Adultery बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत – Family Sex

रिया चौंक कर एक बार के लिए उछलती है। रिया झट से घूमती है, और इस गंदे बटे को देखकर हैरान रह जाती है। रिया जय को देखकर गुस्सा हो जाती है। उसे याद आता है जब इसी आदमी ने उसके साथ बदतमीजी की भी कुछ दिन पहले। और आज उसकी इतनी हिम्मत हो गई की वो उसके रूम तक आ गया।
रिया- “बदतमीज तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहाँ आने की?” वो गुस्से में बोलती है।


जय- “वो में मदद करने आया था तुम्हारी.” जय रिया को बिल्कुल भी इज्जत नहीं दे रहा था।

रिया- क्या? मदद कैसी?
जय- तुम्हारी ब्लाउज़ की डोरी लगाने में मदद।
रिया ये सुनकर हैरान रह जाती हैं। कैसे एक बट्टा ड्राइवर उसके साथ खुलकर बातें कर रहा था वो भी उसी के घर में। रिया कहती है- “पागल हो क्या तुम? तुम निकलो बाहर.”
जय- “डोरी लगाने देना…
रिया गुस्सा हो जाती है- “मैंने कहा निकलो यहाँ से.” और इस बार रिया और ज्यादा गुस्से में बोलती है।
जय- एक बार लगाकर चला जाऊँगा मैं।
रिया- तुम ऐसे नहीं मानोगे?
रिया अब चिल्लाने ही वाली ही थी की जय उसके खूबसूरत चेहरे पर हाथ रख देता है। उसके हाथ रिया क मुँह बंद किए हए । वो रिया को अब वैसे ही पकड़कर दीवार से सटा देता है। रिया हरी हई जय को देखने लगती है। उसके गोरे चेहरे पर जय के काले हाथ एक अलग ही माहौल बना रहे थे। जय अपने गंदे दांत निकलकर स्माइल कर रहा था। जिसे देखकर रिया की आँखों में गुस्सा साफ नजर आता है। रिया जो अभी भी
आधी खुली ब्लाउज़ और पेटीकोट में थी। अब जय की गिरफ्त में थी।
जय- तूने मुझे उस दिन थप्पड़ मारा था ना? देख उस दिन का बदला में कैसे लेता हूँ?
रिया ये सुनकर थोड़ा दूर जाती हैं।
जय के हाथ एक पल में रिया की चचियों पर चले जाते हैं। उस बूढ़े के हाथ अपनी चूचियों पर पड़ते ही रिया की आँखें बंद हो जाती हैं। हालांकी उसे घिन आ रही थी यूँ एक गंदे बुड्ढे के उसकी चूचियां दबाने से। लेकिन जय के सामने उसकी उतनी ताकत नहीं थी की वो खुद को छुड़ा सके। जय रिया की चूचियां हल्के से दबा रहा था। रिया खुद को नहीं छुड़ा पा रही थी जय को मजबूत पकड़ से। जय अब चूचियां दबाना बंद करता हैं, और उसको छोड़ भी देता है।रिया अपनी आँखें खोलती हैं।
रहों- मस्त हैं मक्खन जैसे।
रिया ये सुनकर शर्म से लाल हो जाती है। उसे पता था की जय उसकी चूचियों के बारे में बात कर रहा है। रिया उसकी तरफ गुस्से से देखने लगती है। दोनों थोड़ी देर शांत रहते हैं। फिर जय रिया के दोनों हाथ
पकड़कर दीवार से लगा देता है।
रिया ये उम्मीद नहीं कर रही भी। रिया को जय पर बहुत गुस्सा आ रहा था।
जय रिया के गोरे हाथ अपने काले हाथों में पकड़ कर दीवार से सटाए हुए आ, और अपनी कमीनी स्माइल रिया को दे रहा था।
रिया- कमीने छोड़ो मुझे।
जय कुछ नहीं बोलता। बस उसके कोमल गोरे हाथ दीवार से सटाए हुए रहता है। रिया की धड़कनें तेज चल रही भी इस वक्ता हो भी क्यों ना? वो इस वक्त एक गंदे बुद्ध के साथ उसी के आलीशान रूम में पेटीकोट और ब्लाउज़ में खड़ी थी। रिया जय की पकड़ से निकलने की लाख कोशिश कर रही थी।
रिया- छोड़ो मुझे। वरना मैं चिल्लाऊँगी।
जय- तो चिल्ला। बदनामी तेरी ही होगी सोच ले।
रिया- मेरी क्यों बदनामी होगी? बदतमीजी तुम कर रहे हो मेरे साथ।
जय- वो तुम बोल रही हो। कोई सबूत है तुम्हारे पास?
रिया सोच में पड़ जाती है की ये अदा क्या बोल रहा है? फिर कहती हैं- “तुम मुझे छोड़ते हो या मैं चिल्ला?”
लेकिन रिया बोल जर रही थी की वो चिल्लाएगी पर वो चिल्ला नहीं रही थी। क्योंकी उसे भी पता था की इस बटे के साथ-साथ उसकी भी इज्जत चली जाएगी।
जय- चिल्ला ना?
रिया कुछ नहीं बोलती। बस उसकी तरफ गुस्से से देखती रहती हैं।
जय अब अपना गंदा मुँह रिया के खूबसूरत चेहरे की तरफ बढ़ाता है। रिया को उसके मुँह से गंदी बदबू आ रही थी। रिया को समझ में आ जाता है की ये ठकी बूदा क्या करना चाहता है? रिया उसके करीब आते ही
अपना मह दूसरी तरफ कर लेती है। जय उसके गले को अपनी जुबान से चाटता है।
रिया को अजीब लगता है, वो कहती हैं- “ओह दूर रहो मुझसे कमीने…”
जय- ऐसे कसे? तुझे में इतनी आसानी से छोड़ने वाला नहीं हूँ। तुझे तो मैं अपनी बनाकर रहूँगा।

रिया ये सुनकर जय की तरफ गुस्से से देखती है, और कहती है- “तुम्हारी शकल देखी है तुमने आईने में?”

जय- तू फिकर मत कर। कुछ दिन बाद तू खुद इस गंदी शकल को अपनी मर्जी से चूमेगी।

रिया- हरगिज नहीं। ऐसा कभी नहीं होगा।

जय- “बस देखती जा…’ कहकर जय फिर से उसके गले को चूमने लगता है।

रिया के हाथ जय की पकड़ में थे तो वो हिल भी नहीं पा रही थी। जय अपनी जबान रिया की गोरी गर्दन पर चला रहा था। आज तक रिया के पति ने भी उसके साथ ऐसा नहीं किया था।

जय जानता था ये बड़े घर की लड़कियां गरम जल्द हो जाती हैं। क्योंकी उनको असली मर्द वैसे भी मिलते नहीं हैं। और जय अब रिया को गरम करना चाह रहा था। रिया के गले को चूम रहा था बिना रुके। काफी देर ऐसे करने के बाद रिया का जिस्म उसका साथ छोड़ने लगता है, और रिया की सिसकारियां निकलने लगती हैं।

रिया- “कमीने छोड़ मझे…”

जय को रिया के जिस्म से आ रही महक पागल बना रही थी। ऊपर से रिया का गोरा बदन। रिया का विरोध भी कम हो रहा था। रिया की आँखें अधखुली थीं। अब जय रिया के चेहरे को चूमने लगता है। जगह-जगह वो अपनी गंदी थूक रिया के खूबसूरत चेहरे पर लगा रहा था।
अब वो थोड़ा आगे होकर उससे और चिपक जाता है, तो उसका खड़ा लौड़ा रिया को अब अपने आगे चुभने लगता हैं।

रिया को पता था की वो क्या है। लेकिन वो विरोध करने की हालत में नहीं थी। तभी रिया के मोबाइल पर रिंग होती है। रिया अपने मोबाइल की तरफ देखती है जो साइड टेबल पर पड़ा हुआ आ। जय रिया को देख रहा था के वो क्या बोलेगी?

रिया- “छोड़ो मझे..” और अब रिया उसे गुस्से से बोलती हैं।

लेकिन जय जवाब दिए बिना उसे देखते रहता है।

रिया- तुम पागल हो क्या? छोड़ो मेरा हाथ।

तभी बाहर से रिया को कोई पुकारता है।

रिया अब डर जाती है की किसी ने अगर उसको इस हालत में इस बटे के साथ देख लिया तो क्या सोचेगा?

जय उसका हाथ छोड़ देता है। रिया झट से अपना मोबाइल जाकर देखने लगती है। रिया मोबाइल देख ही रही थी कि जय पीछे से उसकी गाण्ड फा एक थप्पड़ मार कर कहता है।
जय- “जा रहा हूँ। लेकिन जल्द ही मिलूँगा..’ और जय चला जाता है।

रिया- कमीना इसकी इतनी हिम्मत? इसे तो मैं छोड़ूँगी नहीं। लेकिन मैं कहूँगी क्या? इससे तो मेरे चरिन्न फा भी उंगलियां उठेंगी। कहा फंस गई?
इधर जय नौकर क्वार्टर्स में पहुंच जाता है।
राज- आ गया। क्या हुआ बे? फिर से मार खाकर तो नहीं आया?
जय हसकर- “साली की गाण्ड पर थप्पड़ मारकर आ रहा है। तू देखता जा उसकी गाण्ड में कैसे मारता है?”
राज. “शाबाशा मेरे शेर… लगा रह। दोनों बहुओ की बैंड बाजा देंगे हम दोनों..” फिर दोनों हँसते हैं।
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रिया अपने रूम में लेटी हुई जय की हरकतों के बारे में सोच रही थी। उसे अजीब सा लग रहा था की एक
गंदा बढ़ा उसके साथ इतना खुलकर गंदी हरकत कर रहा था। वो वहीं सोच रही थी।
इधर नेहा अपने रूम में प्रेश होकर नीचे जाने के लिए तैयार भी। वो कहीं पर जा रही थी तैयार होकर। उसने बैंकलेश साड़ी पहनी थी। उसकी पीठ काफी नंगी दिख रही थी। आगे से उसका गोरा पेट भी दिख रहा था। ऊपर से उसका खूबसूरत चेहरा। बस कयामत ढा रही भी नेहा। वो तैयार होकर नीचे जाती है। वो मोबाइल पर विशाल को काल लगाती है।
नेहा- हेलो विशाल कहां हो? मैं तैयार है।
विशाल- नेहा रियली सारी। मैं नहीं आ पाऊँगा। एक क्लाइंट के साथ बिजी हो गया है में। बेरी सारी।
नेहा- “क्या विशाल… तुम हमेशा ऐसा करते हो…” और नेहा गुस्सा हो जाती है विशाल से।
विशाल- सारी बेबी। तुम एक काम करो। जितना शापिंग करना है करो। मैं ड्राइवर को भेज देता हूँ।
नेहा- मुझे नहीं जाना अब्बाविशाल- प्लीज़… नेहा समझा करो। और तुम जाओ प्लीज़… मेरे लिए
नेहा- मैंने कहा ना मुझे नहीं जाना।
विशाल- नेहा, अगली बार जरूर साथ में चलेगा। इस बार चली जाओ।
नेहा कुछ नहीं बोलती।
विशाल- “नेहा प्लीज़…”
नेहा- ठीक है। इस बार के लिए जा रही है। अगली बार ऐसा हुआ ना तो फिर देखना तुम?
विशाल- अगली बार ऐसा नहीं होगा। में ड्राइवर भेज देता हूँ।
नेहा- ठीक है।
फिर दोनों काल खतुम करते हैं। नेहा वहीं सोफे पर बैठ जाती है इंतजार करते हुए। आधे घंटे बाद बाहर कार की हार्न होती है। नेहा बाहर चली जाती है।
जब वो कार के पास पहुँचती है तो कार ड्राइवर राज को देखकर हैरान रह जाती है। नेहा सोच रही थी राज कैसे आ गया आफिस हाइका को जगह। असल में विशाल ले हो राज को भेजा था। नेहा राज की तरफ देखती है। राज अपने गंदे दाँत दिखाकर उसे स्माइल दे रहा था। नेहा वहीं खड़ी रहती है। इतने में राज कार से उतरता है, और दूसरी साइड से जाकर दरवाजा खोलता है।
राज नेहा की तरफ देखते हुए- “आ जा मेरी जान..”
नेहा उसे हैरत से देखती है। उसे पता था की राज कैसा है। नेहा कहती हैं- “तुम यहां क्या कर रहे हो?”
राज- “साहब ने भेजा हैं आपकी जररत पूरी करने के लिये…” बोलकर वो अपना लण्ड पेंट पर से मसलता है।
नेहा उसे देखती रह जाती है- “बेशर्म कहाँ के… क्या कहा?”
राज. वही जो तूने सुना मेरी बुलबुल। मैं यहां मेरी गर्लफ्रेंड को घुमाने ले जाने आया है।
नेहा के चेहरे पर स्माइल आ जाती हैं। नेहा मन में- “कमीना घुमाने ले जाने आया है। शकल देखी नहीं शायद
आईने में अपनी। बड़ा आया बनने मेरा बायफ्रेंड…”
नेहा- “मुझे कहीं घूमने नहीं जाना। जि बोला है वो ही करो…” और नेहा पिछला दरवाजा खोलकर बैठ जाती है।

राज- आगे बैंठो ना मेरी जान।
नेहा- नहीं नहीं मुझे नहीं बैठना वहां।
राज थोड़ा मायूस होकर ड्राइवर सीट पर चला जाता है। फिर कार गेट से बाहर निकला जाती है। राज कार झाइका करके हाइवे पर आ चुका था। नेहा चुपचाप बैठी हुई थी। वो कभी-कभी राज को देख रही थी। राज वा बात जानता था। लेकिन वो कुछ बोल नहीं रहा था। दोनों ऐसे ही चुप बैठे थे।
आखीरकार, राज खामोशी तोड़ता है- “आज क्या स्पेशल लेने जा रही है मेरी गर्लफ्रेंड
नेहा- तुमसे मतलब?
राज. तुमसे मतलब… तु मेरी गर्लफ्रेंड है। तेरा सब मतलब मेरे से होना चाहिए मेरी जान।
नेहा- नहीं नहीं मुझे तुमसे कोई मतलब नहीं है।
राज- अच्छा? चुदाई से भी नहीं?
नेहा शर्म से लाल हो जाती है कीम के चुदाई का जिकर करते हो। नेहा राज की बात का जवाब भी नहीं देती।
राज- बोल मेरी बुलबुल, है ना चुदाई से मतलब तुझे?



नेहा- प्लीज़… राज ऐसी बातें मत करो।

– चल ठीक है अपनी गर्लफ्रेंड के लिए कुछ भी। लेकिन एक बात बता? फिर से कब चोदने देगी मझे। तेरे साथ चुदाई करके मजा आ जाता है कसम से। क्या साथ देती है त। क्या चमती है त। तेरी चूत में जो मजा है ना वो किसी के साथ नहीं।
नेहा को राज की बातें सुनकर बहुत शर्म आ रही भी। लेकिन वो जवाब नहीं देती है।
राज- बोल ना।
नेहा- मुझे नहीं पता। तुम अपना काम करो ना।
राज- कौन सा काम?
नेहा उसकी तरफ देखते हुए- ड्राइवर हो तो ड्राइविंग करो। दूसरी बातें मत करो..’ बोलकर वो स्माइल करती है।
राज- “अच्छा ठीक है… और थोड़ी देर बाद कार एक बड़े से माल तक पहुँच जाती है।

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