भाग 3 Update 45. ( New-9) –
प्रशांत नीरज द्वारा भेजी गयी रिकॉर्डिंग को आगे सुनता है जिसमे असल में काजल नीरू का रोल प्ले कर रही है –
नीरज : अच्छा चल नीरू ( काजल) अब मेरा लंड चूस
नीरू ( काजल) : ठीक है जीजा जी आज तो आपका ये कुछ ज्यादा ही बड़ा लग रहा है
नीरज : हाँ आज मैं बहुत खुश हूँ और तुम्हे बहुत मजे देने वाला हूँ
और फिर नीरज की आवाज आयी
नीरज : फिर नीरू ने मेरा लण्ड पकड़ लिया और हिलाते हुए कड़क करने लगी। लण्ड थोड़ा बड़ा हुआ तो निरु उसको अपने मुँह में लेकर चुसने लगी। वो बहुत दिनों बाद मेरे लण्ड को चुस रही थी और मैं जैसे हवा में तैरने लगा था और आहें भरता हुआ मजे लेता रहा। जब मेरा पानी निकलने लगा तो मैंने नीरू को रोक दिया और मैने अब अपना हाथ ले जाकर निरु के हिप्स पर रख दिया। मैंने अब अपना हाथ उसकी गांड पर फेरना शुरू किया। नीरु बोली जीजा जी अब आपकी बारी है , मेरी चूत चाटो.
यह कहते हुए निरु बिस्तर पर कोहनी के बल आधा लेट गयी और अपने पाँव चौड़े कर दिए। चुत खुली देखते ही इतने दिन की मेरी तड़प जाग गयी और मैं टूट पद। मैं अब बेतहाशा निरु की चूत को अपनी जुबान से रगड़ रगड़ कर चाट रहा था। उस से भी मन नहीं भरा तो उसकी चूत के होंठों को थोड़ा खोला और फिर अपने मुँह में भर कर किश किया और चुसा। ऐसा करते ही निरु को मजा आया और वो मुझे उत्तेजित करना चालू हो गयी। इसलिए मैं पुरे जोश के साथ अपनी जुबान का खुरदुरा भाग निरु की चूत में रगड़ कर उसको मजे दिलता रहा। इन सब के बीच निरु लगातार मजे के मारे अपना पाँव बिस्तर पर ऊपर नीचे रगड़ कर तड़प रही थी। अपनी चूत में मेरी जीभ घुसते ही नीरू को बहुत मज़ा आने लगा और वो जोर से मेरा सर अपने चूत के ऊपर पकड़ दबाने लगी और थोड़ी देर के बाद अपनी कमर ऊपर-नीचे करने लगी। वो बहुत बुरी तरह आहें भरती रही ।
नीरु: “ओह्ह! जीजाजी, क्या मस्त चुसते हो आप. आआह मजा आ रहा हैं … उह्ह्ह्ह . . उम्मम्मम्म आआह जीजाजी … चूत में जुबान डाल कर चोदो मुझे … हम्म्म्म … हां ऐसे … जल्दी जल्दी …आ आ . . ऊवाहः जीजाजी . . मजा आ रहा हैं . . और चोदो”
नीरु: “बस जीजाजी रुक जाओ … मेरा पूरा पानी निकाल दिया आपने . . आ जाओ . . मेरे मम्मे चुस लो अब . . आपके लिए ही बड़े किये हैं मैंने . . चुस लो सारा दूध इसका”
नीरू जीजा जी , कैसी है मेरी चूचियाँ, आपको पसंद तो हैं?”
नीरज: नीरू , तुम मेरी पसंद नापसंद पुछ रही हो? और आज तक मैंने इतनी सुंदर चूची कभी नहीं देखी है। तुम्हरी चूची बहुत सुंदर है और यह मुझे पागल बना रही है। इनको देख कर मैं अपने आप को रोक नहीं पा रहा हूँ।
नीरू : “मेरी चूची देख कर आपको क्या हो रहा है?”
नीरज “ नीरू मैं अब तुम्हारी इन चूचियों को चूसना और काटना चाहता हूँ,”
नीरज मैंने अपना बाजू निरु की कमर पर रखते हुए हाथ उसके सीने के आगे ले गया। मैने फिर धीरे धीरे अपनी हथेली आगे कर उसके बूब्स के एकदम करीब ले गया। अचानक निरु का हाथ आया और मेरी हथेली को उसके बूब्स से चिपका दिया। थोड़ी देर मेरा हाथ निरु के बूब्स से चिपका रहा। मैंने फिर अपनी उंगलियो को समेटा जिसकी वजह से मेरी उंगलियो ने निरु के बूब्स को दबोचाना शुरू किया। निरु ने कुछ नहीं बोल। मैंने ५-६ बार उसके बूब्स को दबोचा। मैंने निरु के बड़े बूब्स को दबाने के मजे लिए ।
फिर मैंने नीरू के निप्पल को ऊँगली से दबाना शुरू कर दिया, मैं तुरन्त उसके निपल पर अपना मुँह ले गया गया और उसके निप्पल को चुसने लगा। फिर मैं उसके मुम्मो को चुसता ही रहा और दोनों हाथों से दबाते रहा। उसके निप्पल से फिर से गुनगुना दूध निकल कर मेरे मुँह में आ गया। मैंने गटक लिया। मैंने बारी बारी उसके दोनों दूध चूसे और वहां से दूध पिया .. मैंने नीरू का मुँह चूम कर धीरे से उसके कान पर मुँह रख कर पूछा,
नीरज: ” नीरू अब तुम मुझसे चुदवा कर मेरा बच्चा ही पैदा करोगी “
नीरु: “एआई . . हां जीजा जी . . प्लीज अब चोदो मुझे “
नीरज: नीरू अपनी कमर क्यों उछाल रही हो? क्या तुम्हारी चूत में कुछ कुछ हो रहा है?”
नीरू :“हाँ जीजा जी आप सही कह रहे हो, मुझे कुछ हो रहा है मेरी चूत में चीटियाँ रेंग रही हैं। मेरा सारा बदन टूट रहा है, अब कुछ करो।”
नीरज : “क्या तुम अपनी चूत मेरे लंड से चुदवाना चाहती हो?”
नीरू “जीजा जी आपने मुझे दुल्हन की तरह सजवाया फिर मेरे कपड़े गहने सब उतार दिये और अपने कपड़े भी उतार दिये और मुझे चूमा और चाटा और अब भी पुछते हो क्या मुझे चुदवाना है ?”
नीरज : ठीक है अब मैं तुमको चोदुँगा, लेकिन पहले थोड़ा दर्द होगा क्योंकि बच्चा होने के बाद तुम आज पहली बार चुदोगी , पर मैं तुम्हे बहुत ही प्यार से धीरे धीरे चोदुँगा और तुमको दर्द महसूस नहीं होने दुँगा,”
नीरज : फिर मैने निरु को लेटाया और उसकी दोनों टांगो को चौड़ा कर थोड़ा उठाया दोनों पैर उठा कर घुटने से मोड़ दिये ये। फिर ढेर सारा थूक अपने हाथ में लेकर पहले अपने लंड पर लगाया फिर नीरू की चूत पर लगाया। थूक से सना अपना खड़ा लंड चूत के मुँह पर रखा और धीरे से कमर को आगे बढ़ा कर अपना सुपाड़ा नीरू की चूत में घुसा दिया और नीरू भी थोड़ा हिली और अपना लण्ड निरु की चूत में एक ही झटके में पूरा अंदर डाल दिया। नीरू के ऊपर चुपचाप पड़ा रहा। थोड़ी देर के बाद जब नीरू नीचे से अपनी कमर हिलाने लगी .
नीरू चिल्लाने लगी,
नीरू: जीजा जी बाहर निकालो, बहुत दर्द हो रहा है । हाय! मेरी चूत फटी जा रही है। आप तो कह रहे थे कि थोड़ा सा दर्द होगा और आप आराम से चोदोगे। और आपने एक ही झटके में पूरा घुसा दिया आराम से नहीं कर सकते थे .. आप अपना लंड बाहर निकालो.. मुझे नहीं चुदवाना है,।”
नीरज “अरे नीरू मैंने तो आराम से ही किया था तुम भी जरा से आगे को हुई थी और लंड खुद ही पूरा अंदर चला गया,, बस अभी तुम्हारा दर्द खतम हो जयेगा और तुम्हे मज़ा आने लगेगा। बस थोड़ा सा बर्दाश्त करो।”
नीरज ने फिर प्यार से नीरू के गुलाबी होंठो को चूमा तो उनके चुंबन और कराहने के आवाज आने लगी और नीरज ने अपना लंड नीरू की चूत के अन्दर ही थोड़ी देर के लिये रहने दिया। उसने नीरू की एक चूची को अपने मुँह में लेकर जीभ से चूसना शुरु कर दिया और चपड़ चपड़ की आवाज आने लगी
नीरू : जीजा जी आप चूसने के साथ साथ मेरे दुसरे निपल को सहलाओ .. ओह्ह्ह ऐसे ही चूसो चूसते रो और प्यार से सहलाओ ,,,, जीजा जी .. अब ठीक लग रहा है दर्द कम हो गया है
नीरज : नीरू अब मैं चुदाई शुरू करता हूँ और अब धीरे-धीरे अपनी कमर हिला हिला कर अपना लौड़ा नीता की चूत में अन्दर-बाहर करता हूँ । फिर तुम जब कहोगी तब तेज कर दूंगा ..
फिर कराहने के आवाजे आने लगी है
नीरू: ओह्ह आह धीरे करो जीजा जी अभी थोड़ा थोड़ा दर्द है
नीरज: ऐसे करूँ अब ठीक है
नीरू : जीजा जी ऐसे ही करते रहो मजा आ रहा है जीजा जी अब ठीक लग रहा है थोड़ा तेज करो .. और नीरू की और नीरज की सिसकारीयो और उनकी चुदाई की ‘फच’ ‘फच’ की आवाज आने लगी है । जिसकी स्पीड बढ़ती जा थी ..
नीरू: “आह! आह! ओह! ओह! हाँ! हाँ! और जोर से, और जोर से… हाँ हाँ जीजा जी हां हां ऐसे ही तेज और तेज .. ऐसे ही अपना लंड मेरी चूत में पेलते रहो,”
नीरज: ओह आह ये ले नीरू ले इसे संभाल
नीरू .. ओह आह थोड़ा धीरे जीजा जी ये बहुत तेज था .. मैं अब आपकी हूँ आज हो फाड़ डालोगे क्या
नीरज : ओह आज कितने अरसे बाद मौका मिला है . अब मुझे मत रोको नीरू मैंने कितना इन्तजार किया है ..
नीरू : मैं भी तो बहुत तड़पी हूँ आपके लिए ओह आह और तेज और तेज चोदो और चोदो जोर से चोदो मुझे, आने दो तुम्हारा पूरा लंड मेरी चूत मे। मेरी चूत में अपना लंड जड़ तक पेल दो। और जोर जोर से धक्का मारो..
नीरज : ये ठीक है नीरू और फच की आवाज आयी
नीरू: “आईईए जीजाजी … मजा आ गया … और मारो . . “
प्रशांत: “निरु, मैंने प्रोटेक्शन नहीं पहना हैं”
नीरु: “हम्म . . कोई बात नहीं …उह्ह्ह्हह्ह चोद दो मुझे . . जीजाजी”
नीरज : तो और ले और ले … निरु तेरी चूत में अपना पानी छोड़ दु बोल, तू मेरे बच्चे की माँ बनेगी?
नीरु: “हां जीजाजी . . माँ बना दो मुझे चोद कर जल्दी से …”
नीरज : “तो यह ले निरु, … आह … अह्ह्ह . . यह ले … यह ले . . और ले . . “
नीरु: ” आह आह . . ओह्ह्ह्ह जीजाजी … मजा आ गया … चोदो मुझे . . ोोोीईए . . उम्म्म्म … आ मायआ . . चोद दो … जोर से चोद दो … जीजाजी . . “
नीरू: जीजा जी आप अब मत रुकना … “आह . . जीजाजी . . चोद दो … जोर से . . जोर से चोदो मुझे … अपनी निरु को जोर से चोदो … आईए . . जीजाजी”
नीरज: आआहह…मेरी रानी……. मेरी नीरू
नीरू : ऊऊहह……मेरे प्यारे जीजा जी …….और तेज़ ………अओउुउउर्र्ररर तेज़्ज़्ज़…..आआहह………अंदर…और अंदर आज्ज्जाआ……आअहह….प्प्प…स.स..स.
नीरज : …..आहह…ऑश……….नीरू मेरी जान मेरी …प्यारी….मैं छूटने वाला हूँ….
नीरु: “हां. . जीजाजी … हूऊऊऊ. . उउउऊँन. . चोदो. . मेरा होने वाला हैं … दे दो. . दे दो दूसरा बच्चा मुझे जीजा जी. .अ . .अआह्ह्ह”
नीरू : आअहह……मैं भी ..आआ…ई…….ऊऊऊ…..अंदर ही ……गिरा….द…दो अपना… भर दो मुझे आज …
नीरज और नीरू : आअहह……….. आह………आह…………..आह….मैं तो गयी गयी…. ाः ओह्ह उफ्फ्फ और दोनों के हाफने के आवाजे आर ही थी जैसे दोनों मिलो भाग कर आये हो
कुछ देर बाद
नीरज: क्यों नीरू क्या तुमको अच्छा नहीं लगा
नीरू : जी जीजा जी अच्छा लगा और मजा भी बहुत आया आज बहुत दिनों बाद चुद रही हूँ न इसलिए दर्द हुआ जीजा जी अब आगे आराम से करो अब तो मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ.
फिर रिकॉर्डिंग खत्म हो गयी तो प्रशांत को फिर फोन आया तो उसने कहा
प्रशांत : नीरज जी आप प्लीज और न सुनाईये मैं बहुत शर्मिंदा हूँ ..
नीरज ;; अच्छा चल इतना ही बता दे नीरू की सबसे पसंदीदा पोजीशन क्या है
प्रशांत : उसे घोड़ी बन कर चुदना बहुत पसंद है
नीरज : हम्म्म
प्रशांत : प्लीज नीरज जी मैं फिर माफ़ी मांगता हूँ.. मैंने जो भी किया नीरू पर शक किया और आपको भला बुरा कहा सब की लिए बहुत शर्मिंदा हूँ . और इसके लिए फिर माफ़ी मांगता हूँ .. मुझे माफ़ कर दो .. आप प्लीज मेरे बेटे की फोटो भेज दो . मुझे ऐसे मत जलील करो .. मैं अब और बर्दाश्त नहीं कर पा रहा हूँ ..
और उसके बाद नीरज ने प्रशांत को निशंक की फोटोशॉप की हुई नकली फोटो भेज दी .
जारी रहेगीभाग 3 Update 46. ( New-10)
प्रशांत उसके बाद नीरज को बेटे निशंक का फोटो भेजने के लिए धन्यवाद करता है और फ़ोन बंद कर देता है.
प्रशांत को जब से नीरज ने नीरू की चुदाई की रिकॉर्डिंग फोन पर सुनवाई थी, उसके बाद प्रशांत को पूरा भरोसा हो गया था कि नीरू अब पूरी तरह से नीरज की हो चुकी है। लेकिन वो अपने बच्चो को लेकर जरूर थोडा परेशान था। पहला बच्चा तो ऋतु को दे दिया था। अब दूसरा बच्चा को भी क्या वो उसे देख नहीं पाएगा। प्रशांत जब भी नीरू को फ़ोन करता था उसे नीरज ही उठाता था इसलिए उसके बाद वो नीरू के नंबर पर भी बात करना भी बहुत कम कर देता है। महीने में बामुश्किल एक बार ही वो नीरज के फोन को उठाता है। वो भी तब जब नीरज का व्हाट्ऐप पर मैसेज आता है कि जरूरी बात करनी है। इससे नीरज को भी लगता है की प्रशांत का काँटा लगभग निकल ही गया है .
फिर प्रशांत के वापिस लौटने के लगभग २ महीने पहले एक दिन प्रशांत के फ़ोन में कुछ खराबी आ जाती है तो वो फ़ोन ठीक करवाने जाता है ..
मेकानिक : सर इसमें बहुत सारी ऑडियो रेकॉर्डिंग पड़ी हुई है .. जिसके कारण इसमें डाटा स्पेस खत्म हो गया है .. आप के फ़ोन में आप जो भी बाते करते हो सबकी रिकॉर्डिंग हो जाती है क्योंकि उसमे ऑटो रिकॉर्डिंग का फीचर डला हुआ है .. आप कहें तो उनको डिलीट कर दू .. जगह हो जायेगी तो फ़ोन ठीक हो जाएगा ..
प्रशांत : नहीं डिलीट मत करो .. उनका बैकअप एक अलग डाटा कार्ड में कर दो फिर डिलीट कर देना
मेकानिक वैसा करके फ़ोन ठीक कर देता है ..
घर में आकर प्रशांत कंप्यूटर में लगा कर चेक करता है उसमे नीरज से सारी बातचीत की रिकॉर्डिंग भी थी .. वो सब सुनता है और नीरज से बातचीत की कुछ रिकॉर्डिंग ऋतू को भेज देता है और साथ में मैसेज करता है और नीरू को भी फ़ोन मिलाता है और घंटी की आवाज नीरज की अलमारी से आ रही होती है .. ऋतू उसे निकाल कर देखती है तो उसमे नीरू के पुराने नंबर वाले सिम के साथ एक फ़ोन मिल जाता है .. जिसमे प्रशांत का काल था और तब तक फ़ोन कट जाता है .. ऋतू उस फ़ोन को चेक करती है ..
लेकिन उसके बाद भी ऋतू का कोई जवाब नहीं आता है और प्रशांत का शक पुख्ता हो जाता है की ऋतू भी नीरज का साथ दे रही है और ये बात उसने नीरज के मुँह से भी एक दो बार सुनी थी की सब ऋतू की सहमति से हो रहा है इसलिए उसने कभी उसके बाद ऋतू को संपर्क करने की कोशिश भी नहीं की बल्कि इस गम में अकेले ही घुलता रहता है
समय अपनी गति से बीत रहा था बच्चा एक साल का हो जाता है।
ऋतु : आज छोटू का बर्थडे है, आज तो प्रशांत को जरूर आना चाहिए।
नीरू : दीदी इसे छोटू मत कहा करो, इसका नाम निशंक है।
ऋतु : वो ठीक है मैं ते छोटू ही कहूंगी। वैसे प्रशांत से बात हुई या नहीं डेढ साल से ज्यादा का वक्त हो गया है।
नीरू : नहीं दीदी साल भर से कोई बात नहीं हुई है।
जिस दिन प्रशांत के बेटे का जन्म दिन था प्रशांत ने उसी दिन इंडिया लौटने की तैयारी की और दुसरे दिन प्रशांत इंडिया लौट आता है। प्रशांत सबसे पहले अपने घर जाता है जहां वो अपने मम्मी पापा से मिलता है।
प्रशांत लौट आया है नीरज को इसकी जानकारी नहीं थी लेकिन नीरज को ये जरूर पता था कि प्रशांत अब जल्दी ही इंडिया लौटेगा। जिससेे नीरज जरूर चिंतित दिखने लगता है। क्योंकि उसने सोचा था कि डेढ साल में वो नीरू को फिर से अपने जाल में फंसा लेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ और नीरू ने उसे माफ नहीं किया। नीरू को नीरज की मंशा समझ में आ चुकी थी इसलिए वो नीरज से दूर ही रहती है।
प्रशांत ने भी नीरज को ये नहीं बताया था कि वो इंडिया कब जा रहा है। क्येंकि वो नहीं चाहता था कि नीरज उसे अपनी और नीरू की प्रेमलीला लाइव दिखाए। इंडिया आने के बाद प्रशांत ने सोचा कि एक बार अपने बच्चों को देख लिया जाए। शायद नीरू उसे अपने साथ आफिस लाती हो।
प्रशांत एक दिन शाम के समय एक बार फिर नीरू के आफिस के बाहर पहुंच जाता है। अपनी गाडी सड़क किनारे खडी कर प्रशांत टहलने लगता है थोडी देर बाद उसे आफिस से नीरू आती दिखाई देती है लेकिन उसके हाथ में बच्चा नहीं था। प्रशांत के मन में कई विचार आने लगता है क्या नीरू ने बच्चा किसी को दे दिया है। या फिर दूसरा बच्चा भी ऋतु के ही पास है। नीरू ऑटो का इंतजार कर रही थी एक बार उसकी नजर प्रशांत पर भी पडी लेकिन वो प्रशांत को दूर से पहचान ही नहीं पाई। क्योंकि दाडी मूछ और मजबूत कद काठी में नीरू ने प्रशांत को कभी देखा ही नहीं था। प्रशांत नीरू को एकटक देखता रहता है तभी एक ऑटो आता है और नीरू उसमें बैठकर चली जाती है।
दो तीन दिन ये ही चलता रहता है। नीरू की नजर प्रशांत पर पडती है लेकिन वो उसे नजर अंदाज ही करती है। नीरू ये समझती है कि ये युवक कहीं आसपास ही रहता होगा। दाडी मूछे और मजबूत कद काठी देख नीरू को उससे उल्टा डर ही लगता है।
दूसरी ओर प्रशांत के मन में उथल पुथल मची हुई थी। इंडिया में उसे कंपनी में ज्वैइन करने का समय आ गया था। जिस शहर में नीरू नौकरी करती थी वहां प्रशांत की कंपनी की ब्रांच भी थी। लेकिन उसे दूसरे शहर की मैन ब्रांच को संभालना था। इसके लिए उसे एक दिन बाद ही जाना था। नीरू से मिलने में उसे ज्यादा इट्रेस्ट नहीं था वो अपने बच्चे को देखना चाहता था।
प्रशांत सोचता है कि आज नीरू का पीछा करके देखा जाए कि ये जाती कहां हैं क्योंकि दो दिन नीरू के ऑटो में बैठती ही प्रशांत दूसरे रास्ते से नीरज के घर पहुंचा लेकिन उसे नीरू नीरज के घर जाते हुए नहीं दिखी। जबकि नीरज से जब भी उसकी फोन पर बात होती थी तो नीरज ये ही कहता था कि नीरू अब उसी के घर में शिफ्ट हो गई है और वो, नीरू और ऋतु एक ही विस्तर पर सोते हैं।
नीरज के घर पर जब नीरू नहीं मिलती है तो प्रशांत अब नीरू का ही पीछा करने की सोचता है। रोज की तरह नीरू आज भी ऑटो से अपने घर जा रही थी। प्रशांत थोडी दूरी बनाते हुए ऑटो का पीछा कर रहा था। जैसे जैसे ऑटो कुछ दूर जाने के बाद रूकता है और नीरू उसमें से उतरकर एक मकान में जाती है लेकिन थोडी देर बाद ही वापस आ जाती है। अब उसकी गोद में एक बच्चा था। प्रशांत बिल्डिंग की ओर देखता है और देखते ही समझ जाता हैकि ये कोई क्रेच है। और नीरू यहां बच्चा छोडकर नौकरी करने के लिए जाती है। प्रशांत जल्दी से मोबाइल निकलता है और बच्चे के फोटो लेने की कोशिश करता है और बच्चे का कोई फोटो क्लीयर नहीं आता। अब प्रशांत के मन में ही कई सवाल उठने लगते है।
नीरू यदि नीरज के साथ रहती है तो वो अपना बच्चा क्रेच में क्यो छोडती है। और नीरज के घर पर तो ये नहीं होती है ये तो साफ है। क्योंकि तीन चार दिन से में लगातार देख रहा हूं। और जिस ओर नीरू अभी गई है नीरज का घर भी उस ओर नहीं है। तभी प्रशांत को ध्यान आता है कि उससे झगड़े के बाद जिस घर में शिफ्ट हुई थी वो घर उसी ओर था जिस ओर नीरू को ऑटो गया था। प्रशांत एक बार फिर गाडी में बैठता है और नीरू के पुराने मकान की ओर अपनी गाडी दौडा देता था। प्रशांत बहुत देर तक नीरू के मकान केबाहर अपनी गाडी में बैठा रहता है। वो ये क्लीयर करना चाहता था कि नीरू क्या अभी भी यहीं रहती है। काफी देर तक उस बिल्डिंग से कोई बाहर नहीं निकलता तो प्रशांत अपने घर चला जाता है।
दूसरे दिन प्रशांत दूसरे शहर चला जाता है। जहां उसे नौकरी ज्वैइन करनी थी। कंपनी की ओर से उसे घर, गाडी, नौकर सभी सुविधाएं दी गई थी।
एक महीने तक प्रशांत को समय नहीं मिलता। इस बीच नीरज का फोन भी दो बार आता है लेकिन प्रशांत उससे ये ही कहता है कि अभी वो कनाडा में ही है। तीन चार महीने लग सकते हैं आने में। प्रशांत को अब शक होने लगता है कि नीरज उसके साथ कोई बडा गेम खेल रहा है। और ऋतु उसका साथ दे रही है। प्रशांत के घर लौटते ही उसके घर वाले उस पर दूसरी शादी का दबाव बनाना शुरू कर देते हैं।
प्रशांत के चाची और मां बोलते हैं बेटा अब तू शादी कर ले।
प्रशांत : नहीं मां अब मैं शादी वादी करने के मूढ में नहीं हूं। शादी एक बार की जाती है जो आप लोगों की पसंद से की थी।
प्रशांत की चाची : बेटा ऐसे काम कैसे चलेगा एक तू हैं जिसका अपनी पत्नी से तलाक हो गया है और एक मेरा बेटा है जिसकी पत्नी हादसे में मारी गई है। मेरा बेटा भी शादी के लिए तैयार नहीं है।
प्रशांत : अरे सूरज (प्रशांत के चाचा का बेटा) को समझाइएगा।
प्रशांत की मां : बेटे सूरज भी तुझ पर गया है आखिर है तो एक ही खानदान का खून।
प्रशांत : मां मैं सूरज को समझाने की कोशिश करूंगा।
इसके बाद प्रशांत सूरज को बहुत समझाता है और प्रशांत के समझाने पर सूरज शादी के लिए तैयार हो जाता है। सूरज भी प्रशांत से कहता है लेकिन प्रशांत उससे कह देता है कि वो अभी दो तीन साल शादी के मूढ में नहीं है क्योंकि इंडिया में उसे बहुत काम है दो तीन साल बाद शादी के बारे में सोचूंगा। प्रशांत किसी भी तरह सूरज को टालना चाहता था। पर प्रशांत के माँ बाप उसके पीछे पड़े ही रहते हैं की वो दुबारा शादी कर ले और घर बसा ले .
प्रशांत फिर नौकरी पर चला जाता है। ऋतु के मन में उथल पुथल मची हुई है । क्योंकि उसने नीरज के बारे में जो कुछ सुना था उससे उसे बडा झटका लगा था। लेकिन अभी तक उसके पास इसका कोई सबूत नहीं था। और उसने अब जो कुछ सुना उसकी सच्चाई की पडताल में जुट जाती है।
इस बीच एक दिन ऋतु, नीरज मॉल घूमने का प्रोग्राम बनाते हैं।
ऋतु : एक काम करो नीरू को भी साथ में ले चलते हैं।
नीरज : ले चलो लेकिन वो जाने को तैयार नहीं होगी।
ऋतु : देखते हैं, वैसे ऋतु को भी पता था नीरू नीरज के साथ मॉल जाने को शायद तैयार नहीं होगी। लेकिन फिर भी उसे हल्की सी उम्मीद दिखती है तो वो नीरज से कहती है मॉल तो नीरू के घर के पास में ही हैं। एक काम करते हैं पहले उसी के घर पर चलते हैं। शायद हमारे साथ चलने को तैयार हने जाए। नीरू के घर पर पहुंचने के बाद जाते हैं और ऋतु जबरदस्ती नीरू को भी अपने साथ चलने को कहती है लेकिन नीरू साफ साफ मना कर देती है। लेकिन तभी नीरज को किसी जरूरी काम से जाना पड़ जाता है। तो नीरज ऋतु को नीरू के घर छोडकर चला जाता है।
ऋतु : चल अब तो फटाफट तैयार हो जा हम लोग घूमने चल रहे हैं।
नीरू : नहीं दीदी मेरा मन नहीं है कहीं जाने का।
ऋतु : यार अब तो नीरज भी चला गया मुझे मालूम है तुझे नीरज से अब प्रोब्लम है। मैं भी नीरज के साथ चलने पर तुझ पर कभी जोर नहीं डालती हूं। क्योंकि मुझे उस पर कोई भरोसा नहीं है। आज तुम्हारी जो हालत है उसके पीछे भी नीरज ही जिम्मेदार है।
नीरू : दीदी सिर्फ जीजाजी ही जिम्मेदार नहीं है प्रशांत भी जिम्मेदार है जिसने कभी मुझे समझा नहीं हमेशा शक ही करता रहा। और आज भी शक करता है।
ऋतु : प्रशांत के शक करने के कुछ तो कारण रहे होंगे। कोई ऐसे ही किसी पर शक नहीं करता।
नीरू : कोई कारण नहीं था सिर्फ मैं जीजाजी पर अंध भरोसा करती थी, यदि उसे जीजाजी पर शक था तो चलो मान भी लूं लेकिन वो मुझ पर भी शक करता है साल भर पहले जब मेरा मोबाइल उस के चक्कर में खराब हुआ था उस समय उसने जो बोला था वो शब्द तो मैं दुहरा भी नही सकती।
ऋतु : ये ही बात तो मुझे परेशान कर रही है वो कौन है जो प्रशांत के मन में अभी भी शक के बीज बो रहा है। अब ये सब बातें छोड़ नीरज है नहीं तू मेरे साथ चल रही है।
नीरू : ठीक है आप इतना कह रही है तो चलती हंू और नीरू थोडी देर में तैयार हो जाती है। इस बीच ऋतु नीरज को नीरू के सामने ही फोन लगाकर कहती है कि नीरू कहीं जाने को तैयार नहीं हो रही है वो दो तीन घंटे नीरू के घर पर ही रूकेगी और फिर ऑटो से अपने घर चली जाएगी। ऋतु और नीरू मॉल में घूम रहे थे और बच्चों के साथी भी खेल रहे थे। तभी अचानक नीरू की नजर एक दुकान पर पडती है और नीरू वहीं रूक जाती है।
ऋतु : अरे क्या हुआ यहां क्यो खडी रह गई।
नीरू : वो देख उस दुकान में
ऋतु : अरे वो तो कपडो की दुकान है, लेकिन छोटे के कपडे तो वहां मिलेंगे नहीं।
नीरू : दीदी में कपडो की बात नहीं कर रही हैं दुकान में सामने जो दो महिलाएं बैठी हैं में उनकी बात कर रही हूं।
ऋतु : दुकान की ओर देखते हुए तो इसमें क्या है।
नीरू : उनमें से जो नीली साडी पहने हुए हैं वो प्रशांत की मां हैं और दूसरी वाली शायद उसकी चाची है। वो गांव में रहती है उनसे मैं ज्यादा नहीं मिली इसलिए उनके बारे में श्योर नहीं हुई लेकिन नीली साडी में तो प्रशांत की मां ही हैं। लेकिन ये इतनी खरीददारी किसके लिए कर रही हैं।
ऋतु : यार तू क्योंं चिंता कर रही है, खरीद रहे होंगे अपनी किसी बहू के लिए या बेटी के लिए।
नीरू : नहीं दीदी, प्रशांत अपने मां-बाप का इकलौता लडका है। ऐसे में प्रशांत की मां अरे उसके पिताजी भी आए हुए हैं। उन पर नजर ही नहीं गई। ये लोग यहां रहते भी नहीं है।
ऋतु : एक काम कर तू थोडा आगे जा बच्चों को लेकर मैं पता करके आती हूं कि माजरा क्या है। और नीरू बच्चों को लेकर थोडे आगे चली जाती हैं जबकि ऋतु दुकान के अंदर जाकर प्रशांत की मां के पास ही बैठ जाती हैं।
दुकन ऋतु को पूछता है तो वो उसे कुछ साडी दिखाने के लिए बोलता है। थोडी देर में ऋतु ही अपनी ओर से बात शुरू करती है।
ऋतु : आंटी आपको मैंने कहीं देखा है।
प्रशांत की मां : अरे बेटी मैं तो इस शहर में ही नहीं रहती आज ही आई हूं तूने कहां देख लिया।
ऋतु : अच्छा मुझे लगा कहीं देखा है। असल में मेरा दोस्त था उसकी मां की शक्ल हूबहू आपसे मिलती है। इसलिए धोखा खा गई।
प्रशांत की मां : कोई बात नहीं बेटी हो जाता है।
ऋतु : वैसे आप ये साडियो अपनी बेटे के लिए खरीद रही हैं।
प्रशांत की मां : अरे मेरे तो बेटी ही नहीं है साडियां तो अपनी बहू के लिए ले रही हूं।
ऋतु : अच्छा तो घर में शादी है। आपके बेटे की।
प्रशांत की मां : हां बेटी बडी मुश्किल से बेटा तैयार हुआ है पहली बीबी तो उसे बीच रास्ते में ही छोड गई। अब अगले सप्ताह शादी है।
ऋतु को बहुत बड़ा झटका लगता है। वो सोचती है कि प्रशांत की अगले सप्ताह शादी होने वाली है। थोडी दे बाद वो पूछती है आंटी शादी तो आप गांव से ही करोगी।
प्रशांत की मां : नहीं बेटा शादी के होटल डीवीएस बुक कर लिया है। 16 तारीख को शादी होनी है। बेटी तू कहीं आसपास रहती है क्या।
ऋतु : हां मेरा पास में ही घर है। अच्छा आंटी चलती हूँ
इसके बाद ऋतु कोई सवाल नहीं करती और दुकान से बाहर आ जाती है। और नीरू के पास पहुंचती है।
नीरू : ये लोग यहां किस लिए आए हैं दीदी
ऋतु : चलो पहले घर चलते हैं उसके बाद बात करेंगे।
नीरू : कुछ गडबड है दीदी क्या।
ऋतु : तू चल तो सही कुछ भी गडबड नहीं है।
नीरू : तो बताइए ये लोग क्यो यहां आए हैं और इतनी खरीददारी किसलिए हो रही है।
ऋतु : पहले घर चल फिर वहीं बात करेंगे। नीरू का मन भी बेचैन हो रहा था। वो ऋतु के साथ घर आती है।
नीरू : अब बताइये क्या बात है।
ऋतु : एक बात बता प्रशांत का कोई भाई है क्या।
नीरू : नहीं प्रशांत अपने मां बाप का इकलौता लडका है। बात क्या है।
ऋतु : देख तू शायद सहन नहीं कर पाएगी। मैने भी प्रशांत को ऐसा नहीं समझा था। मैं समझती थी कि वो तुझसे प्यार करता है।
नीरू : बात क्या है और रही बात प्यार की तो मुझे मालूम है प्रशांत मुझसे कितना प्यार करता है। प्यार करता होता तो बच्चे को देखने जरूर आता। खैर वो छोडो ये बताओ बात क्या है।
ऋतु: देख प्रशांत दूसरी शादी कर रहा है।
नीरू : क्या
ऋतु : हां और अगले सप्ताह 16 तारीख को उसकी शादी है। यहीं पास में डीवीएस होटल से ये शादी होगी।
प्रशांत की शादी की बात सुनकर नीरू विस्तर पर गिर पडती है उसकी आंखों में नमी आ जाती है।
ऋतु : अरे तुझे क्या हुआ, तू तो प्रशांत के नाम पर भडकती थी। मुझे मालूम है तू आज भी प्रशांत से प्यार करती हूं। उसे आज भी भूल नहीं पाई है। शायद तुझे अपने फैसले पर पछतावा हो रहा है।
नीरू : अपनी आंखों में आए आंसू को पोछते हुए। नहीं दीदी मुझे अपने फैसले पर कोई पछतावा नहीं है। उल्टे आज मुझे अपने फैसले पर गर्व हो रहा है कि मैने सही समय पर सही फैसला लिया। हां प्रशांत से मेरी शादी हुई थी इसलिए उसके लिए मन में थोडी जगह अभी भी है। भले ही उसके मन में मेरे लिए कोई जगह न हो। लेकिन मैं न तो उसके जैसी हूं और न ही हो सकती हूं्र।
ऋतु समझ जाती है कि नीरू को प्रशांत की शादी का दुख बहुत है लेकिन शायद वो खुद को संत्वना देने की कोशिश कर रही है।
नीरू : वैसे आपने तारीख कौन सी बताई थी शादी की।
ऋतु : क्यो जाना है क्या तुझे भी शादी में
नीरू : नहीं मैं वैसे ही पूछ रही थी।
ऋतु : 16 फरवरी
नीरू : जानती हो दीदी ये कौन सी तारीख है।
ऋतु : हां तेरी और प्रशांत की शादी भी इसी दिन हुई थी। और शायद प्रशांत ने इसीलिए इसी दिन का चुना है।
नीरू : फीकी मुस्कान के साथ शायद आप सही कह रही हो। आपने पूछा था ना कि क्या मैं प्रशांत की शादी में जाउंगी। तो हां मैं प्रशांत की शादी में जरूर जाउंगी। उस बेवफा का अंतिम बार चेहरा देखने जरूर जाउंगी।
ऋतु : ठीक है लेकिन तू अकेले नहीं जाएगी मैं भी साथ चलूंगी।
नीरू : ठीक है आप चलना लेकिन जीजाजी को साथ मत लाना।
ऋतु: मुझे मालूम है, उन्हें लाकर मैं भी कोई बखेडा खडा नहीं करना चाहती।
इसके बाद ऋतु अपने घर चली जाती है। और नीरू विस्तर पर गिरी हुई काफी देर तक रोती रहती है। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसे रोना क्यो आ रहा है। जब उसे प्रशांत के साथ रहना नहीं था तो भी प्रशांत की शादी से उसे परेशानी क्या थी। शायद नीरू प्रशांत को किसी और के साथ देखने की संभावना से ही टूट गई थी।
प्रशांत की शादी को दो दिन बचे थे नीरू की दिल की धडकने बढी हुईं थी। तो दूसरी ओर ऋतु किसी और चीज को लेकर परेशान थी। वो समझ नहीं पा रही थी कि उसके रहते नीरू के साथ इतना बड़ा धोखा कैसे हो गया। वो नीरू को कैसे बताए। नीरज काम में निकलने की तैयारी में था और जल्दबाजी में निकल जाता है..
कहानी जारी रहेगी..भाग 3 Update 47. ( New-11).
कुछ देर बाद ऋतू फिर नीरू को फ़ोन करती है ..
नीरू : हां दीदी कैसे फोन किया।
ऋतु : अभी तू क्या कर रही है।
नीरू : कुछ नहीं दीदी आफिस निकली हूं। निशंक को क्रेच में छोडूंगी और फिर आफिस जाउगी।
ऋतु : एक काम कर मैं तेरे घर पहुंच रही हूं। तू मुझे अपने ही घर मिल और छोटू को भी तू घर ही ले आ।
नीरू: क्या बात है आफिस के लिए फिर लेट हो जाउंगी।
ऋतु : तू आफिस बोल दे कि तेरी तबियत ठीक नहीं हैं। तू आज नहीं आ पाएगी।
नीरू : इतनी जरूरी क्या बात है दीदी जो आप मुझसे आफिस की छुटï्टी की बात कर रही है।
ऋतु : देख नीरू तेरी जिंदगी के बारे में ही ये बात है और बहुत बडी बात है इसलिए तुझसे कह रही हूं तू घर पहुंच मैं भी आ रही हूं। और ऋतु फोन काट देती है।
नीरू : ऐसी क्या बात है जो दीदी मुझसे आज आफिस जाने के लिए मना कर रही है। आज तक तो ऐसा नहीं हुआ था। वो मेरे घर पर भी आ रही है जरूर कोई बहुत बडी बात होगी। और नीरू अपने घर वापस आ जाती है। थोडी ही देर बाद ऋतु भी आ जाती है।
नीरू : क्या बात है दीदी कोई बुरी खबर तो नहीं है।
ऋतु : लम्बी सांस भरते हुए, बुरी नहीं बहुत बुरी खबर है।
नीरू : चिंतित होते हुए, क्या बात है दीदी
ऋतु : मैं नीरज को जितना कमीना समझती थी वो उससे भी ज्यादा कमीना है। वो तेरी जिंदगी को बर्बाद करने पर तुला है।
नीरू : अब वो क्या मेरी जिंदगी बर्बाद करेंगे मैं अब न तो उन पर भरोसा करती हूं और न ही उनसे बात ही करती हूं।
ऋतु : लेकिन नीरज तेरे लिए पागल है,
नीरू : क्या आप क्या कह रही हैं।
ऋतु : नीरज अभी भी चाहता है कि तुम उसके साथ संबंध फिर से बना लो।
नीरू : आप पागल तो नहीं हो गई दीदी जो इस तरह की बातें कर रही हैं। प्रशांत भी इसी तरह की बातें करता था।
ऋतु : प्रशांत जो बोलता था उसके पीछे कोई कारण होता था।
नीरू : क्या बोल रही हो आप मतलब वो मुझ पर शक करता था और आप कह रही हैं कि प्रशांत के पास इसके कारण थे।
ऋतु : हां, मैं सही कह रही हूं। प्रशांत तुझ पर शक करता था तो इसके पीछे कारण भी था।
नीरू ऋतु को गुस्से से देखते हुए अब आप भी मुझ पर शक कर रही हैं।
ऋतु : नहीं मैं तुझ पर कोई शक नहीं कर रही। मुझे मालूम है एक घटना को छोड दिया जाए जो स्टेप तूने नीरज के भरोसे और गुस्से में उठाया था। उसके अलावा तूने कभी भी कोई गलत काम नहीं किया है। और मुझे ये भी मालूम है तुझे अपनी उस गलती का आज भी पछतावा है।
नीरू : तो फिर आप प्रशांत की तरफदारी क्यो कर रही हैं।
ऋतु : यदि तू सुनेगी तो तू भी कहेंगी कि शायद प्रशांत गलत नहीं था।
नीरू : क्या, ऐस क्या है जो आप मुझे बताना चाहती है।
ऋतु : एक बात बता तेरा फोन जब खराब हुआ था तो उसमें तेरी सिम भी लगी थी ना।
नीरू : हां लगी थी लेकिन वो खराब हो गई थी। मैं खुद उसे बदलवाने गई थी। लेकिन आईडी प्रशांत की थी इसलिए मुझे सिम बदलना पडी थी।
ऋतु : तेरी सिम कहीं भी खराब नहीं हुई थी। वो बिल्कुल सही थी।
नीरू : आप कैसी बातें कर रही हैं। मैने खुद अपने हाथों से उस सिम को बदलवाने की कोशिश की थी। उसे दो तीन फोन में भी लगाके देखा था वो किसी फोन में काम नहीं कर रही थी। और आप कह रही हैं वो सिम सही थी।
ऋतु : मैं ये नहीं कर रही कि जो सिम तेरे पास थी वो सही थी। मैं ये कह रही हूं कि तेरी सिम सही थी।
नीरू : आप पहेलिया बुझा रही हो।
ऋतु : एक काम कर अपने फोन से उस नम्बर को डायल कर तेरी सारी गलत फहमिया दूर हो जाएंगी।
नीरू : ठीक है अभी करती हूं और नीरू अपना ही पुराना नम्बर डायल करती है। उसे ये देखकर झटका लगता है जब फोन रिंग होने लगता है और आवाज ऋतु के बैग के अंदर से आ रही थी।
ऋतु : चौंक क्यो रही है, ये ही बात मैं तुझे बता रही हूं तुझे जो सिम दी गई थी वो खराब थी और वो सिम तेरी थी भी नहीं। बल्कि तेरी सिम को बदल दिया गया था।
नीरू : लेकिन ये किया किसने
ऋतु : सिर झुकाते हुए नीरज ने
नीरू : क्या जीजाजी ने लेकिन क्यो
ऋतु : ताकि प्रशांत तुझसे बात न कर पाए।
नीरू : जीजाजी ऐसा भी कर सकते हैं !
ऋतु : तो तू ही बता तेरे सिम कार्ड का इस्तेमाल वो क्यो कर रहे थे। और ये फोन वो हमेशा स्विच आफ क्यो रखते हैं। यदि इसकी जरूरत नहीं है तो ये आज भी क्यो चल रहा है। और सबसे बडी बात ये कि इस फोन से सिर्फ एक व्यक्ति को फोन किया जाता है।
नीरू : धबराते हुए किसको दीदी
ऋतु : प्रशांत को
नीरू : क्या
ऋतु : हां, और उसे ये बताया जाता है कि तू नीरज के पास हैं क्योकि इस फोन से प्रशांत से बात नीरज ही करता होगा।
नीरू लेकिन आप ये दावा कैसे कर सकती हैं कि नीरज प्रशांत से ही बात करता होगा।
ऋतु : मुझे भी पहले इस पर डाउट था। तो मैंने अविनाश से बात की। वैसे वो इस समय इंग्लैंड में हैं।
नीरू : अविनाश कौन वो जीजाजी का दोस्त
ऋतु : नीरज का दोस्त नहीं बल्कि मतलब का यार
नीरू : कुछ भी समझ लो लेकिन वो था तो जीजाजी का दोस्त ही। मुझे भी वो बहुत ही गंदा आदमी लगता था। आप कैसे उसे अपने घर आने देती थीं। मुझे तो वो बहुत गलत आदमी लगता था।
ऋतु : हां वो आदमी ही गलत था।
नीरू : तो फिर आपने उससे क्यो बात की।
ऋतु : क्योंकि उसके रिश्तेदार यहां फोन कंपनी में थे। उसकी मदद से मैं इस फोन की डिटेल निकलवाई थी। और जानती हो फोन की डिटेल में क्या आया।
नीरू : घबराते हुए क्या
ऋतु : नीरज ने सिर्फ एक व्यक्ति को फोन किया था और वो भी महीने में दो तीन बार वो और व्यक्ति था प्रशांत। अब तू खुद समझ सकती है तेरे नम्बर से नीरज यदि प्रशांत से बात कर रहा होगा तो वो प्रशांत से क्या बात कर रहा होगा।
नीरू : दीदी वो कुछ और भी तो बात कर सकते हैं। लेकिन अब नीरू भी समझ रही थी कि उसके साथ बहुत बडृा खेल हो चुका है।
ऋतु : मुझे भी ये लगा शायद नीरज तुम दोनों को मिलाने की कोशिश कर रहा हो। लेकिन जिस तरह से प्रशांत तुझ पर भडका था उससे साफ लग रहा था नीरज प्रशांत को समझा नहीं रहा था उसे भडका रहा था। और इसका भी मेरे पास सबूत है।
नीरू की आंखों में अब आंसू आ जाते हैं और वो कहती है क्या
ऋतु: मैने अविनाश से कहकर तेरा ये नम्बर टेप करवाया था। और अब जो रिकार्डिग मिली है। वो तू खुद सुन ले। और फिर ऋतु अपने फोन में से एक ओडियो स्टार्ट कर देती हैं। ये ऑडियो नीरज और काजल की चुदाई का था। जिसमें काजल नीरू का रोल प्ले कर रही थी। ओडियो सुनकर नीरू का चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है। क्योंकि कोई भी व्यक्ति इस ओडिया को सुनकर ये ही समझेगा कि नीरज और नीरू चुदाई कर रहे हैं।
ऋतु : अब तू बता प्रशांत पर क्या बीतती होगी। डेढ साल से वो इसी को झेल रहा है और इसका सबूत है तेरे फोन की पिछले एक साल की ये डिटेल और प्रशांत के फोन की भी मैने डिटेल निकलवाई हैं। अपने फोन से भी उसने कई बार प्रशांत से बात की है। प्रशांत ने सब कुछ किया लेकिन एक काम नहीं किया।
नीरू : रोते हुए क्या
ऋतु : तू खुद ही प्रशांत की व्हाटऐप चेट पढ कर देख ले। प्रशांत ने ही मुझे ये सब रिकॉर्डिंग भेजी है और मैंने अविनाश की मदद से इसकी पुष्टि भी करवा ली है..
नीरू : ये कब ही है
ऋतू : नीरू कब तुम्हारी प्रैगनेंसी अंतिम समय पर चल रही थी ये उसी समय की रिकॉर्डिंग है । मुझे बार बार शक होता था क्योंकि जब नीरू की डिलेवरी का समय जैसे जैसे नजदीक आ रहा था वैसे वैसे प्रशांत नीरज को बहुत बहुत ज्यादा करने लगा था । नीरज प्रशांत से बात मुझ से छिपकर करता था इसलिए जब भी प्रशांत का फोन आता तो वो फोन लेकर कभी छत पर तो कभी लॉबी में चला जाता था। फोन में पासवर्ड लगाकर लॉक करने लगा था।
इससे पहले तो मुझे लगा कि नीरज की जिंदगी में कोई दूसरी लडकी आ गई है। मैं नीरज के फोन तक पहुंचना चाहती थी इसलिए मैंने नीरज के फोन को अविनाश की सहायता से ट्रैक करवाया । लेकिन अविनाश ने बताया की किसी लड़की के साथ ऐसे कोई ख़ास चककर नहीं है तो उस समय मैं उसे भूल गयी और रिकार्डिंग अविनाश से नहीं ली । लेकिन जब प्रशांत ने मुझे नीरज की सभी रिकर्डिंग भेजी तो मुझे भी याद आया की मैंने भी उसका फ़ोन टेप करवाया था और फिर जब मुझे ये पता चला कि नीरू का पुराणा फोन नम्बर भी एक्टिव है तो मैंने नीरू तुम्हारे पुराने के फोन की भी डिटेल निकलवा ली। और फिर ऋतू रोने लगती है ..
नीरू जैसे ही उसे खोलकर देखती है उसके आंखों से भी आंसू और तेजी से बहने लगते हैं। क्योंकि प्रशांत ने नीरज से कई बार रिक्वेस्ट की थी कि उसे उसके बच्चे का फोटो भेज दे। नीरज ने एक फोटो भेजा भी था लेकिन वो किसी और के बच्चे का था। नीरू की समझ में पूरी पिक्चर क्लीयर होती चली जाती है। लेकिन फिर वो ऋतु से पूछती है। दीदी ये अविनाश तो जीजा का दोस्त है फिर आपकी इतनी मदद क्यो कर रहा है।
ऋतु : वो मैंने उससे कई बार रिक्वेस्ट की तो ।
नीरू : सच सच बताईए दीदी कुछ तो गडबड है। आप मुझसे छिपा रही है। मैं अविनाश की फितरत से बाकिफ हूं। उसके बारे में मैंने बहुत कुछ सुना था।
जारी रहेगीभाग 3 Update 48. ( New-12)
ऋतु : ये एक लम्बी कहानी है अभी वक्त हो रहा है मुझे घर जाना होगा क्योंकि यदि लेट हो गई तो नीरज कई सवाल करने लग जाएगा। लेकिन एक बात याद रखना तू किसी को प्रशांत की शादी में चल रही है या नहीं।
नीरू : उदास होते हुए दीदी अपनी बर्बादी को अपनी आंखों से देखने की अब हिम्मत नहीं है।
ऋतु : देख अभी भी समय है यदि प्रशांत को सबकुछ सही सही पता चल जाता है तो शायद तुम दोनों की गलत फहमी दूर हो जाए।
नीरू : नहीं दीदी अब बहुत देर हो चुकी है। परसो शादी है यदि इस समय हम कोई कदम उठाएंगे तो उस लडकी के बारे में भी सोचिए जिसकी प्रशांत से शादी होने वाली है।
ऋतु : लेकिन तेरा क्या होगा, क्या प्रशांत की शादी होने के बाद तू किसी और से शादी करने को तैयार है।
नीरू : नहीं दीदी अब मैं किसी और से शादी नहीं करूंगी ऐसे ही अपनी जिंदगी गुजार दूगी वैसे भी निशंक तो मेरे पास है ही, कम से कम जीने का एक मकसद तो होगा।
ऋतु : तो तू नहीं चल रही इसका मतलब
नीरू : नहीं दीदी मुझमें हिम्मत नहीं है।
ऋतु : एक बार प्रशांत को नहीं देखेगी, उसे उसका बच्चा नहीं दिखाएगी। देख जो होगा वो देखा जाएगा। प्रशांत तुझे गलत समझता है और इसीलिए शादी के लिए तैयार हुआ है। तू चाहती है कि प्रशांत नए सिरे से अपनी जिंदगी शुरू करें और खुश रहे तो तू उसे सच मत बताना। वो तुझे गलत समझेगा और तुझे खाने का उसे गम नहीं होगा। लेकिन तूने उसे सच्चाई बताई या उसे कहीं और से पता चली तो बेचारा घुटता रहेगा।
नीरू: तो मैं क्या करूं
ऋतु : हम लोग शादी में चलेंगे। लेकिन एक बात याद रखना
नीरू : क्या,
ऋतु: देख जो कॉल रिकॉर्डिग मैंने तुझे सुनाई वो पांच दिन पुरानी है। और नीरज और प्रशांत की बातों से ये लग रहा है कि नीरज को ये नहीं मालूम कि प्रशांत इंडिया आ चुका है वो ये ही समझ रहा है कि प्रशांत अभी भी कनाडा में ही है।
नीरू : इससे क्या होगा।
ऋतु : यार शादी में हम दोनों ही जाएंगे नीरज को इस बारे में बताएंगे भी नहीं।
नीरू : वैसे भी मैं तो जीजाजी से बात ही नहीं करती, उनकी भी हिम्मत ने ही जो मुझसे फालतू की बातें करें। उन्होंने मेरा भरोसा तो तोडा ही है और अभी भी उनके दिमाग में मेरे प्रति जो गंदगी भरी हुई है। उसे सुनने के बाद तो मैं उनकी सूरत से भी नफरत करने लगी हूं।
ऋतु : देख नीरज पर भडक कर तू अपना ही नुकसान मत कर लेना। तेरा तो पता नहीं लेकिन मेरा बसा हुआ घर तबाह हो जाएगा। प्लीज नीरज को ऐसी कोई बात मत बताना जो मैने तुझे बताई है।
नीरू : ठीक है लेकिन आप आएंगी कैसे, जीजाजी शक नहीं करेंगे जो आप रात भर गायब रहेंगी। और वैसे भी कल शनिवार और परसो रविवार दोनों दिन जीजाजी घर पर ही होंगे।
ऋतु :तू ये सब मेरे उपर छोड दो। बस तू तैयार रहना।
नीरू : ठीक है दीदी, कल का ही दिन बीच में हैं।
ऋतु : हां और वहां रोनी सूरत बनाकर नहीं जाना है समझ गई।
नीरू : फीकी मुस्कान के साथ कहती है ठीक है। और इसके बाद ऋतु नीरू के घर से अपने घर चली जाती है।
नीरू के मन में अब उथल पुथल मची हुई थी। वो समझ चुकी थी कि उसके जीजाजी ने ही प्रशांत और उसके बीच में दूरियां बढ़ाई है। प्रशांत का उस पर शक करना तो गलत था लेकिन प्रशांत नीरज की मंशा पहले ही भांप गया था। जिस कारण वो मुझे लगातार ताने देता था। लेकिन मेरा अपने और जीजाजी के उपर जो भरोसा था उस कारण मैंने प्रशांत पर कभी ध्यान ही नहीं दिया। मैंने प्रशांत से प्यार तो किया लेकिन उस पर भरोसा नहीं कर पाई और इसी बात का फायदा जीजाजी ने उठा लिया। लेकिन अब हो भी क्या सकता है प्रशांत की तो दूसरी शादी होने वाली है और अब इतना समय भी नहीं बचा है कि कुछ हो सके। घर के लोग तो शादी के कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं। और ये सोचते हुए नीरू की आंखों में आंसू और तेजी से बहने लगते हैं।
दूसरे दिन ऋतु के घर
ऋतु : सुनो एक काम था आपसे
नीरज : हां बोलो,
ऋतु : वो क्या है कि नीरू के आफिस में एक लडकी काम करती है उसकी शादी है। वो नीरू से अपनी शादी में आने का दबाव बना रही है। लेकिन नीरू का कहना है कि वो अकेले नहीं जाएगी। उसका मेरे पास फोन भी आया था। वैसे भी तो वो कहीं आती जाती नहीं है। मेरे विचार से उसे जाना चाहिए।
नीरज : हां जाना तो चाहिए लेकिन तुम्हारी बहन बहुत जिदï्दी है। दो साल होने को हैं लेकिन आज भी वो मुझसे सीधी मुंह बात ही नहीं करती। सीधी मुंह का वो तो बात ही नहीं करती।
ऋतु : वो इस घटना को भूल नहीं पा रहीं है साथ ही नीरज भी उससे दूर चला गया है। खैर उन बातों को छोडो। मैंने भी नीरू से कहा था कि उसे जाना चाहिए। लेकिन वो अकेले होने के कारण जाने को तैयार नहीं है। मैं सोच रही थी कि मैं उसे अपने साथ ले जाउं। जिससे शादी में उसके अकेलापन भी फील नहीं होगा।
नीरज : हां ये ठीक है ऐसा करता हूं मैं भी चलता हूं।
ऋतु : नहीं नहीं आप जाएंगे तो फिर नीरू किसी भी कीमत पर चलने को तैयार नहीं होगी।
नीरज : यार तुम ही उसे मनाओ, ऐसे गुस्सा करने से कोई फायदा थोडे ही है।
ऋतु : देखों अभी एकदम से तो उसे तैयार नहीं कर पाउंगी लेकिन धीरे धीरे कोशिश करूंगी ताकि वो आपके साथ फिर से बातचीत शुरू कर सकेे।
ऋतु की बात से नीरज मन ही मन खुश होता है और सोचता है कि एक बार नीरू से पहले जैसी बातचीत शुरू हो जाए तो फिर वो नीरू को किसी न किसी तरह अपने जाल में फंसा ही लोगा। और नीरज ऋतु को जाने की इजाजत दे देता है।
नीरज : ठीक है तुम नीरू के साथ चली जाना, बच्चे को मेरे पास छोड देना, उसे अपने साथ मत ले जाना क्योंकि नीरू का बच्चा तो होगा ही वैसे शादी कब की है।
ऋतु : कल की ही है मैं शाम को नीरू के घर चली जाउंगी। और रात को उसी के घर रूक जाउंगी।
नीरज : नहीं तुम जब शादी से लाौटो तो मुझे फोन कर देना मैं तुम्हें लेने आ जाउंगा।
ऋतु : ठीक है मैं लौट कर नीरू के घर ही आ जाउंगी आप मुझे उसी के घर से ले लेना। जैसे ही हम लोग शादी वाले स्थाान से निकलेेंगे आपको फोन कर देंगे।
इसके बाद ऋतु नीरू को फोन कर बता देती है कि नीरज को उसने तैयार कर लिया है।
रविवार सुबह से ही नीरू का मन बहुत ज्यादा बेचैन था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके साथ जिंदगी कैसा खेल खेल रही है। अब तक वो प्रशांत को ही पूरी तरह से गलत समझती थी। लेकिन अब वो समझ चुकी थी कि प्रशांत भोला और मन का साफ है इसलिए वो नीरज की बातों में जल्दी आ जाता है। उसका मेरे उपर शक करने की बात यदि छोड दी जाए तो उसने जो भी कहा वो सच ही कहा था। नीरज के बारे में उसकी कही हर बात बाद में सच साबित हुई।
काश उस दिन मैंने ही घर न छोडा होता। लेकिन प्रशांत ने भी तो नहीं रोका। उसे रोकना चाहिए था। यदि ऋतु दीदी के साथ उसकी इच्छा के खिलाफ वो सब हुआ था तो उसे बताना चाहिए था। यदि वो रोक लेता तो शायद मैं अपना फैसला बदल देती।
दूसरी ओर प्रशांत के घर में उसकी मां कहती है।
प्रशांत की मां : बेटे आज शादी होने ही आज तो कम से कम ढंग से तैयार हो जा।
प्रशांत : मां क्या कमी है सही तो लग रहा हूं।
प्रशांत की मां : क्या सही लग रहा है ये बड़े बडे बाल, लम्बी दाडी, मूछे। मूछ तो चलो चल भी जाएगी लेकिन बाल और दाडी तो आज साफ करा लें।
प्रशांत : मां आप भी मैं ऐसा ही ठीक हूं और प्रशांत वहां से चला जाता है।
शाम को ऋतु नीरू के घर बैग लेकर पहुंच जाती है। और पहले वो नीरू को तैयार करती है और फिर खुद तैयार होती है।
नीरू : दीदी आपने अविनाश वाली बात नहीं बताई, वो आपकी मदद क्यो कर रहा है।
ऋतु : यार तू जानकर क्या करेगी।
नीरू : नहीं दीदी मुझे जानना है कि जीजाजी का दोस्त उनके खिलाफ आपकी मदद कर रहा है। और वो जीजाजी को बता भी नहीं रहा। जबकि होना इसका उल्टा चाहिए था। उसका करेक्टर भी सही नहीं था। उसके बारे में मैंने जो भी कुछ सुना वो उल्टा ही सुना।
ऋतु: देख अभी हम लोग शादी में चल रहे हैं। वहां से लौटेंगे और समय होगा तो इस पर चर्चा कर लेंगे। क्योंकि अभी बात शुरू की तो फिर जाने कब खत्म होगी।
नीरू : आप प्रोमिस करो कि आप पूरी बात सच सच मुझे बताओगी।
ऋतु : यार जब कह दिया है तो तुझे भरोसा नहीं है।
नीरू : ठीक है दीदी अब तो सिर्फ आप पर ही भरोसा बचा है। बाकी तो जिस पर भी भरोसा किया उसने भरोसे को तोड़ा ही है।
ऋतु : ठीक है जब तुझसे कह दिया तो तुझे जरूर बताउंगी अविनाश मेरी मदद क्यो कर रहा है। और फिर करीब 9 बजे नीरू और ऋतु जहां से शादी हो रही थी वहां पहुंच जाते हैं। बारात आ चुकी थी। और वरमाला का कार्यक्रम मैदान के जिस हिस्से में रखा गया था अभी तक नीरू और ऋतु उस ओर नहीं गए थे। नीरू और ऋतू ने अपना चेहरा थोड़े से घूंघट में ढका हुआ था ताकि कोई आसानी से पहचान न सके .. और सब लोग रस्मो कार्यक्रमों में इतना व्यस्त थे के उनके ऊपर किसी का ख़ास ध्यान नहीं जाता है .. तभी नीरू की नजर वहां एक लडकी पर पडती है जो किसी से बात कर रही थी।
नीरू : दीदी वो सामने आप देख रही है पीले सूट में एक लडकी है जो नीला सूट पहने हुए आदमी से बात कर रही है।
ऋतु : हां दिखाई दे रहा है कौन है ये
नीरू : ये शायद प्रशाांत के मामा की लडकी है, और ये दाडी वाला आदमी इसे मैंने कहीं देखा है हां याद आया इसे अभी कुछ दिनों पहले ही मैंने शाम के समय अपने आफिस के सामने देखा था। चार पांच दिन लगातार दिखाई दिया था। लेकिन उसके बाद गायब हो गया। कल शाम को भी दिखाई दिया था। लगता है प्रशांत का कोई दोस्त होगा जो मुझ पर नजर रखने के लिए आया है।
ऋतु: अब तुझसे में प्रशांत के शक करने वाली आदतें आने लगी हैं। हो सकता है वो वहीं रहता हो। या फिर कोई और हो जिसे तूने देखा हो।
नीरू : हां ये हो सकता है वैसे भी मैंने उस आदमी को ज्यादा गौर से नहीं देखा था।
ऋतु : तू शक करना बंद कर दे किसी के बारे में भी कुछ भी सोचने लगती है।
तब तक जो आदमी बात कर रहा था वो वहा से जाने लगता है लडकी उसे रोकने की कोशिश करती है लेकिन वो रूकता नहीं है।
नीरू : विचित्र आदमी है लेकिन ये शशि इससे इतना चिपक क्यो रही है।
ऋतु: तू शशि की पूरी फैमिली के जानती है क्या
नीरू : नहीं
ऋतु : ते फिर ज्यादा दिमाग मत लगा उसका कोई रिश्तेदार ही होगा नहीं तो रिश्तेदारों की इतनी भीड़ में वो इस तरह हाथ पकड कर किसी को रोकने की कोशिश नहीं करती।
नीरू : मुस्कुराते हुए हां सही कहा आपने तभी शशि के पास कुछ लडकिया आती है और कहती है कि वारमाला का कार्यक्रम शुरू होने वाला है जल्दी से स्टेज पर चल। और शिशि वहां से चली जाती है।
ऋतु : चलो हम भी चलते हैं प्रशांत की दुल्हन को भी देख लेंगे।
नीरू : बेमन से जाना जरूरी है।
ऋतु : अब आ गए हैं तो वहां चलने में क्या दिक्कत है अरे स्टेज पर नहीं जाएंगे और ऋतु नीरू का हाथ पकड कर अपने साथ ले आती है।
स्टेज पर नीरू की जैसे ही नजर पडती है। उसका मुंह से निकल जाता है। सूरज
ऋतु नीरू के मुंह से निकले शब्द सुन नहीं पाती और कहती है कि ये तो प्रशांत नहीं लग रहा हम कहीं गलत जगह तो नहीं आ गए।
नीरू : नहीं हम लोग सही जगह पर जाए हैं।
ऋतु : लेकिन ये आदमी तो कोई और है
नीरू : हां ये कोई और ही है ये प्रशांत के चाचा का लडका सूरज है।
ऋतु: विकास लेकिन प्रशांत की मां तो बोल रही थी कि उसके बच्चे की शादी है उसकी पहली बीबी बीच रास्ते में ही छोड गई तो फिर वो क्या था क्या प्रशांत की मां झूठ बोल रही थी।
नीरू : नहीं वो झूठ नहीं कह रहीं थी। दरअसल सूरज को भी वो अपना बेटा ही मानती हैं। और सूरज की पत्नी की एक हादसे में मौत हो गई थी। वो दूसरी शादी के लिए तैयार नहीं हो रहा था। लेकिन लगता है कि घर वालों के दबाव में बाद में मान गया होगा। और प्रशांत की मां ने जो कहा था वो सही ही था। नीरू के चेहरे पर अब राहत दिखाई दे रही थी।
और ऋतु भी ये देखकर खुश थी कि अभी भी उम्मीद बची हुई थी। लेकिन प्रशांत कहां है यदि प्रशांत के भाई की शादी है ऋतु नीरू से पूछती है।
नीरू : अरे इस सवाल का जवाब मैं कैसे दे सकती हूं। एक काम कर तू शशि से पूछ ले।
ऋतु : अरे मैं उससे कैसे बात करूंगी। मैं तो उसे जानती भी नहीं हूं।
नीरू : एक काम करो आप उससे कहना है कि आप प्रशांत के साथ काम करती हो। वैसे शशि भी शायद ही मुझे पहचान पाए क्योंकि मैंने उसे सिर्फ फोटो में ही देखा था। क्योंकि हमारी शादी में वो आई नहीं थी। शायद मुझे पहचान न सके।
ऋतु : ठीक है साथ में ही चलते हैं। मैं उससे बात कर लूंगी। और थोडी देर बाद जब वारमाला का कार्यक्रम समाप्त हो जाता है और शशि खाने के लिए जाती है तो वहां ऋतु और नीरू भी पहुंच जाते हैं।
ऋतु: आप लडकी वालों की तरफ से हैं।
शशि : नहीं हम लडके वालों की ओर से हैं। वैसे आप किस ओर से है
ऋतु : जी मैं किसी ओर से नहीं हूं दरअसल प्रशांत के साथ मैं काम करती थी।
शशि : अच्छा पहले करती होगी
ऋतु : हां लेकिन तुमने कैसे समझ लिया कि पहले करती होंगी।
शशि : इसलिए क्योंकि भैया डेढ साल तो कनाडा में ही रहेें है एक महीने पहले ही वहां से लौटे हैं और अब लडकियों के नाम पर ऐसा बिदकते हैं जैसे कोई भूखा शेर उनके सामने आ गया हो जो उन्हें खा जाएंगे।
ऋतु : हंसते हुए, अच्छा वैसे बहुत दिनों से उनसे मुलाकात नहीं हुई थी। वैसे प्रशांत है कहां दिखाई नहीं दिया।
शशि : अरे क्या बताउं भैया को बडी मुश्किल से तो बुआ ने तैयार किया। वो यहां आए अभी आधा घंटे पहले चले गए मैंने उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की।
नीरू : अभी जो नीले सूट में थे उनकी ही बात कर रही हो।
शशि : हां वो ही थे। आब आप बताओं ये भी कोई बात होती है घर की शादी में बेगानों जैसे शामिल हुए। वैसे आप कौन हैं अपको कहीं देखा सा लग रहा है।
ऋतु : अरे ये मेरी बहन है घर आई हुई थी इसलिए अपने साथ ले आई। अच्छा पहले कुछ खा लेते हैं फिर बाद में मिलते हैं। और ऋतु नीरू को लेकर वहां से दूर हट जाती है। नीरू तेरी कुछ समझ में आया।
नीरू : क्या दीदी
ऋतु : तू क्या बोली थी कि ये आदमी तुझे अपने आफिस के आसपास कुछ दिन पहले दिखाई दिया है। उससे पहले नहीं। जब वो इंडिया में ही नहीं था तो तेरे आफिस कैसे आता। और फोन पर बात तो तू खुद ही समझ सकती है। तुझे मैं परसो सबकुछ बता चुकी हूं।
नीरू : दीदी अब प्रशांत तो यहां आएगा नहीं तो हम लोग भी अपने घर चलते हैं।
ऋतु : ठीक है और वो घर की ओर निकल जाते हैं ऋतु भी नीरज को फोन कर देती है कि वो आ जाए।
नीरू : दीदी आज कुछ हल्का हल्का लग रहा है।
ऋतु : नीरू एक बात तो मानले कि जिस तरह तुझे जब प्रशांत से नफरत थी तब भी तेरे मन में उसके लिए कहीं न कहीं प्यार था। उसी तरह प्रशांत के मन में तेरे प्रति इस समय भले ही कुछ भी हो लेकिन वो तुझसे आज भी प्यार करता है। शशि ने ही कहा था लडकियों के नाम पर तो ऐसा उछलता है जैसा भूखा शेर देख लिया हो।
नीरू : ठीक है दीदी लेकिन आपको अपना प्रॉमिस याद हैं ना।
ऋतु : याद है वो कहानी में तुम्हें कल बताउंगी। लेकिन पहले ये पता करो प्रशांत काम कहां करता है। उसने शादी नहीं की है ये तो साफ।
नीरू : दीदी अब मैं ये कैसे पता कर पाउंगी।
ऋतु: उसकी चिंता तू मत कर वो सब काम मैं देखती हूं।
जारी रहेगीभाग 3 Update 49. ( New-13)
नीरू अगली सुबह आफिस के लिए निकली, उसके मन में कई सवाल थे कि क्या प्रशांत आज भी उसके आफिस के बाहर उसका इंतजार करेगा। प्रशांत डेढ साल तक क्यो नहीं आया ये तो समझ में आ गया क्योंकि वो इंडिया में ही नहीं था। लेकिन मैं उसे पहचान क्यो नहीं पाई। शादी में भी उसे नहीं पहचान पाई वो तो अच्छा था कि शादी में मैं प्रशांत के सामने नहीं गई नहीं तो वो तो एक झटके में ही मुझे पहचान लेता।
आफिस में नीरू का मन नहीं लग रहा था वो सोच रही थी कि शाम जल्दी हो शाम को नीरू आफिस से निकलती है और फिर आफिस के बाहर चारों ओर देखती है। लेकिन उसे प्रशांत कहीं दिखाई नहीं देता फिर सोचती है कि प्रशांत के घर में शादी की खुशियां मनाई जा रही हैं शायद वो इसलिए नहीं आया हो। नीरू खुद को समझाती हैं। लेकिन उसके मन में बेचैनी बनी रहती है। पर उसमे अभी प्रशांत से सीधे बात करने को झिझक थी और वो सीधे बात करने और प्रशांत को फ़ोन करने की हिम्मत नहीं जुटा सकी.
इस तरह चार दिन बीत जाते हैं। नीरू रोज आफिस से निकलने के बाद थोडा देर रूकती थी और चारों ओर देखती थी। लेकिन नीरू को ये अभी तक जानकारी नहीं थी कि प्रशांत का आफिस दूसरे शहर में हैं। उसकी ब्रांच जरूर इस शहर में थी और वो प्रशांत के अंडर में ही थी। लेकिन प्रशांत इस ब्रांच का काम भी अपने आफिस से ही देख रहा था। वो अब सिर्फ शनिवार को ही नीरू के आफिस आता था।
प्रशांत का मकसद अब नीरू से मिलना नहीं बल्कि अपने बच्चे को देखना था। क्योंकि अभी तक प्रशांत ये ही मान रहा था। कि नीरू और नीरज के बीच जिस्मानी रिश्ते कायम हो चुके हैं। किस्मत का खेल भी अजीब होता है शनिवार शाम को प्रशांत नीरू के आफिस के बाहर पहुचता है लेकिन उसी दिन ऋतु का फोन नीरू के पास आता है कि वो आज दोपहर को उसके घर आएगी। इसलिए नीरू लंच के बाद आफिस से छुट्टी ले ले। नीरू लंच के बाद ही घर के लिए निकाल जाती है और शाम को जब प्रशांत नीरू के ऑफिस पहुंचता है तो वहां उसे नीरू नहीं मिलती
। ऋतु लगातार नीरू से प्रशांत के बारे में फोन पर पूछती रहती थी लेकिन नीरू का हर बार जबाव एक ही होता था कि प्रशांत आज भी नहीं आया।
ऋतु : नीरू ऐसा तो नहीं कि तेरी ही नजर प्रशांत पर नहीं पड रही हो वो आता हो लेकिन कहीं छिपा हो।
नीरू : नहीं दीदी मैं आमतौर पर आफिस से निकलती और सीधे आटो लेकर पहले क्रेच जाती और वहां से घर, लेकिन पिछले पांच दिनों से मैं आफिस के बाहर पांच दस मिनिट प्रशांत का इंतजार करती हूं लेकिन वो दिखाई ही नहीं देता। अब वो छिपकर मुझे देख रहा है तो बात अलग है लेकिन अभी तक प्रशांत ने कभी भी मुझसे छिपने की कोशिश नहीं की है।
ऋतु : अब इसके पीछे क्या है ये तो प्रशांत ही जाने मैं क्या कह सकती हूं।
नीरू : हां, आपकी बात भी सही है लेकिन दीदी उस दिन जो बात आपने अधूरी छोडी थी उसे पूरा कीजिए।
ऋतु : कौन सी बात
नीरू : वो आखिर अविनाश आपकी इतनी मदद क्यों कर रहा है। जहां तक मैंने सुना है वैसे आपने ही बताया था कि उसकी आप के उपर गंदी नजर थी। और वो रोज रात को किसी न किसी लडकी को अपने साथ चुदाई करता था। इतना अय्याश आदमी आखिर आपकी इतनी मदद क्यो कर रहा है।
ऋतु : देख मैं तुझे सबकुछ बता दूूंगी लेकिन तुझे वादा करना होगा कि तू ये बात किसी को नहीं बताएगी। किसी को भी नहीं और किसी भी कीमत पर।
नीरू के मन में शंका होती है कि कहीं कुछ तो गडबड है। लेकिन वो ऋतु से कहती है कि वो वादा करती है ये बात वो किसी को नहीं बताएगी। अब आप पूरी बात सच सच बताइए।
ऋतु : देख नीरज के आफिस के पास ही एक एमएनसी कंपनी का आफिस है। ये बात तीन साल पुरानी है। उस समय वो ऑफिस नया नया शुरू हो रहा था। उस कंपनी का मुख्य आफिस फ्रांस में हैं और अविनाश वहीं काम करता हैं। लेकिन जब इंडिया में कंपनी ने काम शुरू किया तो इम्प्लाइयों को ट्रेर्निंग देने के लिए वहां से चार लोग आए थे। तीन फ्रांस के ही थी ओर चौथा अविनाश था। अविनाश इंडिया का था इसलिए कंपनी ने उसे भेजा था। ताकि बाकी टीम के सदस्यों को इंडिया में कोई परेशानी हो तो अविनाश की मदद ली जा सके। अविनाश के रिश्तेदार भी यहां पर जॉब करते हैं और आपको मैंने पहले ही बताया कि वो टेलीफोन कंपनी में मैनेजर हैं। उनकी मदद से ही नीरज की कॉल डीटेल निकलवा पाई।
नीरू : हां ये तो आपने बताया था आगे बताइए।
ऋतु : अविनाश यहां आया और कंपनियों की ट्रेर्निंग शुरू हो गई। कुल छह महीने की ये ट्रेर्निंग थी उसके बाद जो लोग फ्रांस से आए थे उन्हें वापस जाना था। ट्रेर्निंक शुरू हुए दो सप्ताह हुए थे कि एक दिन आफिस के पास बने टी स्टॉल पर अविनाश और नीरज की मुलाकात हो जाती है। उसके बाद आठ दिन तक रोज टी स्टॉल पर ही उनकी बातचीत होती रहती हैं। और दोनो दोस्त बन जाती हैं। फिर एक दिन अविनाश नीरज से कहता है।
अविनाश : नीरज जी आप तो यहां के लोकल के रहने वाले हैं। यहां सबको जानते होंगे।
नीरज : हां इस शहर के बारे में मुझे बहुत कुछ पता है। कोई काम हो तो बताएगा।
अविनाश : वो काम तो है लेकिन हम लोग गाडी में बैठकर बात करते हैं।
नीरज : कोई सीक्रेट बात है।
अविनाश : हां ऐसा ही मान लो। मेरे रिश्तेदार भी यहां रहते हैं लेकिन मैं इस काम में उनकी भी मदद नहीं ले सकता।
नीरज : ठीक है चलो गाडी में बैठकर बात करते हैं। और वो अविनाश की गाडी ेमं बैठ जाते हैं।
अविनाश : देखों यार मैं और मेरे तीन साथी एक महीने से यहां हैं।
नीरज : जी मालूम हैं। और अभी पांच महीने और आप लोगों का काम चलेगा।
अविनाश : हां यार, देख ये बात किसी को बताना नहीं।
नीरज: आप बताइऐ तो सही
अविनाश : यार मेरे साथी लडकी की डिमांड कर रहे हैं। उनमें से एक मेरा सीनियर है। पिछले सात आठ दिन से वो मुझसे रोज कह रहा है तेरे यहां का होने का कोई फायदा नहीं है। मैंने तुझे इस लिए अपने साथ चलने के लिए चुना कि तू यहां के बारे में सबकुछ जानता होगा। लेकिन यार मैंने कभी इस तरह का काम नही किया है।
अविनाश नीरज से साफ साफ झूठ बोल रहा था। उसके किसी सीनियर ने लडकी की डिमांड नहीं की थी बल्कि अविनाश को इसकी जरूरत महसूस हो रही थी। लेकिन अविनाश को ये मालूम था कि उसके साथी अय्याश है यदि मौका मिलेगा तो वो लोग चूकेंगे नहीं।
नीरज : कुछ देर सोचते हुए आपका काम तो हो जाएगा। मेरे पास एक आदमी है वो इस तरह का काम करता है लेकिन वो लडकियां किसी भरोसे के बंदे को ही भेजता है। पुलिस बगैरह का चक्कर रहता है और उसके पास हर तरह की हर उम्र की लडकी और सभी मिल जाएंगी। स्कूली लडकी से हाउस वाइफ तक।
अविनाश : यार कोई हाउस वाइफ मिल जाए तो ज्यादा अच्छा है क्योंकि तू अंग्रेजों को जानता है नई लडकी होगी तो शायद तीन तीन लोगों को झेल ना पाए।
नीरज : ठीक है में बात करके आपको कल बताता हूं।
अविनाश : ठीक है कल जरूर बताना
दूसरे दिन फिर टी स्टॉल पर वो लोग मिलते हैं।
अविनाश : आईए नीरज जी कुछ बात हुई मामला जमा
नीरज: हां बात हो गई है, पहले तो मुन्ना (मुन्ना कालर्गल सप्लायर था) अनजान लोगों के पास लडकी भेजने को तैयार नहीं था। लेकिन जब मैंने उससे कहा कि मैं ही लडकी बुला रहा हूं और मैं भी उसकी चुदाई करूंगा। मुझे अपने और अपने दोस्तों के लिए लडकी चाहिए। तो वो तैयार हो गया।
अविनाश : अरे इसमें कौन सी बात हैं आप भी चुदाई कर लेना चार की जगह हम पांच लोग हो जाएंगे।
नीरज : अरे मैंने तो उससे इसलिए कहा था ताकि आप लोगों को लडकी मिल जाए। वैसे मेरी शादी हो गई है और मेरी बीबी है इसलिए मुझे इसकी जरूरत नहीं पडती।
अविनाश : यार कभी टेस्ट भी बदल लिया गया। एक ही खाना खाते खोते बोर हो जाते हैं। एक काम कर मुन्ना को फोन कर चार लडकियां बुक कर लें। लेकिन पहले फोटो बगैरह भिजवा देना।
नीरज : इसके बाद मुन्ना को फोन लगता है। थोडी देर बाद ही नीरज के फोन पर दो लडकियों के फोटो आ जाते हैं।
अविनाश :यार ये तो दो ही हैं।
नीरज मुन्ना को फोन करता है तो मुन्ना कहता है कि रात के लिए सिर्फ ये दो लडकियां अभी एबीलेबिल हैं। और इनका रेट 4000 एक लडकी का है। अविनाश के कहने पर नीरज दोनों लडकियों को बुक कर देता है। इस तरह से नीरज और अविनाश की दोस्ती और मजबूत होती चली जाती है।
आमतौर पर नीरज कालगर्ल सिर्फ बुक करवाने में अविनाश की मदद करता था। हां एक दो बार उसने अविनाश के साथ कालगर्ल की चुदाई भी की। लेकिन नीरज बहुत कम ही इस मामले में अविनाश के साथ रहता था। अविनाश भी ये जाहिर करता था कि लडकियां वो अपने लिए नहीं अपने सीनियर के लिए मंगाता है। और बहुत ही कम जब बहुत मन होता है तभी वो किसी कालगर्ल की चुदाई करता है।
फिर एक दिन
अविनाश : यार नीरज तू कभी मुझे अपने घर नहीं बुलाता।
नीरज : यार वैसे भी एक ही दिन की छुट्टी होती है और उस दौरान अधिकांश हम लोग पार्टी करते हैं।
अविनाश : अरे शाम के समय तो हम लोग रोज फ्री रहते हैं। और बहुत दिनों से घर का खाना भी खाने को नहीं मिला है। यदि शाम को घर का खाना खाने को मिल जाए तो मजा आ जाए। क्योंकि होटल का खाते खाते बोर हो गया हूं। अभी चार महीने और हैं।
नीरज के मुंह से अचानक निकल जाता है कि कोई बात नहीं यदि घर का ही खाना खाना है तो शाम को मेरे साथ चला कर ऋतु तेरे लिए भी खाना तैयार कर देगी।
अविनाश : यार ये तो बहुत अच्छा होगा। लेकिन तूझे इसके बदले में पैसे लेने होंगे।
नीरज : यार मैं एक दोस्त को घर बुला रहा हूं।
नीरज को नहीं पता था कि वो दोस्त के रूप में शैतान को अपने घर दावत पर बुला रहा है। जो उसकी बीबी को रंडी की तरह इस्तेमाल करने वाला है। और इसके बाद नीरज ऋतु को फोन कर बता देता है कि उसका दोस्त आज शाम को खाने पर घर आएगा। शाम को नीरज अविनाश को अपने ही साथ लेकर घर पहुंचता है। ऋतु उनका स्वागत करती है। ऋतु को देख अविनाश की आंखों में चमक आ जाती है। लेकिन जल्दी ही वो ऋतु पर से अपनी नजरें हटा लेता है। खाना खाते समय भी उनके लोगों के बीच सामान्य बातें ही होती है।
अविनाश : भाभी आपने हाथों में तो जादू हैं सालों बाद इतना टेस्टी खाना मिला है। फ्रांस जाने के बाद तो ऐसे खाने का टेस्ट ही भूल गया था।
नीरज : एक काम कर तू शादी कर ले उसके बाद तुझे ऐसा खाना रोज मिलेगा।
अविनाश : जरूरी नहीं जिससे शादी होगी उसके हाथों में ऐसा ही स्वाद हो।
नीरज : ये तो किस्मत वाली बात होती है।
खाना खाने केे बाद भी अविनाश ऋतु के द्वारा बनाए खाने की तारीफ करता है और कहता है पता नहीं अब कब इस तरह का खाना नसीब हो।
नीरज : यार एक काम कर जब तक तू यहां हैं तब तक मेरे घर पर ही खाना खा लिया कर।
अविनाश : यार रोज रोज अच्छा नहीं लगेगा। यदि तू पैसे ले तो सोच सकता हूं।
नीरज : नहीं याद दोस्ती में पैसे की बात अच्छी नहीं लगती है और खाने में कितना खर्च होगा।
अविनाश : ठीक है तो फिर यदि मैं आप लोागोंं को कभी कुछ दूं तो आप लोग मना नहीं करेंगे।
नीरज : ठीक है। क्यों ऋतु तुम्हारा क्या विचार है।
ऋतु : आप सही कह रहे हैं। इस बहाने आप भी घर जल्दी आ जाया करेंगे।
इसकेे बाद अविनाश रोज शाम को खाने पर हमारे घर आने लगा। 15 दिन बीतते बीतते मेरी भी अविनाश से अच्छी पहचान हो गई। लेकिन वो कभी भी अश्लील बातें मेरे सामने नहीं करता था। इस तरह एक महीना हो गया और एक महीने बाद अविनाश मेरे लिए एक महंगी साडी और नीरज के लिए पेंट शर्ट लाया। हम लोगों ने बहुत मना किया लेकिन वो माना नहीं इसलिए उसकी बात रखने के लिए हमने उसकी गिफ्ट रख ली। इसके बाद हर चौथे पांचवे दिन वो घर की जरूरत का कोई न कोई सामान ले आता था। अब तक मैं भी अविनाश से काफी बातें करने लगी थी। कई बार ऐसा भी होता था खाना खाते समय या उससे पहले या बाद में हम लोग साथ बैठे होते थे और नीरज का फोन आ जाता था तो कई बार वो बाहर फोन पर बात करने चला जाता था। उस दौरान हम लोग आपस में नार्मल बातें करते रहते थे। अविनाश ने कभी भी कोई गलत हरकत मेरे साथ नहीं की।
ये वो समय था जब मेरी सैक्स वाली बीमारी अपने चरम पर थी। वो तो रोज नीरज सुबह शाम मेरी चुदाई करता था इस कारण इसका ज्यादा असर मेरे दिमाग पर नहीं पड रहा था। लेकिन कभी कभी दोपहर को चुदाई की इच्छा होती थी लेकिन उस समय मुझे अपने उंगुलियों से ही काम चलाना पडता था। कई बार अविनाश अपने साथ कंपनी की फाइलें भी साथ लाता था और समय मिलने पर मेरे घर पर ही उसमें कुछ करता रहता था। शायद ऑफिस का काम करता था। एक महीने होते होते हम लोग काफी खुलकर बात करने लगे थे। यहां तक अविनाश कई बार फोन कर ये पूछ लेता था कि भाभी जी शाम को खाने में क्या बना रही हैं। हल्की फुल्की बातें ही हमारे बीच में होती थी। एक दिन नीरज को की कोई मीटिंग थी वो सुबह जल्दी निकल गया था। नीरज को गए हुए एक घंटा हुआ था कि उसका फोन आता है।
नीरज : अरे ऋतु वो अविनाश कल एक फाइल लाया था उसके आफिस की थी। देखों वहां टेबिल के आसपास रखी हागी।
ऋतु : थोडी देर बाद जवाब देती है यहां सोफे पर रखी हुई है।
नीरज : यार अविनाश का फोन आया था एक्चुअली में ये फाइल बहुत जरूरी थी। अब मैं तो निकल आया हूं। अविनाश अपने आफिस से किसी को भेजेगा उसे ये फाइल दे देना।
ऋतु: ठीक है कब तक आएगा।
नीरज : अभी पता करके बताता हूं। और थोडी देर बाद फोन करके कहता है कि दोपहर 2 बजे के करीब वो किसी आदमी को भेजने की बात कर रहा है।
मैंने सोचा कि दो बजने में तो चार घंटे हैं तो तब तक जरूरी काम निपटा लिए जाएं। 11 बजे के करीब मैं नहाने के लिए चली गई। नीरज किसी काम को लेकर थोडा परेशान था इसलिए दो दिन से हमारे बीच सेक्स बंद था। और जब भी नीरज मेरी चुदाई एक दिन भी नहीं करता था तो दूसरे दिन मुझे बेचैनी होने लगती थी। मेरा शरीर गरम हो रहा था तो सोचा नहाने से आराम मिलेगा और मैं शॉवर के पानी से नहाने लगी। लेकिन मेरे शरीर की प्यास बढती जा रही थी। मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैंने अपनी चुत में उंगली डाल कर उसे शांत करने की कोशिश की। लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा था।
अभी 15 मिनिट ही हुए थे कि दरवाजे की घंटी बजी। मैंने सोचा इस समय कौन हो सकता है। क्योंकि आमतौर पर इस समय कोई आता नहीं था। फिर ध्यान आता है शायद मीटर रीडिंग वाला होगा। उसके आने का टाइम भी हो गया था। मीटर तो बाहर ही लगा था लेकिन वो बिल देने के लिए गेट जरूर खुलवाता था। ये सोचकर मैंने जल्दी से तोलिया से खुद को पीछा और एक गाउन डाला जो घुटनों तक ही था। शरीर गीला होने के कारण गाउन शरीर से चिपक गया और मेरे निप्पल साफ साफ दिख रहे थे। मैंने इस पर गौर नहीं किया और दरवाजा खोल दिया। दरवाजा खोला तो सामने अविनाश खडा था।
दरवाजा खुलते ही अविनाश अंदर आ जाता है और जब उसकी नजर मुझ पर पडती हैं। तो उसकी आंखे चौंडी हो जाती है। थोडी देर तक वो मुझे देखता रहता है।
ऋतु : ऐसे क्या देख रहे हो अविनाश जी
अविनाश : अपनी नजरें हटाते हुए वो कुछ नहीं आप कितनी खूबसूरत है ये मुझे पता नहीं था पहली बार आपको इन कपडो में देखा है।
अविनाश की बात सुनकर मुझे भी अहसास होता है कि इस समय मैं सिर्फ एक शर्ट गाउन पहले हुए हूं। लेकिन स्थिति ये थी कि अभी मैं कपडे भी नहीं बदल सकती थी। मैं अविनाश को जल्दी से जल्दी भगाना चाहती थी इसलिए तुरंत फाइल उठा कर उसे देते हुए बोली ये लीजिए आपकी फाइल।
अविनाश : फाइल देखते हुए ऋतु जी इसके साथ एक फाइल और थी। फाइल क्या वो छोटी सी डायरी भी थी।
ऋतु : लेकिन मुझे तो ये ही मिली थी।
अविनाश : जहां फाइल रखी थी उसके आसपास ही कहीं होगी।
ऋतु : फाइल तो सोफे पर रखी थी।
अविनाश : वहीं आसपास देख लीजिए।
मैंने फाइल देखी लेकिन वो कहीं नहीं मिली। सोफे को सरका कर देखा अलमारी के उपर भी देख लिया। लेकिन फाइन नहीं मिली। इस बीच अविनाश में मुझे मेरे बदन के जो हिस्से नंगे थे वहां छू दिया और वो मुझे बार -बार किसी न किसी बहाने से छूने लगा । मैं पहले से ही गरम थी और अविनाश के इस तरह टच करने से मैं अपने होश खोते चली जा रही थी। और उसके बाद
नीरू : उसके बाद क्या हुआ दीदी
ऋतु : उसके बाद वो हो गया जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। तू मुझे बुरा मत समझना उस समय मैं सैक्स को लेकर पागल हो जाती थी। इस उन्माद को मनोविज्ञान की भाषा में निंफोमेनिया कहते हैं। यह एक ऐसा डिसऑर्डर है जिसमें सेक्स करने की इच्छा बहुत तीव्र होती है। ये स्त्रियों को ऐसी बिमारी हैं जिसमे मुझमें अनितनतरित कामोन्माद पैदा हो जाता था और उस समय मुझे सेक्स चाहिए होता था जिसमें मैं उस समय सेक्स करने के लिए परेशान रहती थी । क्योंकि इसको लेकर मेरा अडिक्शन हद से अधिक बढ़ चुका होता था । मैं चाहकर भी अपनी इस इच्छा पर नियंत्रण नहीं रख पाती थी और सेक्स मेरी नियमित जरूरत बन गया था ।
जारी रहेगी