यह कह कर ऋतू दीदी ने एक झटके में अपनी केप्री और पैंटी नीचे खिसका दि। उनकी चूत मेरे सामने थी जो एक दम चिकनी साफ़ थी। यहाँ तक की निरु की चूत पर भी अधिकतर छोटे छोटे बाल होते ही हैं पर दीदी ने चिकनी चूत मेन्टेन की थी। एक तरफ मेरी बदमाशी पकड़ी गयी थी और मैं बुरी तरह फंस चुका था और दूसरी तरफ दीदी ने अपनी चूत दिखा कर मुझे हैरान कर दिया था।
हमेशा शांत, समझदार, शर्मो हया का ध्यान रखने वाली दीदी ने अपने कपडे कितनी आसानी से खोल कर अपने शरीर का सबसे संवेदनशील अंग दिखा दिया था। मुझे लगा वो अपने कपडे फिर पहन लेगी पर उन्होंने अपनी केप्री और पैंटी पूरी उतार नीचे से नंगी हो गयी। मेरी हालत ऐसी थी की काटो तो खून नहीं। मैं दीदी का कैसा अवतार देख रहा था।
फिर दीदी ने अपना टॉप निकाला और सिर्फ ब्रा में खड़ी थी। उनके ब्रा से उनके मम्मो का उभार बाहर निकल रहा था। इसका कुछ नजारा मैं ट्रैन में देख ही चुका था पर अब पूरा अच्छे से दिख रहा था। उन्होंने अब अपने ब्रा का हुक खोलने हाथ पीठ पर किये। मैं भी उस नज़ारे को देखने को आतुर था। कल बीच पर गीले टॉप में उनके मम्मो का साइज तो मैं नाप ही चुका था पर अब मुझे बिना कपड़ो के उनके मम्मो के असली दर्शन होने वाले थे।
ऋतू दीदी अब मेरे सामने पूरे नंगे खड़े थे और मैं उनके मम्मो पहली बार नंगे देख खुश हुआ। ट्रेन में उनके क्लीवेज देख जो तड़प जागी थी वो आखिर शांत हुयी। अभी मैं ना बोल पा रहा था, न हील पा रहा था और न वहाँ से जा पा रहा था। कुछ समझ नहीं आया की क्या करू ? सामने एक खूबसूरत औरत नंगी खड़ी हो मुझे इन्वाइट कर रही थी। ऋतू दीदी के मम्मो के निप्पल एक काले अंगूर की तरह मुझे चुसने को बुला रहे थे। मैंने तो आज तक निरु के निप्पल ही चखे थे जो एक किसमिस की तरह थे, यह अंगूर कैसे टेस्ट करेंगे ये जानना था।
ऋतू दीदी: “अब अच्छे से देख लो। छु कर भी देख लो, कल शायद टॉप के ऊपर से छूने का मजा नहीं आया होगा तुम्हे”
मै अब बुरी तरह शर्मा गया। ऋतू दीदी ने कपडे तो खुद के उतारे थे पर इज्जत मेरी उतार रही थी की मैंने अपनी ही बीवी की बड़ी बहन के कपड़ो में जानने की कोशिश की थी और छुआ था।
मैने डरते हुए सिर्फ “सॉरी” बोला और वहाँ से जाने लगा। ऋतू दीदी आगे आकर मेरे और रूम के दरवाजे के बीच खड़ी हो गयी।
ऋतू दीदी: “क्या हुआ, देख कर मजा नहीं आया? कल रात को तो मुझे नीरज के साथ चोदता देख इतने मजे ले रहे थे की निरु को भी जबरदस्ती चोद दिया था”
यह सुन मुझे और भी झटका लगा। ऋतू दीदी को सब कुछ पता था। फिर तो उनको यह भी पता होगा की उनके पति अपनी साली के साथ क्या कर रहे है। उन्होंने अपने पति से चुदते वक़्त उनको निरु का नाम लेने से क्यों नहीं रोका ? अगर मैं गलत हूँ तो उनके पति और वो खुद भी तो गलत ही है। सवाल कई थे मगर पुछ नहीं पा रहा था क्यों की मैं ऋतू दीदी को इस तरह देख अवाक रह गया था। ऋतू दीदी ने आगे बढ़ाकर मेरा टीशर्ट जबरदस्ती निकाल दिया और अपनी उंगलिया मेरे सीने पर फिराते हुए मेरे फिगर की तारीफ़ करने लगी।
फिर वो मुझे धकेलते हुए बिस्तर तक ले आई और बिस्तर पर गिरा दिया। मुझे कही न कही अच्छा लग रहा था पर ऋतू दीदी से यह उम्मीद नहीं थी। उन्होंने अब मेरे शॉर्ट्स के बटन और चेन खोल कर मुझे नीचे से नँगा कर दिया। इतना सब कुछ देखने के बाद मेरा लण्ड तो वैसे ही कड़क होकर सर उठाये खड़ा था। ऋतू दीदी की नाजुक उंगलियो ने मेरे लण्ड को अपने में लपेट लिया। फिर वो मेरे लण्ड को रगडने लगी। मै मुँह खोल कर तेज साँसें ले रहा था। ऋतू दीदी की उंगलियो में वैसा ही जादू था जैसा निरु की उंगलियो में था।
मैंने आँखें बंद कर ली और अगले ही पल मेरे लण्ड को मुँह की गर्मी लगी। मैने आँखें खोली तो ऋतू दीदी मेरा लण्ड अपने मुँह में ले चुस रही थी। मैंने सोचा नहीं था की २ दिन के अन्दर हम दोनों के रिश्ते इतने बदल कर यहाँ तक पहुच जाएंगे। ऋतू दीदी अब मेरे लण्ड पर बैठ गयी थी और उनकी चूत की नर्माहट मेरे कड़क लण्ड को ठंडक दे रही थी। ऋतू दीदी अब मेरे ऊपर झुक गए और उनके मम्मे मेरे ऊपर लटक गए। नीरु और ऋतू दीदि, दोनों के मम्मे बड़े है।पर निरु के मम्मे झुकने पर भी अपनी गोल शेप कायम रखते हैं, पर ऋतू दीदी के मम्मे लटकने के बाद गोल की बजाय लंबे हो गए। ऋतू दीदी ने मुझे उनके मम्मे चुसने को बोला और एक आज्ञाकारी बच्चे की तरह मैंने उनके निप्पल रूपी काले अंगूर को अपने होंठों में दबा लिया।
उन अंगूर का स्वाद उतना ही मजेदार था जितना मुझे निरु के किशमिश जैसे निप्पल चुसने में आता है। ऋतू दीदी ने मुझे अच्छे से चुसने को बोला और मैंने उनके लटकते मम्मो को अपने मुँह में भर लिया और चुसने लगा। जब मेरा मन भर गया तो मैंने उनके मम्मो को चुसना छोड़ा और ऋतू दीदी सीधा बैठ गयी। फिर उन्होंने मेरे लण्ड को अपनी चूत के छेद पर रगड़ा। मेरी तो जान सुख कर हलक में आ गयी की यह क्या हो रहा है।
मैं अब ऋतू दीदी को चोदने वाला था, या ऋतू दीदी खुद मुझसे चुद रही थी। मेरा लण्ड अब ऋतू दीदी की चूत की गर्मी का अहसास कर रहा था और आधा उनकी चूत में उतार चुका था। ऋतू दीदी ने भी एक ठंडी आह भरी और मेरा लण्ड पूरा अपनी चूत में उतार ही दिया।
ऋतू दीदी ने अब ऊपर नीचे होना शुरू कर दिया और मेरा लण्ड उनकी चूत में अन्दर बाहर रगड़ खाने लगा। ऋतू दीदी की जानी पहचानी सी सिसकिया चालु हो गयी जो मैंने वॉशरूम के बाहर से सुनि थी। चुदाई से मैं भी मजे में सरोबार हो आनंद ले रहा था। कभी सपने में भी ऋतू दीदी को चोदने के बारे में नहीं सोचा था। हालाँकि कल रात ऋतू दीदी को चोदते हुए देख मैंने निरु को जरूर चोदा था।
अब ३-४ मिनट हो चुके थे और मेरा लण्ड ऋतू दीदी की चूत को चोदे जा रहा था। प्रेगनेंसी के डर से निरु ने मुझे कभी भी १०-१५ सेकण्ड्स से ज्यादा अपनी चूत को बिना प्रोटेक्शन के चोदने नहीं दी थी। मगर आज मुझे कोई ठोकने वाला नहीं था। ऋतू दीदी को प्रेगनेंसी का कोई डर नहीं था और वो मुझे खुलकर बिना प्रोटेक्शन के चोद रही थी। इस से पहले सिर्फ कल रात जब मैं जबरदस्ती निरु को बिना प्रोटेक्शन के चोद रहा था तब इतना मजा आया था। मगर अभी तो झड़ने के टाइम लण्ड बाहर निकालने का भी झंझट नहीं था।
ऋतू दीदी के चूत के जूस की चिकनाई मैं अपने लण्ड पर महसूस कर सकता था। मेरे आनंद की आज कोई सीमा नहीं थी। मैंने जो नहीं माँगा था वो भी मिल रहा था। नीरु ने वादा किया था की वो मुझे आज रात चोदेगी पर उसके पहले ही उसकी बहन ने मुझे चोद दिया था। यह दोनों पति पत्नी चुदाई के मामले में बहुत ओपन है।