प्रशांत: “यह गीला कैसे हो गया?”
नीरु ने अब ध्यान दिया और अपनी बाजू से दोनों निप्पल ढक दिए और वापिस आने का बोलकर अपने रूम में वापिस चली गयी।
उस दिन मैं जब निरु को चोद रहा था तब दबाने से उसके निप्पल से दूध निकल गया था। आज उसके बूब्स किसने दबाये होंगे की उसका दूध निकला होगा? अन्दर तो निरु के अलावा जीजाजी ही थे जिसके साथ वो खिलखिला कर मस्ती कर रही थी। वहाँ मैं अकेले खड़ा था और सारा सच मेरे सामने था।
मैं तुरन्त उलटे पाँव लौट गया। बाहर ससुर जी ने पूछा भी की मैं इतना जल्दी वापिस कहाँ जा रहा हूँ पर मैंने सिर्फ “काम हैं” बोलते हुआ चला गया। रास्ते में निरु का फ़ोन आया मगर मैंने नहीं उठया। एक बार नहीं २-३ बार फ़ोन आया पर मैंने इग्नोर किया।
शाम को घर पहुंचा। मन नहीं लग रहा था। अगली सुबह मैं अकेला बैठा था की दरवाजा खुला और निरु अन्दर आयी। दरवजा बंद कर उसने अपना बैग एक तरफ पटका और मेरे सामने आ खड़ी हुयी।
नीरु: “तुम कल बिना बोले चले क्यों आए? और मेरा फ़ोन क्यों नहीं उठा रहे थे। मुझसे नाराज थे तो वहाँ मेरे घर पर आये ही क्यों?”
प्रशांत: “आया तो सॉरी बोलने था, पर वहाँ तुम्हारी हरकतें देखकर सब मामला समझ में आ गया”
नीरु: “कैसी हरकत की बात का रहे हो?”
प्रशांत: “ज्यादा भोलि बनने की कोशिश मत करो। मुझे भी पता हैं की तुम्हारे बूब्स का दूध किसी के दबाने से निकलता हैं, ऐसे खड़े खड़े दूध बिना दबाये नहीं निकलता”
नीरु: “क्या मतलब हैं तुम्हारे कहने का? साफ़ साफ़ बोलो”
प्रशांत: “तुम्हारी नाइटी पर दूध लगा था, जो सिर्फ बूब्स दबाने से निकलता है। उस वक़्त कमरे में तुम्हारे साथ जीजाजी ही थे। उन्ही से दबवाये न अपने बूब्स? सोर्री, अगर मेरे वहाँ आ जाने से तुम लोग पूरा मजा नहीं ले पाए। मेरे जाने के बाद तो मजे ले लिए होंगे तुम दोनों ने!”
नीरु: “तुम्हारा दिमाग अभी भी ख़राब ही है। मैं अन्दर दूध पीला रही थी…”
प्रशांत: “वाओ! बच्चा होने के बाद से मुझे हाथ लगाना तो दूर बूब्स देखने तक नहीं दिए और वहाँ अपने जीजाजी को अपने बूब्स चुसवा कर दूध पीला रही थी!”
नीरु: “कमरे में हमारा बच्चा भी था, जिसे मैं दूध पीला रही थी। अन्दर आकर देखते तो पता चलता तुम्हे”
(हालाँकि बच्चे ने बाहर का दूध पीना शुरू कर दिया था पर फिर भी निरु जब भी अपने बच्चे से मिलती तो मौका मिलते ही उसको अपना दूध पीला ही देती थी।)प्रशांत: “तुमने तो नाइटी पहनी थी, उसमे बटन भी नहीं हैं की थोड़ा सा खोल कर बच्चे को दूध पीला साको। दूध पिलाने के लिए तुमने नाइटी पूरी तो खोली ही होगी। जीजाजी के सामने तुम बिना नाइटी के नंगे बैठ कर बच्चे को दूध पीला रही थी या वो बच्चा खुद जीजाजी ही थे जिसे तुम नंगे होकर दूध पीला रही थी?”
नीरु: “तुम्हारी सोच बहुत घटिया है। बच्चे को दूध पीला देने के बाद मैंने नाइटी पहनी थी। उसके बाद ही जीजाजी कमरे में आये थे”
प्रशांत: “बेवकूफ बनाने के लिए मैं ही मिला था? नाइटी उतार कर बच्चे को दूध पिलाया था तो फिर नाइटी गीली कैसे हो गयी?”
नीरु: “थोड़ा सा दूध मेरे निप्पल पर ही लगा रह गया होगा, जिस से नाइटी निप्पल के वहाँ से गीली हो गयी होगी!”
प्रशांत: “मुझे बेवकूफ मत बनाओ, तुम्हारी नाइटी बहुत ज्यादा गीली थी। निप्पल पर थोड़े लगे रह गए दूध से नाइटी ईतनी गीली नहीं हो सकती”
नीरु: “ठीक हैं, तुम खुद चुस कर देख लो”
नीरु अब रुआंसी हो गयी थी और अपने आप को प्रूव करने के लिए उसने जल्दी से अपना कुरता निकला और फिर ब्रा निकाल कर ऊपर से नंगी हो गयी। नीरु को बच्चा होने के बाद मैं पहली बार उसके बूब्स नंगे देख रहा था। वो सच में काफी भर गए थे और ज्यादा गोल मटोल हो चुके थे। पतली कमर के ऊपर इतने भारी मम्मे बहुत ज्यादा सेक्सी लग रहे थे।
नीरु: “आओ, तुम खुद चुस कर देख लो, मेरे निप्पल गीले होते हैं की नहीं”
नीरु अपने दोनों हाथ चौड़े किये मुझे बुला रही थी। निरु के बूब्स मुझे वैसे ही ललचा रहे थे। मैं तुरन्त उसके पास गया और बिना देर किये झुक कर उसके निप्पल को चुसने लगा। पहली बार में ही उसके निप्पल से गुनगुना दूध निकल कर मेरे मुँह में आ गया। मैंने गटक लिया। फिर मैं उसके मुम्मो को चुसता ही रहा और दोनों हाथों से दबाते रहा। इस बीच निरु सिसकिया मार रही थी, शायद उसको दर्द हो रहा था। या दर्द इस बात का था की मैंने उस पर शक़ किया था। मैं अब पीछे हटा तो उसके बूब्स थोड़े गीले हो चुके थे।
नीरु ने अपने बैग से नाइटी निकली और पहन ली और नाइटी को अपने निप्पल के हिस्से से दबाने लगी ताकी वो गीली हो। पर वो नाइटी कल के जितनी गीली नहीं हो रही थी।
प्रशांत: “ज्यादा दबा कर खुद दूध मत निकलो, कल नाइटी अभी से भी ज्यादा गीली थी, वो कैसे हुयी, किसने दबाया?”
नीरु: “हॉ, याद आया। मैंने नाइटी पहन ली थी उसके बाद भी बच्चा मेरी गोद में लेटा हुआ मेरा दूध पीने की कोशिश कर रहा था। शायद तब उसने नाइटी सहित मेरा निप्पल मुँह में लिया था इसलिए ज्यादा गीला हुआ था”
प्रशांत: “मतलब, बच्चा तुम्हारे कपडे सहित निप्पल चुस रहा था और तुम्हे पता ही नहीं चला?”
नीरु: “मैं उस वक़्त जीजाजी से बात कर रही थी, ज्यादा ध्यान नहीं दिया”
प्रशांत:”तो फिर तुम रूम से बाहर खेलते खुदते भाग कर क्यों आई थी?”
नीरु: “दूसरी मंजिल के कमरे में ऋतू दीदी और मेरी मम्मी थी। जीजाजी मुझे बुलाने ही आये थे। मैं बच्चा जीजाजी को पकड़ा के उल्लु बना कर जाना चाहती थी पर उन्होंने ताड़ लिया और मेरे पीछे भाज। छोटा सा मजाक था वो हमारे बीच। मेरी शादी के पहले भी हम पकड़ा पकड़ी करते थे”