कड़ी_12 – Family Sex
विशाल- “नेहा तुम जाओ में आता हूँ..’
नेहा- “लेकिन विशाल्ल..”
विशाल- “अभी आ रहा है जाओ ना..”
नेहा को मजबरन जाना पड़ता है। विशाल मोबाइल पर बात करते हुए बाहर आता है।
इधर राज दरवाजे के पीछे छुपा हआ, अब सीढ़ियां चढ़कर जाने लगता है नेहा के रूम की तरफ। रूम के पास पहुँचकर राज अंदर झांकता है। वो देखता है की नेहा मिरर के सामने बैठी हुई थी। अपने बाल सवांर रही थी। एकदम मस्त लग रही थी नेहा उस वक्त। खूबसूरत चेहरा, उसके गुलाबी होंठ, आहह… क्या मस्त माल लग रही हैं नेहा। राज नेहा को देखे जा रहा था। यही औरत है जिसे उसने दोपहर में नंगी करके उसकी चूत पर लण्ड रखा आ। राज अब देरी ना करते हुए दरवाजा खोलकर अंदर चला जाता है। नेहा दरवाजे की ओर देखते ही
अचानक खड़ी हो जाती है।
नेहा- “तुम्म… यहाँ क्या कर रहे हो? प्लीज़्ज़.. यहाँ से जाओ मेरे पति अभी आते होंगे.”
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राज नेहा की तरफ बढ़त हुए. “क्या मेरी जान… दोपहर का काम तो रह ही गया, उसे पूरा करने आया हूँ.”
नेहा की नजर काम का नाम सुनकर झक जाती है। उसे पता था की राज किस बारे में बात कर रहा है। नेहा कहती है- “नहीं नहीं बिल्कुल नहीं। तुम जाओ यहां से…
राज. “क्या हुआ तुझे मेरी बुलबुल दोपहर को तो सब कुछ करने दे रही भी..”
नेहा- देखो जो भी हुआ वो गलत था। आगे से वैसे कभी नहीं होगा।
राज मन में- “साली उस रंडी ने पूरा बिगाड़ दिया। इस माल को फिर से गरम करना पड़ेगा..”
राज- “क्या तू भी… मेरी जान्न क्यों इतना इरती है?” बोलकर वो आगे बढ़ने लगता है।
नेहा- देखो तुम दूर रहो।
तभी राज नेहा के पास पहुँच जाता है।
नेहा- प्लीज़… चले जाओ यहाँ से।
राज- “इतनी आसानी से नहीं मेरी जान… और राज नेहा के दोनों कंधों को पकड़ लेता हैं।
नेहा राज की छुवन से ही एक अजीब सा अहसास महसूस करती हैं। तभी राज नेहा को गले लगा लेता है। नेहा की बड़ी-बड़ी चचियां राज की छाती में धंस जाती हैं। नेहा की आँखें एक वक्त के लिए बंद हो जाती हैं। लेकिन राज को तो बहुत मजा आया था। इतनी मस्त औरत की चूचियां अपनी छाती पर महसूस करके। हालांकी वो नेहा को फटी जंगी देख चुका था। लेकिन इसकी बात ही अलग औ।
राज को अपनी छाती में नेहा के निपल भी चुभ रहे थे। जिसका मतलब आ की हा उत्तेजित महसूस कर रही हैं राज के आने से। लेकिन हर की वजह से खुलकर नहीं बता पा रही है। लेकिन राज था माहिर खिलाड़ी, वो नेहा को फी तरह बेशर्म बनाने की सोच चका था।
अब राज के काले हाथ नेहा की खुली गोरी पीठ पर घूम रहे थे। राज के हाओं का अहसास नेहा को उत्तेजित कर रहा था।
इन सब बातों से अंजान नेहा का पति घर के बाहर किसी के पास बात कर रहा था। बिना में जाने की उसकी बीवी को यहीं ये काला मुस्लिमहा चोदने की फिराक में है। वैसे कहा जा सकता है की इसमें नेहा की कोई गलती नहीं है। वो तो राज को गलत काम से रोक रही थी। जब राज सिगरेट पी रहा था तो नेहा ने सिर्फ उसकी भलाई के लिए उसे रोका था। भलाई दिखाने के चक्कर वहाँ गंदा इंसान उसे चोदने के चक्कर में हैं।इधर राज नेहा की पीठ पर हाथ घुमाते हुए अब उसके ब्लाउज़ की छोरी जो एक ही थी, उसे खींच देता है। जिसकी वजह से नेहा का ब्लाउज़ पीछे से खुल जाता है।
नेहा को नहीं पता चलता। वो किसी और हो दनियां में भी, राज ने उसे ऐसे कंट्रोल किया हआ था। लेकिन नेहा को महसूस होता है की राज के हाथ उसकी पूरी पीठ पर घूम रहे हैं, तो उसे होश आता है की उसका ब्लाउज पीछे से पूरा खुल हुआ है। तभी वो झट से राज से अलग हो जाती हैं।
नेहा- ये क्या किया तुमने? क्यों मेरे साथ ये सब कर रहे हो? मेरे पति आते होंगे।
राज. तेरा पति तो आता होगा। लेकिन तेरा आयफ्रेंड तो अभी यहाँ है ना… मुझे कुछ करने नहीं देगी।
नेहाचुप रहो कमीने कहीं के।
राज- अब तेरा जैसी हसीना के लिए जानेमन कमीना तो बनना पड़ेगा ना।
नेहा अब अपना हाथ पीछे लेजाकर अपने ब्लाउज़ की डोरी लगाने लगती है। लेकिन वो हो नहीं रही थी उससे।
राज- क्या हो गया मेरी जान? मैं कुछ मदद करें।
नेहा- कोई जरूरत नहीं है।
लेकिन राज फिर भी नेहा के पास पहुँच जाता है, और उसके ब्लाउज़ की डोरी पकड़ लेता है।
नेहा- दूर हटो मुझसे।
राज- अरे बम जानेमन हो गया। बस डोरी लगा रहा हैं।
नेहा कुछ नहीं बोलती।
राज अब डोरी लगाने के बहाने नेहा की गोरी कमर और पीठ देखने लगता है। राज मन में- “अहह… ही साली क्या माल है? क्या फिगर हैं इसका? क्या मस्त कमर है इसकी? क्या कातिलाना अदाएं हैं?” अब वो ब्लाउज़ की डोरी लगाने के बजाए वहीं हाथ फेरने लगता है।
नेहा फिर से उसके खुरदरे हाथ अपनी गोरी कोमल पीठ पर पाकर उतावली होने लगती हैं- “ये तुम क्या कर रहे हो? डोरी नहीं बांधनी तो हटो मुझसे दूर…
तभी राज नेहा की कमर में दोनों तरफ से हाथ डालते हुए उसे अपनी तरफ खींचता है।
नेहा अचानक हुए इस हमले से एकदम राज के कप चिपक जाती है। उसकी नंगी पीठ राज की छाती से चिपक जाती है, और राज का खड़ा लण्ड एक बार के लिए नेहा को अपनी गाण्ड के छेद पर महसूस होता हैं।
नेहा- अहह… कमीने।
इस बार राज ने नेहा को एक अजीब अंदाज से पकड़ा था। नेहा की अदाएं और नेहा का जिश्म दोनों उसको पागल बना रही थी। पता नहीं वो कैसे खुद को रोके हुए था। वरना जिस आदमी को नेहा जैसी मस्त जवान औरत की चूत पर लण्ड रखकर चोदले ला मिले। ऐसा आदमी तो मेंटल हो हो जायगा। लेकिन राज नेहा को तड़पाने के चक्कर में था, और ऊपर से रिया ने उसे डिस्टर्ब किया था।
राज अब नेहा के गले को चूमने लगता है अपने गंदे होंठों से। उसके गंदे होंठ नेहा की गोरी गर्दन पर अक छोड़ रहे थे। नेहा राज को रोकना तो चाह रही थी, लेकिन राज की हरकतें उसे गरम कर रही थी। गले को चमते हुए अब राज नेहा का बल्लाउज़ जो पीछे से खुल्ला आ, उधर से हाथ अंदर डालता हैं और उसकी ब्रा के ऊपर से नेहा की चचियां मसलने लगता है।
नेहा- “अहह… अहह… छोड़ो मुझे.”
ब्लाउज़ के अंदर राज के हाथ नेहा की मस्त बड़ी-बड़ी चूचियों को ब्रा के ऊपर से मसल रहे थे। नेहा के निप्पल भी अब बिल्कल सख्त हो चके थे जिसे बीच-बीच में राज दबा रहा था। जब भी वो ऐसा करता उसकी आहह… निकल जाती। नेहा पर दोहरा वार हो रहा था। उसकी गाण्ड में राज अपना बड़ा काला लण्ड रगड़ रहा था। उसका लण्ड नेहा की गाण्ड के छेद पर रगड़ खा रहा था साड़ी के ऊपर से। जिसकी वजह से नेहा की आँखें बार बार बंद हो रही थी।नेहा महसूस कर सकती थी की राज का लण्ड काफी बड़ा है। लेकिन उसे ये भी पता है की कभी भी राज उसके बड़े काले लण्ड से उसकी अटी हालत कर सकता है। जो भी आ इस घर की खूबसूरत बहुओं को इस राज के काले गंदे लण्ड का सामना करना था। उन्होंने पंगा जो लिया था राज से।
इधर राज अब चूचियां दबाकर, अपना हाथ अब उधर से हटाकर बाहर से नीचे ले जाने लगता है। उसके हाथ नेहा की नाभि तक पहुँच जाते हैं। राज की काली बड़ी हथेली नेहा की गोरी पतली कमर पर थी। ये बहुत हाट दृश्य बन रहा था। एक जवान औरत को एक काला बढ़ा इस तरह पकड़े हए खड़ा था। अब राज नेहा के पीछे से उसकी गाण्ड पर ही हलचल करने लगता है। अपने चूतड़ इधर-उधर हिला रहा था नेहा की गाण्ड के ऊपर।
नेहा को जैसे राज की पकड़ से छूट पाना मुश्किल लग रहा था। नेहा की साड़ी राज के बड़े लण्ड को नेहा की गाण्ड के छेद पर चुभने से नहीं बचा पा रही थी। राज को बहुत मजा आ रहा था मैं नेहा की गाण्ड की गर्मी बढ़ाने में। वो जानता था नेहा बहुत जल्दी गरम हो जाती है। उसे बस सही टाइम का इंतेजार करना था। अब राज ऊपर नेहा की चूचियां छोड़कर अपने हाथ नीचे ले आता है। और नेहा की चूत साड़ी के ऊपर से पकड़कर मसलता है एक बार।
नेहा- “आह्ह.. मम्मी..” करती है।
नेहा के लिए ये बहुत था। एक तो राज उसकी गाण्ड पर अपना बड़ा काला लण्ड मसल रहा था और अब आगे से उसकी चूत
नेहा में अब विरोध करने की भी ताकत नहीं बची थी। इसलिए वो दीली पड़ने लगती है, जिसका अहसास राज को भी होता है।
तभी राज नेहा को अपनी तरफ घुमाकर दीवार से सटा देता है। नेहा जो विरोध करके थक चुकी थी अपनी
आँखें ठीक तरह से खोल भी नहीं पा रही थी। तभी राज नेहा के मासूम खूबसूरत चेहरे को देखते हुए उसे किस करने की सोचता है। वो अपना बदसूरत चेहरा नेहा के चेहरे के पास बढ़ाता ही है की सौदियों से किसी के आने की आवाज आती है। जिसे सुनकर राज कहता है।
राज- “साला कौन सा हरामी अब आ गया, मुझे और मेरी गर्लफ्रेंड को डिस्टर्ब करने। इस घर के लोग साले हरामी ठीक तरह से मजा भी नहीं लेने देते… राज बोल तो ऐसा रहा था जैसे वो इस घर का जमाई हो।
इधर नेहा सीदियों से आवाज सुनकर राज को धकेलकर दूर जाकर बड़ी हो जाती हैं। राज अब छुपने की जगह टूट रहा था। नेहा भी डरी हुई भी की अगर राज को किसी ने उसके कमरे में देख लिया तो क्या सोचेगा? विशेष रूप से उसका पति। राज बेड़ के नीचे छुप जाता है।
दरवाजा खुलता हैं तो वहीं विशाल था। नेहा इरी हुई बेड के साइड खड़ी थी।
विशाल- अरे तुम सोई नहीं?
नेहा- वो बस आपका इंतजार कर रही थी।
विशाल- अरे वाह क्या बात है? क्या इरादा है मेहम आज आपका?
नेहा राज के रूम में होने के डर से ठीक तरह से बात नहीं कर पा रही थी- “ऐसा कुछ नहीं है..”
विशाल अब दरवाजा लाक कर देता है। जिसे देखकर नेहा और डर जाती हैं। विशाल अब नेहा के पास आकर उसको बेड पर बिठा देता है। नेहा मिक्स्ड एमोशन्स से विशाल को देख रही थी। अब विशाल नेहा के बाल कान से पीछे कर देता है, और फिर उसे बेड पर लिटा देता है। अब विशाल अपनी शर्ट उतार देता है। नेहा जानती भी की विशाल क्या करने वाला है। लेकिन चुदाई इस वक्त।
एक काला बढ़ा उन दोनों के कमरे आ। नेहा को अजीब सा डर लग रहा था।