हादसा Dost ki biwi ki chudai
Chapter 1 – Dost ki biwi ki chudai
रात के एक बज रहे थे. ख़ाकी वर्दी पहने एक पुलिस वाला अपनी मोटरसाइकल पर सवार तेजी से सुनसान सड़क के अंधेरे को चिरता हुआ पुलिस स्टेशन की तरफ़ बढ़ रहा था. सब इन्स्पेक्टर रैंक का ऑफ़िसर था वो. मनोहर नाम था उसका और वो क़रीब छत्तीस साल का था. सड़क पर आगे बढ़ते हुए उसके चेहरे पर शिकन थी.
‘क्या यार… ये पुलिस की नौकरी एकदम बेकार है. जरा भी आराम करने को नहीं मिलता…’ मनोहर ने मन ही मन कहा.
उसकी निराशा जायज़ थी. सारा दिन ड्यूटी करके वो घर पहुँचा ही था कि एसएचओ साहब ने फिर से बुला लिया. हद हो गई थी ये तो. अब इतनी रात को क्या तूफ़ान आ गया जो कि उसे फिर से थाने पर आने को बोला गया.
जैसे ही मनोहर थाने में घुसा उसे एसएचओ साहब बाहर ही टहलते हुए मिल गए. सोमनाथ नाम था उनका और वो सीनियर इन्स्पेक्टर थे. मनोहर ने तुरंत मोटर साइकल खड़ी की और उनके पास जाकर उनको सलूट किया.
“विकास किसी केस में बिज़ी था इसलिए तुम्हें बुलाना पड़ा…” सोमनाथ ने कहा.
ये सुनते ही मनोहर के सीने में आग लग गई. विकास भी उसकी तरह सब इन्स्पेक्टर ही था पर एसएचओ साहब उसे ज़्यादा ही महत्व देते थे. हर केस उसी को देने की कोशिश करते थे. मनोहर के हिस्से बचा खुचा काम ही आता था.
“हुक्म कीजिए सर… मैं पूरी सिद्दत से काम करूँगा…” मनोहर ने कहा.
एसएचओ साहब ने अपना फोन निकाला और मनोहर को एक मैसेज भेज कर कहा, “तुम्हें एक ऐड्रेस मैसेज किया है. उस ऐड्रेस पर जाओ तुरंत और पता करो क्या माजरा है…”
मनोहर ने तुरंत फोन निकाल कर मैसेज चेक किया. “क्या हुआ है यहाँ सर…?”
“एक लड़के की बालकनी से गिर कर मौत हो गई है. जाकर देखो ये हत्या है या हादसा?”
“आप पहले ही मैसेज कर देते तो मैं सीधा वहीं पहुँच जाता…” मनोहर ने कहा. ऐसा उसने इसलिए कहा था क्योंकि जो ऐड्रेस एसएचओ साहब ने उसे भेजा था वो रास्ते में ही पड़ता था.
“मैं विकास के फ्री होने का इंतेज़ार कर रहा था. तुम्हें इसलिए बुलाया था कि अगर वो नहीं आ सका तो तुम्हें भेज दूँगा…”
“मैं तो बस इसलिए कह रहा था सर कि जल्दी तहक़ीक़ात शुरू होती…”
“अब निकलोगे भी यहाँ से या बकवास ही करते रहोगे…”
“न-निकलता हूँ सर,” मनोहर ने कहा.
मनोहर अपने साथ कॉन्स्टेबल चमन को लेकर, पुलीस जीप में बैठ गया और उस ऐड्रेस की तरफ चल दिया जो एसएचओ साहब ने उसे भेजा था.
“आप घर पहुँच गए थे क्या सर?” चमन ने जीप की रफ़्तार बढ़ाते हुए कहा.
“हाँ चमन… मैं घर पहुँचा ही था कि साहब का फोन आ गया…”
“मेरे साथ भी कई बार ऐसा हुआ है सर. बड़ा बेकार लगता है…”
“क्या करे… अपनी नौकरी ही ऐसी है…”
जब वो एसएचओ साहब द्वारा दिए ऐड्रेस पर पहुँचे तो उन्होंने देखा कि एक घर के बाहर बहुत सारे लोग इकट्ठा हो रखे थे.
जीप से उतर कर वो लोगों को दूर हटाते हुए घर के आँगन में दाखिल हुए. आँगन में फर्श पर एक लड़के की लाश पड़ी थी. पीठ के बल पड़ा था लड़का. उसके सर के चारों तरफ़ खून था जिस से ज़ाहिर हो रहा था कि मौत सर में लगी चोट के कारण हुई थी. पर ये अहसास बस देखने से हो रहा था. हो सकता है मौत किसी और वजह से हुई हो. लड़के के पास एक आइफ़ोन पड़ा था. ये लड़के का था या किसी और का अंदाज़ा लगाना मुश्किल था.
“कौन है ये?” मनोहर ने कहा.
“ये मेरा बेटा विक्की है सर…” एक औरत सुबकते हुए बोली. क़रीब पचास साल की थी वो और उसके चेहरे से उसका दर्द साफ़ ज़ाहिर हो रहा था. उसके साथ एक आदमी खड़ा था जो कि शायद उसका पति था.
मनोहर उसके क़रीब गया और बोला, “क्या नाम है आपका?”
“निर्मला…”
“निर्मला जी… मुझे दुख है कि आपके जवान बेटे की इस तरह मौत हो गई… हुआ क्या था क्या आप बता सकती हैं…?”
“मुझसे क्या पूछते हैं आप… उन लोगों से पूछिए जिन्होंने इसे मारा है…” निर्मला ने सुबकते हुए कहा.
“कौन है वो लोग…?”
“वही जिनका ये घर है…” निर्मला बोली.
“ये आपका घर नहीं है?”
“नहीं… हम सामने वाले घर में रहते हैं…”
“आपका बेटा यहाँ क्या करने आया था?”
“मुझे नहीं पता… आप उसके क़ातिलों से पूछो ना…”
“शांत हो जाओ निर्मला…” साथ खड़े आदमी ने कहा.”
“आप कौन?” मनोहर ने कहा.
“जी मेरा नाम जितेंदर है. मैं इनका हसबैंड हूँ…”
“ओह… जितेंदर जी… क्या आपको कुछ पता है?”
“हमें कुछ नहीं पता सर… पता नहीं हमारे साथ ये क्या हो गया. हमारा जवान बेटा अचानक हमें छोड़ कर चला गया. इस घर के लोगों से ही पूछिए जो भी आपको पूछना है… हमें कुछ नहीं पता. हम तो खुद हैरान है कि हमारा बेटा यहाँ कैसे आया…?”
“ठीक है जितेंदर जी… हम पूरी तहक़ीक़ात करेंगे… आप चिंता ना करें… कहाँ है इस घर में रहने वाले लोग?”
“अंदर छिपे बैठे हैं…” निर्मला बोली.मनोहर ने चमन को इशारा करके अपने पास बुलाया और धीरे से उसे कहा, “लाश को पोस्ट्मॉर्टम के लिए भेजो…”
“जी सर…”
मनोहर की नज़र लाश के पास पड़े मोबाइल पर गई. उसने तुरंत जितेंदर से पूछा, “ये फोन किसका है?”
“हमें नहीं पता… हाँ पर इतना ज़रूर पता है कि ये विक्की का नहीं है…” जितेंदर ने कहा.
“चमन इस मोबाइल को भी क़ब्ज़े में ले लो. हमें इसकी भी जाँच करनी पड़ेगी…” मनोहर ने कहा.
“जी सर…”
मनोहर ने वहाँ मौजूद लोगों से सवाल किए. पर कोई भी उसे काम की बात नहीं बता पाया. सब वहाँ तमाशा देखने के लिए इकट्ठा हो रखे थे.
लाश को पोस्ट्मॉर्टम के लिए भिजवा कर चमन मनोहर के पास आया और बोला, “क्या लगता है सर, ये मर्डर है या हादसा?”
“कुछ नहीं कह सकते अभी… यहाँ मौजूद लोग कुछ नहीं बता पाए. अब इस घर के लोगों से ही पूछना पड़ेगा…” मनोहर ने कहा.
“वैसे सर ये अजीब नहीं है कि इस घर के लोग एक बार भी बाहर नहीं आए… मुझे तो दाल में कुछ काला लग रहा है… हो ना हो इस लड़के को इन्होंने ही मारा है…”
“हो सकता है… पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगी… चलो अंदर चलते हैं पूछताछ के लिए…”
“जी सर चलिए…”
Chapter 2 – Dost ki biwi ki chudai
मनोहर ने घर का दरवाज़ा खटकाया. दरवाज़ा एक आदमी ने खोला जो कि क़रीब सत्ताईस साल का लग रहा था. “ये आपका घर है?”
“जी…”
“क्या नाम है आपका?”
“जी विजय…”
“क्या अंदर आ सकता हूँ मैं…?”
“हाँ हाँ आइये ना…”
मनोहर चमन के साथ घर में दाखिल हो गया. अंदर घुसते ही उसकी नज़र सोफे पर बैठी महिला पर पड़ी. जामनी कुरती और सफ़ेद लैगिंग पहने हुए थी वो. चेहरा इतना सुंदर था उसका कि पूछो मत. उस पर से नज़रें हटाना मुश्किल हो रहा था मनोहर के लिए. बिलकुल स्वर्ग की अप्सरा लग रही थी वो.
सोफ़े के नज़दीक एक आदमी खड़ा था जो कि अपने फोन में कुछ देख रहा था.
“ये लोग कौन हैं?” मनोहर ने कहा.
“वो मेरी बीवी है सुरभि और वो मेरा दोस्त है लोकेश…”
“विजय जी एक बात बताइए… आपके घर के आँगन में लाश पड़ी है… और आप यहाँ छिपे बैठे हैं…” मनोहर ने कहा.
“और क्या करें हम… बाहर सब हमें ऐसे देख रहे थे जैसे कि विक्की को हमी ने मारा है… इसलिए हम अंदर आ गए थे…” विजय ने कहा.
“चलिए बैठ कर बात करते हैं आराम से,” मनोहर ने कहा और खाली पड़े सोफे पर जाकर बैठ गया. बैठते ही उसने सुरभि को देखा. उसके चेहरे पर डर साफ दिखाई दे रहा था. पर ये डर किसी भी तरह से उसकी ख़ूबसूरती को कम नहीं कर पा रहा था.
“हुआ क्या विजय जी जरा विस्तार से बताएँ…” मनोहर ने कहा.
विजय अपनी खूबसूरत बीवी के साथ बैठ गया. उसका दोस्त सोफे के पास ही खड़ा रहा.
“मुझे लगता है कि विक्की मेरा आइफ़ोन चुराने आया था…” विजय ने कहा.
“ऐसा क्यों लगता है आपको?” मनोहर ने पूछा.
“क़रीब दस बजे मैं फोन बालकनी में ही भूल गया था. शायद विक्की ने देख लिया होगा ये और वो फोन चुराने आ गया. आपको पता ही है आजकल युवाओं में कितना क्रेज़ रहता है आइफ़ोन का. पता नहीं वो कैसे चढ़ा बालकनी में. हमें तो तब पता चला जब उसकी धड़ाम से नीचे गिरने की आवाज़ आई…”
“उसकी लाश के पास जो फोन पड़ा था वो आपका ही था क्या?” मनोहर ने कहा.
“जी हाँ… वो मेरा ही था…” विजय ने कहा.
“तो आपके अनुसार ये महज एक हादसा था?” मनोहर ने पूछा.
“जी…” विजय ने जवाब दिया.
“विक्की के माता पिता तो आप लोगों पर इल्ज़ाम लगा रहे हैं…”
“उनके सब इल्ज़ाम बेबुनियाद हैं सर… हम भला विक्की को क्यों मारेंगे… हमारी उस से कोई दुश्मनी नहीं थी…” विजय ने कहा.
“वो तो ठीक है पर हम उसके पेरेंट्स की बात नज़रंदाज़ नहीं कर सकते…” मनोहर ने कहा.
“किसी की कही बात पर आप हमें जेल भेज देंगे क्या?” सुरभि बोली.सुरभि की सुरीली आवाज़ सुनते ही मनोहर उसके सौंदर्य में खो गया और मन ही मन बोला, ‘आपको कौन जेल भेज सकता है… आप तो बिस्तर पर ले जानी वाली चीज़ हो…’
मनोहर ने अपने मन में उठ रहे कामुक विचारों को क़ाबू किया और बोला, “ऐसा नहीं है सुरभि जी… हम ऐसे ही किसी को जेल नहीं भेज देंगे. आपके घर के आँगन में लाश पड़ी थी जब हम यहाँ आए. अब कुछ सवाल तो आप लोगों से पूछने ही पड़ेंगे ना…”
“देखिये… जो मेरे पति ने कहा वही सच है. वो यहाँ फ़ोन चोरी करने आया था और बालकोनी से गिर कर मर गया. जो हुआ बुरा हुआ. हमें उसका दुःख है. पर इसका मतलब ये नहीं कि हमें कातिल समझा जाए…” सुरभि ने कहा.
“आपकी बात सही है सुरभि जी. ऐसे ही किसी पर बेबुनियाद आरोप लगाना सही नही होता. पर मैं फिर वही कहूँगा. सवाल जवाब तो हमें करने ही पड़ेंगे. ये हमारा काम है…” मनोहर ने सुरभि की आँखों में झांकते हुए कहा. तुरंत उसकी टांगो के बीच हरकत होने लोगी. उफ़ हद से ज्यादा खूबसूरत थी वो.
“आपको जो भी पूछना है पूछिये सर… हमें कोई ऑब्जेक्शन नहीं है…” विजय ने कहा.
“फिलहाल तो मुझे और कोई सवाल नहीं सूझ रहा. एक बार पोस्टमॉर्टेम की रिपोर्ट आ जाए, तभी आप लोगों से मिलूँगा.”
“क्या मुझे मेरा फ़ोन मिल सकता है…?” विजय ने कहा.
“अभी नहीं… विजय जी. वो लाश के पास पड़ा था. हमें उसे फिलहाल अपने पास ही रखना होगा,” मनोहर ने उठते हुए कहा और चमन के साथ घर से बाहर आ गया.
Chapter 3 – Dost ki biwi ki chudai
जैसे ही मनोहर चमन के साथ बाहर आया सफ़ेद कुरता पजामा पहने एक व्यक्ति उनके पास आया और बोला, “एक बात बतानी थी आपको?”
“क्या?”
“यहाँ नहीं थोडा साइड में चलिए,” व्यक्ति बोला.
मनोहर उस व्यक्ति को भीड़ से दूर ले गया और बोला, “बोलो क्या बोलना है.”
“मुझे लगता है ये हादसा है. मैंने खुद अपनी आँखों से विक्की को बालकनी से नीचे गिरते हुए देखा था. पर एक अजीब बात है?”
“कैसी अजीब बात?”
“जैसे ही वो नीचे गिरा धडाम की आवाज के साथ बालकनी में विजय और उसका दोस्त आया और उन्होंने नीचे झाँक कर देखा.”
“इसमें अजीब क्या है?”
“दोनों पुरे नंगे थे साहब. एक भी कपडा नहीं था उनके बदन पर. लेकिन वो जल्दी ही वापिस अंदर गए और दो मिनट बाद कपडे पहन कर वापस आए…”
“दोनों गे हैं क्या?”
“ये तो मुझे नहीं पता. जो मैंने देखा बता दिया…”
“आपने अच्छा किया… क्या नाम है आपका?”
“जी महेंदर…”
“ठीक है महेंदर जी हम तहकीकात करेंगे और जरुरत पड़ी तो आपसे दोबारा बात करेंगे…”
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Kya kahani hei bhai. 😍 mene to padhakar muth marli 🍌
Kash mera bhi eisa koi dost hota 🥺❤️
क्या मेरे पति से बात करू उनके दोस्त के बारे में?
बोहोत ताकता रहता है मेरी चुच्चोंको।😎 💋