम्हें नहीं पता तुमने क्या कर दिया है. प्लीज़ एक बार फिर से वही करो जो अभी किया था… भाभी.”वो फिर से उसके लिंग के आगे के भाग को अपनी उँगली से सहलाने लगी और वो फिर आनंद से मचल उठा.
“इसे एक बार अपने मुँह में भी ले कर देखो ना भाभी,” वो मस्ती में बोला.
“नहीं मैं ये नहीं कर सकती. ऐसा मैंने पहले कभी भी नहीं किया,” सुरभि ने साफ़ मना कर दिया. सही तो था…जब उसने विजय का कभी अपने मुँह में नहीं लिया तो भला उसके दोस्त का क्यों ले?
लोकेश ने आगे बढ़कर सुरभि को कस के अपनी बाहों में भर लिया. उसका लिंग सुरभि की नाभि पर चुभ रहा था.
“मुँह में नहीं लेना तो कही और ले लो. कहीं ना कहीं तो तुम्हें लेना ही पड़ेगा भाभी,” इतना कहते ही उसने अपने होंठ उसके होंठो पर टिका दिए और उसे किस करने लगा.
सुरभि ने उसका चेहरा पीछे हटाते हुए शर्माकर कहा, “तुम समझते क्यों नहीं लोकेश. मैं तुम्हारा इतना बड़ा नहीं ले पाऊँगी.”
“ये तुम मुझ पर छोड़ दो,” कहकर वो फिर से उसे बेतहाशा चूमने लगा.
एक तरफ़ वो उसे चूमे जा रहा था और दूसरी तरफ़ अपने दोनो हाथों से उसके नितम्बों को मसल रहा था. उसकी उँगलिया दोनो नितम्बों के बीच में छू रही थी. सुरभि होश खोती जा रही थी. फिर उसने उसके दोनो नितम्बों को खोला और उसके छेद को सहलाने लगा.
मदहोशी बढ़ती जा रही थी. ये सिलसिला चार पाँच मिनट तक यूँ ही चलता रहा .फिर वो सुरभि का हाथ पकड़ कर उसे बैड की तरफ़ ले गया. अगले ही पल वो बैड पर लोकेश के नीचे थी और वो उसके ऊपर. वो उसे लगातार यहाँ वहाँ वहशी तरीक़े से चूमें जा रहा था और साथ ही साथ उसके कपड़े उतारने की कोशिश भी कर रहा था . सुरभि उसे ये सब करने दे रही थी. उसे ज़रा भी होश नहीं था. दिवानी सी हो गई थी वो. धीरे धीरे उसके शरीर से सारे कपड़े उतर गए और वो पूरी नंगी हो गई बिस्तर पर लोकेश की तरह. जब उसका नग्न बदन लोकेश के नग्न बदन से टकराया तो वो सिसक पड़ी.
“तुम बहुत हॉट हो भाभी…” लोकेश उसके कान में बोला. नीचे उसका मोटा लिंग बार बार उसकी योनि से टकरा रहा था और उसे सिसकने पर मजबूर कर रहा था.
अचानक लोकेश उसकी टांगो के बीच बैठकर उसकी योनि को देखने लगा और बोला, “जैसा मैंने सोचा था तुम्हारी बिलकुल वैसी ही है एक दम चिकनी और मस्त. आज़ मैं इसकी खूब ठुकाई करूँगा.”
ऐसी बातें सुनकर सुरभि का चेहरा शरम से लाल हो गया. उसने अपने दोनो हाथों से अपनी योनि को ढक लिया और शर्माती हुई बोली, “प्लीज़,…ऐसी बातें मत करो मेरे साथ.”
लोकेश ने एक झटके से उसके हाथ हटा दिए और उसकी गुलाबी और चमकदार योनि के छेद को सहलाने लगा. “अरे वाह… क्या बात है भाभी. देखो तो तुम्हारी योनि को… ये तो मेरे लिंग के स्वागत में एकदम तैयार बैठी है. एकदम गीली और चिकनी, बिलकुल तैयार,” इतना कहते ही लोकेश ने अपनी उंगली उसकी योनि में घुसा दी और बोला, “तुम सच में बहुत हॉट हो.”
उसकी उंगली अंदर जाते ही सुरभि की सिसकी निकल गई, “आह…!”
उसने अपनी उँगली बाहर निकाली और उसे चाट कर कहा, “उम्म…टेस्टी …इसे मारने में तो बड़ा ही मज़ा आएगा.”
मारे शरम के सुरभि का बुरा हाल था. उसने अपनी आँख़े बंद कर ली थी.
लोकेश उसकी टांगो के बीच में ठीक से घुटनों के बल बैठ गया और बोला, “बोलो भाभी,…अब तैयार हो जन्नत की सैर करने को?”
“म-मुझे कुछ नहीं पता,” वो बड़ी मुश्किल से बोली.
“कोई बात नहीं… अभी पता चल जाएगा…”
लोकेश ने सुरभि की दोनो टाँगे उठा कर अपने कंधो पर रख ली. और फिर वो अपने हथियार के आगे वाले भाग को सुरभि की योनि के छेद पर रगड़ने लगा.
लोकेश के हथियार की छूअन के कारण सुरभि मछली की तरह तड़प उठी. वो अब चाहती थी कि लोकेश जल्दी से उस में समा जाए. पर ऐसा कह नहीं पा रही थी. अपनी इस भावना को अपने मन में दबाए चुपचाप पड़ी रही वो लोकेश के नीचे.
अचानक लोकेश ने अपने लिंग का आगे का हिस्सा थोड़ा सा सुरभि की योनि में सरका दिया.
सुरभि दर्द से कराह उठी, “आह…”
ऐसा होना लाज़मी था. इतने बड़े साइज़ के लिए उसकी योनि तैयार नहीं थी. दर्द तो होना ही था.
सुरभि की टाइट योनि में लोकेश का हथियार ज़्यादा अंदर नहीं जा पा रहा था. पर लोकेश कहाँ हार मानने वाला था. उसने एक ग़हरी साँस ली और ज़ोर के धक्के के साथ अपना पूरा लिंग उसकी योनि में धकेल दिया.
“आ..आह…” सुरभि सिसक पड़ी. उसकी सिसकी में दर्द और मज़ा दोनो नज़र आ रहे थे.
लोकेश बेशर्मों की तरह हँसते हुए बिना उसके दर्द की परवाह किए अपना हथियार उसकी योनि के अंदर बाहर करने लगा. थोड़ी देर बाद जब सुरभि का दर्द कम हुआ तो वो भी लोकेश के हर धक्के का जवाब अपनी सिसकियों से देने लगी. आनंद के अहसास में उसने लोकेश की कमर पर अपने नाखून गड़ा दिए. मज़ा उसकी बर्दाश्त से बाहर हो रहा था.
“मुझे मालूम था भाभी कि तुम भी यही चाहती हो. देखो ना अभी कैसे मज़ा कर रही हो और पहले कैसे नाटक कर रही थी.”
“ऐसी बात नहीं है, लोकेश.”
“अच्छा…लेकिन तुम्हारी चिकनी योनि तो बता रही है कि तुम कितना मज़ा लूट रही हो.”
“पर इसका मतलब ये नहीं है कि मैं पहले नाटक कर रही थी.”
“तो फिर उसका क्या मतलब था, भाभी जी,” लोकेश ने एक ज़ोर का धक्का लगा कर फिर से अपना पूरा लिंग उसकी योनि में घुसा दिया.
“आ…आह,” सुरभि ज़ोर से सिसकी, “तुम बहुत बुरे हो, लोकेश.”
लोकेश फिर से हंसने लगा और अपने होंठ उसके होंठो पर टिका दिए. अब उसके हाथ सुरभि के उभारों को मसल रहे थे , होंठ उसके होंठों का रसपान कर रहे थे और उसका लिंग उसकी योनि में धक्के मार रहा था. सुरभि को ऐसे-ऐसे नए अहसास हो रहे थे जो उसको विजय के छोटे लिंग से अब तक नहीं मिल पाए थे. उसे बहुत अच्छा लग रहा था. वो अपने चरम के बहुत क़रीब थी. हैरानी की बात ये थी कि सेक्स अभी शुरू ही हुआ था.
“क्या विजय भी तुम्हारी ऐसे ही घिसाई करता है?” लोकेश बोला.
सुरभि ने शरमाके ना में गर्दन हिला दी.
“फिर तो तुम्हें बहुत ही मज़ा आ रहा होगा, है ना?”
“नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है?” सुरभि ने झूठ बोल दिया. लेकिन अगले ही पल उसका झूठ पकड़ा गया. लोकेश के लिंग ने उसकी योनि में बहुत गहरे जा के ऐसे आनंद भरे अहसास पैदा कर दिए थे कि वो सिसक के कराह उठी, “उम्म…आह…”
उसकी सिसकी सुनते ही लोकेश ने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी. वो पूरे ज़ोर से अपना पूरा हथियार उसकी योनि में डाल रहा था और निकाल रहा था. सुरभि के तन बदन में आनंद की एक लहर सी दौड़ गई. वो फिर से चरम आनंद को छूने वाली थी.दूसरी तरफ़ लोकेश का भी यही हाल लग रहा था. वो भेड़िए की तरह गुर्राता हुआ जोर जोर के धक्के मार कर अचानक रुक गया. अगले ही पल सुरभि को उसका गर्म-गर्म वीर्य अपनी योनि में महसूस हुआ.
“ओह…भाभी, देखो अपनी चिकनी शरारती सुरंग को… ना-ना करते करते मेरा पूरा शेरू खा गई. और अब मज़े से मेरा सारा वीर्य पी रही है.”
लोकेश की बात सुन कर एक बार फिर सुरभि शर्मा के रह गई.
अपने वीर्य की एक एक बूँद सुरभि की योनि में निचोड़ के वो हाँफते हुए उसके अपर ही लुढ़क गया. सुरभि चुपचाप उसके नीचे लेटी लम्बी लम्बी साँसे भर रही थी. उसे अब तक भी लोकेश के हथियार की हलचल अपनी योनि की गहराइयों में महसूस हो रही थी.
“तुम्हारी लेकर बड़ा मजा आया भाभी,” लोकेश ने गहरी साँस लेते हुए कहा.
सुरभि कुछ नहीं बोली. बस उसके मोटे हथियार को योनि में लिए पड़ी रही. अभी भी पूरा तना हुआ था उसका और सुरभि की योनि बार बार उसे दबोच रही थी.
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Kya kahani hei bhai. 😍 mene to padhakar muth marli 🍌
Kash mera bhi eisa koi dost hota 🥺❤️
क्या मेरे पति से बात करू उनके दोस्त के बारे में?
बोहोत ताकता रहता है मेरी चुच्चोंको।😎 💋