मै निरु को बिस्तर के पास ले आया और वो डॉगी स्टाइल में बिस्तर पर चढ़ कर बैठ गयी। मैं भी अब उसके पिछवाड़े पर आकर बैठ गया और उसकी साड़ी को पेटिकट सहित उसके मुड़े हुए घुटनों के ऊपर ले आया ताकी ऊपर उठने में आसानी हो। मै निरु की साड़ी का पल्लु कंधे से निकाल कर कमर तक नीचे उतार लाया।
उसकी पीठ लगभग पूरी नंगी मेरे सामने थी और उसका पतला फिगर मैं देख कर चोदने को लालायित था। मैने अब उसकी साड़ी और पेटिकट को जाँघो के ऊपर उठाया और गांड से हटा दिया। मैंने देखा की उसने पैंटी भी नहीं पहनी थी और उसकी गोरी गोल गांड मुझे चोदने को बुला रही थी। मैने अपनी उंगलिया उसकी चूत और गांड पर फेरानी शुरू की और वो तडपने लगी और आहें भरने लगी। थोड़ी बहुत ऊँगली मैंने उसकी चूत के छेद में भी उतार दी और रगडने लगा।
सच में उसकी चूत अच्छे से गीली हो चुकी थी। कुछ देर ऊँगली करने से ही उसकी तेज साँसें चलने लगी और पूरा बदन हिलने लगा। मैने अब अपने कपडे उतारे और चोदने की पोजीशन ली। मेरा लण्ड निरु की चूत से छूटे ही उसकी चूत से निकले पानी से गीला हो गया। मैंने उसको तडपाने के लिए ऐसे ही अपने लण्ड से उसकी चूत के बाहरि भाग को रगडा।
नीरु: “अंदर डाल कर जल्दी से चोदना शुरू करो, नहीं तो मैं ऐसे ही झाड़ जाउँगी। मैं एकदम भरी बैठि हूँ”
मैने अब “ओह्ह निरुउउउ” बोलते हुए अपने लण्ड को निरु की चूत में उतारा और निरु एक तेज आह के साथ ही काम्पने लगी। मैंने अब धीरे धीरे उसको अन्दर बाहर धक्के मार कर चोदना शुरू किया। चुदाई शुरू होते ही मैं बराबर “ओह्ह निरू क्या चूत हैं तुम्हारि, मजा आ गया। क्या फिगर हैं तुम्हारा निरु, तुम्हे चोद दु क्या मेरी प्यारी निरु”
नीरु मजे लेते हुए लगातार सिसकिया मार रही थी और मैं उसके नाम को लेकर ठीक वैसे ही कर रहा था जैसा उस दिन मैंने जिजाजजी को बाथरूम में निरु का नाम लेकर ऋतू दीदी को चोदते हुए सुना था। बिना डर के पहली बार, बिना प्रोटेक्शन निरु को चोदते हुए मुझे मजा आ रहा था और उसकी चूत में बने पानी से लगातार छप छप की आवाजें आ रही थी जो की मेरा और उसका नशा बढा रही थी।
नीरु: “आह प्रशांत अब बहुत मजा आ रहा हैं, अब रुकना मत और चोदते रहना.. आह्ह्ह्हुउउउ आयहहा…”
मुझे लग गया की अब निरु उस फेज में पहुच चुकी हैं जहाँ वो गहरे नशे में चली जाती है। मैंने अब उसकी परीक्षा लेनी शुरू की।
प्रशांत: “निरु मैं तुम्हारा नाम लेकर चोद रहा हूँ, तुम भी जीजाजी का नाम लेकर चुदवाओ, जैसे उस दिन चुदवा रही थी”
नीरु ने “ना” बोला और चुदवाती रही। मैंने अब अपने चोदने की स्पीड एक दम धीमी कर दि। निरु अब चिढ गयी और मुझे जोर से चोदने को बोलने लगी। पर मैंने जिद रख दी की उसको भी जीजाजी बोलना पडेगा।
वो ऐसे ही आँख बंद किये नशिली आवाज में तड़प रही थी और मेरे हलके धक्के उसको और ज्यादा तरसा रहे थे। फिर अचानक उसके मुँह से वो निकला जिसका मुझे वेट था।
नीरु: “जीजाजी जोर से चोदो”
मैने अब फिर से धक्के मारने की स्पीड बढ़ाई और उसको पहले की तरह चोदना जारी रखा।
प्रशांत: “निरु तुम्हे ऐसे चोद दू?”
नीरु: “हॉ, जीजाजी चोद दो मुझे ऐसे… एआईए.. ओह्ह्ह जीजाजी क्या चोदते हो तुम… ऐसे ही जोर से चोद दो”
प्रशांत: “ओह मेरी प्यारी निरु, अपने जीजा से चुदवाओगी न तुम”
नीरु: “हां जीजाजी चोद दो”
प्रशांत: “निरु मैं तुम्हारा ब्लाउज खोल कर तुम्हारे मम्मे नंगे कर दू”
नीरु: “खोल दो जीजाजी”
मैने निरु के ब्लाउज की गाँठ पीछे से खोल दी और बाकी का ब्लाउज उसने खुद ही पूरा अपने हाथों से निकाल कर दूर कर दिया। मै पीछे से चोदते हुये, उसके मम्मे लटकते हुए और हिलते हुए देख सकता था।
प्रशांत: “निरु, मेरी साली, तुम्हारे मम्मे तो बहुत जबरदस्त हैं “
नीरु: “आयी… जीजा जी जोर से चोदो अपनी साली को… मेरे बाकी के कपडे भी पूरे खोल कर चोदो.. चोद दो अपनी साली को जीजाजी”
नीरु ने अपनी साड़ी पेट से अपने पेटिकट से बाहर निकाल कर अपने पेटिकट की डोरी खोल दि। साड़ी अलग कर उसने अपना पेटिकट ऊपर खिसका कर अपने सर से निकाला और पूरी नंगी हो गयी।प्रशांत: “वाह निरु, पूरी नंगी तुम बहुत सेक्सी लग रही हो, तुम्हारे जीजाजी अब तुम्हे पूरा चोदेगे, तुम रेडी हो”
नीरु: “अपनी पूरी नंगी साली को चोद दो जीजाजी.. ओह जीजाजी… मेरा…होने वाला हैं… जीजाजी… जोर से मारो”
मैने अब निरु को झटके मारने शुरू किये, मेरा खुद का जूस अब मेरी लण्ड की नलि में भर चुका था और पिचकारी छुट्ने के करीब थी। पर मैं कोशिश कर रहा था की पहले निरु झड़ जाए।
प्रशांत: “ओह्ह निरु, क्या सेक्सी फिगर हैं, तुम्हारे जीजा तुमको पूरा चोद देंगे, ओह्ह्ह निरु तुम्हे चोदने में मुझे क्या मजा आ रहा हैं”
नीरु :”अह्ह्ह जीजाजी… मुझे भी मजा आ रहा हैं… मैं आने वाली होऊँ…अह्ह्ह जीजाजी…ओह्ह्ह जीजाजी चोदो आह आ आ आह आयी माँ…आहह जीजाजी… हो गया.. मेरा”
मैने अब अगले १५-२० जोर के झटके मारे और पहली बार अपना सारा जूस निरु की चूत में खाली कर दिया। निरु वही तकिये पर सर टिकाये वैसे ही डॉगी स्टाइल में बैठि रही। मैने अपना लण्ड बाहर निकाला और उसके साइड में गया। निरु तेज तेज साँसें ले रही थी। १५- २० सेकंड के बाद वो अपनी साँसें समेटते हुए उठी और मेरी छाती पर बंद मुठियो से मारने लगी।
नीरु: “जब मेरा होने वाला था तभी मुझको जीजाजी का नाम लेने को बोलकर फसाया तुमने, ऐसे तुमको ज्यादा मजा आया फिर?”
प्रशांत: “मैंने मजबूर थोड़े ही किया था, तुम ना बोल सकती थी”
नीरु: “मैं तब कितनी देर से तड़प रही थी, तुमने ही बदमाशी की हैं जानबूझ कर। ऐसे वक़्त में तुम अगर मेरे दुश्मन का नाम लेने को बोलते तो भी ले लेति, फिर जीजाजी क्या चीज है। वैसे भी नाम कुछ भी लो पर चोद तो तुमहि रहे थे न!”
प्रशांत: “पर चुदते हुए तो तुमने जीजाजी को ही याद किया। इसकी सजा तुम्हे मिलेगी”
नीरु: “ठीक हैं, कल मैं तुम्हे तुम्हारी फेवरेट काऊबॉय पोजीशन में चुदुंगी। तुम भी चाहे जिसका नाम ले लेना। उस दिन तुम ऋतू दीदी को चोदते हुए देख बड़ा एक्ससिटेड हो रहे थे, तुम भी ऋतू दीदी का नाम ले लेना”
अगले दिन मैं नीचे लेटा और निरु मेरे ऊपर आकर मुझे चोदने लगी। मेरी तो ऋतू दीदी का नाम लेने की इच्छा नहीं हो रही थी क्यों की जीजाजी को तो सच पता ही था और कभी न कभी निरु को पता चल सकता था। मागर निरु ने ही मुझको पूछा की मैं ऋतू दीदी का नाम क्यों नहीं ले रह। तो मैंने एक दो बार ऋतू दीदी का नाम ले भी लिया। चुदते हुए निरु एक बार फिर नशे में चली गयी थी। मैने निरु को बोला की मैं ऋतू नाम ले रहा हूँ तो वो भी नीरज नाम ले ले। वो मान गयी। मैं “ऋतू मुझे चोद दो” बोल रहा था तो निरु “नीरज मैं तुम्हे चोदूंगी” बोल रही थी। जैसे जैसे चुदाई आगे बढ़ी मैंने अपने बोल अचानक बदल दिए।
प्रशांत: “ओह निरु, अपना जीजाजी को नहीं चोदोगी”
नीरु कुछ नहीं बोली और ऊपर नीचे उछलते हुए मुझे चोदती रही बस “हां नीरज मैं तुम्हे चोदूंगी” बोली।
मैने फिर नीचे लेटे थोड़े झटके मारे और कहा की “निरु अपने जीजाजी को अच्छे से चोद दो”।
मेरे झटके खाकार निरु हल्का सा चीखी और फिर “हां जीजाजी निरु चोदेगी आपको.. ओह्ह जीजाजी मैं चोदूंगी आपको, जोर से चोदूंगी”
प्रशांत: “हां निरु, चोद दो अपने जीजाजी को”
नीरु: “हां जिअज्जी ओह मजा आ रहा हैं जीजाजी”
प्रशांत: “मुझे चोद कर मेरे बच्चे की माँ बनोगी न निरु”
नीरु: “हां जीजाजी, मुझे चोद कर अपने बच्चे की माँ बना दो, ओह्ह जीजाजी मेरे बूब्स पकड़ लो”