ऋतू दीदी भी झड़ चुकी थी और उहोने मेरे होठो को अपने नाराम होंठो में भर कर चूमना शुरू किया। उनके होंठ निरु की तरह बहुत सॉफ्ट थे और मुझे अच्छा लगा। चुदाई के मजे तो ले लिए पर अब वो ख़ुमार उतरने के बाद मैं सोचने लगा की यह मैंने क्या कर दिया। मैंने निरु को धोखा देकर ठीक नहीं किया हैं। मै अब तक जीजाजी को निरु के साथ सम्बन्ध पर शक़ कर रहा था और अब मैंने खुद अपनी बीवी की बड़ी बहन यानी बड़ी साली को चोद दिया था।
मुझे किश करने के बाद ऋतू दीदी ने मुझे थैंक यू बोला और मुझ पर से उठि। उन्होंने मुझे पहले वॉशरूम में जाने दिया। मैं वॉशरूम में कपडे लेकर आया और सफाई के बाद कपडे पहनने लगा। फिर मेरे मन में एक विचार आया। कही ऋतू दीदी और नीरज जीजाजी आपस में मिले हुए तो नहीं है। हो सकता हैं की यह सब उनका प्लान हो की ऋतू दीदी मुझे फँसा कर चोदेगी और दूसरी तरफ जीजाजी मेरी बीवी निरु को फँसा कर चोदेगे। कहीं जीजाजी दूसरे रूम में निरु को चोद तो नहीं रहे।
मैंने अपनी पॉकेट चेक की वहाँ मेरे रूम की चाबी नहीं थी। मै वॉशरूम से एक टेंशन लिए बाहर आया। ऋतू दीदी अभी भी नंगी खड़ी थी और फिर वो अन्दर वॉशरूम में गयी। मैने टेबल पर देखा तो मुझे दोनों रूम की चाबिया पड़ी दीखि और मैंने चैन की साँस ली। ऋतू दीदी वॉशरूम के बाहर आये उसके पहले ही मैंने अपने रूम की चाबी ली और बाहर आ गया। मै सोचने लगा की अपने रूम में जाऊं या निरु के पास जाऊं। अपने रूम में गया तो बाद में निरु आकर पुछेगी की मैंने ऋतू दीदी को उस रूम में अकेला क्यों छोड़ दिया था।
अब आगे की कहानी प्रशांत की ज़ुबानी जारी हैं…
मै फिर नीचे पेंटिंग गैलरी ढूँढ़ने गया। मुझे कहीं कोई बोर्ड नहीं दिख। मैंने होटल के रिसेप्शन पर एक स्टाफ से पूछा की “यहाँ आर्ट गैलरी कहाँ हैं?” उसने जवाब दिया की ऐसी कोई गैलरी नहीं है। मेरा माथा ठनका। कुछ तो गड़बड़ है। मैं और निरु किसी जाल में फ़ांस गए हैं। मै तो दीदी से चुद ही चुका हूँ, कहीं निरु भी जीजाजी से चुद ना जाए, मुझे उसको बचाना होगा।
फिर मुझे याद आया की होटल वालों के पास तो रूम की डुप्लीकेट चाबी होती है। कहीं जीजाजी ने उस चाबी से मेरा रूम तो नहीं खोल लिया। मैने रिसेप्शन पर झूठ बोला की मेरे रूम की चाबी मेरे रूम में रह गयी हैं और मुझे डुप्लीकेट चाबी से रूम खुलवाना है। उन्होंने बताया की थोड़ी देर पहले ही बुकिंग करने वाले Mr. नीरज की रिक्वेस्ट पर वो रूम उन्होंने डुप्लीकेट चाबी से खोला हैं।
मै वहाँ से भागा और वो स्टाफ वाला देखते रह। मैं अपने रूम के बाहर पहुंचा। घबराहट में मुझसे चाबी भी ढंग से नहीं लग रही थी। मेरी बीवी की इज्जत खतरे में थी और मुझे उसको बचाना था। मैंने दरवाजा खोला और दरवाजे के पास जीजाजी मुस्कुराते हुए खड़े थे।
जीजजी: “तुम आ गए ? निरु का ध्यान रखो”
इसके बाद मुझे गूडनाईट बोलते हुए वो दरवाजा बंद कर बाहर निकल गए।
ऐसा लगा जैसे वो मुझे चिढा रहे हो की मैंने आने में देर कर दी और उन्होंने निरु को चोदने का काम पहले ही कर दिया हैं। मै रूम में आगे बढा तो देखा की निरु बेड पर डॉगी स्टाइल में बैठि है। हालाँकि उसने कपडे पहने हुए थे पर फिर भी मन में एक डर था। मै उसके पीछे था तो उसने मुझे अभी तक देखा नहीं था। इस पोजीशन में उसकी घुटनों तक की ड्रेस ऊपर चढ़ चुकी थी और उसकी गोरी जाँघे दिख रही थी।
मैने उसके पास जाते ही उसकी गांड पर हाथ रख फील किया की उसने अन्दर पैंटी पहनी हैं या नहीं। तभी निरु मेरी तरफ गर्दन घुमाते हुए बोली।
नीरु: “जीजाजी फिर से नहीं, दर्द हो रहा हैं…।”
फिर मुझे वहाँ देख कर बोलते बोलते रुक गयी। मुझे तो हार्ट अटैक आ जाना चाहिए था पर मैं इस सिचुएशन के लिए मेंटली तैयार था। नीरु के चेहरे पर दर्द भरे एक्सप्रेशन थे। जरुर जीजाजी ने निरु को डॉगी स्टाइल में बड़ी बेरहमी से चोदा होगा और निरु दर्द से बेहाल हैं की चुदने के बाद भी डॉगी स्टाइल में बैठि हैं।
प्रशांत: “क्या हो रहा था यहाँ?”
नीरु: “तुम सो जाओ, कुछ नहीं हुआ”
प्रशांत: “मैंने तुम्हारी गांड पर हाथ रखा तो तुमने यह क्यों कहा की जीजा जी दर्द होगा”
नीरु: “तुम गुस्सा तो नहीं होगी न?”
प्रशांत: “क्या कर दिया तुमने!”
मेरे शब्द तो लगभग जुबान में अटक कर बड़ी मुश्किल से निकल रहे थे।निरु शायद क़बूलने वाली थी की उसने भी मेरी तरह गलती कर दी हैं। जीस तरह ऋतू दीदी ने मुझे मेरी फेवरेट पोजीशन में चोदा था, शायद उसी तरह जीजाजी ने भी निरु को उसकी फेवरेट डॉगी स्टाइल में चोदा होगा। मै इमेजिन करने लगा की जीजाजी ने क्या किया होगा। मैंने निरु की ड्रेस को नीचे से ऊपर चढा कर कमर के ऊपर ले आया और उसकी पैंटी बाहर आ दीखने लगी।
नीरु: “क्या कर रहे हो प्रशांत!”
जब जीजाजी ने निरु की ड्रेस ऊपर उठायी होगी तो ठीक इसी तरह निरु ने बोला होगा की “क्या कर रहे हो जीजाजी”
नीरु की सेक्सी जाँघो को देख मैं उन पर हाथ फेरने लगा। वो गुदगुदाहट से दर्द में भी खिलखिलाने लगी।
नीरु: “छोडो, मुझे गुदगुदी हो रही हैं”
मगर मैं अपनी बीवी के जिस्म को छूते हुए उसको सहलाता रहा। उसने जो जीजाजी से चुदवाते हुए दर्द झेला होगा, मैं उस दर्द को कम करना चाहता था।
नीरु: “आज मैं तुम्हारे साथ नहीं चुदवा सकती, मेरे पैर में दर्द है। प्लीज हाथ हटाओ”
मैने अब निरु की पैंटी के ऊपर ही अपना हाथ फेरने लगा और उसकी गांड को सहलाने लगा। निरु लगातार थोड़ा हील रही थी जैसे उसको गुदगुदी हो रही हो।
मैने सोचा मैं निरु की चूत को चेक कर लेता हूँ की उसकी क्या हालत है। मैंने निरु की पैंटी को पकड़ा और उसकी गांड से निकाल कर नीचे कर दिया। नीरु मुझे लगातार कपडे ना खोलने को बोल रही थी। शायद इसी तरह उसने जीजाजी को अपने कपडे ना खोलने की गुहार की होगी, पर उस हैवान जीजा ने अपनी साली की एक नहीं सुनि होगी और नँगा करके चोद ही दिया होगा।
नीरु की चिकनी गोरी गोल गांड मेरे सामने थी। मैंने उसकी गांड पर हाथ फेर सहलाने लगा। निरु अब खिलखिलाते हुए मुझे मना कर रही थी। शायद जीजाजी ने निरु की इसी हंसी का गलत मतलब निकाल उसको चोद दिया होगा। मैंने अपनी ऊँगली निरु की गांड की दरार में फिराते हुए चेक करना चाहा की निरु को दर्द होता हैं की नहीं।
मेरी ऊँगली निरु की गांड की दरार में फिरते हुए उसकी गांड के छेद तक आई और मुझे सब कुछ ठीक ठाक लगा। शायद जीजा जी ने निरु की गांड नहीं मारि थी। मै अपनी ऊँगली और नीचे ले गया और मेरी ऊँगली निरु की चूत के छेद के ऊपर के बालो को लगी और थोड़ा गीला हो गयी। मैने अपना हाथ पीछे खींच लिया। जीजाजी ने निरु की चूत चोदी थी।
मुझे पहले पता होता तो मैं ऋतू दीदी के साथ चुदाई नहीं करता। मै अब निरु के पिछवाड़े पर डॉगी स्टाइल में चोदने के अन्दाज में आया और उसकी गांड को दोनों हाथों से पकड़ लिया। जीजाजी ने इसी तरह निरु की गांड को पकड़ कर धक्के मार कर चोदा होगा।
नीरु: “क्या कर रहे हो? हटो, कपडे पहनाओ मुझे”
मै अब निरु के पीछे से हटा और उसकी पैंटी उसको फिर से पहना दी और उसकी ड्रेस फिर नीचे कर दि।
प्रशांत: “अब बतओ, क्या हुआ?”
नीरु: “तुमने ठीक ही कहा था”
मैने निरु को सुबह ही वार्न कर दिया था की जीजाजी की नीयत ठीक नहीं हैं और वो ऋतू दीदी को “निरु” नाम से चोद रहे थे। तब उसने मेरी बात नहीं मानी थी पर अब उसको पता चल गया था की मैं सच था।प्रशांत: “देख, मैंने तुम्हे पहले ही कहा था की जीजाजी ठीक इंसान नहीं हैं”
नीरु: “इसमें जीजाजी बीच में कहाँ से आ गए! मैं हाई हील सैंडल की बात कर रही हूँ। खरीदते वक़्त जिसके लिए तुमने कहा था की मुझे मोच आ सकती है। आज सच में हो गया”
फिर निरु ने पूरी घटना बतायी की जब वो जीजाजी के साथ पेंटिंग गैलरी देखने गयी थी, तब पता चला की वो गैलरी सीजनल है। अभी वो बंद हो गयी हैं। वो लोग फिर होटल के बाहर आइसक्रीम खाने चले गए थे।
वापिस आते वक़्त होटल के अन्दर निरु के हाई हील सैंडल की वजह से उसका पैर मुड गया। उसके पैर में दर्द था तो होटल स्टाफ की मदद से उसको व्हीलचेयर पर इस रूम में लाया गया। रूम की चाबी तो उनके पास थी नहीं इसलिए होटल स्टाफ की मदद से रूम का डोर खुलवाया और अन्दर आए।
नीरु ने ही जीजाजी को मुझे फ़ोन नहीं करने को बोला था क्यों की उस वक़्त उसको बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था और मैं निरु को इतने दर्द में नहीं देख सकता हूं। होटल में मौजूद एक डॉक्टर ने निरु को चेक कर बताय था की मोच नहीं हैं और थोड़े रेस्ट के बाद दर्द कम हो जाएगा।
मैने नोट किया की निरु के एंकल पर पेन रिलीफ स्प्रे किया हुआ था, जिसकी बदबु मुझे काफी टाइम से आ रही थी पर पहले शक़ की बू ज्यादा थी तो समझ नहीं पाया था। वो सब बता रही थी पर फिर भी शक़ दिल से जा नहीं रहा था। कहीं निरु यह सब स्टोरी बना कर मुझसे कुछ छिपा तो नहीं रही थी?
प्रशांत: “मोच पाँव में हैं तो तुम ऐसे डॉगी स्टाइल में क्यों बैठि हो?”
नीरु: “डॉगी स्टाइल क्यों बोल रहे हो? अभी ऐसी गन्दी बातें करना जरुरी हैं क्या! यह भी तो बोल सख्त हो की घुटनों के बल क्यों बैठी हो”
प्रशांत: “तुम ऐसे क्यों बैठि हो?”
नीरु: “गिरने से कमर में भी थोड़ा खिचाव आया था। कमर को स्ट्रेच करने के लिए इस तरह बैठी हूँ। मुझे यह पोजीशन ठीक लगी। तुम्हे तो पता ही हैं मेरा यह फेवरेट पोजीशन हैं”
यह कहते हुए निरु शर्माने लगी। मगर मेरे कुछ सवाल अभी भी बाकी थे।
प्रशांत: “मैंने जब तुम्हारी गांड पर हाथ रखा तो तुमने यह क्यों बोला की ‘जीजाजी फिर नहीं, दर्द होगा”
नीरु: “वो जीजाजी मुझे लेकर परेशान थे। एक बार मेरे पाँव को टच कर चेक कर चुके थे की दर्द कम हो रहा हैं या नहीं, वार्ना हॉस्पिटल में दिखाए। जब की मैं उनको बोल चुकी थी की अब दर्द कम हैं और वो जाकर सो जाए ”
मै निरु की बात पर यक़ीन करना चाहता था पर कर नहीं पा रहा था। जीजाजी सुबह निरु का नाम लेकर ऋतू दीदी को चोद रहे थे, वो ऐसा हाथ आया मौका कैसे हाथ से जाने देते? जरुर जीजा साली के बीच कुछ हुआ हैं और निरु ने अपने काण्ड को छुपाने के लिए यह कहानी पहले ही प्लान कर ली होगी।
मैने अपने कपडे चेंज कर लिए पर निरु इस हालत में नहीं थी की अपने कपडे चेंज कर पाए। उसने मुझे उसकी ड्रेस निकालने को बोली, वो आज ब्रा पैंटी में ही सोने को रेडी थी। मैने उसकी पीठ से ड्रेस की ज़िप खोल दी और ड्रेस को उसकी जाँघो से उठा कर गांड से हटा दिया। और फिर खींचते हुए उसकी कमर और पीठ से होते हुए सर के बाहर निकाल दिया।
अब वो ऐसे ही ब्रा और पैंटी में डॉगी स्टाइल में बैठि थी। थोड़ी देर बाद वो सीधा बैठि और बताया की उसका कमर का दर्द कम हैं पर पाँव में अभी थोड़ा दर्द हैं। नीरु अब लेट गयी और मुझे लाइट बंद कर सोने को कहा। उसने एक बार फिर मुझे सॉरी बोला की वो मुझे आज रात भी चोदने नहीं देगी। मगर मुआवज़े के तौर पर उसने अपना ब्रा निकाल दिया की कम से कम मैं उसके मम्मे पर हाथ रख सो सकता हूं।
मै लाइट बंद कर उसके मम्मो पर हाथ रख सो गया पर उस पर यक़ीन नहीं कर पा रहा था। नींद तो मेरी उड़ चुकी थी। मन में यह भी विचार आ रहे थे की जब मैं ऋतू दीदी के साथ चुदवा सकता हूँ तो फिर निरु अपने जीजाजी के साथ क्यों नहीं चुदवा सकती ?
मेरे पास इस बात का सबूत तो था की जीजाजी की नीयत निरु के लिए ठीक नहीं है। पर क्या निरु की भी जीजाजी जैसी सोच हैं, और वो भी अपने जीजाजी से चुदवाना चाहती हैं या चुदा चुकी हैं, यह मुझे अभी तक कन्फर्म नहीं था।
ऋतू दीदी जैसी सुलझी हुयी औरत जब अपने पति को धोखा देकर मुझे चोद सकती हैं तो फिर निरु तो अपनी बहन से भी चंचल हैं, वो तो और भी बड़ी गलती कर ही सकती हैं। नीरु सो चुकी थी और मुझे उसकी कहानी की सच्चाई टेस्ट करनी थी। मैं उठा और उसके मोच वाले पाँव पर हाथ रख हलके से दबाया। नीरु एकदम से चीखते हुए उठ बैठि और रोते हुए मुझ पर एक हाथ घुमाया जो मेरी बाजू पर लगा। मैंने लाइट लगायी तो देखा उसकी आँखें दर्द से भर आयी। मै बुरी तरह डर गया और सॉरी सॉरी बोलते रह गया और वो रोते रोते ही फिर लेट गयी और थोड़ी देर तडपती रही।
मुझे अपने आप पर बहुत गुस्सा आया। मै उसके नंगे बदन पर हाथ फेर सहलाना चाहा ताकी उसको दर्द कम हो पर उसने मेरा हाथ झटक दिया। थोड़ी देर कराहने के बाद उसका दर्द कम हुआ तो वो नार्मल हुयी और उसने मुझे अपने बदन पर हाथ सहलाने दिया। वो सिर्फ पैंटी में सो रही थी तो मैं कभी उसके नंगे पेट तो कभी सीने तो कभी उसके मम्मे पर हाथ रख फिराता रहा।
Padosi aunty ki chudai ki kahani – पडोसी आंटी की चुदाई का सुख