प्रशांत: “वोही जो मैंने ट्राई किया था अभी”
नीरु: “पागल हो क्या! मैं जीजाजी के सामने नंगी कैसे हो पाउंगी ? वो मेरे बारे में क्या सोचेंगे?”
प्रशांत: “तुम्हे नँगा देख, वो तो उलटा बहुत खुश होंगे। देखा नहीं कैसे तुम्हे बिकिनी पहनने के लिए बोला था। मेरी गॅरंटी हैं, तुम्हे नँगा देख वो तुम पर टूट पड़ेंगे”
नीरु: “और अगर ऐसा नहीं हुआ तो मेरी क्या इज्जत रह जाएगी? मैं तो फिर कभी जीजाजी को मुँह दिखाने लायक नहीं रहुंगी। और तुम कैसे अपनी बीवी को किसी और के सामने नँगा होने दोगे?”
प्रशांत: “कोई और होता तो नहीं करता, पर वो तुम्हारे जीजाजी है। उनकी शराफत का मुखौटा तो उतारना ही पडेगा। तुम्हारे पास कोई दूसरा उपाय हो तो बताओ”
नीरु: “मुझे नहीं पता, मगर मैं जिजाज के सामने कपडे नहीं उतारूंगी”
प्रशांत: “ठीक हैं, आज दिन भर तुम उनको नोटिस करना। वो कैसे तुम्हे छूते हैं या देखते हैं”
तभी निरु का फ़ोन बजा, उसने मुझे अपने मोबाइल की स्क्रीन बतायी, जहाँ “जीजाजी” लिखा आ रहा था। काश मैंने मैसेज करते वक़्त नीरज की बजाय जीजाजी सर्च किया होता तो अब तक जीजाजी पकडे जाते। जीजजी ने यही पूछने के लिए फ़ोन किया की हम लोग चेक-आउट कर घूमने के लिए निकले या नहीं। निरु ने हां बोल दिया और अब हम लोग अपने बैग लेकर निकल पडे।
मेरे मन में अभी भी निरु के लिए डाउट था। हो सकता हैं वो जीजाजी से मिली हुयी हो। अब वो जीजाजी को अलर्ट भी कर सकती है। मैंने सोच लिया की पूरे दिन में निरु के साथ ही रहूँगा और उसकी जीजाजी से होती हर बात को सुनूंगा। हमने होटल से चेकआउट कर बैग्स लाकर में रखवाये और घूमने के लिए कार से निकले।
मैं निरु को लगातार इशारा कर याद दिला रहा था की वो जीजाजी के बर्ताव पर नजर रखे। वो भी एक नजर मुझे घूर कर देखती और फिर नार्मल तरीके से अपनी मस्ती में लग जाती। मैंने उसके मन में शक़ का बीज बोने की कोशिश की थी पर वो एकदम नार्मल थी। हम लोग अब अपने बैग्स पैक करके स्टेशन पर ट्रैन पकडने आ गए थे। इस बार हमने एक चेयर कार ली थी क्यों की दोपहर और शाम का सफर था तो बैठे बैठे जाना था।
हम लोग रात होते घर पहुचने वाले थे। मै और निरु ट्रैन में पास पास ही बैठे थे और जीजाजी और ऋतू दीदी दूसरी तरफ सीट्स पर थे। मैं और निरु दोनों लगातार फ़ोन पर मैसेज के जरिये बात कर रहे थे। मैं उसको पूछ रहा था की उसको जीजाजी के बर्ताव में कोई फ़र्क़ महसूस हुआ की नहीं और वो मन करती रही।
मैने उसको याद दिलाया की कैसे जीजाजी ने उसके कन्धो और कमर को पकड़ा था, पर उसने कहा की यह सब नार्मल है। मैने उसको याद दिलाया की जीजाजी ने कैसे बिना कारण के ही उसको अपनी गोद में उठा लिया था। पर उसको यह सब हलकी फुलकी मस्ती लगी।
फिर मैंने उसको याद दिलाया की जीजाजी ने निरु को गोद में उठाये रखा था तब उनका हाथ निरु के मम्मो के कितना करीब था और मम्मो के उभार को जीजाजी की ऊँगली छु रही थी। यह पढ़कर निरु का मुँह खुला का खुला रह गया और मेरी तरफ देख शर्म से हँसती रही और फिर मुझे मैसेज किया की उसको पता हैं की जीजाजी की ऊँगली उसके मम्मो को दबा रही थी पर वो सब एक्सीडेंटली हुआ था और जीजाजी ने जल्दी ही अपनी ऊँगली उसके मम्मो से दूर कर दी थी। मैने निरु को पूछा की उसको अज़ीब नहीं लगा जब बीच पर जीजाजी लगातार उसकी छाती पर पानी डाल कर उसके स्वीम टॉप को खिसकाने की कोशिश कर रहे थे या निप्पल देखने की कोशिश कर रहे थे।
नीरु फिर से अपने जीजा के बचाव में तैयार थी। उसके अनुसार उसके शरीर का सिर्फ वोहि हिस्सा पानी के बाहर था। अगर जीजाजी उसके मुँह पर पानी ड़ालते तो निरु को साँस लेने में दिक्कत होति, इसलिए जीजाजी ने ठीक ही किया जो उसकी छाती पर पानी डाला। मैने निरु को यह राज भी बताया की जब जीजाजी ने निरु की गांड को अपने लण्ड से चिपकाये उसको घुमाया था तो उसके बाद जीजाजी का लण्ड उनके शॉर्ट्स में खड़ा हो गया था।यह पढ़कर निरु ने रिप्लाई करने की बजाय मेरे हाथ पर एक हल्का सा चांटा मार दिया और बड़ी आखें दिखाने लगी। फिर उसने रिप्लाई भी किया कि, यह होना तो नेचुरल प्रोसेस है। मैने उस से मैसेजस के थ्रू ही बहस कि, नीयत ख़राब हो तभी लण्ड खड़ा होता है। उसने भी लास्ट में यह मान लिया पर लिखा की मुझे ग़लतफ़हमी हुयी होगी की जीजाजी का लण्ड खड़ा हुआ था। वो तो अच्छा था की हमारे फ़ोन साइलेंट पर थे, वर्ना आस पास के लोग लगातार मैसेज के आने से बजती रिंग टोन सुनकर पागल ही हो जाते।
हमारे बीच ऐसे ही गंदे और शरारती मैसेज चल रहे थे और मैंने नोटिस किया की निरु के शर्ट के ऊपर से उसके मम्मो का क्लीवेज दीखने लगा था। निरु के मम्मे इस तरह की बातें पढ़कर फूल चुके थे और उसका मूड बन रहा था। मैने आँखों के ईशारे से उसका ध्यान उसके क्लीवेज पर दिलाया।
उसने भी देखा और अपने होंठ भिंच कर अपनी हंसी दबायी और फिर अपने शर्ट को ऊपर से पकड़ बंद किया और क्लीवेज छुपाया। मै उसको मैसेज कर पूछा की क्या उसकी चुदने की इच्छा हो रही है। उसने रिप्लाई किया की उसकी बहुत इच्छा हो रही हैं, ४-५ दिन से जो उसको चुदाई नहीं मिली है।
मैने उसको पुछ ही लिया की मैं इतनी देर से आया था, तब तक कहीं सच में जीजाजी आकर उसको चोद तो नहीं गए, जो वो मुझसे छुपा रही है। उसने एक मुक्का मेरी जांघ पर मार दिया और मेरी तरफ गुस्से में देखा। फिर हँसते हुए मैसेज टाइप करने लगी। उसने मैसेज सेंड किया की “हॉ, मैंने जीजाजी से चुदवा लिया था। तुम ५ मिनट पहले आते तो पकड़ सकते थे” यह पढ़कर मेरा तो गला सुख गया। वो मेरी तरफ शरारती मुस्कान से देख रही थी। मुझे डर लग रहा था की कही वो मजाक मजाक में सच तो नहीं बोल रही।
मेरा चेहरा गम्भीर हो गया। नीरु ने अब अगला मैसेज भेजा: “वैसे जीजाजी तुमसे बेटर चोदते हैं”। मैं मैसेज पढ़ कर सीरियस हो फिर उसकी तरफ देखने लगा। वो अगला मैसेज लिखने में बिजी थी। अब उसके एक के बाद एक मैसेजस आने लगे और मुझे पता नहीं चल रहा था की वो मेरे मजे ले मुझे जाला रही हैं या सच बता रही है।
“जीजाजी मेरे फिगर की बहुत तारीफ़ कर रहे थे, तुम तो कभी करते नहीं तारीफ़”
“वैसे अपनी तारीफ़ सुनते हुए मुझे चुदने में ज्यादा मजा आ रहा था”
“मैं तुम्हे हमेशा कहति थी की जीजा जी से तारीफ़ करना सिख लो, अब कहति हूँ की चुदाई कैसे करते हैं यह सिख लेना जीजाजी से”
“काश बड़ी बहन मैं होती तो मेरी शादी जीजाजी से होती और रोज उनसे चुदने को मिलता”
उसको लग रहा था की वो मजाक कर रही हैं और वो मेरा खून जलाने के साथ ही मेरा शक़ उस पर और गहरा करती जा रही थी। वो जो कुछ भी लिख रही हैं, क्या वो सब सच हैं? मेरे चेहरे पर तो बारह बजे हुए थे। उसने भी मेरी शकल पढ़ ली थी। उसने मेरे मजे लेना जारी रखा और गंदे मैसेजस करती रही।
“मेरी तरह जीजाजी का फेवरेट सेक्स पोजीशन भी डॉगी स्टाइल ही हैं”
“पूछो मत कितना जबरदस्त चोदते हैं वो इस पोजीशन में, मेरी तो जान ही निकाल दी थी”
“वो मेरे बूब्स चुसते हैं तो मुझे दर्द बिलकुल नहीं होता, उलटा मजा आता है। वो मेरे बूब्स मसलते हैं फिर भी मुहे मजा आता हैं”
मै अब परेशान हो गया। मैंने तो उसको जीजाजी की नीयत बता कर खुद ही आफत मोल ले ली थी। ग़ुस्से में मैंने भी उसको मैसेज कर दिया की जीजाजी इतने अच्छे मम्मे दबाते हैं तो उंनके पास जाकर दबवा ले। मेरा मैसेज पढ़कर वो अपनी मुँह पर हाथ रखे जोर जोर से खिलखिलाने लगी। मेरे दिल पर तो चाक़ू चल रहे थे। खिलखिला कर हंसने से उसके फूल चुके क्लीवेज भी लचक खाकर हील रहे थे।
फिर एक स्माइल के साथ ही उसने अगला मैसेज सेंड किया “दीदी नहीं बैठे होते तो अभी जाकर अपने बूब्स दबवा लेती”। फिर वो मेरी तरफ शरारती मुस्कान से देखती रही। तभी ऋतू दीदी अपनी जगह से उठ कर टॉयलेट की तरफ गए। निरु ने मेरी तरफ आँख से इशारा किया की वो जीजाजी के पास जाए क्या। मैंने उसकी जांघ पर एक चिकोटी काटि और उसको जाने का इशारा किया।
वो बैठि रही और मुझ पर हँसती रही। मैंने उसकी बाह को धक्का देकर उसको हंसी रोकने को कहा। मगर वो मुँह पर हाथ रख हँसती रही और फिर मुझे रुकने का इशारा कर वो उठ गयी और ऋतू दीदी की खाली पड़ी सीट पर जाकर बैठ गयी। वहाँ जाकर उसने जीजाजी के कंधे पर सर रखा और बैठि रही। फिर एक स्माइल के साथ उसने पलट कर मेरी तरफ देखा और जिजाज की एक हथेली पकड़ कर अपनी कमर पर रख दी और फिर उनके कंधे पर सर रख बैठि रही।