नीरु भी मेरी चुदाई से अब तक आत्मसमर्पण कर चुकी थी। मैं अब आराम से उसके मम्मे दबाये उसको चोद रहा था। निरु ने ज्यादा मजा लेने के लिए अपनी टांगो और गांड को टाइट कर लिया था और मैंने अपने लण्ड को निरु की चूत में जकड़ा हुआ पाया। नीरु अब खुद अपनी गांड को आगे पीछे कर चुदने का मजा लेने लगी थी। अगले कुछ मिनट्स तक और चोदने के बाद मुझे लग गया की अब मैं झड़ने वाला हूँ। मगर निरु के उत्साह को देखते हुए मैंने उसका साथ दिया और उसको चोदते रह।
फिर मुझे लगा की अब कंट्रोल करना मुश्किल हैं और मेरे लण्ड का जूस निकलने वाला है। मैने अपना लण्ड निरु की चूत से निकलना चाहा पर उसके पहले ही २ बून्द निरु की चूत में ही छूट गयी। मैंने अपना लण्ड बाहर खिंचा पर उसको तो निरु ने दबा रखा था। मैने जल्दी से अपना हाथ निरु के मम्मो से हटाया और उसके कूल्हों को पकड़ जोर लगया। मेरे लण्ड से दो बूँद और जूस की निकली और निरु की चूत में चली गयी। मेरे जोर लगाने से मेरा लण्ड निरु की चूत से बाहर आया और आते वक़्त अपना जूस छोड़ता हुआ आया। मेरा सारा जूस अब निरु की चूत और गांड के बीच गिर गया और उसको गन्दा कर दिया।
झड़ने के बाद मैं बड़ा रिलीफ महसूस कर रहा था की तभी मेरी जांघ पर एक जोर का मुक्का लगा और मेरी बस चीख नहीं निकली। निरु ने अपना गुस्सा मुझ पर निकाला था। मुझे भी अब अपनी गलती का अहसास हुआ। जोश जोश में मैंने लगभग निरु को पूरा चोद ही दिया था। ऊपर से मैंने अपना चिकना जूस उस पर ड़ाल गन्दा कर दिया था।
थोड़ी देर पहले ही ऋतू दीदी और जीजाजी ने अपनी चुदाई ख़त्म की थी तो निरु अपनी साफ़ सफाई के लिए उठ कर वाशरूम भी नहीं जा सकती थी। मैं यह सोच ही रहा था की मुझे एक के बाद एक दो मुक्के मेरी जांघ पर पढ़े और मैं अपनी जांघ को रगड़ता हुआ पीछे हट कर निरु से दूर हुआ। अभी निरु बहुत गुस्से में थी तो उस से दूर होना ही ठीक था। निरु के पास अभी सफाई करने के लिए उसका गाउन था या उसकी पैंटी। मैंने अपना अंडरवियर ऊपर कर पहन लीया।
नीरु ने भी कुछ हरकत की थी और उसने भी अपनी पैंटी ऊपर चढ़ा कर अपनी चूत पर जमा मेरे लण्ड के जूस को साफ़ किया था। मेरे गीले लण्ड से मेरी अंडरवियर भी थोड़ी गीली हो गयी थी और मुझे गीला लग रहा था। मै सोचने लगा, बेचारी निरु को कितना गीला लग रहा होगा, मैंने उस पर इतना जूस डाला हैं की उसकी पैंटी और भी ज्यादा गीली होगी।
तक़रीबन १५-२० मिनट्स के बाद जब उसको लगा की जीजाजी – दीदी सो चुके हैं तब वो अँधेरे में ही उठी और वॉशरूम में चली गयी। थोड़ी देर बाद वो वापिस आई और मेरी तरफ पीठ कर फिर से चादर के अन्दर सो गयी।
मैंने चेक करने के लिए निरु के गाउन के ऊपर से ही उसकी गांड पर हाथ लगाया और फील किया की उसने पैंटी नहीं पहने थी, वो वॉशरूम में जाकर अपनी गीली हो चुकी पैंटी खोल आई थी। तभी मेरे हाथ पर एक जोर का चांटा पड़ा और मैंने अपना हाथ पीछे खींच लिया। निरु अभी भी तेज गुस्से में थी और मैंने फिर उसको हाथ नहीं लगाया। मैं फिर सो गया और सुबह ही उठा।
सूबह उठने पर देखा की निरु पहले ही उठ चुकी हैं और ऋतू दीदी भी। दोनों अपने काम में लगे थे। मैं निरु का चेहरा पढ़ सकता था। वो जब गुस्से में होती हैं तो ऐसे ही होती है। मुझे लग गया आज तो मेरी शामत है। जीजाजी भी उठ चुके थे और हमने ब्रश किया और फ्रेश हो गया। कल की तरह एक बार फिर डिसाइड हुआ की दो-दो करके लोग ब्रेकफास्ट को जाएंगे और बाकी दो यही रुकेंगे नहा कर तैयार होने के लिये। मुझे नाराज हो चुकी निरु को मनाना था।
मुझे पता था की वो बिना नहाए ब्रेकफास्ट करने नहीं जाएगी। मैंने बोल दिया की मैं नहाने के लिए यही रूकूंगा। जीजजी अपनी बीवी ऋतू दीदी को लेकर ब्रेकफास्ट के लिए जाने लगे पर निरु ने उनको रोका और कहा की वो उनके साथ ब्रेकफास्ट को जाएगी। मुझे पता था की निरु ने ऐसा क्यों किया, वो मुझसे नाराज थी और मेरे साथ अकेले नहीं रहना चाहती थी।जीजा साली दोनों ब्रेकफास्ट के लिए चले गए। ऋतू दीदी ने मुझे पहले नहाने को बोल दिया। ऋतू दीदी को देख मैं रात की घटना इमेजिन कर रहा था की वो कैसे ऊपर चढ़ कर जीजाजी को चोद रही थी। मुझे लगा की रात की चुदाई के बाद उनको नहाने की ज्यादा जरुरत है। इसलिए मैंने उनको पहले जाने को बोल दिया। वो कुछ मिनट्स में ही नहा कर बाहर आ गयी, क्यों की उनको बाल नहीं धोने थे। ऋतू दीदी के बाहर आते ही मैं जल्दी से वॉशरूम में अन्दर गया। वाशरूम में उनके बदन की सौंधी महक आ रही थी। कपडे रखने की जगह पर ऋतू दीदी का ब्रा और पैंटी पड़ी थी जो उन्होंने शायद कल रात पहनी थी।
मै तो वैसे ही ऋतू दीदी के नए रूप का दीवाना हो चुका था तो उनकी पैंटी और ब्रा उठा कर मैंने सूँघ ली और जैसे नशा सा चढ़ गया। मैंने अपना शॉर्ट्स नीचे किया और ऋतू दीदी की पैंटी को अपने लण्ड पर रगड़ कर अपनी थोड़ी इच्छा शांत की। इसके बाद मैं नहाने चला गया। बाहर आया तो ऋतू दीदी ने बोला की
“तुम अन्दर चले गए, मेरे कुछ कपडे अन्दर ही रह गए थे”।
मैंने अनजान बनने का नाटक किया जैसे मैंने उनके कपडे देखे ही नहीं था। हम तैयार हो ही रहे थे की जीजाजी और निरु ब्रेकफास्ट करके आ गए थे। निरु के चेहरे पर हंसी थी पर मुझे देखते ही वो उदासी में बदल गयी। ऋतू दीदी ऑलमोस्ट तैयार थे ब्रेकफास्ट पर जाने के लिए तो मैंने रूम की चाबी जेब में रख ली।
कल सुबह मेरे और निरु के ब्रेकफास्ट पर जाने के बाद जिस तरह जीजाजी वॉशरूम में ऋतू दीदी को चोद रहे थे, मुझे डर लगा की अभी मेरे और ऋतू दीदी के जाने के बाद वो अकेले में निरु को वॉशरूम में न चोद दे। ऋतू दीदी अब ब्रेक फ़ास्ट पर जाने को रेडी थी और निरु बैग से कपडे निकाल नहाने के लिए रेडी थी। मैंने ऋतू दीदी को कुछ बहाना बना कर आगे चलने को कहा की मैं थोड़ी देर में आता हूँ। नीरु अब वॉशरूम में नहाने चली गयी और मैं अपने मोबाइल पर कुछ चेक करने के बहाने बैठा रहा।
जीजाजी कमरे में इधर उधर टहल रहे थे। मुझे पता था जीजाजी कितने बेचैन हो रहे होंगे की मैं वहाँ से जाउ और वो वॉशरूम में घुस कर निरु के साथ कुछ गन्दी हरकत कर सके। उन्होंने मुझसे एक बार ब्रेकफास्ट के लिए जाने का भी याद दिलाया पर मैं भी २मिनट बोल कर बिजी होने की एक्टिंग करता रहा। कुछ मिनट के बाद निरु नहा कर बाहर आ गयी थी। नहाने के बाद मेरी निरु और भी खिल उठी थी, पर वो मुझसे नाराज थी।
जीजाजी अब वॉशरूम में चले गए। कहि निरु ने अपने ब्रा और पैंटी बाथरूम में तो नहीं छोड़ दिए, वार्ना जीजाजी भी मेरी तरह ब्रा पैंटी सूँघने के मजे लेंगे। मैंने निरु से पूछा उसके ब्रा पैंटी बाथरूम में तो नहीं छूट गए। उसने मुझे कोई जवाब नहीं दिया।
मुझे लगा अब निरु सेफ है। मैं रूम से बाहर निकल कर ब्रेकफास्ट के लिए गया। वह पंहुचा तो ऋतू दीदी अपना ब्रेकफास्ट ख़त्म कर चुकी थी। मेरे लिए अच्छा था की ऋतू दीदी रूम में जाएंगे तो जीजाजी की हिम्मत नहीं होगी निरु को हाथ लगाने की। ऋतू दीदी रूम की तरफ चले गए और मैं अब आराम से ब्रेकफास्ट करने लाग। आज तो मुझे खाने से रोकने के लिए निरु भी नहीं थी। पर सच पूछो तो मुझे बुरा भी लग रहा था, निरु की वो टोका टाकी मैं मिस कर रहा था।
मैने आराम से ब्रेकफास्ट फिनिश कर फिर रूम की तरफ बढ़। जेब में हाथ डाला तो रूम की चाबी मेरे पास ही रह गयी थी। मैं सीधा रूम का दरवाजा खोल अन्दर गया। वाशरूम से एक बार फ्री सिसकियों की आवाज आ रही थी। अन्दर कल की तरह फिर चुदाई चल रही थी। आज तो मुझे रोकने के लिए निरु भी वह नहीं थी। मैं रूम का दरवाजा बंद कर वॉशरूम की तरफ बढ़। अन्दर से लड़की की चुदाई से निकलती सिसकियों के साथ जीजाजी की क्लियर आवाज आ रही थी जिसे सुन मेरा माथा फट गया
“ओह्ह्ह निरु, ई विल फ़क यू। तुम्हारा क्या फिगर हैं निरु, ओह तुम्हारे बूब्स, मजा आ गया, ओह्ह्ह निरु तुम्हे चोदने का क्या मजा हैं, आअह्ह्ह आअह्ह्, ओह निरु डार्लिंग, तुम्हारी चूत क्या गरम हैं, ले लो मेरा लण्ड, निरु अपनी चूत चुदवा … ायी, ओह निरु…”
मेरा दिमाग उस वक़्त शून्य सा हो गया। जोर से चीखने की इच्छा हो रही थी पर आवाज नहीं निकल रही थी। अन्दर ही अन्दर मैं रो रहा था। ऊपर से निरु की आती वो सिसकिया बता रही थी की वो खुद कितना अपने जीजा से चुदाई को एन्जॉय कर रही थी। निरु ने धोखा दिया पति को ,