अब तक आपने पढ़ा की नीरू ने बाथरूम मे जीजाजी को “नीरू” नाम लेते हुए ऋतु दीदी को चोदते हुए सुन लिया था. नीरू को यकीन नही हुआ और उसने प्रशांत को कहा की वो खुद जीजाजी के मूह से यह सुनना चाहत हैं की जीजाजी उसको चोदना चाहते हैं.
अब आगे की कहानी प्रशांत की ज़ुबानी जारी हैं…
प्रशांत: “जीजाजी तुम्हारे डर से तुम्हे शायद कभी नही बोलेंगे की वो तुम्हे सच मे चोदना चाहते हैं, वरना अब तक वो बोल चुके होते”
नीरू: “मैं एक बार फिर से वोही ग़लती करूँगी जो पहले की थी. मैं खुद उनको मुझे चोदने को कहूँगी. इस बार वहाँ ना तुम होगे और ना ही ऋतु दीदी. फिर देखती हूँ की जीजाजी मुझे सच मे चोदते हैं या नही”
प्रशांत: “तुम पागल हो क्या! जीजाजी तुम्हे चोद देंगे और तुम कुच्छ नही कर पाओगी”
नीरू: “मुझे बस सच जानना हैं, जीजाजी का सच”
अब मैं टेन्षन मे आ गया. क्या नीरू सच मे यह ख़तरनाक एक्सपेरिमेंट करना चाहती हैं. वो तो चाहती हैं की ऋतु दीदी और मैं भी वहाँ ना रहे. फिर तो पक्का जीजाजी अकेले मे नीरू को चोद ही डालेंगे.
प्रशांत: “मैं तुम्हे इस एक्सपेरिमेंट की पर्मिशन नही दे सकता”
नीरू: “तुम्हारा मुझ पर कोई अधिकार नही हैं. हमारा तलाक़ भी हो चुका हैं. तुम मुझे नही रोक सकते”
प्रशांत: “कम से कम मुझे वहाँ रहने की तो इजाज़त दो. जैसे ही जीजाजी तुम्हारे साथ ग़लत काम करेंगे मैं उन्हे रोक लूँगा”
नीरू: “कोई ज़रूरत नही हैं. मैं अपने आप को संभाल लूँगी. मुझे लगता था की जीजाजी मुझे अपनी बेटी मानते हैं. अगर जीजाजी को मुझे चोदने मे कोई हर्ज नही हैं तो ठीक हैं, मैं भी देखती हूँ की जिसको वो अपनी बेटी मानते हैं उसको कैसे चोदते हैं”
प्रशांत: “देखो जीजाजी मुझे अपने मन की बात पहले ही बता चुके हैं. उनको चोदना होगा तो वो मेरे सामने भी तुम्हे चोद ही देंगे. मेरे वहाँ रहने से उनको कोई फ़र्क नही पड़ेगा. मुझे वहाँ रहने दो प्लीज़”
नीरू: “ठीक हैं, अगर तुम्हे देखना हैं तो देख लेना. मैं भी चाहती हूँ की तुम खुद देखो की तुम जीजाजी के बारे मे कितना ग़लत हो. मगर तुम छूप कर रहोगे, और कुच्छ भी हो जाए बाहर नही निकलोगे”
प्रशांत: “अगर जीजाजी ने तुम्हारे साथ कुच्छ ग़लत किया तो मैं बाहर आउन्गा और उन्हे पीटूँगा”
नीरू: “किस हक़ से? तुम मेरे क्या लगते हो? तुम बीच मे नही आओगे, खाओ मेरी कसम”
प्रशांत: “मगर…”
नीरू: “अगर जीजाजी सच्चे निकले तो मैं तुमसे शादी नही करूँगी, क्यू की तुमने फिर से उन पर शक किया हैं. अगर जीजाजी झूठे निकले और मुझे चोदने की कोशिश की तो फिर तुम्हारी इक्षा की तुम मुझसे फिर से शादी करना चाहोगे या नही”
प्रशांत: “नीरू मुझे पता हैं की क्या होने वाला हैं, इसलिए मुझे उन्हे रोकने की पर्मिशन दे दो”
नीरू: “तुम मेरी कसम खाओ की बीच मे नही आओगे, वरना मैं तुमसे छिपकर यह एक्सपेरिमेंट कर लूँगी”
प्रशांत: “नही. मैं कसम ख़ाता हूँ की मैं बीच मे नही आउन्गा, मगर मुझे वहाँ रहना हैं”
नीरू: “आज शाम को घर पहुच कर मैं जीजाजी को रात को अपने बेडरूम मे बूलौंगी और तुम अटॅच्ड वॉशरूम मे छूपे रहना”
मैने हा में गर्दन हिलाई. मुझे बहुत डर लग रहा था की आज रात पता नही क्या होने वाला था. हम दोनो फिर होटेल रूम मे आ गये तब तक जीजाजी और ऋतु दीदी की चुदाई ख़त्म हो चुकी थी.
ऋतु दीदी को मैने आँखों के इशारे से बता दिया की मैने नीरू को वॉशरूम से आती जीजाजी की आवाज़े सुना दी हैं जैसा की हमने प्लान किया था.
मैने ऋतु दीदी को रात को होने वाले एक्सपेरिमेंट के बारे मे नही बताया. दिन भर हम घूमते रहे और नीरू थोड़ी टेन्षन मे दिखी.
शाम को हम घर पहुचे. जीजाजी और ऋतु दीदी सोने के लिए गेस्ट रूम मे चले गये. मैं और नीरू हमारे बेडरूम मे आ गये.
प्रशांत: “नीरू फिर से सोच लो, कुच्छ ग़लत होने पर मैं तुम्हे बचना चाहता हूँ”
नीरू: “तुम्हे घर से बाहर जाना हैं या यहा बाथरूम मे छूपे रहना हैं? यहा रहना हैं तो तुम जीजाजी के जाने तक बाहर नही आओगे”
मैं चुप हो गया. नीरू ने कुच्छ देर बाद जीजाजी को मेसेज किया की वो हमारे बेडरूम मे आ जाए और ऋतु दीदी को नही बताए.
जीजाजी के आने से पहले मैं जाकर अटॅच्ड वॉशरूम मे छूप गया. जीजाजी कमरे मे आए और नीरू ने दरवाज़ अंदर से लॉक कर दिया.
जीजाजी: “क्या हो गया, सब ठीक तो हैं और प्रशांत कहा हैं?”
नीरू: “वो बाहर गया हैं. आप यह बताओ मैं आपको कैसी लगती हूँ!”
जीजाजी: “यह पूछने के लिए मुझे सोते हुए बुलाया! तुम तो मेरी परी हो. तुमसे सुंदर इस दुनिया मे कोई नही हैं”
जीजाजी ने नीरू के चेहरे पर आती बालो की लत को नीरू के कानो के पीछे अटकाया और फिर अपने हाथो की उंगलियों के पीछे की तरफ से नीरू के गालो पर फिराया.
नीरू: “यह नही पुछा मैने, यह बताओ मैं आपकी कौन हूँ?”
जीजाजी: “यह कैसा सवाल हैं! तुम मेरी इकलौती साली हो”
नीरू: “वो तो दुनिया की नज़रो मे हमारा रिश्ता हैं. आप मुझे क्या समझते हो?”
जीजाजी: “क्या हो गया तुमको आज!”मैं वॉशरूम का हल्का सा दरवाजा खोले एक दरार से यह सब देख रहा था. नीरू और जीजाजी एक दूसरे सामने करीब खड़े थे. नीरू का चेहरा गंभीर था.
जीजाजी ने नीरू का हाथ अपने हाथ मे पकड़ा था और चेहरे पर एक स्माइल थी.
नीरू: “मैने आज सुबह वो सब सुना जो आप वॉशरूम मे ऋतु दीदी को चोदते हुए कह रहे थे”
यह सुनकर जीजाजी दंग रह गये और चेहरे पर से स्माइल गायब हो गयी और उसकी जगह गंभीरता ने ले ली.
नीरू: “बोलिए, आपने ऐसा क्यू किया?”
जीजाजी: “वो … एम्म … मैं …”
नीरू: “सच सच बताओ, आप मेरे बारे मे क्या सोचते हो! क्या आप मुहे चोदना चाहते हो?”
जीजाजी: “नही, ऐसी कोई बात नही हैं नीरू .. .वो तो मैं बस …”
नीरू: “आप मुझे चोदना चाहते हो तो मैं आपको नही रोकूंगी. आपके सामने खड़ी हूँ, जो करना हैं कर लो”
जीजाजी: “क्या कह रही हो! मैं ऐसा नही सोचता …”
नीरू ने अपना टी शर्ट अपने सिर से होकर निकाल दिया और उपर से सिर्फ़ ब्रा मे वहाँ खड़ी थी. जीजाजी बोलते हुए रुक गये और नीरू की छाती को घूर्ने लगे जहा ब्रा के बीच से नीरू के मम्मे दिख रहे थे.
नीरू: “मैं रेडी हूँ, आपसे चुदवाने के लिए. क्या आप मुझे चोदने को रेडी हो?”
नीरू जीजाजी की आँखो मे झाँक रही थी और जीजाजी की नज़र नीरू के आधे नंगे बदन पर टिकी थी.
नीरू आगे बढ़ी और जीजाजी के सीने पर सिर रख कर उनसे चिपक गयी. जीजाजी ने भी उसको अपने बाहों मे भर लिया और नीरू की नंगी बाहो पर हाथ फेरने लगे.
नीरू: “आप मुझे चोदोगे ना?”
जीजाजी ने कोई जवाब नही दिया. पर अब जीजाजी का हाथ नीरू की ब्रा से झाँकति नंगी पीठ और नंगी कमर पर फिर रहा था.
नीरू: “कुच्छ बोलते क्यू नही, क्या आप मुझे चोदोगे!”
जीजाजी: “तुम क्या चाहती हो?”
नीरू: “वोही जो आप चाहते हो. आप मुझे चोदना चाहते हो तो मैं भी आपसे चुदवाना चाहती हूँ”
जीजाजी ने फिर नीरू की पीठ से उसकी ब्रा का हुक खोल दिया. एक झटके मे उस ब्रा की पकड़ नीरू के बदन से ढीली पड़ गयी और नीरू का पूरा शरीर एक झटके मे हिल गया.
शायद नीरू को यह उम्मीद नही थी की जीजाजी उसका ब्रा का हुक खोल लेंगे. नीरू चुप हो गयी थी. मगर नीरू के पीछे से नंगी पीठ और कमर पर उपर से नीचे जीजाजी की उंगलिया घूम रही थी.
अंदर वॉशरूम मे खड़े मेरे हाथ पैर काँप रहे थे की आगे क्या होने वाला था. क्या नीरू के लिए इतना काफ़ी नही हैं जीजाजी की नीयत जानने के लिए!
नीरू जो अब तक जीजाजी के सीने से चिपकी हुई थी अब उसने अपना ब्रा अपनी छाती से चिपकाए थोड़ा जीजाजी से पीछे हटी.
नीरू के चेहरे पर टेन्षन थी पर जीजाजी के चेहरे पर स्माइल लौट चुकी थी. जीजाजी ने ब्रा के स्ट्रॅप नीरू के कंधो से नीचे गिराई, पर नीरू अभी भी ब्रा को छाती से चिपकाए हुई थी और ब्रा गिरने नही दिया और अपने मम्मे भी छिपाए रखे.
जीजाजी ने अपने दोनो हाथ से नीरू के दोनो कंधे पकड़े. दोनो अभी भी एक दूसरे की आँखों मे झाँक रहे थे. नीरू की आँखें गीली हो कर चमक रही थी और एक डर भी था.
नीरू: “आप सच मे मुझे चोदना चाहते हो!”
जीजाजी: “तुम जैसी खूबसूरत लड़की को चोदना तो हर आदमी का सपना होगा”
नीरू: “और आपका भी यही सपना हैं?”
जीजाजी: “मैं भी तो एक आदमी ही हूँ”
नीरू ने अपना हाथ ब्रा से हटा लिया और हाआत नीचे कर दिए. वो ब्रा खिसक कर नीचे गिर गया और नीरू वहाँ टॉपलेस खड़ी थी.
जीजाजी के नज़रे नीरू की छाती पर गयी और इतना तड़पने के बाद पहली बार नीरू के मम्मों को पूरा नंगा देखा और उनके मूह से लज्जा की बजाय तारीफे निकलने लगी.
जीजाजी: “वाउ! नीरू तुम्हारे जैसे खूबसूरत मम्मे मैने कभी नही देखे. यह दुनिया के सबसे खूबसूरत मम्मे हैं”
नीरू का चेहरा बता रहा था की वो पूरी तरह दंग थी. उसको यह उम्मीद नही थी. उसने सोचा था की जीजाजी उसको कपड़े फिर पहना देंगे पर वो तो उसके नंगे बदन की तारीफे कर रहे थे.
नीरू इस सदमे से उभरी भी नही थी की जीजाजी की दोनो हथेलियो ने नीरू के बड़े से मम्मों को पकड़ लिया था और हल्का सा दबा भी लिया था.
नीरू का मूह थोड़ा खुल गया और जीजाजी की स्माइल और बढ़ गयी और डाट दिखने लगे थे. मैं वॉशरूम मे अपनी मुट्ठी भींचे गुस्से मे खड़ा था.
नीरू ने फिर आँखें बंद कर ली थी. जीजाजी ने फ़ायदा उठाया और नीरू के मम्मों से हाथ हटा कर अपने मूह मे नीरू के निपल भर लिए और चूसने लगे.
नीरू की पहली बार सिसकी निकली और चेहरा च्चती की तरफ हो गया और मूह खुला का खुला रह गया.
मैं वॉशरूम मे बैठा मन ही मन नीरू को कह रहा था की अब तो प्लीज़ वो जीजाजी को रोक दे इस से पहले की वो उसका और ज़्यादा फ़ायदा उठा पाए, पर नीरू को जीजाजी की बेशर्मी की लिमिट देखनी थी.
अगले कुच्छ सेकेंड्स तक जीजाजी छपर्र छपर्र करते हुए नीरू के निपल और मम्मों को अपने मूह मे लिए चूस्ते रहे और दबाते रहे.
नीरू ने फिर आँखें खोली और जीजाजी के कंधे पकड़ कर उनको अपने मम्मों से दूर किया. जीजाजी फिर सीधा खड़े हो गये पर चेहरे पर स्माइल थी.
अगले एपिसोड मे पढ़िए जीजाजी की असली गंदी वाली नीयत सामने आने के बाद नीरू का क्या रिक्षन रहेगा.