मैंने अब उत्तेजना मैं अपने हातों से उसके बाल पकड़ लिए और उसको खींच कर फिर से उसके लिप्स चूसने लगी .. मेरी इस हरकत से वह गरम हो गया और जोर से धक्के मारने लगा .. अब वह उसका पूरा लण्ड बाहर निकाल कर फिर से पूरा अंदर घुसेड़ देता . वह अपने फौलादी लण्ड से बड़े और फुल स्ट्रोक मार कर मेरी चूत पेल रहा था . मैं इससे और भी उत्तेजित हो गयी.. मैं उसकी छाती को किस करने लगी और जोर से उसके निप्पल्स और छाती को चूसने लगी … वह और भी कामुक हो गया ..गालिया देने लगा .. ले रानी पूरा लण्ड ले ले .. आज तेरी चूत मैं अपना पानी डाल दूंगा .. बोल तैयार हो ? मैंने कहा हाँ मैं पूरी तैयार हूँ .. हरीश बोलै .. मेरे बच्चे की माँ बन जाएगी … मैंने कहा हाँ .. तेरे १५ – २० बच्चों की माँ बन जाऊंगी .. वह अब हाफ रहा था .. करीब एक घंटे से मुझे चोद रहा था .. मैं एक बार झाड़ गयी थी और अब दूर बार झड़ने को तैयार थी .. मैं उसकी छाती को चाट रही थी..मैंने उसके निप्पल्स को जोर से चूसा और अपने दातों से काट लिया .. वह जोर से चिल्लाया .. कामिनी .. ले ले ..पूरा पानी पी ले ..और जोर से मेरी चूत में उसके लंड ने कई झटके देकर पानी की फंवारें छोड़ दिया .. आह .. आह कर के मैं गिनती रही..हर एक झटके से उसके लण्ड का गरम लावा मेरे चूत मैं जाता रहा .. हरीश क़े मोटे लम्बे जहरीले नाग ने अपना जहर मेरी चूत मैं उगल दिया था इसी वक्त मेरी चूत भी फिर से झड़ गयी थी और जोरदार पानी छोड गयी थी ..हरीश मदमस्त होकर मेरे ऊपर लेट गया ..उसने अभी अपना लण्ड बाहर नहीं निकाला था .. मैं भी शांत हो कर उसको कस के पकड़कर उसके बालों पर साथ फेर रही थी . उसका गरम वीर्य मेरी चूत को अंदर तक सेंक रहा था . थोड़ी देर तक हम वैसे ही एक दूसरे की बाँहों मैं नंगे पड़े रहे, हरीश का लंड भी सिकुड़ कर मेरी चूत से बाहर आ गया था .. हरीश ने मेरा चेहरा अपने दोनों हातों मैं ले लिया..मेरे सर पर पप्पी ली… और कहा . आई लव यू बेबी .. मैंने भी उसको हलके से किस कर लिया और बोला – आई लव यू टू. फिर वह मेरे ऊपर से उठकर बाजु मैं लेट गया ..मैं भी उसके बाँहों मैं अपना सर रख कर सो गयी .
दोस्तों इस तरह आखिर में तीन महीनों के इंतजार का बाद हम एक हो गये थे ..हमारा मिलन हो गया था . हमारे बीच का सम्भोग सिर्फ कामुक ही नहीं सवेदनशील भी था .. उसमे प्यार भी था .. जो कोई अपेक्षा नहीं रखता था .
हम दोनों पसीने से लथपथ थे . जब आँख खुली तब देखा की हरीश अभी भी सोया था . मेरा सर उसके छाती पर था और एक हाथ उसके नाभि पर . मैं सोचने लग गयी – हरीश एक चैंपियन स्पोर्टमैन था . उसको खेलने में मजा आता और मुकाबले मैं अगर मजबूत प्रतिद्वंदी हो तो खेल का मजा और भी ज्यादा आता हैं . मुझे हरीश के लिए सेक्स में एक मजबूत खिलाडी बनना पड़ेगा, जिससे उसका मजा और रूचि टिकी रहे और बढ़ती रहे, मेरी चूत से अभी भी हरीश का वीर्य और मेरा पानी का मिश्रण बहा रहा था .. बेडशीट पर बहुत बड़ा गीले पानी का दाग पड़ गया था – जो चिपचिपा और सूखने लगा था. .
हरीश का लण्ड अब सो रहा था फिर भी ५-६ इंच लम्बा और मोटा था. अजीब बात थी की उसके लण्ड की चमड़ी (foreskin ) उसके सुपडे को पूरा ढक कर आगे आधा एक इंच ढीली निकल आती थी . मेरा साथ उसके पेट पर से उसके लण्ड पर चला गया और मैं उसकी ढीली चमड़ी से खेलने लगी . मैं उसके लण्ड की चमड़ी को अपने उँगलियों मैं दबाती, घुमाती, मसल देती. उसके चमड़ी को आगे पीछे कर के उसके लण्ड के सुपडे को बाहर निकलती और फिर से उसे ढक देती. कितनी मुलायम और लचीली चमड़ी दी.. उसके कठोर और कड़क लण्ड पर . यही चमड़ी उसके लण्ड का साथ देती जब वह चूत से रगड़ कर घिस जाती और सब से ज्यादा घिस कर यही चमड़ी उसके लण्ड को भी और मेरी चूत को भी सब से ज्यादा मजा देती . मैं बड़ी प्यार से उसके चमड़ी के सात खेल रही थी और देखते ही देखते हरीश का लण्ड फिर से तैयार हो कर पूरी सलामी ठोक रहा था . हरीश उठ गया था और मेरे बालों पर से हाथ फेर रहा था .. मेरा गजरा आधा बिखर गया था – कुछ फूल टूट गए थे , कुछ फूल मसल गए थे पर उसकी सुगंध और भी ज्यादा बढ़ गयी थी . हरीश उन मसले फूलों की खुश्बू ले रहा था और उनको अपने चहरे पर मसल रहा था .
हरीश बोलै – मेरी जान क्या कर रही हो , मैंने कहा – छोटे हरीश से खेल रही हु .. वह हंस कर पूछा – अच्छा रानी मुझे बता – तुझे मेरा लण्ड पसंद. मैंने कहा – हां बहुत पसंद हैं .. फिर हरीश ने कहा – बताओ तो – कोन ज्यादा पसंद हैं – मैं या यह छोटा हरीश .. मैंने भी उसको छेड़कर कहा दिया – मुझे तो छोटा हरीश सबसे ज्यादा पसंद है .. हरीश ख़ुशी से चहक उठा और मुझे चूमने लगा .. उसने मेरे दोनों बूब्स हातों में लिए .. रानी इतने प्यारे आम हैं..और वह उन्हें चूसने और चाटने लगा .. मेरे एक निप्पल्स को उसने मुँह मैं ले लिया और अपनी जीभ से रगड़ने लगा .. मेरे दोनों बूब्स को चाट चाट कर उसने अपनी थूक से पूरा गिला कर दिया … फिर वह उठा .. मेरे छाती के दोनों बाजु अपने घुटने रख दिए ..उसने मेरे दोनों बूब्स एक सात पकड़ लिए और जोड़ दीये .. और दोनों बूब्स की दरार मैं अपने लोहे जैसे कड़क लण्ड को घुसेड़ कर मेरी बूब्स पर अपने लण्ड को रगड़ने लगा . मेरे लिए यह बहुत नया था पर अच्छा लग रहा था . मेरे बूब्स पर लण्ड रगड़ने से मैं गरम हो रही थी .. और हरीश के लण्ड का टोपा मुझे साफ़ दिखाई दे रहा था .. हरीश ने कहा – रानी मेरे लंड के टोपे को अपने जीभ से चाटो . और मैंने अपनी जीभ बाहर निकाल दी .. जैसे हरीश आगे धक्के मरता वैसे मेरी जीभ उसके लंड के सुपडे पर रगड़ जाती.. और जब वह पीछे होता .. उसका सूपड़ा मेरे बूब्स को रगड़ देता . हरीश बहुत उत्तेजित हो गया .. कहा – वाह रानी तेरे मम्मे एकदम मुलायम हैं .. माखन की तरह .. इनको फेट-फेट-कर पूरा घी निकल दू .. मैंने कहा – हाँ मेरे राजा – निकल दे घी ..पीला दे मुझे तेरा घी.. मैंने भी हरीश के गांड अपने दोनों हाथों से पकड़ राखी थी और उसके धक्के के साथ आगे पीछे कर रही थी .. तभी मैंने मेरा सर ऊपर उठाया और उसके लण्ड का टोपा मुँह मैं ले लिया – हरीश मदहोश हो गया – आह रानी .. क्या मस्त लण्ड चूसती हैं तू .. वह और जोर जोर से मेरे मम्मे अपने गरम लण्ड से रगड़ने लगा. मैं भी हर धक्के के सात उसके लण्ड को मुँह मैं ले लेती . हरीश बहुत देर तक मेरे मम्मे चोदते रहा .. मुझे अब एक अच्छे प्रतिद्वंदी के तरह अलग पैतरा आजमा कर उसको चरम सीमा तक ले जाना था .. नहीं तो खेल ख़तम नहीं होगा और वह ऐसे ही घंटो तक मेरी मम्मे को चोदते रहेगा . मैंने धीरे से अपने मम्मे पर से उसके हाथ हटा दीये और उसकी आंखों मैं नजरें मिला कर उसका मोटा लण्ड पूरा मुँह मैं ले लिया . हरीश को मेरा यह दाव अपेक्षित नहीं था .. मेरे गले मैं उसका लण्ड फास गया और मैं प्यार से उसको चूसने लगी .. वह ख़ुशी से आवेश मैं आकर अपना लण्ड पूरा बाहर निकालता और फिर से अंदर मेरे गले तक घुसेड़ देता . अअअअअ आह .. कर के उसके लण्ड ने बड़ा झटका लगाया और कई झटकों के सात मेरे मुँह मैं एक के बाद एक अपने गाढ़े वीर्य का फंवारा छोड़ दिया .. मैं भी उसका गाढ़ा वीर्य चूसते रही..और गटक गयी .. मैंने उसके लण्ड को तब तक मुँह से बाहर नहीं निकाला – जब तक आखरी बूँद नहीं पी ली .
हरीश ने अपना लण्ड मेरी मुँह से बाहर निकाला और अब उसने पीछे हो कर मेरी टांगे फैला दी और..अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया . हरीश एक अच्छा खिलाडी था .. जानता था की उसको मुझे भी परस्त करना है .. मेरी चिकनी चूत को आजु बाजू सब तरह से चाट रहा था .. फिर उसने मेरे चूत के लिप्स पर अपने ओंठो के लिप्स रख दीये और पूरी चूत चूसने लगा .. मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था और मेरी चूत ख़ुशी के मारे गरम हो कर गीली हो रही थी .. फिर हरीश ने अपनी जीभ से मेरे दाणे को चाट कर मुँह मैं ले लिया .. मेरा दाणा भी फूलकर कड़क हो गया था .. हरीश बोलै – आह मेरी जान .. तेरी कोमल चूत पर यह दाणा किसी छोटे से एक सेंटीमीटर के लण्ड जैसे दिख रहा हैं ..ऐसे लग रहा मैं एक छोटूसा लण्ड चूस रहा हूँ – हरीश प्यार से मेरा कड़क मोटा दाना चूसने लगा .. मैं कसमसा गयी.. मेरी चूत मैं आग लग गयी थी .. मैंने कहा – हरीश प्लीज छोड़ दो .. पर वह और जोर से मेरे दाणे को चूसने लगा और अपने दोनों हातों से मेरी गांड दबाने लगा .अब उसकी उंगलिया मेरे गांड की छेद से खेल रही थी .. मेरे सब्र का बांध टूटने वाला था .. तभी हरीश ने मेरे दाणे को हलके से अपने दातों से चबा दिया .. और उसकी एक ऊँगली मेरी गांड मैं हलके से डाल दी.. मैं हाई .. आआह्ह आह्हः .. करके उसके सर को अपने चूत पर जोर से दबा दी और..मेरे चूत झड़ने से पानी की गंगा बहने लगी .. हरीश वैसे ही मेरी चूत को चाट चाट कर सब पानी पीते रहे .. वाह रानी ये तो स्वर्ग का अमृत हैं..इतना मीठा शहद .. मेरी चूत का सारा पानी चाट कर वह मेरे बाजु लेट गया और मुझे अपनी बाँहों मैं कस कर पकड़ लिया .. हम एक दूसरे से लिपट गए और प्यार से एक दूसरे को चूमने लगे ..
अब शाम हो गयी थी .. हमें भोउक भी लगी थी और खाना भी खाना था .. हरीश ने पूछा – जानम खाने के सात थोड़ी बियर पियोगी .. थकान चली जाएगी .. मैंने कहा सिर्फ थोड़ी से मंगा लो – काल तुम्हारा खेल का कम्पटीशन भी हैं ..
हरीश ने फ़ोन पर ही खाना आर्डर किया और २ ठंडी बियर भी मंगवा ली ..हम बाथरूम में जाकर फ्रेश होने के लिए नहाने लगे .बाथरूम बहुत छोटा था , मुश्किल से हम दोनों शावर के नीचे खड़े हो गए चिपक कर .. एक दूसरे को साबुन लगाने लगे .. हरीश ने कहा – रानी तुम्हारे गोरे शरीर पर तो मेरे दातों के और चूसने से बहुत लाल लाल निशान पड़ गए .. और वह मुझे एक – एक निशान दिखाने लगा .. जैसे की उसने अपना निशान मुझ पर लगा कर मुझे उसका बना दिया था. मेरी चूत भी लाल हो कर सूज गयी थी .. मैंने देखा की हरीश के गर्दन , छाती पर भी वैसे निशान थे .. और उसके पीठ और गांड पर मेरे नाख़ून के खरोंच थी..हम दोनों हंस दीये – बराबर की टक्कर वाले खिलाडी हैं .हम बाथरूम से बाहर आकार एक दूसरे को टॉवल से सुखाने लगे .. तभी दरवाजे पर बेल बजी .. मैं जल्दी से अपने कपडे लेने भागी .. तभी हरीश ने मुझे पेट से पकड़ लिया – नहीं रानी कपडे नहीं . मैं चौंक गयी .. हरीश प्लीज रूम सर्विस बॉय हमें नंगा नहीं देख सकता .. हरीश बोलै नहीं रानी -हम दोनों ने यह फैसला किया था की रूम मैं पूरा टाइम नंगा रहेंगे . अब हम हमारा फैंसला नहीं तोड़ सकते ..
मैं हरीश की तरफ देखने लगी .. वह बड़ी शरारती और कमीने अंदाज में मेरे दोनों हातों को अपने हातों मैं पकड़कर मुस्करा रहा था ..
मैंने डरते हुए दरवाजे key – hole से देखा, हरीश बाहर हाफ्ते हुए खड़ा था. मैंने दरवाजा खोला, रूम की बत्ती ऑफ ही थी, अच्छा था, मैं अँधेरे मैं सब छुपाना चाहती थी. हरीश अंदर आ गया, वह पसीने से लटपट पूरा भीगा था . मैंने दरवाजा फिर से ठीक से बंद कर दिया, मैं पीछे जाकर हरीश को लिपट गयी. उसकी छाती को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर कहा – हरीश आई ऍम सॉरी , मैं तुज़से बहुत प्यार करती हूँ . हरीश ने मुझे खींच कर अपनी बाँहों मैं भर लिया मैं उसको लिपट कर जोर से रोने लगी. वह मुझे शांत करने लगा, बोला – मैं भी तुम से बहुत प्यार करता हूँ संध्या , प्लीज चुप हो जावो , गलती मेरी हैं . और मेरी आंखें पोंछने लगा और चुप कराने लगा. मैंने उससे कहा, जल्दी सो जाते हैं हरीश, कल सुबह हमें कम्पटीशन के लिए जाना हैं. मैं बिस्तर पर लेट गयी, हरीश ने अपने सरे कपडे उतर दिए , और पूरा नंगा होकर मेरी बाजू लेट गया. मैं उसके बाँहों मैं चली गयी और सो गयी.
दूसरे दिन हम जल्दी सुबह सात बजे उठे, और तैयार हो कर ९ बजे कम्पटीशन के जगह चले गए. हरीश ने ३ इवेंट्स की रेस मैं भाग लिया था – २०० M , 400m , 800m , और तीनो रेस में वह जीत गया और गोल्ड मेडल जित लिया . हर रेस के जीतने के बाद वह दौड़ कर मेरी तरफ आता , मुझे प्यार से पकड़कर ऊपर उठाता और चुम लेता . सब खिलाडी उसे जल भूनकर देखते , उसके लिए मैं एक बड़ी ट्रॉफी थी.
जब हम वापिस होटल आये, नदीम वही रेसप्शन पर बैठा था . वह मुझे घर घर का गन्दी वासना भरी नजरों से बलात्कार कर रहा था. मैं हरीश के पीछे छुप गयी. हम रiत भर वहा रहकर दूसरे दिन सुबह जाना था.
मुझे बार बार रात की घटना याद आ रही थी , दुखी कर रही थी, और खुद पर गुस्सा भी आ रहा था. मैंने दरवाजा क्यों खुला रखा ? मैंने नदीम को हरीश कैसे समाज लिया ? सब मेरी गलती थी .. मेरे आँखों से अभी भी आंसू आ रहे थे..हरीश ने कहा – जानू आई ऍम सॉरी ..मुझे पता नहीं था कल की बात का तुम्हे इतना बुरा लगेगा . मैंने उससे कहा – अब में तुमसे बिल्कुन नाराज नहीं हूँ, बस ऐसे ही .. लाइट मत जलाओ , बस ऐसे अँधेरे मैं तुम मेरे पास आ जाओ . हरीश मुझे पास पकड़कर, चूमने लगा , मेरे कपडे निकालने लगा , बहुत जल्दी हम दोनों नंगे थे , हमने तब से लेकर रात भर बहुत प्यार किया. हरीश ने कम से कम मुझे ४-५ बार चोद ही डाला था, मैं भी अपने गुस्से में उससे चुदते चली गयी. हरीश की प्यार और काम क्रीड़ा की प्रहार से खुद का गुस्सा शांत कर रही थी. बेखबर हरीश खुश था, में उसको पूरा सात दे रही थी.
दोस्तों जब कभी किसी लड़की पर जबरदस्ती होती हैं तब उसके मन और आत्मा पर भारी आघात होता हैं और दर्द के घाव जिंदगी भर की लिए उमट जातें हैं. मुझे बार बार नदीम का गन्दा, भद्दा चेहरा और नंगा बदन और उसका हिंसक रूप आँखों के सामने दिखाई देता . आगे की जिंदगी में , मैं बहुत ज्यादा मजबूत हो गयी. बाहर की दुनिया से बची रही, पर फिर से ऐसी घटना होने से रोक नहीं पायी. आगे मेरे सात मेरी जिंदगी ने फिर से दो बार ऐसे खेल खेला और खेल खेलने वाले बाहर के नहीं बल्कि घर की चार दीवारी में रहने वाले मर्द थे . यह कैसे हुआ , क्यों हुआ, कब हुआ, सब बाद में घटना क्रम के हिसब से बताउंगी .
दूसरे दिन हम फिर से कॉलेज , हँसते, खेलते , छेड़-छाड़ करते बाइक से वापस आ गए. पर मेरा मन अभी भी शांत नहीं था. में २ दिन कॉलेज गयी , हरीश से मिलती , पर शाम को उसको मिलने नहीं गयी. तबियत ठीक नहीं का बहाना बनाया .
इस एक घटना ने मेरी जिंदगी हिला कर रख दी. दुनिया में नदीम जैसे शैतान हर नुक्कड़ पर मौके का फ़ायदा उठाने तैयार खड़े रहते हैं. मैं अब उस दिन से हरीश की मिलने जाती, पर गार्डन में अकेले जाने से मना करती. कोई सेफ जगह हो तो ही हम जाते थे और एक दूसरे से खूब प्यार करते. मेरी रूम पार्टनर अनीता ने बहुत पूछने की कोशिश की – क्या हुआ, हरीश के सात सेक्स हुआ क्या? कैसे रहा एक्सपीरियंस, पर मैं हंस कर उसे कुछ नहीं बताती और टाल देती थी. मैंने देखा की राजवीर और अनीता कुछ ज्यादा ही करीब आ गए थे और सात – सात बैठा करते. कॉलेज मैं यह भी अफवाह फ़ैल गयी की उनका भी अफेयर चल रहा.
एक दिन राजवीर और मैं लेबोरेटरी मैं प्रैक्टिकल कर रहे थे. राजवीर मेरा पार्टनर था, हम ऐसे ही हमेशा की तरह हंसी मजाक कर रहे थे.. राजवीर ने हँसते हुए कहा – संध्या मेरे सात भी कही बाहर चलो..मजे करेंगे . मैंने गुस्से मैं कहा – चुप , थप्पड़ पड़ेगी तुझे एकदिन. वो बोला – क्या यार , मैं तुमपर इतना मरता हूँ..तू ध्यान भी नहीं देती. मैंने कहा – तू तो अनीता के सात हैं. उसने कहा – मैं उसके सात हूँ क्यूंकि तू उसकी रूम पार्टनर हैं. खैर मैंने बात टाल दी .
फर्स्ट ईयर की एग्जाम के बाद, सर्दियों की छुट्टीयो में , मैं मुंबई आ गयी . हमें बुआ की लड़की वर्षा के शादी मैं जाना था . मम्मी – पापा को तो जाना जरुरी था – लड़की के मामा – मामी जो थे. शादी गांव मैं थी. हम लोग २ दिन पहले ही बुआ के घर पहुँच गए. मैं वर्षा को देखकर एकदम खुश हो गयी..वह भी मेरा ही इंतजार कर रही थी. तभी पीछे से अकार किसी ने मेरे आँखों पर साथ रखकर मेरी ऑंखें बंद कर दी और जोर से उसकी और खींच कर – अलग तोते की आवाज निकाल कर पूछा – पहचानो कोण हैं? मैं थोड़ा पीछे की तरफ फिसल कर उसके शरीर पर गिर गयी. एकदम मजबूत , छाती और हाथ लग रहे थे.. कोई भारदस्त मर्द.. सब हंस रहे थे .. मैं सोचने लगी कोण हैं.. मैंने एक दो नाम बताये पर सब गलत थे . उसने फिर से आवाज बदल कर शैतानी अंदाज मैं कहा – हार मान लो.. जो कहूंगा वो करना पड़ेगा ? .. बुआ बोली – अब छोड़ उसे..शैतान..मेरी भांजी इतने दिन बाद आयी. तंग मत कर उसे. मेरी आँखें खुल गयी..मैंने पलटकर देखा.. चेहरे पर तेज, शैतानी अंदाज, स्लीवलेस बनियान मैं कसी गठीली बॉडी और टाइट शॉर्ट्स – एकदम सेक्सी गांव का नौजवान मेरे बुआ का लड़का बंटी था. २ सालों मैं वह कितना बदल गया था. वह मुज़से २ साल बड़ा था . मैंने कहा – बंटी तुम.. और झूठा झूठा अपने दोनों हाथों की मुट्ठी से उसके छाती पर मारने लगी. सब हंस रहे थे.. उसने फिर से मुझे चिढ़ाकर बोला – अरे क्यों मुझे मार रही, देखो मुज़से पंगा मत लो..तुमने काबुल किया हैं मैं जो मागूंगा वह तुम दोगी. मैंने भी जीभ बाहर निकाल कर उसे चिढ़ाकर ठेंगा दिखा दिया. उस दिन बहुत सारे रिश्तेदार भी आ गए. शाम को मेहँदी थी – एक बड़े हॉल मैं . हम सब चचेरे, ममेरे, फुफेरे, मौसेरे भाई – बहन बहुत हंसी मजाक कर रहे थे .. हम सब बहुत दिन के बाद ऐसे फॅमिली फंक्शन मैं एकसात मिल रहे थे. हम सब ने वही हॉल मैं एक सात सोने का फैंसला किया. बातें भी होंगी और एक दूसरे के सात टाइम भी स्पेंड करेंगे. तभी मेरी आँखें स्वप्निल से टकरा गयी . स्वप्निल मेरी बुआ का भतीजा था – उनके बड़े जेठ का बेटा. वह मुज़से बहुत फ़्लर्ट कर रहा था – मामा की बेटी – के रिश्ते से और शैतानी भी कर रहा था. उसकी नज़रों से साफ़ उसकी नियत का पता चल रहा था, स्वप्निल शहर से था और MBA कर रहा था, ६ फ़ीट हाइट, जिम बॉडी ,और आकर्षक पर्सनालिटी थी. उसने एक दो बार मजाक में मेरा साथ पकड़कर भी मरोड़ दिया था. रात को बहुत ठंडी थी, हमने बहुत भारी भारी रजाई और ब्लैंकेट लिए थे.
कुछ देर बाद हम सब सोने लग गए थे , सब लड़के बाहर चले गए थे..शायद पीने का कुछ प्रोग्राम था. मैंने सलवार कुर्ता पहना था और एक मोटी रजाई लेकर मैं वहां अपनी चचेरी बहन सुमन दीदी के बाजू सो गयी. थक गयी थी, जल्दी नींद आ गयी. बीच रात मैं मेरी ऑंखें खुली. मुझे अपने पैरों पर कुछ स्पर्श महसूस हुआ. मैंने ऑंखें बंद रखी थी. मेरे दूसरी तरफ कोई रजाई ओढ़कर सोया था .. उसके साथ मेरी रजाई के अंदर आकर ..मेरे पैरों पर घूम रहे थे. कोण था पता नहीं – पर साथ किसी मर्द का था. मैं डर के मारी चुप रही – कही सुमन दीदी या बाकि घर वाले जग न जाये. धीरे धीरे उसके साथ मेरे घुटने से जांघों पर आये और मेरी जंघा सहलाने लगा. ठंडी के दिन, उसपर उसका गरम साथ.. मुझे उत्तेजित करने लगे थे .. और मेरी चूत गीली हो रही थी. उसका साथ धीरे धीरे अब मेरी चूत की तरफ बढ़ रहा था . कोन है ये ? स्वप्निल या बंटी ? उसने सलवार के ऊपर से मेरी चूत पर हाथ फेर कर प्यार से सहलाने लगा. मेरी पैंटी और सलवार अब मेरी चूत के पानी से गीली हो गयी थी. मुज़मे एकदम हिम्मत आयी..मैंने उसका साथ जोर से पकड़ कर हटा दिया. वह शायद डर गया होगा – और अँधेरे में उठकर कमरे की दूसरी बाजू – जहाँ सब लड़के सोये थे – वहां चला गया.
दूसरे दिन सुबह उठकर चाय -नाश्ता ले रहे थे, तभी बुआ ने कहा – बंटी जाओ – तबेले से दूध ले कर आओ .. आज मेहमान ज्यादा हैं. बुआ का अपना भैंसो का बड़ा तबेला था – १५ – २० गाय और भैंसे थी. बहुत बड़ा खेत भी था. मैंने कहा – बुआ मैं भी जाउंगी.. मुझे भी गाय और भैंसे दखनी हैं. मैं झट से बंटी के सात चली गयी. बंटी ने एक बड़ी स्टील की बाल्टी ली और उसमे एक लोटा पानी और एक चम्मच तेल डाल दिया . जाते जाते मैंने बंटी से कहा – आपने यह पानी और तेल क्यों लिया ? बंटी ने कहा – दूध निकालना है न काम आएगा – अभी i तुम खुद देख लेना. जैसे हम तबेले गए .. वहां हरिया – बुआ का ७० साल का बुड्ढा नौकर एक कच्छी मैं था..और भैंसों का पानी से नहला रहा था. उसका पूरा बदन काला और तेल से चमक रहा था. मुझे देखकर बोला – आज संध्या बिटिया भी आ गयी ? बंटी ने कहा – हाँ हरिया चाचा, संध्या को देखना हैं की दूध कैसे निकलते . हरिया ने कहा – तू ही बता दे बंटी , और वह उनकी भैंसों को एक साथ से पानी की रबर की नली से पानी डाल कर और दूसरे हातों से भैंसों को साबुन से रगड़ का नहलाने लगे. बड़ा अजीब नजारा था – भैंसो का तेल और पानी लगा कर चिकना नहलाना – और हरिया सिर्फ गीली कच्छी मैं था.. बहुत बार उसकी कच्छी भी भैंसे की शरीर से रगड़ जाती और वहां अब एक बड़ा तम्बू बन गया था. मैं जानती थी उनका बूढ़ा लण्ड खड़ा हो गया था.बंटी वही पास मैं एक धुली हुई जर्सी गाय के पास बाल्टी ले कर बैठ गया. मैं भी उसके पास जाकर देखने लगी. उसने बाल्टी से पानी और तेल का मिश्रण गाय की स्तन पर लगा कर गीले कर दिए . वह अपने दोनों हातों से गाय की स्तन को मसलने लगा. ऐसा करते वक़्त उसने मेरी तरफ देखा और आँख मार दी – मैं शर्मा गयी. वह बोला – ऐसे करने से गाय गरम हो जाती और दूध निकालना आसान हो जाता. मुझे लग रहा था की मैं कितनी मुर्ख हूँ, बंटी से कैसे कैसे सवाल कर दिये थे. बंटी अब अपने दोनों पैरों पर बैठ गया था और एक – एक स्तन को नीचे खींचकर मसल रहा था. मैं पास जा कर देखने लगी – मैंने कहा – बंटी दूध तो नहीं आ रहा. उसने कहा रुको जरा – इतना आसान नहीं हैं – फिर उसने एक स्तन को जोर से नीचे खिंचा – उससे एक जोरदार धार निकली – जो मेरे मुँह पर और छाती पर आ गिरी. मैं एकदम हड़बड़ा गयी – और गीली होने से बचने पीछे हो गयी तो नीचे जोर से बैठ गयी. हम दोनों बहुत हंसने लगे. यह क्या बंटी .. ऐसे करते हैं? देखो मैं दूध से गीली हो गयी, अब कपड़ों पर निशान आ जायेंगे.. बंटी ने कहा – पास आओ मैं सारा दूध चाट कर साफ़ कर देता हूँ. मैंने उसके गाल को हल्का प्यार से थप्पड़ मार दिया – चुप – कमीने. हरिया यह सब देख रहा था – उसके कच्ची अब डबल साइज की हो गयी थी. हरिया ने कहा – बबुआ – संध्या को भी सीखा दे दूध निकालना. उनके इस डबल मतलब के बातों से मैं शर्मा गयी. मैंने कहा – नहीं , मैंने नहीं सीखना , गाय लात मारेगी, मुझे डर लगता हैं.
बंटी ने कहा – डर मत संध्या मैं हूँ.. यहाँ आ जा..मेरे पास . मैं थोड़ा आगे हो गयी – बंटी के पास बैठ गयी.. बंटी ने कहा – पकड़ो इसको और नीचे खींचो – जोर से. मैंने बंटी का देखकर , उस गाय के एक – एक स्तन को अपने दोनों हातों से पकड़ लिया और जोर से नीचे की तरफ खिंचा.. पर कुछ भी नहीं हुवा – एक बून्द भी दूध नहीं आया . मैंने और ३-४ बार कोशिश की. मैं बहुत निराश हो गयी. बंटी ने कहा – अरे कोशिश करो – मैं सिखाता हूँ.. बंटी ने मेरे दोनों हातों को पकड़ लिया – और गाय के स्तनों को ऊपर पकड़ने लगा.. फिर उसने मेरी मुट्ठी जोर से दबायी और नीचे खिंचा – कुछ एक दो बून्द आयी.. मैं खुश हो गयी. उसने कहा हाँ ऐसे ही जोर से दबाकर. बंटी मेरे पीछे एकदम पास बैठा था..मैं अपने दोनों टांगों पर बैठी थी, और मेरे पीछे बंटी . मेरी गांड बंटी के जांघों के बीच थी. मुझे उसका ठोस कड़ा लण्ड मेरी गांड पर रगड़ता महसूस हुआ. मैंने कहा – बस बंटी अब सीख गयी.. उसने कहा – ठीक से संध्या – अब तुम्हे और प्रैक्टिस करनी पड़ेगी..पीछे से वह और मेरे पास आकर अपनी जांघों के बीच मेरी गांड जकड ली. अब दूध की धार अच्छी मोटी आ रही थी..बंटी ने कहा – हा संध्या ऐसे ही – करते रहो – उसने अब उसका एक हाथ मेरे साथ से हटा लिया और मेरी गांड के ऊपर नीचे से रख दिया. अब उसका एक साथ मेरे एक साथ के ऊपर था – जो गाय की स्तन को रगड़ कर दूध निकाल रहा था और दूसरे हातों से वह मेरी गांड सहला था. अब उसका हाथ और आगे की तरफ आ गया और मेरी चूत पर था . तभी मने देखा की हरिया अब नयी भैंस को नहला रहा था – कच्छे मैं से उसका काला मोटा लण्ड बाहर आ गया था और भैंस की पीठ पर रगड़ रहा था.
मैं एकदम होश मैं आयी..मैंने कहा – अब बस बंटी , मैं जाती हूँ.. और वहां से उठकर जल्दी जल्दी घर के तरफ जाने लगी. मुझे बंटी ने कहा – प्लीज रुको न संध्या – अब तुझे बहुत कुछ सिखाना हैं.. मेरा भी दूध निकाल देती. और वह और हरिया जोर जोर से हंसने लगे. मैं जल्दी जल्दी वहां से बूआ की घर की तरफ जाने लगी . तभी पैर में जोर की मोच की वजह से मैं किसी से टकरा गयी.. आह .. ओह माँ .मर गयी . कह कर मैं गिरने वाली थी की उस आदमी ने मुझे जोर से जकड लिया और अपनी बाँहों मैं कस लिया. उसने कहा – ऐसे कैसे मरने देंगे तुम्हे.. तुम्हारे दिवाना तुम्हारे पास हूँ. मैंने देखा – स्वप्निल था. नाशीली आँखों से मुस्कराता मुझे देख रहा था और उसके दोनों साथ मेरे स्तन पर रगड़ रहे थे. मैं कुछ देर उसके आँखों मैं खो गयी..फिर खुदको संभल कर बोली – थैंक यू , मुझे छोड़ो अब – जाने दो. उसने कहा अरे ऐसे कैसे जाओगी – तेरी पैर मैं मोच आ गयी..तुझे गोदी मैं उठाकर ले जाता हूँ – और उसने मुझे झट से अपनी गोदी में उठा लिया. मैंने गुस्से मैं कहा – छोड़ो मुझे – कोई देख लेगा – गांव मैं बदनामी हो जाएगी और उसके चंगुल से निकल कर लड़खड़ाकर घर के तरफ चली गयी. बाहर बुआ चारपाई पर बैठी थी. पूछा – अरे संध्या क्या हो गए – ऐसे क्यों चल रही. मैंने बताया – बुआ पैर मैं मोच आ गयी. बुआ ने कहा – ठीक हैं – मैं हरिया से बोलूंगी. वह अच्छी से मालिश कर देगा – पैर की नस ठीक हो जाएगी.
मैं वहां चारपाई पर बैठ गयी. मैं सोचने लगी – स्वप्निल और बंटी दोनों चचेरे भाई बड़े कमीने निकले . पर रह रह कर मेरा दिमाग रात की घटना पर जाता था. कोण होगा वह? स्वप्निल या बंटी ?
घर मैं बहुत भीड़ थी. हरिया काका मेरे पैर की मालिश करने की लिए एक कटोरे मैं सरसों का गरम तेल लेकर आये. मुजसे बोले – बिटिया छत पर चलो, यहाँ भीड़ में तुझे असुविधा होगी, ओर कुर्ते में तेल लग जायेगा , इसलिए कोई गाउन या मैक्सी पेहेन लो. तब तक में छत पर जाकर तैयारी करता हूँ. मैं सोंचने लगी की हरिया चाचा को क्या तैयारी करनी हैं ? मैंने घर में जाकर एक गाउन पहन लिया. में अभी भी थोड़ा लंगड़ा कर चल रही थी. तभी हरिया काका निचे आये, ओर बोले – अरे बिटिया रुको, में मदत करता हूँ ओर उन्होंने मुझे कमर से पकड़ लिया ओर सीढ़ियों से ले जाने लगे. मुझे अपना पैर मोड़ने में दिक्कत हो रही थी, दर्द हो रहा था . उन्होंने मुझे अपने एक साथ से आगे से मेरी कमर को पकड़ कर सहारा दिया, ओर दूसरा साथ पीछे मेरी गांड को पकड़कर उठाने लगे, ताकि चलने में आसानी हो. लूज़ गाउन में उनका आगे का साथ मेरे मम्मों को मसल रहा था ओर उसका दूसरा साथ मेरी गांड पर सब जगह फेर रहा था, में शर्मा रही थी, पर कोई इलाज नहीं था. छत पर मैंने देखा की दरवाजे पर पानी की टंकी थी ओर साइड में बड़ी दीवाल, जहा हरिया ने एक खटिया पर मोटी रजाई डाल कर रखी थी. बाहर से कोई वहा देख नहीं सकता था. हरिया ने मुझे बोला – आह ! बहुत दर्द हो रहा, रुको, उन्होंने मुझे गोदी में उठा लिया ओर बांकी की सीढ़ियां चढ़कर धीरे से खटिया पर बिठा दिया. मुझे यह सब बड़ा अजीब लग रहा था ओर गुस्सा भी आ रहा था. पर अब सत्तर साल के बुड्ढे को क्या कहना ? ऐसे भी इसका एक पैर स्वर्ग में हैं, यह बुड्ढा क्या करेगा? इस रंगीन बुड्ढे को बस ऐसे ही दबाने ओर मसलने में ख़ुशी मिलती होगी.
हरिया काका मुझे खटिया पर बिठा कर मेरे पैरों के पास नीचे जमीन पर बैठ गया. उसने उँगलियों पर कटोरी में से तेल लगाया ओर धीरे धीरे मेरे पैर पर लगाने लगा. उन्होंने मेरे पैर की कोई नस जोर से दबाई तो मैं – आह….करके चीख उठी. हरिया बोला – उह नस सच मैं लचक गयी हैं.. लगता हैं ऊपर तक खिंच गयी हैं. मैं अभी देखता हूँ कोनसी नस खिंच गयी है. मैं तुम्हारा पैर दबाऊंगा तुम बताना कहा दर्द होता हैं. उन्होंने मेरा पैर नीचे से दबाना चालू गया.. मैं उन्हें बताती – हाँ चाचा यहां .. अब वह मेरे घुटने तक साथ ले कर आये, जिस से मेरी मैक्सी ऊपर हो गयी थी. फिर उन्होंने मेरी जांघों तक गाउन उठा ली ओर जांघों को दबाने लगे.. एक जगह सच मैं दर्द हो रहा था… उन्होंने कहा – हा यही नस हैं, पकड़ लिया..फिर से उन्होंने मेरे जांघ ओर पैर के बीच दबाया – वहा जोर से दर्द हुआ — आह मर गयी.. अब मेरा गाउन..मेरी कमर के ऊपर पर था ओर मेरी नंगी टांगें ओर पैंटी सब चाचा को दिख रही थी. चाचा मेरी जांघों पर तेल लगाकर मालिश कर रहे थे ओर बिलकुल मेरी पैंटी के पास रुकते. मेरी पैंटी गीली होने लगी थी. मैंने झट से हरिया का हाथ हटाया – ऐसे नहीं चाचा..गाउन नीचे रहने दो, नहीं तो मैं चली जाउंगी. चाचा ने कहा – अरे पगली गुस्सा क्यों होती हो ? पर दर्द कम हो रहा ना ? मैंने कहा – हां , तभी चाचा ने कहा – बिटिया थोड़ी खड़ी रहो २ मिनट .. मैं जैसे खड़ी हो गयी – चाचा ने कहा – तेरी पैंटी पर तेल के दाग लग जाएगा, दाग से ख़राब हो जाएगी, इसे निकाल ले.. और उन्होंने. एकदम से मेरी पैंटी दोनों तरफ से पकड़कर एक झटके मैं नीचे कर दी.. ओर मुझे फिर से खटिया पर बिठाकर मेरी पैंटी मेरे पैरों से निकाल दी. मैं एकदम से सदमे मैं थी.. सब इतनी जल्दी कैसे हो गया. ? मैंने तिलमिलाकर हरिया को गाल पर थप्पड़ मार दिया – कमिने, मैं तेरी पोती की उम्र की हूँ, शर्म नहीं आती. तेरी औकात क्या हैं? हरिया ने कहा – अरे बेटी तू गलत समज रही हैं..सरसो के तेल के दाग जाते नहीं, मैं तो अच्छा सोच रहा था.. चाचा मेरे तलवों को पकड़कर नीचे से ऊपर जाँघों तक नस पकड़ते हुए तेल से मालिश करने लगे. मुझे अच्छा लग रहा था, दर्द कम हो रहा था. मेरा गाउन इससे मेरी कमर के ऊपर तक चला जाता ओर , चाचा को मेरी नंगी खूबसूरती का दर्शन हो रहा था. तभी मैंने मेरे तलवों पर गरम, सख्त चीज महसूस की. मैंने निचे देखा.. चाचा की लुंगी आगे से खुली ओर वह मेरे पैर उनके लुंगी के अंदर डाल कर अपने लण्ड को मेरे तलवों से मसल रहे थे . उनका एक साथ मेरी गाउन को मेरी कमर की ऊपर पकड़ रखा था. ओर दूसरा साथ मेरी जांघों की तेल से मालिश कर रहा था ओर धीरे धीरे मेरी चूत की तरफ बढ़ रहा था. हरिया बोला – बिटिया क्या तुम बंटी से गाय का दूध निकालना सीख गयी ? मैंने कहा – नहीं चाचा मुज़से नहीं होता. हरिया बोले – अरे इसमें मायूस होने की क्या बात हैं? प्यार से करोगी तो सब होगा. उन्होंने फिर से मेरी जांघ की नस पकड़ ली.. मुझे दर्द हुआ – आह.. ! मैंने भी जोर से मेरे पैर का तलवा उनके लण्ड के टट्टे पर दबा दिया. हरिया चाचा एकदम उठ गए..लुंगी खोल दी – आह ! बिटिया क्या करती हो ! मेरे टट्टे फोड़ देगी क्या.. ? ओर मेरे सामने उनका लण्ड ओर टट्टे अपने दोनों हातों से सहलाने लगे. ! मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी. हरिया चाचा का काला लण्ड – जहरीले नाग की तरह बड़ी बड़ी फुफकार मार रहा था . ओर उनके टट्टे भी उनके जांघों के नीचे तक लटक रहे थे. इतने नीचे लटकते टट्टे ओर लण्ड मैंने कभी नहीं देखा था. उनकी दर्द से मुझे बुरा भी लगा .. मैंने कहा सॉरी हरिया, मुझे एकदम बहुत ज्यादा दर्द हुआ.. तुम लुंगी पहनो जल्दी से. हरिया चाचा बोले..बिटिया लगता हैं..तुम्हारे कमर तक मोच चली गयी.. ऐसे करो तुम खटिया पर पीठ के बल सो जाओ. पूरा दर्द ठीक कर दूंगा. उन्होंने फिर से उनकी लुंगी पेहेन ली..आगे की तरफ थोड़ी खुली थी. मैं जैसे पीठ के बल लेट गयी.. चाचा ने मेरे दोनों पैर ऊपर उठा दिए ओर मेरी पेट पर से छाती पर घुटने टक्कर दबाने लगे. इससे मेरे गांड एकदम ऊपर, आ गयी, मेरी चूत एकदम खुलकर बाहर आ गयी . वह मेरे पैर उठता , फिर से मोड़कर मेरे सिने से चिपका देता .. ऐसे करते वक्त हरिया को थोड़ा मेरे ऊपर झुकना पड़ता .. मैंने उनका लण्ड खुली लुंगी से अपनी चूत पर रगड़ता महसूस किया. मैंने कहा – यह क्या कर रहे हो हरिया..जाओ.. उठो. हरिया ने कहा कुछ नहीं बिटिया..इससे से तेरा दर्द सारा ख़तम हो जायेगा .. ओर उसने उसके मोटे लण्ड का सूपड़ा मेरे चूत पर रख दिया .
Aaj bhabhi ko lene me bada maja aya!
Nice story