जय- “अबे साले हर वक्त यहीं करता है क्या? कुछ तो काम कर। आज भी पहले चला आया। पहले आकर किया किया?”
राज- अब्बे कुछ काम से आया था।
जय- कैसा काम? मैं भी तो सुनं।
राज- अञ्चे उस नेहा मालकिन को पटमैं रहा था।
जय- क्या पट गई। क्या मार खाकर आया है।
राज- अबे साली को मसलकर आ रहा हैं।
जय- क्या बात कर रहा है। साली कैसे मान गई।
राज- वो सब छोड़। अधे तुझे कोई नहीं चाहिए क्या?
जय- चाहिए ला… साले दिला जा।
राज- अबे ऐसे ही मिल जाएगी क्या? हलवा है क्या? ओड़ी मेहनत तो करनी पड़ेगी। यह बड़े घर की औरतें साली बहुत कड़क होती हैं।
जय- किसकी बात कर रहा है त?
राज- अबे सौरभ भाई की बीवी है ना रिया मालेकिला मस्त माल है। ट्राई कर।
जय- क्या बात कर रहा है। तूने कब देखा उसको?
राज- अरे आज देखा था। क्या माल दिखती है।
असल में आज नेहा के रूम से आते हुए राज की नजर सौरभ की पत्नी रिया पर पड़ गई थी। रिया 23 साल की एक मस्त खसरत औरत भी। वो भी एक अमीर परिवार से थी। यह भी एकदम परी की तरह लगती भी। नेहा से दो साल छोटी, एकदम पताका।
इधर रूम में। जय- क्या बात है राज मजा आ जाएगा। क्या खबर दी है। अब देख में कैसे पटाता है उसको।
राज- अबे ज्यादा खुश मत हो। ध्यान से करना जो भी कर रहा है। अगर कुछ उल्टा सीधा हो गया ना तो लेने के देने पड़ जाएंगे।
– हाँ हाँ देखता जा तू।
फिर दोनों ऐसे ही बातें करते हैं। थोड़ी देर बाद राज घर की तरफ जाता हैं। दरवाजे के पास जाने के बाद वो देखता है की सब लोग बातें कर रहे हैं। फिर वो चुपके चुपके अंदर जाने लगता है। अंदर सब लोग हाल में थे तो उसे पता था अगर वो ऐसे पकड़ा गया तो उसकी खैर नहीं। हाल में दो बड़े सोफे थे जिसपर बैठकर सब लोग बातें कर रहे थे। सामने बड़ी सी टीवी भी चालू भी।
इधर राज सबकी नजर से छपते हए सोफे के पीछे वाली दीवार तक पहुँच जाता है। वहीं वो देखता है की नेहा सोफे के आखीर में बैठी हुई है और उसके साइड में उसका पति भी था। राज लेकिन किसी भी हालत में नेहा के साथ कुछ करने का इशादा करके आया आ। वहीं सब परिवार मेंबर्ज़ हंसी मजाक कर रहे थे। राज लार मानने वाला बिल्कुल नहीं था। वो अब सोफे के पीछे धीरे से चला जाता है। वहीं पर जहाँ नेहा बैठी हुई थी। राज के लिए अच्छी बात ये थी की उसको किसी ने अभी तक नहीं देखा था। राज अब धीरे से जहाँ नेहा बैठी थी वहीं बिल्कुल पीछे जाकर, धीरे से अपने हाथ से नेहा को छूता है। इस तरह से राज किसी को भी नहीं दिख रहा था क्योंकी वो सोफे के पीछे था।
किसी का हाथ टच होते ही नेहा जैसे उछल पड़ती है। वो जब नीचे देखती है तो एक काला हाथ उसको छू रहा
था। उसे जल्द ही पता चल जाता है की ये राज है। नेहा को उछलकर देखकर उसका पति
विशाल- क्या हुभा नेहा?
नेहा को कुछ में समझ नहीं आता के क्या बोले- “वी… वो कुछ नहीं।
विशाल- आर यू योर?
नेहा- हाँ कुछ नहीं।
नेहा का उसके पति को ऐसा बोलना राज के लिये काफी था और मस्ती करने के लिए नेहा के साथ। लेकिन नेहा राज का हाथ झट से हटा देती है। लेकिन राज फिर से अपना हाथ ले जाता है आगे। नेहा बार-बार हटा भी रही भी उसका हाथा नेहा वहां परेशान महसूस कर रही थी। नेहा जानती थी यह आदमी इतनी आसानी से यहाँ से जाने वाला नहीं है। नेहा अब तोड़ा सोफे की तरफ मुँह करते हुए।
नेहा- “प्लीज…”
राज भी पक्का खिलाड़ी था था- “बिल्कुल नहीं.”
नेहा जानती थी की यही राज का जवाब होगा। नेहा मन में- “मैं यहाँ सकी तो ये बढ़ा कुछ ना कुछ करेगा। इससे अच्छा है मैं यहीं से चली जाऊँ। वो इतने लोगों के सामने आ भी नहीं पाएगा… नेहा ये सांच तो रही थी। लेकिन हम सब को ये बात समझ नहीं आती की वो उस बूढ़े की हरकत के बारे घरवालों को क्यों नहीं बता रही है। खैर, अब नेहा उठती है।
विशाल- क्या हुआ नेहा?
नेहा- वो कुछ नहीं मैं रूम में जा रही हूँ।
विशाल- क्यों बैठा ला।
नेहा- वो थोड़ा काम है।
विशाल- हाँ ठीक है।
नेहा फिर जाने लगती है। नेहा एक नजर सोफे के पीछे दौड़ाती हैं। वहां पर राज छिपकर बैठा हुआ। वो नेहा को देखकर गुस्से का इजहार करता है। नेहा चुपचाप चली जाती है। लेकिन बी जाते-जाते रुक जाती है क्योंकी उसे लगा की राज उसके पीछे आने की कोशिश कर रहा है। उसे डर लग रहा था की कहाँ इस मवाली को किसी ने उसके पीछे जाते हुए देख लिया तो क्या सोचेगा। नेहा इर रही थी। वो जल्दी से रूम की तरफ चली जाती है।राज मन में- “इस रंडी की तो मैं छोइंगा नहीं। साली भाग गई। कुछ भी करके उधर जाना होगा…”
राज अब इधर-उधर देखते हुए जल्दी से एक टेबल तक पहुंच जाता है। उसके लक के लिए किसी ने भी उसे नहीं देखा था। अब उसके लिए जाना आसान आ। वो अब फटाफट चलकर उधर से निकल जाता है। अब राज झट से नेहा के रूम तक पहुंच जाता है। लेकिन वो देखता है की गम का दरवाजा बंद है। मतलब नेहा ने आकर लाक किया हुआ आ। अब काम को कुछ समझ में नहीं आ रहा था के क्या करे। अंदर नेहा की धड़कनें तेज हो रही थी। उसे पता ही था कीराज कुछ ना कुछ करने के इरादे से यहाँ आया है।
नेहा मन में- “पता नहीं क्यों मैंने उस गंदे बूढ़े को इतना करीब आने दिया? वो कुछ ज्यादा ही कर रहा है। उसकी औकात ही क्या है? अदा कहाँ का। मुझे गलमड बनाने की बात कर रहा था। अपनी शकल नहीं देखी शायद आईने में। गंदा इट्टा कहीं का।
तभी उसे दरवाजे पर टक-टक की आवाज आती है। उसे पता था की ये राज था। वो किसी हालत में भी राज
को अंदर नहीं आने देना चाहती भी। क्योंकी अगर वो अंदर आ गया तो पता नहीं वो उसके साथ क्या करेगा।
लेकिन बाहर राज भी हार मानने वाला कहाँ था। वो अब अपनी अगली चाल चलता है। वो अब दरवाजा जोर जोर से खटखटाने लगता है। जिससे बहुत आवाज होने लगती है। नेहा को भी अहसास होता है की दरवाजे पर आवाज ज्यादा हो रही है।
नेहा मन में- “ये कमौना पता नहीं अब क्या करेगा? दरवाजे की आवाज सुनकर कहाँ सब लोग ऊपर ना आ जाएं। पता नहीं क्या सोचेंगे? मुझे इस बटे को रोकना होगा…”
नेहा अंदर से ही- “प्लीज… राज ऐसा मत करो चले जाओ यहाँ से..”
राज- दरवाजा खोल एक बार फिर चला जाऊँगा।
नेहा- नहीं तुम जाओ।
राज- “ठीक है.” बोलकर वो फिर से दरवाजे पर मार-मारकर आवाज़ करने लगता है।
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हा अब परेशान भी। अब आबाज कुछ ज्यादा ही आ रही थी। नेहा बेबस होकर आखीर कार दरवाजा खोल देती है, और कहती है- “तुमको समझ नहीं आता एक बार बोला हुवा…” नेहा उतना ही बोली थी को राज उसे पकड़ते हुए अंदर आ जाता है।
सब कुछ इतना जल्दी हो गया की नेहा को पता ही नहीं चला। पीछे पीछे जाते हुए दोनों का बैलेन्स बिगड़ जाता है, और दोनों बेड़ से टकराते हुए उसपर गिर जाते हैं। अब दोनों गिरे भी ऐसी पोजीशन में थे की क्या बताएं। नेहा नीचे पीठ के बल और राज उसके ऊपर। दोनों की नजरें आपस में मिल जाती हैं। लेहा की धड़कनें तेज थी। दोनों के चेहरे आमने सामने थे। इस तरह गिरने की वजह से नेहा की चूचियां राज की छाती से दबी हुई औं। इतना सब अचानक हो गया था। ये सब नेहा ने उम्मीद भी नहीं किया आ। एक गंदा काला बढ़ा जो एक ट्रक ड्राइवर हैं, इस वक़्त इस बड़े घर की खूबसूरत गोरी बहू के ऊपर उसी के बेड पर पड़ा हुआ था।
नेहा को होश में आते हुए “हटो मेरे ऊपर से..”
राज- क्यों मेरी बुलबुल, अपने बायफ्रेंड को कुछ करने नहीं दोगी?
नेहा- तुम मेरे बायफ्रेंड नहीं हो समझे।
राज- तो बना ले ना।
नेहा राज को अपने ऊपर से हटाने की कोशिश करते हुए “मुझे नहीं बनाना… हटो मेरे ऊपर से…” वो उतना बोली ही थी की।
राज नेहा की चूचियों पर हाथ रख देता है. और वो नेहा की चूचियां धीरे धीरे दबाने लगता है।
नेहा- नहीं छोड़ा मुझे। वहां हाथ मत लगाओ तुम।
राज- क्यों मेरी जानः
नेहा- बूटे शकल देखी है आईने में। हटाओ वहाँ से अपना हाथ।
राज- नहीं हटाऊँगा।
नेहा को अब अपने नीचे कोई चीज चुभने लगती है। जिससे नेहा परेशान हो रही थी- “हटो मेरे उपर से…”
राज- “साली ज्यादा आवाज़ मत कर.” इतना बोलकर वो नेहा के गुलाबी होंठों पर अपने काले होंठ रख देता है।
नेहा उसके लिए तैयार नहीं थी। नेहा की आँखें बड़ी हो गई थी हैरानी में।
एक बूढ़ा काला ड्राइवर इस बड़े घर की बहू को उसी के बेड पर सुलाकर किस कर रहा था। नेहा उधर से निकलने की कोशिश कर रही थी। लेकिन राज ने उसे मजबूती से पकड़ रखा था। हिलने भी नहीं दे रहा था। ओड़ी देर बाद नेहा बहुत जोर लगाकर राज को अपने ऊपर से हटाने की कोशिश करने लगी। राज उसे छोड़ला नहीं चाहता था, लेकिन उसका दर्द देख कर वो अपने होंठ हटा लेता है उसके कोमल गल्लाची होठों से। नेहा जोर-जोर से सांस लेने लगती हैं। उसकी साँसें फूली हुई थी। उसकी चूचियां लेटे हर ऊपर-नीचे हो रही थीं। नेहा अपनी साँसों पर कंट्रोल कर ही रही थी की राज एकदम से उसकी साड़ी नीचे से उठाकर उसके सिर पर डाल देता है। नेहा अचानक हुए इस हमले से बौखला जाती है और राज का सिर वहां से हटाने की कोशिश करती है।
नेहा- “छोड़ो मुझे प्लीज… नहीं..”
लेकिन राज कहीं मानने वाला था। वो अब नेहा के पेटीकोट के अंदर से उसकी पेंटी तक पहुँच जाता है। बी अचानक उसकी पेंटी पर अपना मुँह रख देता है। नेहा को यकीन नहीं हो रहा था की उस जैसी खूबसूरत औरत के साथ एक काला बट्टा ट्रक ड्राइकर ये सब कर रहा था। राज का काला बदसूरत चेहरा नेहा की पेंटी के ऊपर से चूम रहा ।
राज जानता था की चूत किसी भी औरत की कमजोरी होती है। उस पर वार करने पर औरत कंट्रोल में लाई जा सकती है। अब राज पैटी साइड में करते हुए उसकी चूत पर एक बार जबान लगाता है। जिससे नेहा को ना जाने क्या अलग ही अहसास होता है।
नेहा- “आअहह..” करती है।
राज नेहा को गुलाबी चूत के दाने पर अपनी जुबान लगाता है। जिससे नेहा तड़प उठती है। उसके जिश्म में एक अजीब सी लहर दौड़ जाती हैं। राज अब देरी ना करते हुए उसकी चूत पर अपना पूरा मुँह खोलकर रख देता है।
नेहा- “आहह.. करीम्म्म… और नेहा के मुँह से ये सिसकारी जोर से निकली थी।
राज अब नेहा की चूत पूरा मुँह लगाकर चाट रहा था। नेहा को समझ में नहीं आ रहा था की वो मजे उठाए या विरोध करें। राज का काला सौंप जैसा लण्ड उसकी लुंगी में फन मार रहा था। राज अब उसकी चत चाटते हुए दूसरे हाथ से अपनी लुंगी निकाल फेंकता है। अब वो एक बड़ी सी गंदी अंडरवेर में था। चूत चाटते हुए राज नेहा की गाण्ड को भी सहला रहा था। नेहा बेबस अपनी आँखें बंद किए हुए पड़ी हुई थी। नेहा की आँखें अब आनंद में बंद खुल रही औं।
तभी अचानक राज चूत छोड़कर बाहर आता है और खड़ा हो जाता है। नेहा आँखें खोलकर राज की तरफ देखती है। वो बढे राज को एक बड़ी सी अंडरवेर में देखकर शर्मा जाती है। तभी राज अपनी अंडरवेर नीचे लाने ही वाला आ की उसके मन में कुछ आता है। नेहा अब समझ गई औं को आगे क्या होगा राज के अंडरवेर उतारने के बाद। पता नहीं क्यों अब वो विरोध नहीं कर पा रही थी।
लेकिन तभी राज उसे वापस लुंगी पहनते हुए मिलता है। नेहा के चेहरा पर सवाल थे। क्या हो गया अचानक राज को? नेहा समझ नहीं पा रही थी को ये अचानक क्या हो गया राज को। असल में राज नेहा को और तड़पाना चाहता आ और इस वक्त टाइम भी सही नहीं आ। उसका पति कभी भी आ सकता था यहां। अब राज दरवाजा खोलकर बाहर चला जाता है।
नेहा को बिल्कुल यकीन नहीं हो रहा था की ऐसे गंदे आदमी को इतना अच्छा चान्स मिल रहा था फिर भी उसने क्यों कुछ नहीं किया? यही सब सबाल लिए वो अब उठकर खुद को ठीक करती है और फ्रेश होकर वापस बेइपर लेट जाती है।
उधर राज छपकर जौकों के क्वार्टर में चला जाता है।
जय- साले क्या करके आया?
राज- बहुत कुछ। आगे देख त कसे उस रंडी को अपने लौड़े के लिए तरसाता हैं। वो सब छोड़ तूने उस छोटी वाली पर ट्राई किया की जहाँ?
जय- अरे कहीं?
राज- अबे जल्दी कर, वरना देर ना हो जाये।
दोनों ऐसी ही बातें करते हुए सो जाते हैं। अगली सुबह राज और जय दोनों ने खराब तबीयत का बहाना
बनाकर ना जाने का फैसला किया। आज वो दोनों कुछ करना चाहते थे। वो दोनों नाश्ता खाना सब किचेन में ही करते थे। बस ोड़ी देर के लिए घर में आकर चले जाते थे। अब सुबह वो दोनों चले गये थे अंदर।
दोनों किचेन में बैठकर खा रहे थे। तभी राज जय को इशारा करता है की जाकर ट्राई करे। जय जो राज से भी बढ़ा आ। अब उठकर किचेन के दरवाजे के पास जाकर इधर-उधर देखने लगता है। ऑड़ी देर बाद किसी को नहीं आता देखकर वो वापस घमने ही वाला था की उसे किसी की अंगड़ाई लेने की आवाज आती हैं।
वो नजर घुमाकर सीधी तरफ देखता है, वहाँ से एक औरत उतर रही थी जो लौंट में लग रही थी। लेकिन एकदम परी लग रही थी, गोरा बदन, मस्त चूचियां। सौदी से उतरते हुए उसकी चूचियां बलाउज़ के ऊपर से मचल रही थीं।