मै निरु को एक साल से जानता हूँ, और उसकी आदत अच्छे से पता थी। ऐसे कई मौके आये जब उसने मुझे जला कर मजे लेने का कोई मौका नहीं छोड़ा था। उसने इस नाजुक मौके पर भी अपनी आदत नहीं छोड़ी। थोड़ी देर में ऋतू दीदी लौट आए। निरु ने उनकी जगह खाली की और फिर अपनी जगह आकर बैठ गयी। फिर मेरी तरफ देख अपनी पलके ऊपर नीचे कर पूछने लगी की मुझे कैसा लगा।
मैने उसको मैसेज किया की “यहाँ क्यों आयी, वहीं बैठे रहती अपने प्यारे जीजाजी के पास” नीरु ने रिप्लाई किया: “फिर से जाऊं ?”
मैंने हां में इशारा किया
उसने ऋतू दीदी को पुकारा। मैंने उसकी कलाई टाइट पकड़ कर उसको रोका। उसका कोई भरोसा नहीं था, मजाक में वो सच में वापिस जीजाजी के पास चली जाती।
मगर उसने ऋतू दीदी को पूछा “आप सो गयी क्या” ऋतू दीदी अभी जस्ट टॉयलेट से आई ही थी तो सबको पता था की इतनी जल्दी तो सोयी नहीं होगी। ऋतू दीदी को भी निरु की मजाक की आदत अच्छे से पता थी तो एक स्माइल देकर बैठि रही। नीरु ने मेरी तरफ देखा और फिर मुझे मैसेज करने लगी।
“अगली बार जाने को बोला तो सच में जीजाजी की गोदी में जाकर बैठ जाउंगी”
मैने अपने दोनों हाथ जोड लिए की माफ़ करो, अब नहीं बोलूँगा जाने के लिये।
मैंने निरु को फिर मैसेज किया: “तुम तो बूब्स दबवाने गयी थी जीजाजी से, दबवाये नहीं?”
नीरु ने रिप्लाई किया: “मेरी पीठ तुम्हारी तरफ थी, तुम्हे क्या पता? जीजाजी ने मेरे शर्ट में हाथ डाल कर मेरे मम्मी दबाये थे”
मैने मैसेज किया: “बूब्स के साथ साथ अपनी चूत भी छूने देति, तुमको आराम मिलता”
नीरु का रिप्लाई: “अगली बार दीदी टॉयलेट जायेगी तो अपनी चूत भी जीजाजी से रगड़वा लुंगी”
मेरा रिप्लाई: “अपनी दीदी की चिन्ता छोडो, उनकी चूत मैं रगड़ दूंगा”
यह पढ़कर निरु को इतना गुस्सा आया की उसने मेरी कलाई पर एक जोर की चिकोटी काटी। मुझे इतना दर्द हुआ की अपना हाथ पीछे खींचना पड़ा और वहाँ की स्किन लाल हो गयी। मैं अपनी कलाई रगडने लगा।
नीरु ने फिर मुझे मैसेज किया: “ख़बरदार जो ऋतू दीदी को बीच में लाये”
मैने रिप्लाई किया: “तुम भी तो जीजा जी को बीच में ला रही हो”
नीरु का रिप्लाई: “जीजा जी को बीच में मैं नहीं लायी, तुम लाये थे”
मेरा रिप्लाई: “तुमने जीजाजी से डॉगी स्टाइल में चुदवाया तो ऋतू दीदी ने मुझे मेरी फेवरेट काऊबॉय पोजीशन में चोदा था। तुमसे भी बेटर तरीके से”
नीरु का रिप्लाई: “चुप करो, मेरी दीदी के बारे में इतनी गन्दी बातें मत करो”
मेरा रिप्लाई: “तुम भी तो जीजाजी के बारे में गन्दी बातें कर रही हो”
नीरु: “वो मेरे जीजाजी हैं मैं उनके लिए कुछ भी बोलु, तुम्हे क्या करना?”
मेरा रिप्लाई: “ऋतू दीदी मेरी भी साली है। मैं कुछ भी कह सकता हूँ। उनके मम्मे तुम्हारे मम्मो से भी बड़े हैं”
नीरु ने मेरी तरफ देखा और उसकी आँखें बड़ी बड़ी गोल हो गयी और मुँह पूरा फाड़ कर मुझे देखने लगी। फिर मुँह बंद कर एक नजर अपने मम्मो की तरफ देखा और फिर दूसरी नजर साइड में कर ऋतू दीदी के मम्मो की तरफ देखा। नीरु ने फिर मेरी तरफ देख मेरी कलाई पकड़ ली। अब हसने की बारी मेरी थी। उसने मुझे अब तक बहुत चिढा लिया था। अब मेरी बारी थी। मुझे उसकी कमजोर नस मिल चुकी थी। मैं एक हाथ से ही मैसेज करने लगा।मेरा मैसेज: “तुम्हारे निप्पल तो किशमिश जैसे हैं, ऋतू दीदी के तो अंगूर की तरह बढे हैं”
नीरु ने मैसेज पढ़ अपने दांत पिस्ते हुए मेरी कलाई और जोर से दबा दि।
मैंने निरु को फिर मैसेज किया “तुम्हारी चूत पर बाल हैं, ऋतू दीदी की सफ़ाचट चूत हैं”
नीरु ने मेरी कलाई छोड़ कर मेरा मोबाइल ही मुझसे छीन लिया। दूसरी तरफ से ऋतू दीदी हम दोनों की नोक झोंक देख कर हंस रहे थे।
ऋतू दीदी को क्या पता की मैंने हम दोनों की सच्चाई निरु को बता दी थी और निरु इसको मेरा गन्दा मजाक समझ रही थी। नीरु ने हम दोनों के फ़ोन अपने पर्स में रख दिए और मेरे कंधे पर सर रख बैठ गयी।
उसके मम्मे मेरी बाँहों को छु कर दब गए थे। शायद थोड़ी देर पहले निरु जब जीजाजी के चिपक कर इसी तरह बैठि थी तो उसके मम्मे सच में दब गए होंगे। निरु की बातों में कुछ तो सच था। मैने उस से मेरा मोबाइल माँगा पर उसने ना बोल दिया। मैंने उस से रिक्वेस्ट की तो उसने मेरा मोबाइल मुझे दे दिया।
मैने उसको मैसेज किया: “तुमने जब मेरे कंधे पर सर रखा तो तुम्हारे मम्मे मुझे दबे हुए महसूस हो रहे थे”।
मैने उसको मैसेज पढने को बोला और उसने अपना फ़ोन निकाल कर मैसेज पढ़ा। उसने मेरी तरफ देखा जैसे उसको विश्वास नहीं हुआ हो। उसने एक बार फिर मेरे कंधे पर सर रखा और ध्यान देते हुए फील किया। वो फिर पीछे हुयी और हां में गर्दन हिलायी।
मैंने उसको मैसेज किया: “बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो तुम महसूस नहीं करती पर हो रही होती है। जीजाजी की नीयत भी तुम महसूस नहीं कर पायी हो”
नीरु अब सीरियस होकर गर्दन झुकाये बैठ गयी।
फिर उसने धीरे धीरे मैसेज कर भेजा “आर यू सीरियस ? तुमने सच में जीजाजी को मेरा नाम लेकर ऋतू दीदी को चोदते सुना था?”
मेरा रिप्लाई: “हॉ, मैंने तो निरु…निरु ही सुना था”
नीरु का रिप्लाई: ”वाशरूम तो बंद था, फिर आवाज गूंजती भी है, तुम्हे ग़लतफ़हमी भी हो सकती है। ऋतू ऋतू की जगह तुम निरु निरु भी सुन सकते हो!”
मेरा रिप्लाई: “मैंने तो निरु ही सुना था, तुम विश्वास करो या ना करो। तुम चाहे तो जीजाजी का करैक्टर टेस्ट ले लो”
नीरु का रिप्लाई: “मैं कपडे नहीं खोलूँगी”
मेरा रिप्लाई: “बीच पर तो छोटी सी बिकिनी कस्टूम में उनकी गोद में थी। वो कस्टूम भी तो ब्रा और पैंटी जितना ही था। ब्रा और पैंटी में जीजाजी के सामने आ सकती हो?”
नीरु: “बिकिनी भले ही ब्रा और पैंटी जैसी दिखती हो पर दोनों के उसे में फ़र्क़ है। स्वीमिंग कस्टूम में मैं जीजाजी के सामने आ सकती हूँ पर ब्रा और पैंटी में कैसे आउंगी?”
मेरा रिप्लाई: “नंगापन तो दोनों में एक जैसा ही होता है। सोच लो।”
नीरु का रिप्लाई: “पूरा नँगा होकर सामने आने से तो अच्छा हैं मैं ब्रा पैंटी पहने रखु”
मेरा रिप्लाई: “तो फिर तुम इस टेस्ट के लिए रेडी हो?”
नीरु का रिप्लाई: “यह सब करना जरुरी हैं क्या ? और कोई तरीका नहीं हैं? तुम उनसे डायरेक्ट पुछ भी तो सकते हो?”
मेरा रिप्लाई: “क्या पुछु, की क्या आप मेरी बीवी को चोदना चाहते हो। और क्या वो सच बता देंगे? सच जानना हैं तो ऐसा कुछ करना ही पड़ेगा”
नीरु का रिप्लाई: “ठीक है, मैं ब्रा और पैंटी में रहुंगी। पर कोई बहाना तो होना चाहिए ”
मेरा रिप्लाई: “वो मेरे ऊपर छोड़ दो। घर पहुचने तक मैं कुछ न कुछ सोच लूँगा”
मैने कभी सोचा नहीं था की निरु कभी जीजाजी के करैक्टर टेस्ट के लिए मानेंगी पर वो मान चुकी थी। अभी तक मैं जीजाजी को एक्सपोज करने का अकेला ट्राई कर रहा था, अब निरु मेरे साथ थी तो मेरा प्लान सक्सेस होना तो लग रहा था।