सटाक..!! मैंने उसे एक जोरदार थप्पड़ लगा दिया ..जा हरामजादे ! ..कमीने.. ओर उससे धकेलने लगी.. पर इसका उल्टा असर हुआ.. जिस ताकद से मैं ऊपर उठकर उसको थप्पड़ मारी, उसका लण्ड सिररररर .. करता हुआ मेरी गीली चूत के अंदर पूरा घुस गया. आह..मैं चीखने लगी..पर उसने मेरे मुँह पर अपना मुँह लेकर मुझे चूमने लगा. मेरे होंठ चूसने लगा.
मैं उसको धक्का मरने लगी,
तभी उसने मेरे बाल जोर से पकड़ केर खींचे.. बोला – चुप मादरचोद.. आज तक मुझे किसी ने थप्पड़ नहीं मारा .. तेरी हिम्मत कैसे हुई.. आज तेरी चूत की चटनी बना कर खाऊंगा. गांव का देहाती मर्द , औरत पर जोर जबरदस्ती करके कैसे काबू मैं रखना उसे पता था.
मैं डर गयी . दर्द से मेरी आँखों से आंसू आ रहे थे. हरिया..मुझे जोर जोर से धक्के मार कर चोद रहा था. वह करहा रहा था – आह .. इतनी खूबसूरत, चिकनी चूत पहली बार मिली. क्या मस्त चूत हैं..एकदम कुंवारी भैंसे जैसी. ‘
मैं उसको दूर लेटना चाहती थी पर, मेरे दोनों हाथ उसने मेरे सर पर ले जाकर एक साथ से पकड़ रखे थे.. ओर दूसरे साथ से वह मेरे मम्मे दबा रहा था. मैंने कहा – जंगली कही का ! छोड़ मुझे.. मेरे दिमाग काम कर रहा था – मन कर रहा था उसका खून पी जाऊ… पर . आह..उह….उफ़…करके मेरी चूत ने उसके लण्ड के स्वागत मैं अपना पानी छोड़ दिया !! यह क्या ? हे भगवन.. !
हरिया बोला – देखो बिटिया..मजा आ रहा न..बस कुछ देर ओर..बहुत मजा आएगा..सारा दर्द दूर हो जायेगा.
मुझे गुस्सा भी आ रहा था ओर शर्म भी.. मेरे कमीना शरीर ओर भूखी चूत मेरे सात नहीं दे रही थी. जैसी उसका रिमोट हरिया के पास था… उसका रिमोट – हरिया का काला मोटा १० इंच का नाग था. हरिया ने फिर से मेरे घुटने ऊपर उठाये ओर मेरे कंधे के बाजू ऊपर रख दिए.. इससे मेरी गांड ओर भी ऊपर हो गयी, ओर उसका लण्ड सीधा पूरा पूरा मेरी चूत की अंदर बाहर जाने लगा .. उसके लटके हुए टट्टे ..मेरी गांड पर थप – थप की आवाज से टकरा जाते. उसका मोटा लण्ड सीधा मेरे दाणे से घिसकर चूत मैं अंदर – बाहर धक्के लगाता. मेरा दाणा मसल कर रख दिया..मैं फिर से आह…..उफ्फ्फ..कर के दूसरे बार झड़ गयी
ओर हरिया ने भी.. ले रंडी…ले हरिया को थप्पड़ मारने का अंजाम – ओर आह..अहह..करके कई झटके मारके, मेरी चूत मैं अपना दूध डाल दिया.
मुझे होश आया , वैसे मैं झट से हरिया को अपने ऊपर से धकेल दी ..ओर गाउन नीचे कर के..नीचे घर मैं चली गयी. बाथरूम जाकर अच्छे से साथ-पाँव धो कर चूत भी धो डाली. ओर … मेरी पैंटी ? वो तो छत पर ही थी ? पर मुझे अब वापस छत पर नहीं जाना था. मैं अपने कमरे मैं चली गयी .
तभी मैंने महसूस किआ..मेरी मोच ओर दर्द..सब चला गया था. मैं थक कर सो गयी.
तभी दोपहर को बुआ मुझे उठाने आयी..संध्या कब तक सोयेगी..खाना भी नहीं खाया..चल उठकर खाना खा ले.. आज संगीत का कार्यक्रम हैं शाम को ..जल्दी तैयार भी होना हैं , तुझे तो बहुत नाचना हैं आज.
मैंने कहा – हा बुआ जी, बहुत नाचूंगी, मेरी प्यारी बहन की शादी जो हैं. . मैंने खाना खाया ओर शाम की तैयारी मैं लग गयी. दोपहर का चाय ले रही थी, बंटी ओर स्वप्निल भी थे. मुझे बड़ी अजीब तरह से निहार रहे थे ओर कमीने नजरों से चोद रहे थे. मुझे बड़ा अजीब लगा. क्या हो गया अब इनको? शाम को मैं दुल्हन के सात तैयार हो कर मंडप मैं गयी. मैंने एक अच्छा नीले – लाल रंग का शरारा पहना था. माँ की जिद्द थी अच्छीसे तैयार हो जाऊ ओर खूबसूरत दिखू ताकि रिश्तेदार देखे ओर आगे चलकर कोई अच्छा सा रिश्ता आये. में गहरे नीले रंग के शरारा में बहुत सुन्दर लग रही थी, ओर बैकलेस टॉप के वजह से मेरी गोरी पीठ सबको आकर्षित कर रही थी.
स्वप्निल ओर बंटी मुझे देखकर आंखें सेख रहे थे. स्वप्निल के पास एक सोनी का हैंडीकैम था जिससे वह सब की छोटी छोटी वीडियो ले रहा था. संगीत मैं बहुत जोर-शोर से नाच-गाना हो रहा था. मैं, बंटी ओर स्वप्निल दोनों एक दूसरे के सात मिलकर बहुत नाच रहे थे . दोनों मुज़से शरारत भी करते. यही तो होता हैं शादियों मैं. हर जवान लड़का – लड़की की फ़िराक मैं रहता हैं. दूल्हा – दुल्हन के सात वह भी अपने लण्ड की प्यास बुझाने का इंतजाम शादियों मैं आई लड़कियों को पटाकर करना चाहता हैं. बंटी की शैतानी बढ़ रही थी, नाचते-नाचते धीरे से वह अपने हातों से मेरे मम्मे दबा देता, या गांड मसल देता. उसकी हिम्मत बढ़ गयी थी.
मेंने उसको डांट दिया – या क्या कर रहे हो बंटी, शर्म करो . मैं तुम्हारी बहन हूँ.
बंटी ने मुझे फिर से जोर से कमर पर पकड़ लिए ओर हलके से गालों को चुम लिया. बोला – मामा की लड़की हैं तू, पहला अधिकार मेरा था.
मैंने कहा – चुप शैतान, कोनसा अधिकार , किसका अधिकार, ओर था मतलब?
उसने कहा इधर आ कुछ दिखता हूँ.. ओर मुझे एक कार्नर मैं ले कर गया, जहाँ कोई नहीं था . उसने अपनी जीन्स की जेब से कुछ निकाला ओर मुझे दिखाया ..
मेरे होश उड़ गए.. मुझे पसीना छुट गया.. मैं गिरने वाली थी पर उसने मुझे पकड़कर संभाल लिया…
बंटी ने कहा – अरे संध्या .. देख तू डर मत . क्या मैं तुझे बुरा लगता हूँ, हम बचपन से सात मैं खेले हैं. क्या तुझे लगता हैं मैं तेरे सात कुछ बुरा करूँगा. बंटी के साथ मैं मेरी पैंटी थी जो हरिया ने सुबह जबरदस्ती निकाली थी. मैं वहा पर खुर्ची पर बैठ गयी. मैंने झूठ का तीर लगाया – कहा यह तो ऊपर सूखने डाली थी. तुझे कहा मिली.
उसने कहा – चल झूठी , अभी भी झूठ बोलेगी. मैंने तुझे सुबह छत पर मजे लेकर हरिया से चुदते हुए देखा. इसका वीडियो भी हैं स्वप्निल के पास . देख उसको वहा खड़ा हैं.
मैंने देखा ..स्वपनील दूसरे कोने में खड़ा मुस्करा रहा था. मुझे – साथ हिला कर – हाई किया और अपना हैंडीकैम दिखा कर मुस्कराने लगा.
मेरे आँखों से अब आंसु बहने लगे.
बंटी ने मेरी पैंटी फिर से अपने जीन्स की जेब मैं डाल दी और बोला – संध्या प्लीज रो मत यार , मैं कोई जबरदस्ती नहीं करूँगा. पर क्या यह गलत नहीं की तुम हरिया जैसे बुड्ढे ७० साल नौकर से ख़ुशी और मजे से चुदवा रही थी. क्या मैं इतना बुरा हूँ
मैंने कहा – मैं मजे नहीं कर रही थी, उसने मेरे सात जबरदस्ती की. तुम दोनों क्या चाहते हो?
बंटी ने कहा – बस आज की रत – कल शादी हो जायेगी तब तुम वापस अपने घर चली जाओगी.
मैंने कहा – बंटी प्लीज ऐसे मत करो. यह गलत हैं .
बंटी ने कहा – संध्या प्लीज आज रात आ जाना, मना मत करो. मैं बताऊंगा तुझे कहा आना हैं. और हाँ एक और बात. तुम्हारी अभी जो पैंटी पहनी हुई हैं , वो मुझे निकाल कर दो, अभी.
मैंने कहा – नहीं, मैं नहीं दे सकती. तेरे पास मेरी एक पैंटी हैं, वह भी वापस दे दे मुझे.
बंटी ने कहा – प्लीज संध्या..यह पैंटी मेरे पास रहने दो, मुझे तुम्हारी याद आएगी तो इसको सूंघ कर तुम्हे याद करूँगा, इस पैंटी को तेरी चूत समज़कर रोज रात को मेरा लंड इसपर रगडूंगा.
मैंने पूछा – फिर दूसरी पैंटी क्यों चाहिए. उसने कहा – स्वपनील भैय्या को चाहिए , देख उसके पास तेरा वीडियो हैं. चुप चाप दे दे जल्दी से.
मैंने खड़े होकर, अपने घागरे के अंदर से पैंटी नीचे खिसकाकर निकाल दी और बंटी के साथ में दे दी .
बंटी बहुत खुश हो गया. अब मैं ड्रेस के अंदर पूरी नंगी थी. बंटी ने मेरी दूसरी पैंटी भी जेब मैं डाल दी और बोला, चल अब डांस करते हैं, फिर बाद मैं आज रात को मिलना भी हैं.
मैंने देखा बंटी स्वपनील के पास गया और दोनों मुस्करा कर बातें कर रहे थे. फिर धीरे से सब से छुपाकर बंटी ने उसको मेरी पैंटी दे दी. स्वपनील ने मेरी पैंटी को रुमाल की तरह फोल्ड कर के सूंघ लिया खुद की जेब मैं रख दी. मेरी तरफ देख कर आँख मार दी.हम सब ने रात का खाना खाया और फिर से डांस करने लगे.. स्वपनील और बंटी दोनों मुझसे बहुत मस्ती कर रहे थे, उनको पता था मैं घागरे के अंदर नंगी हूँ. बीच मैं घागरे के ऊपर से मेरी चूत सहला देते. मेरी चूत भी गीली हो गयी थी. एक दो बार बंटी ने मुझे कोल्ड ड्रिंक्स लाकर दी और आंख मारी, उसमे कुछ व्हिस्की मिला दी थी. बंटी और स्वप्निल दोनों अब बहुत पी चुके थे. औंरतैं भी कोल्ड ड्रिंक के नाम से मिक्स्ड शराब पी रही थी. अब बहुत सारे लोग सोने चले गये थे . में भी माँ और बाकी लोगों के सात घर में जाने लगी, थोड़ा नशा था पर किसी को समज नहीं आ रहा था. तभी बंटी ने – दरवाजे पर मुझे इशारा कर के रोक लिया. मैंने बाकी लड़कियों से कहा – आप जाईये मैं बाथरूम हो कर आती हूँ. बंटी मुझे साथ पकड़ कर तबेले की तरफ ले गया और अंदर जाकर धीरे से तबेले का दरवाजा बंद कर दिया. उसने एक स्विच स्टार्ट कर दिया जिससे तबेला मैं जीरो बल्ब से हलकी रोशनी हो गयी. वहा बहुत सारा सूखा चारा का ढेर लगा था. गाय / भैंसे आराम कर रही थी, तबेले मैं गोबर और गोमूत्र की अजीब गंध आ रही थी. मैंने देखा सूखे चारे के पीछे चारे का ढेर लगा था और उसपर एक गद्दी बिछाकर , स्वपनील एकदम नंगा हो कर अपना मोटा बड़ा लंड हिला रहा था. स्वपनील बोला – आह ! आ गयी मेरे सपनो की रानी, कब से तेरे लिए मेरा लंड तन कर खड़ा हैं. मैं स्वपनील को देखती रहा गयी. सुन्दर काया, शरीर पर एक भी बाल नहीं, किसी ग्रीक गॉड की तरह लग रहा था, उसने मुझे अपने नंगे शरीर पर खींच लिया. बंटी ने झट से खुदके कपडे निकले और वह भी पूरा नंगा हो गया . बंटी स्वपनील के मुकाबले मैं सावला था पर उसके शरीर पर बहुत सारे काले बाल थे. उसका लंड भी काला था. स्वपनील मुझे ओंठों को चूसकर चूमने लगा. उसने उसकी जीभ मेरे मुँह के अंदर ड़ाल दी और मेरे ओंठो को चूस चूस कर अपने हातों से मेरे कपडे निकालने लगा. अब मैं पूरी नंगी हो गयी थी. बंटी ने देर न लगायी, झट से मेरे पाँव खोलकर मेरी चूत को चूमने लगा और अपनी जीभ से चाटने लगा. बंटी बोला – स्वपनील भैय्या, संध्या की चूत देखो..एकदम साफ़, चिकनी हैं, और बहुत लाल हैं. क्या महक हैं और लाजवाब स्वाद हैं. इसके चूत का पानी शहद जैसे मीठा लग रहा. स्वपनील अब मेरे बूब्स मसल रहा था और मेरे होंठ चूस रहा था. स्वपनील बोला – हाँ हरिया ने चुदाई कर के इसकी चूत सुजा दी होगी. स्वपनील ने मुझे अपने शरीर पर उठा लिया और चूमने लगा. अब उसके होंठ मेरे ओंठो पर थे और मेरे मम्मे उसके छाती से रगड़ रहे थे और उसका मोटा लंड मेरी जांघों से खेल रहा था. बंटी मेरे ऊपर आकर सो गया और पीछे से मेरी गर्दन चाटने लगा. बंटी का लण्ड मेरी गांड की दरार मैं फिसल रहा था. मै दोनों के बीच सैंडविच हो गयी थी. मेरे आगे- पीछे दो मर्द मुझे चुम रहे थे, प्यार कर रहे थे. दोनों एकदम एक – दूसरे से अलग. जहाँ स्वपनील एकदम सुन्दर, गोरा , चिकना शरीर, बिना बालों वाला, और उसका गोरा – गुलाबी कटा हुआ ७ इंच का मोटा लंड था , वही पर बंटी गांव का देहाती जबरदस्त काले बालों से भरा बदन , सांवला , और उसका लण्ड एकदम काला लंड – ८ इंच का और खूबसूरत चमड़ी के सात, केले जैसे आकार का था. जैसे की बंटी बालों वाला शेर और स्वपनील चिकना बाघ – दोनों मेरा शिकार कर रहे थे, दोनों मैं जैसे होड़ लगी थी. दोनों अब मेरा एक एक आम पकड़ कर जोर जोर से चूस रहे थे. बंटी ने कहा – इतने खूबसूरत मम्मे कभी नहीं देखे. इसकी निप्पल्स देखो – एकदम कड़क हो गए हैं, अंगूर जैसे. तभी स्वपनील का साथ मेरे चूत को सहलाते – मेरे दाणे को ढूंढ लिया और उसको रगड़ने लगा. स्वपनील ने कहा – आह बंटी इस कमीनी का दाणा भी मस्त हैं..बिलकुल अंगूर जैसे रसीला . यह सुनते हे बंटी फिर से मेरे गांड की तरफ गया और मेरी चूत चूसने और चाटने लगा. वह मेरे दाणे को ओंठो से और दातो से चबाता, फिर जीभ से चाटता और मैं.. सी ..सी करती रह गयी. स्वपनील मेरे निप्पल्स और बंटी मेरा दाणा चूस रहे थे और इसी बीच मैं थर- थरकर कांपने लगी और मेरा पानी छूट गया — आह …! कमीनो.. ! आह.!. बंटी मेरा पूरा पानी चाटने लगा. बंटी कहा – आह स्वपनील भैय्या इसने तो पानी का झरना बहा दिया. स्वपनील ने कहा – अब तो शुरुवात हैं, देख यह रात भर अब कैसे रंडी बन कर हमें मजा देगी.
फिर स्वपनील थोड़ा ऊपर खिसक गया और अपना लंड मेरी मुँह के पास ला कर मेरे मुँह मैं घुसेड़ दिया. बंटी कैसे पीछे रहा सकता – उसने मेरे पाँव ऊपर किये और उसके लंड का सुपडा मेरी चूत पर चिपका दिया और एक हल्का धक्का मारा – उसका लंड मेरी चूत को चिर कर आधा अंदर चला गया. मैं स्वपनील का गोरा गुलाबी लंड चूसने लगी. गुलाबी लंड चूसने का अपना अलग मजा होता हैं. ऐस लगता हैं जैसे कोई मीठा फल चूस रही हूँ. मैंने स्वपनील के टट्टे भी चाटें. फिर मैंने स्वपनील का लंड धीरे से पूरा मुँह मैं गले तक अंदर ले लिया. या मेरा स्वपनील पर पलटवार था. स्वपनील बोला – माँ कसम , क्या मस्त लोडा चूस रही हैं. सच मैं बंटी , इतनी भाभीयों की चुदाई की, लेकिन संध्या जैसे किसी ने मेरा लोडा पूरा अंदर तक मुँह मैं लेकर नहीं चूसा. यह तो बहुत बड़ी खिलाडी लग रही. – वही दूसरी और मैं बंटी की कमर पर अपने दोनों पैर कस के पकड़ लिये. इससे अब बंटी का पूरा लंड मेरे चूत के अंदर आगे पीछे आसानी से फिसल रहा था. मैंने अपने एक साथ मैं स्वपनील के टट्टे पकड़ कर उन्हें सहलाकर दबाने लगी और उसका पूरा लंड मुँह मैं अंदर – बाहर करने लगी, जीभ फेर कर चाटने लगी और जोर जोर से चूसने लगी. . दूसरे साथ से मैंने बंटी के गांड और टट्टे सहलाने लगी और अपनी चूत से उसके लंड को जोर से जकड लिया. स्वपनील और बंटी दोनों पागल हो गए. स्वपनील का पूरा लंड मेरे मुँह मैं था और उसकी गोटियां मेरे साथ मैं .. वह मेरे मुँह को जोर जोर से चोदने लगा वह ज्यादा देर टिक नहीं सका और आह..! आह..! कर के बहुत सारे झटके देकर अपना पानी मेरे मुँह मैं डाल दिया. वही बंटी भी यह सब देख कर गरम हो गया.. बोला – आह कितनी टाइट चूत हैं, एकदम गीली और वह भी उसका लंड मेरी चूत मैं बड़े बड़े धक्के देकर अंदर बाहर करने लगा. मैंने उसकी गांड की छेद में धीरे से एक ऊँगली ड़ाल दी .. वह आह..! मेरी लण्ड की रानी..! बहुत सारे झटके देकर मेरी चूत मैं झड़ गया. दोनों मेरे ऊपर लेट गये, स्वपनील का लंड अभी भी मेरे मुँह मैं था, और बंटी का लंड मेरी चूत मैं. धीरे धीरे फिसल कर निकल गये. दो मर्दों के सात यह मेरा फर्स्ट टाइम था . मुझे राज अंकल की बात याद आयी – संध्या तुम चाहे तो कुछ भी कर सकती हो, बस सेक्स एन्जॉय करना, उसको गलत नहीं समजना. मुझे भी स्वपनील और बंटी के सात मजा आया था. क्या यह गलत था? वह रिश्ते मैं मेरे भाई थे ? पर क्या मैं उनको सिर्फ एक मर्द की दॄष्टि से नहीं देख सकती हूँ. कुछ पल हसीन और रंगीन बिताने से क्या कोई महा प्रलय आ जायेगा. क्या हरिया के सात मुझे मजा नहीं आया था? क्या उसकी गलती यह हैं की वह गरीब था, नौकर आदमी हैं? या सत्तर साल का बुड्ढा? क्या उसको भी ख़ुश रहने का अधिकार नहीं हैं ? कुछ देर हम मदमस्त हो कर एक दूसरे से चपके रहे. चुम्मा चाटी करते रहे. स्वपनील और बंटी फिर से जल्दी से गरम हो गये. दोनोंके लंड फिर से आस्मान छूने लगे. शायद यही फरक था हरिया और स्वपनील-बंटी मैं. हरिया ७० साल का बुजुर्ग था. स्वपनील और बंटी दोनों जवानी के शिखर पर थे. झट से फिर से लंड खड़े हो गये. यही खूबी होती हैं – बुजुर्ग आदमी, परिपक्व आदमी और जवान मर्द , सबकी अपनी अपनी खूबी होती हैं. सब अपनी जगह सही हैं, सबका अपना अलग आनंद हैं. मुझे यह पता चल गया था की सेक्स मैं मर्द की उम्र का कोई असर नहीं होता हैं. आम कैसे भी हो – कच्चा, पका, उसको खाने का तरीका आना चाहिए , फिर कच्चे आम का स्वाद नामक से लो, या पके आम का स्वाद शक्कर या दूध के सात. इसलिए शायद आम फलों का राजा हैं. स्वपनील ने कहा – इस बार मैं चोदूगा संध्या को, बंटी तू भी देख संध्या का कमाल का लण्ड चूसती हैं.मेरे मन और दिमाग की सीमा भी अब ढल चुकी थी. मुझे कुछ गलत नहीं लग रहा था. मुझे अब सब एन्जॉय करना था. बंटी को मेरी चूत बहुत पसंद आ गयी थी. वह फिर से उसे चाटने लगा. मेरी चूत मैं से उसका पानी बाहर बह रहा था . मैंने भी पलटकर उसका काला लंड मेरे मुँह मैं ले लिया . अब हम ६९ की पोजीशन मैं एक दूसरे को चूस रहे थे. इसी बीच स्वपनील ने मेरे पैर उठाकर उसका मोटा लंड मेरी चूत मैं घुसा दिया. मेरी चूत बंटी के पानी से अंदर तक गीली थी. स्वपनील का लंड अंदर तक आसानी से चला गया. यद्यपि स्वपनील का ७ इंच का गुलाबी लंड बंटी के ८ इंच के लंड से थोड़ा छोटा था, पर मोटाई मैं स्वपनील के लंड से ज्यादा था. इसलिए स्वपनील का लण्ड मेरी चूत के अंदर से बहुत ज्यादा रगड़ रहा था.
मैं बंटी के काले लंड को प्यार से चूस रही थी. बंटी के काले लंड का स्वाद स्वपनील के गुलाबी लंड से अलग था. दोनों के लंड के स्वाद की अपनी खुबिया थी, दोनों ले लंड की महक मुझे स्वर्ग का आनंद दे रही थी. बीच में मैं स्वपनील के लंड पर की काली चमड़ी (फोरस्किन) भी चबा देती, चूस देती. फोरस्किन या लंड की चमड़ी, कड़क लोहे जैसे लंड पर इतनी मुलायम और कोमल होती हैं. कड़क लंड को चूसकर, मुलायम चमड़ी को चबाने और चूसने का अपना मजा होता हैं. शायद प्रकृति ने इसलिए ये सर्वानंद का कॉम्बिनेशन दिया हैं – कड़क लंड के सात मुलायम लंड की चमड़ी (फोरस्किन), फूली – कोमल चूत के साथ कड़क चूत का दाणा , मुलायम मम्मे के साथ कड़क निप्पल्स. यही कॉम्बिनेशन सर्वानंद की अनुभूति देती हैं.
मैंने भी प्यार से बंटी का पूरा लंड मुँह मैं लेकर गले तक निगल लिया. वही स्वपनील के लंड पर मेरे और बंटी के पानी से बहुत चिकनाहट महसूस हो रही थी. दोनों जल्दी से झड़ गये. इस दौरान मैं ४ बार झड़ गयी थी. और मेरे दोनों जवान शेर दो-दो बार झड़ गये थे. मैंने उन दोनों के लण्ड के पानी का स्वाद मुँह मैं लेकर चख लिया था. हम सब अब थक गये थे.
मैंने कहा – अब हमें चलना चाहिए, किसी को पता चला की अगर मैं घर पर नहीं हूँ तो फसाद हो जायेगा. बंटी और स्वपनील ने कहा – हाँ मन तो नहीं कर रहा तेरी चूत से जुदा होने का, पर यह भी सच हैं. मैंने कहा – अब तो मेरी पैंटी दे दो? दोनों हंसकर बोले – नहीं, यह तो तेरी तरफ से हमारा गिफ्ट हैं. मैं हंस दी – अरे मेरा वीडियो डिलीट कर देना प्लीज. स्वपनील ने कहा – कोन सा वीडियो ? कैसे वीडियो? तुझे क्या लगता की हम इतने कमीने हैं की तेरा वीडियो लेंगे. वह तो हमने सिर्फ तुझे हरिया के सात देख लिया था. वीडियो की हमने झूठी स्टोरी बना दी. मैंने गुस्से मैं कहा – बड़े कमीने हो तुम दोनों. मुझे कितनी टेंशन आ गयी थी. बंटी ने कहा – क्या करते, तुझे मानाने का यही तरीका था. कल रात को स्वपनील ने तुझे छूने की कोशिश की तो तूने मना कर दिया. पर हाँ..हम सच मैं तेरे सात चुदाई करना चाहते थे. तुझे गलत लगा तो सॉरी. पर प्लीज हमसे गुस्सा मत होना और नाराज भी नहीं. मैंने कहा – नहीं अब मैं नाराज नहीं हूँ. पर आगे से ऐसे झूठ मत बताना. स्वपनील शरारती अंदाज मैं बोला – मतलब अब आगे तू हमें बिना इंकार किये चोदने देगी. मैं हंस दी और कहा – मैं इंकार नहीं करुँगी. अब चलो मुझे घर तक छोड़ दो . मैं चुपके से घर मैं घुसी और दीवाल से लग कर सो गयी. मेरी चूत अभी भी स्वपनील और बंटी के पानी से गीली थी. मैं घोड़े बेचकर सो गयी.
दूसरे दिन शादी थी. बहुत भीड़ ओर शोरगुल था. सुबह में उठकर नहाने गयी.. मैंने देखा, मेरी एक पायल पाँव में नहीं थी. कहा गिर गयी होगी? में सोच रही थी. तभी मेरे ख़याल में आया की कही रात को तबेले में तो नहीं गिर गयी. घर में किसी को बोल भी नहीं सकती थी. नहीं तो राज खुल जाता. मैंने सोचा ढूंढना तो पड़ेगा, नहीं तो बाद में किसी को वहा पायल मिल गयी तो , पूरा भांडा फुट जायेगा. मेरे पास पायल का दूसरा जोड़ था. मैंने वह पेहेन लिया ओर सोचा जब सब शादी में मशगूल होंगे तब ढून्ढ लुंगी. घर में मैंने सब जगह देख लिया था. कही नहीं मिल रही थी. में तैयार हो कर शादी वाले मंडप पर चली गयी.
मैंने के डिज़ाइनर पिंक रंग की साड़ी पहनी थी. सब मुझे देख कर निहार रहे थे. स्वप्निल ओर बंटी दोनों माँ से मजाक कर रहे थे. मुझे देखकर स्वप्निल ने माँ से कहा – मामी आपकी बेटी तो बहुत सुन्दर हैं, में तो मामा की लड़की से ही शादी करूँगा ! ओर सब ठहाके लगा कर हंसने लगे. बंटी ने भी कह दिया – मै सगा भांजा हूँ .. पहला हक मेरा है.. ! स्वप्निल ने कहा – यह क्या तेरे सात गाँव में रहेगी? यह तो मेरे से ही शादी करेगी. बंटी ने भी कह दिया – हां यह मेरे सात गाँव में ही रहेगी. ओर आंख मारते हुए बोला – अब तो इसको दूध निकालना भी आता है. हंसी मजाक हो रहा था. शाम हो रही थी, शादी की रस्मे चल रही थी ओर सब DJ म्यूजिक पर थिरक रहे थे. में भी कुछ देर नाची ओर सोचा क्यों ना तबेले में जाकर पायल ढूंढ लू. सबकी नजर बचा कर मंडप से बाहर आयी. बाहर कोई नहीं था. में धीरे से तबेले का दरवाजा खोल कर अंदर चली गयी. में
वहा पर जिस जगह हम सब – में, बंटी ओर स्वप्निल – तीनो रात को सोये थे, उस जगह चारे के ढेर में पायल ढूंढने लगी. “क्या ढूंढ रही हो बिटिया ” – हरिया की आवाज थी. मैंने हड़बड़ा कर डर कर पीछे देखा. हरिया वैसे ही नंगा – सिर्फ एक लाल रंग की लंगोटी में था. उसका काला – मांसल बदन तेल की वजह से चमक रह था. मैंने कहा – अरे कुछ नहीं हरिया. में जाती हूँ. में मुड़कर बाहर जाने लगी पर हरिया ने बीच आकर मेरा रास्ता रोक लिया. वह मरे बिलकुल पास खड़ा था. उसके बदन से मुझे भैसो की, गोबर की ओर गोमूत्र की बदबू आ रही थी. वह बोला – अरे बताओ बिटिया – डरो मत, क्या ढूंढ रही हो? मैं तेरी मदत कर दूंगा. मैंने उसे अपने से दूर धकेला – दूर हाटों – मुझे तेरी बदबू से उलटी हो जायेगी. पर वह अपनी जगह से बिलकुल नहीं हिला. उसने मेरे दोनों साथ पकड़ कर पीछे एक साथ में जकड लिए, ओर अपने होंठ मेरे ओंठों पर रखकर चूमने लगा. उसके मुँह से गन्दी तम्बाकू की बदबू आ रही थी. मैंने कहा..प्लीज मुझे छोड़ दो हरिया..शादी में सब मेरी राह देख रहे होंगे. हरिया ने कहा – झूटी .. तू यहाँ फिर से मुझसे चुदने आयी ना? ओर उसने मेरे बैकलेस चोली की गांठ खोल दी, जिस से मेरी चोली खुल कर सामने से नीचे गिर गयी ओर मेरे बूब्स एकदम हरिया के मुँह के नीचे थे.
मैंने झट कहा – कमीने मुझे जाने दे. में यहाँ अपनी पर्स ढूंढने आयी जो कल यहाँ गिर गयी थी. हरिया ने कहा – तेरी पर्स मेरे पास हैं. में हक्काबक्का राह गयी. अब यह क्या है? तुझे चाहिए तेरी पर्स? मैंने कहा – हा . हरिया ने एक साथ से मेरे दोनों साथ पकडे थे.. अपने दूसरे हातों से उसने अपना लंगोट खींच के फेक दिया. मैंने शर्मा कर दूसरी तरफ मुँह फेर लिया. उसने कहा – यह ले तेरी पर्स..ले ले अपने हातों से. मैंने कहा मुझे छोडो, वहा कोई पर्स नहीं, मुझे नहीं देखना तेरा काला भद्दा सांड का लण्ड. तुम्हे ऐसे नंगा होने में शर्म नहीं आयी. हरिया ने मुझे एक चपट लगा दी – सटाक.. कहा – कमीनी कल तो ख़ुशी से चुद रही थी मेरे लण्ड से. आज तुझे यह लण्ड भद्दा लग रह है . तूने कब देखा सांड का लण्ड. अभी समजा, की तू यहां सांड का लण्ड देखने आती है. अगली बार आएगी तुझे सांड के लण्ड से भी चुदवा दूंगा. देख तो, सच में तेरा पर्स यहाँ है..उसने मेरा जबड़ा पकड़कर मेरा चेहरा नीचे उसके लण्ड की तरफ कर दिया. मैंने उसके लण्ड को देखा, .मैं अवाक राह गयी.. यह क्या.. मेरी पायल उसके लण्ड ओर टट्टे पर बंधी थी. में पसीना पसीना हो गयी. हरिया ने कहा – बिटिया . यही ढूंढने आयी थी ना. ले ले अपने हातों से खोलकर. मेरे पास ओर कोई रास्ता नहीं था. मैं अपने दोनों हाथों से मेरी पायल खोलने लगी, पर पता नहीं हरिया ने बहुत अजीब ढंग से बाँधी थी, खोल नहीं पा रही थी. में उसको निकलने वही उसके पैरो के पास घुटने पर नीचे बैठ गयी. मेरे होतों के मुलायम स्पर्श से हरिया का लण्ड पूरा खड़ा होकर तन गया था. इससे मुझे पायल निकालने में दिक्कत हो रही था. हरिया का लण्ड फनफना रह था ओर मेरे गाल ओर होंठ से लग रह था. हरिया ने मेरा सर पकड़ा ओर अपना लण्ड मेरे मुँह में डाल दिया. उसका सिर्फ आधा लण्ड मेरे मुँह में गया था. मैं बुरी तरह से फंसी थी. मुझे पायल भी लेनी थी, जल्दी मंडप पर भी जाना था, ओर दिल में हरिया का लण्ड से मजे लेने का भी मन कर रह था. मैंने सोचा की अच्छी से अगर हरिया का पूरा लण्ड निगल कर इसको चुसू तो जल्दी से हरिया का लण्ड झड़ जायेगा ओर में फ्री हो जाउंगी. मैंने भी मुँह ऊपर कर के धीरे से – हरिया का काला – १० इंच का लण्ड पूरा गले तक निगल लिया ओर उसके काले सुपडे को चूसने लगी. उसके मूत्र छेद को जीभ डाल कर चाटने लगी ओर जोर से चूसने लगी. हरिया बोला – वाह बिटिया – ऐसे तो तू जल्दी तेरा पर्स ले लेगी. अब मेरी चोली साइड में गिर गयी थी..में सिर्फ साडी में टॉपलेस थी ओर हरिया ला लण्ड पकड़कर पूरा ऊपर से नीचे मुँह में अंदर बाहर कर के चूस रही थी.
मैंने हरिया के दोनों बड़े बड़े गेंद जैसे अण्डे अपने दोनों हातों में ले लिए ओर प्यार से सहलाने लगी ओर मसलने लगी. इससे हरिया का लण्ड ओर भी ज्यादा फनफनाने लगा. उसने मुझे नीचे घास पर धकेल कर सुला दिया. एक झटके में मेरी साडी ऊपर कर दी ओर मेरी पैंटी खींच कर निकाल दी. अब हरिया को मेरी चूत दिख रही थी. उसने बिना कुछ कहे .. अपने लण्ड का सूपड़ा मेरी चूत पर रख कर जोर से झटका दे दिया. मेरी चूत पहले से बहुत गीली थी. बड़े प्यार से खुलकर उसने हरिया के लण्ड का स्वागत अपने अंदर किया. हरिया अब जोर जोर ऊपर नीचे से धक्के देने लगा. वह अपने चरम सीमा पर था. उसने मेरे दोनों आम आपने हातों में ले लिये ओर जोर होर से चूसने लगा. मेरी चूत भी जवाब दे गयी..आह..आह.. कर के गंगा-जमुना बहाने लगी.. कुछ देर हरिया मेरी चूत के अंदर उसका लण्ड डाल कर रुक गया. .जब तक मेरी कम्पन शांत नहीं हुई तब तक. उसने फिर धीरे धीरे अपने लण्ड को धक्के मारना चालू कर दिया. अब मेरी चूत के पानी ने उसके मोटे काले लम्बे लण्ड का रास्ता ओर भी आसान कर दिया था. हरिया ने अब उसकी जीभ मेरे मुँह के अंदर घुसेड़ दी.. बोला -चूस रंडी ..मेरी जीभ को लण्ड की तरह चूस. उसकी जीभ सच में बहुत लम्बी ओर मोटी थी. मुँह में अंदर गले तक जाती थी. में भी हरिया के जीभ को लण्ड की तरह चूसने लगी. बहुत मजा आ रह था. ऐसे लग रह था की में एक लण्ड मुँह से चूस रही हूँ ओर दूसरा लण्ड अपनी चूत में ले रही हूँ. दो लण्ड का मजा में पिछले रात – बंटी ओर स्वप्निल के लण्ड से खेलकर ले चुकी थी. मुझे फिर से वाह सुनहरे पल याद आ गये ओर बंटी ओर स्वप्निल के जवान नंगे बदन मेरी आँखों के सामने नाचने लगे.
हरिया – बिटिया कितनी कसी हुई चूत हैं तेरी. ऐसे लगता हैं कंवारी चूत है. मैंने भी अपने चूत से हरिया के लण्ड को जोर को जकड लिया , जिससे वह आह..आह…करके मेरी चूत में झटके देने लगा. मेरे चूत में हरिया का गरम गरम पानी अंदर तक चला गया. ८-१० झटके , हर झटके के सात हरिया का लण्ड मेरी प्यासी चूत को अपना गरम पानी पिलाता. में भी जोर से एक बार फिर कसकर झड़ गयी. मैंने जोर से हरिया की गांड अपने हातों से पकड़कर अपनी चूत के तरफ दबा दी. मेरे नाख़ून हरिया के गांड को छील दिये. हरिया के लण्ड के सुपडे ने पूरा मेरे चूत के अंदर घुसकर मेरे बच्चेदाणी का द्वार खोला ओर अपना गरम पानी पीला दिया.
Aaj bhabhi ko lene me bada maja aya!
Nice story