अब आगे की कहानी प्रशांत की ज़ुबानी जारी हैं…
एक और टेस्ट लेने का कहते ही जीजाजी ने अपनी दोनों बाँहों में निरु को उठा लिया। निरु अब जीजाजी की बाँहों में लेटी हुयी थी। साड़ी का पल्लु थोड़ा सीने से हट गया था। जीजाजी का एक हाथ निरु की दोनों जाँघो के नीचे से पकडे उसको उठाये हुए था और दूसरा हाथ निरु की पीठ के नीचे था।
नीरु की पीठ के नीचे वाले जीजाजी के हाथ की हथेली की उंगलिया निरु की बगल के नीचे से होते हुए निरु के साइड बूब्स के उभार को छु रही थी। जीजाजी जान बूझकर अपनी उंगलिया निरु के बूब्स से दूर करते और फिर वापिस लगा कर थोड़ा दबा देते।
मेरा खून अन्दर से खौलने लगा। एक मुक्का जीजाजी को मारने की इच्छा हुयी पर सारा बना बनाया मामला बिगड सकता था इसलिए धीरज से काम लिया और शांत रहा।
प्रशांत: “अभी और कोई टेस्ट बचा हैं क्या? कब तक खड़े रहेंगे, आइए बैठिए”
जीजाजी की इच्छा लग तो नहीं रही थी पर उन्होंने निरु को अपनी गोद से नीचे उतरा और हम सब लोग सोफ़े पर बैठ गए। मैं अब सोचने लगा की यहाँ तक तो ठीक हैं पर जीजाजी अब कौन सी तकनीक लगाएँगे की वो निरु को चोद पाए।
निरु तो उसके लिए कभी नहीं मानेगी। बाकि बचे टाइम हमने टाइम पास किया। रात का खाना खाने के बाद हम सोने की तयारी कर रहे थे। निरु जब किचन में थी तब जीजाजी ने मुझसे धीरे से कहा की वो आज रात ही निरु को चोदने का प्लान कर रहे है।
यह सुनकर मेरी तो धड़कने बंद सी हो गयी थी। आज ही मुझे मेरी निरु वापिस मिली थी और आज ही वो उसकी इज़्ज़त तार तार करने वाले थे। जीजाजी के दिमाग में कौनसी खिचड़ी पाक रही थी मुझे नहीं पता था पर निरु पर पूरा भरोसा भी था।
नीरु ने मेरी बात का कभी यक़ीन नहीं किया था की जीजाजी की नीयत उसके लिए खराब हैं पर अगर आज रात जीजाजी ने निरु के साथ कुछ करने की कोशिश की तो उनकी पोल खुल ही जाएगी। कम से कम निरु की आँखें तो खुलेगी। नीरु भी थोड़ी देर में काम ख़त्म कर आ गयी थी और हमारे साथ बैठ गयी।
जीजाजी: “प्रशांत यह बताओ की जब कभी मैं और निरु कमरे में अकेले होते थे तो तुम बाहर बैठ शक़ करते थे न?”
(उनके अचानक आये इस क्वेश्चन से मैं सहम गया। इसके पीछे जरूर उनका कोई प्लान छुपा था और मुझे सोच समझ कर जवाब देना था।)
प्रशांत: “मैंने कभी शक़ नहीं किया”
जीजाजी: “तुम्हे क्या लगता हैं निरु? प्रशांत ने शक़ किया होगा?”
नीरु को तो पता ही था की मैं कैसे शक़ करता था। इसलिए उसने डरते हुए हां बोल दिया।
जीजाजी: “तो ठीक है, आज मैं और निरु एक ही कमरे में सोयेंगे। अन्दर से दरवाजे की कुण्डी नहीं लगाएँगे। अगर प्रशांत को शक़ हुआ तो वो अन्दर आकर देख सकता है। अगर शक़ नहीं हैं तो सुबह तक कमरे में नहीं आएगा। कैसा लगा मेरा आईडिया?”नीरु और मैं अब एक दूसरे की शकल देखने लगे। जीजाजी ने कैसा भयंकर प्लान बनाया था की टेस्ट की आड़ में निरु के साथ सोने का भी मौका मिलेगा और निरु को भनक भी न लगे की जीजाजी क्या करना चाह रहे है।
नीरु: “इसकी क्या जरुरत हैं! मुझे लगता हैं प्रशांत अन्दर नहीं आएगा”
जीजाजी: “तो एक्सपेरिमेंट करके देख लेते है। क्यों प्रशांत, तुम्हे कोई ऑब्जेक्शन तो नहीं हैं?”
(मेरी बोलति बंद हो चुकी थी। हां कहुंगा तो भी फसूंगा और ना बोला तो भी फसूंगा। मगर मुझे निरु पर पूरा भरोसा था।)
प्रशांत: “मैं यह डिसिजन निरु पर छोड़ता हूँ। उसको जो अच्छा लगे वो ठीक है। अगर उसको यह एक्सपेरिमेंट करना हैं तो मैं टेस्ट के लिए रेडी हूँ”
नीरु: “नहीं, मुझे एक्सपेरिमेंट की जरुरत नहीं लग रही हैं”
(मैने मन ही मन “एस” बोला की मेरी चाल सही पडी। निरु इसके लिए नहीं मानगी)
जीजाजी: “मुझे लगता हैं तुम्हे एक्सपेरिमेंट करना चहिये। अपने जीजाजी की बात नहीं मानोगी तुम निरु?”
नीरु ने हल्का सा स्माइल किया और कहा “जैसी आपकी इच्छा जीजाजी। आप बोलते हो तो एक्सपेरिमेंट कर लेते हैं”
मेरा दिल फिर से धक् से रह गया। निरु को जीजाजी के चँगुल से बचाने की मैंने अपनी आखिरी कोशिश की।
प्रशांत: “निरु अभी तुमने ना बोला और अभी हां बोल दिया। तुम प्रेशर में मत आओ। तुम्हारी जो दिल की इच्छा हैं वो बोलो न!”
जीजाजी: “देखा तुमने निरु, कैसे तुमको बहका रहा है। मुझे दाल में काला लग रहा है। इसकी नीयत में अभी भी शक़ हैं”
(नीरु फिर हसने लगी।)
नीरु: “क्या जीजाजी आप फिर से प्रशांत को छेड़ रहे हो। प्रशांत सही हैं, मेरी वैसे भी इच्छा नहीं हैं और कोई एक्सपेरिमेंट करने की”
मेरे दिल को यह सुनकर बड़ा सुकूंन मिला की निरु ने ना बोला। मगर कमीना जीजा कहा पीछे रहने वाला था।
जीजाजी: “ठीक हैं, तुम दोनों को एक दूसरे पर पूरा विशवास हो ही गया हैं तो मेरा यहाँ क्या काम हैं? मैं जाता हूँ अपने घर”
नीरु: “आप तो नाराज हो गए! अच्छा ठीक हैं एक आखिरी टेस्ट लेकर देखते है। इस बहाने आप कम से कम यहाँ रुकेंगे तो सहि। कितने दिन बाद तो बात हुयी हैं आपसे”
मैने मन ही मन अपना माथा पीट लिया। जीजाजी की चाल कामयाब रही और वो अब निरु के साथ सोने वाले थे।
नीरु: “जीजाजी आप ऊपर बेड पर सो जाना और मैं नीचे बिस्तर लगा लुंगी”
जीजाजी: “यह बात बोलनि थोड़े ही थी! अब प्रशांत को शक़ होता होगा तो भी नहीं होगा। हमें तो कोशिश करनी हैं की उसको शक़ हो। अलग बिस्तर का प्लान कैंसिल करते है। अब हम एक ही बेड पर सोयेंगे। फिर देखते हैं की प्रशांत को शक़ होता हैं की नहीं!”
नीरु मेरी शकल देखने लगी। मेरी तो हालत ख़राब थी। जीजाजी ने निरु का हाथ पकड़ा और गेस्ट रूम में ले गए। मैं वहाँ खड़ा का खड़ा ही रह गया। मैं धडाम से सोफ़े पर बैठ गया और अपना माथा पकड़ लिया। जीजाजी ने दरवाजा बंद कर लिया।
बाहर मेरी हालत ख़राब थी की अब जीजाजी अन्दर निरु के साथ क्या करने वाले थे। कुछ मिनट्स गुजरे और मैं वहीं बैठा रहा की कोई आवाज आये तो मैं निरु की हेल्प करुँगा। मन में बुरे बुरे विचार आ रहे थे और काफी समय बीत गया। मुझे निरु की चिलाने की आवाज सुनायी देने लगी जहाँ वो मेरा नाम लेकर “बचाओ बचाओ” चिल्ला रही थी।
मैं तुरन्त गेस्ट रूम के बाहर पहुंच। सोचा दरवाजा खोलू या नहीं, खोला तो मुझे शक्की बता दिया जाएग, नहीं खोला तो निरु की हेल्प नहीं कर पाउंगा। फिर सोचा निरु खुद मुझे आवाज लगा रही हैं तो मुझे अन्दर जाना चहिये।मैंने जोर से दरवाजे को धक्का देकर खोला। अन्दर का नजारा देखकर मेरे होश उड़ गये। मैने देखा की बिस्तर पर निरु पूरी नंगी घोड़ी बन कर बैठि हैं और उसके पिछवाड़े पर जीजाजी भी नंगे चिपके हुए थे। जीजाजी धक्के पर धक्के मार कर निरु को डॉगी स्टाइल में चोद रहे थे।
नीरु मेरी तरफ देखकर लगभग रोती हुयी हालत में मुझसे हेल्प मांग रही थी की मैं उसको बचा लु। निरु के बड़े से मम्मे छाती से लटके हुए थे और जीजाजी के हर धक्के के साथ आगे पीछे तेजी से हील, झुल रहे थे। वो दृश्य देखकर मैं वहीं मूर्ति बनकर खड़ा रह गया।
मैं आगे बढ़कर निरु की हेल्प करना चाह रहा था पर कदम आगे बढ़ नहीं पा रहे थे और पैर जम चुके थे। जीजाजी कहकहा लगा कर निरु को चोद जा रहे थे।
फिर जीजाजी ने निरु को बोला “देखा, मैंने कहा था न की प्रशांत को शक़ होगा और दरवाजा खोल कर अन्दर आएग। तुम शर्त हर गयी निरु, अब पूरा चुदवा लो”
यह सुनकर निरु ने मुझको आवाज लगाना बंद कर दिया और सिसकिया भरते हुए जीजाजी को चोदने के लिए बोलने लगी
“आह . . जीजाजी . . चोद दो … जोर से . . जोर से चोदो मुझे … अपनी निरु को जोर से चोदो … आईए . . जीजाजी”
मेरा तो दिल ही टूट गया। जैसे मैंने अन्दर आकर कोई गुनाह कर दिया था। इसके बाद जीजाजी ने निरु की चूत में एक जोर का झटका मारा। इस झटके से निरु पूरा हील गयी और जोर से उसके मुँह से चीख निकली
“आईईए जीजाजी … मजा आ गया … और मारो . . “
उसके बाद जीजाजी नहीं रुके और एक के बाद एक जोर जोर के झटके निरु की चूत में मारते गए। हर झटके के बाद निरु मजे लेते हुए जीजाजी को उत्साहीत कर रही थी।
जीजाजी: “निरु तेरी चूत में अपना पानी छोड़ दु बोल, तू मेरे बच्चे की माँ बनेगी?”
नीरु: “हां जीजाजी . . माँ बना दो मुझे चोद कर जल्दी से …”
जीजाजी: “तो यह ले निरु, … आह … अह्ह्ह . . यह ले … यह ले . . और ले . . “
नीरु: ” आह आह . . ओह्ह्ह्ह जीजाजी … मजा आ गया … चोदो मुझे . . ोोोीईए . . उम्म्म्म … आ मायआ . . चोद दो … जोर से चोद दो … जीजाजी . . “
जीजाजी की स्पीड और तेज हो गयी और थोड़ी देर बाद उनका झटका निरु की चूत के अन्दर ही रह गया और जीजाजी का सर पीछे की तरफ किये थोड़ा झुक गए और उनका शरीर पूरा कड़ा हो गया।
जीजाजी ने अपने लण्ड का सारा माल निरु की चूत में खाली कर दिया था। मेरे हाथ पैर बुरी तरह से काँप रहे थे और मैं रोने लगा था। चिल्लाना चाह रहा था पर आवाज नहीं निकल रही थी। जीजाजी फिर थोड़ा नार्मल हुये। उन्होंने अपने लण्ड को निरु की चूत से बाहर की तरफ खिंचा।तभी एक चमत्कार हुआ और जीजाजी के लण्ड के निकलते ही काफी सारा चिकना पानी चूत से बाहर आया और तभी एक छोटा सा बच्छा निरु की चूत से निकल कर बिस्तर पर गिर गया, जीजाजी ने निरु को बोला की
“यह ले, हो गया अपना बच्चा”
निरु ने खुश होते हुए उस बच्चे को अपने सीने से लगा लिया। मेरे होश उड़ गए, और मैं नीचे गिर गया। देखा तो मैं ड्राइंग रूम में सोफ़े के पास पड़ा था। वो एक बुरा सपना था। गेस्ट रूम का दरवाजा अभी भी बंद ही था।
मैने भगवन का थैंक यू बोला की यह सब सपना था। पता ही नहीं चला कब मेरी आँख लग गयी थी और इतना भयंकर सपना देख लिया। मैं गेस्ट रूम के दरवाजे के पास गया ताकी अन्दर से आती कोई आवाज सुन पाउ पर सब शान्ति थी।
घडी में रात के २ बज रहे थे, अब तक तो जीजाजी और निरु सो चुके होंगे। दरवजा खोलने का सोचा पर फिर डर के मारे रुक गया। दरवजा खोला तो मुझ पर शक्की होने का ठप्पा लग जाएगा। मैं सीधा अपने बेडरूम में गया और सोने की कोशिश करने लगा।
सूबह ८:३० पर मेरी नींद खुली। निरु का ख़याल आया और मैं दौड़ते हुए बाहर गया। गेस्ट रूम का दरवाजा अभी भी बंद था। शर्त के मुताबिक़ सुबह तक दरवाजा नहीं खोल सकता था पर अब तो सुबह हो चुकी थी।
मैने डरते कांपते हाथों से दरवाजा खोला। अन्दर बिस्तर पर जीजाजी अकेले सोये हुए थे। कमर तक चादर ढाका हुआ था। ऊपर से टॉपलेस थे। दोनों तकिये एकदम चिपके हुए थे। खली तकिये और जीजाजी के पास वाली जगह पर चादर पर सिलवटे थी जैसे वह पहले कोई सोया हुआ था।
कहीं निरु और जीजाजी एकदम पास चिपक कर सोये तो नहीं थे? ऊपर से जीजाजी आधे नंगे थे। क्या पता चादर के अन्दर वो पूरे नंगे हो? निरु वह नहीं थी। मैंने दरवाजा बंद किया और निरु को ढूंढा।
वो किचन में नहीं थी पर वॉशरूम में नहाने की आवाज आ रही थी। छुट्टी के दिन इतना जल्दी तो निरु नहाती नहीं है। जरुर रात को जीजाजी ने निरु को गन्दा कर दिया होगा इसलिए उसको नहाना पड़ रहा हैं। मै निराश होकर अपने कमरे में जाकर लेट गया।
थोड़ी देर बाद निरु आई और ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठकर तैयार होने लगी। फिर वो चली गयी, शायद किचन में, क्यों की किचन से आवजे आने लगी थी। थोड़ी देर बाद नहा धो कर मैं और जीजाजी दोनों नाशते की टेबल पर बैठे थे। निरु अभी किचन में ही थी।
जीजाजी: “रात को तुमने दरवाजा खोलकर देखा तो नहीं न?”
प्रशांत: “नहीं”
जीजाजी: “अच्छा किया नहीं देख। मैं और निरु जिस हालत में थे, यह तुम देखते तो निरु बड़ी शर्मिंदा होती और तुमको भी अच्छा नहीं लगता”
प्रशांत: “मतलब . . आपने . .”
जीजाजी: “मैंने बोला था न की बस एक मौका चहिये। मैंने फायदा उठा कर निरु को चोद दिया कल रात। अभी तुमने मेरा साथ दिया हैं तो मैं भी वादा निभांगा। निरु को तुम अब रख सकते हो”
मैन उस वक़्त जीजाजी का गाला दबाना चाहता था पर तभी निरु नाशता लेकर आ गयी तो मैं कुछ कर नहीं पाया।
जीजाजी: “कल रात प्रशांत उसके टेस्ट में पास हो गया। उसने हमारा दरवाजा नहीं खोला।”
नीरु: “मुझे पता था, वो नहीं खोलेगा”
जीजाजी: “प्रशांत ज़िद कर रहा हैं की मैं आज यहीं रुक जाऊ। कह रहा था की मैं आज भी उसका टेस्ट ले सकता हूँ। वो आज रात भी शक़ नहीं करेगा और दरवाजा नहीं खोलेगा”
नीरु: “अगर आप एक दिन और रुकोगे तो मैं तो रेडी हूँ”
मै एक सदमे में निरु की शकल देखने लगा। कल रात जीजाजी से चुदवाने के बाद भी उसका मन नहीं भरा और ना ही उसको कोई पश्चाताप था। वो एक बार फिर अपने जीजाजी के साथ सोने को तैयार थी!
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