मेरे सारे सवाल अब ख़त्म हो गए थे। अब मैं निरु पर और क्या ईल्जाम लगाता, मेरे पास कोई सबूत ही नहीं बचा था। पर निरु के पास बहुत सी शिकायते थी।
नीरु: “तुमने मुझ पर दूसरी बार इतना बड़ा शक़ किया है। वो तो मैं हूँ की सहन कर रही हूँ। अगली बार अगर तुमने मुझ पर शक़ किया तो मैं तुम्हे छोड़ कर चली जाउँगी। मैं अब अपने ऊपर और कोई गंदे आरोप सहन नहीं करुँगी। ख़ास तौर से मेरे और जीजाजी के बीच के रिलेशन पर।
वैसे भी तुम बहुत कुछ बोल चुके हो इस बारे मे। यह तुम्हारे लिए आखिरी वार्निंग है। आगे से तुमने मेरे और जीजा के बीच में इस तरह के गंदे आरोप लगाए तो फिर मैं तुमसे अलग हो जाउंगी”
मै कुछ नहीं बोला और चुप रहा। निरु ने अपने कपडे और बैग उठाया और अन्दर जाने लगी। पर फिर थोड़ा रुकी।
नीरु: “मेरे घर पर सब परेशान थे की तुम अचानक कैसे चले गए? कहीं नाराज तो नहीं हो गए वगैरह। उनको यह लग रहा हैं की अपना बच्चा जीजाजी और ऋतू दीदी को देने की वजह से तुम नाराज हो”
प्रशांत: “मगर वो बच्चा तो उन्ही का हैं”
(नीरु अब मुझे फिर गुस्से में घूरने लगी।)
प्रशांत: “मेरा मतलब हमने उनको दिया हैं इसलिए अब वो उनका ही बच्चा है। मैं यह नहीं कह रहा था की जीजाजी ने तुम्हारे साथ करके वो बच्चा पैदा …”
नीरु: “आगे बोलने की जरुरत नहीं हैं, मैं तुम्हहारा मतलब समझ गयी”
प्रशांत: “सोर्री, मैं तो एक्सप्लेन कर रहा था की मेरे कहने का क्या सही मतलब हैं”
नीरु: “अगले वीकेंड पर ऋतू दीदी और जीजाजी बच्चे के साथ हमारे यहाँ आ रहे है। मम्मी पाप ने ही उनको बोला की वो यहाँ आये ताकी तुम्हे अच्छा लगे और तुम अपने बच्चे को मिस न करो”
प्रशांत: “मैं वैसे भी उसको अपना बच्चा नहीं मानता…”
नीरु: “चुप…आगे कुछ मत कहना। तुम उसको अपना बच्चा मानो या न मानो, मगर निकला मेरी कोख से ही है। और बच्चा जहाँ से निकला हैं उसमे सिर्फ तुम्हारा लण्ड ही गया है। तुम्हे याद हो या नहीं की तुमने ही मुझे बिना प्रोटेक्शन के चोदा था जिस से वो पैदा हुआ था, और यह मैं तुम्हे आखिरी बार बता रही हूँ”
नीरु वहाँ से अन्दर कमरे में चली गयी। थोड़ी नाराज थी पर बात कर रही थी। चुलबुली सी रहने वाली निरु अब गम्भीर थी। जहाँ मेरा घर उसके चहकने से आबाद रहता था अब अधिकतर ख़ामोशी पसरी रहती थी।
अगले वीकेंड पर जीजाजी और ऋतू दीदी बच्चे सहित मेरे घर आए। निरु के चेहरे पर सप्ताह भर बाद फिर हंसी लौट आई थी। वो दोनों मेहमान गेस्ट रूम में ठहरे थे। दीन को हम थोड़ा बाहर घूम आये थे। रात को मैं और जीजाजी ड्राइंग रूम में बैठे थे। निरु और ऋतू दीदी मेरे बेडरूम में थे। थोड़ि देर बाद ऋतू दीदी बाहर आये और बोले की आज रात बच्चा निरु के पास ही सोने वाला है। फिर वो सोने का बोल कर गेस्ट रूम में गए।
जीजाजी फिर उठे और बोले की वो बच्चे को गुड नाईट किश देकर आयेंगे। फिर वो मेरे बेडरूम में चले गए। मैंने उस वक़्त ज्यादा ध्यान नहीं दिया। फिर अचानक दिमाग में आया की कही वो निरु को किश करने तो नहीं गए? मैं तुरन्त उठा और अपने बैडरुम की तरफ भागने लगा पर जीजाजी तो बेडरूम के दरवाजे के बाहर वापिस आ चुके थे।
उनके होंठ थोड़े गीले लग रहे थे। मैं उनको घूरने लगा तो उन्होंने मुझे गुड नाईट बोला और मैं उनको जाते हुए देखते ही रह गया। जब वो गेस्ट रूम में चले गए तो मेरा ध्यान टुटा। मै अब अन्दर अपने बेडरूम में गया। निरु बिस्तर पर बैठे हुए थी। उसके कन्धो पर एक शाल रखा था जो आगे से खुला था। मैने देखा की उस शाल के अन्दर निरु टॉपलेस हैं और उसके दोनों नंगे बूब्स दिख रहे हैं, जिसमे से एक बूब से बच्चा दूध पी रहा हैं। मेरा दिमाग ठनक, कहीं जीजाजी ने भी तो यही दृश्य नहीं देखा होगा। उन्होंने निरु को इस तरह टॉपलेस देखा होगा!
प्रशांत: “तुम्हारे कपडे कहाँ हैं? जीजाजी यहाँ रूम में आये थे और तुम ऐसे बैठि थी!”
नीरु: “मैं छोटी बच्ची नहीं हूँ, मुझे मत सिखाओ की कितने कपडे पहनने है। मुझे पता था की जीजाजी गुड नाईट बोलने आयेंगे इसलिए मैंने यह शाल आगे से भी लपेट रखा था”
प्रशांत: “किसको गुड नाईट किश देने आये थे?”
नीरु: “तुम मजाक कर रहे हो या मुझ पर फिर शक़ कर रहे हो?”
प्रशांत: “मजाक कर रहा था यार। बच्चे को ही किश देने आये होंगे न, तुम्हे किश देने थोड़े ही आये ह…”
(नीरु मुझे गुस्से में घूरने लगी और मैं चुप हो गया।)प्रशांत: “तुमने शाल लपेट रखा था और बच्चा तुम्हारा दूध पी रहा था तो इसका मतलब बच्चा भी शाल के अन्दर ही होग, फिर जीजाजी ने बच्चे को गुड नाईट किश किस तरह दिया होगा!”
नीरु ने एक नजर मेरी तरफ देखा और फिर शाल अपने आगे से पूरा लपेट कर अपने दीखते बूब्स ढक दिए। फिर शाल गोदी से हल्का सा ऊपर हटाया और बच्चे का मुँह बाहर निकला। फिर मेरी तरफ घुर कर देखने लगी और बता दिया की बच्चे को उसने बिना शाल हटाये कैसे बाहर निकला था ताकी जीजाजी बच्चे को किश कर पाए। बच्चा सो चुका था और निरु ने अपना शाल पूरा निकाल दिया। मै उसके बड़े मम्मे एक बार फिर पुरे नंगे देख रहा था और मेरा लण्ड फडकने लग गया था। निरु के निप्पल गीले थे। जीजाजी के होंठ भी गीले थे। अब यह बात निरु को कैसे पुछु समझ में नहीं आ रहा था। निरु ने बच्चे को गोदी से उतार कर सुला दिया और फिर अपनी नाइटी पहनने लगी।
प्रशांत: “आज बिना कपड़ो के ही सो जाओ न!”
नीरु: “क्यों! क्या काम हैं?”
प्रशांत: “मुझे तुम्हारे मम्मे चुसने हैं”
नीरु: “वो तो मैंने जीजाजी को चुसवा दिए हैं, अब तुम चुस कर क्या करोगे? मेरे मम्मे तो जीजाजी ने झूठे कर दिए होंगे!”
मै वहीं ठगा का ठगा खड़ा रह गया और उसने अपनी नाइटी पहन कर अपने बूब्स ढक लिये। उसकी लास्ट सेंटेंस मुझ पर ताना था या वो सच बोल गयी यह समझ नहीं आया। इसी उधेड़बुन में मैं सो गया।
अगला दिन छुट्टी का था और मैं छुट्टी के दिन हमेशा लेट ही उठता हूँ। मगर इस बार मेरी नींद जल्दी खुल गयी। शायद एक टेंशन जो मेरे दिमाग में चल रही थी उसकी वजह से यह हुआ था। पास में देखा बिस्तर पर न तो निरु थी और न ही बच्चा। मैं थोड़ी देर ऐसे ही आँख बंद कर लेटा रहा। पर फिर दिल नहीं माना और उठ खड़ा हुआ। घर में मेहमान भी हैं तो ठीक नहीं लगा। अपने बेडरूम का दरवाजा खोल कर बाहर आया तो कुछ आवाज सुनाई दि। मैं सीधा गेस्ट रूम के बाहर पहुंचा। दरवाजा बंद था मगर फिर भी अन्दर से जीजाजी की दबी हुयी आवाज सुनाई दे रही थी।
जीजाजी : “मजा आ रहा हैं न निरु! उम् . . उम् . . आया मजा . . आह आठ . . उम् . . यह ले . . और जोर से ले… बोल मेरी जान . . मजा आया न”
मुझे समझते देर नहीं लगी की अन्दर जीजाजी चुदाई कर रहे है। पिछली बार जब हम घूमने गए थे तब भी मैंने बाथरूम में जीजाजी को इसी तरह निरु का नाम लेते हुए चोदते हुए सुना था। मगर तब कमरे में ऋतू दीदी थी। क्या अभी भी अन्दर ऋतू दीदी ही थी? मगर सवाल यह था की बच्चा और निरु कहा हैं? कहीं अन्दर कमरे में जीजाजी के साथ निरु तो नहीं है। अब यह मैं कैसे पता लगाता, क्यों की अन्दर से लड़की की आवाज तो आ ही नहीं रही थी।
मै घर के बाहर की तरफ आया और ढूँढ़ने लगा की कोई मिल जाए। वॉचमन को पूछा तो उसने बताया की कुछ देर पहले उसने मेरे मेहमान यानी ऋतू दीदी को देखा था बच्चे के साथ। अब मेरा माथा फ़टने लगा था। ऋतू दीदी यहाँ बच्चे के साथ हैं तो फिर अन्दर कमरे में जिजाजी जरूर निरु को ही चोद रहे होंग। मेरे सामने उन दोनों को रंगे हाथों पकडने का सुनहरा मौका था।
मै दौड़ते हुए फिर घर की तरफ भागा। आज मैं उन जीजा–साली की प्रेम कहानी का भांडा फोड़ने वाला था। मैं सीधा गेस्ट रूम के दरवाजे के पास पंहुचा और जोर जोर से हाथ और पैर दरवाजे पर मारने लगा। साथ में “बाहर निकल” बोलते जा रहा था। कुछ सेकण्ड्स के बाद दरवाजा जीजाजी ने खोला। उन्होंने कपडे पहने हुए थे। मैंने उनकी टीशर्ट का कालर पकड़ लिया।
प्रशांत: “आज मैं तुझे नहीं छोडुंगा, क्या कर रहा था निरु के साथ! कहाँ हैं निरु!”
मै अन्दर झाँकने लगा पर तभी निरु की आवाज सुनाई दि। मगर आगे से नहीं मेरे पीछे से।
नीरु: “यहाँ हूँ मै, और तुम यह क्या बदतमीजी कर रहे हो जीजाजी के साथ?”मैने पीछे मुड़कर देखा तो मैं दूर से निरु अन्दर आती दिखि। मुझे अगला हार्ट अटैक सा आ गया था। निरु तो बाहर से आई थी, फिर जीजाजी अन्दर किसको चोद रहे थे। मैंने उनका कालर छोड़ दिया। कमरे में देखा तो जीजाजी के पीछे से ऋतू दीदी घबराये हुए आते दीखे। मतलब जीजाजी उस वक़्त ऋतू दीदी को ही चोद रहे थे। अब मेरी हालत ख़राब हो गयी थी। मैंने जीजाजी के साथ बदतमीजी कर दी थी। नीरु की गोदी में बच्चा था जिसे वो बाहर घुमने ले गयी थी।
उसने बच्चे को वही उसकी पालकी में सुलाया और मेरे पास आयी। उसको सारा माजरा समझ में आ गया था। नीरु ने मेरे पास आते ही मेरे मुँह पर एक जोर का तमाचा मार दिया और चीखते हुए मुझे सुनाने लगी। जीजाजी उसको रोकने लगे।
नीरु: “मैंने एक गलत इंसान के साथ शादी कर ली। शक में अँधा हो चुका हैं यह इंसान। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुयी जीजाजी की कालर पकडने की और ऐसी बदतमीजी करने की? “
नीरु फिर वहीं नीचे बैठ गयी और जोर से रोने लागी। मुझे कुछ समझ नहीं आया की क्या करु। मगर जीजाजी ने शान्ति से काम लिया और निरु की पीठ पर हाथ फेरते हुए उसको शांत करने लगे। ऋतू दीदी भी कमरे से बाहर आये और निरु को उठाया और अपने कमरे में ले गए। मैं तब मुँह दिखाने के क़ाबिल नहीं रहा। वो तीनो कमरे में चले गए और मैं अपना मुँह छिपाते अपने बेडरूम में आ गया और सर पकड़ कर बैठ गया। डर के मारे हाथ पैर काम्प रहे थे। इसका परिणाम बहुत बुरा हुआ। एक घन्टे बाद निरु बेडरूम में आयी, मैंने उसको सॉरी बोला मगर वो अपना सूटकेस तैयार करने लगी और कहा की वो मुझे छोड़ कर जा रही हैं।
प्रशांत: “मैं क्या करता? अन्दर रूम से जीजाजी की आवाज आ रही थी और वो तुम्हारा नाम लेकर चुदाई कर रहे थे!”
नीरु कपडे बैग में रखते हुए रुक गयी और मुझको घूरने लागी। तभी जीजाजी भी कमरे में आ गए।
जीजाजी: “तुम दोनों जल्दबाजी मैं कोई बड़ा फैसला मत लो। शांति से काम लो, अलग होने की जरुरत नहीं हैं”
नीरु: “जीजाजी इस प्रशांत को समझाने का कोई फायदा नहीं हैं”
प्रशांत: “मैंने खुद सुना हैं, तुम खुद पुछ लो…”
नीरु: “चुप करो। तुम्हारा बहुत हो गया। तुम क्या देखना चाहते हो? मेरे जीजाजी के साथ मुझे गलत हालत में देखना चाहते हो तो मैं जाने से पहले तुम्हारी वो इच्छा पूरी कर देती हूँ”
यह कहते हुए निरु ने जीजाजी की तरफ कदम बढ़ाते हुए अपना टीशर्ट निकाल दिया और ब्रा के दोनों स्ट्रेप कंध से निचे गिरा दिए। नीरु के बड़े से बूब्स ब्रा के ऊपर से थोड़े बाहर दीखने लगे थे। वो जीजाजी के पास आ खड़ी हुयी। जीजाजी और मैं दोनों शॉकेड रह गए।
इसके पहले की हम दोनों कुछ संभल पाते निरु ने जीजाजी की कलाई पकड़ी और उनकी हथेली अपने ब्रा के ऊपर एक बूब्स पर रख कर दबा कर पकडे रखि। नीरु का बड़ा सा बूब आधा दब चुका था। जीजाजी ने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की पर वो पीछे हटते तो निरु उनके साथ आगे होती पर हाथ को अपनी छाती से चिपकाये रखा।
नीरु फिर मेरी तरफ देखने लगी जैसे जता रही थी की मैं उन दोनों की ऐसी स्तिथि में देखना चाहता था तो अब वो मेरी इच्छा पूरी कर रही है। मेरे तो शरीर में खून दौडना बंद हो चुका था, खून जम सा गया था। जीजाजी ने फिर थोड़ा जोर लगाया और हाथ झटक कर निरु से छुडाया। निरु थोड़ा सा रोने लगी थी। उसके निप्पल से थोड़ा दूध निकल चुका था और ब्रा थोड़ा गीला हो गया था।
जीजाजी: “निरु कपडे पहनो”
जीजाजी ने निरु के ब्रा के स्ट्रेप ऊपर खिसकाने को हाथ बढाए।
नीरु: “और कुछ देखना हैं तुम्हे प्रशांत!”
यह कहते हुए उसने जीजाजी को धकेलते हुए बिस्तर पर गिरा दिया। जीजाजी इसके लिए तैयार नहीं थे और धडाम से पीठ के बल बिस्तर पर जा गिरे। निरु ने एक झटके में जीजाजी का इलास्टिक वाला पजामा नीचे खींच लिया।
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