Adultery ऋतू दीदी – Jija Sali Sex

प्रशांत: “मैं अब और बेवकुफ नहीं बनुंगा। पहले मुझे लगा सिर्फ जीजाजी की नीयत गन्दी है। पर अब लगता हैं तुम खुद इसके लिए ज़िम्मेदार हो”

नीरु: “मैंने थोड़ा सा मजा लेने के लिए जीजाजी का नाम ले लिया तो मैं खराब हो गयी। तुम जो मुझसे बुलवा रहे थे तो तुम्हारी कोई गलती नहीं हैं! ऐसी सोच वाले आदमी के साथ मुझे भी नहीं रहना है। तुम खुद कुए में मुझे धक्का देते हो और फिर कहते हो की मैं गिरि हुयी हूँ”

नीरु उठ गयी और अपने कपडे पहनने लगी। मैं काफी देर तक वहीं लेटा रहा की अब मैं क्या करू? निरु मुझे छोड़कर फिर चली गयी। मेरा शक़ निरु और जीजाजी पर पहले से भी ज्यादा हो गया त। मुझे लगा की जब तक निरु और उसके जीजाजी साथ हैं तब तक मेरा शक़ उन पर बना रहेगा और कभी ख़त्म नहीं होगा। इस से अच्छा तो यही होगा की मैं उसको हमेशा के लिए जाने दू।

तलाक की सुनवायी हुयी तो निरु ने बताया की वो फिर से प्रेग्नेंट है। मैंने दूसरे बच्चे को अपनाने से मन कर दिया। मैं दोनों बच्चो का डीएनए टेस्ट करवाने की मांग रख दि। निरु ने एबॉर्शन के लिए एप्लीकेशन दि। मुझे दूसरे बच्चे से कोई मतलब नहीं था, इसलिए मैंने एबॉर्शन की परमिशन दे दि। निरु भी पहले बच्चे के डीएनए टेस्ट के लिए मान गयी।डीएनए टेस्ट के रिजल्ट का मुझे इन्तेजार था, क्यों की उसमे थोड़ा टाइम लगता है। शायद यह रिजल्ट ही मेरे शक़ को यक़ीन में बदल पायेगा की निरु का जीजाजी के साथ कुछ गलत रिश्ता हैं की नहीं।

एक बार फिर मैं अकेला पड़ चुका था। खाली घर काटने को दौड़ता था। पर अब यह सोचकर अपने मन को बहला लेता था की बेवफा निरु का इस घर में ना रहना ही बेहतर है। फाइनली मुझे डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट मिली।

काँपते हाथों से मैंने वो रिपोर्ट खोली। रिजल्ट कुछ भी होता, दोनों ही केस में मुझे बड़ा झटका लगने वाला था। रिपोर्ट पढ़कर मुझे बहुत ख़ुशी मीली। मगर फिर भयंकर चिन्ता में पढ़ गया। डीएनए टेस्ट के हिसाब से वो बच्चा मेरा ही था। वोही बच्चा जिस पर मुझे जनम के पहले से ही शक़ था की वो जीजाजी का हैं। अब मैं गहरी सोच में था। क्या इसका मतलब यह हैं की निरु ने कभी जीजाजी से चुदवाया ही नहीं होगा! या फिर भले ही वो बच्चा मेरा हैं मगर हो सकता हैं निरु ने जीजाजी से चुदवाया हो।

मगर एक सच तो यह था की अपने शक़ की वजह से मैंने अपने ही बच्चे को किसी और को गोद दे दिया था। इस बच्चे को लेकर मैंने निरु को कितने ताने मारे थे। मै फिर से निरु के ऑफिस के बाहर पंहुचा ताकी कम से कम उस से माफ़ी मांग सकु की मैंने हमारे बच्चे को लेकर उसको जो इतना सुनाया था। नीरु को भी वो डीएनए रिपोर्ट मिल ही गयी थी। हम दोनों की नजरे मीली। निरु का वजन इस बीच थोड़ा और बढ़ गया था।

उसने मुझे देखा और इग्नोर करते हुए थोड़ा आगे चली गयी। मैंने उसको रोका, वो नहीं रुकि और मैं उसके सामने आकर खड़ा हो गया और रास्ता रोक लिया। निरु सड़क की तरफ मुँह करते वह खड़ी हो गयी।

प्रशांत: “मैं बस तुमसे सॉरी बोलने आया हूँ”

नीरु: “डीएनए रिपोर्ट आने के पहले यह सॉरी बोला होता तो इसकी ज्यादा वैल्यू होती। अभी मुझसे मिलने की जरुरत नहीं हैं”

प्रशांत: “पहले माफ़ तो कर दो”

नीरु: “तुमने जो किया हैं उसकी माफ़ी एक बार दे चुकी थी, मगर तुमने वोहि गलती रिपीट की थी”

मै निरु से सॉरी बोलते हुए उसको मना ही रहा था। फिर मुझे क्या सुझा की मैंने निरु का हाथ पकड़ लिया। उसने एक झटके में अपना हाथ छुड़ाया और मेरे चेहरे पर एक चांटा मार दिया।

नीरु: “हमारा तलाक हो चुका हैं और तुम मेरा हाथ पकडने का अधिकार खो चुके हो। तुम्हारे पेरेंट्स का ध्यान रखते हुए पुलिस से शिकायत नहीं कर रही पर आईन्दा से ऐसी हरकत मत करना”

इसके बाद मेरी फिर से हिम्मत नहीं हुयी की निरु से मिलने जाउ। मगर किस्मत में उस से फिर मिलना लिखा था।

कुछ दिनों बाद ही जब मैं अपने घर जा रहा था तो रेलवे स्टेशन पर मैंने निरु को देखा। साथ में उसके जीजाजी भी थे जिनकी वजह से यह सब हुआ था। जीजाजी से मेरी हाय-हेलो हुयी और फिर अकेले में उनसे बात हुयी।

प्रशांत: “डीएनए रिपोर्ट से सब साफ़ हो गया की मैं गलत था। मगर निरु अब मुझे दूसरा चांस देने को तैयार नहीं हैं”

जीजाजी: “निरु अभी प्रेग्नेंट है। तुम्हे शक़ नहीं हैं की वो बच्चा किसका हैं!”

प्रशांत: “निरु प्रेग्नेंट हैं!! ओहः, इसलिए उसका थोड़ा वजन बढा हुआ लग रहा है। मगर उसने तो तलाक के टाइम एबॉर्शन की परमिशन ले ली थी”

जीजाजी: “वो तो तुम्हारा बच्चा था जो उसने एबॉर्शन करवा लिया था। मगर अभी जो उसके पेट में हैं वो मेरा बच्चा हैं”

प्रशांत: “क्या!”

जीजाजी: “मैंने कहा था न की एक न एक दिन तो मैं निरु को फसा कर चोद ही दूंगा”

प्रशांत: “मगर आपने तो कहा था की आप सिर्फ मेरा टेस्ट ले रहे थे, और आपकी निरु के लिए सोच गलत नहीं हैं”

जीजाजी: “झूठ कहा था। क्यों की उस टाइम निरु तुमसे प्यार करती थी, इसलिए उसको फसा कर चोद नहीं पाया। मगर जाते जाते मैंने शक़ एक ऐसा बीज बो दिया की तुमने खुद निरु का तुम्हारे प्रति प्यार को नफरत में बदल दिया”

प्रशांत: “मतलब, उस दौरान आपके और निरु के बीच कुछ नहीं हुआ था!”

जीजाजी: “पहली रात मुझे जमींन पर सोना पडा। सोचा था निरु मुझे अपने साथ सोने को कहेगी पर उसने नहीं कह्। दूसरी रात भी कोई चांस नहीं था, इसलिए बाहर आ गया और तुमको अन्दर भेज दिया”

प्रशांत: “निरु सही थी और मैं गलत”

जीजाजी: “तुमने मेरा काम जरूर आसन कर दिया। तुमसे अलग होने के बाद निरु एक कोरा कागज़ थी, उसके दिल में उतरना आसान हो गया और इसका रिजल्ट देख लो। मेरा बच्चा उसके पेट में हैं”

प्रशांत: “तुम बहुत हरामि हो। मगर निरु तुम्हारे साथ चुदने को रेडी कैसे हो सकती हैं!”जीजाजी: “वो कहाँ मान रही थी, बहुत कोशिश की तब जाकर वो फ़ासी है। बताता हूँ पूरी कहानि, तुम भी मजे लो, अब तो वो तुम्हारी बीवी भी नहीं रही”

जीजाजी ने फिर अपनी और निरु की पहली चुदाई की कहानी बतायी।

तलाक के बाद निरु बहुत दुखी थी, तलाक से ज्यादा दुःख एबॉर्शन करवांने और बच्चे के डीएनए टेस्ट करवाने की वजह से था क्यों की मुझे बच्चे के असली बाप पर शक़ था। काफी दिनों तक निरु घर से बाहर ही नहीं निकली।

उसने जो छुट्टिया ली थी वो भी ख़त्म होने आई थी। जीजाजी निरु को वापिस छोड़ने के लिए मेरे शहर आये थे जहाँ निरु का ऑफिस भी था और किराए का घर लिया था। जीजाजी ने जानबूझ कर एक दिन वही रुकने का प्लान बना लिया था। उदास निरु को सहारा देने के लिए उसको गले से लगाया।

गले लगाते वक़्त उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए उसके बदन को भी महसूस किया। निरु रोते हुए शक़ के किस्से सुना रही थी। जीजाजी ने निरु को चुप कराया और फिर अचानक से उसके होंठो पर किश कर दिया। निरु अवाक सी खड़ी हो जीजाजी को देकखते ही रह गयी।

नीरु: “यह क्या था जीजाजी? “

जीजाजी: “मुझे तुम्हारी हालत नहीं देखि जा रही है। अपने मन के दुःख को भुलाने के लिए तुम्हे शरीर के सुख की जरुरत है। वो मैं तुम्हे देना चाहता हूँ”

नीरु: “यह आप क्या कह रहे हो जीजाजी? मैंने दो बार नादनी में कोशिश की थी और आपने मुझे दोनों बार थप्पड़ मार कर दूर किया था और सही रास्ता दिखाया था। आज आप खुद ही…”

जीजाजी: “उस वक़्त तुम्हे इतनी जरुरत नहीं थी जितनी आज जरुरत है। हो जाने दो हम दोनों का मिलन”

नीरु: “मगर यह गलत है। आप मेरी दीदी के पति हो। मैं अब आपसे यह सब करवाने के बारे में नहीं सोच सकती”

जीजाजी: “डारो मत निरु, इसमें कुछ गलत नहीं है। कुछ न होते हुए भी प्रशांत ने तुम पर शक़ किया, तो अब सच हो जाने दो। कुछ नहीं होगा, सिर्फ थोड़ी शांती के लिए हैं”

नीरु घबराते हुए ना बोलति रही और जीजाजी ने एक एक कर निरु के कपडे निकालने शुरू कर दिए। ब्रा और पैंटी में आने के बाद निरु और ज्यादा घबराने लगी। नीरु पीछे हट गयी पर जीजाजी ने आगे बढ़कर उसको जबरदस्ती सीने से लगा कर उसकी मखमली शरीर को सहलाना शुरू किया। नीरु फिर धीरे धीरे शांत होने लगी और जीजाजी जी की बाँहों में उसको सुकूंन मिलने लगा।

नीरु जब पूरी तरह शांत हो गयी तो जीजाजी ने ऐसे गले लगे हुए ही निरु की पीठ से उसके ब्रा का हुक खोल दिया। जीजाजी की बाँहों में निरु पूरा हील गयी, पर जीजाजी ने उसको और भी कस कर पकडे रखा। जीजाजी ने कुछ देर तक निरु की नंगी पीठ पर हाथ मलते हुए उसके नंगे बदन को महसूस किया। कुछ सेकंड बाद जीजाजी ने निरु को अपने से थोड़ा दूर हटाया।

नीरु अपनी छाती पर अपना खुला हुआ ब्रा थामे अपनी इज़्ज़त छुपाने का प्रयास कर रही थी। जीजाजी ने निरु के गालो पर लुढकते उसके आँसुओ को पोंछा। फिर जीजाजी ने निरु के ब्रा को उसके कन्धो से उतारा और निरु के हाथो में थामा उसका ब्रा खींच कर दूर किया। निरु ने अपनी दोनों हथेलियो से अपने दोनों मम्मो को ढक दिया। मगर उन बड़े से मम्मो को निरु की छोटी हथेलिया पूरा नहीं ढक पा रही थी और निरु को टॉपलेस देखकर जीजाजी का लण्ड उनकी पेंट में कड़क होकर फडकने लगा था।

नीरु सहमि हुयी खड़ी थी और जीजाजी ने नीचे झूकते हुए एक झटके में निरु की पैंटी को उसकी टांगो के नीचे खिसका कर उसको नीचे से नँगा कर दिया। नीरु की सफ़ाचट चूत जीजाजी के सामने थी और जीजाजी ने निरु को पूरा नँगा देखा और बहक गए। इतनी कमसीन जवानी को नँगा देख जीजाजी अब और इन्तेजार नहीं कर पाए। नीरु के दोनों हाथो को उसके मम्मो से दूर किया। निरु अपने हाथो से फिर अपने मम्मो को ढकना चाहती थी पर जीजाजी ने उसके हाथ कास कर पकडे रखे और फिर उसको लेकर बेड पर आ गए।

नीरु धीमी धीमी आवाज में

“यह गलत हैं जिजाजी”

बोल रही थी पर जीजाजी ने निरु को बिस्तर पर लेटा दिया और खुद के कपडे खोल नंगे हो गए। जीजाजी का कड़क खड़ा हुआ लण्ड देखकर निरु के होश उड़ गए और वो बिस्तर से उठने लगी मगर जीजाजी ने उसको दबोच कर फिर से लेटा दिया।

नीरु अब जीजाजी के शरीर के नीचे दबी हुयी थी। निरु के डर के मारे होंठ कंपकंपा रहे थे और जैसे ही जीजाजी ने अपना लण्ड निरु की चूत में घुसया तो निरु के होंठ कंपकंपाने बंद हो गए और एक गहरी “आअह्ह्ह्ह” निकली।

इसके बाद जीजाजी ने निरु को कोई मौका नहीं दिया। धक्के मारते हुए जीजा ने अपनी तलाक़शुदा साली को जाम कर चोदते हुए अपने बरसो के अधूरे अरमान पूरे किये। पुरी चुदाई के दौरान निरु बस सहमे हुए मुँह खोले हलकी सिसकिया और आहें भर रही थी। चुदाई के ख़त्म होने के बाद उसने अपने नंगे बदन को ढकने का भी प्रयास नहीं किया।बिस्तर पर नंगे लेटी निरु को जीजाजी ने देखा और मुस्कुराते हुए उसको दिलासा दिया की कुछ गलत नहीं हुआ हैं।

नीरु को भी पता था की उसने अभी अभी क्या किया था, जीजाजी ने तो प्रोटेक्शन भी नहीं पहना था और उसका रिजल्ट उसको जल्दी ही मिल गया था। जीजाजी और निरु की यह चुदाई की कहानी सुनकर मेरे हाथ पैर कांप उठे थे।

मेरे तलाक से पहले तक उन दोनों के बीच कुछ नहीं हुआ था यह जानकार मुझे अपने आप पर शर्म और गुस्सा आ रहा था। मेरी ही वजह से निरु कमजोर पड़ी और उसके कमीने जीजा ने फायदा उठा कर उसको चोद दिया और प्रेगनंट कर दिया था।

प्रशांत: “निरु प्रेग्नेंट हैं, यह जानकर ऋतू दीदी और उनके मम्मी पाप ने कुछ नहीं कहा!”

जीजाजी: “मैंने निरु को झूठ बोलने को कहा की उसके ऑफिस के किसी लड़के से उसके रिश्ते बन गए थे और अब वो यह बच्चा पैदा करेगी अपने सहारे के लिए”

प्रशांत: “तो आपने सिर्फ अपनी हवस मिटाने के लिए अपनी साली निरु की ज़िन्दगी बर्बाद कर दी”जीजाजी: “ज़िन्दगी बर्बाद नहीं कि, बल्कि उसकी गोद आबाद कर दि। क्या बताऊ तुम्हे, निरु को चोदने में क्या नशा है। खैर तुम्हे तो पता ही होगा। अब मैं चाहे जब निरु को चोदने के मजे ले सकता हूँ। वो अब एडजस्ट हो चुकी हैं”

प्रशांत: “मैं आपकी वाइफ ऋतू दीदी को बता दूंगा”

जीजाजी : “फिर से वोहि गलती! तुम्हारी बात का विश्वास कौन करेगा?”

नीरु से बात करने की हिम्मत नहीं थी। मैं अपने घर आ गया पर परेशान ही रहा। भले ही मैं पहले गलत था, पर निरु को भी अपने जीजाजी से नहीं चुदवाना चाहिए था। फिर सोचा निरु की सिचुएशन ही ऐसी थी की वो क्या करती? मैंने खुद भी तो निरु की बड़ी बहन ऋतू दीदी को एक बार बिना कारण चोद चुका था।

मैने सोच लिया की मैं निरु को अब और ज्यादा जीजाजी का शिकार नहीं बनने दूंगा। शायद ऋतू दीदी मेरी बात समझ जाए। उनको फ़ोन पर अच्छे से समझा ना पाऊं इसलिए खुद जाकर उनसे बात करनी चाहिए। मै पहुँच गया ऋतू दीदी के घर के बाहर। थोडा दूर ही रहा और इंतज़ार करता रहा। लगभग २-३ घन्टे के इंतज़ार के बाद मुझे ऋतू दीदी अपने घर से बाहर अकेले आते दिखि।

मै जल्दी से उनकी तरफ बढा। मगर मैं वहाँ पहुचता तभी गेट से निरु भी बाहर आई और ऋतू दीदी की बगल में जा खड़ी हुयी। मै तब तक उनके करीब आ चुका था इसलिए अब मुझे जो भी बोलना था दोनों के सामने बोलना था।

प्रशांत: “ऋतू दीदि, मैं जो कह रहा हूँ वो ध्यान से सुनिये। जीजाजी की नीयत निरु के लिए खराब हैं और मुझे उन्होंने खुद बताया हैं”

ऋतू दीदी और निरु मेरी तरफ गौर से देख कर आश्चर्य कर रहे थे की मैं अचानक वहाँ कैसे आ गया और क्या बोल रहा हूँ।

प्रशांत: “जीजाजी ने निरु की खराब मानसिक हालात का फायदा उठाय और उसके साथ गलत काम कर लिया हैं”

ऋतू दीदी: “क्या बोल रहे हो प्रशांत!”

प्रशांत: “निरु के पेट में जो बच्चा हैं वो भी जीजाजी का हैं, उन्होंने खुद मुझे बताया है। आपको यक़ीन न आये तो टेस्ट करवा लीजिये”

नीरु: “ऋतू दीदी आप चलो, इस प्रशांत का दिमाग खराब हो गया हैं”

प्रशांत: “मैं तो तुम्हे जीजाजी के चँगुल से बचाना चाहता हूँ। वो तुम्हारा फायदा उठा रहे हैं निरु”

नीरु: “तुम्हारी इनफार्मेशन के लिए बता दु की मेरे पेट में तुम्हारा ही बच्चा है, मैंने कभी एबॉर्शन करवाया ही नहीं था”

प्रशांत: “क्या!!! तो जीजाजी ने मुझसे झूठ क्यों बोला?”

नीरु: “झूठ जीजाजी ने नहीं, तुमने बोला है। अब तो उनका पीछा छोड़ दो, कब तक झूठ बोलोगे और उनको बदनाम करोगे?”

ऋतू दीदी: “निरु सही कह रही है। उसने एबॉर्शन नहीं करवाया था और वो इस बच्चे को तुम दोनों के प्यार की निशानी के तौर पर रखना चाहती थी”

अब मेरी बोलति बंद हो गयी। निरु अपनी ऋतू दीदी को खींच कर ले गयी और मैं वहाँ ठगा सा खड़ा रह गया। मुझे समझ नहीं आ रहा था की जीजाजी ने एक बार फिर मुझे यह झूठ क्यों बोला की उन्होंने निरु को चोद कर प्रेग्नेंट कर दिया था। मै अपने घर लौट आया। यह पहेली मुझे समझ नहीं आ रही थी। यह सब जानने के लिए मैंने जीजाजी को फ़ोन लगाया।

प्रशांत: “आपने मुझसे झूठ क्यों बोला की आपने निरु को प्रेग्नेंट कर दिया हैं!”

जीजाजी: “मुझे पता था तू फिर से मेरे घर वालों को बताने की कोशिश करेगा इसलिए तुझको निरु की नजरो में और ज्यादा गिराने के लिए मैंने यह झूठ बोला। जितना निरु तुझको भूलेगी उतना मेरे करीब आएगी”

प्रशांत: “तो आप मेरे साथ खेल रहे थे! आपने जो स्टोरी बतायी की आपने कैसे निरु को नँगा करके चोदा था वो भी झूठ था!”

जीजाजी: “कोशिश तो की थी पर निरु इतनी आसानी से फसने वाली मछली नहीं है। फिर स्टेशन पर तुमको देखा तो अपनी एक और चाल चल दी”

मैने फ़ोन काट दिया और अपनी एक और बेवकूफी पर गुस्सा आया। मैं एक बार फिर से जीजाजी की चाल का शिकार बना था। उनकी शुरू से यही कोशिश थी की वो मुझे निरु से दूर कर पाए। शाम को मुझे ऋतू दीदी का कॉल आया और मुझे आश्चर्य हुआ। मैंने फ़ोन उठया।

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